धीरे धीरे प्राचीन पद्धति पर लौटने लगा है जमाना
********************************
*************************************
******************************************
कनीना। जहां कोरोना वायरस को लेकर के पूरे ही देश में कोहराम मचा है वहीं अब जन प्राचीन और पूर्वजों के पदचिह्नों पर लौटने लगा है। कभी बाहर देश में अंग्रेजी दवाइयां नहीं प्रयोग करते थे बल्कि जड़ी बूटियों के सहारे से विभिन्न रोगों का इलाज करते थे जिससे शरीर में प्रतिरोधक क्षमता पैदा होती थी वहीं घरों के आसपास मिलने वाली विभिन्न प्रकार की जड़ी बूटियों को उपयोग में लाते थे।
बुजुर्ग रामधारी, राम सिंह, धन्नी, मिसरी देवी आदि ने बताया कि वे कभी चाय ही नहीं बल्कि दूध और पानी में भी तुलसी, पुदीना, हल्दी आदि प्रयोग करते थे। जब कभी कोई बीमार हो जाता था तो काली मिर्च, लौंग, दालचीनी, तुलसी आदि की चाय पिलाते थे। दूध में भी हल्दी और तुलसी के अतिरिक्त मुलेठी द्वारा रोगों को दूर करते थे। जो रोग रोधक क्षमता उत्पन्न करती है।
उन्होंने बताया कि वह युग बहुत बेहतर था जब बासी भोजन खाकर चेचक आदि रोग से बच जाते थे। अब चाहे ज्ञान अधिक नहीं था किंतु जड़ी बूटियां की एकमात्र शरीर को बचाने का साधन होती थी। आज भी पेट की बीमारियों को दूर करने के लिए फांकी काम में लाई जाती है। फांकी में जहां गडूंबा, काला नमक, विभिन्न प्रकार के नमक, लस्सी आदि विभिन्न पदार्थों द्वारा तैयार की जाने वाली फांकी पेट की विभिन्न बीमारियों को दूर करती थी। अब एक बार फिर से उन्हीं ओर यह युग लौट चला है।
उधर कनीना के महेश बोहरा, कुलदीप कुमार, श्यामसुंदर महाशय, सुरेंद्र प्राध्यापक, सुमेर सिंह चेयरमैन, महेंद्र शर्मा, कृष्ण कुमार, राजेंद्र सिंह आदि ने बताया कि वे कभी से अपने पूर्वजों के पद चिन्हों पर चल रहे हैं। हाथ मिलाने की प्रथा पश्चिमी देशों की सभ्यता है। इससे बचके हाथ जोड़कर नमन करते थे। वर्षों से भी दूसरे लोगों को भी इस बाबत जागरूक करते आ रहे हैं किंतु वक्त ने आखिरकार हमारी प्राचीन सभ्यता की ओर जाने को बाध्य कर दिया है। उन्होंने कहा कि हाथ जोड़कर नमन करने से कई लाभ है वही रोगों से भी बचा जा सकता है। इसी प्रकार उन्होंने कहा कि खाने-पीने के प्राचीन तरीकों पर भी इंसान फिर से लौटकर आ रहा है। खड़ा खाना, दौड़ कर खाना आराम से बैठकर खाना नहीं खाना आदि प्रथाएं धीरे-धीरे समाप्त जाएंगे फिर से बैठ कर आराम से बेहतरीन शाकाहारी भोजन खाने की ओर इंसान लोट चला है।
कनीना के सूबे सिंह, राजेंद्र सिंह, अजीत कुमार, महिपाल सिंह आदि ने बताया कि वे अपने पूर्वजों की पद्धति पर चलते आ रहे हैं। हाथ और पैरों को धोकर ही खाना खाते हैं। परिवार को भी यही समझाते आए हैं तथा समाज को भी यही शिक्षा देते आए हैं। चाहे कोरोना के डर से सभी ने हाथ धोना शुरू कर दिया है। बहुत बेहतरीन कार्य है। यदि इसका पालन किया जाए तो भविष्य में भी इसका निश्चित ही लाभ होगा। उन्होंने कहा अक्सर कुछ लोग भोजन भी बिना हाथों को धोए खाते हैं आए हैं जो बीमारियों को आकर्षित करते हैं। उन्होंने कहा कि पूर्वज खाना सदा बेहतर ढंग से हाथ धो कर खाते थे। इसी प्रकार अच्छी प्रकार साबुन से स्नान करके तभी खाना खाते थे। चाहे उस वक्त हाथों को धोने के लिए मिट्टी, राख, नमक आदि प्रयोग करते परंतु उद्देय बीमारी से बचना था।वह प्रथा एक बार फिर से कोरोना के डर से शुरू हो गई है। उन्हें खुशी है कि आखिरकार हाथ धोने की प्रथा फिर से देखने को मिलती है। उन्होंने बताया कि घरों में भी अब तो सभी परिवार हाथ धोकर खाना खाने लगे हैं।
जहां रोगों से बचने फर्श को पोचा लगाते समय फिनाइल, डिटोल आदि डालकर धोते आए हैं जिनके पीछे भी एक मात्र यही उद्देश्य है कि रोगाणुओं को मारन। अब सैनिटाइजर आ गए हैं जो हाथों को साफ करते हैं वहीं कुछ दवाई छिड़कने के लिए काम में लाई जाती है जो पोचे का काम करती आ रही है। करेंगी इस प्रकार उनका कहना है आशा, नीलम,शकुंत आदि का कहना है कि वे कभी से पोचा लगाती आ रही है और उनके पीछे भी उद्देश्य रोगाणुनाशन है। यह प्रथा एक बार फिर से सुदृढ़ हो गई है।
रवि कुमार, सुरेश कुमार, अमन, रमन आदि ने बताया कि जब एक दुकान पर जाते हैं तो मास्क का प्रयोग कर रहे हैं। मास्क भी रोगों से बचाती है वही वे हाथ धोते हैं। दिन में कई-कई बार हाथ धोते हैं तब ही वस्तु को छूते हैं ताकि किसी भी प्रकार का रोग न फैले। महिलाओं ने बताया कि वे कभी से घूंघट करती आई है जो धूल कण, उड़ते हुए तथा कुछ रोगाणुओं को मुंह तक पहुंचने से बचाते हैं। यह घूंघट भी मास्क ही कार्य करता है। आज भी बुजुर्ग महिलाएं घूंघट करती है। उनका कहना है कि घूंघट के पीछे चाहे कारण कुछ भी हो पर एक कारण यह भी था कि हानिकारक पदार्थों से शरीर को बचाया जा सकता है।
अब तो स्कूलों में कार्यालयों में विभिन्न दफ्तरों में अधिकारी और कर्मचारी हाथ नहीं मिलाते बल्कि हाथ जोड़कर नमन करते हैं। कभी से ही यह विधि अपनाई जा रही है। इस रोग के कारण तो सभी इसी विधि का उपयोग करने लग गए हैं। प्रिंसिपल कृण सिंह,मुख्याध्यापक महिपाल सिंह, सूबे सिंह शिक्षक, लक्ष्मी, महिपाल करीरा,सीमा, नीलम ,अनूप सिंह प्राध्यापक, संजय पीटीआई, मनीलाल महिपाल सिंह कनीना आदि ने बताया कि वे कार्यालय में जाते हैं तो अपने बास को हाथ जोड़कर नमन करते हैं। यहीं विधि हमारे पूर्वज भी प्रयोग करते आए हैं। इस प्रकार रोगों से बचा जा सकता है।
