कनीना बस स्टैंड पर एक व्यक्ति की कटी जेब 20 हजार रुपये गायब
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कनीना। कनीना बस स्टैंड पर जेब कतरे ने रंग दिखाते हुए एक यात्री की जेब काटकर 20 हजार रुपये गायब कर दिए।
मिली जानकारी के अनुसार पीडि़त अनिल कुमार निवासी महेन्द्रगढ़ ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि वह अपने निजी कार्य से कनीना आया हुआ था और जब वह अपना कार्य निपटा कर वापस महेन्द्रगढ़ जाने के लिए बस में बैठा तो पीछे से किसी महिला ने कहा कि भाई साहब एक लड़का आपकी जेब को तराश कर ले गया वहीं उन्होंने बस से उतरकर उसका पीछा किया तो वहा कुछ नहीं मिला। उन्हें पूरा शक है कि उनकी जेब उसी महिला ने तराशी है जिसने मुझे बताया था। वही पीडि़त ने पुलिस को शिकायत देकर सारे मामले से अवगत कराया है तथा समाचार लिखे जाने तक पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया था। अनिल ने यह भी बताया कि वह कनीना बस स्टैंड में चौकीदारी करके अपने बच्चों का पेट पाल रहा है।
मेले की तैयारियां पूर्ण, शुक्रवार को लगेंगे मेले
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कनीना। छह मार्च को कनीना का प्रदेश भर में विख्यात संत शिरोमणि बाबा मोलडऩाथ का मेला भरने जा रहा है। संत शिरोमणि बाबा मोलडऩाथ को बालक नाथ, ओघड़ बाबा नाम से जाना जाता है वही कनीनावासी खेड़ा वाला नाम से भी जानते हैं। कनीना का कुल गुरु बाबा मोलडऩाथ है। बस स्टैंड के पास भरने वाले मेले की तैयारियां पूर्ण हो चुकी है। रंग रोगन किया जा चुका है। इस मेले में पूरे ही कस्बा के लोग शक्कर का प्रसाद अर्पित करते हैं ऊंट और घोडिय़ों की दौड़ पूरे प्रदेश में विख्यात है। विक्रमी संवत 2006 में संत शिरोमणि बाबा मोलडऩाथ ने सिरसवाला जोहड़ में समाधि लगाई थी और वे स्वस्थ होकर समाधिस्थ तो गए थे। उनकी याद में हर वर्ष यहां भारी भीड़ जुटती है और मेला लगता है। अब तो कनीना का बाबा मोलडऩाथ आश्रम श्रद्धा एवं भक्ति का आश्रम बन गया है। इसके आसपास कम से कम एक दर्जन अन्य मंदिर स्थापित हो गए हैं जिसके चलते यह दर्शनीय स्थल भी बन गया है। इसी स्थान पर छह मार्च को शक्कर मेला लगने जा रहा है। कबड्डी तथा ऊंट घोड़ों की दौड़ के अलावा यहां दंगल भी आयोजित होते हैं। यह मेला कनीना के पूर्वजों ने चलाया था जो आज भी चला आ रहा है।
बाबा मोलडऩाथ बाल साधु एंव तपस्वी थे। बाबा को अपनी आंखों से देखने वाले अनेकों व्यक्ति जीवित हैं। प्रत्यक्षदर्शियों अनुसार जहां आज मन्दिर है वहां कभी विशालकाय जाल का वृक्ष था और पास में विशाल जंगल था। तपस्वी ने विशाल जाल के नीचे ही अपना निवास एवं तप स्थल बनाया। जब से उन्होंने यहां पदार्पण किया तभी से किसी प्रकार के रोग तथा आपदायें नहीं आई।
बताया जाता है कि हैजे के रोग तथा ओलावृष्टि को भगाने की शक्ति थी। यही कारण है कि आज की भी ये रोग फैलने की आशंका होती है तो उन्हीं का नाम श्रद्धा से लिया जाता है। बाबा उस वक्त विचरने वाले गीदड़ों तथा मोरों को चुग्गा देतेे थे। विक्रमी सवंत 2006 में बाबा ने ठण्डे पानी की समाधि लगायी। कई घण्टे पानी में रहने के कारण उन्हें ठंड लग गई और वे अस्वस्थ रहने लगे। फाल्गुन एकादशी को उन्होंने चोला त्याग दिया। चोला त्यागने से पूर्व उन्होंने इच्छा जाहिर की थी कि जिस भी अवस्था में प्राण त्यागे जाये उसी अवस्था में दफनाना। पूरे कस्बा में बाबा की झांकियां निकाली और मन्दिर स्थल पर दफनाया गया। तभी से उन्हीं की याद में प्रत्येक वर्ष फाल्गुन एकादशी को विशाल मेला लगाता है। बाबा मोलडऩाथ जिन्हें बालकनाथ नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने मांदी, कांवी भोजावास, रोड़वाल, मानसरोवर, नीमराणा आदि स्थानों पर भी तप किया किंतु उनका प्रमुख स्थल कनीना में ही है।
