Not sure how to add your code? Check our installation guidelines **KANINA KI AWAZ **कनीना की आवाज**: March 2021

Wednesday, March 31, 2021



 
कनीना के अंतिम स्वतंत्रता सेनानी प्रभाती लाल का निधन
- पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया अंतिम संस्कार
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 कनीना। कनीना मंडल के गांव करीरा निवासी प्रभाती लाल(95) स्वतंत्रता सेनानी का निधन हो गया। कनीना उपमंडल के अंतिम स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका अंतिम संस्कार करीरा गांव में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया। प्रशासन की ओर से उन्हें पुष्प चक्र अर्पित किया गया।
मिली जानकारी अनुसार जीवाराम करीरा निवासी किसान के यहां लगभग 1926 में प्रभातीलाल का जन्म हुआ। उनकी मां भूरी देवी उन्हें बड़े लाड़ प्यार से पाला किंतु वो उन्हें सेना में भर्ती करवाना चाहती थी।  बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे पढ़ाई-लिखाई अधिक न करने के कारण घर पर ही रहे किंतु देश की आजादी के लिए उनका जज्बा देखने लायक था।
उनके पुत्र शुभ राम व सुभाष चंद्र बताते हैं कि जब कभी देश की आजादी की बात चलती  तो जोश में आ जाते थे। यहां तक कि नेताजी ने जब आजाद हिंद फौज की स्थापना की तो उनका सपना था कि वे आजाद हिंद फौज में शामिल हो परंतु उस समय वे आजाद हिंद फौज में शामिल नहीं हो सके किंतु घर पर रहकर भारत की आजादी का सपना दिल में संजोकर लोगों को एकत्रित करते रहे और अंग्रेजों के विरुद्ध आंदोलन छेड़ते रहे। परिणामस्वरूप उन्हें अनेकों यातनाएं सहन करनी पड़ी। जब आजाद हिंद फौज की स्थापना की और आजादी के लिए संघर्ष चला उस समय कनीना क्षेत्र के करीब दो दर्जन अन्य साथियों के साहित्य जोर शोर से आजादी के नारे लगाए जिसके चलते उन्होंने अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया और बावल की जेल में भेज दिया। करीब छह माह की यातना झेलकर आने के बाद फिर से गांव में आकर आजजादी के नारे लगाने लगे और उन्हें फिर से अंग्रेजों ने पकड़कर पुन: नाभा जेल में डाल दिया। जेलों से छूटकर आने के बाद भी उनका जज्बा खत्म नहीं हुआ। यद्यपि नेताजी सुभाष चंद्र बोस का 1945 में निधन हो गया वह फूट-फूटकर रोए थे तथा उसके बाद भी जब कभी नेताजी की चर्चा चलती तो नेताजी को याद कर जोश में आ जाते थे।
उनके सहयोगी साथी कनीना के स्व बंशीधर गुप्ता स्वतंत्रता सेनानी, लुखी गांव के करीब दो दर्जन साथी भी थे जिन्होंने जी जान एक करके भारत की आजादी में अपना अमूल्य योगदान दिया। अब तक बचे हुए अंतिम स्वतंत्रता सेनानी थे किंतु उनका निधन होने से कनीना उपमंडल स्वतंत्रा सेनानियों से रिक्त हो गया हैं। वे अपने पीछे 3 लड़के जिनमें से दो जीवित हैं शुभ राम और सुभाषचंद्र पत्नी बादामी देवी, तीन पुत्रियां कविता, सुनीता, निर्मला, पौत्र पौत्रियों आदि को छोड़ गए हैं। पूरे राजकीय सम्मान के अंतिम संस्कार किया गया। बैंड बाजों और ढोल ताशों के बीच उनको श्मशानघाट तक ले जाया गया। इस मौके पर प्रशासन की ओर से एसडीएम कनीना दिनेश ने पुष्प चक्र अर्पित किया और अंतिम विदाई दी। इस मौके पर सीताराम, देशराज कोटिया, सरपंच राकेश कुमार, महिपाल सिंह, कालू करीरा, सेनानी का पुत्र शुभराम सहित गणमान्य जन उपस्थित थे। पुलिस ने सशस्त्र सलामी दी।
फोटो कैप्शन: प्रभातीलाल फाइल फोटो।
फोटो कैप्शन 14 से 17: स्वतंत्रता सेनानी को अंतिम विदाई देते हुए।






कवि-गीतकार डा सी एस वर्मा इंद्रधनुष साहित्य-सम्मान से विभूषित
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कनीना। साहित्य-संवर्धन एवं प्रचार-प्रसार के लिए ज्ञानोदय साहित्य संस्थान, कर्नाटक द्वारा साहित्य-संस्कृति मंच के संयोजक कवि-गीतकार डा छतर सिंह वर्मा प्रभाकर को इंद्रधनुष साहित्य-सम्मान से विभूषित किया गया । डॉ प्रभाकर को यह सम्मान,  ज्ञानोदय साहित्य संस्थान, कर्नाटक द्वारा मंगलुरु विश्वविद्यालय की एसोसिएट प्रोफेसर डा सुमा रोडनवर की अध्यक्षता में आयोजित आनलाइन काव्य-प्रतिभा एवं साहित्य-सम्मान समारोह में प्रदान किया गया । गांव गुजरवास निवासी डा छतर सिंह वर्मा प्रभाकर राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, कांटी में बतौर हिंदी प्राध्यापक सेवारत हैं ।
     उल्लेखनीय है कि शिक्षा-साहित्य एवं सामाजिक क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिए डा छतर सिंह वर्मा को  शिक्षा-रत्न,सूर्यकांत त्रिपाठी निराला साहित्य-सम्मान ,शान-ए-भारत अवार्ड, लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड, जयहिंद ह्यूमैनिटी अवार्ड तथा लाइफ साइन अवार्ड इत्यादि पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है । ज्ञानोदय साहित्य संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा सुनील परीट, वरिष्ठ कवयित्री डा वसुधा कामत, डा बी निर्मला, डा इंदिरा गुप्ता यथार्थ, डा नेमीचन्द शांडिल्य, डा कीर्तिवर्धन, रामनारायण साहू, डा पल्लवी कुलकर्णी, डा लीना पेंढारकर सहित अनेक साहित्यिक विभूतियों ने डा प्रभाकर को बधाई संदेश प्रेषित किया है ।
फोटो कैप्शन 12: डा सीएस वर्मा को मिले सम्मान के साथ श्री वर्मा।




विजय कुमार शर्मा जवान का राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार
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कनीना। भारतीय सेना में कार्यरत दौगड़ा जाट के नायक सूबेदार विजय कुमार शर्मा का उनके पैतृक गांव में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। नायक सूबेदार विजय कुमार शर्मा लेह में ड्यूटी पर कार्यरत थे । 28 मार्च की सुबह जब अपने साथियों के साथ ऑपरेशन स्नो लेपर्ड में ड्यूटी पर थे तभी उनकी गाड़ी गहरी खाई में गिर गई । इस दुर्घटना के वक्त गाड़ी में 3 जवान सवार थे। जिसमें से 2 जवान मौके पर ही शहीद हो गए जबकि गाड़ी का ड्राइवर गंभीर रूप से घायल हो गया। लेह से पार्थिव शरीर के साथ आए नायब सूबेदार रणजीत सिंह ने बताया कि शहीद विजय कुमार शर्मा 603 ईएमई बटालियन में कार्यरत थे। 28 मार्च की सुबह जब वह पेट्रोलिंग पर थे तो अचानक उनकी गाड़ी नीचे गहरी खाई में गिर गई। विजय कुमार शर्मा ड्यूटी के दौरान बैटल कैजुअल्टी मे शहीद हो गए  
शहीद विजय कुमार शर्मा  लगभग 20 वर्ष सेना में रहे । इनके दो बच्चे हैं बड़ी लड़की है जो एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है। लड़का नौवीं कक्षा में पढ़ता है। शहीद विजय कुमार शर्मा को उनके बेटे ने मुखाग्नि दी। शहीद के अंतिम दर्शनों के लिए क्षेत्र से बड़ी संख्या में लोग शहीद के पैतृक गांव में पहुंचे और अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किया। गांव के युवाओं ने शहीद के सम्मान में बाइको पर सवार होकर तिरंगा यात्रा निकाली। प्रशासन की तरफ से भी शहीद के सम्मान में नायब तहसीलदार सतपाल सिंह ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। स्थानीय विधायक सीताराम यादव भी शहीद की अंतिम यात्रा में शामिल होने पहुंचे। सेना से सेवानिवृत्त क्षेत्र के अनेक पूर्व सैनिकों ने भी शहीद को अपना अंतिम सलाम किया। हिसार से आई सेना की चार मेकैनिज्म इन्फेंट्री सिख रेजीमेंट की टुकड़ी ने शहीद को गार्ड आफ आनर और शस्त्र सलामी दी।शहीद विजय कुमार शर्मा के पिता भी सेना से रिटायर्ड सूबेदार मेजर है। इसके अलावा इनके बड़े भाई भी सेना में सूबेदार के पद पर कार्यरत हैं। शहीद विजय कुमार शर्मा को दौंगड़ा अहीर चौकी इंचार्ज पवन कुमार अपने स्टाफ के साथ, गांव के सरपंच ओमप्रकाश शर्मा के अलावा आसपास के गांव के सरपंच,नंबरदार,राजकुमार यादव, जयप्रकाश  एसएचओ कनीना उमर मोहम्मद, चौकी इंचार्ज पवन कुमार, पवन, दिनेश, जगमाल सहित भारी संख्या में लोग शामिल हुए।
फोटो कैप्शन 1,3,4,5: शहीद विजय शर्मा से संबंधित हैं।



युवक ने खाई फांसी
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 कनीना। कनीना उपमंडल के गांव चेलावास के कुलदीप 37 ने अज्ञात कारणों के चलते फांसी लगा ली है। कनीना पुलिस के एसएचओ उमर मोहम्मद सहित पुलिस मौके पर पहुंच गई है।  अभी तक कारणों का पता नहीं लगा है। पोस्टमार्टम के लिए उनका शव महेंद्रगढ़ भेज दिया गया।



शहीद को दी भावभीनी अंतिम विदाई
-20 सालों से कर रहे थे सेवा

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 कनीना। दौंगड़ा जाट गांव के नायक सूबेदार विजय कुमार शर्मा  को उनके पैतृक गांव दौंगड़ा जाट में सम्मान सहित अंतिम विदाई दी गई। उनके पुत्र ने उन्हें मुखाग्नि दी। 28 मार्च को लेह, जम्मू कश्मीर में उनकी गाड़ी पलट जाने पर शहीद हो गए थे। उनका पार्थिव शरीर बुधवार  को गांव में गमगीन माहौल में लाया गया और अंतिम संस्कार किया गया।
 इस मौके पर पूरे गांव शहीद के नारों से गूंज उठा। 20 साल पहले ईएमई( इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियरिंग) में भर्ती हुए थे। वर्तमान में वे नायक सूबेदार पद पर कार्यरत थे। उनके पीछे एक पुत्र तथा एक पुत्री है तथा भरा पूरा परिवार है। पुत्र विशाल शर्मा 9वीं कक्षा का विद्यार्थी है जबकि पुत्री स्नेहा शर्मा एमबीबीएस कर रही है। विजय कुमार को अंतिम विदाई उनकी सेना के साथियों ने मातमी धुन बजाकर अंतिम विदाई दी।
मिली जानकारी अनुसार शहीद विजय कुमार शर्मा नायब सूबेदार पद पर कार्यरत थे और उनकी उम्र करीब 46 वर्ष थी। उनके पिता मोहन लाल शर्मा सेना से सूबेदार पद से रिटायर हुए हैं।
इस मौके पर नायब तहसीलदार कनीना सतपाल, विधायक अटेली सीताराम यादव, ओम प्रकाश शर्मा सरपंच, होशियार सिंह सरपंच प्रतिनिधि, राजकुमार यादव, जयप्रकाश  एसएचओ कनीना उमर मोहम्मद, चौकी इंचार्ज पवन कुमार, पवन, दिनेश, जगमाल सहित भारी संख्या में लोग शामिल हुए।
फोटो कैप्शन 1,3,4,5: शहीद विजय शर्मा से संबंधित हैं।