यही नहीं खाने में भी या तो अपने घर पर किचन गार्डन में उगाई गई सब्जी का ही उपयोग कर रहे या फिर से घर पर बनाई हुई कढ़ी,खाटा का साग दलिया, खिचड़ी आदि प्रयोग कर रहे हैं। ये शरीर की रक्षा का कार्य करते हैं। सब्जी की दुकानों पर अब वह भीड़ कम देखने को नहीं मिलती है। सब्जी विक्रेता राजू, दिनेश, फूल सिंह ने बताया कि पहले उनकी सब्जी अधिक बिकती थी। कोरोना के कारण सब्जियों की मांग कम हो गई है। वही बाजार में भी मंदी छाई हुई है। मांस एवं अंडे नहीं खा रहे हैं वहीं मांस एवं अंडों की बिक्री घटी है। पूर्वज भी कभी मांस एवं अंडे प्रयोग नहीं करते थे। फोटो कैप्शन 8: दुकान पर हाथ जोड़कर नमन करते हुए
9: कार्यालय में हाथ जोड़कर नमन करते हुए 10 एवं 11 हाथ व पैर धोते हुए
12 खाने से पहले स्नान करते हुए।
एक लाख से अधिक राशि एटीएम मशीन में जली
************************************
**********************************
************************************
कनीना। बुधवार की सुबह कनीना-छितरौली मार्ग पर स्थित केनरा बैंक एटीएम को शटर काटकर उखाडऩे के चोरों ने प्रयास किया था जिसमें एटीएम में आग लग गई थी। हूटर बजने से अज्ञात चोर छोड़कर मशीन को छोड़कर भाग खड़े हुए थे। इस मशीन में 1,20,300 रुपये सिस्टम दर्शा रहा था। गुरुवार को इंजीनियरों की टीम मशीन की जांच करने पहुंचे खोलने पर पूर्णता मशीन जली पाई। मिली जानकारी अनुसार सारी मशीन जलकर राख हो गई जिसमें प्लास्टिक की ट्रे में कैश रखा जाता है जिसके भी आग लग गई जिसे फायर ब्रिगेड ने बुझाया था।
राकेश कुमार दिल्ली से सर्विस इंजीनियर मौके पर पहुंचा। उपस्थित पुलिस प्रशासन व बैंक अधिकारी की स्थिति में जली हुई एटीएम मशीन को खोला गया जो पूर्णता अंदर से जली पाई गई। इसमें रखा कैा भी जल गया। मशीन उखाडऩे से पहले सिस्टम 1,20,300 रुपये की राशि दर्शा रहा है जो पूर्णतया जल चुकी है।
उल्लेखनीय है कि कनीना बस स्टैंड के पास बुधवार को छितरौली मार्ग पर स्थित केनरा बैंक का एटीएम रात को अज्ञात चोरों ने उखाडऩे का प्रयास किया। शटर काटकर अज्ञात चोर अंदर घुसे किंतु एटीएम मशीन को काटते वक्त शॉर्ट सर्किट हो गया और आग लग गई। तत्पश्चात हूटर बजने लगा जिससे अज्ञात चोर मशीन को छोड़कर भाग खड़े हुए। तत्काल मौके पर पुलिस पहुंची और फायर ब्रिगेड को बुलाया। फायर बिग्रेड ने आकर के एटीएम की आग बुझाई।
जानकारी मशीन में मंगलवार को मशीन में तीन लाख रुपये राशि डाली तथा बुधवार को कंप्यूटर एक लाख 20 हजार 300 रुपये दर्शा रहा था बाकी रााि उपभोक्ताओं ने एटीएम से निकाल ली थी। एटीएम मशीन खोलने के लिए बुधवार को भी इंजीनियर पहुंचे थे किंतु जली हुई मशीन को खोल नहीं पाए किंतु गुरुवार को दिल्ली से आए इंजीनियर मशीन को आकर मशीन खोली जिसमें शेष बची सारी राशि जली पाई गई।
बैंक मैनेजर धर्मपाल ने कनीना पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई थी। जिसमें कहा गया है कि मंगलवार की रात और बुधवार की सुबह सात बजे के मध्य किसी अनजान व्यक्ति द्वारा बैंक परिसर में घुसकर एटीएम तोडऩे का प्रयास किया है।
अज्ञात चोर बिल्डिंग के गेट के पश्चिम दिशा में लगे एटीएम के कमरे का एक ताला तोड़ दिया किंतु दूसरा ताला नहीं टूटने पर एटीएम के कमरे का शटर गैस वेल्डिंग से काट दिया गया है। अंदर एटीएम को गैस वेल्डिंग से काटा गया है जिसके चलते एटीएम मशीन क्षतिग्रस्त हो गई है और उसमें आग लगने की वजह से सेंसर से हूटर बज उठे। जिसकी आवाज सुनकर मकान मालिक अशोक कुमार आदि मौके पर आए और एटीएम को काटने वाले लोग भाग खड़े हुए थे।
मिली जानकारी अनुसार अशोक कुमार द्वारा इसकी सूचना बैंक के अधिकारी तथा कर्मचारियों को दी और कर्मचारियों ने मैनेजर को सूचित किया। तत्पश्चात एटीएम मशीन से एक लाख बीस हजार 300 रुपये बैलेंस सिस्टम द्वारा बताया जा रहा था। पुलिस आगामी कार्रवाई कर रही है।
फोटो कैप्शन 13: जली हुई एटीएम मशीन।
अब अब सरकारी व गैर सरकारी स्कूलों का आगामी आदेशों तक अवकाश घोषित
********************************
************************************
कनीना। हरियाणा सरकार ने सरकारी एवं गैर सरकारी स्कूलों में 31 तारीख तक जहां हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड तथा गृह परीक्षाएं स्थगित कर दी है वहीं अब अध्यापको एवं गैर अध्यापकों को घर पर रहकर अपने स्कूल से संबंधित सभी कार्य निपटाएंगे। शिक्षा विभाग द्वारा जारी एक आदेश अनुसार अब टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ मूल्यांकन व अन्य कार्य घर पर रहकर आगामी आदेशों तक पूर्ण करेंगे।
कीमती बन गए हैं धांसे एवं पदाड़ी
संवाद सहयोगी,कनीना। सरसों की फसल काटने के तुरंत बाद किसान अपने खेत के धांसों को उखाड़ रहे हैं। ईंधन का विकल्प होने के कारण मांग बढ़ गई है। वहीं पदाड़ी भी बिकने लगी है।
महंगाई के युग में ईंधन का विकल्प धांसे बन गए हैं। किसान सरसों की कटाई के तुरंत बाद ही धांसों को उखाड़ लेते हैं। यद्यपि धांसों से वायु प्रदूषण होता है किंतु पशुओं का भोजन बनाने व खाना बनाने के लिए ग्रामीण प्रयोग कर रहे हैं।