फोटो कैप्शन 5: कनीना का संत शिरोमणि बाबा मोलडऩाथ आश्रम का नजारा।
बेरों में नाम कमाया है महाबीर करीरा ने
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कनीना। करीरा गांव के किसान महावीर सिंह कई वर्षों से बेर पैदा करके क्षेत्र में नाम कमा रहे हैं और दूसरे किसानों को भी बेरी के पेड़ लगाने की सलाह दे रहे हैं। गरीबों के सेब के लिए प्रसिद्ध बेर विभिन्न मेलों में भी उपलब्ध हो रहे हैं। मोलडऩाथ मेले में भी उनके बेर नजर आएंगे।
करीरा गांव का किसान महावीर सिंह यूं तो ब्लाक स्तर किसान पुरस्कार प्राप्त कर चुका है किंतु उनके कृषि के प्रति रुझान को देखा जाए तो लगता है कि उनकी सोच किसी राष्ट्रीय स्तर पर काम करने वाले किसान से कम नहीं है। केंचुआ पालन, प्याज, लहसुन आदि का स्टोर रूम स्थापित करके तथा खेत में कई फसलें एक साथ पैदा करके अर्थात मिश्रित खेती करके नाम कमाया है।
विगत वर्ष की भांति उन्होंने 60 से 80 ग्रामा तक का एक-एक बेर पैदा किया है। अपने खेत में करीब 75 बेरी के पेड़ लगा रखे हैं जिनसे लाखों रुपये की आय प्राप्त कर रहे हैं। सर्दी अगर कम पड़े तो बेर बेहतर पैदावार देते हैं। कनीना के प्रसिद्ध बाबा मोलडऩाथ मेला हो या कृषि प्रदर्शनी महावीर किसान के बेरों की चर्चाएं चलती रहती हैं।
क्या कहते हैं महावीर किसान--
किसान महावीर का कहना है कि किसानी का काम अब घाटे का सौदा बनता जा रहा है। इस घाटे से उभारने के लिए खेत में बागवानी की ओर तथा कैश क्राप की ओर रुझान पैदा करके बेहतर आय ले सकते हैं।
क्या कहते हैं कृषि अधिकारी-
कृषि अधिकारी डा देवेंद्र कुमार एडीओ का कहना है कि बेर महेंद्रगढ़ जिला की भूमि पर बेहतर पैदावार दे सकता है। यदि बेर का उत्पादन किया जाए तो किसान इस कैश क्राप से बेहतर आय ले सकते हैं।
फोटो कैप्शन 6 एवं 7: करीरा गांव का किसान महावीर सिंह बेरी के बेर दिखाते हुए।
500 भक्तों का दल खाटू धाम जैतपुर रवाना
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कनीना। श्रीश्याम मित्र मंडल (रजिस्टर्ड) कनीना मंडी द्वारा जहां 29 फरवरी को छठा विशाल जागरण आयोजित करवाया था वहीं बुधवार को 500 खाटू भक्तों की पदयात्रा जैतपुर तक रवाना की जिसमें 350 भक्त निशान लेकर जयकारे लगाते हुए आगे बढ़े।
विस्तृत जानकारी देते हुए श्रीश्याम मित्र मंडल के प्रधान अनिल गर्ग ने बताया कि 29 फरवरी को कनीना मंडी में विशाल जागरण आयोजित किया गया था वहीं बुधवार को श्याम मंदिर कनीना से जैतपुर धाम तक की पदयात्रा रवाना हुई। पदयात्रा की अध्यक्षता रविंद्र बंसल कर रहे हैं। वहीं दूसरी पदयात्रा छह मार्च को कनीना मंडी के राधाकृष्ण मंदिर से श्रीश्याम मंदिर कनीना तक पहुंचेगी।
जैतपुर धाम-कनीना से करीब 22 किमी दूर जैतपुर का खाटू श्याम मंदिर स्थित है जहां छह मार्च को बड़ा मेला लगने जा रहा है। इस मेले में भक्त निशान लेकर पहुंचते हैं और बाबा को अर्पित करते हैं। हर वर्ष हजारों की संख्या में भक्त जैतपुर जाते हैं। जो भक्त खाटू धाम राजस्थान नहीं पहुंच पाते हैं वे जैतपुर धाम जाते हैं। यात्रा में अनिल गर्ग प्रधान श्री श्याम मित्र मंडल, मुकेश सिंगला, प्रवक्ता सचिन शर्मा सहित सैकड़ों भक्त शामिल हुए।