 

युवक ने खाई फांसी
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 कनीना।  कनीना उपमंडल के गांव चेलावास के कुलदीप 37 ने अज्ञात कारणों के चलते फांसी लगा ली है। कनीना पुलिस के एसएचओ उमर मोहम्मद सहित पुलिस मौके पर पहुंच गई है।  अभी तक कारणों का पता नहीं लगा है। पोस्टमार्टम के लिए उनका शव महेंद्रगढ़ भेज दिया गया।




त्वरित गति से दस्तक दे रही है गर्मी
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कनीना। गर्मी बढऩे से घरों, दफ्तरों, दुकानों में पंखों की गति बढ़ा दी गई है। एसी तथा कूलरों को साफ करने लगे हैं। गर्म कपड़ों की दुकानों से गर्म कपड़े सिमट चुक हैं और गर्मी के मौसम अनुसार कपड़े आने लगे हैं।
  वर्ष 2020 में जहां सर्दी का आगाज देर से हुआ और इस वर्ष तो गर्मी ने सभी रिकार्ड अभी से तोड़ दिये हैं।मंगलवार को तेल अंधड़ चलने के बाद बुधवार को फिर से गर्मी पडऩे लगी है। गर्मी दिन के समय पड़ती है परंतु रात को तापमान कम हो जाता है। गर्मी बढऩे से दिन के वक्त घरों, दफ्तरों एवं विभिन्न संस्थाओं में अब पंखे की हवा सुहाने लगी है। लोगों का मानना है कि मक्खी एवं मच्छरों से निजात पाने का एक तरीका पंखा भी है। जब तक पंखा चलता है तब तक मक्खी एवं मच्छरों से कुछ हद तक छुटकारा पाया जा सकता है।
   अब तक यही माना जा रहा था कि जिस प्रकार देर से सर्दी आई थी वैसे ही गर्मी आएगी परंतु गर्मी ने तेजी से दस्तक दी है। अब माना जा रहा है कि इस वर्ष अधिक गर्मी पड़ेगी। बहरहाल अभी से ही तपन महसूस की जाने लगी है और गर्मी के चलते फसल भी जल्दी लावणी आ चुकी है।




किसानों के इंतजार की घडिय़ां खत्म
-एक अप्रैल से 4650 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से होगी सरकारी खरीद
- ढाई लाख बैग उपलब्ध
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 कनीना। कनीना अनाज मंडी विगत 6 महीने से सुनसान पड़ी रहने के बाद फिर से हलचल बढ़ गई है। एक अप्रैल से सरकारी तौर पर सरसों की 4650 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीद होगी। खरीद के लिए कनीना क्षेत्र में महज कनीना मंडी ही एकमात्र केंद्र बनाया गया है। विस्तृत जानकारी देते हुए हैं हैफेड मैनेजर सतेंद्र यादव ने बताया कि हैफेड की ओर से
खरीद की जाएगी। ढाई लाख बैग बारदाना उपलब्ध है। करीब 32 आढ़तियों के जरिए सरसों की खरीद होगी जहां आढ़तियों द्वारा भराई, तुलाई आदि का कार्य उनके द्वारा लगाये गये मजदूर करेंगे
जबकि सरसों की उतरवाई ठेकेदारों की लेबर द्वारा करवाई जाएगी।
क्या करते आढ़ती-
आढ़ती ओम प्रकाश लिशानियां, रविंद्र बंसल आदि ने बताया कि करीब 32 आढ़ती सरसों की खरीद करेंगे। इसके लिए उन्होंने पहले ही लेबर को फोन किया हुआ है। एक या दो रोज में लेबर कनीना मंडी में भारी संख्या में उपलब्ध हो जाएगी।  फोटो कैप्शन 6: कनीना अनाज मंडी इंतजार करती सरसों का।



परीक्षा के भय से बचाएं अपने बच्चों को - सूर्यकांत यादव
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कनीना। परीक्षा के खौप से अपने बच्चों को बचाना चाहिए वरना परिणाम बेहतर नहीं होता है। ये विचार डाइट महेंद्र्रगढ़ के मनोवैज्ञानिक सूर्यकांत यादव ने यहां व्यक्त किये।
 उन्होंने कहा कि अप्रैल से हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी की परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं ऐसे में विद्यार्थियों को अभिभावक व अध्यापक दोनों की तरफ  से बेहतर रिजल्ट लाने का दबाव झेलना पड़ता है। अक्सर देखा गया है कि माता.पिता अपने बच्चे की दोस्तों या पड़ोसी के बच्चों से तुलना करते हैं। अभिभावकों द्वारा अपने बच्चों की दूसरे छात्रों के साथ तुलना करना थोड़ी देर के लिए भड़ास निकालने का जरिया हो सकता है। परंतु इस दबाव का असर छात्रों के वास्तविक जीवन पर बहुत ही गहराई से पड़ता है। साथी छात्रों की तुलना में कम अंक लाने वाले छात्र को जब अपनों का साथ नहीं मिलता तो वह डिप्रेशन से गुजरते हैं। वे खुद को दोषी व अयोग्य मानते हुए हीन.भावना आ जाती हैं जिससे वे आत्मविश्वास खोने लगते हैं और धीरे.धीरे उपलब्धि स्तर में गिरावट आनी शुरू हो जाती है।  
श्री यादव ने कहा कि भले ही अभिभावक कहते हैं कि बच्चों को पूरी आजादी के साथ पढ़ाई करने देते हैं बावजूद इसके बच्चों के अंदर परीक्षा का दबाव एवं डर लगातार बढ़ रहा है।
उनका कहना है कि ऐसी परिस्थिति में जरूरत है बच्चों के साथ.साथ अभिभावकों की भी काउंसलिंग करने की। माता.पिता को यह भलीभांति समझ लेना चाहिए कि पढ़ाई के अलावा जीवन में खेलकूद का उतना ही महत्व है जितना आप परीक्षा परिणाम का समझते हैं। साथ ही छात्रों को यह जान लेना चाहिए कि माता.पिता व अध्यापकों से संवाद कौशल आप में बेहतर व्यक्तित्व का निर्माण करता है। अपनी खूबियों को पहचान कर व अपनी क्षमता का इस्तेमाल कर जीवन के किसी भी परीक्षा में पास हुआ जा सकता है।
फोटो कैप्शन: सूर्यकांत यादव मनोवैज्ञानिक।


कोरोना सीखा गया आनलाइन शिक्षण
-जारी हैं आनलाइन परीक्षा तथा गतिविधियां
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 कनीना। कोरोना काल बीते एक साल हो गया है किंतु उसने जहां हर वर्ग को नुकसान पहुंचाया किंतु शिक्षा में आमूल चूल परिवर्तन करने में कोरोना का अहं रोल माना माना जाता है। जहां सबसे पहले कोरोना का में आनलाइन शिक्षण शुरू हुआ। कक्षा प्रथम हो या कालेज की के विद्यार्थी सभी ने आनलाइन
प्रशिक्षण लिया परिणाम स्वरूप जो मोबाइल विद्यालय में लाने पर प्रतिबंध था वही आनलाइन शिक्षण एवं परीक्षा का आधार बना।
 वर्तमान में जहां तीसरी कक्षा से 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों की आनलाइन परीक्षाएं जारी हैं। कालेज के विद्यार्थी भी आनलाइन परीक्षा इसी के जरिए दे रहे हैं। वास्तव में एक सुधार, एक नई पहल बनकर उभरा है। कोरोना काल में सभी विद्यालय बंद रहे तो विद्यार्थियों ने घर पर बैठकर ही शिक्षण पाया। आनलाइन शिक्षण के अब विद्यार्थी भी इतने आदि हो गये कि अब
मोबाइल से दूर नहीं हटाना चाहते। यद्यपि आनलाइन शिक्षण भविष्य में शिक्षकों का स्थान नहीं ले सकती परंतु शिक्षा विभाग इसका जमकर उपयोग कर रहा है।
 क्या कहते हैं शिक्षाविद----
 शिक्षाविद सुनील कुमार, महेश कुमार, राजेश कुमार, महेंद्र सिंह, नरेश कुमार आदि ने बताया की शिक्षा विभाग ने आनलाइन शिक्षण पर बहुत जोर दिया। कोरोना काल में शिक्षण कारगर साबित हुआ परंतु शिक्षकों का स्थान नहीं ले सकता। परीक्षा भी करवाई जा रही है जो सुविधाजनक भी है परंतु जो कार्य शिक्षक कक्षा कक्ष में करवाता है वैसा परिणाम नहीं आ सकता। इसलिए आनलाइन शिक्षण कुछ हद तक लाभप्रद साबित हुआ है वही अब विद्यार्थी अधिक उपयोग करने लगे हैं जिसके चलते परिणाम अच्छे नहीं हो सकते। उन्होंने कहा कि आनलाइन शिक्षण की भी अपनी मर्यादा होती है।
अभिभावक भी नहीं दे रहे फोन--
बेशक इंसान 21 सदी में चल रहा है किंतु आज भी कुछ अभिभावक 16वी शताब्दी में जी रहे हैं। वे बच्चों को फोन इसलिए नहीं दे रहे हैं कि बच्चे बिगड़ जाएंगे। किंतु वे भूल गये हैं कि मोबाइल का एक बेहतरीन पहलु ज्ञान भी है उसे नकारा नहीं जा सकता। किसी प्रकार का ज्ञान मोबाइल से सीखने में मदद मिल सकती है।
फोटो कैप्शन 2: आनलाइन शिक्षण करती छात्राएं।















कोरोना के चलते हाई कोर्ट की तारीखें बढ़ी 

--कनीना के मसले में तिथि 26 अप्रैल को ही होगी
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कनीना। कोरोना के बढ़ते प्रभाव के दृष्टिगत पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अप्रैल माह में फिक्स की हुई सभी तारीखें अगस्त के लिए टाल दी है। अब उनकी सुनवाई अगस्त माह में होंगी। कनीना का प्रसिद्ध दुकाने ंतोड़े जाने का मसला भी अप्रैल को निर्धारित किया गया था अब उसकी सुनवाई 13 अगस्त 21 को होगी। रवि कुमार, पवन कुमार, डा अजीत कुमार का कहना है कि उनकी सुनवाई अब 13 अगस्त को निर्धारित की गई है। तब तक दुकानदारों में खुशी का माहौल है।

 26 अप्रैल को ही सुनवाई होगी------

व्यापार मंडल के प्रधान महेश बोहरा ने वकीलों से इस संबंध में जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि कनीना पंचायत समिति के मसले में तिथि पूर्व निर्धारित ही रहेगी अर्थात 26 अप्रैल को ही सुनवाई होगी। अन्य कुछ तिथियों में परिवर्तन किया है। 


 