गृहणि शकुंत ने बताया कि धांसे तेजी से जलते हैं और कहने को धांसे हैं किंतु वे ईंधन के रूप में बेहतर काम नहीं करते। मजबूरी के चलते उन्हें ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है। यही हालात पदाड़ी की बनी हुई है। अब पदाड़ी भी बहुत उपयोगी पदार्थ बन गयी है। दूर दराज से लोग अपने गन्ने से गुड़ बनाने या ईंट भ_ा मालिक इसे ईंट पकाने में काम में लेने लगे हैं। वर्तमान युग में पदाड़ी को भारी दामों पर बेचा जाता हैं। कुछ लोग तो पदाड़ी का धंधा ही करने लग गए हैं।
किसानों के लिए पदाड़ी तो अब कीमती पदार्थ बनता जा रहा है।कुछ लोग दूर दराज से आते हैं और पदाड़ी को खरीदकर ले जाने लगे हैं। खेत से धांसे पहले काटे जा रहे हैं और बाद में सरसों की पैदावार ले रहे हैं।
फोटो कैप्शन 12: खेत में धांसे।
कीटों की संख्या बढऩे से दुपहिया वाहन चालक परेशान
**************************
************************************
कनीना। सरसों कटाई चलने पर हवा में मक्खी मच्छरों की भरमार हो गई है। दुपहिया वाहन चालक सुबह-शाम इन मक्खी मच्छरों से परेशान हो जाता है।
घरों में जहां मक्खी व मच्छर बढऩे से आराम करने में ये विघ्न डालते हैं। लोग इनको घरों से भगाने के लिए कई प्रकार के क्रीम, दवाएं, इनकों भगाने वाले यंत्र प्रयोग करते हैं। मच्छर के कारण तो बिना बिजली के घरों में सो पाना अति मुश्किल हो जाता है।
उधर सड़क पर दुपहिया वाहन चालक अति परेशान हो जाते हैं। जब वे हेलमेट लगाकर या चश्मे लगाकर चलते हैं तो भी उनकी आंखों में कीट घुस जाते हैं। सड़क पर वाहन रोककर अपनी आंखों को मसलते हुए देखा जा सकता है। ये मच्छर जहरीले कम हैं किंतु बदबूदार अधिक होते हैं।
कैसे बचा जाए-
यदि दुपहिया वाहन पर सुबह शाम सफर करना है तो बेहतर ढंग के चश्मे लगाकर वाहन चलाना चाहिए। हेल्मेट लगाकर चलाने से इन मच्छरों सेक छुटकारा मिल सकता है। सिर को ढककर दुपहिया वाहन चलाने से कुछ हद तक छुटकारा मिल सकता है।
क्या देते हैं डाक्टर सलाह-
कनीना के डाक्टर अजीत कुमार शर्मा का कहना है कि ये मच्छर दुपहिया वाहन चालकों के लिए सिरदर्द बन जाते हैं। साफ पानी से आंखों को धोए एवं साफ रुमाल से ही आंखों को साफ करे, डाक्टर से मच्छर निकलवा। आंखों को मसलने से आंखें खराब हो जाती हैं। उनका कहना है कि बेहतर आंखों के ड्राप बाजार में जेंटासीन आदि मिलते हैं, जिनका प्रयोग आंखों को बचाता है। उनके अनुसार देशी तरीका यह भी है कि आंख में देशी घी की एक बूंद डाली जाए तो राहत मिल जाती है।
बासौड़ा मेले में उमड़ी भीड़, कनीना के माता मंदिर में चूरमा चढ़ाया
-25 मार्च एवं एक अप्रैल को भी लगेगा मेला
**************************
*************************************
कनीना। कनीना के समीपी गांव बव्वा में शीतला माता का विशाल मेला लगा और बाल उतरवाने की रस्म पूरी की गई। अपार भीड़ जुटी और प्रसाद वितरित किया गया। आगामी तीन बुधवारों के दिन 25 मार्च एवं एक अप्रैल को भी यह मेला लगेगा। कनीना के माता मंदिर में भी माता शीतला पर्व मनाया और चूरमा अर्पित करके घरों में चूरमे का प्रसाद ग्रहण किया।
बव्वा का यह मेला बासौड़ा का मेला नाम से जाना जाता है। इस मेले में दूर दराज के भक्त आकर विभिन्न प्रकार का प्रसाद न केवल माता स्थल पर चढ़ाते हैं अपितु बांटते भी हैं जिसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। इस मेले में बच्चों के बाल उतरवाने तथा नव विवाहित जोड़ों की धोक लगाने की रस्म भी पूरी होती है। वैसे तो दुलेंडी के दिन से ही बाल उतरवाने की होड़ विभिन्न मंदिरों में लग जाती है। बिशनदास मंदिर निमोठ, जैनाबाद का उधोदास आश्रम तथा सीहा आदि स्थानों पर बाल उतरवाए जाते हैं परंतु बव्वा की माता पर बासौड़ा को ही बाल उतरवाने का विशेष रिवाज हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि यूं तो गुडग़ांव की माता पर भारी भीड़ जुटती है किंतु जो भक्त गुडग़ांव की माता तक नहीं पहुंच पाते वे बव्वा की इस माता तक आकर शीश नवाते हैं। इस मेले की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि लगातार तीन बुधवारों को मेला लगता है।
नव विवाहित जोड़ों ने माता स्थल पर आकर धोक लगाकर मन्नत मांगी वहीं घरों में पैदा हुए नवजात शिशुओं के बाल उतारने की रस्म को पूरा किया गया।
बव्वा के लालाराम, सुरेंद्र सिंह, सीटू महेश आदि ने बताया कि मेले में मंदिर के पास बने जोहड़ की मिट्टी छांटने की परंपरा महिलाएं पूर्ण करती हैं किंतु इस जोहड़ में गंदा पानी भरा होने से परेशानी रहती है। उधर कनीना की माता शीतला मंदिर में सुबह सवेरे से महिलाओं और पुरुषों का तांता लगा रहा। यहां चूरमे का भोग लगाया गया और वहीं बैठ कर चूरमा खाया गया। चूरमे को घर लाकर भी खाने की परंपरा को पूर्ण किया। माता शीतला पर्व और बासौड़ा पर्व एक दूसरे से मिलते जुलते हैं। अभी कुछ गांवों में बासौड़ा का पर्व मना लिया गया है।
कनीना की शकुंतला, अमीश कुमार, आशा यादव, शर्मिला आदि ने बताया कि वह वर्षों से इस माता मंदिर में आ रही है और चूरमा चढ़ा कर अपने घर जाती है। चूरमा अर्पित करने की परंपरा बहुत जल्दी पूर्ण कर ली जाती है।
फोटो कैप्शन 4 व 5: मेले स्थल पर भीड़।
मास्क की कालाबाजारी रोकने के दिए आदेश
***********************
********************************
कनीना। एसडीएम कार्यालय कनीना में एसडीएम रणवीर सिंह की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई जिसमें फूड सप्लाई, खाद्य आपूर्ति विभाग, नगरपालिका,स्वास्थ्य तथा पब्लिक हेल्थ आदि के पदाधिकारियों ने भाग लिया।
