मजदूरों के अभाव में स्वयं ही कर रहे है लावणी
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कनीना। कनीना क्षेत्र में दूसरे प्रदेशों से आने वाले मजदूरों की कमी के चलते किसान स्वयं ही सरसों की लावणी करने लगे हैं। अभी यूपी,बिहार,राजसथान एवं मध्यप्रदेश से हजारों मजदूर लावणी करने के लिए आने वाले हैं।
कनीना क्षेत्र में सरसों की लावणी का काम ाुरू हो गया है। किसान जल्दी से जल्दी पैदावार लेना चाहते हैं। मौसम के बदलने से किसान चिंतित हैं। विगत दिनों 89 एमएम बारिश एवं ओलावृष्टि हुई थी।
किसान अजीत सिंह, सूबे सिंह, राजेंद्र सिंह आदि ने बताया कि गेहूं एवं सरसों की कटाई के वक्त भारी संख्या में दूसरे प्रांतों से मजदूर आते हैं। अभी एक सप्ताह में मजदूर पहुंच जाएंगे जिनका किसान इंतजार कर रहे हैं और फसल लावणी किए जाने का इंतजार कर रही है।
किसानों ने बताया कि वे अपनी फसल की लावणी स्वयं ही कर रहे हैं और जैसे तैसे अपनी पैदावार घरों या मंडियों तक ले जाना चाहते हैं। क्योंकि किसानों के घर के काम, बच्चों की शिक्षा एवं अन्य सभी कार्य इसी फसल पैदावार पर निर्भर करते हैं वहीं चारे के रूप में भी सरसों, तूड़ी, गेहूं एवं जौ से प्राप्त होती है।
बेशक सरसों की लावणी शुरू हो गई किंतु दिन के समय तापमान अधिक होने से गेहूं की फसल को पानी दिया जा रहा है। गेहूं की लावणी में एक पखवाड़ा और लगने की संभावना है। सरसों के अतिरिक्त मटर की लावणी भी चल रही है। कनीना के गांव भडफ़, करीरा, कनीना, रामबास आदि गांवों में मटर अधिक उगाया जाता है।
फोटो कैप्शन 5: सरसों की लावणी करता किसान परिवार।
गड्ढों को भरने में लगी हुई है नगरपालिका
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कनीना। कनीना कस्बा से कूड़ा कचरा प्रतिदिन उठाकर नगरपालिका के वाहन विभिन्न स्थानों पर विशेषकर जंगलों(बेणियों) की गड्ढों को भरने में लगे हुए। कनीना की वैसे तो आधा दर्जन जंगल (बेणियों) होती थी किंतु अब महज दो बेणियां जर्जर हालात में है। अधिकांश पर चारों तरफ से कब्जा हो गया है जिसके चलते वहां पर पेड़ पौधों को भी नष्ट कर दिया है।
जंगलों(बेणियों) में जहां लोगों ने अवैध रूप से मिट्टी काटकर बेच डाली है वही इन गड्ढों को भरने में नगरपालिका के वाहन जुटे हुए हैं( कनीना नगरपालिका के तहत दो वाहन खुली बाड़ी के, दो ट्रैक्टर ट्राली तथा 2 ऊंट गाडिय़ां लगी हुई है। सभी 13 वार्डों में कूड़ा कचरा प्रतिदिन नियत समय पर गाडिय़ां पहुंचती है और उनसेकचरा इक_ा कर पीपलवाली तथा मानका नामक जंगलों(बेणियों) केअतिरिक्त अन्य स्थानों के गड्ढों को भरने का प्रयास किया जा रहा है जिसके चलते मिट्टी की अवैध कटाई रुकी है। कूड़े कचरे का भविष्य में कोई निपटान मिल जाएगा तो निपटारा किया जा सकेगा। तत्पश्चात उम्मीद है कि जंगलों(बेणियों) को अतिक्रमण से मुक्त करवाया जाएगा।
कनीना पालिका प्रधान सतीश जेलदार ने बताया कि वर्तमान में सात वाहन समस्त कस्बे के कूड़े कचरे को उठाकर गड्ढों को भरने के कार्य में जुटे हुए हैं भविष्य में कोई निपटारा इस डाले गए कूड़े कचरे का मिल जाएगा तो किया जाएगा। इससे मिट्टी का अवैध खनन भी बंद हो गया है।
उन्होंने बताया कि अतिक्रमण एक गंभीर समस्या बन गई है। जिससे निपटारा पाने के लिए जंगलों(बेणियों) की पैमाइश करवाई जाएगी। अभी तक अतिक्रमण की जानकारी उच्चाधिकारियों तक भी पहुंचा दी गई है।
कैसे ले जाते हैं कचरा-
कनीना नगरपालिका के दो खुली बाड़ी के गाडिय़ां कनीना का गुणगान करते हुए गलियों से गुजरती है ताकि लोगों को पता लग जाता है कि कूड़ा इक_ा करने वाली गाड़ी आ रही है और लोग अपने घरों में हथेली तथा कूड़ेदान में इक_ा किया हुआ कूड़ा इन गाडिय़ों में तुरंत डाल देते हैं। इक_ा किया गया कूड़ा ले जाकर जंगलों(बेणियों) में डाल दिया जाता है। इस प्रकार जहां कनीना को साफ सुथरा रखा जा रहा है वहीं बेणियों में भी मिट्टी कटाव को रोकने का प्रयास किया जा रहा है।
