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Friday, July 17, 2020


हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड को भील अपनानी चाहिये सीबीएसई नीति

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कनीना। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड व केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के परिणाम में इतना अंतर क्यों? ये बात सभी को सोचने पर मजबूर कर देती है सभी ये सोचते होंगे कि हरियाणा बोर्ड से संबंधित सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती होगी लेकिन फिर सोचिये की हरियाणा बोर्ड से मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों का परिणाम भी इतना अच्छा नहीं रहा। यानी हम कह सकते है कि पढ़ाई तो सभी स्कूलों में अच्छी करवाई जाती है चाहे वो किसी भी बोर्ड से मान्यता प्राप्त हो सभी अध्यापक अपने कार्य का निर्वहन अच्छे से करते हैं बहुत सोचने के बाद पता चला कि परिणाम कम आने का मुख्य कारण बोर्ड द्वारा अपनाई गई नीतियां होती है। अब इसमें में आपको एक उदाहरण देना देखिये आप दसवीं के गणित विषय को ही लीजिए हरियाणा बोर्ड में  कमजोर व होशियार बच्चों के लिए एक तरह का प्रश्न पत्र आएगा इसमें कमजोर बच्चे अक्सर फेल हो जाते है गणित विषय मे ंकमजोर होने व फेल होने के करने उनका पढ़ाई का चैप्टर खत्म ,दूसरी तरफ आप केंद्रीय शिक्षा बोर्ड में दसवीं के गणित विषय के बारे में समझे यहाँ बच्चे पूरे वर्ष एक समान कोर्स पढ़ते हैं लेकिन पेपर के समय उनके पास दो तरीके होते है। एक स्टैण्डर्ड दूसरा नॉर्मल ,बच्चे अपनी इच्छा अनुसार अपना पेपर का चुनाव कर सकते है होशियार बच्चे स्टैण्डर्ड का चुनाव करते है जिसमें प्रश्नपत्र उनकी  बुद्धि उपलब्धता के अनुसार होता जबकि गणित में कमजोर बच्चे नॉर्मल प्रश्नपत्र का चुनाव करते है जिसमें गणित का प्रश्नपत्र बहुत ही आसान लेवल का होता हैं और इस तरीके से सभी बच्चे गणित जैसे कठिन विषय में भी पास हो जाते है और आगे की कक्षाओं में अपनी रुचि के अनुसार विज्ञान ,वाणिज्य या कला संकाय ले सकते है। बोर्ड की गलत नीतियों की वजह से ही आप देखिये बड़े बड़े निजी स्कूलों ने हरियाणा शिक्षा बोर्ड की बजाए केंद्रीय शिक्षा बोर्ड से ही अपने स्कूलों की मान्यता ली हुई है।दूसरी हरियाणा बोर्ड ने दसवीं में छह विषयों में से दो विषयों में फेल बच्चों को फेल कर दिया जाता है जबकि दो साल पहले तक दो विषयों में फेल बच्चों को कंपार्टमेंट दिया जाता था और बच्चा 11वीं में अपना दाखिला लेकर साथ साथ अपना कंपार्टमेंट भी क्लियर कर लेता था। हरियाणा बोर्ड को चाहिए कि बच्चों के हित में समय समय पर अच्छी रणनीति बनाते रहे या फिर केंद्रीय बोर्ड जो भी रणनीति बनता उसका ही अनुसरण करें ताकि बोर्ड की गलत नीतियों के कारण बच्चों  के भविष्य के साथ खिलवाड़ ना हो सके।अबकी बार भी दसवीं के परिणाम पर बोर्ड को पुन: विचार करना चाहिए।
 