बैठक को संबोधित करते हुए रणवीर सिंह ने कहा किस समय कोरोना वायरस तेजी से फैलता जा रहा है इसके बचाव में ऐतिहात बरतना जरूरी है। इसके लिए उन्होंने आदेश दिया कि किसी प्रकार की मास्क की कोई कालाबाजारी नहीं होनी चाहिए। बस स्टैंड और भीड़भाड़ वाले स्थानों पर सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए जाने चाहिए वहीं लोगों को कोरोना वायरस के प्रति जागरूक करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि वे स्वयं भी इस बात का ध्यान रखें कि नियमित हाथों की सफाई करें, भीड़वाले स्थानों पर न जाए, खांसी जुकाम वाले व्यक्तियों से थोड़ा बच कर रहे। उन्होंने कहा यहां तक की अबई कोरोना से संबंधित समस्या किसी विद्यार्थी में हो तो दूसरे वक्त विद्यार्थी तक उन्होंने इस मौके पर सभी ऐतिहात बरतने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि लोगों को जागरूक जरूर करें तथा अफवाहों से बचने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि अक्सर रोग फैलने पर अफवाहों का बाजार गर्म होता है लेकिन अफवाहें किसी हाल में फैलने न दी जाए। इस अवसर पर एसएमओ डा धर्मेंद्र यादव, डॉ नेहा, डा रवि निहाल अस्पताल, सुशील जेई पब्लिक हेल्थ, खाद्य आपूर्ति विभाग से बृज लाल गुप्ता इंस्पेक्टर, नगर पालिका से हितेश जेई आदि विभिन्न पदाधिकारियों ने भाग लिया।
फोटो कैप्शन 7 एवं 8: एसडीएम रणबीर सिंह बैठक लेते हुए।
लड्डू बांटकर खुशी जताई
****************************
********************************
कनीना। रामचंद्र जांगिड़ के राज्यसभा के लिए निर्वाचित होने पर कनीना मंडी में पिछड़ा वर्ग के लोगों ने खुशी व्यक्त कर एक दूसरे को बधाई दी। इस मौके पर ब्रह्मदत्त जांगिड़ ने कहा कि रामचंद्र जांगिड़ सभी के चहेते हैं और वे जनहित के कार्यों में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने कहा कि उनका राज्यसभा पहुंचना बहुत जरूरी था। वे राज्यसभा में पहुंच गए इसके लिए उन्होंने एक दूसरे को बधाई दी।
इस अवसर पर ब्रह्मदत्त जांगिड़, राजेंद्र कुमार, कृपाराम, मामन चंद, सोमदत्त, संतोष कुमार अशोक वर्मा, बिजेंद्र गर्ग, अशोक कोका तथा अन्य जन उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 1: लड्डू बांटकर खुशी व्यक्त करते हुए लोग।
अस्पताल में सैनिटाइजेशन किया
*****************************
*************************************
कनीना। कोरोनावायरस को लेकर के प्रशासन चुस्त दुरुस्त है वही कनीना के उप नागरिक अस्पताल में भी पूरी सावधानी बरती जा रही है। कनीना के उप नागरिक अस्पताल में जहां विभिन्न मरीज एवं जन आकर बैठते हैं वहां पर सैनिटाइजेशन किया।
मिली जानकारी अनुसार सोडियम हाइपोक्लोरेट दवा का छिड़काव उप नागरिक अस्पताल के उन स्थानों पर किया जहां मरीज तथा लोग आकर बैठते हैं। ऐसे स्थानों पर कोरोनावायरस के होने की संभावना अधिक होती है नागरिक अस्पताल के डाक्टरों ने इस कार्य को अंजाम दिया। हेल्थ इंस्पेक्टर शीशराम की देखरेख में यह कार्रवाई पूर्ण की।
अस्पताल में जहां मरीजों की संख्या बढऩे लगी है वही कोरोना वायरस के आने की अधिक संभावना बढ़ी है। यही कारण है कि यहां प्रतिदिन नए कदम उठाए जा रहे हैं। जहां फ्लू कार्नर बनाया गया वहीं आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है। तत्पश्चात इस प्रकार का कदम उठाया जा रहा है।
फोटो कैप्शन 02: सैनिटाइजेशन करते हुए उप नागरिक अस्पताल कनीना के कर्मी।
मशीनों ने छीन लिया मजदूरों का रोजगार
****************************
************************************
कनीना। कनीना क्षेत्र में जहां सरसों की लावणी पूरे यौवन पर है वहीं किसान जल्दी से जल्दी लावणी करने के चक्कर में मशीनों द्वारा कटाई करवा रहे हैं। यद्यपि मशीनें कई मजदूरों का काम एक घंटे में कर देती है किंतु इससे मजदूरों का रोजगार छीनता जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि कनीना क्षेत्र में दूसरे प्रांतों राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार,मध्य प्रदेश आदि से करीब हर वर्ष 400 से 500 मजदूर आते हैं। ये मजदूर दिन रात मेहनत करके पैसे कमा कर अपने वतन लौटते हैं। इन मजदूरों की मजदूरी भी अब धीरे धीरे कम हो रही है। मजदूर रामलाल, रेनूमती श्यामू ने बताया कि किसान जल्दी काम निपटने के चक्कर में मशीनें बुलवाकर उनसे कटाई का काम ले रहे हैं जिससे उनका रोजगार खत्म हो रहा है। जिसका इन मजदूरों में रोष भी है।
उल्लेखनीय है कि जहां मजदूर एक एकड़ फसल सरसों की कटाई का कार्य जहां एक से दो दिनों में पूरा करते हैं वही 2200 से 2500 रुपए तक लेते हैं वही कंबाइन मशीन 2100 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से सरसों की कटाई आदि का कार्य कर रही है किंतु अंतर इतना है कि मशीनों द्वारा सरसों की कटाई आदि का कार्य एक घंटे में ही पूरा कर दिया जाता है। मशीन द्वारा कटाई करने वाले पंजाब के सुखविंदर ने बताया कि वे इस क्षेत्र में करीब दो माह तक कार्य करते हैं पहले सरसों की लावणी फिर दूसरी मशीनों द्वारा गेहूं की लावणी का कार्य करते हैं। एक समय था जब हरियाणा में मशीनों से कटाई नहीं करवाते थे आप लोगों का रुझान मशीनों द्वारा कटाई करवाने की ओर बढ़ा है। इसलिए जहां मशीन चालक खुश है। वहीं मजदूर नाखुश है
फोटो कैप्शन 03: मशीनों से कटाई करते हुए।