कैमला में करवाई बैग प्रतियोगिता
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कनीना। राजकीय माध्यमिक विद्यालय कैमला में कक्षा 1 से 8 तक के विधालय में पढ़ने वाले सभी बच्चों की स्कूली बैंग प्रतियोगिता करवाई गई जिसमें बच्चों ने रूचि के साथ भाग लिया और सही बच्चों ने अपने बैग साफ-सुथरे सुंदर आकर्षक बना रखे थे जिनमें से क्रमश प्रथम चरण में लीना, कशिश ,भविष्या, नव्या, कार्तिक, तमन्ना तथा दुसरे चरण में रोहित, मनीषा, अंजली  क्रमश प्रथम रही सही बच्चें बड़े ही खुश नजर आ रहे थे इस अवसर पर विरेन्द्र सिंह मौलिक मुख्य अध्यापकों ने बच्चों को प्रेरित करते हुए का हमें पढ़ाई के साथ होने वाली विभिन्न प्रकार की शैक्षिक गतिविधियों में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करनी चाहिए और बच्चों को अपनी रूचि के अनुसार एक कार्य करना चाहिए जिससे उसकी प्रतिभा निखार आ जा सके साथ में अध्यापकों साथियों को भी बच्चों की प्रतिभा को विकसित करने के लिए अनेकों शैक्षिक क्रिया- कलापों के लिए हमेशा प्रेरित करना चाहिए जो विधार्थियों को उनकें अंदर आत्मविश्वास की भावना जागृत करने में सफल हो सकें और बच्चा नि-संकोच व बिना किसी झिझक के साथ अपना अधिगम शिक्षण प्रक्रिया  प्राप्त कर सकें ऐसे विद्यार्थी ही जीवन में अच्छी सफलताएं प्राप्त करते हैं और अपने माता- पिता के साथ अपने विद्यालय और गुरुजनों के गौरव को बढ़ाते हैं इस अवसर पर देशराज यादव ,
 राधेश्याम शास्त्री, संदीप, सतवीर राजेश ,भगत सिंह,  सुबे सिंह, सुनील आदि उपस्थित रहें

Tuesday, March 30, 2021

 पाथेड़ा में कड़बी व ईंधन मेेंं लगी आग
-फायर ब्रिगेड ने पाया काबू
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 कनीना। कनीना गांव का पाथेड़ा में ईंधन और कड़वी में आग लगने से भारी मात्रा में कड़वी जलकर राख हो गई किंतु फायर ब्रिगेड के मौके पर पहुंचने पर काफी मात्रा में कड़वी बचा ली गई। किंतु कड़वी को बचाकर गाड़ी आते समय खराब हो गई जिसके चलते फायर ब्रिगेड की गाड़ी को घटना स्थल पर जाने उएवं वापस आने में करीब 3 घंटे का समय लगा।
मिली जानकारी अनुसार बाबूलाल की कडबी, अजीत शर्मा की कड़बी, चंदा राम कड़बी राजकुमार कड़बी, बलबीर की कड़बी एक जगह लगाई गई थी जिसमें करीब 15 किला जमीन की कड़बी थी साथ में ईंधन भी पड़ा था। अचानक आग लग गई तुरंत फायर ब्रिगेड को सूचित किया मौके पर रामसिंह, चंद्रवीर, सुखवीर सिंह दो फायर ब्रिगेड सहित पहुंचे और आग पर काबू पाया। फायर अधिकारी राकेश कुमार ने बताया कि आग पर काबू पाकर वापस आने में गाड़ी को 3 घंटों का समय लगा। इसमें बहुत ही कड़बी को बचा लिया गया और कुछ जलकर राख हो गई।





एक अप्रैल से सरसों की  होगी सरकारी खरीद
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 कनीना। कनीना अनाज मंडी में सरसों की एक अप्रैल से सरकारी तौर पर 4650 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीदी जाएगी। हैफेड मैनेजर सतेंद्र यादव ने बताया कि सभी तैयारियां चल रही है और तैनाती लगाई जा रही है। जल्द ही सभी तैनात कर्मियों एवं अधिकारियों को सूचित कर दिया जाएगा और सरसों की सरकारी खरीद चलेगी। उधर कनीना मंडी के व्यापार मंडल के प्रधान रविंद्र बंसल ने बताया कि इस बार खुली मंडियों में सरसों के भाव अधिक होने से सरकारी तौर पर सरसों बेचने वाले कम किसान होंगे। उन्होंने बताया कि बाजरे की 1975 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से सरकारी खरीद होगी। इस संबंध में पत्र पहले ही आ चुका है। इस बार सरसों की बंपर पैदावार हुई है जिसके चलते किसान प्रसन्न हैं। अभी गेहूं की कटाई शुरू हो गई है और जल्द ही बाजार में गेहूं आने लग जाएगा।




जिला शिक्षा अधिकारी ने किया आरओ का उद्घाटन
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कनीना। जिला शिक्षा अधिकारी सुनील दत्त यादव ने राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय खेड़ी तलवाना में आरओ वाटर कूलर का उद्घाटन किया तथा एडवेंचर कैंप में गई दो छात्राओं को सम्मानित किया। विश्व सद्भावना कार्यक्रम का लोकार्पण किया।
 इस अवसर पर जिला शिक्षा अधिकारी ने अपने संबोधन में कहा कि हमें सदैव सत्कर्म करने चाहिए क्योंकि कर्म ही हमारा भविष्य तय करते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों का आह्वान किया की कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए अपनी पढ़ाई करें ताकि किसी भी समस्या से बचा जा सके उन्होंने नकल रहित परीक्षा का भी संकल्प दोहराया तथा विद्यालय में चल रहे निर्माण कार्यों का भी निरीक्षण किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता खंड शिक्षा अधिकारी सत्यवान ने की तथा विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि विद्यार्थी किसी भी राष्ट्र का भविष्य होते हैं। इसलिए उन्हें अच्छी शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए। विशिष्ट अतिथि के रूप में उप जिला शिक्षा अधिकारी शक्ति पाल आर्य उपस्थित थे। कार्यक्रम में विद्यालय की दो छात्राओं नेहा व प्रिया को मनाली में हुए एडवेंचर कैंप में प्रदेश का प्रतिनिधित्व करने के लिए सम्मानित किया गया।
   इसके अलावा अडानी समूह द्वारा विद्यार्थियों को दिए गए आइआइटी मुंबई के प्रमाण पत्र तथा कौशल दक्षता प्रमाण पत्र भी प्रदान किए गए विद्यालय के प्राचार्य जयप्रकाश यादव ने बताया कि विद्यालय में सद्भावना कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है जिसमें विश्व बंधुत्व की भावना को बढ़ाने तथा समाज में समरसता बढ़ाने पर जोर दिया जाता है। अतिथियों का आभार पूर्व सरपंच रामनिवास चौधरी ने किया। कार्यक्रम का संचालन प्रवक्ता नरेश कौशिक ने किया। इस अवसर पर रामनिवास बंसल पूर्व सरपंच तलवाना, गांव के  विक्टोरिया क्रास सूबेदार रामस्वरूप के वंशज नंबरदार प्रदुमन सिंह, एसएमसी प्रधान राजकुमार बीआरपी सोमवीर सिंह, वरिष्ठ प्रवक्ता विजयपाल यादव, सुमेर सिंह, संजय कुमार, जयपाल, राजेश तंवर, प्रवीण शास्त्री, योगेंद्र सिंह, नितिन यादव, मनीषा देवी, मनीषा शर्मा, अनीता निंबल, ज्योति चौधरी, पूनम रानी, मुख्य शिक्षक राधेश्याम, मनोज कुमार, विज्ञान अध्यापक मनोज यादव सहित समस्त स्टाफ के सदस्य उपस्थित थे। जिला शिक्षा अधिकारी ने समग्र शिक्षा अभियान के तहत बन रहे कमरों का निरीक्षण किया तथा कनिष्ठ अभियंता को आदेश दिए कि वे समय-समय पर निर्माण कार्य की समीक्षा करें तथा प्रगति रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को दें। प्रवक्ता नरेश कौशिक ने बताया कि 15 अप्रैल को प्रवेश उत्सव का आयोजन किया जाएगा जिसमें एक सघन अभियान चलाकर विद्यालयों के नामांकन किए जाएंगे। इसके लिए कमेटी गठित की गई है जो घर-घर जाकर सर्वे करेगी तथा अभिभावकों व विद्यार्थियों को सरकारी विद्यालयों में गुणवत्ता परक शिक्षा ग्रहण करके नाम कमाएंगे।
फोटो कैप्शन 10: खेड़ी स्कूल में विद्यार्थियों को सम्मानित करते डीइओ सुनील दत्त यादव। जागरण








कृष्णानंद महाराज ने ली कोरोना वैक्सीन
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कनीना।  धनौंदा के संत कृष्णानंद ने कनीना अस्पताल पहुंचकर कोरोना वैक्सीन ली। कनीना उप नागरिक केंद्र के डा जितेंद्र मोरवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि कनीना सीएससी में 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के अलावा जिनको कोई विशेष गंभीर बीमारी होती है उनका टीकाकरण सोमवार से शक्रवार तक किया जाता है जिसके लिए केवल संबंधित व्यक्ति आकर अपना आधार कार्ड साथ लेकर आए और टीकाकरण कराये। एसएमओ डॉ धर्मेंद्र यादव ने बताया कि कोरोना महामारी ने देश में एक बार फिर पैर पसारने शुरू कर दिया है इसलिए सरकार की हिदायत अनुसार कार्य करने चाहिए और कोरोना वैक्सीन को अवश्य ही बिना भय के लेना चाहिए।
कितनी वैक्सीन दी गई-
मंगलवार को कोरोना की 263 वैक्सीन दी गई। जिसमें से कनीना में 52 भडफ़ 63,गाहड़ा ़़8
नांगल हरनाथ 38 हैं। इस मौके पर शीशराम एचआई, बिमला, कांता, राजबीर, शारदा,सुनीता,राकेश, दीप्ति, गंगा, संदीप ने अहं भूमिका निभाई।
फोटो कैप्शन 11: संत कृष्णानंद कोरोना वैक्सीन लेते हुए।




ट्यूबवेलों की बिजली सप्लाई होगी रात्रि के
-पकी हुई फसलों को बचाने के लिए उठाया गया कदम
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 कनीना के राम रतन जेई गोमली ने बताया कि कनीना के 132 केवी उपकेंद्र ने बताया कि पिछले दो-तीन दिनों से तेज हवा और आंधी चल रही है जिससे ट्यूबेल पर बिजली बाधित हो रही है क्योंकि फसल पक कर तैयार हो चुकी है। उसमें आग देने का खतरा बढ़ गया है। इसलिए सप्लाई रात्रि के समय चलाने का निर्णय लिया गया है। एसडीओ पावर की तरफ से पत्र भी जारी कर दिया गया है जिसमें कहा गया है कि रात्रि के सात बजे सुबह पांच बजे तक ट्यूबवेलों पर बिजली आपूर्ति रहेगी। वाटर सप्लाई चलाने का समय भी इसी में सम्मिलित किया गया है ताकि फसलों को भी बचाया जा सके।





अंधड़ ने पहुंचाया किसानों को नुकसान
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 कनीना। कनीना क्षेत्र में सुबह से अंधड़ चल रही है जिसके चलते किसानों की काटकर डाली गई फसल भी उड़कर दूर चली गई है। किसान बेहद परेशान है। छोटे पौधे भी टूट गए हैं वही बड़े पौधों को भी नुकसान होने का अंदेशा बन गया है। विभिन्न कार्यालयों संस्थाओं में बिना मंगवाई रेत ही रेत आ गया है जिससे सफाई का काम भी बढ़ गया है। उधर तेज आंधी के चलते दिन के समय बिजली सप्लाई भी बाधित रहेगी।