निशा व शिवानी रही जीएल महिला कालेज कनीना में टॉप
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कनीना। इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय मीरपुर द्वारा स्नातक की परीक्षाओं में बीएससी नॉन-मेडिकल व मेडिकल के तृतीय सेमेस्टर का परीक्षा परिणाम घोषित किया गया। इसमें जीएल महाविद्यालय का परीक्षा परिणाम सराहनीय रहा। कॉलेज के प्राचार्य  डॉ संजीव कुमार ने बताया कि बीएससी मेडिकल में निशा कुमारी 86.8 प्रतिशत अंक प्राप्त कर प्रथम स्थान प्राप्त किया। आँचल शर्मा ने 84.6 प्रतिशत व सपना ने 78 प्रतिशत अंक प्राप्त किये। वहीं नॉन मेडिकल में छात्रा शिवानी ने 81 प्रतिशत अंक लेकर टॉप किया। छात्रा काजल ने 74.4 प्रतिशत, सोनिया ने 73.2 प्रतिशत, भतेरी ने 71.4 प्रतिशत, मनीषा 71.2 प्रतिशत व पूजा , दीपिका , ज्योति ने 70.4 प्रतिशत अंक प्राप्त कर महाविद्यालय का व क्षेत्र का नाम रोशन किया। चेयरमैन राजेन्द्र सिंह लोढ़ा जी ने विद्यार्थियों की इस सफलता पर बच्चों व अभिभावकों को बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। उन्होंने बताया कि महाविद्यालय का परीक्षा परिणाम पिछले परिणामों की तरह उत्कृष्ट रहा है।


बादल बिना बरसे  जाते हैं गुजर 

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 कनीना। प्रतिदिन आकाश में काले काले बादल आते हैं और किसानों का मन मोह कर चले जाते हैं लेकिन बरसते नहीं। विगत कई दिनों से बारिश नहीं होने से क्षेत्र में किसान परेशान हो चले हैं। वहीं इस बार भारी गर्मी पड़ रही है जिसके चलते जीना मुहाल हो गया है एक और जहां बिजली कम होने से लोग थोड़ा अमन चैन से जी रहे हैं वरना जीना दूभर हो गया होता। कोरोना का डर ऊपर से गर्मी तथा अब बारिश न होना तथा  विगत दिनों टिड्डी दल का प्रकोप सभी परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। किसान कृष्ण कुमार, राजेंद्र सिंह, धर्मेंद्र कुमार आदि ने बताया कि बारिश ने होना बड़ी परेशानी हो रही है। प्रतिदिन भी आकाश को निहारते रहते हैं। प्रतिदिन लगता है कि बारिश होगी लेकिन वो बादल बिना बरसे आकाश से गुजर जाते हैं। ऐसा कई दिनों से वह देख रहे हैं। लगातार बारिश का मौसम बनता है और बिना बरसे गुजर जाने से उनकी माथे पर चिंता की रेखा स्पष्ट दिखाई देने लगी है।



कोरोना का डर घरों में भी सताने लगा 

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 कनीना। अब तो कोरोना का डर विद्यार्थियों को भी घरों के अंदर भी सताने लगा है। विद्यार्थी अपने मुंह पर मुखोटा और सिर पर टोपा लगा लगाकर मोबाइल से शिक्षा पा रहे हैं।
एक और जहां कोराना प्रकोप बढ़ रहा है वहीं विद्यार्थी भी अब भय के साएं में जी रहे हैं। घर में भी वह अपने आप को सुरक्षित नहीं समझ रहे हैं। और घर के अंदर भी टॉप आदि लगाकर ही शिक्षा पाते हैं।
विद्यार्थियों से इस संबंध में बात भी की गई तो उन्होंने बताया कि मोबाइल से शिक्षा पा रहे हैं, उस पर कोरोना का भय सता रहा है इसलिये वे अब घर में भी कोरोना से बचने के उपाय करके रहते हैं। साथ में ऐसा लगता है जैसे भूत बैठे हो। कई कई बार तो उनको देखकर अचानक इंसान भी डर जाता है कि यह क्या बला आ गई है? आये दिन कोरोना के भय से विद्यार्थियों का भय बढ़ता ही जा रहा है। विद्यार्थियों से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमें कोरोना का डर लग रहा है इसलिए डर के मारे घर के अंदर ही छिपे रहते हैं और जब भी कभी पढ़ते हैं तो कोरोना से बचने का पुख्ता इंतजाम करके ही पढ़ते हैं। यह पहला अवसर नहीं है अपितु लंबे समय से देखने को मिल रहा है कि जहां परिवार के सदस्य भी अब एक दूसरे से ही डरने लगे हैं। यह तो आने वाला समय ही बतायेगा कि कोरोना का भय उन्हें कितना सता रहा है।
फोटो कैप्शन 1: कोरोना के डर से मुंह पर मास्क, टोपा लगाये मोबाइल पर पढ़ता विद्यार्थी।