********************************
*************************************
******************************************
कनीना। जहां कोरोना वायरस को लेकर के पूरे ही देश में कोहराम मचा है वहीं अब जन प्राचीन और पूर्वजों के पदचिह्नों पर लौटने लगा है। कभी बाहर देश में अंग्रेजी दवाइयां नहीं प्रयोग करते थे बल्कि जड़ी बूटियों के सहारे से विभिन्न रोगों का इलाज करते थे जिससे शरीर में प्रतिरोधक क्षमता पैदा होती थी वहीं घरों के आसपास मिलने वाली विभिन्न प्रकार की जड़ी बूटियों को उपयोग में लाते थे।
बुजुर्ग रामधारी, राम सिंह, धन्नी, मिसरी देवी आदि ने बताया कि वे कभी चाय ही नहीं बल्कि दूध और पानी में भी तुलसी, पुदीना, हल्दी आदि प्रयोग करते थे। जब कभी कोई बीमार हो जाता था तो काली मिर्च, लौंग, दालचीनी, तुलसी आदि की चाय पिलाते थे। दूध में भी हल्दी और तुलसी के अतिरिक्त मुलेठी द्वारा रोगों को दूर करते थे। जो रोग रोधक क्षमता उत्पन्न करती है।
उन्होंने बताया कि वह युग बहुत बेहतर था जब बासी भोजन खाकर चेचक आदि रोग से बच जाते थे। अब चाहे ज्ञान अधिक नहीं था किंतु जड़ी बूटियां की एकमात्र शरीर को बचाने का साधन होती थी। आज भी पेट की बीमारियों को दूर करने के लिए फांकी काम में लाई जाती है। फांकी में जहां गडूंबा, काला नमक, विभिन्न प्रकार के नमक, लस्सी आदि विभिन्न पदार्थों द्वारा तैयार की जाने वाली फांकी पेट की विभिन्न बीमारियों को दूर करती थी। अब एक बार फिर से उन्हीं ओर यह युग लौट चला है।
उधर कनीना के महेश बोहरा, कुलदीप कुमार, श्यामसुंदर महाशय, सुरेंद्र प्राध्यापक, सुमेर सिंह चेयरमैन, महेंद्र शर्मा, कृष्ण कुमार, राजेंद्र सिंह आदि ने बताया कि वे कभी से अपने पूर्वजों के पद चिन्हों पर चल रहे हैं। हाथ मिलाने की प्रथा पश्चिमी देशों की सभ्यता है। इससे बचके हाथ जोड़कर नमन करते थे। वर्षों से भी दूसरे लोगों को भी इस बाबत जागरूक करते आ रहे हैं किंतु वक्त ने आखिरकार हमारी प्राचीन सभ्यता की ओर जाने को बाध्य कर दिया है। उन्होंने कहा कि हाथ जोड़कर नमन करने से कई लाभ है वही रोगों से भी बचा जा सकता है। इसी प्रकार उन्होंने कहा कि खाने-पीने के प्राचीन तरीकों पर भी इंसान फिर से लौटकर आ रहा है। खड़ा खाना, दौड़ कर खाना आराम से बैठकर खाना नहीं खाना आदि प्रथाएं धीरे-धीरे समाप्त जाएंगे फिर से बैठ कर आराम से बेहतरीन शाकाहारी भोजन खाने की ओर इंसान लोट चला है।
कनीना के सूबे सिंह, राजेंद्र सिंह, अजीत कुमार, महिपाल सिंह आदि ने बताया कि वे अपने पूर्वजों की पद्धति पर चलते आ रहे हैं। हाथ और पैरों को धोकर ही खाना खाते हैं। परिवार को भी यही समझाते आए हैं तथा समाज को भी यही शिक्षा देते आए हैं। चाहे कोरोना के डर से सभी ने हाथ धोना शुरू कर दिया है। बहुत बेहतरीन कार्य है। यदि इसका पालन किया जाए तो भविष्य में भी इसका निश्चित ही लाभ होगा। उन्होंने कहा अक्सर कुछ लोग भोजन भी बिना हाथों को धोए खाते हैं आए हैं जो बीमारियों को आकर्षित करते हैं। उन्होंने कहा कि पूर्वज खाना सदा बेहतर ढंग से हाथ धो कर खाते थे। इसी प्रकार अच्छी प्रकार साबुन से स्नान करके तभी खाना खाते थे। चाहे उस वक्त हाथों को धोने के लिए मिट्टी, राख, नमक आदि प्रयोग करते परंतु उद्देय बीमारी से बचना था।वह प्रथा एक बार फिर से कोरोना के डर से शुरू हो गई है। उन्हें खुशी है कि आखिरकार हाथ धोने की प्रथा फिर से देखने को मिलती है। उन्होंने बताया कि घरों में भी अब तो सभी परिवार हाथ धोकर खाना खाने लगे हैं।
जहां रोगों से बचने फर्श को पोचा लगाते समय फिनाइल, डिटोल आदि डालकर धोते आए हैं जिनके पीछे भी एक मात्र यही उद्देश्य है कि रोगाणुओं को मारन। अब सैनिटाइजर आ गए हैं जो हाथों को साफ करते हैं वहीं कुछ दवाई छिड़कने के लिए काम में लाई जाती है जो पोचे का काम करती आ रही है। करेंगी इस प्रकार उनका कहना है आशा, नीलम,शकुंत आदि का कहना है कि वे कभी से पोचा लगाती आ रही है और उनके पीछे भी उद्देश्य रोगाणुनाशन है। यह प्रथा एक बार फिर से सुदृढ़ हो गई है।
रवि कुमार, सुरेश कुमार, अमन, रमन आदि ने बताया कि जब एक दुकान पर जाते हैं तो मास्क का प्रयोग कर रहे हैं। मास्क भी रोगों से बचाती है वही वे हाथ धोते हैं। दिन में कई-कई बार हाथ धोते हैं तब ही वस्तु को छूते हैं ताकि किसी भी प्रकार का रोग न फैले। महिलाओं ने बताया कि वे कभी से घूंघट करती आई है जो धूल कण, उड़ते हुए तथा कुछ रोगाणुओं को मुंह तक पहुंचने से बचाते हैं। यह घूंघट भी मास्क ही कार्य करता है। आज भी बुजुर्ग महिलाएं घूंघट करती है। उनका कहना है कि घूंघट के पीछे चाहे कारण कुछ भी हो पर एक कारण यह भी था कि हानिकारक पदार्थों से शरीर को बचाया जा सकता है।
अब तो स्कूलों में कार्यालयों में विभिन्न दफ्तरों में अधिकारी और कर्मचारी हाथ नहीं मिलाते बल्कि हाथ जोड़कर नमन करते हैं। कभी से ही यह विधि अपनाई जा रही है। इस रोग के कारण तो सभी इसी विधि का उपयोग करने लग गए हैं। प्रिंसिपल कृण सिंह,मुख्याध्यापक महिपाल सिंह, सूबे सिंह शिक्षक, लक्ष्मी, महिपाल करीरा,सीमा, नीलम ,अनूप सिंह प्राध्यापक, संजय पीटीआई, मनीलाल महिपाल सिंह कनीना आदि ने बताया कि वे कार्यालय में जाते हैं तो अपने बास को हाथ जोड़कर नमन करते हैं। यहीं विधि हमारे पूर्वज भी प्रयोग करते आए हैं। इस प्रकार रोगों से बचा जा सकता है।
