कनीना के अंतिम स्वतंत्रता सेनानी प्रभाती लाल का निधन
- पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया अंतिम संस्कार
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कनीना। कनीना मंडल के गांव करीरा निवासी प्रभाती लाल(95) स्वतंत्रता सेनानी का निधन हो गया। कनीना उपमंडल के अंतिम स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका अंतिम संस्कार करीरा गांव में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया। प्रशासन की ओर से उन्हें पुष्प चक्र अर्पित किया गया।
मिली जानकारी अनुसार जीवाराम करीरा निवासी किसान के यहां लगभग 1926 में प्रभातीलाल का जन्म हुआ। उनकी मां भूरी देवी उन्हें बड़े लाड़ प्यार से पाला किंतु वो उन्हें सेना में भर्ती करवाना चाहती थी। बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे पढ़ाई-लिखाई अधिक न करने के कारण घर पर ही रहे किंतु देश की आजादी के लिए उनका जज्बा देखने लायक था।
उनके पुत्र शुभ राम व सुभाष चंद्र बताते हैं कि जब कभी देश की आजादी की बात चलती तो जोश में आ जाते थे। यहां तक कि नेताजी ने जब आजाद हिंद फौज की स्थापना की तो उनका सपना था कि वे आजाद हिंद फौज में शामिल हो परंतु उस समय वे आजाद हिंद फौज में शामिल नहीं हो सके किंतु घर पर रहकर भारत की आजादी का सपना दिल में संजोकर लोगों को एकत्रित करते रहे और अंग्रेजों के विरुद्ध आंदोलन छेड़ते रहे। परिणामस्वरूप उन्हें अनेकों यातनाएं सहन करनी पड़ी। जब आजाद हिंद फौज की स्थापना की और आजादी के लिए संघर्ष चला उस समय कनीना क्षेत्र के करीब दो दर्जन अन्य साथियों के साहित्य जोर शोर से आजादी के नारे लगाए जिसके चलते उन्होंने अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया और बावल की जेल में भेज दिया। करीब छह माह की यातना झेलकर आने के बाद फिर से गांव में आकर आजजादी के नारे लगाने लगे और उन्हें फिर से अंग्रेजों ने पकड़कर पुन: नाभा जेल में डाल दिया। जेलों से छूटकर आने के बाद भी उनका जज्बा खत्म नहीं हुआ। यद्यपि नेताजी सुभाष चंद्र बोस का 1945 में निधन हो गया वह फूट-फूटकर रोए थे तथा उसके बाद भी जब कभी नेताजी की चर्चा चलती तो नेताजी को याद कर जोश में आ जाते थे।
उनके सहयोगी साथी कनीना के स्व बंशीधर गुप्ता स्वतंत्रता सेनानी, लुखी गांव के करीब दो दर्जन साथी भी थे जिन्होंने जी जान एक करके भारत की आजादी में अपना अमूल्य योगदान दिया। अब तक बचे हुए अंतिम स्वतंत्रता सेनानी थे किंतु उनका निधन होने से कनीना उपमंडल स्वतंत्रा सेनानियों से रिक्त हो गया हैं। वे अपने पीछे 3 लड़के जिनमें से दो जीवित हैं शुभ राम और सुभाषचंद्र पत्नी बादामी देवी, तीन पुत्रियां कविता, सुनीता, निर्मला, पौत्र पौत्रियों आदि को छोड़ गए हैं। पूरे राजकीय सम्मान के अंतिम संस्कार किया गया। बैंड बाजों और ढोल ताशों के बीच उनको श्मशानघाट तक ले जाया गया। इस मौके पर प्रशासन की ओर से एसडीएम कनीना दिनेश ने पुष्प चक्र अर्पित किया और अंतिम विदाई दी। इस मौके पर सीताराम, देशराज कोटिया, सरपंच राकेश कुमार, महिपाल सिंह, कालू करीरा, सेनानी का पुत्र शुभराम सहित गणमान्य जन उपस्थित थे। पुलिस ने सशस्त्र सलामी दी।
फोटो कैप्शन: प्रभातीलाल फाइल फोटो।
