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Tuesday, March 24, 2020

लाक डाउन का प्रथम दिन--
बार-बार दुकानें बंद करवानी पड़ी 

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कनीना। कनीना क्षेत्र में लाक डाउन का पहला दिन ठीक-ठाक बीता। जहां सुबह से किराना, सब्जी, फल, चिकित्सालय, मेडिकल स्टोर आदि खुले हुए थे वही प्रात: 11 बजे बाद उनको पुलिस द्वारा बंद करवाने की कार्रवाई शुरू हो गई। जिसके चलते सभी दुकानें बंद करा दी गई। महज चिकित्सालय एवं मेडिकल स्टोर खुले हुए थे। मरीजों की संख्या सरकारी अस्पताल एवं निजी अस्पतालों में कम रही। वही कुछ लोग सड़कों पर किसान इधर-उधर चहल कदमी करते नजर आए। वहीं बाइकों पर लोग इधर उधर जा रहे थे। निजी वाहन पूर्णतया बंद देखे गए।
 क्षेत्र में सुबह से ही एक बार बहुत सी दुकानें खुल गई लेकिन पुलिस द्वारा उन्हें बंद करवा दिया गया। सब्जी एवं फल की दुकानें एवं किराना की दुकानें भी बंद करवा दी। उधर पालिका की ओर से गाड़ी द्वारा दुकान खोलने का समय भी बार-बार घोषित किया गया जिसके चलते दुकानें बंद रही। लेकिन दोपहर बाद फल और सब्जियों की दुकानें फिर से खुल गई जो सुबह बंद करवा दी गई थी। इतना होते हुए भी अधिकांश दुकानें बंद रही। लोग घरों में ही कैद रहे या तो कैरम बोर्ड खेलते नजर आए या बच्चों के साथ समय बिताते नजर आए। अधिकांश लोगों ने अपने बच्चों के साथ समय बिताया और वे खुश नजर आए। लंबे समय तक यदि घर में रहना पड़ा तो दुकानदारों को परेशानी हो सकती है। क्योंकि उनकी रोटी रोजी का साधन दुकान ही तो हैं।
  दुकानें खुलते ही ग्राहकों की भारी भीड़ देखने को मिली। दुकानों पर भी कई कई दुकान दुकानदार और ग्राहक नजर आए जिन्होंने अधिकांश ने मास्क तक भी नहीं पहन रखा था। वही बाइकों पर दो-दो सवार नजर आए जिनमें से बहुत कम ने मास्क पहन रखा था। जहां रोडवेज बस एवं निजी बस से पूर्णतया बंद रही वहीं रेलवे स्टेशन भी सुनसान नजर आया। पार्क में भी पुलिस ने लोगों को बैठने नहीं दिया वहीं आसपास क्षेत्रों में कहीं भी भीड़ नजर नहीं आई।
किसान अपने खेतों में त्वरित गति से लावणी करते नजर आए। ऐसा लगा कि उन्हें तो इस रोग के खौफ के बारे में कुछ ज्ञान तक नहीं है। स्कूलों में मिड डे मील का राशन बांटने के लिए शिक्षकों को आना पढ़ रहा है वही बैंक डाकघर आदि खुले रहे। बैंकों में भी सैनिटाइजर रखे हुए थे जहां हाथ साफ करके निश्चित दूरी पर खड़े होकर ही बैंकों में पैसों का लेनदेन करने दिया। बैंकों का समय प्रात: दस से शाम दो बजे तक रखा गया है।
यह पहला अवसर है जब किसानों की फसल कटाई का समय चल रहा है वही महामारी का प्रकोप भी चल रहा है। कर्मचारी, अधिकारी भी घरों में ही नजर आए। पुलिस जगह-जगह घूमती एवं लोगों को हिदायत देती नजर आई वहीं सामाजिक कार्यकर्ता भी लोगों को रोग के प्रति जागरूक करते नजर आए।
 फोटो कैप्शन 8 एवं 9: सुनसान सड़क
10: कैरम बोर्ड पर समय बिताते दुकानदार।