आशुकाव्य-विधा हरियाणा और राजस्थान के अलावा कहीं अन्य नही  -राधेश्याम
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कनीना। तीन अप्रैल को गाव गोमला में एक आशुकवि प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। सांस्कृतिक विरासत मंच द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता में हरियाणा राजस्थान व आसपास के आशुकवि भाग लेंगे। इस बारे आज मंच की कोर कमेटी के सदस्यों ने विचार विमर्श करके कार्यक्रम का प्रारूप तैयार किया गया।
 मंच के संयोजक और सामाजिक कार्यकर्ता राधेश्याम गोमला ने बताया कि इस प्रतियोगिता में आशुकवि परमानन्द झगड़ोली , सन्तलाल आर्य मण्डलाना , बालमुकुन्द जाखौद, राधेश्याम पावटा ,बिहारीलाल भाबरू जयपुर , डा. संजय पाठक जैतपुर, सीताराम जयसिंह पुरा ,सतनाम पावटा,दुलीचन्द पाटण आदि आशुकवि हिस्सा लेंगे  और इसमें मुख्य अतिथि समाजसेवी अरुण यादव होंगे व विशिष्ट अतिथि दशरथ चौहान होंगे।  
उन्होंने बताया कि इस प्रतियोगिता का आयोजन आशुकाव्य-विधा को जिन्दा रखने के प्रयोजन से किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि यह विधा पूरे भारतभर में केवल हरियाणा और इस के साथ लगते राजस्थान के जयपुर झुन्झुनु व अलवर क्षेत्र में ही प्रचलित है।
उन्होंने इस विधा के बारे में बताते हुए कहा कि यह अति प्रतिभाशाली कवियों द्वारा जिन्दा रखी हुई एक ऐसी कला है जिसमें कवि मौके पर ही दिए गए विषय पर मात्र दस या पन्द्रह मिनट में  राग रागिनियों पर आधारित पारम्परिक संगीत के नियमानुसार कविता की रचना कर प्रस्तुति देता है।
राधेश्याम गोमला स्वयं भी एक कवि हैं।
उन्होंने इस बारे और विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि यूं तो कवि हजारों हैं और अक्सर होने वाले कवि-सम्मेलनों में अपनी रचनाओं की प्रस्तुति करते रहते हैं, मगर उनकी वो रचनाएं कार्यक्रम से पूर्व लिखी हुई होती हैं। जिन्हें याद करके या पढ़कर सुनाया जाता है। मगर इस विधा में कवि को तत्काल मौके पर ही रचना तैयार करनी होती है। इसी प्रकार की इस आशुकाव्य प्रतियोगिता में पूर्व लिखित कोई भी रचना स्वीकार्य नहीं होगी। इस प्रतियोगिता में केवल वही कवि हिस्सा लेंगे जो मौके पर ही दिए गए विषय पर तत्काल रचना करेंगे और वह विषय वेद पुराण उपनिषद इतिहास आदि ग्रन्थों से ही होगा।
उन्होंने बताया कि खूब तलाशने पर ही मात्र दस ग्यारह कवि ही मिले जो इस विधा को जिन्दा रखे हुए हैं। जब इस विधा के विधाधर बमुश्किल मिल रहे हैं तो जाहिर है कि यह विधा जिन्दा रखना अति आवश्यक है।
उन्होंने बताया कि यह प्रतियोगिता मैचों की तरह कराई जाएगी। जिसमें शामिल प्रतिभागियों के समक्ष कुछ प्रश्न रखे जाएंगे फिर विषय देकर निर्धारित पंद्रह मिनट में  संगीतयुक्त रचना करने की चुनौती दी जाएगी। अंकों के आधार पर निर्णय होगा। विजेता और उपविजेता का निर्णय निर्णायक मण्डल करेगा। पश्चात उन्हें नकद राशि, एक आशुकाव्य केसरी की एक ट्राफी व शाल भेंट किया जाएगा। उन्होंने बताया कि गोमला में माता के जोहड़ पर होने वाली यह प्रतियोगिता सालाना की जाएगी।
इस अवसर पर सांगी मेघ सिंह, महाशय बलवन्त, महाशय नन्दलाल ,लालाराम जैतपुर, छंगाराम,महाशय सन्दीप कुमार, हरदेवा मांढण, अशोक कुमार, रविन्द्र कुमार, बुद्धराम, रामप्रताप, लक्ष्मण सिंह, विकास कड़ायला व पंकज कुमार आदि मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 7: आशुकाव्य के लिए गोमला में बैठक लेते राधेश्याम।





नवोदय विद्यालय का कक्षा नौवी का परिणाम
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कनीना। नौंवी कक्षा में जवाहर नवोदय विद्यालय में प्रवेश के लिए परिणाम आ चुका है। संलग्र सूची में अपना रोल नंबर देख सकते हैं।





परीक्षा परिणाम सुधारने पर दिया बल
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कनीना। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना में खंड शिक्षा अधिकारी सत्यवान ने विभिन्न विद्यालय मुख्यों  की एक बैठक आयोजित की जिसमें दसवीं और बारहवीं कक्षा के परीक्षा परिणाम सुधारने के बारे में विस्तार से विचार-विमर्श किया। खंड शिक्षा अधिकारी सत्यवान ने कहा कि हर हाल में सुधार लाने का प्रयास करना चाहिए। विद्यालय के विद्यार्थियों को जी जान एक करके पढ़ाना चाहिए। विद्यालय इस बैठक में प्रमुख रूप से विद्यालय के प्राचार्य सत्यपाल ने आश्वासन दिया कि निश्चित रूप से सुधार करेंगे और दोनों कक्षाओं विशेष रूप से जो भिवानी बोर्ड द्वारा ब्लू प्रिंट तैयार किया है उस अनुसार तैयारी करवाएंगे। इस मौके पर विभिन्न अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की गई। इस अवसर पर आचार्य अभयराम यादव,ओम प्रकाश, जयप्रकाश,सुमेर सिंह, ओमरति, महेंद्र सिंह, बाबूलाल, रमन शास्त्री आदि उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 8: शिक्षा में सुधार के लिए संबोधित करते हुए खंड शिक्षा अधिकारी सत्यवान।





मार पिटाई का मामला दर्ज
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 कनीना। कनीना पुलिस में धनौंदा निवासी एवं सेना में कार्यरत अजीत सिंह ने उनके परिवार के जान की सुरक्षा की गुहार लगाई है।  कनीना पुलिस ने तीन लोगों के विरुद्ध जान से मारने की धमकी का मामला दर्ज कर लिया है। अजीत सिंह ने कनीना पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है कि 25 मार्च को छुट्टी आया हुआ था। उनके बड़े भाई सतनारायण की तरफ शोर शराबा सुनाई दिया। जब उन्होंने जाकर देखा तो हम के तो उनके भाई सतनारायण और उनके लड़के कपिल हुए सचिव उत्तर प्रदेश से आए मजदूरों से झगड़ा कर रहे थे। समझाने की बात की गई तो वे मार पिटाई पर उतारू हो गए। तत्पश्चात सैनिक पीछा छुड़ाकर अपने घर आया।  बाद में सैनिक के लड़के राहुल को इस बारे में पता चला कि सतनारायण कपिल व सचिन गाली गलौज कर रहे हैं। जब राहुल उन्हें समझा बुझा रहा था तो उन्होंने राहुल के सिर पर एक ने बांकड़ी(फसल कटाई यंत्र) तो दूसरे ने बेसबाल स्टिक से कमर पर चोट पहुंचाई। सैनिक ने सतनारायण सचिन और कपिल से जान माल को खतरा बताते हुए पुलिस में मामला दर्ज करवाया है। कनीना पुलिस ने सतनारायण, सचिन और कपिल के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता 323/34 और 506 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।



तीन व्यक्तियों के विरुद्ध मामला दर्ज
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 कनीना। गांव कोटिया के कंवर सिंह ने पुलिस में तीन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया है और कहा है कि  चोरी से उनके खेत की सरसों निकाल ली। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
 कंवर सिंह ने पुलिस ने बताया कि सुबह खेत गया तो खेत की सरसों निकाल रखी थी। उन्हें पता चला कि सरसों अनुज नामक व्यक्ति ने निकलवाई है ट्रैक्टर और हड़ंफा भी पकड़ लिये गये।  पिकअप अशोक कुमार कनीना की थी जिसे कनीना मंडी से मौके पर पकड़ लिया है। उन्होंने बताया कि जब वो खेत पर पहुंचा तो  ट्रैक्टर हड़प्पा वेद प्रकाश किसान के खेत से सरसों निकाल रही थी। थोड़ी देर बाद पता चला कि भगवान सिंह की  सरसों भी इसी प्रकार चोरी से निकाली है। मौके पर पुलिस पहुंची और गाड़ी ट्रैक्टर हड़प्पा कब्जे में ले लिया है।  कनीना पुलिस ने अनुज, महेश और अशोक के विरुद्ध विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है।



जौ की खेती भूले किसान
-40 हेक्टेयर पर हुई बीजाई
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कनीना। कनीना क्षेत्र में जौ की खेती कम होती जा रही है।  महज 40 हेक्टेयर पर जौ उगाए गए हैं। जौ की रोटी, राबड़ी तथा धानी आदि बनाकर प्रयोग करते है। अब किसानों को पूजा या राबड़ी के लिए जौ खरीदकर लाने पड़ते हैं।
  कभी कनीना खंड में हजारों एकड़ में जौ की खेती की जाती थी। जौ न केवल पूजा आदि बल्कि हवन, नवरात्रि में,राबड़ी पेय बनाने के लिए ,जौ चने की रोटी खानी हो तो जौ याद आता है। होली पूजा में जौ भूने जाते हैं तो दूर दराज से ढूंढ ढूंढकर जाते हैं।
    किसान अजीत कुमार, सूबे सिंह एवं राजेंद्र सिंह ने बताया कि कम पानी में जौ की पैदावार तो बेहतर होती है किंतु इसकी तूड़ी पशु नहीं खाते वहीं इसके रेट गेहूं की तुलना में कम हैं जिसके कारण जौ नहीं उगाया जाता है।  अब सत्तू, धाणी, पूजा के लिए जौ तथा हवन आदि के लिए जौ बाजार से किसान खरीदते हैं।  गर्मियों में राबड़ी की मांग बढ़ती है तथा ठंडाई के रूप में राबड़ी को प्रति गिलास के हिसाब से बेचा भी जाता है।
कितनी उगाई गई है खेती-
कनीना के कृषि विस्तार अधिकारी डा देवराज यादव ने बताया कि वर्तमान में 30340 हेक्टेयर पर कनीना क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की फसलें उगाई है। उन्होंने बताया कि 19310 हेक्टेयर पर जहां सरसों, 10590 हेक्टेयर गेहूं, 40 हेक्टेयर पर जौ, 400 हेक्टेयर पर चारे की फसलें  तथा 6 हेक्टेयर पर चने की फसल उगाई गई है।





किसानों की नजर गेहूं की ओर
-मजदूर हुये गायब,लावणी बनी समस्या
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कनीना। सरसों की कटाई का काम करीब 80 फीसदी पूर्ण हो चुका है वहीं किसानों की नजर पककर तैयार गेहूं की फसल पर टिकी हुई है। गेहूं की फसल की कटाई का कार्य कुछ किसानों ने शुरू कर दिया गया है। मजदूर होली पर अपने प्रांतों में चले जाने के कारण किसानों की लावणी का कार्य ठप्प हो गया है।
  कनीना की बावनी भूमि पर जहां 19310 हेक्टेयर पर जहां सरसों, 10590 हेक्टेयर गेहूं, 40 हेक्टेयर पर जौ, 400 हेक्टेयर पर चारे की फसलें  तथा 6 हेक्टेयर पर चने की फसल उगाई गई है।
सरसों की कटाई के बाद गेहूं की लावणी शुरू हो गई है। किसान मजदूरों के आने की बाट जोह रहे हैं जो होली पर्व पर अपने प्रांतों में लौट गये हैं।
  किसान अजी कुमार, राजेंद्र सिंह, सूबे सिंह, कृष्ण कुमार, योगेश कुमार आदि ने बताया कि सरसों की पैदावार बेहतर हो रही है। वहीं मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश एवं राजस्थान से मजदूरों के लौटने का इंतजार है।
  किसानों ने बताया कि गेहूं की फसल से न केवल अन्न प्राप्त होता है अपितु पशुचारे के रूप में तूड़ी प्राप्त होती है। किसान पशु पालते हैं जिसके चलते गेहूं की फसल का अहं योगदान होता है। सरसों की पैदावार को जहां तक किसान बेचकर लाभ प्राप्त करते हैं वहीं तेल के रूप में भी प्रयोग करते हैं। अब किसानों के खेतों में सरसों हो या गेहूं फसल के सभी भाग उपयोगी हैं तथा उन्हें भी बेचकर आय प्राप्त की जाती है। गेहूं से अन्न एवं तूड़ी तो सरसों से धांसे, सरसों, पदाड़ी आदि सभी उपयोगी हैं।
फोटो कैप्शन 1: गेहूं की पकी हुई खेतों में खड़ी फसल।