फोटो कैप्शन 14 से 17: स्वतंत्रता सेनानी को अंतिम विदाई देते हुए।
कवि-गीतकार डा सी एस वर्मा इंद्रधनुष साहित्य-सम्मान से विभूषित
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कनीना। साहित्य-संवर्धन एवं प्रचार-प्रसार के लिए ज्ञानोदय साहित्य संस्थान, कर्नाटक द्वारा साहित्य-संस्कृति मंच के संयोजक कवि-गीतकार डा छतर सिंह वर्मा प्रभाकर को इंद्रधनुष साहित्य-सम्मान से विभूषित किया गया । डॉ प्रभाकर को यह सम्मान, ज्ञानोदय साहित्य संस्थान, कर्नाटक द्वारा मंगलुरु विश्वविद्यालय की एसोसिएट प्रोफेसर डा सुमा रोडनवर की अध्यक्षता में आयोजित आनलाइन काव्य-प्रतिभा एवं साहित्य-सम्मान समारोह में प्रदान किया गया । गांव गुजरवास निवासी डा छतर सिंह वर्मा प्रभाकर राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, कांटी में बतौर हिंदी प्राध्यापक सेवारत हैं ।
उल्लेखनीय है कि शिक्षा-साहित्य एवं सामाजिक क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिए डा छतर सिंह वर्मा को शिक्षा-रत्न,सूर्यकांत त्रिपाठी निराला साहित्य-सम्मान ,शान-ए-भारत अवार्ड, लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड, जयहिंद ह्यूमैनिटी अवार्ड तथा लाइफ साइन अवार्ड इत्यादि पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है । ज्ञानोदय साहित्य संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा सुनील परीट, वरिष्ठ कवयित्री डा वसुधा कामत, डा बी निर्मला, डा इंदिरा गुप्ता यथार्थ, डा नेमीचन्द शांडिल्य, डा कीर्तिवर्धन, रामनारायण साहू, डा पल्लवी कुलकर्णी, डा लीना पेंढारकर सहित अनेक साहित्यिक विभूतियों ने डा प्रभाकर को बधाई संदेश प्रेषित किया है ।
फोटो कैप्शन 12: डा सीएस वर्मा को मिले सम्मान के साथ श्री वर्मा।
विजय कुमार शर्मा जवान का राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार
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कनीना। भारतीय सेना में कार्यरत दौगड़ा जाट के नायक सूबेदार विजय कुमार शर्मा का उनके पैतृक गांव में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। नायक सूबेदार विजय कुमार शर्मा लेह में ड्यूटी पर कार्यरत थे । 28 मार्च की सुबह जब अपने साथियों के साथ ऑपरेशन स्नो लेपर्ड में ड्यूटी पर थे तभी उनकी गाड़ी गहरी खाई में गिर गई । इस दुर्घटना के वक्त गाड़ी में 3 जवान सवार थे। जिसमें से 2 जवान मौके पर ही शहीद हो गए जबकि गाड़ी का ड्राइवर गंभीर रूप से घायल हो गया। लेह से पार्थिव शरीर के साथ आए नायब सूबेदार रणजीत सिंह ने बताया कि शहीद विजय कुमार शर्मा 603 ईएमई बटालियन में कार्यरत थे। 28 मार्च की सुबह जब वह पेट्रोलिंग पर थे तो अचानक उनकी गाड़ी नीचे गहरी खाई में गिर गई। विजय कुमार शर्मा ड्यूटी के दौरान बैटल कैजुअल्टी मे शहीद हो गए