अंधड़ और बारिश ने किरकिरा किया किसानों की लावणी का मजा
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 कनीना। क्षेत्र में मंगलवार को दोपहर आए अंधड़ में एवं बारिश के चलते किसानों का मजा किरकिरा हो गया। किसान इस समय खेतों में त्वरित गति से फसल कटाई में लगे हुए थे लेकिन अंधड़ इतनी तेज था कि जगह-जगह पेड़ टूटकर गिर गए। एक ओर जहां कोरोनावायरस के चलते लोग घरों में घुसे हुए थे वहीं सड़क और मार्गों पर इक्का दुक्का लोग इधर उधर जाते नजर आए।  किसानों की फसल भी अंधड़ और बारिश के चलते धरती पर लेट गई। क्षेत्र में 2 एमएम बारिश हुई।
 कनीना क्षेत्र में बारिश के कारण किसानों की फसल कटाई का कार्य भी रुक गया। मिली जानकारी अनुसार किसानों को अपनी फसल कटाई का कार्य पूर्ण करना है। वैसे भी विगत 3 दिनों से महज 1 दिन ही फसल कटाई का मौका मिला है। जहां रविवार को जनता कफ्र्यू लगा वहीं सोमवार को फसल कटाई के बाद मंगलवार को फसल कटाई बारिश ने बाधित कर दी। बारिश के चलते किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि इस वक्त अगर कोई ओलावृष्टि आदि आई तो उनकी संपूर्ण मेहनत मिट्टी में मिल जाएगी। क्षेत्र में बदलते मौसम को लेकर के परेशान हैं।
 किसान अजीत कुमार, कृष्ण कुमार, महेश कुमार, सुरेश कुमार, योगेश कुमार आदि ने बताया कि इस समय सरसों की लावणी चल रही है। गेहूं की लावणी आने में कुछ समय बाकी है।
उधर अंधड़ से किसान रेस्ट हाउस के पास रास्ते में पेड़ गिर गया वहीं कई पेड़ों की टहनियां टूटकर गिर गई। अंधड़ अति तेज था।
फोटो कैप्शन 7: अंधड़ से किसान रेस्ट हाउस के पास गिरा हुआ पेड़।



लाक डाउन का प्रथम दिन--
बार-बार दुकानें बंद करवानी पड़ी 

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कनीना। कनीना क्षेत्र में लाक डाउन का पहला दिन ठीक-ठाक बीता। जहां सुबह से किराना, सब्जी, फल, चिकित्सालय, मेडिकल स्टोर आदि खुले हुए थे वही प्रात: 11 बजे बाद उनको पुलिस द्वारा बंद करवाने की कार्रवाई शुरू हो गई। जिसके चलते सभी दुकानें बंद करा दी गई। महज चिकित्सालय एवं मेडिकल स्टोर खुले हुए थे। मरीजों की संख्या सरकारी अस्पताल एवं निजी अस्पतालों में कम रही। वही कुछ लोग सड़कों पर किसान इधर-उधर चहल कदमी करते नजर आए। वहीं बाइकों पर लोग इधर उधर जा रहे थे। निजी वाहन पूर्णतया बंद देखे गए।
 क्षेत्र में सुबह से ही एक बार बहुत सी दुकानें खुल गई लेकिन पुलिस द्वारा उन्हें बंद करवा दिया गया। सब्जी एवं फल की दुकानें एवं किराना की दुकानें भी बंद करवा दी। उधर पालिका की ओर से गाड़ी द्वारा दुकान खोलने का समय भी बार-बार घोषित किया गया जिसके चलते दुकानें बंद रही। लेकिन दोपहर बाद फल और सब्जियों की दुकानें फिर से खुल गई जो सुबह बंद करवा दी गई थी। इतना होते हुए भी अधिकांश दुकानें बंद रही। लोग घरों में ही कैद रहे या तो कैरम बोर्ड खेलते नजर आए या बच्चों के साथ समय बिताते नजर आए। अधिकांश लोगों ने अपने बच्चों के साथ समय बिताया और वे खुश नजर आए। लंबे समय तक यदि घर में रहना पड़ा तो दुकानदारों को परेशानी हो सकती है। क्योंकि उनकी रोटी रोजी का साधन दुकान ही तो हैं।
  दुकानें खुलते ही ग्राहकों की भारी भीड़ देखने को मिली। दुकानों पर भी कई कई दुकान दुकानदार और ग्राहक नजर आए जिन्होंने अधिकांश ने मास्क तक भी नहीं पहन रखा था। वही बाइकों पर दो-दो सवार नजर आए जिनमें से बहुत कम ने मास्क पहन रखा था। जहां रोडवेज बस एवं निजी बस से पूर्णतया बंद रही वहीं रेलवे स्टेशन भी सुनसान नजर आया। पार्क में भी पुलिस ने लोगों को बैठने नहीं दिया वहीं आसपास क्षेत्रों में कहीं भी भीड़ नजर नहीं आई।
किसान अपने खेतों में त्वरित गति से लावणी करते नजर आए। ऐसा लगा कि उन्हें तो इस रोग के खौफ के बारे में कुछ ज्ञान तक नहीं है। स्कूलों में मिड डे मील का राशन बांटने के लिए शिक्षकों को आना पढ़ रहा है वही बैंक डाकघर आदि खुले रहे। बैंकों में भी सैनिटाइजर रखे हुए थे जहां हाथ साफ करके निश्चित दूरी पर खड़े होकर ही बैंकों में पैसों का लेनदेन करने दिया। बैंकों का समय प्रात: दस से शाम दो बजे तक रखा गया है।
यह पहला अवसर है जब किसानों की फसल कटाई का समय चल रहा है वही महामारी का प्रकोप भी चल रहा है। कर्मचारी, अधिकारी भी घरों में ही नजर आए। पुलिस जगह-जगह घूमती एवं लोगों को हिदायत देती नजर आई वहीं सामाजिक कार्यकर्ता भी लोगों को रोग के प्रति जागरूक करते नजर आए।
 फोटो कैप्शन 8 एवं 9: सुनसान सड़क
10: कैरम बोर्ड पर समय बिताते दुकानदार।