शांति से मनाया प्रेम एवं भाईचारे का पर्व धुलेंडी
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 कनीना। कनीना में धुलेंडी का पर्व होली धूमधाम से संपन्न हुआ। होली के पर्व पर किसी अप्रिय घटना का समाचार नहीं मिला है। दिन भर लोग रंग गुलाल से होली खेलते नजर आए।
 उल्लेखनीय है कि युवा वर्ग में पहली बार देखने को मिला कि पानी की बचत कर रहे थे तथा प्राकृतिक रंग एवं गुलाल आदि से होली खेल रहे थे। कृष्ण कुमार, सुरेंद्र कुमार, सुनील कुमार ने बताया कि उन्होंने पहली बार हल्दी, टेसू के फूल, चुकंदर का रस, पत्तों के रस एवं मेहंदी आदि से होली खेली और पानी को बचत की पहली बार क्षेत्र में सूखी होली खेलने को मिली। वहीं यदाकदा कुछ लोग पानी बिखेरते भी नजर आए। वहीं दुुलेंडी के दिन तो दिन भर सड़कों, गलियों में होली खेलते लोग नजर आए। क्षेत्र में भडफ़ एवं जैनाबाद,सीहा, निमोठ, बवानिया आदि गांवों में मेले लगे वहीं  जैनाबाद आश्रम में लाल दास महाराज ने होली खेली और भक्तों पर रंग डाला। भक्तों ने भी महाराज पर रंग डाला। होली का पर्व धूमधाम से विभिन्न संस्थाओं में भी मनाया गया। होली खेलते महिलाएं, पुरुष एवं बच्चे देखे गए।
    कनीना के सामान्य बस स्टैंड पर तथा अनाज मंडी में सभी दुकानें बंद रही और वे होली खेलते देखे गए। विभिन्न संस्थानों एवं समाजसेवियों के अनुरोध पर इस बार कम पानी का प्रयोग हुआ। बच्चे एवं युवा ही अधिक संख्या में होली खेलते मिले।
  दुलेंडी पर अकसर लड़ाई झगड़ा होता रहा है किंतु इस बार शांतिपूर्वक पर्व संपन्न हो गया। पत्रकार, समाजसेवी, नेता एवं सामान्य जन बढ़ चढ़कर गुलाल लगा रहे थे।
फोटो कैप्शन 2 व 3: होली खेलते कनीना के लोग।




दिनभर मजाक में बीतता है प्रथम अप्रैल
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 कनीना। क्षेत्र में हंसी मजाक के रूप में फूल डे मनाया जाता है। अंग्रेजी काल के समय से ही चली आ रही परिपाटी को मनाने वाले लोग कम ही रहे हैं। जिस प्रकार हिंदु नव वर्ष कम लोग मनाते हैं वैसे ही मूर्ख दिवस कम लोग मनाते हैं। नव वर्ष मनाने वाले मूर्ख दिवस मनाए जाने का विरोध भी करते हैं।
 ग्रामीण क्षेत्रों में प्रथम अप्रैल फूल डे मनाने की अनोखी परंपरा है। सुबह से ही मूर्ख बनाने की कार्रवाई शुरू होती है और शाम तक चलती रहती है। विशेषकर ग्रामीण लोगों को तो इस दिन भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कभी-कभी तो फोन के मार्फत मूर्ख बनाया जाता है जो भारी तनाव का कारण बनता है।
  यूं तो मूर्ख बनाने के तरीके हजार होते हैं किंतु बच्चे से लेकर युवा वर्ग नोट से मूर्ख बनाने की कार्रवाई अक्सर करते देखे जा सकते हैं। एक सौ रुपये के नोट का एक सिरा धागे से बांध लेते हैं और भीड़ वाले रास्ते में डाल दिया जाता है। इस नोट को बड़े धागे से बांधकर दूर ले जाया जाता है। जब कोई सज्जन इस नोट को उठाने लगता है तो धागे की सहायता से इसे तेजी से खींच लिया जाता है। जब नोट उठाने वाले की नजर इन शरारतियों पर पड़ती है तो भारी मजाक होता है। ग्रामीण लोग अक्सर फूल डे के बारे में अंजान होते हैं और ऐसे में उनके साथ अच्छा खासा मजाक होता है। वैसे भी फसल कटाई का समय होता है और किसान अपनी फसल काटने में व्यस्त रहते हैं। फसल कटाई दौरान उनके साथ अच्छा मजाक होता है। एक किसान को कह दिया जाता है कि वह कृषि के यंत्र खेत में लेकर आओ। वह किसान बेचारा पुन: खेत से घर जाता है और बार-बार उसके साथ मजाक होता है। जब उन्हें अप्रैल फूल बनने का पता चलता है तो वे झुंझलाते हुए नजर आते हैं।
  जिन घरों में फोन लगे होते हैं उनको भी कई प्रकार की समस्याएं अप्रैल फूल से संबंधित झेलनी पड़ती हैं। कई बार तो ऐसे फोन आते हैं कि आपके परिचित की दुर्घटना होने के कारण उन्हें अमुक अस्पताल में भर्ती कराया गया है आप जल्दी से पहुंचो। जब फोन उठाने वाला भाग दौड़कर अस्पताल पहुंचता है तो उसे भारी झुंझलाहट होती है। मोबाइल पर भी अनेकों प्रकार की मजाक की जाती हैं किंतु ये मजाक अधिक समय तक नहीं चलती हैं। बाद में आम जन अप्रैल फूल के विषय में परिचित हो जाता है।
   अप्रैल फूल बनने से सरकारी कर्मी भी पीछे नहीं होते हैं। जहां अस्थाई कर्मी काम करते हैं उनका एक अप्रैल फूल संबंधित आदेश निकालकर रख दिया जाता है जिसमें लिखा होता है कि आपकी सेवाएं समाप्त की जाती हैं। कर्मी परेशान होते हैं किंतु जब उन्हें हकीकत का पता चलता है तो वे अपना सा मुंह लेकर रह जाते हैं। पूरा दिन ही छोटे बड़े मजाकों में व्यतीत है। कई अन्य तरीकों से भी मूर्ख बनाया जाता है किंतु जिनके साथ मजाक किया जाता है वे बुरा नहीं मानते क्योंकि कहा है-बुरा ना मानो अप्रैल फूल डे है।










Monday, March 29, 2021





 
हंसी खुशी से रंगों का पर्व दुलेंडी संपन्न















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 कनीना। कनीना में धुलेंडी का पर्व होली का पर्व धूमधाम से संपन्न हुआ। होली के पर्व पर किसी अप्रिय घटना का समाचार नहीं मिला है। दिन भर लोग रंग गुलाल से होली खेलते नजर आए।
 उल्लेखनीय है कि युवा वर्ग में पहली बार देखने को मिला कि पानी की बचत कर रहे थे तथा प्राकृतिक रंग एवं गुलाल आदि से होली खेल रहे थे। अजीत कुमार, सूबे सिंह, राजेंद्र सिंह आदि ने बताया कि उन्होंने पहली बार हल्दी, टेसू के फूल, चुकंदर का रस, पत्तों के रस एवं मेहंदी आदि से होली खेली और पानी को बचत किया पहली बार क्षेत्र में सूखी होली खेलने को मिली। वहीं यदाकदा कुछ लोग पानी बिखेरते भी नजर आए। विगत वर्षों से कनीना क्षेत्र में गंदे पानी डालने कीचड़ में डालने आदि की घटनाएं घटती रहती थी किंतु इस बार होली पर ऐसी कोई घटना नहीं देखने को मिली। वहीं दुुलेंडी के दिन तो दिन भर सड़कों, गलियों में होली खेलते लोग नजर आए। क्षेत्र में भडफ़ एवं जैनाबाद,सीहा, निमोठ, बवानिया आदि गांवों में मेले लगे वहीं  जैनाबाद आश्रम में लाल दास महाराज ने होली खेली और भक्तों पर रंग डाला। भक्तों ने भी महाराज पर रंग डाला। होली का पर्व धूमधाम से विभिन्न संस्थाओं में भी मनाया गया। होली खेलते महिलाएं, पुरुष एवं बच्चे देखे गए।
  दुलेंडी का पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस बार रंगों का कम प्रयोग हुआ तथा गुलाल से होली खेलते देखे गए। पानी भी प्रयोग किया गया किंतु इस बार कम पानी प्रयोग किया। कई स्थानों पर मेले लगे तथा बाल उतरवाने की परंपरा पूर्ण की गई।
 दुलेंडी का पर्व क्षेत्र में पूरे उत्साह के साथ मनाया गया। आपस में गुलाल लगाकर होली खेलते देखे गए। संत लालदास उधोदास आश्रम स्वयं भक्तों से होली खेलते देखे गए। कई स्थानों पर मेले लगे। जैनाबाद, कारोली तथा कई अन्य स्थानों पर होली के पर्व पर मेले लगे।
  कनीना के सामान्य बस स्टैंड पर तथा अनाज मंडी में सभी दुकानें बंद रही और वे होली खेलते देखे गए। विभिन्न संस्थानों एवं समाजसेवियों के अनुरोध पर इस बार कम पानी का प्रयोग हुआ। बच्चे एवं युवा ही अधिक संख्या में होली खेलते मिले।
  दुलेंडी पर अकसर लड़ाई झगड़ा होता रहा है किंतु इस बार शांतिपूर्वक पर्व संपन्न हो गया। पत्रकार, समाजसेवी, नेता एवं सामान्य जन बढ़ चढ़कर गुलाल लगा रहे थे।
फोटो कैप्शन 6 से 8: होली खेलते कनीना के लोग।



