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Tuesday, July 21, 2020





कृष्णावती नदी की खुदाई से विभिन्न गांवों में प्रसन्नता 

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 कनीना। कनीना उपमंडल के गांवों के आसपास कृष्णावती नदी की खुदाई चलने से विभिन्न गांवों के लोगों ने प्रसन्नता व्यक्त की है। इससे न केवल भूमि का जल स्तर बढ़ेगा अपितु जोहड़ों में भी पानी से भरवा दिया जाएगा। मोड़ी के पूर्व सरपंच गजराज सिंह ने बताया कि इस समय कृष्णावती नदी की खुदाई का कार्य मोड़ी गांव में पहुंच गया है।
 यह नदी एक प्रकार से नहर का रूप लेकर आ रही है लेकिन जिसको पक्का नहीं किया जाएगा। कहीं 30 फुट तो कहीं बहुत अधिक चौड़ाई की नदी है। यह नदी राता मोहलड़ा से शुरू होगी। यहां घड़ी तथा राता दोनों गांवों से पानी के दो-दो फीट चौड़े पाइपों द्वारा इस नदी में पानी डाला जाएगा और यह नदी तत्पश्चात मोहलड़ा, गोमला, गोमला मोड़ी, मानपुरा आदि क्षेत्रों से होकर रेवाड़ी जिले में प्रवेश करेगी। रेवाड़ी जिले के जैनाबाद होकर आगे गुजरती है।
 मोड़ी गांव के गजराज सिंह, सतीश कुमार, अजय कुमार, भोजावास के जयप्रकाश, गोमला के राधेश्याम, मोहलड़ा के रविंद्र कुमार, मानपुरा के कृष्ण सिंह आदि ने खुशी जताते हुए बताया कि अब नदी इस क्षेत्र में आने से जल समस्या कुछ हद तक हल होगी।
नदी वर्षों पहले सिमट चुकी है।  जिला महेंद्रगढ़ में जहां दोहान नदी तथा कृष्णावती दोनों नदियां इस समय बहाल की जा रही है। दोनों ही लुप्त हो चुकी हैं। जहां इन नदियों में पानी आने से गांवों में भूमि  का जलस्तर तो बढ़ेगा वही गांव जोहड़ों को भी भरा जा सकेगा।  ऐसे में किसानों में बेहद खुशी है क्यों वैसे भी इन क्षेत्रों में भूमि का जल स्तर गिरता ही जा रहा है। 1995 में अधिक बारिश हुई थी। तत्पश्चात से बारिश भी अधिक नहीं हुई है। इसके चलते भूमि का जल स्तर गिरता ही जा रहा है। यही कारण है कि किसान चाहते हैं कि किसी प्रकार भूमि का जल स्तर बढ़ाया जाए।
उन्होंने बताया कि कृष्णावती नदी बहुत पुरानी नदियों में से एक है जिसकी खुदाई का कार्य सरकार के आदेशानुसार चल रहा है। खुदाई होते हुए अभी मोड़ी गांव के पास पहुंच गई है। तत्पश्चात मानपुरा होकर रेवाड़ी सीमा तक पहुंचेगी। उधर जैनाबाद आश्रम के महाराज लालदास ने बताया कि कभी उधोदास महाराल इसी नदी के किनारे बैठकर तप करते थे। आज भी उधोदास के आश्रम की दूर-दराज तक मान्यता है। नदी अगर क्षेत्र में लगातार बहती रहेगी तो रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ जिलो को बेहद लाभ होगा।
इतिहास--
 कृष्णावती नदी जिसे कांसावती नदी भी कहा जाता है। राजस्थान के राजसमंद जिले से निकलने वाली एक नदी है जो दौसा जिले के पाटन से होती हुई अलवर जिले में प्रवेश करती है तत्पश्चात हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले में गायब हो जाती है। यह सहाबी नदी की एक सहायक नदी है। वही कृष्णावती नदी इस क्षेत्र का आधार होती थी। अब फिर से इस नदी को जल युक्त किया जा रहा है जो क्षेत्र के लिए भी खुशी का माहौल है।
 फोटो कैप्शन दो व तीन:  कृष्णावती नदी की खुदाई का कार्य बहुत भोजावास और मोड़ी के बीच।