कोरोना की भेंट चढ़ गई मंगलवार की जांच 

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 कनीना। दी महेंद्रगढ़ केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड महेंद्रगढ़ के मेंजहां पद का दुरुपयोग व बैंक को चूना लगाने संबंधित मामला विगत वर्ष उजागर हुआ था जिसकी जांच पर जांच चल रही हैं। 24 मार्च को जांच की जानी थी किंतु वह भी कोरोना की भेंट चढ़ गई है।
 शिकायतकर्ता अशोक वर्मा ने पत्र दिखाते हुए बताया कि उनकी शिकायत की जांच 24 मार्च करने सहायक रजिस्ट्रार सहकारी समिति महेंद्रगढ़ द्वारा लघु सचिवालय कमरा नंबर 210 में की जानी थी किंतु अधिकारी नहीं पहुंचे। जब उन्होंने जांच अधिकारी से फोन पर संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि कोविड-19 के चलते यह जांच नहीं हो पाएगी। अब भविष्य में जांच की नई तारीख मुकर्रर की जाएगी।
 उल्लेखनीय है कि महेंद्रगढ़ सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक में वर्ष 2013 से अब तक करोड़ों रुपए के घोटाले की जांच पूर्ण किए जाने और अभी तक मामले में संलिप्त को दोषी करार नहीं दिए जाने के चलते सीएम विंडो में शिकायतकर्ता अशोक वर्मा ने अब संपूर्ण मसले की उच्च स्तरीय जांच करवाने की मांग की थी।
 यहां उन्होंने जारी बयान में कहा कि अभी तक इस मसले को लीपापोती चल रही हैं। जांच अधिकारी आते हैं और लीपापोती कर जाते हैं। जाते हैं। वर्ष 2019 से लगातार शिकायत पर शिकायत करने के बावजूद भी महज एक बार चंडीगढ़ से अधिकारी जांच के लिए आए हैं। श्री   वर्मा ने बताया कि अब जांच पर जांच जारी है।


सरकारी आदेशों का बैंक उड़ा रहा है बैंक मजाक

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 कनीना। एक और जहां सरकार द्वारा सरकारी एवं निजी बैंकों का समय प्रात: दस बजे से शाम दो बजे तक का रखा हुआ है वहीं कुछ बैंक एक बैंक सांय दो बजे बजे बाद तक भी काम ले रहा है।
कनीना के अशोक कुमार, रवि कुमार, दिनेश कुमार आदि ने बताया कि जहां एक बैंक तो कर्मचारियों को सांय दो बजे बाद तक भी कर्मियों को बुला रहा है। उन्होंने रोष जताते हुए उच्चाधिकारियों के संबंध में शिकायत की है ।उन्होंने कहा कि सरकारी आदेशों का उल्लंघन है वही कोरोनावायरस के डर से जितना आदेश है उतना ही काम लिया जाना चाहिए लेकिन  बैंक के अधिकारियों की हठधर्मिता के चलते कर्मचारी परेशान है। उन्होंने इस प्रकार बैंक जो प्रात: दस बजे से सांय दो बजे के बाद भी कर्मियों को बुलाते हैं, के विरुद्ध जांच कर कार्रवाई करने की मांग की है।