होलिका दहन विभिन्न तरीकों से मनाया गया
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कनीना। कनीना क्षेत्र में होलिका दहन के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए गए।  मेले लगे तथा भंडारा भी आयोजित किया गया। कनीना के ज्योतिषाचार्य अरविंद जोशी के अनुसार करीब सात बजे  हालिका दहन किया जाना था वैसा ही किया गया।
  विगत एक माह पूर्व से ही होलिका दहन डांडा गाडऩे की प्रथा से शुरू हो जाता है। यद्यपि इस बार होली के खेल, गीत एवं पर्व कम आयोजित किए गए किंतु होलिका दहन पर व्रत रखकर होलिका की पूजा अर्चना का कार्यक्रम दिनभर चलता रहा। होलिका दहन पर बाड़, कांटेदार झाडिय़ा एवं युद्ध में प्रयोग किए जाने वाले हथियारों के प्रतीक भी प्रयोग किए गए। दुलेंडी की सुबह फिर से होलिका दहन स्थल की पूजा की जाएगी तथा गाड़ा गया डांडा निकालकर संवत का पता लगाया जाएगा।
  क्षेत्र में कई जगह होली के मेले आयोजित किए गए। कनीना के होलीवाला जोहड़ पर बसासत के वक्त से होली मनाई जाती आ रही है तथा जोहड़ का नाम भी होलीवाला जोहड़ रखा गया है। यहां पर होली का दिनभर मेला लगा तथा होलिका दहन स्थल पर पूजा अर्चना चलती रही। बाबूजी वेदप्रकाश द्वारा यहां पर सद्भावना बतौर पकवान खिलाने का कार्यक्रम दिनभर चलता रहा। विगत वर्ष होलिका दहन के दिन भी उन्होंने इस प्रकार का कार्यक्रम आयोजित किया था।
  कनीना मंडी में भी होली मनाई गई। समीपी गांवों में भी होलिका दहन चला।
      मान्यताएं-
होलिका दहन से पूर्व प्रह्लाद भक्त को बचाने के लिहाज से व्रत रखते हुए पूजा की जाती है ताकि प्रह्लाद भक्त बच जाए। आज भी वो पुरानी यादें लोगों के जीन में बसी हुई हैं। बताया जाता है कि जब प्रह्लाद भक्त बच गए और होलिका जल गई तो खुशी में रंगों का पर्व मनाया गया जो आज भी चला आ रहा है। होली से अगले दिन दुलेंडी खेली जाती है।
  माना जाता है कि प्रह्लाद भक्त को मारने के लिए कितने ही लोगों के हाथों में हथियार थे जो होलिका दहन पर यह समझकर डाल दिए गए कि अब प्रह्लाद मर जाएगा। यह प्रथा आज भी चली आ रही है और गोबर के हथियार आग में डाले जाते हैं। इनको ढाल एवं बिड़ला आदि नाम से जाना जाता है। जब होलिका दहन किया जाता है तो कुछ औरतें उसे बूझा देती हैं। यह भी पुराने वक्त की याद ताजा कर रही है। आग बूझाने वाली औरतें प्रह्लाद को बचाने के पक्ष में थी जबकि आग लगाने वाला उन्हें जलाना चाहता था। आज भी कई मान्यताएं यूं की यूं चली आ रही हैं।
फोटो कैप्शन 9: होलिका दहन का नजारा।


होली पर आयोजित हुये मेले
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 कनीना। कनीना क्षेत्र में होली के पर्व पर विभिन्न गांवों में मेले आयोजित हुये तथा विभिन्न प्रतियोगिताएं भी आयोजित होंगी।
 उधोदास आश्रम में महंत लालदास स्वयं होली खेलें और यहां बहुत बड़ा मेला लगI। इस मेले में पूरे भारत के भक्तजन पहुंचे।
रात को ही होलिका दहन के पश्चात से कार्रवाई शुरू हो जाती है। रात भर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गये तथा सुबह दुलेंडी के दिन संत लालदास ने होली खेली तथा विभिन्न कार्यक्रम दिनभर आयोजित हुये। भंडारा भी आयोजित हुआ।
बवानिया गांव में भी बड़ा मेला लगता है। यहां  बाबा खेम दास का विशाल मेला आयोजित होगा।  जिसमें कबड्डी, वालीबाल, दौड़, रस्साकशी, ऊंची कूद आदि आयोजित होंगी।
कनीना की समीपी गांव में निमोठ तथा कारोली में भी मेले आयोजित हुये जहां भारी संख्या में भक्तजन पहुंचे।




दुलेंडी पर लगा मेला, संत स्वयं खेली होली
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कनीना।  कनीना सीमावर्ती गांव जैनाबाद में स्थित बाबा उधोदास मंदिर पर होली मेला लगा। होली की रात  जागरण हुआ तथा दुलेंडी को बाबा उधोदास की याद में वर्षों से विशाल मेला लगा। भक्तों की अपार भीड़ यहां जमा होती है वहीं संत लालदास स्वयं भक्तों के संग होली खेलते नजर आये।
  कनीना से नौ किमी दूर ग्राम जैनाबाद में  बाबा उधोदास का भव्य मंदिर स्थित है। इसी मंदिर के सामने बाबा की समाधि तथा बाबा के बाद में आए उनके शिष्यों की समाधियों वाला मंदिर है। इन समाधियों में सबसे पहले बाबा उधोदास की समाधि है। इस समाधि के ऊपर की ओर झांक कर देखे तो सैकड़ों वर्ष पुरानी पेंट व ब्रुश से की हुई कलाकारी दिखाई पड़ती है जो आज भी अपनी आब नहीं खो पाई है। यह वही स्थान है जहां अनवरत पूजा अर्चना का सिलसिला चलता रहता है तथा दीप जलते रहते हैं।
       होली के दिन भजन-कीर्तन के समय यहां भारी भीड़ जुटती है। प्रत्येक पूर्णिमा के दिन यहां का नजारा देखने लायक होता है जब प्रवचन, भजन एवं कीर्तन का आगाज किया जाता है किंतु रंगों के त्योहार होली की रात को यहां विशेष जागरण चलता है तथा दिन के समय ढोल एवं नगाड़ों के बीच होली जमकर खेली जाती है। महंत लालदास के साथ होली खेलते भक्तों को देखा जा सकता है। यहां पर हरियाणा ही नहीं अपितु दूसरे राज्यों के भक्तजन भी आकर मन्नतें मांगते हैं। माना जाता है कि उनकी मन्नत पूर्ण हो जाती है जिसके चलते वे दंपति यहां गठ जोड़े की जात देने आते हैं।   गांव जैनाबाद के पास से कंशावती नदी बहती थी। इसी नदी के किनारे पर उधोदास का जन्म हुआ। उधोदास धुन के पक्के और मन के सच्चे थे।  उनके गुरू का नाम दाताराम था। उधोदास ने कंशावती नदी के किनारे एक वृक्ष के नीचे तप और ध्यान लगाते हुए दुखियों के दर्द को मिटाया।
 बाबा उधोदास की समाधि बनी हुई है जहां अनवरत दीपक जलता रहता है।  ढफ और नगाड़ों के बीच हर्षोल्लास के साथ महंत लालदास जी धुलेंडी खेली गई।  बाबा लालदास ने गायों के लिए बाबा के नाम पर एक गौशाला बनवाई हुई है। संत लालदास की देखरेख में गांव ही नहीं अपितु मंदिर को चार चांद लग चुके हैं।  
फोटो कैप्शन 4: जैनाबाद का उधोदास आश्रम।




जौ की खेती भूले किसान
-40 हेक्टेयर पर हुई बीजाई
-होली पर भूनकर खाया जाता है जौ
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 कनीना। किसान जौ की खेती कम होती जा रही है।  कनीना खंड के गांवों में महज 40 हेक्टेयर पर जौ उगाए गए हैं। जौ की रोटी, राबड़ी तथा धानी आदि बनाकर प्रयोग करते है। अब किसानों को पूजा के लिए या राबड़ी के लिए जौ खरीदकर लाने पड़ते हैं।
  कभी कनीना खंड में हजारों एकड़ में जौ की खेती की जाती थी। जौ न केवल पूजा आदि बल्कि हवन आदि में भी काम आता हैं। जब नवरात्रे आते हैं या गर्मी में राबड़ी बनानी हो या फिर जौ चनी की रोटी खानी हो तो जौ याद आता है। होली पूजा में जौ भूने जाते हैं तो दूर दराज से ढूंढ ढूंढकर लाए गए।
    किसान अजीत कुमार, सूबे सिंह एवं राजेंद्र सिंह ने बताया कि जौ की पैदावार तो बेहतर होती है तथा पानी की कम जरूरत होती है किंतु इसकी तूड़ी पशु नहीं खाते वहीं इसके रेट गेहूं की तुलना में कम हैं जिसके कारण जौ नहीं उगाया जाता है। एक जमाना था जब हर घर में जौ की खेती की जाती थी जिसे पूरी गर्मी आनंद से रोटी एवं अन्य रूपों में प्रयोग किया जाता था। अब जमाना लद गया है। जौ की खेती करना किसान भूल रहे हैं।
  अब सत्तू, धाणी, पूजा के लिए जौ तथा हवन आदि के लिए जौ बाजार से किसान खरीदते हैं।   कहावत है कि इतिहास अपने आप को दोहराता है। जौ उगाने का युग फिर से लौटकर आता नजर आता है। आज भी कुछ बुजुर्ग जौ को लाकर खाते हैं। दिनोंदिन राबड़ी की मांग बढ़ रही है। ठंडाई के रूप में राबड़ी को प्रति गिलास के हिसाब से बेचा भी जाता है। ऐसे में लगता है कि जौ की खेती आने वाले समय में फिर से हुआ करेगी।
कितनी उगाई गई है फसलें-
कनीना के कृषि विस्तार अधिकारी डा देवराज यादव ने बताया कि वर्तमान में 30340 हेक्टेयर पर कनीना क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की फसलें उगाई है। उन्होंने बताया कि 19310 हेक्टेयर पर जहां सरसों, 10590 हेक्टेयर गेहूं, 40 हेक्टेयर पर जौ, 400 हेक्टेयर पर चारे की फसलें  तथा 6 हेक्टेयर पर चने की फसल उगाई गई है।
फोटो कैप्शन 8: कनीना में जौ की खेती दिखाता किसान।



किसानों की नजर गेहूं की ओर
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कनीना। सरसों की कटाई जहां पूरे यौवन पर है वहीं किसानों की नजर पककर तैयार गेहूं की फसल पर टिकी हुई है। गेहूं की फसल की कटाई दो तीन दिनों में शुरू हो जाने की संभावना है।
  कनीना की बावनी भूमि पर जहां सरसों की बीजाई करीब 19 हजार हेक्टेयर पर की गई थी वहीं गेहूं की बीजाई दूसरे नंबर पर करीब दस हजार हेक्टेयर पर है। सरसों की कटाई पूरे वेग से चल रही है। बाहरी मजदूरों की मदद से किसान कटाई का काम पूरा करवा रहे हैं।  गेहूं की कटाई दो तीन दिनों में शुरू होने की संभावना है। कोरोना के डर से किसानों को शायद इस बार मजदूर कम मिलने के आसार हैं।
  किसान अजी कुमार, राजेंद्र सिंह, सूबे सिंह, कृष्ण कुमार, योगेश कुमार आदि ने बताया कि सरसों की पैदावार बेहतर होने के आसार है। वहीं मटर की कटाई लगभग हो चुकी है। किसान सुबह खेतों में जाते हैं और देर शाम को ही लौटते हैं। कोरोना के चलते किसान खेतों में ही अधिक समय बीताना चाहते हैं।
  किसानों ने बताया कि गेहूं की फसल से न केवल अन्न प्राप्त होता है अपितु पशुचारे के रूप में तूड़ी प्राप्त होती है। किसान पशु पालते हैं जिसके चलते गेहूं की फसल का अहं योगदान होता है। सरसों की पैदावार को जहां तक किसान बेचकर लाभ प्राप्त करते हैं वहीं तेल के रूप में भी प्रयोग करते हैं। अब किसानों के खेतों में सरसों हो या गेहूं फसल के सभी भाग उपयोगी हैं तथा उन्हें भी बेचकर आय प्राप्त की जाती है। गेहूं से अन्न एवं तूड़ी तो सरसों से धांसे, सरसों, पदाड़ी आदि सभी उपयोगी हैं।
फोटो कैप्शन 2: गेहूं की पकी हुई खेतों में खड़ी फसल।