फोटो कैप्शन 6: कनीना की जंगलों(बेणियों) में डाला गया कूड़ा कचरा।
स्टाफ व गाड़ी की कमी झलकती है कनीना थाने में
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कनीना।जहा एक तरफ सरकार पुलिस के तंत्र को मजबूत बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही वही दूसरी और पुलिस प्रशासन में स्टाफ की कमी के कारण आम लोगों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कनीना थाने में भी स्टाफ तथा गाडिय़ों की कमी झलक रही है। जनसंख्या एवं गांवों के अनुसार कम से कम दस आईओ होने चाहिए जबकि महज तीन कार्यरत हैं।
मिली जानकारी के अनुसार स्थानीय पुलिस स्टेशन पर स्टाफ की कमी के चलते पीडि़त लोगों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता लेकिन इस समस्या का समाधान करने वाला कोई है। वर्तमान में कनीना पुलिस स्टेशन में एक सब इंस्पेक्टर, तीन एसआई, तीन मुख्य सिपाई, चार ईएचसी, तथा दस सिपाई का स्टाफ है जिसमें चार लोग कम्प्युटर व लेखाकार का कार्य करने वाले है। इस स्टेशन पर आईओ न के बराबर है तथा मुकदमे कही ज्यादा हैं जिसके कारण लोगों का कार्य समय पर पूरा नही होता है। इस थाने में आज नही बल्कि स्टाफ पिछले कई वर्ष से वही है जबकि इस स्टेशन के नीचे आने आने वाले गांवों की आबादी कई गुणा बढ़ गई है जिसके कारण पुलिस को भारी समस्या उठानी पड़ रही है।
थाना कनीना के अन्तर्गत आने वाले 53 गांवों की आबादी लगभग तीन लाख लोगों की है जिनमें आए दिन कोई ना कोई घटना घटती रहती है लेकिन कनीना पुलिस स्टेशन में स्टाफ की भारी कमी के चलते है लोगों को पुलिस से संबधित कार्य कराने के लिए कई-कई चक्कर लगाने पड़ते है। इस थाने में केवल पुरानी दो गाडिय़ां है लेकिन स्टैशन के अन्तर्गत क्षेत्र बड़ा होने के कारण पुलिस को भारी समस्या उठानी पड़ती है तथा लोगों को सुविधाएं कम मिलती है। अगर इस स्टेशन के अन्तर्गत कोई बड़ी अप्रिय घटना घट जाए तो पुलिस के पास स्टाफ व गाड़ी की समस्या के कारण उनका समस्या को निपटाने में भारी दिक्कत आती है लेकिन आज तक इस समस्या का समाधान करने वाला कोई नही है।
क्षेत्र के लोगों ने जिला पुलिस कप्तान से मांग कर कनीना पुलिस स्टेशन में नफरी बढ़ाने और नई दो गाडिय़ां देने की गुहार लगाई है ताकि इस क्षेत्र के लोगों की समस्या समय रहते हुए हल हो सके।
ट्रेनों के अस्थायी ठहराव को स्थायी में बदला जाए
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कनीना। कनीना रेलवे स्टेशन पर गाड़ी संख्या 22471, 22472, 12457 व 12458 का स्थायी रूप से ठहराव करवाए जाने को लेकर कस्बा एवं कनीना उप मंडल के गांवों के लोग लामबंद होने लगे हैं। कस्बे के विभिन्न सामाजिक संगठनों के द्वारा मंडल प्रबंधक के नाम कई दिनों से ज्ञापन सौंपने की कार्रवाई जारी है।।
कनीना रेलवे स्टेशन के आस-पास करीब 58 गांव पड़ते है व 33 गांव रेवाड़ी जिले के है जो कनीना की सीमा के आस-पास ही लगते है। ग्रामीणों ने बताया कि कनीना स्टेशन से प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में लोगों का आवागमन करते है। लेकिन कनीना रेलवे स्टेशन पर एक्सप्रेस व सुपरफास्ट ट्रेनों का ठहराव न होने के चलते लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
विगत दिनों कनीना खास रेलवे स्टेशन पर कुछ ट्रेनों के अस्थाई ठहराव की घोषणा हुई है जिसे स्थायी ठहराव में बदलने के प्रयास जारी हैं। कनीना रेलवे स्टेशन पर एक्सप्रैस ट्रेनों के ठहराव की मांग वर्ष 2008 के बाद से लगातार चली आ रही है।