कनीना क्षेत्र में दो दिनों में हुई 20 एमएम बारिश

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कनीना। कनीना क्षेत्र में मंगलवार को 10 एमएम बारिश हुई। सोमवार की सुबह भी दस एमएम बारिश हुई थी। मंगलवार की सुबह सेमवार की भांति वर्षा होने लगी थी जो दोपहर तब चलती रही। चंद बूंदों से ही पानी सड़क मार्गों पर जमा हो गया। सावन माह में पहली बार दस एमएम बारिश हुई है। अभी तक 30 फीसदी किसान बारिश का इंतजार कर रहे थे ताकि बीजाई की जा सके।
कनीना क्षेत्र के किसान बारिश को लेकर खुश है। खड़ी फसल सूखने के कगार पर पहुंच गई थी। यही कारण है कि खुशी से पतंगबाजी जोर पकडऩे लगी है।
 कनीना क्षेत्र में जहां 19 हजार हेक्टेयर भूमि पर बाजरे की बिजाई की जानी है। किसान सूबे सिंह, रणधीर सिंह, राजेंद्र सिंह, अजीत सिंह आदि ने जून माह ने उन्हें निराश किया वहीं सावन माह का आगमन भी निराशाजनक रहा। अब बारिश ने उन्हें प्रसन्न कर दिया है।  उनका कहना है कि कपास की फसल काफी बड़ी हो गई है वहीं बाजरे की फसल भी लहलहाने लगेगी।
  किसानों ने बताया कि दो प्रकार की फसल खेतों में उगाई गई है- अगैती तथा पछेती फसल। अगैती अब बड़ी हो चुकी है जबकि पछेती फसल अभी छोटी है। कुल मिलाकर फसल बेहतर है।  कृषि अधिकारी भी मौसम को फसल के अनुकूल बता रहे हैं। यद्यपि 1995 जैसी बारिश अभी तक नहीं हुई है किंतु कनीना क्षेत्र में सोमवार को बारिश हुई है। किसान अभी भी बेहतर बारिश का इंतजार कर रहे थे और उनका इंतजार खत्म हो गया है।  किसानों का कहना है कि बारिश तो जितनी अधिक होगी उतना लाभ ही लाभ होगा।


एनसीसी कैडेट ने 350 पौधे लगाए

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कनीना। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना प्रांगण में पौधरोपण अभियान के तहत एनसीसी व एनएसएस के स्वयंसेवकों ने 350 विभिन्न प्रकार के पौधे लगाए। पौधरोपण खेल के मैदान में किया गया। पौधरोपण से पहले गड्ढे खोदे उसके बाद विद्यालय के कार्यकारी प्राचार्य व एनसीसी प्रभारी रमन शास्त्री के दिशानिर्देश में कैडिटों ने व विद्यालय के  स्टाफ सदस्यों ने पौधरोपण किया व सभी ने प्रतिज्ञा भी की केवल ये लगाने मात्र उद्देश्य नही बल्कि इनकी सुरक्षा व पानी देने की जिम्मेदारी की भी उनकी होगी।
पौधों के फल फूल लगने तक सुरक्षा का दायित्व लिया। इस मौके पर प्राचार्य लाल सिंह ने कहा कि आज सबसे अधिक आवश्यकता पर्यावरण को शुद्ध करने की है। पूरा वायुमंडल दूषित हो चुका है। पौधों की अंधाधुंध कटने की वजह से मौसम में बदलाव आ गया है। इसलिए आने वाली पीढिय़ों को व अपने जीवन को बचाना है या सुरक्षित रखना है तो प्रत्येक को अधिक से अधिक पौधे लगाने चाहिए। जिससे प्रकृति का वातावरण साफ सुधरा बना रहे व हर प्राणी का जीवन सुरक्षित रहे। यह तभी संभव हो सकता जब हर व्यक्ति अपने जीवन में पौधरोपण करता रहे। इस मौके पर एनसीसी प्रभारी रमन शास्त्री ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर एनसीसी के सभी कैडिट सहित पंकज कुमार हैडमास्टर, दिनेश शर्मा प्रवक्ता, अनिकेत, हरिओम, प्रवीण ,अजय, उएनसीसी कैडेट्स उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 1: पौधरोपण करते विद्यार्थी एवं स्टाफ।