मिड डे मील को लेकर के शिक्षक बेहद परेशान

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 कनीना। एक और जहां सरकारी आदेशों के चलते शिक्षक ,अधिकारी एवं कर्मचारी अपने घरों में रहने का आदेश है और लाक डाउन हो चुका है किंतु शिक्षकों का स्कूलों में जाकर के मिड डे मील का राशन बांटना पड़ रहा है। शिक्षकों में रोष है वहीं अधिकारी मौन हैं।
 सरकारी शिक्षकों ने अपना नाम गुप्त रखते हुए बताया कि सरकार शिक्षकों के साथ अन्याय कर रही है तथा उन्हें जबरन मिड डे मील का राशन बच्चों के घर-घर पहुंचाने के लिए बाध्य कर रही है। स्कूल में तराजू तथा पैकिंग कर स्कूली बच्चों के घर घर जाकर उन्हें राशन दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक और शिक्षक अपना दायित्व निभाते हैं वही अब शिक्षकों द्वारा बच्चों के खाते में अवकाश के दौरान की राशि जमा करवानी है वहीं उन्हें मिड डे मील का राशन भी घर-घर पहुंचाना पड़ रहा है । कुछ विद्यार्थी घर में मिलते नहीं या दरवाजे नहीं खोलने की भी समस्या आ रही है। शिक्षक बेहद परेशान है। हरियाणा सरकार और शिक्षा विभाग के इस आदेश को लेकर के अध्यापकों में रोष है।  उनका कहना है कि जहां शिक्षकों को अवकाश के बाद यह कार्य सौंपा जाए तो ठीक होता वे विद्यार्थियों को राशन और राशि का भुगतान कर सकते हैं किंतु उनसे यह कार्य ऐसे समय में करवाया जा रहा है जब महामारी का प्रकोप है। उन्होंने सीएम हरियाणा से मांग की है कि इस मामले की सघनता से जांच करवाई जाए और किसी भी अध्यापक को इस प्रकार का कार्य अवकाश और महामारी के दिनों में न करवाया जाए।





मास्क की कालाबाजारी न करने की सख्त हिदायत 

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 कनीना। मंगलवार को कनीना के विभिन्न मेडिकल स्टोर पर एचआई शीशराम तथा फूड सप्लाई इंस्पेक्टर ध्यानचंद ने जाकर मास्क का स्टाक जांचा। कुल 1270 मास्क और तीन सेनिटाइजर विभिन्न दुकानों पर मिले।
 मिली जानकारी अनुसार उपरोक्त अधिकारियों ने रेशम मेडिकल स्टोर, सुनील मेडिकल स्टोर, वैष्णवी मेडिकल स्टोर, गेरा मेडिकल स्टोर, प्रवीन मेडिकल स्टोर, मनोज मेडिकल स्टोर पर मास्क की जानकारी हासिल की। सभी मेडिकल स्टोर पर महज तीन सेनिटाइजर हैं।
 ऐसे में उन्होंने मेडिकल स्टोर संचालकों को यह निर्धारित मूल्य पर ही मास्क बेचने के सख्त आदेश दिए हैं तथा ब्लैकमेल करते पाए गए तो उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की बात कही।  उल्लेखनीय है कि कनीना एवं आस पास की आबादी करीब 20000 हैं किंतु विभिन्न स्टोरों पर महज 1200 मास्क हैं।
 उल्लेखनीय है कि कस्बा के कई समाजसेवियों जिनमें चंद्रकांत प्रमुख है ने हजारों मास्क एवं सेनिटाइजर, दस्तानें आदि वितरित किए हैं। इसी प्रकार धनौंदा के युवाओं ने लोगों को जागरूक कर मास्क वितरित किए हैं। यही कारण है कि मास्क की अधिक जरूरत नहीं समझी जा रही है।
फोटो कैप्शन 11: मास्क की जानकारी लेते अधिकारी।