वर्ष 2008 से पूर्व सभी ट्रेनों का होता था ठहराव
कनीना खंड के अन्दर अनेकों ऐसे गांव है जिनमें से 50 प्रतिशत परिवारों के लोग आर्मी व अर्ध-सैनिक बलों में तैनात है। कनीना रेवले स्टेशन पर एक्सप्रैस ट्रेनों का ठहराव न होने की वजह से इन सैनिकों को अपनी ड्यूटी पर जाने के लिए रेवाड़ी व महेंद्रगढ़ से ट्रेनों को पकडऩा पड़ता है जिसके चलते इन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कनीना खास रेलवे स्टेशन से होकर रेवाड़ी-महेंद्रगढ़ के बीच करीब 32 ट्रेन रोज गुजरती हैं जिनमें एक दिल्ली- सीकर एक्सप्रेस ट्रेन व 18 पैसेंजर ट्रेनों का ठहराव है। कनीना खास रेलवे स्टेशन पर सुपरफास्ट ट्रेने रूकवाने के लिए वर्ष 2008 से लगातार मांग चली आ रही है लेकिन इसका परिणाम शून्य ही रहा है। कनीना से करीब 35 किलोमीटर दूर रेवाड़ी रेलवे स्टेशन तो कनीना से 20 किलोमीटर दूर महेंद्रगढ़ रेलवे स्टेशन पड़ता है। एक्सप्रेस ट्रेन पकडऩे के लिए लोगों को यहां से महेंद्रगढ़ या रेवाड़ी स्टेशनों में से किसी एक पर जाने को मजबूर होना पड़ता है।
20 हजार के करीब आबादी वाली कनीना मंडी प्रसिद्ध व्यापारिक प्रतिष्ठान, बैंक एवं मार्केट कमेटी, कनीना का सामान्य बस स्टैंड, नगरपालिका कनीना, बस स्टैंड पर 500 करीब पालिका की दुकानें, पंचायत समिति की दुकाने तथा निजी दुकाने है। जिनके व्यापारियों को अपने काम से दिल्ली जाने के लिए रेवाड़ी से गाडिय़ों को पकडऩा पड़ता है जिससे उनका समय तो खराब होता ही है साथ ही आर्थिक हानि भी उठानी पड़ती है।
बतादे कि वर्ष 2007 में कनीना खास की मीटर गेज को ब्रॉडगेज में परिवर्तित करने की योजना बनी और करीब एक वर्ष बाद ही ब्रॉडगेज बनकर तैयार हो गई। 17 सितंबर 2008 को इस रूट पर ट्रेन सेवा शुरू हो गई थी। वर्ष 2008 में नई ट्रेन चलने का सिलसिला जारी रहा किंतु केवल एक सुपरफास्ट एवं सभी पैसेंजर ट्रेनों का ठहराव करने लगी और लोगों को अपनी मीटर गेज सेवा याद आने लगी। कनीना के सुमेर सिंह चेयरमैन, महेंद्र ार्मा, मा दलीप सिंह, रविंद्र बंसल, ओमप्रकाश लिसानिया, कृष्ण सिंह पूर्व मुख्याध्यापक का कहना है कि अगर सभी ट्रेनों का ठहराव शुरू कर दिया जाए तो वे सरकार को भारी राजस्व उपलब्ध कराएंगे वहीं भारी संख्या में यात्री यहां से ट्रेन पकड़ेंगे। उन्होंने उपमंडल एवं लोगों की मांग के दृष्टिगत कनीना खास रेलवे स्टेशन से गुजरने वाली सभी ट्रेनों का कम से कम तीन माह का अस्थयी ठहराव किया जाए ताकि राजस्व लाभ मिले तो आगे स्थायी ठहराव किया जाए।
फोटो कैप्शन 4: कनीना खास रेलवे स्टेशन।
रविवार को मनाया जा रहा है बासौड़ा पर्व
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कनीना। कनीना क्षेत्र में रविवार 15 मार्च को बासौड़ा का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह पर्व पुराने समय से मनाया जाता आ रहा है। इस पर्व के प्रति लोगों में गहन आस्था है। सोमवार को शीतला मां की पूजा करने के बाद समस्त परिवार बासी भोजन सोमवार को करेगा।
इस पर्व के तहत लोग रात को भोजन बनाकर रख देते हैं और सुबह होने पर माता स्थल पर ले जाकर उसकी पूजा करते हैं और फिर इसे ग्रहण किया जाता है। उधर कनीना के समीपी गांव बव्वा में तीन सप्ताह तक आगामी बुधवारों को यह पर्व मनाया जाएगा।
बासौढ़ा का त्यौहार क्षेत्र में धूमधाम से मनाया जाता है। उतर भारत का प्रसिद्ध त्यौहार बासौढ़ा बासौड़ा, शीतला, पूजन तथा शीतला अष्टमी आदि नामों से जाना जाता है। चैत्र माह के रंगों के त्योहार होली के बाद रविवार या बुधवार को भोजन बनाकर रखा जाता है। पूरा परिवार ही बासी भोजन खाता है।