यही नहीं खाने में भी या तो अपने घर पर किचन गार्डन में उगाई गई सब्जी का ही उपयोग कर रहे या फिर से घर पर बनाई हुई कढ़ी,खाटा का साग दलिया, खिचड़ी आदि प्रयोग कर रहे हैं। ये शरीर की रक्षा का कार्य करते हैं। सब्जी की दुकानों पर अब वह भीड़ कम देखने को नहीं मिलती है। सब्जी विक्रेता राजू, दिनेश, फूल सिंह ने बताया कि पहले उनकी सब्जी अधिक बिकती थी। कोरोना के कारण सब्जियों की मांग कम हो गई है। वही बाजार में भी मंदी छाई हुई है। मांस एवं अंडे नहीं खा रहे हैं वहीं मांस एवं अंडों की बिक्री घटी है। पूर्वज भी कभी मांस एवं अंडे प्रयोग नहीं करते थे। फोटो कैप्शन 8: दुकान पर हाथ जोड़कर नमन करते हुए
9: कार्यालय में हाथ जोड़कर नमन करते हुए 10 एवं 11 हाथ व पैर धोते हुए
12 खाने से पहले स्नान करते हुए।
एक लाख से अधिक राशि एटीएम मशीन में जली
************************************
**********************************
************************************
कनीना। बुधवार की सुबह कनीना-छितरौली मार्ग पर स्थित केनरा बैंक एटीएम को शटर काटकर उखाडऩे के चोरों ने प्रयास किया था जिसमें एटीएम में आग लग गई थी। हूटर बजने से अज्ञात चोर छोड़कर मशीन को छोड़कर भाग खड़े हुए थे। इस मशीन में 1,20,300 रुपये सिस्टम दर्शा रहा था। गुरुवार को इंजीनियरों की टीम मशीन की जांच करने पहुंचे खोलने पर पूर्णता मशीन जली पाई। मिली जानकारी अनुसार सारी मशीन जलकर राख हो गई जिसमें प्लास्टिक की ट्रे में कैश रखा जाता है जिसके भी आग लग गई जिसे फायर ब्रिगेड ने बुझाया था।
राकेश कुमार दिल्ली से सर्विस इंजीनियर मौके पर पहुंचा। उपस्थित पुलिस प्रशासन व बैंक अधिकारी की स्थिति में जली हुई एटीएम मशीन को खोला गया जो पूर्णता अंदर से जली पाई गई। इसमें रखा कैा भी जल गया। मशीन उखाडऩे से पहले सिस्टम 1,20,300 रुपये की राशि दर्शा रहा है जो पूर्णतया जल चुकी है।
उल्लेखनीय है कि कनीना बस स्टैंड के पास बुधवार को छितरौली मार्ग पर स्थित केनरा बैंक का एटीएम रात को अज्ञात चोरों ने उखाडऩे का प्रयास किया। शटर काटकर अज्ञात चोर अंदर घुसे किंतु एटीएम मशीन को काटते वक्त शॉर्ट सर्किट हो गया और आग लग गई। तत्पश्चात हूटर बजने लगा जिससे अज्ञात चोर मशीन को छोड़कर भाग खड़े हुए। तत्काल मौके पर पुलिस पहुंची और फायर ब्रिगेड को बुलाया। फायर बिग्रेड ने आकर के एटीएम की आग बुझाई।
जानकारी मशीन में मंगलवार को मशीन में तीन लाख रुपये राशि डाली तथा बुधवार को कंप्यूटर एक लाख 20 हजार 300 रुपये दर्शा रहा था बाकी रााि उपभोक्ताओं ने एटीएम से निकाल ली थी। एटीएम मशीन खोलने के लिए बुधवार को भी इंजीनियर पहुंचे थे किंतु जली हुई मशीन को खोल नहीं पाए किंतु गुरुवार को दिल्ली से आए इंजीनियर मशीन को आकर मशीन खोली जिसमें शेष बची सारी राशि जली पाई गई।
बैंक मैनेजर धर्मपाल ने कनीना पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई थी। जिसमें कहा गया है कि मंगलवार की रात और बुधवार की सुबह सात बजे के मध्य किसी अनजान व्यक्ति द्वारा बैंक परिसर में घुसकर एटीएम तोडऩे का प्रयास किया है।
अज्ञात चोर बिल्डिंग के गेट के पश्चिम दिशा में लगे एटीएम के कमरे का एक ताला तोड़ दिया किंतु दूसरा ताला नहीं टूटने पर एटीएम के कमरे का शटर गैस वेल्डिंग से काट दिया गया है। अंदर एटीएम को गैस वेल्डिंग से काटा गया है जिसके चलते एटीएम मशीन क्षतिग्रस्त हो गई है और उसमें आग लगने की वजह से सेंसर से हूटर बज उठे। जिसकी आवाज सुनकर मकान मालिक अशोक कुमार आदि मौके पर आए और एटीएम को काटने वाले लोग भाग खड़े हुए थे।
मिली जानकारी अनुसार अशोक कुमार द्वारा इसकी सूचना बैंक के अधिकारी तथा कर्मचारियों को दी और कर्मचारियों ने मैनेजर को सूचित किया। तत्पश्चात एटीएम मशीन से एक लाख बीस हजार 300 रुपये बैलेंस सिस्टम द्वारा बताया जा रहा था। पुलिस आगामी कार्रवाई कर रही है।
फोटो कैप्शन 13: जली हुई एटीएम मशीन।
अब अब सरकारी व गैर सरकारी स्कूलों का आगामी आदेशों तक अवकाश घोषित
********************************
************************************
कनीना। हरियाणा सरकार ने सरकारी एवं गैर सरकारी स्कूलों में 31 तारीख तक जहां हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड तथा गृह परीक्षाएं स्थगित कर दी है वहीं अब अध्यापको एवं गैर अध्यापकों को घर पर रहकर अपने स्कूल से संबंधित सभी कार्य निपटाएंगे। शिक्षा विभाग द्वारा जारी एक आदेश अनुसार अब टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ मूल्यांकन व अन्य कार्य घर पर रहकर आगामी आदेशों तक पूर्ण करेंगे।
कीमती बन गए हैं धांसे एवं पदाड़ी
संवाद सहयोगी,कनीना। सरसों की फसल काटने के तुरंत बाद किसान अपने खेत के धांसों को उखाड़ रहे हैं। ईंधन का विकल्प होने के कारण मांग बढ़ गई है। वहीं पदाड़ी भी बिकने लगी है।
महंगाई के युग में ईंधन का विकल्प धांसे बन गए हैं। किसान सरसों की कटाई के तुरंत बाद ही धांसों को उखाड़ लेते हैं। यद्यपि धांसों से वायु प्रदूषण होता है किंतु पशुओं का भोजन बनाने व खाना बनाने के लिए ग्रामीण प्रयोग कर रहे हैं।