खाटू श्याम मेला-
जैतपुर में छह मार्च को खाटू श्याम मेला लगने जा रहा है जिसमें अपार भीड़ जुटेगी। कलकत्ता तथा अलवर के शृंगारकर्ता प्रतिदिन ताजा फूलों से बाबा का शृंगार करते हैं। करीब 300 वर्ष पुराने इस श्याम मंदिर का वर्तमान में जीर्णोंद्धार करवाया गया है।
कनीना व आस पास के भक्त जैतपुर जाएंगे। 22 किमी के इस सफर में वे मोहनपुर, भोजावास, रातां से होकर प्रतापुर एवं जैतपुर पहुंचते हैं। इस पदयात्रा में उनके साथ जल एवं खाने पीने का सामान वाहन में साथ साथ चलता है। डीजे पर थिरकते पैर एवं रंग गुलाल में भीगे भक्त खुशी खुशी जैतपुर के लिए रवाना हो रहे हैं। भारी संख्या में भक्त आपने साथ अमर ज्योति लेकर जा रहे हैं। यह ज्योति भी जैतपुर धाम पर अर्पित की जा रही है।
फोटो कैप्शन 1: भक्त कनीना से जैतपुरा जाते हुए।
पहले राम ने मारा और अब भाव ने
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कनीना। कनीना क्षेत्र में मटर उगाने वाले किसान बेहद परेशान है। विगत दिनों जहां ओलावृष्टि से मटर की फसल को भारी नुकसान हुआ है वहीं आप मटर के भाव दिनोंदिन गिरते जा रहे हैं। सब्जी मंडी में मटर के भाव प्रतिदिन के होते हैं। यही कारण है कि अब 12 रुपये किलो मटर थोक में बिक रहे हैं।
किसान अजय कुमार, कांता देवी, गजराज सिंह आदि ने बताया कि उन्होंने करीब 2 एकड़ में मटर की खेती की है। विगत कई वर्षों से मटर की खेती करते आ रहे हैं इस बार मटर की खेती जब पकने लगी तब ओलावृष्टि हुई है। ओला जिस भी मटर की फली पर गिरा या छुआ है उसी फली के दाने नष्ट हो गए हैं। जहां फसल को भी ओलावृष्टि ने बाहरी नुकसान पहुंचाया है वहीं मटर की फसल में नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि में जहां 50 प्रतिशत तक नुकसान हो चुका है वहीं अब भाव गिर रहे हैं। विगत दिनों मटर के भाव 30 रुपये प्रति किलो थोक में होते थे किंतु अब धीरे-धीरे भाव घटते जा रहे हैं। उन्होंने विगत दिनों 19 रुपये
किलो मटर बेचे थे किंतु अब भाव गिरकर 12 रुपये किलो पहुंच गए हैं। उन्होंने बताया कि एक दिन तो 9 रुपये किलो मटर थोक में बेचने को मजबूर हो गए थे।
किसान अजय सिंह ने बताया कि 2 रुपये प्रति किला मटर तुड़ाई के लग जाते हैं वही दूरदराज सब्जी मंडी तक पहुंचाने में भी उनका किराया लगता है। यही कारण है कि मटर की खेती उनके लिए बेहतर साबित नहीं हो रही है। किसानों ने बताया कि क्षेत्र में सब्जी मंडी नहीं है। सब्जी मंडी 20 किलोमीटर दूर महेंद्रगढ़ या 35 किलोमीटर दूर रेवाड़ी में पड़ती है। यहां तक सब्जी को उठाकर बेचने के लिए ले जाना महंगा पड़ता है। उन्होंने बताया कि मटर की तुड़ाई,किराया निकालकर मटर के भाव 5 रुपये प्रति किलो रह जाते है।
उन्होंने बताया कि मजदूर भी मटर की तोड़ाई के लिए नहीं मिलते। ऊपर से भाव पाना भी कठिन है। उन्होंने मांग की है कि क्षेत्र में सब्जी मंडी स्थापित की जाए ताकि किसान सब्जी के बेहतर भाव ले सके।
किसान अजय कुमार ने बताया की मटर की खेती जहां उनके लिए लाभकारी साबित होती रही है वही इस बार बेहतर साबित नहीं हो रही है। इसे कैश क्राप नाम से जाना जाता है। यद्यपि सरकार की भावांतर भरपाई योजना के तहत भी मटर को शामिल है किंतु किसानों को उचित भाव नहीं मिल पा रहे हैं।