बासौढ़ा त्योहार मनाने के पीछे पुत्र कामना तथा शीतला रोगों से बचना माना जाता है। पुराने वक्त में चेचक या शीतला रोग अधिक होता था जिसमें लाखों व्यक्तियों की प्रतिवर्ष मृत्यु हो जाती थी। स्त्रियां शीतला माता की पूजा करके परिवार को रोगों से बचाने की प्रार्थना करती थी। तभी से यह त्योहार चला आ रहा है। त्योहार से एक दिन पूर्व विभिन्न पकवान बनाकर रख दिये जाते हैं। जिसमें चावल प्रमुख होता है। अगली रोज सुबह सवेरे उठ स्नान व शीतला माता की पूजा कर, जीवों को भोजन खिलाकर पूरा परिवार ही बासी भोजन करता है।
पुराने वक्त में बासी भोजन खाने के पीछे एक दंतकथा भी प्रचलित है जिसके अनुसार एक बुढिय़ा गांव से बाहर झोपड़ी में रहती थी। वह बासी भोजन करती थी जो ग्रामवासी देते थे। एक बार भयंकर शीतला रोग फैला। ग्रामीण रोग पीडि़त हो गए परन्तु बुढिय़ा खुश व रोग रहित थी। ग्रामीणों ने बुढिय़ा से रोग रहित होने का कारण पूछा। बुढिय़ा ने बताया की वह बासी भोजन करती है, तभी से ग्रामीणों ने उनके पदचिह्नों पर चलना शुरू कर दिया। परम्परा वर्तमान में भी चली आ रही है।
बासौढ़ा के दिन चावल पकाकर आपसी आदान प्रदान करने की परम्परा भी चली आ रही है। इस परम्परा को कंडवारी नाम से जाना जाता है। पुत्रवती माता चावल पकाकर घर-घर बंटवाती है। प्रत्येक घर परिवार में यह प्रथा चली आ रही है बासी भोजन के पीछे वैज्ञानिक आधार भी माना जाता है।
सीबीएसई के परीक्षा शांतिपूर्वक जारी
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कनीना। कनीना क्षेत्र में सीबीएसई की परीक्षाएं शांतिपूर्वक चल रही है और आसपास दो परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। एसडी स्कूल ककराला तथा जीआर स्कूल कनीना में 10वीं और 12वीं के परीक्षा केंद्र बनाए हुए हैं। बारहवीं का शनिवार को जीव विज्ञान का पेपर ांपन्न हुआ।
जानकारी देते हुए जगदेव यादव चेयरमैन ने बताया कि अभी दसवीं कक्षा का सामाजिक विज्ञान का पेपर 18 मार्च को होना है वही बारहवीं कक्षा का 14 मार्च को जीव विज्ञान हुआ। 16 मार्च को संगीत, 17 मार्च को गणित, 20 मार्च को हिंदी और तथा 24 मार्च को बिजनेस स्टडी का पेपर होगा। उन्होंने बताया कि सभी परीक्षा केंद्रों पर परीक्षाएं शांतिपूर्वक चल रही है। आब्जर्वर आते हैं और परीक्षा केंद्रों में जांच करते रहते हैं किंतु कहीं भी कोई अनुचित साधनों का प्रयोग करते नहीं पाया गया है। विद्यार्थी खुश है।
फोटो कैप्शन 1: परीक्षा देने जाते हुए सीबीएसई के विद्यार्थी।
नकल रोकने में करें मदद
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कनीना। कनीना थाने के अंतर्गत कनीना खंड के विभिन्न गांवों के पंचों सरपंचों, नगरपालिका के पार्षदों को नकल रोकने में मदद करने के लिए इंस्पेक्टर विकास कुमार ने अपील की।
थाना परिसर में आयोजित एक बैठक में उन्होंने कहा कि नकल बुरी चीज है। नकल से अकल खत्म हो जाती है। अगर नकल की प्रवृत्ति बढ़ेगी तो परीक्षा केंद्र दूरस्थ स्थान पर स्थानांतरित किए जा सकते हैं जिसके चलते उनके बच्चों को भारी परेशानी उठानी पड़ सकती है। ऐसे में उन्होंने कहा कि नकल के लिए जहां पंचायत सहयोग करें वही किसी प्रकार की आवश्यकता हो तो पुलिस की सहायता भी ले सकते हैं।
उन्होंने कहा कि नकल रुक जाएगी तो प्रदेश के युवा आगे बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि भविष्य स्पर्धात्मक और कठोर दौर से गुजरेगा। ऐसे में नकल करने वाले कभी भविष्य में किसी प्रतियोगी परीक्षा में सफल नहीं हो सकेंगे बल्कि नकल से उनका भविष्य खराब ही होता है। ऐसे में उन्होंने उनसे नकल रोकने के लिए आगे आने और बुराई को रोकने की अपील की। इस मौके पर उपप्रधान अशोक ठेकेदार, पार्षद मोहन सिंह तथा विभिन्न गांवों के सरपंच मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 2:मौजीजान को संबोधित करते हुए इंस्पेक्टर विकास कुमार।