शहीद विजय कुमार शर्मा लगभग 20 वर्ष सेना में रहे । इनके दो बच्चे हैं बड़ी लड़की है जो एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है। लड़का नौवीं कक्षा में पढ़ता है। शहीद विजय कुमार शर्मा को उनके बेटे ने मुखाग्नि दी। शहीद के अंतिम दर्शनों के लिए क्षेत्र से बड़ी संख्या में लोग शहीद के पैतृक गांव में पहुंचे और अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किया। गांव के युवाओं ने शहीद के सम्मान में बाइको पर सवार होकर तिरंगा यात्रा निकाली। प्रशासन की तरफ से भी शहीद के सम्मान में नायब तहसीलदार सतपाल सिंह ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। स्थानीय विधायक सीताराम यादव भी शहीद की अंतिम यात्रा में शामिल होने पहुंचे। सेना से सेवानिवृत्त क्षेत्र के अनेक पूर्व सैनिकों ने भी शहीद को अपना अंतिम सलाम किया। हिसार से आई सेना की चार मेकैनिज्म इन्फेंट्री सिख रेजीमेंट की टुकड़ी ने शहीद को गार्ड आफ आनर और शस्त्र सलामी दी।शहीद विजय कुमार शर्मा के पिता भी सेना से रिटायर्ड सूबेदार मेजर है। इसके अलावा इनके बड़े भाई भी सेना में सूबेदार के पद पर कार्यरत हैं। शहीद विजय कुमार शर्मा को दौंगड़ा अहीर चौकी इंचार्ज पवन कुमार अपने स्टाफ के साथ, गांव के सरपंच ओमप्रकाश शर्मा के अलावा आसपास के गांव के सरपंच,नंबरदार,राजकुमार यादव, जयप्रकाश एसएचओ कनीना उमर मोहम्मद, चौकी इंचार्ज पवन कुमार, पवन, दिनेश, जगमाल सहित भारी संख्या में लोग शामिल हुए।
फोटो कैप्शन 1,3,4,5: शहीद विजय शर्मा से संबंधित हैं।
युवक ने खाई फांसी
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कनीना। कनीना उपमंडल के गांव चेलावास के कुलदीप 37 ने अज्ञात कारणों के चलते फांसी लगा ली है। कनीना पुलिस के एसएचओ उमर मोहम्मद सहित पुलिस मौके पर पहुंच गई है। अभी तक कारणों का पता नहीं लगा है। पोस्टमार्टम के लिए उनका शव महेंद्रगढ़ भेज दिया गया।
शहीद को दी भावभीनी अंतिम विदाई
-20 सालों से कर रहे थे सेवा
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कनीना। दौंगड़ा जाट गांव के नायक सूबेदार विजय कुमार शर्मा को उनके पैतृक गांव दौंगड़ा जाट में सम्मान सहित अंतिम विदाई दी गई। उनके पुत्र ने उन्हें मुखाग्नि दी। 28 मार्च को लेह, जम्मू कश्मीर में उनकी गाड़ी पलट जाने पर शहीद हो गए थे। उनका पार्थिव शरीर बुधवार को गांव में गमगीन माहौल में लाया गया और अंतिम संस्कार किया गया।
इस मौके पर पूरे गांव शहीद के नारों से गूंज उठा। 20 साल पहले ईएमई( इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियरिंग) में भर्ती हुए थे। वर्तमान में वे नायक सूबेदार पद पर कार्यरत थे। उनके पीछे एक पुत्र तथा एक पुत्री है तथा भरा पूरा परिवार है। पुत्र विशाल शर्मा 9वीं कक्षा का विद्यार्थी है जबकि पुत्री स्नेहा शर्मा एमबीबीएस कर रही है। विजय कुमार को अंतिम विदाई उनकी सेना के साथियों ने मातमी धुन बजाकर अंतिम विदाई दी।
मिली जानकारी अनुसार शहीद विजय कुमार शर्मा नायब सूबेदार पद पर कार्यरत थे और उनकी उम्र करीब 46 वर्ष थी। उनके पिता मोहन लाल शर्मा सेना से सूबेदार पद से रिटायर हुए हैं।
इस मौके पर नायब तहसीलदार कनीना सतपाल, विधायक अटेली सीताराम यादव, ओम प्रकाश शर्मा सरपंच, होशियार सिंह सरपंच प्रतिनिधि, राजकुमार यादव, जयप्रकाश एसएचओ कनीना उमर मोहम्मद, चौकी इंचार्ज पवन कुमार, पवन, दिनेश, जगमाल सहित भारी संख्या में लोग शामिल हुए।
फोटो कैप्शन 1,3,4,5: शहीद विजय शर्मा से संबंधित हैं।
युवक ने खाई फांसी