क्या कहते हैं जिला वानिकी अधिकारी-
जिला वानिकी अधिकारी मंदीप सिंह यादव का कहना है कि मटर कैश क्राप में शामिल है। इसे भावान्तर भरपाई योजना में भी शामिल किया हुआ है। यदि किसान को मटर के भाव 11 रुपये किलो से कम मिलते हैं तो सरकार उसके भाव की भरपाई करती है। ऐसे में किसानों को अगर नुकसान होने का अंदेशा है तो भावांतर भरपाई योजना में शामिल हो जाना चाहिए।
फोटो कैप्शन 2: किसान अजय कुमार मटर की तुडा़ई करवाते हुए।
20 एमएम हुई बारिश
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कनीना। विगत दिनों जहां ओलावृष्टि हुई वहीं बुधवार को रात 20 एमएम बारिा हुईजबकि विगगत दिनों 18 एम एम बारिा हुई थी। बारिश से किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें स्पष्ट नजर आई। पहले ही किसान सरसों एवं गेहूं की फसल में नुकसान से परेशान हैं ऊपर से फिर से बारिश आना उनके लिए समस्या बनता जा रहा है। वैसे भी कृषि विश्वविद्यालय हिसार द्वारा आगामी दिनों में बारिश और ओलावृष्टि की संभावना जता रखी है जिसको लेकर भी किसान अति चिंतित हैं। किसानों ने बताया कि बारिश की अब उन्हें जरूरत नहीं है। उनकी फसल पकान पर जा रही है। यहां तक की पकी फसल को होलिका दहन में भूनकर चखने की प्रथा भी यहां चली आ रही है। ऐसे में अब बारिश भी फसल के लिए अच्छी नहीं मानी जा रही है। केवल गेहूं की फसल के लिए बारिश अच्छी साबित हो सकती है।
रेड क्रास की मोबाइल वैन का किया स्वागत
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कनीना। हरियाणा रेडक्रास की जन कल्याणकारी गतिविधियों के बारे में जागरूक करने वाली मोबाइल वैन का महेंद्रगढ़ जिले में पहुंचने पर कनीना की सीमा पर स्वागत किया गया। कनीना से 3 किलोमीटर दूर कोसली मार्ग पर इस वैन का भव्य स्वागत किया गया।
इस अवसर पर अजमेर सिंह दांगी पूर्व प्रधान प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन कनीना, डा एसपी सिंह सचिव जिला रेडक्रास सोसायटी नारनौल, टेकचंद यादव डीओसी, विकास दहिया सीईडी आदि ने वैन के साथ चंडीगढ़ से पहुंचे लक्ष्मण सिंह तथा ओमप्रकाश का स्वागत किया गया। इस वैन को 28 फरवरी को हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य द्वारा राजभवन से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया था।
अजमेर सिंह दांगी ने बताया कि हरियाणा सरकार की रेडक्रास गतिविधियों के बारे में प्रदेश वासियों को यह टीम जागरूक करेगी। यह महेंद्रगढ़ जिले में 2 दिन रहेगी। टेकचंद यादव डिविजनल कमांडर सेंट जॉन ने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि 28 फरवरी को यह वैन राजभवन से चंडीगढ़ से रवाना हुई थी। तत्पश्चात 28 और 29 फरवरी को कुरुक्षेत्र में, 1 और 2 मार्च को रोहतक में, 3 और 4 को झज्जर में रेड क्रास की जानकारी देने के बाद 4 मार्च को जिला महेंद्रगढ़ में प्रवेश किया है। अब यह 6 मार्च ह्म्स्र महेंद्रगढ़ में रहेगी। तत्पश्चात 2 दिन रेवाड़ी, 2 दिन गुडगांवा में जागरूकता कार्यक्रम करने के पश्चात 9 मार्च को गुडग़ांव में यात्रा का समापन होगा। उन्होंने बताया कि तीन अलग-अलग मोबाइल वैन पूरे हरियाणा में घूम रही हैं और 34 विभिन्न प्रकार की रेड क्रास की गतिविधियों के बारे में लोगों को जानकारी देगी।
फोटो कैप्शन 3: रेड क्रास की वैन का स्वागत करते हुए अजमेर सिंह सहित विभिन्न जन।
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