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कनीना। कनीना क्षेत्र में दूसरे प्रदेशों से आने वाले मजदूरों की कमी के चलते किसान स्वयं ही सरसों की लावणी करने लगे हैं। अभी यूपी,बिहार,राजसथान एवं मध्यप्रदेश से हजारों मजदूर लावणी करने के लिए आने वाले हैं।
कनीना क्षेत्र में सरसों की लावणी का काम ाुरू हो गया है। किसान जल्दी से जल्दी पैदावार लेना चाहते हैं। मौसम के बदलने से किसान चिंतित हैं। विगत दिनों 89 एमएम बारिश एवं ओलावृष्टि हुई थी।
किसान अजीत सिंह, सूबे सिंह, राजेंद्र सिंह आदि ने बताया कि गेहूं एवं सरसों की कटाई के वक्त भारी संख्या में दूसरे प्रांतों से मजदूर आते हैं। अभी एक सप्ताह में मजदूर पहुंच जाएंगे जिनका किसान इंतजार कर रहे हैं और फसल लावणी किए जाने का इंतजार कर रही है।
किसानों ने बताया कि वे अपनी फसल की लावणी स्वयं ही कर रहे हैं और जैसे तैसे अपनी पैदावार घरों या मंडियों तक ले जाना चाहते हैं। क्योंकि किसानों के घर के काम, बच्चों की शिक्षा एवं अन्य सभी कार्य इसी फसल पैदावार पर निर्भर करते हैं वहीं चारे के रूप में भी सरसों, तूड़ी, गेहूं एवं जौ से प्राप्त होती है।
बेशक सरसों की लावणी शुरू हो गई किंतु दिन के समय तापमान अधिक होने से गेहूं की फसल को पानी दिया जा रहा है। गेहूं की लावणी में एक पखवाड़ा और लगने की संभावना है। सरसों के अतिरिक्त मटर की लावणी भी चल रही है। कनीना के गांव भडफ़, करीरा, कनीना, रामबास आदि गांवों में मटर अधिक उगाया जाता है।
फोटो कैप्शन 5: सरसों की लावणी करता किसान परिवार।
गड्ढों को भरने में लगी हुई है नगरपालिका
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कनीना। कनीना कस्बा से कूड़ा कचरा प्रतिदिन उठाकर नगरपालिका के वाहन विभिन्न स्थानों पर विशेषकर जंगलों(बेणियों) की गड्ढों को भरने में लगे हुए। कनीना की वैसे तो आधा दर्जन जंगल (बेणियों) होती थी किंतु अब महज दो बेणियां जर्जर हालात में है। अधिकांश पर चारों तरफ से कब्जा हो गया है जिसके चलते वहां पर पेड़ पौधों को भी नष्ट कर दिया है।
जंगलों(बेणियों) में जहां लोगों ने अवैध रूप से मिट्टी काटकर बेच डाली है वही इन गड्ढों को भरने में नगरपालिका के वाहन जुटे हुए हैं( कनीना नगरपालिका के तहत दो वाहन खुली बाड़ी के, दो ट्रैक्टर ट्राली तथा 2 ऊंट गाडिय़ां लगी हुई है। सभी 13 वार्डों में कूड़ा कचरा प्रतिदिन नियत समय पर गाडिय़ां पहुंचती है और उनसेकचरा इक_ा कर पीपलवाली तथा मानका नामक जंगलों(बेणियों) केअतिरिक्त अन्य स्थानों के गड्ढों को भरने का प्रयास किया जा रहा है जिसके चलते मिट्टी की अवैध कटाई रुकी है। कूड़े कचरे का भविष्य में कोई निपटान मिल जाएगा तो निपटारा किया जा सकेगा। तत्पश्चात उम्मीद है कि जंगलों(बेणियों) को अतिक्रमण से मुक्त करवाया जाएगा।
कनीना पालिका प्रधान सतीश जेलदार ने बताया कि वर्तमान में सात वाहन समस्त कस्बे के कूड़े कचरे को उठाकर गड्ढों को भरने के कार्य में जुटे हुए हैं भविष्य में कोई निपटारा इस डाले गए कूड़े कचरे का मिल जाएगा तो किया जाएगा। इससे मिट्टी का अवैध खनन भी बंद हो गया है।
उन्होंने बताया कि अतिक्रमण एक गंभीर समस्या बन गई है। जिससे निपटारा पाने के लिए जंगलों(बेणियों) की पैमाइश करवाई जाएगी। अभी तक अतिक्रमण की जानकारी उच्चाधिकारियों तक भी पहुंचा दी गई है।
कैसे ले जाते हैं कचरा-
कनीना नगरपालिका के दो खुली बाड़ी के गाडिय़ां कनीना का गुणगान करते हुए गलियों से गुजरती है ताकि लोगों को पता लग जाता है कि कूड़ा इक_ा करने वाली गाड़ी आ रही है और लोग अपने घरों में हथेली तथा कूड़ेदान में इक_ा किया हुआ कूड़ा इन गाडिय़ों में तुरंत डाल देते हैं। इक_ा किया गया कूड़ा ले जाकर जंगलों(बेणियों) में डाल दिया जाता है। इस प्रकार जहां कनीना को साफ सुथरा रखा जा रहा है वहीं बेणियों में भी मिट्टी कटाव को रोकने का प्रयास किया जा रहा है।