गृहणि शकुंत ने बताया कि धांसे तेजी से जलते हैं और कहने को धांसे हैं किंतु वे ईंधन के रूप में बेहतर काम नहीं करते। मजबूरी के चलते उन्हें ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है। यही हालात पदाड़ी की बनी हुई है। अब पदाड़ी भी बहुत उपयोगी पदार्थ बन गयी है। दूर दराज से लोग अपने गन्ने से गुड़ बनाने या ईंट भ_ा मालिक इसे ईंट पकाने में काम में लेने लगे हैं। वर्तमान युग में पदाड़ी को भारी दामों पर बेचा जाता हैं। कुछ लोग तो पदाड़ी का धंधा ही करने लग गए हैं।
किसानों के लिए पदाड़ी तो अब कीमती पदार्थ बनता जा रहा है।कुछ लोग दूर दराज से आते हैं और पदाड़ी को खरीदकर ले जाने लगे हैं। खेत से धांसे पहले काटे जा रहे हैं और बाद में सरसों की पैदावार ले रहे हैं।
फोटो कैप्शन 12: खेत में धांसे।
कीटों की संख्या बढऩे से दुपहिया वाहन चालक परेशान
**************************
************************************
कनीना। सरसों कटाई चलने पर हवा में मक्खी मच्छरों की भरमार हो गई है। दुपहिया वाहन चालक सुबह-शाम इन मक्खी मच्छरों से परेशान हो जाता है।
घरों में जहां मक्खी व मच्छर बढऩे से आराम करने में ये विघ्न डालते हैं। लोग इनको घरों से भगाने के लिए कई प्रकार के क्रीम, दवाएं, इनकों भगाने वाले यंत्र प्रयोग करते हैं। मच्छर के कारण तो बिना बिजली के घरों में सो पाना अति मुश्किल हो जाता है।
उधर सड़क पर दुपहिया वाहन चालक अति परेशान हो जाते हैं। जब वे हेलमेट लगाकर या चश्मे लगाकर चलते हैं तो भी उनकी आंखों में कीट घुस जाते हैं। सड़क पर वाहन रोककर अपनी आंखों को मसलते हुए देखा जा सकता है। ये मच्छर जहरीले कम हैं किंतु बदबूदार अधिक होते हैं।
कैसे बचा जाए-
यदि दुपहिया वाहन पर सुबह शाम सफर करना है तो बेहतर ढंग के चश्मे लगाकर वाहन चलाना चाहिए। हेल्मेट लगाकर चलाने से इन मच्छरों सेक छुटकारा मिल सकता है। सिर को ढककर दुपहिया वाहन चलाने से कुछ हद तक छुटकारा मिल सकता है।
क्या देते हैं डाक्टर सलाह-
कनीना के डाक्टर अजीत कुमार शर्मा का कहना है कि ये मच्छर दुपहिया वाहन चालकों के लिए सिरदर्द बन जाते हैं। साफ पानी से आंखों को धोए एवं साफ रुमाल से ही आंखों को साफ करे, डाक्टर से मच्छर निकलवा। आंखों को मसलने से आंखें खराब हो जाती हैं। उनका कहना है कि बेहतर आंखों के ड्राप बाजार में जेंटासीन आदि मिलते हैं, जिनका प्रयोग आंखों को बचाता है। उनके अनुसार देशी तरीका यह भी है कि आंख में देशी घी की एक बूंद डाली जाए तो राहत मिल जाती है।
बासौड़ा मेले में उमड़ी भीड़, कनीना के माता मंदिर में चूरमा चढ़ाया
-25 मार्च एवं एक अप्रैल को भी लगेगा मेला
**************************
*************************************
कनीना। कनीना के समीपी गांव बव्वा में शीतला माता का विशाल मेला लगा और बाल उतरवाने की रस्म पूरी की गई। अपार भीड़ जुटी और प्रसाद वितरित किया गया। आगामी तीन बुधवारों के दिन 25 मार्च एवं एक अप्रैल को भी यह मेला लगेगा। कनीना के माता मंदिर में भी माता शीतला पर्व मनाया और चूरमा अर्पित करके घरों में चूरमे का प्रसाद ग्रहण किया।
बव्वा का यह मेला बासौड़ा का मेला नाम से जाना जाता है। इस मेले में दूर दराज के भक्त आकर विभिन्न प्रकार का प्रसाद न केवल माता स्थल पर चढ़ाते हैं अपितु बांटते भी हैं जिसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। इस मेले में बच्चों के बाल उतरवाने तथा नव विवाहित जोड़ों की धोक लगाने की रस्म भी पूरी होती है। वैसे तो दुलेंडी के दिन से ही बाल उतरवाने की होड़ विभिन्न मंदिरों में लग जाती है। बिशनदास मंदिर निमोठ, जैनाबाद का उधोदास आश्रम तथा सीहा आदि स्थानों पर बाल उतरवाए जाते हैं परंतु बव्वा की माता पर बासौड़ा को ही बाल उतरवाने का विशेष रिवाज हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि यूं तो गुडग़ांव की माता पर भारी भीड़ जुटती है किंतु जो भक्त गुडग़ांव की माता तक नहीं पहुंच पाते वे बव्वा की इस माता तक आकर शीश नवाते हैं। इस मेले की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि लगातार तीन बुधवारों को मेला लगता है।
नव विवाहित जोड़ों ने माता स्थल पर आकर धोक लगाकर मन्नत मांगी वहीं घरों में पैदा हुए नवजात शिशुओं के बाल उतारने की रस्म को पूरा किया गया।
बव्वा के लालाराम, सुरेंद्र सिंह, सीटू महेश आदि ने बताया कि मेले में मंदिर के पास बने जोहड़ की मिट्टी छांटने की परंपरा महिलाएं पूर्ण करती हैं किंतु इस जोहड़ में गंदा पानी भरा होने से परेशानी रहती है। उधर कनीना की माता शीतला मंदिर में सुबह सवेरे से महिलाओं और पुरुषों का तांता लगा रहा। यहां चूरमे का भोग लगाया गया और वहीं बैठ कर चूरमा खाया गया। चूरमे को घर लाकर भी खाने की परंपरा को पूर्ण किया। माता शीतला पर्व और बासौड़ा पर्व एक दूसरे से मिलते जुलते हैं। अभी कुछ गांवों में बासौड़ा का पर्व मना लिया गया है।
कनीना की शकुंतला, अमीश कुमार, आशा यादव, शर्मिला आदि ने बताया कि वह वर्षों से इस माता मंदिर में आ रही है और चूरमा चढ़ा कर अपने घर जाती है। चूरमा अर्पित करने की परंपरा बहुत जल्दी पूर्ण कर ली जाती है।
फोटो कैप्शन 4 व 5: मेले स्थल पर भीड़।
मास्क की कालाबाजारी रोकने के दिए आदेश
***********************
********************************
कनीना। एसडीएम कार्यालय कनीना में एसडीएम रणवीर सिंह की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई जिसमें फूड सप्लाई, खाद्य आपूर्ति विभाग, नगरपालिका,स्वास्थ्य तथा पब्लिक हेल्थ आदि के पदाधिकारियों ने भाग लिया।