Sunday, March 28, 2021

 कोटिया गांव में चोरी से खेत की सरसों निकाली
-तीन व्यक्तियों के विरुद्ध मामला दर्ज
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 कनीना। गांव कोटिया के कंवर सिंह ने पुलिस में तीन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया है और कहा है कि उन्होंने चोरी से उनके खेत की सरसों निकाल ली। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
 कंवर सिंह ने पुलिस ने बताया कि सुबह खेत गया तो खेत की सरसों निकाल रखी थी। उन्हें पता चला कि सरसों अनुज नामक व्यक्ति ने निकलवाई है ट्रैक्टर और हड़ंफा गोविंद सिंह की थी जिसे उसका भांजा चला रहा था।  पिकअप अशोक कुमार कनीना की थी जिसे कनीना मंडी से मौके पर पकड़ लिया है। उन्होंने बताया कि जब वो खेत पर पहुंचा तो  ट्रैक्टर हड़प्पा वेद प्रकाश किसान के खेत से सरसों निकाल रही थी। थोड़ी देर बाद पता चला कि भगवान सिंह की  सरसों भी इसी प्रकार चोरी से निकाली है। मौके पर पुलिस पहुंची और गाड़ी ट्रैक्टर हड़प्पा कब्जे में ले लिया है।  कनीना पुलिस ने अनुज, महेश और अशोक के विरुद्ध विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है।




होलिका दहन विभिन्न तरीकों से मनाया गया
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कनीना। कनीना क्षेत्र में होलिका दहन के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए गए।  मेले लगे तथा भंडारा भी आयोजित किया गया। कनीना के ज्योतिषाचार्य अरविंद जोशी के अनुसार करीब सात बजे रविवार को हालिका दहन किया जाना था वैसा ही किया गया।
  विगत एक माह पूर्व से ही होलिका दहन डांडा गाडऩे की प्रथा से शुरू हो जाता है। यद्यपि इस बार होली के खेल, गीत एवं पर्व कम आयोजित किए गए किंतु होलिका दहन पर व्रत रखकर होलिका की पूजा अर्चना का कार्यक्रम दिनभर चलता रहा। होलिका दहन पर बाड़, कांटेदार झाडिय़ा एवं युद्ध में प्रयोग किए जाने वाले हथियारों के प्रतीक भी प्रयोग किए गए। दुलेंडी की सुबह फिर से होलिका दहन स्थल की पूजा की जाएगी तथा गाड़ा गया डांडा निकालकर संवत का पता लगाया जाएगा।
  क्षेत्र में कई जगह होली के मेले आयोजित किए गए। कनीना के होलीवाला जोहड़ पर बसासत के वक्त से होली मनाई जाती आ रही है तथा जोहड़ का नाम भी होलीवाला जोहड़ रखा गया है। यहां पर होली का दिनभर मेला लगा तथा होलिका दहन स्थल पर पूजा अर्चना चलती रही।
  कनीना मंडी में भी होली मनाई गई। समीपी गांवों में भी होलिका दहन चला। किसानों ने जौ भूनकर खाया।
 मान्यताएं-
होलिका दहन से पूर्व प्रह्लाद भक्त को बचाने के लिहाज से व्रत रखते हुए पूजा की जाती है ताकि प्रह्लाद भक्त बच जाए। आज भी वो पुरानी यादें लोगों के जीन में बसी हुई हैं। बताया जाता है कि जब प्रह्लाद भक्त बच गए और होलिका जल गई तो खुशी में रंगों का पर्व मनाया गया जो आज भी चला आ रहा है। होली से अगले दिन दुलेंडी खेली जाती है।
  माना जाता है कि प्रह्लाद भक्त को मारने के लिए कितने ही लोगों के हाथों में हथियार थे जो होलिका दहन पर यह समझकर डाल दिए गए कि अब प्रह्लाद मर जाएगा। यह प्रथा आज भी चली आ रही है और गोबर के हथियार आग में डाले जाते हैं। इनको ढाल एवं बिड़ला आदि नाम से जाना जाता है। जब होलिका दहन किया जाता है तो कुछ औरतें उसे बुझा देती हैं। यह भी पुराने वक्त की याद ताजा कर रही है। आग बूझाने वाली औरतें प्रह्लाद को बचाने के पक्ष में थी जबकि आग लगाने वाला उन्हें जलाना चाहता था। आज भी कई मान्यताएं यूं की यूं चली आ रही हैं।
फोटो कैप्शन 11 एवं 12: होलिका दहन का नजारा।



पुष्पा देवी जीवनभर जनसेवा में जुटी रही
-पुष्पा देवी की आदमकद मूर्ति का अनावरण किया
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कनीना। प्रमुख समाजसेवी ठाकुर अतरलाल एडवोकेट की धर्मपत्नी पुष्पा देवी को लोगों ने उनकी महाराणा प्रताप कालेज धनौन्दा स्थित समाधि परमार्थ स्थल पर पहुंचकर भावभीनी श्रद्धांजलि दी तथा पुष्पा देवी की आदमकद मूर्ति का अनावरण किया। इस अवसर पर पुष्पा देवी के जीवन पर आधारित तथा वरिष्ठ साहित्यकार रोहित यादव द्वारा संपादित स्मृति ग्रंथ साक्षात देवी  पुष्पा परमार का विमोचन भी किया गया।
        प्रमुख समाजसेवी ठाकुर अतरलाल ने पुष्पा देवी की स्मृति में प्रत्येक वर्ष शिक्षा, साहित्य, कृषि सुधार, चिकित्सा व समाज सेवा के क्षेत्र में परमार्थ श्रीअवार्ड देने की घोषणा भी की। वर्ष 2020 के लिए परमार्थ श्रीअवार्ड प्रख्यात लोक गायक वैद्य नंदराम महाशय एवं वरिष्ठ साहित्यकार रोहित यादव को प्रदान किया गया।
  वैद्य नंदराम महाशय ने भजनों के माध्यम से पुष्पा देवी के जीवन एवं कार्यों का गुणगान किया तथा नारी सशक्तिकरण, दहेज प्रथा उन्मूलन, गौसेवा एवं दान कार्यों का उल्लेख किया। प्रसिद्ध गायक नुसरत खान ने भी अपने भजनों के माध्यम से पुष्पा देवी को श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर धनौन्दा की छात्रा भूमिका, सृष्टि तथा छात्र अमित ने भी अपने विचारों के माध्यम से स्वर्गीय पुष्पा को श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर चेयरमैन रतन सिंह, कैलाश पालड़ी, राजेंद्र सिंह नंबरदार, भाग सिंह चेयरमैन, दमन यादव, राजेंद्र पंच सीहोर, महेश स्वामी, गुरदयाल सिंह चेयरमैन, रविंद्र बंसल, सूबेदार सूरत सिंह, घनश्याम सिंह, सूबेदार श्रीराम शर्मा, प्रमोद कटारिया, मदन सिंह शेखावत, शेर सिंह बाछौदिया, कप्तान दीपचंद साहब, वेद प्रचार मंडल के प्रधान मोहर सिंह, इंदरलाल शर्मा सहित इलाके के हजारों लोग उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 10: पुष्पा देवी का स्मृति ग्रंथ का विमोचन करते गणमान्य जन।



नकदी चोरी करने वाला पकड़ा, मामला दर्ज
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,कनीना। ककराला निवासी डा अमित कुमार शिकायत दर्ज करवाई है कि उनके गांव का राहुल नामक युवक उनके घर में घुसकर 15 हजार रुपये पर्स से निकाल ले गया। लोगों की सहायता से उन्होंने पकड़ा।
विस्तृत जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि राहुल नाम का व्यक्ति उनके घर में घुसा उस समय परिवार के सदस्य नीचे थे। ऊपर जाकर पर देखा तो पर्स से पैसे गायब थे। इधर उधर देखा तो राहुल भागते हुये दिखाई दिया। जब शोर मचाया तो  छलांग लगा कर भागने लगा। जब वह छत से उतरकर भागने लगा तो जय भगवान के घर के पास लोगों ने उसे पकड़ लिया। कनीना पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है।



दुलेंडी पर लगेगा मेला, संत स्वयं खेलेंगे होली
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कनीना।  बाबा उधोदास मंदिर पर होली मेला लगने जा रहा है। 29 मार्च को बाबा उधोदास की याद में वर्षों से विशाल मेला लगने जा रहा है। भक्तों की भीड़ यहां जमा होती है वहीं संत लालदास स्वयं भक्तों के संग होली खेलते हैं।  
  रणधीर सिंह भक्त ने बताया कि कनीना से नौ किमी दूर ग्राम जैनाबाद में  बाबा उधोदास का भव्य मंदिर स्थित है। इसी मंदिर के सामने बाबा की समाधि तथा बाबा के बाद में आए उनके शिष्यों की समाधियों वाला मंदिर है। इन समाधियों में सबसे पहले बाबा उधोदास की समाधि है। इस समाधि के ऊपर की ओर झांक कर देखे तो सैकड़ों वर्ष पुरानी पेंट व ब्रुश से की हुई कलाकारी दिखाई पड़ती है जो आज भी अपनी आब नहीं खो पाई है। यह वही स्थान है जहां अनवरत पूजा अर्चना का सिलसिला चलता रहता है तथा दीप जलते रहते हैं।
       होली के दिन भजन-कीर्तन के समय यहां भारी भीड़ जुटती है। प्रत्येक पूर्णिमा के दिन यहां का नजारा देखने लायक होता है जब प्रवचन, भजन एवं कीर्तन का आगाज किया जाता है किंतु रंगों के त्योहार होली की रात को यहां विशेष जागरण चलता है तथा दिन के समय ढोल एवं नगाड़ों के बीच होली जमकर खेली जाती है। महंत लालदास के साथ होली खेलते भक्तों को देखा जा सकता है। यहां पर हरियाणा ही नहीं अपितु दूसरे राज्यों के भक्तजन भी आकर मन्नतें मांगते हैं। माना जाता है कि उनकी मन्नत पूर्ण हो जाती है जिसके चलते वे दंपति यहां गठ जोड़े की जात देने आते हैं।   गांव जैनाबाद के पास से कंशावती नदी बहती थी। इसी नदी के किनारे पर उधोदास का जन्म हुआ। उधोदास धुन के पक्के और मन के सच्चे थे।  उनके गुरू का नाम दाताराम था। उधोदास ने कंशावती नदी के किनारे एक वृक्ष के नीचे तप और ध्यान लगाते हुए दुखियों के दर्द को मिटाया।
 बाबा उधोदास की समाधि बनी हुई है जहां अनवरत दीपक जलता रहता है।  ढफ और नगाड़ों के बीच हर्षोल्लास के साथ महंत लालदास जी धुलेंडी खेलते हैं।  बाबा लालदास ने गायों के लिए बाबा के नाम पर एक गौशाला बनवाई हुई है। संत लालदास की देखरेख में गांव ही नहीं अपितु मंदिर को चार चांद लग चुके हैं।  
फोटो कैप्शन 9: जैनाबाद का उधोदास आश्रम।