फोटो कैप्शन 6: कनीना की जंगलों(बेणियों) में डाला गया कूड़ा कचरा।
स्टाफ व गाड़ी की कमी झलकती है कनीना थाने में
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कनीना।जहा एक तरफ सरकार पुलिस के तंत्र को मजबूत बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही वही दूसरी और पुलिस प्रशासन में स्टाफ की कमी के कारण आम लोगों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कनीना थाने में भी स्टाफ तथा गाडिय़ों की कमी झलक रही है। जनसंख्या एवं गांवों के अनुसार कम से कम दस आईओ होने चाहिए जबकि महज तीन कार्यरत हैं।
मिली जानकारी के अनुसार स्थानीय पुलिस स्टेशन पर स्टाफ की कमी के चलते पीडि़त लोगों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता लेकिन इस समस्या का समाधान करने वाला कोई है। वर्तमान में कनीना पुलिस स्टेशन में एक सब इंस्पेक्टर, तीन एसआई, तीन मुख्य सिपाई, चार ईएचसी, तथा दस सिपाई का स्टाफ है जिसमें चार लोग कम्प्युटर व लेखाकार का कार्य करने वाले है। इस स्टेशन पर आईओ न के बराबर है तथा मुकदमे कही ज्यादा हैं जिसके कारण लोगों का कार्य समय पर पूरा नही होता है। इस थाने में आज नही बल्कि स्टाफ पिछले कई वर्ष से वही है जबकि इस स्टेशन के नीचे आने आने वाले गांवों की आबादी कई गुणा बढ़ गई है जिसके कारण पुलिस को भारी समस्या उठानी पड़ रही है।
थाना कनीना के अन्तर्गत आने वाले 53 गांवों की आबादी लगभग तीन लाख लोगों की है जिनमें आए दिन कोई ना कोई घटना घटती रहती है लेकिन कनीना पुलिस स्टेशन में स्टाफ की भारी कमी के चलते है लोगों को पुलिस से संबधित कार्य कराने के लिए कई-कई चक्कर लगाने पड़ते है। इस थाने में केवल पुरानी दो गाडिय़ां है लेकिन स्टैशन के अन्तर्गत क्षेत्र बड़ा होने के कारण पुलिस को भारी समस्या उठानी पड़ती है तथा लोगों को सुविधाएं कम मिलती है। अगर इस स्टेशन के अन्तर्गत कोई बड़ी अप्रिय घटना घट जाए तो पुलिस के पास स्टाफ व गाड़ी की समस्या के कारण उनका समस्या को निपटाने में भारी दिक्कत आती है लेकिन आज तक इस समस्या का समाधान करने वाला कोई नही है।
क्षेत्र के लोगों ने जिला पुलिस कप्तान से मांग कर कनीना पुलिस स्टेशन में नफरी बढ़ाने और नई दो गाडिय़ां देने की गुहार लगाई है ताकि इस क्षेत्र के लोगों की समस्या समय रहते हुए हल हो सके।
ट्रेनों के अस्थायी ठहराव को स्थायी में बदला जाए
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कनीना। कनीना रेलवे स्टेशन पर गाड़ी संख्या 22471, 22472, 12457 व 12458 का स्थायी रूप से ठहराव करवाए जाने को लेकर कस्बा एवं कनीना उप मंडल के गांवों के लोग लामबंद होने लगे हैं। कस्बे के विभिन्न सामाजिक संगठनों के द्वारा मंडल प्रबंधक के नाम कई दिनों से ज्ञापन सौंपने की कार्रवाई जारी है।।
कनीना रेलवे स्टेशन के आस-पास करीब 58 गांव पड़ते है व 33 गांव रेवाड़ी जिले के है जो कनीना की सीमा के आस-पास ही लगते है। ग्रामीणों ने बताया कि कनीना स्टेशन से प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में लोगों का आवागमन करते है। लेकिन कनीना रेलवे स्टेशन पर एक्सप्रेस व सुपरफास्ट ट्रेनों का ठहराव न होने के चलते लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
विगत दिनों कनीना खास रेलवे स्टेशन पर कुछ ट्रेनों के अस्थाई ठहराव की घोषणा हुई है जिसे स्थायी ठहराव में बदलने के प्रयास जारी हैं। कनीना रेलवे स्टेशन पर एक्सप्रैस ट्रेनों के ठहराव की मांग वर्ष 2008 के बाद से लगातार चली आ रही है।
वर्ष 2008 से पूर्व सभी ट्रेनों का होता था ठहराव