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कनीना। कनीना उपमंडल के गांव चेलावास के कुलदीप 37 ने अज्ञात कारणों के चलते फांसी लगा ली है। कनीना पुलिस के एसएचओ उमर मोहम्मद सहित पुलिस मौके पर पहुंच गई है। अभी तक कारणों का पता नहीं लगा है। पोस्टमार्टम के लिए उनका शव महेंद्रगढ़ भेज दिया गया।
त्वरित गति से दस्तक दे रही है गर्मी
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कनीना। गर्मी बढऩे से घरों, दफ्तरों, दुकानों में पंखों की गति बढ़ा दी गई है। एसी तथा कूलरों को साफ करने लगे हैं। गर्म कपड़ों की दुकानों से गर्म कपड़े सिमट चुक हैं और गर्मी के मौसम अनुसार कपड़े आने लगे हैं।
वर्ष 2020 में जहां सर्दी का आगाज देर से हुआ और इस वर्ष तो गर्मी ने सभी रिकार्ड अभी से तोड़ दिये हैं।मंगलवार को तेल अंधड़ चलने के बाद बुधवार को फिर से गर्मी पडऩे लगी है। गर्मी दिन के समय पड़ती है परंतु रात को तापमान कम हो जाता है। गर्मी बढऩे से दिन के वक्त घरों, दफ्तरों एवं विभिन्न संस्थाओं में अब पंखे की हवा सुहाने लगी है। लोगों का मानना है कि मक्खी एवं मच्छरों से निजात पाने का एक तरीका पंखा भी है। जब तक पंखा चलता है तब तक मक्खी एवं मच्छरों से कुछ हद तक छुटकारा पाया जा सकता है।
अब तक यही माना जा रहा था कि जिस प्रकार देर से सर्दी आई थी वैसे ही गर्मी आएगी परंतु गर्मी ने तेजी से दस्तक दी है। अब माना जा रहा है कि इस वर्ष अधिक गर्मी पड़ेगी। बहरहाल अभी से ही तपन महसूस की जाने लगी है और गर्मी के चलते फसल भी जल्दी लावणी आ चुकी है।
किसानों के इंतजार की घडिय़ां खत्म
-एक अप्रैल से 4650 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से होगी सरकारी खरीद
- ढाई लाख बैग उपलब्ध
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कनीना। कनीना अनाज मंडी विगत 6 महीने से सुनसान पड़ी रहने के बाद फिर से हलचल बढ़ गई है। एक अप्रैल से सरकारी तौर पर सरसों की 4650 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीद होगी। खरीद के लिए कनीना क्षेत्र में महज कनीना मंडी ही एकमात्र केंद्र बनाया गया है। विस्तृत जानकारी देते हुए हैं हैफेड मैनेजर सतेंद्र यादव ने बताया कि हैफेड की ओर से
खरीद की जाएगी। ढाई लाख बैग बारदाना उपलब्ध है। करीब 32 आढ़तियों के जरिए सरसों की खरीद होगी जहां आढ़तियों द्वारा भराई, तुलाई आदि का कार्य उनके द्वारा लगाये गये मजदूर करेंगे
जबकि सरसों की उतरवाई ठेकेदारों की लेबर द्वारा करवाई जाएगी।
क्या करते आढ़ती-
आढ़ती ओम प्रकाश लिशानियां, रविंद्र बंसल आदि ने बताया कि करीब 32 आढ़ती सरसों की खरीद करेंगे। इसके लिए उन्होंने पहले ही लेबर को फोन किया हुआ है। एक या दो रोज में लेबर कनीना मंडी में भारी संख्या में उपलब्ध हो जाएगी। फोटो कैप्शन 6: कनीना अनाज मंडी इंतजार करती सरसों का।
परीक्षा के भय से बचाएं अपने बच्चों को - सूर्यकांत यादव