लंबा इतिहास समेटे हुए होलीवाला जोहड़
- लगा होली पर मेला
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 कनीना। कनीना -रेवाड़ी मुख्य मार्ग के नजदीक होलीवाला जोहड़  इतिहास समेटे हुए है। कनीना बसासत के समय से यहां होली दहन पर्व मनाया जाता है। इसीलिए इस जोहड़ को होलीवाला जोहड़ पड़ा है। जहां करीब 800 सालों से यहां होलिका दहन यहीं होता आ रहा है। वही छोटा मेला भी लगता है। बाबू वेदप्रकाश कनीना हर वर्ष मेले के दौरान भंडारा लगाते आ रहे हैं। दिनभर पूजा अर्चना चली।
क्या कहती कनीना की पुस्तक--
कनीना का इतिहास समेटे हुए कनीना के एचएस यादव की 2006 में प्रकाशित पुस्तक में भी स्पष्ट लिखा है कि पूर्वजों के समय से इसी जगह होलिका दहन होता आ रहा है। चंद वर्षों से कनीना में अन्य स्थानों पर भी होलिका दहन होता आ रहा है।
पुस्तक में वर्णित है कि कान्ह सिंह के गोत्र के नाम पर कनीना का नाम पड़ा। चूंकि दादा कान्ह सिंह का गोत्र कनीन था जिसके चलते कनीन से कनीना तथा आज भी कनीना के वासियों का गोत्र कनीनवाल है। इसी होलीवाले जोहड़ पर होलिका दहन के दिन भारी संख्या में सुबह से शाम भक्त पहुंचते हैं तथा पूजा अर्चना करते हैं।
दो जोहड़ होते थे--
कभी यहां दो जोहड़ होते थे जिनमें से एक का नाम पीलिया तथा दूसरे का नाम होलीवाला था। दोनों के बीच से एक रास्ता भी होता था जो अब लुप्त हो गया और एक जोहड़ बन गया है।
़ बचा है।
  होलिका दहन के समय तक महिलाएं गोबर के बने ढाल एवं बिड़कले इस होली पर डालती हैं तथा दुलेंडी के दिन बची हुई आग में चने भूनकर बच्चों को खिलाती हैं वहीं होली पर डाले गए गोबर के अस्त्र एवं शस्त्रों से बचे हुए दीपक को ढूंढकर घर लाती हें। माना जाता है कि इन खोजे गए दीपक में बच्चों को घुट्टी आदि देने से वे अधिक समय स्वस्थ रहते हैं।
मेला-
 होलिका दहन के स्थान पर कभी से महिलाएं एवं भीड़ आकर पूजा करती रही। विगत चंद वर्षों से यहां मेला भी लगने लग गया है। अब तो आलम यह है कि करीब आधा किमी दूरी में मेला लगता है और मेले का सामान होलिका दहन स्थल तक रखकर बेचते देखे गए हैं।  हालांकि पूजा अर्चना करने आई महिलाएं यहां व्रत धारण करके आती हैं किंतु यहां से जाने के बाद व्रत खोलती हैं।
फोटो कैप्शन 8: होलिका दहन का नजारा।



शराब पकड़ी, मामला दर्ज
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कनीना। कनीना पुलिस ने कनीना निवासी देवेंद्र उर्फ जोशी से 24 बोतल एनवी रसीला तथा 26 पव्वा एनवी रसीला शराब देसी पकड़ी। पुलिस को मुखबिर के आधार पर सूचना मिली कि सीएचसी कनीना के पास शराब बेच रहा है। पुलिस ने मौके पर ही गिरफ्तार कर मामला दर्ज कर लिया है।



कोरोना हुआ एक साल का....
- पुलिस ने निभाई थी शिक्षक की भूमिका, सिखलाये थे योग
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 कनीना। बेशक कोरोना काल को एक साल बीत गया है किंतु उन दिनों को याद कर आज भी आंखों में आंसू आ जाते हैं जब हालात दयनीय हो गई थी। स्कूल एवं कालेज बंद हो गए थे, लोग घरों में कैद थे किंतु पुलिस ने शिक्षकों की भूमिका निभाई वहीं समाजसेवी भी आगे आकर शेल्टर होम में कक्षाएं लेने लगे। किसी ने मास्क बनाकर सेवा की तो विद्यार्थियों ने आनलाइन शिक्षा को ही अपना गुरु माना।
कनीना का राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय को शेल्टर होम बनाया गया था जिसमें प्रतिदिन करीब 150 मजदूर दूसरे राज्यों के ठहरे थे किंतु 2000 के करीब दूसरे प्रांतों के लोग खाना खाने आते थे। प्रतिदिन उनकी कक्षाएं लेना, उनको योग सिखाना ठीक उसी प्रकार चला जैसी शिक्षक प्रार्थना सभा करवाते, तत्पश्चात ही योग के गुर सिखाते आए हैं।  आश्चर्यजनक बात रही कि यह लोग वास्तव में अपने पूरे जोश से सेवा
भाव निभाते रहे जिसके चलते कोरोना काल हंसी खुशी बीत गया।
वास्तव में कोरोना काल दुकानदार, व्यापारी किसान, मजदूर, कर्मचारी हर किसी को दुख दे गया। बेशक सरकारी कर्मचारियों को भारी नुकसान हुआ उनका वेतन पूरे जीवनभर कम मिलेगा किंतु उन्होंने भी घर बैठकर जी जान से सेवा की।
कनीना के तत्कालीन चौकी इंचार्ज गोविंद सिंह एसआई ने शिक्षक की भूमिका निभाई वहीं महेंद्र ने योग करवाये। कनीना के आसपास के अनेक शिक्षकों ने अपनी भूमिका निभाई जिनमें सुरेंद्र सिंह अमरजीत आदि प्रमुख हैं। वास्तव में घर पर भी शिक्षक अपनी भूमिका निभाते रहे।
आनलाइन शिक्षण बना आधार-
 कोरोना काल के समय आनलाइन शिक्षण चला जो वर्तमान में भी जारी है तथा भविष्य में आधार बनकर उभरेगा। आज भी जहां परीक्षाएं तीसरी कक्षा से आनलाइन हो रही है। कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि कोरोना काल में आनलाइन शिक्षण भविष्य का आधार बनेगा। अब नहीं लगता कि भविष्य में आनलाइन शिक्षण बंद हो जाए। विद्यार्थियों ने घर बैठकर जी-जान से आनलाइन शिक्षण किया। उन्होंने आनलाइन शिक्षण को ही गुरु माना।
 कनीना में जहां गृहणियों ने अपना काम छोड़कर मास्क बनाए मोनिका,पिंकी यादव, समाजसेवी गोलू ,मनोज कुमार आदि ने जहां मास्क बनाकर लोगों तक पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। निसंदेह उनका योगदान कोरोना को मात दे पाया। फोटो कैप्शन 1, 3 एवं 4: मजदूरों की कक्षाएं
लेते गोविंद सिंह एएसआई, महेंद्र सिंह आदि कोरोना 2: आनलाइन शिक्षण करती बच्चियां कोरोना 5: मोनी मास्क बनाते हुए। सभी फाइल फोटो


वक्त इंसान पर ऐसा भी कभी आता है........
-58 दिन चली थी अपनी रसोई
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- महाभारत के अज्ञातवास दौरान जो भूमिका पांडवों ने निभाई वैसा ही रोल निभाया कनीना के समाजसेवियों ने
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 कनीना। महाभारत के अज्ञात वास के समय में पांडवों ने जैसी भूमिका निभाई ठीक वैसी ही भूमिका अपनी रसोई में कनीना वासियों ने कोरोना का हाल में 58 दिन तक निभाई। करीब 20 लाख रुपये से मजदूरों को भोजन कराया जबकि एक भी पैसा सरकारी प्रयोग नहीं हुआ। 150 लोग शेल्टर होम में तथा दो हजार विभिन्न गांवों के मजदूर प्रति दिन खाना खाने आते थे।
बेशक वो दिन गुजर गए किंतु याद आज भी ताजा है। पालिका प्रधान सतीश जेलदार ने पैसे इक_े करके खाना खिलाकर जो भूमिका वाणिज्य कि निभाई वह पूरे देश में सदा याद रहेगी। आज भी वे मजदूर बार-बार फोन करके पालिका प्रधान का आभार जताते हैं। करीब 50 व्यक्ति रोजाना अपना घर का काम छोड़कर दिन-रात इन मजदूरों की सेवा करते रहें और अपनी रसोई को बखूबी से चलाया। पोंडा चायवाला अपनी चाय बनाने का काम छोड़ मजदूरों को खाना परोसने का कार्य किया, एक रसोइये की भूमिका निभाई। अलग-अलग लोग भोजन बनाने, बर्तन साफ करने, झाडू पौचा लगाने में यहां तक कि लाइनों में बिठाकर भोजन की व्यवस्था करने में रोल निभाया। यहां तक कि मजदूर भी भोजन बनाने में मदद करते थे। पालिका के सभी पार्षदों ने अपना पारिश्रमिक भी इन लोगों की सेवा में लगा दिया वही महेंद्र हलवाई, दीपक कुमार, पंकज एडवोकेट नीतू धोलिया पार्षद, विक्रम सिंह आदि ने जो भूमिका निभाई उसे कभी नहीं भुलाया जा सकता।
पार्षद दिलीप सिंह बेशक हाथ से दिव्यांग हैं किंतु अपने हाथों से पूडिय़ा तलते रहे।
जिसको जो कुछ कार्य में मिला उसे बखूबी से निभाया चाहे प्रकाश ठेकेदार हो या राजेंद्र सिंह लोढा, सुरेंद्र शर्मा हो या शिक्षक सुरेंद्र सिंह एवं अमरजीत, कंवरसेन वशिष्ठ समाजसेवी बनकर बखूबी से अपना योगदान दिया। कोरोना काल में दो लाख रुपये बचे थे वो गौशाला को भेंट किये गये। बाबा मोलडऩाथ सत्संग मंडल ने 71 हजार रुपये और श्याम मित्र मंडल ने 41 हजार रुपये  दान देकर सेवा की। जिसको कुछ बन पाया आटा दाल, मिठाई या अन्य कोई सामग्री हर जाति और हर वर्ग के लोगों ने भेंट की। जिसके चलते विधायक सीताराम यादव , एडीओ ओमप्रकाश मंत्री, रणबीर सिंह एसडीएम ने भी पहुंचकर प्रधान की प्रशंसा की और सम्मानित भी किया। सुशील कुमार और मनोज कुमार समाजसेवियों ने दूसरा शेल्टर होम खोलकर उसमें दिन-रात सेवा की।
सुबह से ही घर छोड़कर समाजसेवी इस कार्य में जुट जाते थे और देर रात को घर लौटते थे। आज भी उस दिन को नहीं भुला सकते और न ही कभी भुला पाएंगे। इसलिए बहुत प्रसिद्ध संगीत याद आता है- वक्त इंसान पर ऐसा भी कभी आता है राह में छोड़कर साया भी चला जाता है।
फोटो कैप्शन 6: भोजन कराते शिक्षक, पुलिस कर्मी, पार्षद
फोटो कैप्शन 7: बारात की भांति भोजन कराते हुए लोग
फोटो कैप्शन 8: पोंडा चाय वाला भोजन तैयार करते हुए
फोटो कैप्शन 9: पार्षद तथा सभी कस्बा के लोग बढिय़ा-बढिय़ा व्यंजन तैयार करते हुए
फोटो कैप्शन 10: खुश होकर जाते हुए तथा सभी का हाथ जोड़कर आभार व्यक्त करते हुए मजदूर
फोटो कैप्शन 11: पार्षद विधायक तथा सभी प्रधान सभी मजदूरों का स्वागत करने के लिए खड़े  12: पार्षद खाना खिलाते हुए
फोटो कैप्शन 13: स्वागत के लिए तैयार खड़े प्रमुख जन
फोटो कैप्शन 14:मजदूरों को रोडवेज बस से विदा करते हुए
फोटो कैप्शन 15: दिव्यांग पार्षद पूड़ी तलते हुए। सभी फोटो फाइल


पुलिस ने दो अलग



































-अलग व्यक्तियों से शराब पकड़ी, मामला दर्ज
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 कनीना। कनीना पुलिस ने दो अलग-अलग स्थानों पर मुखबिरी के आधार पर दो व्यक्तियों से 36 पव्वे तथा 22 बोतल शराब पकड़ी है तथा मामला दर्ज कर लिया है।
 पुलिस को सूचना मिली कि गौशाला रोड कनीना से संदीप उर्फ बानिया शराब लेकर गुजरेगा। पुलिस ने नाकाबंदी करके मोटरसाइकिल सवार संदीप उर्फ बानिया से 36 पव्वे और 12 बोतल शराब बरामद की वहीं मुंडिया खेड़ा में सुरेंद्र उर्फ पप्पू को मुडिय़ा खेड़ा के पुराने पंचायत भवन के पास 10 बोतल देसी शराब सहित पकड़ा दोनों के विरुद्ध मामला दर्ज कर लिया है।