कनीना खंड के अन्दर अनेकों ऐसे गांव है जिनमें से 50 प्रतिशत परिवारों के लोग आर्मी व अर्ध-सैनिक बलों में तैनात है। कनीना रेवले स्टेशन पर एक्सप्रैस ट्रेनों का ठहराव न होने की वजह से इन सैनिकों को अपनी ड्यूटी पर जाने के लिए रेवाड़ी व महेंद्रगढ़ से ट्रेनों को पकडऩा पड़ता है जिसके चलते इन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कनीना खास रेलवे स्टेशन से होकर रेवाड़ी-महेंद्रगढ़ के बीच करीब 32 ट्रेन रोज गुजरती हैं जिनमें एक दिल्ली- सीकर एक्सप्रेस ट्रेन व 18 पैसेंजर ट्रेनों का ठहराव है। कनीना खास रेलवे स्टेशन पर सुपरफास्ट ट्रेने रूकवाने के लिए वर्ष 2008 से लगातार मांग चली आ रही है लेकिन इसका परिणाम शून्य ही रहा है। कनीना से करीब 35 किलोमीटर दूर रेवाड़ी रेलवे स्टेशन तो कनीना से 20 किलोमीटर दूर महेंद्रगढ़ रेलवे स्टेशन पड़ता है। एक्सप्रेस ट्रेन पकडऩे के लिए लोगों को यहां से महेंद्रगढ़ या रेवाड़ी स्टेशनों में से किसी एक पर जाने को मजबूर होना पड़ता है।
20 हजार के करीब आबादी वाली कनीना मंडी प्रसिद्ध व्यापारिक प्रतिष्ठान, बैंक एवं मार्केट कमेटी, कनीना का सामान्य बस स्टैंड, नगरपालिका कनीना, बस स्टैंड पर 500 करीब पालिका की दुकानें, पंचायत समिति की दुकाने तथा निजी दुकाने है। जिनके व्यापारियों को अपने काम से दिल्ली जाने के लिए रेवाड़ी से गाडिय़ों को पकडऩा पड़ता है जिससे उनका समय तो खराब होता ही है साथ ही आर्थिक हानि भी उठानी पड़ती है।
बतादे कि वर्ष 2007 में कनीना खास की मीटर गेज को ब्रॉडगेज में परिवर्तित करने की योजना बनी और करीब एक वर्ष बाद ही ब्रॉडगेज बनकर तैयार हो गई। 17 सितंबर 2008 को इस रूट पर ट्रेन सेवा शुरू हो गई थी। वर्ष 2008 में नई ट्रेन चलने का सिलसिला जारी रहा किंतु केवल एक सुपरफास्ट एवं सभी पैसेंजर ट्रेनों का ठहराव करने लगी और लोगों को अपनी मीटर गेज सेवा याद आने लगी। कनीना के सुमेर सिंह चेयरमैन, महेंद्र ार्मा, मा दलीप सिंह, रविंद्र बंसल, ओमप्रकाश लिसानिया, कृष्ण सिंह पूर्व मुख्याध्यापक का कहना है कि अगर सभी ट्रेनों का ठहराव शुरू कर दिया जाए तो वे सरकार को भारी राजस्व उपलब्ध कराएंगे वहीं भारी संख्या में यात्री यहां से ट्रेन पकड़ेंगे। उन्होंने उपमंडल एवं लोगों की मांग के दृष्टिगत कनीना खास रेलवे स्टेशन से गुजरने वाली सभी ट्रेनों का कम से कम तीन माह का अस्थयी ठहराव किया जाए ताकि राजस्व लाभ मिले तो आगे स्थायी ठहराव किया जाए।
फोटो कैप्शन 4: कनीना खास रेलवे स्टेशन।
रविवार को मनाया जा रहा है बासौड़ा पर्व
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कनीना। कनीना क्षेत्र में रविवार 15 मार्च को बासौड़ा का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह पर्व पुराने समय से मनाया जाता आ रहा है। इस पर्व के प्रति लोगों में गहन आस्था है। सोमवार को शीतला मां की पूजा करने के बाद समस्त परिवार बासी भोजन सोमवार को करेगा।
इस पर्व के तहत लोग रात को भोजन बनाकर रख देते हैं और सुबह होने पर माता स्थल पर ले जाकर उसकी पूजा करते हैं और फिर इसे ग्रहण किया जाता है। उधर कनीना के समीपी गांव बव्वा में तीन सप्ताह तक आगामी बुधवारों को यह पर्व मनाया जाएगा।
बासौढ़ा का त्यौहार क्षेत्र में धूमधाम से मनाया जाता है। उतर भारत का प्रसिद्ध त्यौहार बासौढ़ा बासौड़ा, शीतला, पूजन तथा शीतला अष्टमी आदि नामों से जाना जाता है। चैत्र माह के रंगों के त्योहार होली के बाद रविवार या बुधवार को भोजन बनाकर रखा जाता है। पूरा परिवार ही बासी भोजन खाता है।