मास्क के साथ किया जा रहा है मजाक 

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कनीना। हालांकि समाजसेवियों द्वारा झुग्गी झोपडिय़ों में मास्क वितरित किए जहां बच्चों ने बढ़-चढ़कर मास्क लिए। ये बच्चे मास्क  को भी खिलौना समझ कर खेलते नजर आए। वहीं दुकानों पर बगैर मास्क लगाए भी दुकानदार बैठे देखे गए। वाहनों पर भी बगैर मास्क लगाए लोग घूमते देखे गए। पुलिस प्रशासन सख्ती नहीं बरत रही यही कारण भविष्य में खतरा बन सकता है।
 मिली जानकारी अनुसार समाजसेवियों एवं संस्थाओं ने भारी संख्या में लोगों तक मास्क उपलब्ध करवाए हैं और ये मास्क बांटकर उन्होंने सराहनीय कार्य किया है जिसकी और प्रशंसा हो रही है किंतु झुग्गी झोपडिय़ों के बच्चे तो इस मास्क को खिलौना समझ कर एक दूसरे का मास्क अदल बदलकर प्रयोग करते देख रहे हैं जिसमें अगर कोई रोगी हुआ तो खतरा बढ़ सकता है। यही नहीं उनको मास्क कैसे रखा जाए इसकी जानकारी भी उपलब्ध नहीं है जिसके चलते बड़ा खतरा उत्पन्न होने की संभावना बन सकती है। अलग-अलग प्रकार के मास्क क्षेत्र में लगाकर लोग घूम रहे हैं और मास्क का कुछ को तो यही नहीं पता कि उल्टा और सीधा कौन सा है? कई बार तो जन उल्टा मास्क लगाए देखे गए। उन्हें यह मालूम नहीं है कि मास्क का बाहर का भाग रोगाणु युक्त हो सकता है ऐसे में उसे उल्टा कर प्रयोग नहीं करना चाहिए। कुछ तो दिखावे के लिए मास्क जेब में रखते हैं। उन्हें कैसे सैनिटाइज किया जाए और किस प्रकार प्रयोग किया जाए इसका भी ज्ञान नहीं है? यही नहीं क्षेत्र के किसान एवं  मजदूर आदि भारी संख्या में इधर-उधर घूमते देखे गए। अधिकांश के मुंह पर मास्क नहीं थे। दुकानदार भी मास्क लगाए बगैर सामान वितरित कर रहे थे। ऐसे में यदि सख्ती बरती जाए तो सभी दुकानदार मास्क पहने होने चाहिए वही मोटरसाइकिल तथा अन्य वाहन चालकों के मुंह पर मास्क लगे होने चाहिए। मांस को प्रयोग करने की संपूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाई जानी चाहिए कि मास्क को कैसे नष्ट किया जाए?


मास्क को अदल बदलकर प्रयोग नहीं करना चाहिए

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कनीना। मास्क के प्रयोग करने के बारे में डॉ रजनीश सिविल अस्पताल ने कहा कि मास्क के बाहरी ओर वायरस चिपक सकते हैं ऐसे में उसे उल्टा करके कभी भी प्रयोग नहीं करना चाहिए। वही मास्क को अदल बदल कर प्रयोग करना बहुत हानिकारक साबित हो सकता है।
उन्होंने कहा कि किसान जो दूरदराज खेतों में काम करते हैं उन्हें भी सावधानी बरतनी चाहिए। उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में बताया कि तापमान का इस कोरोना वायरस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। इराक ईरान में अधिक ताप होते हुए भी वहां पॉजिटिव केस पाए गए हैं। अभी तक डब्ल्यूएचओ की तरफ से भी कोई ऐसी जानकारी नहीं है कि ताप के कारण कोरोना मर जाता है। उन्होंने माना कि कुछ घंटों के बाद जरूर पड़ा हुआ मर जाता है। उन्होंने बताया मास्क दो प्रकार के होते हैं। मास्क एक ही व्यक्ति को प्रयोग करना है, दूसरे व्यक्ति का भूलकर भी मास्क प्रयोग न करें। उसे समाप्त कर देना चाहिए।
उन्होंने बताया कि या तो दूर कहीं जला देना चाहिए या भूमि में दबा देना चाहिए। पशु आदि खा जाए तो भी समस्या बन सकती है। अस्पतालों में इसे नष्ट करने की सुविधा अलग से दी गई है। उन्होंने बताया कि मास्क तीन पर्तों वाला सबसे बेहतर माना जाता है। वैसे तो वायरस का आकार नेनोमीटर में पाया जाता है जो कि इतने छोटे होते हैं कि मास्क के अंदर प्रवेश कर सकते हैं। ऐसे में तीन तलाक प्रयोग करें तो ज्यादा बेहतर होगा।
 उन्होंने कहा कि बचाव में ही बचाव है। रोग से बच कर रहना चाहिए। बार-बार हाथों को साफ करना चाहिए, दरवाजे एवं खिड़कियों को भी साफ करना चाहिए और जहां तक हो सके एक दूसरे से दूरी बनाकर रखें। उन्होंने कहा कि दूसरे देशों से अगर कोई आता है तो उसके पास न आए।