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कनीना। परीक्षा के खौप से अपने बच्चों को बचाना चाहिए वरना परिणाम बेहतर नहीं होता है। ये विचार डाइट महेंद्र्रगढ़ के मनोवैज्ञानिक सूर्यकांत यादव ने यहां व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि अप्रैल से हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी की परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं ऐसे में विद्यार्थियों को अभिभावक व अध्यापक दोनों की तरफ से बेहतर रिजल्ट लाने का दबाव झेलना पड़ता है। अक्सर देखा गया है कि माता.पिता अपने बच्चे की दोस्तों या पड़ोसी के बच्चों से तुलना करते हैं। अभिभावकों द्वारा अपने बच्चों की दूसरे छात्रों के साथ तुलना करना थोड़ी देर के लिए भड़ास निकालने का जरिया हो सकता है। परंतु इस दबाव का असर छात्रों के वास्तविक जीवन पर बहुत ही गहराई से पड़ता है। साथी छात्रों की तुलना में कम अंक लाने वाले छात्र को जब अपनों का साथ नहीं मिलता तो वह डिप्रेशन से गुजरते हैं। वे खुद को दोषी व अयोग्य मानते हुए हीन.भावना आ जाती हैं जिससे वे आत्मविश्वास खोने लगते हैं और धीरे.धीरे उपलब्धि स्तर में गिरावट आनी शुरू हो जाती है।
श्री यादव ने कहा कि भले ही अभिभावक कहते हैं कि बच्चों को पूरी आजादी के साथ पढ़ाई करने देते हैं बावजूद इसके बच्चों के अंदर परीक्षा का दबाव एवं डर लगातार बढ़ रहा है।
उनका कहना है कि ऐसी परिस्थिति में जरूरत है बच्चों के साथ.साथ अभिभावकों की भी काउंसलिंग करने की। माता.पिता को यह भलीभांति समझ लेना चाहिए कि पढ़ाई के अलावा जीवन में खेलकूद का उतना ही महत्व है जितना आप परीक्षा परिणाम का समझते हैं। साथ ही छात्रों को यह जान लेना चाहिए कि माता.पिता व अध्यापकों से संवाद कौशल आप में बेहतर व्यक्तित्व का निर्माण करता है। अपनी खूबियों को पहचान कर व अपनी क्षमता का इस्तेमाल कर जीवन के किसी भी परीक्षा में पास हुआ जा सकता है।
फोटो कैप्शन: सूर्यकांत यादव मनोवैज्ञानिक।
कोरोना सीखा गया आनलाइन शिक्षण
-जारी हैं आनलाइन परीक्षा तथा गतिविधियां
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कनीना। कोरोना काल बीते एक साल हो गया है किंतु उसने जहां हर वर्ग को नुकसान पहुंचाया किंतु शिक्षा में आमूल चूल परिवर्तन करने में कोरोना का अहं रोल माना माना जाता है। जहां सबसे पहले कोरोना का में आनलाइन शिक्षण शुरू हुआ। कक्षा प्रथम हो या कालेज की के विद्यार्थी सभी ने आनलाइन
प्रशिक्षण लिया परिणाम स्वरूप जो मोबाइल विद्यालय में लाने पर प्रतिबंध था वही आनलाइन शिक्षण एवं परीक्षा का आधार बना।
वर्तमान में जहां तीसरी कक्षा से 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों की आनलाइन परीक्षाएं जारी हैं। कालेज के विद्यार्थी भी आनलाइन परीक्षा इसी के जरिए दे रहे हैं। वास्तव में एक सुधार, एक नई पहल बनकर उभरा है। कोरोना काल में सभी विद्यालय बंद रहे तो विद्यार्थियों ने घर पर बैठकर ही शिक्षण पाया। आनलाइन शिक्षण के अब विद्यार्थी भी इतने आदि हो गये कि अब
मोबाइल से दूर नहीं हटाना चाहते। यद्यपि आनलाइन शिक्षण भविष्य में शिक्षकों का स्थान नहीं ले सकती परंतु शिक्षा विभाग इसका जमकर उपयोग कर रहा है।
क्या कहते हैं शिक्षाविद----
शिक्षाविद सुनील कुमार, महेश कुमार, राजेश कुमार, महेंद्र सिंह, नरेश कुमार आदि ने बताया की शिक्षा विभाग ने आनलाइन शिक्षण पर बहुत जोर दिया। कोरोना काल में शिक्षण कारगर साबित हुआ परंतु शिक्षकों का स्थान नहीं ले सकता। परीक्षा भी करवाई जा रही है जो सुविधाजनक भी है परंतु जो कार्य शिक्षक कक्षा कक्ष में करवाता है वैसा परिणाम नहीं आ सकता। इसलिए आनलाइन शिक्षण कुछ हद तक लाभप्रद साबित हुआ है वही अब विद्यार्थी अधिक उपयोग करने लगे हैं जिसके चलते परिणाम अच्छे नहीं हो सकते। उन्होंने कहा कि आनलाइन शिक्षण की भी अपनी मर्यादा होती है।