बैठक को संबोधित करते हुए रणवीर सिंह ने कहा किस समय कोरोना वायरस तेजी से फैलता जा रहा है इसके बचाव में ऐतिहात बरतना जरूरी है। इसके लिए उन्होंने आदेश दिया कि किसी प्रकार की मास्क की कोई कालाबाजारी नहीं होनी चाहिए। बस स्टैंड और भीड़भाड़ वाले स्थानों पर सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए जाने चाहिए वहीं लोगों को कोरोना वायरस के प्रति जागरूक करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि वे स्वयं भी इस बात का ध्यान रखें कि नियमित हाथों की सफाई करें, भीड़वाले स्थानों पर न जाए, खांसी जुकाम वाले व्यक्तियों से थोड़ा बच कर रहे। उन्होंने कहा यहां तक की अबई कोरोना से संबंधित समस्या किसी विद्यार्थी में हो तो दूसरे वक्त विद्यार्थी तक उन्होंने इस मौके पर सभी ऐतिहात बरतने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि लोगों को जागरूक जरूर करें तथा अफवाहों से बचने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि अक्सर रोग फैलने पर अफवाहों का बाजार गर्म होता है लेकिन अफवाहें किसी हाल में फैलने न दी जाए। इस अवसर पर एसएमओ डा धर्मेंद्र यादव, डॉ नेहा, डा रवि निहाल अस्पताल, सुशील जेई पब्लिक हेल्थ, खाद्य आपूर्ति विभाग से बृज लाल गुप्ता इंस्पेक्टर, नगर पालिका से हितेश जेई आदि विभिन्न पदाधिकारियों ने भाग लिया।
फोटो कैप्शन 7 एवं 8: एसडीएम रणबीर सिंह बैठक लेते हुए।
लड्डू बांटकर खुशी जताई
****************************
********************************
कनीना। रामचंद्र जांगिड़ के राज्यसभा के लिए निर्वाचित होने पर कनीना मंडी में पिछड़ा वर्ग के लोगों ने खुशी व्यक्त कर एक दूसरे को बधाई दी। इस मौके पर ब्रह्मदत्त जांगिड़ ने कहा कि रामचंद्र जांगिड़ सभी के चहेते हैं और वे जनहित के कार्यों में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने कहा कि उनका राज्यसभा पहुंचना बहुत जरूरी था। वे राज्यसभा में पहुंच गए इसके लिए उन्होंने एक दूसरे को बधाई दी।
इस अवसर पर ब्रह्मदत्त जांगिड़, राजेंद्र कुमार, कृपाराम, मामन चंद, सोमदत्त, संतोष कुमार अशोक वर्मा, बिजेंद्र गर्ग, अशोक कोका तथा अन्य जन उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 1: लड्डू बांटकर खुशी व्यक्त करते हुए लोग।
अस्पताल में सैनिटाइजेशन किया
*****************************
*************************************
कनीना। कोरोनावायरस को लेकर के प्रशासन चुस्त दुरुस्त है वही कनीना के उप नागरिक अस्पताल में भी पूरी सावधानी बरती जा रही है। कनीना के उप नागरिक अस्पताल में जहां विभिन्न मरीज एवं जन आकर बैठते हैं वहां पर सैनिटाइजेशन किया।
मिली जानकारी अनुसार सोडियम हाइपोक्लोरेट दवा का छिड़काव उप नागरिक अस्पताल के उन स्थानों पर किया जहां मरीज तथा लोग आकर बैठते हैं। ऐसे स्थानों पर कोरोनावायरस के होने की संभावना अधिक होती है नागरिक अस्पताल के डाक्टरों ने इस कार्य को अंजाम दिया। हेल्थ इंस्पेक्टर शीशराम की देखरेख में यह कार्रवाई पूर्ण की।
अस्पताल में जहां मरीजों की संख्या बढऩे लगी है वही कोरोना वायरस के आने की अधिक संभावना बढ़ी है। यही कारण है कि यहां प्रतिदिन नए कदम उठाए जा रहे हैं। जहां फ्लू कार्नर बनाया गया वहीं आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है। तत्पश्चात इस प्रकार का कदम उठाया जा रहा है।
फोटो कैप्शन 02: सैनिटाइजेशन करते हुए उप नागरिक अस्पताल कनीना के कर्मी।
मशीनों ने छीन लिया मजदूरों का रोजगार
****************************
************************************
कनीना। कनीना क्षेत्र में जहां सरसों की लावणी पूरे यौवन पर है वहीं किसान जल्दी से जल्दी लावणी करने के चक्कर में मशीनों द्वारा कटाई करवा रहे हैं। यद्यपि मशीनें कई मजदूरों का काम एक घंटे में कर देती है किंतु इससे मजदूरों का रोजगार छीनता जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि कनीना क्षेत्र में दूसरे प्रांतों राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार,मध्य प्रदेश आदि से करीब हर वर्ष 400 से 500 मजदूर आते हैं। ये मजदूर दिन रात मेहनत करके पैसे कमा कर अपने वतन लौटते हैं। इन मजदूरों की मजदूरी भी अब धीरे धीरे कम हो रही है। मजदूर रामलाल, रेनूमती श्यामू ने बताया कि किसान जल्दी काम निपटने के चक्कर में मशीनें बुलवाकर उनसे कटाई का काम ले रहे हैं जिससे उनका रोजगार खत्म हो रहा है। जिसका इन मजदूरों में रोष भी है।
उल्लेखनीय है कि जहां मजदूर एक एकड़ फसल सरसों की कटाई का कार्य जहां एक से दो दिनों में पूरा करते हैं वही 2200 से 2500 रुपए तक लेते हैं वही कंबाइन मशीन 2100 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से सरसों की कटाई आदि का कार्य कर रही है किंतु अंतर इतना है कि मशीनों द्वारा सरसों की कटाई आदि का कार्य एक घंटे में ही पूरा कर दिया जाता है। मशीन द्वारा कटाई करने वाले पंजाब के सुखविंदर ने बताया कि वे इस क्षेत्र में करीब दो माह तक कार्य करते हैं पहले सरसों की लावणी फिर दूसरी मशीनों द्वारा गेहूं की लावणी का कार्य करते हैं। एक समय था जब हरियाणा में मशीनों से कटाई नहीं करवाते थे आप लोगों का रुझान मशीनों द्वारा कटाई करवाने की ओर बढ़ा है। इसलिए जहां मशीन चालक खुश है। वहीं मजदूर नाखुश है
फोटो कैप्शन 03: मशीनों से कटाई करते हुए।
No comments:
Post a Comment