लोक डाउन का समाचार सुन रही मंडी में  एवं बाजार में अफरा-तफरी 

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 कनीना। हरियाणा सरकार द्वारा जिला महेंद्रगढ़ में भी 31 मार्च तक लोक डाउन करने का समाचार सुनकर कनीना बस स्टैंड ,कनीना मंडी तथा बाजार में भारी अफरातफरी रही। यद्यपि प्रशासन और सरकार ने आवश्यक सेवाएं जारी रखने का संदेश दे रही है किंतु लोग इतने भयभीत नजर आए कि एक एक महीने का सामान खरीद कर अपनी कार एवं दुपहिया वाहन  आदि से घर पहुंचा रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसे कई महीनों के लिए घर में कैद हो जाएंगे। जिस किसी को भी देखा जाए कोरोनावायरस और लोक डाउन की बात कर रहा था। अनपढ़ लोग जिन्हें लोक डाउन का अर्थ सही समझ नहीं आता किंतु बस सामान रखकर खुश नजर आ रहा था और लोक डाउन की बात कर रहा था। सब्जी की दुकान पर भारी भीड़ थी वही परचून की दुकानों पर तो लंबी लंबी कतार देखी गई। रात के 9:15 बजे तक भारी भीड़ दुकानों पर देखी गई। दुकानदारों ने भी अपनी दुकानें खुली रखी।
24 मार्च को अमावस्या है अमावस्या के दिन सब्जी और फलों की दुकान वैसे ही बंद रहती है। ऐसे में दुकानदार सब्जी और फल विक्रेता अपनी सारी सब्जी और फलों को बेचना चाह रहे थे क्योंकि एक दिन का अवकाश रहेगा तब तक उनके फल सब्जी सड़ जाएंगे। मंडी तथा बाजार में महिलाओं सहित बच्चे तथा पुरुष भारी संख्या में मौजूद थे। पहली बार किसान भी भारी संख्या में खरीददारी करते देखे गए। कनीना प्रशासन की ओर से वाहन पर मुनादी करवा दी गई।
फोटो कैप्शन 1 से 4: कनीना अनाज मंडी बाजार, बस स्टैंड पर देर रात तक भारी भीड़ का नजारा।


शहीदे आजम भगत सिंह सहित शहीदों को याद किया

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कनीना। कनीना के नताजी मेमोरियल क्लब में कनीना के लोगों द्वारा सभी शहीदों को शहीद स्मारक पर जाकर याद किया और उन्हें पुष्प अर्पित किए। इस मौके पर अध्यक्षता महेश बोहरा ने की। कोरोना वायरस के चक्कर में शहीदों को अधिकांश लोग भूल गए।
 महेश बोहरा ने इस मौके पर कहा कि शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ऐसे क्रांतिकारी थे जिन्होंने भारत को आजाद होने में मुख्य भूमिका निभाई थी। इनके बलिदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। इनको 23 मार्च 1931 की रात को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को अंग्रेजों द्वारा फांसी पर लटका दिया गया था। इस दिन को हर वर्ष शहीद दिवस के रूप में मनाते हैं।
भगत सिंह के विषय में उन्होंने कहा कि  8 वर्ष की छोटी उम्र में ही वह भारत की आजादी के बारे में सोचने लगे थे और 15 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपना घर छोड़ दिया था। माता-पिता ने जब उनकी शादी करवानी चाही तो वे कानपुर चले गए। भगत सिंह ने अंग्रेजों से कहा था कि फांसी के बदले मुझे गोली मार देनी चाहिए लेकिन अंग्रेजों ने इसे नहीं माना। इसका उल्लेख उन्होंने अपने अंतिम पत्र में किया है। उन्होंने जेल में 116 दिनों तक उपवास किया था। इस दौरान वे अपने सभी काम नियमित रूप से करते थे, जैसे- गायन, किताबें पढऩा, लेखन, प्रतिदिन कोर्ट आना, इत्यादि।
जब उसकी मां जेल में उनसे मिलने आई थी तो भगत सिंह जोरों से हंस पड़े थे। यह देखकर जेल के अधिकारी भौचक्के रह गए कि यह कैसा व्यक्ति है जो मौत के इतने करीब होने के बावजूद खुले दिल से हंस रहा है।
  इस मौके पर मुख्याध्यापक सुरेंद्र यादव ने राजगुरु एवं सुखदेव के जीवन से जुड़े कुछ पहलुओं पर प्रकाश डाला और कहा कि तीनों की बदौलत ही देश ने आजादी पाई है। इस मौके पर मास्टर सुरेंद्र सिंह, महेश कुमार इंजीनियर,  युवा नेता राजकुमार, गोविंद यादव, शिव कुमार, सतपाल सेहलंगिया, सतीश कुमार, श्यामसुंदर महाशय, सोनू सिंगला, देशराज, मुकेश सेठ सहित कई गणमान्य जनों ने पुष्प अर्पित किए।