40 साल बाद हुआ स्कूल क्रमोन्नत
-मिठाई बांट प्रवेश प्रारंभ

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कनीना। ककराला ग्राम में उच्च विद्यालय से वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बनने पर ग्रामवासियों में खुशी की लहर है। सोमवार को 11वीं कक्षा के प्रवेश जब स्कूल स्टाफ ने प्रारम्भ किये तो ग्रामीणों ने मिठाई बांटकर खुशी का इजहार किया।
प्रथम दिन स्कूल में 7 बच्चे प्रवेश लेने हेतु पहुँचे थे। प्रथम दिन खुशी, प्रीति, पूजा, मोनिका, लक्ष्मी, नचिता व प्रवीण ने प्रवेश हेतु आवेदन किया। प्रथम आवेदक खुशी  व प्रवीण को ग्राम सरपंच कृष्ण सिंह ने मिठाई खिलाकर स्वागत किया।
इस मौके पर पहुँचे अभिभावकों ने बताया उन्हें बहुत खुशी है कि उनके बच्चों को अब 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई के लिये ग्राम से बाहर दूर नहीं जाना पड़ेगा। इससे पहले ग्राम के अधिकतर बच्चे समीपवर्ती कनीना व रामबास के स्कूलों में पढऩे हेतु जाते थे। कई बार यातायात न होने के कारण लड़कियों को आने जाने में बहुत परेशानी होती थी। इसके कारण अभिभावकों को उन्हें लेने व छोडऩे साथ जाना पड़ता था।
 संस्था के प्रवक्ता सुनील शर्मा ने बताया कि  शैक्षणिक कमेटी आगे भी अपने पूरे प्रयास गांव की शिक्षा पर जारी रखेगी। सरपंच कृष्ण सिंह ने कहा कि स्कूल क्रमोन्नत के बाद अब 10+2 तक की शिक्षा ग्राम में ही मिल जायेगी व लड़कियों को एक सुरक्षित माहौल भी मिलेगा।
मुख्याध्यापक रामकुमार, 10+2 के प्रभारी कर्ण सिंह, बाबा भैया सेवा दल के सदस्य मा. सुनील कुमार, मा. गुलशन, सुंदर लाल, सुनील शर्मा ने बच्चों के स्वागत की पहले से योजना बनाई थी।
इस अवसर पर चौखराम थानेदार, धर्मपाल थानेदार, राजेन्द्र यादव, ईश्वर सिंह, पँचायत सदस्य जयप्रकाश, बाबूलाल, राजबीर, सुनील, रामौतार, एडवोकेट नरेश, सुरेंद्र सिंह, भूतपूर्व सरपंच दलीप सिंह, नरेश कुमार, मनोज कुमार, मा. वीरेन्द्र सिंह, रविन्द्र प्रकाश आदि ग्रामीण मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 2: ककराला में स्कूल क्रमोन्नत होने पर मिठाई बांट खुशी जताते हुए।


सावन के तीसरे सोमवार को शिवालयों में रही भीड़
-सोमावती अमावस्या भी मनाई

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कनीना। सावन के तीसरे सोमवार को शिवालयों में भारी भीड़ रही। बाघेश्वर धाम पर जलाभिषेक के लिए भीड़ रही वहीं विभिन्न गांवों में भी शिवालयों में भीड़ देखने को मिली। इस बार सोमावती अमावस्या होने से इस दिन का महत्व बढ़ गया। यूं सावन के प्रत्येक सोमवार को यहां भीड़ रहती हैं किंतु कोरोना काल होने के कारण भीड़ अन्य वर्षों की बजाय कम रही।
 महिलाओं ने व्रत रखा तथा दिनभर शिवलिंग अभिषेक कार्यक्रम चलता रहा। सावन 6 जुलाई से शुरू हुआ जो तीन अगस्त पूर्णिमा रक्षा बंधन दिन तक चलेगा जिसमें पांच सोमवार 6 जुलाई, 13 जुलाई, 29 जुलाई, 27 जुलाई तथा तीन अगस्त को पड़ रहे हैं। 19 जुलाई की शिवरात्रि भी थी। तीन अगस्त को सावन का अंतिम सोमवार होगा।  व्रत करने वाले सावन के समस्त सोमवारों को व्रत रखते हैं और शिवालयों में जाकर शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं। बाघोत में इस बार कांवड़ मेला भी नहीं लगा।
  सावन के तेीसरे सोमवार को आज विभिन्न शिवालयों में भीड़ रही। भारी संख्या में श्रद्धालु कनीना स्थित 21 फुट ऊंची शिव प्रतिमा वाले शिवालय में जल अर्पित करते देखे गए। आगामी सोमवार को भी यहां भीड़ रहेगी। बाघेश्वर धाम पर जहां संतान पाने के इच्छुक वटवृक्ष पर धागा बांधते नजर आए वहीं जलाभिषेक करने के लिए भीड़ जमी रही।
 महिलाओं ने ग्रामीण क्षेत्रों में व्रत रखा तथा शिवलिंग का अभिषेक किया। जल अर्पित करने वाले भक्तों में महिलाओं की संख्या अधिक थी। पुरुष भी व्रत रखते हैं।
फोटो कैप्शन 3:  शिवलिंग पर जल अर्पित करते भक्तजन।

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