बासौढ़ा त्योहार मनाने के पीछे पुत्र कामना तथा शीतला रोगों से बचना माना जाता है। पुराने वक्त में चेचक या शीतला रोग अधिक होता था जिसमें लाखों व्यक्तियों की प्रतिवर्ष मृत्यु हो जाती थी। स्त्रियां शीतला माता की पूजा करके परिवार को रोगों से बचाने की प्रार्थना करती थी। तभी से यह त्योहार चला आ रहा है। त्योहार से एक दिन पूर्व विभिन्न पकवान बनाकर रख दिये जाते हैं। जिसमें चावल प्रमुख होता है। अगली रोज सुबह सवेरे उठ स्नान व शीतला माता की पूजा कर, जीवों को भोजन खिलाकर पूरा परिवार ही बासी भोजन करता है।
पुराने वक्त में बासी भोजन खाने के पीछे एक दंतकथा भी प्रचलित है जिसके अनुसार एक बुढिय़ा गांव से बाहर झोपड़ी में रहती थी। वह बासी भोजन करती थी जो ग्रामवासी देते थे। एक बार भयंकर शीतला रोग फैला। ग्रामीण रोग पीडि़त हो गए परन्तु बुढिय़ा खुश व रोग रहित थी। ग्रामीणों ने बुढिय़ा से रोग रहित होने का कारण पूछा। बुढिय़ा ने बताया की वह बासी भोजन करती है, तभी से ग्रामीणों ने उनके पदचिह्नों पर चलना शुरू कर दिया। परम्परा वर्तमान में भी चली आ रही है।
बासौढ़ा के दिन चावल पकाकर आपसी आदान प्रदान करने की परम्परा भी चली आ रही है। इस परम्परा को कंडवारी नाम से जाना जाता है। पुत्रवती माता चावल पकाकर घर-घर बंटवाती है। प्रत्येक घर परिवार में यह प्रथा चली आ रही है बासी भोजन के पीछे वैज्ञानिक आधार भी माना जाता है।
सीबीएसई के परीक्षा शांतिपूर्वक जारी
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कनीना। कनीना क्षेत्र में सीबीएसई की परीक्षाएं शांतिपूर्वक चल रही है और आसपास दो परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। एसडी स्कूल ककराला तथा जीआर स्कूल कनीना में 10वीं और 12वीं के परीक्षा केंद्र बनाए हुए हैं। बारहवीं का शनिवार को जीव विज्ञान का पेपर ांपन्न हुआ।
जानकारी देते हुए जगदेव यादव चेयरमैन ने बताया कि अभी दसवीं कक्षा का सामाजिक विज्ञान का पेपर 18 मार्च को होना है वही बारहवीं कक्षा का 14 मार्च को जीव विज्ञान हुआ। 16 मार्च को संगीत, 17 मार्च को गणित, 20 मार्च को हिंदी और तथा 24 मार्च को बिजनेस स्टडी का पेपर होगा। उन्होंने बताया कि सभी परीक्षा केंद्रों पर परीक्षाएं शांतिपूर्वक चल रही है। आब्जर्वर आते हैं और परीक्षा केंद्रों में जांच करते रहते हैं किंतु कहीं भी कोई अनुचित साधनों का प्रयोग करते नहीं पाया गया है। विद्यार्थी खुश है।
फोटो कैप्शन 1: परीक्षा देने जाते हुए सीबीएसई के विद्यार्थी।
नकल रोकने में करें मदद
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कनीना। कनीना थाने के अंतर्गत कनीना खंड के विभिन्न गांवों के पंचों सरपंचों, नगरपालिका के पार्षदों को नकल रोकने में मदद करने के लिए इंस्पेक्टर विकास कुमार ने अपील की।
थाना परिसर में आयोजित एक बैठक में उन्होंने कहा कि नकल बुरी चीज है। नकल से अकल खत्म हो जाती है। अगर नकल की प्रवृत्ति बढ़ेगी तो परीक्षा केंद्र दूरस्थ स्थान पर स्थानांतरित किए जा सकते हैं जिसके चलते उनके बच्चों को भारी परेशानी उठानी पड़ सकती है। ऐसे में उन्होंने कहा कि नकल के लिए जहां पंचायत सहयोग करें वही किसी प्रकार की आवश्यकता हो तो पुलिस की सहायता भी ले सकते हैं।
उन्होंने कहा कि नकल रुक जाएगी तो प्रदेश के युवा आगे बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि भविष्य स्पर्धात्मक और कठोर दौर से गुजरेगा। ऐसे में नकल करने वाले कभी भविष्य में किसी प्रतियोगी परीक्षा में सफल नहीं हो सकेंगे बल्कि नकल से उनका भविष्य खराब ही होता है। ऐसे में उन्होंने उनसे नकल रोकने के लिए आगे आने और बुराई को रोकने की अपील की। इस मौके पर उपप्रधान अशोक ठेकेदार, पार्षद मोहन सिंह तथा विभिन्न गांवों के सरपंच मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 2:मौजीजान को संबोधित करते हुए इंस्पेक्टर विकास कुमार।
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