समाजसेवी ने बांटे एक हजार मास्क एवं सेनिटाइजर

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कनीना। देश में कोरोना के प्रकोप के बढऩे के बाद कुछ संस्थाएं जनता को जागरूक कर रही हैं वहीं कुछ समाजसेवी अब आगे आ रहे हैं। समाजसेवी चंद्रकांत ने न केवल मास्क अपितु सेनिटाइजर एवं दस्ताने भी झुग्गी झोपडिय़ों के अतिरिक्त पावर हाउस, पुलिस चौकी तथा कई अन्य स्थानों पर वितरित किए हैं।
 कोरोना वायरस से बचाव को लेकर सामाजिक सरोकारों के तहत क्षेत्र के आस-पास के लोगों से मास्क लगाकर जागरूकता अपील की गई। यह जागरूकता अपील चंद्रकात कनीना, सुशील कुमार एवं सचिव इंद्रजीत शर्मा, कंवरसेन वशिष्ठ, योगेश अग्रवाल, हरीराम मित्तल इस काम में आगे आ रहे हैं।
समाजसेवी चंद्रकांत ने पावर हाउस एवं झुग्गी झोपडिय़ों में मास्क बांटते हुए कहा कि कि कोरोना वायरस को लेकर लोग ज्यादा पैनिक ना हो। चिकित्सा विभाग की ओर से जारी सावधानियां बरतते हुए वायरस से बचने की कोशिश करें। कोरोना वायरस आज विश्व भर में चिंता का विषय बना हुआ हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कोरोना वायरस को लेकर वैश्विक चेतावनी भी जारी की हुई हैं। अभी तक इस संक्रमण का उपचार नहीं मिल पाया है। डर सबसे बड़ी बीमारी है और अफवाह उससे भी बड़ी। उन्होंने अफवाह न फैलाने एवं अफवाहों में ध्यान न देने की अपील भी की।
भारत विकास परिषद के विभिन्न पदाधिकारियों ने भी कस्बा में एक जागरूकता अभियान चलाया। इससे उन्होंने इस वायरस से बचने के उपाय बताए।
 इस मौके परसतीश जेलदार पालिका प्रधान, राव मोहर सिंह, कृष्ण प्रकाश, कृष्ण सिंह आदि ने भी जमकर लोगों को जागरूक किया।
फोटो कैप्शन 6 एवं 7: मास्क, सेनिटाइजर, दस्ताने चंद्रकांत एवं उनके साथी पावर हाउस एवं झुग्गी झोपडिय़ों में बांटते हुए।





जनता कफ्र्यू के बाद फिर जुटे लावणी में
-भारी संख्या में दूसरे प्रदेशों से लावणी को आए हैं, लोकडाउन के बाद कटाई में तेजी

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कनीना। रविवार को जनता कफ्र्यू के दिन अधिकांश किसान अपने घर पर रहे वहीं अधिकांश मजदूरों ने भी आराम करने के बाद एक बार फिर से त्वरित गति से लावणी की। अब लोकडाउन हो गया है किंतु  किसान अपनी सरसों की कटाई में पूरे वेग से जुटे हुए हैं। किसान अपने पूरे परिवार सहित या फिर मजदूरों से लावणी करवा रहे हैं। भारी संख्या में दूसरे प्रदेशों से मजदूर लावणी करने के लिए आए हुए हैं। एक अनुमान है कि कनीना एवं आस पास करीब पांच हजार मजदूर मजदूरी करने आया हुआ है। उनका पूरा परिवार लावणी करके जाता है।
  अब तो मजदूरों को वापस जाने के लिए ट्रेन नहीं होने से जब तक लाक डाउन समाप्त न हो जाएगा तब तक उन्हें यही रहना पड़ेगा। अभी सरसों के बाद गेहूं की लावणी भी की जानी है।
   दूसरे प्रांतों से आए मजदूर अब गेहूं की लावणी करने के लिए भी तैयार हैं परंतु अभी गेहूं की लावणी में थोड़ा समय बाकी है। मजदूर किसानों के खेतों पर ही निवास करते हैं और ग्रुप के रूप में मिलते हैं जो मिलकर जल्दी ही लावणी का काम पूरा कर देते हैं।
  दूसरे प्रदेशों से आए मजदूर कोरोना वायरस से बेखबर हैं वहीं उन्हें बस लावणी दिखाई पड़ रही है। कोरोना वायरस के चलते किसान भी परेशान हैं। वे घर आने की बजाय अपने खेतों में काम करना चाहते हैं ताकि कोरोना रोग से बच सके।
उधर धीरे धीरे ताप बढ़ता ही जा रहा है जिससे कीट अधिक हो गए हैं वहीं माना जा रहा है कि कोरोना वायरस भी मर जाएगा। इस बार किसानों ने अभी तक फसल पैदावार अपने घर पर डालने की जल्दी है।
फोटो कैप्शन 8 से 10:सरसों की लावणी करते किसान।