अभिभावक भी नहीं दे रहे फोन--
बेशक इंसान 21 सदी में चल रहा है किंतु आज भी कुछ अभिभावक 16वी शताब्दी में जी रहे हैं। वे बच्चों को फोन इसलिए नहीं दे रहे हैं कि बच्चे बिगड़ जाएंगे। किंतु वे भूल गये हैं कि मोबाइल का एक बेहतरीन पहलु ज्ञान भी है उसे नकारा नहीं जा सकता। किसी प्रकार का ज्ञान मोबाइल से सीखने में मदद मिल सकती है।
फोटो कैप्शन 2: आनलाइन शिक्षण करती छात्राएं।
कोरोना के चलते हाई कोर्ट की तारीखें बढ़ी
--कनीना के मसले में तिथि 26 अप्रैल को ही होगी
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कनीना। कोरोना के बढ़ते प्रभाव के दृष्टिगत पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अप्रैल माह में फिक्स की हुई सभी तारीखें अगस्त के लिए टाल दी है। अब उनकी सुनवाई अगस्त माह में होंगी। कनीना का प्रसिद्ध दुकाने ंतोड़े जाने का मसला भी अप्रैल को निर्धारित किया गया था अब उसकी सुनवाई 13 अगस्त 21 को होगी। रवि कुमार, पवन कुमार, डा अजीत कुमार का कहना है कि उनकी सुनवाई अब 13 अगस्त को निर्धारित की गई है। तब तक दुकानदारों में खुशी का माहौल है।
26 अप्रैल को ही सुनवाई होगी------
व्यापार मंडल के प्रधान महेश बोहरा ने वकीलों से इस संबंध में जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि कनीना पंचायत समिति के मसले में तिथि पूर्व निर्धारित ही रहेगी अर्थात 26 अप्रैल को ही सुनवाई होगी। अन्य कुछ तिथियों में परिवर्तन किया है।
कैमला में करवाई बैग प्रतियोगिता
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कनीना। राजकीय माध्यमिक विद्यालय कैमला में कक्षा 1 से 8 तक के विधालय में पढ़ने वाले सभी बच्चों की स्कूली बैंग प्रतियोगिता करवाई गई जिसमें बच्चों ने रूचि के साथ भाग लिया और सही बच्चों ने अपने बैग साफ-सुथरे सुंदर आकर्षक बना रखे थे जिनमें से क्रमश प्रथम चरण में लीना, कशिश ,भविष्या, नव्या, कार्तिक, तमन्ना तथा दुसरे चरण में रोहित, मनीषा, अंजली क्रमश प्रथम रही सही बच्चें बड़े ही खुश नजर आ रहे थे इस अवसर पर विरेन्द्र सिंह मौलिक मुख्य अध्यापकों ने बच्चों को प्रेरित करते हुए का हमें पढ़ाई के साथ होने वाली विभिन्न प्रकार की शैक्षिक गतिविधियों में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करनी चाहिए और बच्चों को अपनी रूचि के अनुसार एक कार्य करना चाहिए जिससे उसकी प्रतिभा निखार आ जा सके साथ में अध्यापकों साथियों को भी बच्चों की प्रतिभा को विकसित करने के लिए अनेकों शैक्षिक क्रिया- कलापों के लिए हमेशा प्रेरित करना चाहिए जो विधार्थियों को उनकें अंदर आत्मविश्वास की भावना जागृत करने में सफल हो सकें और बच्चा नि-संकोच व बिना किसी झिझक के साथ अपना अधिगम शिक्षण प्रक्रिया प्राप्त कर सकें ऐसे विद्यार्थी ही जीवन में अच्छी सफलताएं प्राप्त करते हैं और अपने माता- पिता के साथ अपने विद्यालय और गुरुजनों के गौरव को बढ़ाते हैं इस अवसर पर देशराज यादव ,
राधेश्याम शास्त्री, संदीप, सतवीर राजेश ,भगत सिंह, सुबे सिंह, सुनील आदि उपस्थित रहें