वायु प्रदूषण रोकने के लिए एसडीएम को दिया ज्ञापन

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कनीना। तारकोल मिक्स करने वाली फैक्टरी से बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण लोगों का जीना हराम हो गया है। इसी समस्या को लेकर गुरुवार को खण्ड के गांव कोटिया के दर्जनों लोगों ने कनीना उपमंडल कार्यालय पहुंच कर एक ज्ञापन सौंप कर बताया कि गांव के बस स्टैंड पर काफी दिनों से चल रही तारकोल मिक्स करने की मशीन के कारण होने वाले वायु प्रदूषण से लोगों का जीना हराम हो रहा है। लोगों ने अपने ज्ञापन में कहा कि इस कंपनी को चलाने वाला कोई और नही बल्कि गांव का ही हरी सिंह नाम का ठेकेदार है जो पिछले काफी समस्य से तारकोल मिक्स करने केी मशीन को चला रहा है जिसके कारण इसके पास स्थित प्राइवेट स्कूल व लोगों की बस्ती में रहने वाले लोगों का जीना हराम हो गया है। ग्रामीणों ने उपमण्ड़ल अधिकारी को बताया कि मशीन का  धुआं निकलने वाली चिमनी छोटी होने के कारण धुआं ऊपर नही जाता औरनीचे ही फैल जाता है जिसके कारण इस गांव में रहने वाले लोगों को सांस लेने में काफी तकलीफ हो रही है। उनहोंने प्रशासन से मांग की है कि इस लिए इस कंपनी को गांव से दूर स्थापित कराया जाए और इस इसकी धुआं निकलने वाली चिमनी को ऊंचा किया जाए।
फोटो कैप्शन 6: एसडीएम को ज्ञापन देते कोटिया गांव के लोग।


किसानों को बेहतर बारिश का भी इंतजार

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 कनीना। जून माह तथा जुलाई के प्रथम सप्ताह तक अल्प बारिश हो चुकी है किंतु किसान अभी भी बेहतर बारिश का इंतजार कर रहे हैं। किसानों ने अपने खेतों में बाजरे की बिजाई कर दी है तथा करीब 30 प्रतिशत किसान बीजाई से अभी भी वंचित है और बारिश होने का इंतजार कर रहा है।
 किसानों का कहना है कि अगर बेहतर बारिश हो जाए तो भूमिगत जलस्तर में बढ़ोतरी हो जाएगी वहीं उनकी फसल को लाभ होगा। जून माह में बारिश के बाद बीजाई की थी किंतु बाद में महज हल्की बूंदाबांदी होकर रह जती है। वे चाहते हैं कि बेहतर से बेहतर बारिश हो बेशक उनकी फसल हो या न हो किंतु भूमिगत जल स्तर में वृद्धि जरूर हो। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1995 में कुछ अधिक बारिश हुई थी जब महेंद्रगढ़ जिले को छोड़कर बाकी पूरे प्रदेश में बाढ़ जैसी स्थिति बन गई थी। किसान चाहते हैं कि ज्यादा बारिश हो ताकि सभी को लाभ ही लाभ होगा।
किसानों का कहना है कि इस समय भूमिगत जल स्तर इतना नीचे गिर रहा कि पीने के पानी के भी लाले पड़ जाते हैं। यही कारण है कि अच्छी बारिश का किसान और आम आदमी इंतजार कर रहे हैं। अब देखा जाना है कि उनका इंतजार कब समाप्त होगा?
 