कोरोना के खिलाफ सड़कों पर उतरे युवा, मुफ्त में बांटे मास्क 

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कनीना। कोराना वायरस का संक्रमण दुनियाभर में फैल चुका है। इसका असर भारत में भी देखने को मिल रहा है।  दुनिया भर के डॉक्टर कोरोना वायरस का इलाज खोजने में लगे हैं।
वहीं कनीना के धनौंदा में युवा संगठन की टोली ने इसे लेकर एक अनोखी मुहिम शुरू की है ताकि यहां के लोगों को वायरस से सावधान किया जाए। कोरोना के खिलाफ सड़कों पर उतरे इन युवाओं की टोली ने ने लोगों को कोरोना के लिए जागरूक करने के लिए एक मुहिम शुरू की जिसमें गली मुहल्ले के हर उम्र के लोगों को मास्क, सेनिटाइजर बांटा जा रहा है। इसमें इन युवाओं  ने साबुन व सेनिटाइजर का इस्तेमाल कैसे करें, बुजुर्गों को माउथ मास्क पहनने के बारे में जानकारी दी।
धनोंदा के युवा संगठन  की टोली ने कोरोना वायरस से सतर्क रहने की अपील आम जनता से की है। इस टोली ने गांव का भ्रमण किया और आम जनमानस से आग्रह किया कि कोरोना वायरस से डरना नहीं है, बल्कि सजग और सावधान रहना है। टोली के सदस्यों द्वारा आम जन को समझाते हुए बार बार हाथ धोएं, सर्दी खांसी बुखार होने पर तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें, भीड़ वाले स्थान पर जाने से बचें ,फेस मास्क का प्रयोग करें, ताजा गर्म भोजन ग्रहण करें।
संगठन सदस्यों द्वारा साथ में ले कर चल रहे सेनिटाइजर की कुछ-कुछ बूंदे बच्चों, बड़े बुजुर्गों के हाथों में टपकाकर उन्हें साफ सफाई रखने का संदेश भी दिया। वहीं भारतीय संस्कृति के अनुसार जीवन शैली को ध्यान में रखते हुए हाथ मिलाने के बदले नमस्कार करने की हिदायत दी। इस मुहिम में अमित,रवि ,राहुल,बबलू, कवि ,आशिष, दीपक,रोनी
,अर्जुन,संदीप,अभि,सुभाष,सोनू,हरचन्दा,शिब्बू ,दीपक आदि का सहयोग रहा।
फोटो कैप्शन 11: धनौंदा के युवा मास्क बांटकर लोगों को जागरूक करते हुए।


कोरोना राहत कोष में देंगे 1 महीने का वेतन 

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 कनीना। मुख्यमंत्री हरियाणा मनोहर लाल खट्टर द्वारा शुरू किए गए कोरोना राहत कोष में कनीना नगरपालिका के मनोनीत पार्षद मोहन कुमार एवं नरेश शर्मा कोरोना राहत कोष में अपने 1-1 महीने का वेतन देंगे। उन्होंने यहां बताया कि कोरोना के चलते जिन लोगों को धन की जरूरत है उनके लिए यह राशि काम आएगी। उन्होंने बताया करीब 9000 रुपये दोनों का 1 महीने का वेतन बनता है जिसे पूर्ण रूप से राहत कोष में देंगे। उन्होंने कहा कि वेचाहते हैं कि कोरोना को भारत देश से पूर्णतया उखाड़ फेंका जाए।
 फोटो कैप्शन: नरेश शर्मा मोहन पार्षद


खराब
राशन वितरण पर रोष
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कनीना।  उच्चत में डिपो धारक द्वारा खराब राशन वितरित किए जाने की वजह से गांव के बीपीएल राशन उपभोक्ताओं में भारी रोष व्याप्त है। उन्होंने मामले की जांच की मांग की है।
उच्चत के राजकुमार, हवा सिंह, देवेंद्र, रामपाल, रामचंद्र, निर्मला देवी, हरिओम, मुंशीराम, कमला, राजकुमार आदि ने बताया कि डिपो धारक के द्वारा गांव में गला सड़ा व खराब गेहूं वितरित किया जा रहा है। ग्रामीणों ने कहा कि लिखित में शिकायत देकर अवगत करवाने के बाद भी उनकी समस्या का कोई समाधान नहीं किया जा रहा है। एक तरफ तो कोरोना वायरस की वजह से पूरा प्रदेश बंद है। वहीं राशन डिपो धारक द्वारा सही अनाज न दिए जाने की वजह से लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
इस संबंध में सरंपच महावीर ने बताया कि राशन वितरण में खराब रोशन को लेकर उनके पास अनेकों बार शिकायत आ चुकी है। जिस संबंध में उन्होंने लिखित में उच्च अधिकारियों को भी शिकायत देकर अवगत करवा दिया था। उधर डिपोधारक ईश्वर का कहना है कि विभाग से ही उनके पास खराब गेहूं भेजा रहा है। इस संबंध में उन्होंने विभाग के अधिकारियों को भी अवगत करवा दिया था।

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