  कनीना क्षेत्र में जहां करीब 19 हजार हेक्टेयर भूमि पर बाजरे की बीजाई की जानी है। 

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  किसानों अजीत कुमार, सूबे सिंह, राजेंद्र कुमार ने बताया कि रोजाना बादल आकर चले जाते हैं किंतु बारिश होने का नाम नहीं ले रही है। किसानों के नयन थक चुके हैं। इंद्रदेव की ओर टकटकी लगाकर देखने के बाद अब सिंचाई के अलावा कोई चारा नजर नहीं आ रहा है। यही कारण है कि जिन किसानों के नलकूप हैं वे बाजरे में सिंचाई कर रहे हैं।
कनीना क्षेत्र में खड़ी खरीफ की फसल वर्षा अभव में सूखने के कगार पर पहुंच गई है। किसान बेसब्री से बारिश होने का इंतजार कर रहे हैं।
  कनीना क्षेत्र की बावनी नामक भूमि का स्वामी अब बारिश का इंतजार कर रहा है। लंबे समय े बारिश न होने से फसल सूखने के कगार पर पहुंच गई है। किसानों का कहना है कि एक सप्ताह में बारिश नहीं हुई तो फसल नष्ट हो जाएगी।
  कनीना क्षेत्र के किसानों ने इस वक्त कपास, बाजरा, ग्वार, मूंग तथा अन्य फसलें उगा रखी हैं। अधिक मात्रा में बाजरा एवं ग्वार उगा रखा है। अब फसल बड़ी होने लगी है ऐसे समय में फसल को जल की सख्त जरूरत होती है। बाजरा एवं ग्वार की फसल पशुओं के चारे के लिए अधिक उगाई जाती है तथा अन्न के रूप में बाजरा कम उगाया जाता है। किसान राजेंद्र सिंह, अजीत कुमार, कृष्ण सिंह ने बताया कि नहरों में पानी नहीं है, बिजली कम आती है तथा बारिश हो नहीं रही जिसके चलते फसल को नुकसान हो की आशंका बन गई है। इस वक्त फसल को पानी की जरूरत है किंतु भीषण गर्मी पड़ रही है।

सावन बीत रहा है सूखा
-इंद्रदेव पर टिकी है नजरें

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कनीना। कनीना क्षेत्र में सावन सूखा गुजर रहा है। लंबे अरसे से अच्छी बारिश नहीं हुई है। महज बूंदाबांदी से ही काम चला है। किसान बेहद परेशान है। खेतों में जहां गर्मी और सूर्य की तपन से बाजरे की फसल अलसाई नजर आने लगी है, नष्ट होने के कगार पर पहुंच गई है। किसान बार-बार इंद्रदेव से प्रार्थना कर रहे हैं कि जल्दी से बारिश हो ताकि उनकी फसल बच सके।
उल्लेखनीय है कि बाजरे का सरकारी मूल्य गेहूं से अधिक बेहतर है। जहां बाजरे का सरकारी मूल्य 2150 रुपये पति क्क्विंटल है जबकि गेहूं का सरकारी मूल्य 1925 है। ऐसे में किसानों की नजरें बाजरा पैदा करने पर टिकी हुई है।
 उल्लेखनीय है कि कनीना क्षेत्र में विगत वर्षों बाजरे की सरकारी खरीद हुई थी जिसके चलते किसानों में उत्साह जागृत हुआ। जिसके चलते अभी भी 19000 हक्टेयर पर बाजरा पैदा किया जाना है। अभी तो बहुत से किसान बाजरा बोने की फिराक में है वहीं कुछ बहुत से लोगों का बाजरा निराई गुड़ाई हो चुका है। ऐसे में बारिश का बेसब्री से इंतजार है।
 किसान महेश बोहरा ने बताया कि फसल के लिए पानी की बहुत ज्यादा जरूरत नहीं होती। यदि थोड़ी सी बारिश हो जाए तो उससे भी बाजरा संभव हो सकता है किंतु जून माह में बारिश हुई थी तत्पश्चात कोई बारिश नहीं हो रही है। यहां तक कि सावन सूखा बीत रहा है। यदि यही हालात चले तो आने वाले समय में किसानों के हालात और भी बदतर हो जाएगी। ऐसे में किसान बेसब्री से बारिश होने का इंतजार कर रहे हैं।
उधर सूबे सिंह सिंह किसान का कहना है कि अब नलकूपों से सिंचाई की जा रही है। उनका कहना है कि यदि बारिश नहीं हुई और सावन सूखा बिता रहा तो आने वाले समय में बड़ी परेशानी बन सकता है। उनका कहना है कि किसानों के लिए कभी टिड्डी दल, कभी ओलावृष्टि तो कभी बारिश का न होना समस्या बनते जा रहे हैं। वह बार-बार इंद्रदेव से प्रार्थना कर रहे हैं कि किसी प्रकार उनकी फसल को बचा दे।
फोटो कैप्शन 2: कनीना क्षेत्र में सूखता हुआ बाजरा तथा किसान महेश बोहरा एवं सूबे सिंह

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