Not sure how to add your code? Check our installation guidelines **KANINA KI AWAZ **कनीना की आवाज**

Thursday, March 4, 2021

 
मार्च महीने में 10 दिन कोविड वैक्सीन दी जाएगी
सेहलंग, भोजावास तथा मुंडियाखेड़ा का वैक्सीन सत्र  हुआ
घोषित

 **********************************************************
*****************************************************
***********************************
**************************
 कनीना। मार्च महीने में कोविड-19 की वैक्सीन देने का कार्यक्रम घोषित कर दिया गया है जिसमें कनीना उप नागरिक अस्पताल के साथ साथ सेहलंग सीएचसी, मुंडिया खेड़ा तथा भोजावास पीएचसी आदि स्थानों पर भी कोविड-19 की वैक्सीन देने का कार्यक्रम चलेगा।
विस्तृत जानकारी देते हुए कनीना उप नागरिक अस्पताल के एसएमओ डा धर्मेंद्र यादव ने बताया कि कनीना में 9 मार्च, 12 मार्च, 15 मार्च, 16 मार्च, 18 मार्च, 22 मार्च और 25 मार्च को कोविड-19 वैक्सीन दी जाएगी। उन्होंने बताया कि सेहलंग सीएचसी के तहत 8 मार्च, 12 मार्च, 18 मार्च और 25 मार्च को कोविड-19 की वैक्सीन दी जाएगी जबकि
पीएचसी मुंडियाखेड़ा में 8 मार्च,15 मार्च और 22 मार्च को वैक्सीन दी जाएगी तथा भोजावास में भी 8 मार्च,15 मार्च और 22 मार्च को वैक्सीन दी जाएगी। पूरे ही जिले का मार्च माह का सत्र घोषित हो चुका है। कनीना में बुजुर्गों की सुविधा के दृष्टिगत अब ग्राउंड फ्लोर पर कमरा नंबर पांच में वैक्सीन दी जाएगी। यह वैक्सीन सभी वरिष्ठ नागरिकों को तथा 45 से 59 साल तक के विशेष रोगों से पीडि़तों को दी जाएगी। रेजिस्ट्रेशन अस्पताल में तथा स्वयं भी आनलाइन करवा सकते हैं।
फोटो कैप्शन: एसएमओ  डाक्टर धर्मेंद्र


40 वरिष्ठ नागरिकों को दी कोविड वैक्सीन
-सुचिधा के लिए अब भूमितल कमरे में दी जाएगी वैक्सीन
**********************************
*************************
 कनीना। कनीना उप-नागरिक अस्पताल में हर सप्ताह सोमवार, मंगलवार और गुरुवार को 60 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों को कोविड-19 वैक्सीन दी जा रही है। पहले यह वैक्सीन कनीना के सामुदायिक नागरिक कमरा नंबर 217 में दी जानी थी किंतु बुजुर्गों को दूसरे तल तक चढऩे में आने वाली परेशानियों को देखते हुए भूमितल(ग्राउंड फ्लोर) कमरा नंबर पांच में वैक्सीन दी जा रही हैं।
विस्तृत जानकारी देते हुए एसएमओ धर्मेंद्र यादव ने बताया कि अभी 60 वर्ष से ऊपर के व्यक्ति कभी भी आकर यह वैक्सीन लगवा सकते हैं जबकि 45 से 59 वर्ष तक के उन व्यक्तियों को यह वैक्सीन दी जाएगी जो विभिन्न 20 बीमारियों से पीडि़त हैं। इन बीमारियों की सूची अस्पताल में उपलब्ध है। उन्होंने इसके लिए रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। अस्पताल में सामुदायिक अस्पताल के
कमरा नंबर 216 में रजिस्ट्रेशन करवाया जा सकता है या ई-पोर्टल पर स्वयं ही रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। उन्हें रजिस्ट्रेशन करने के पश्चात वैक्सीन लगवाने की डेट मिल जाएगी तथा वे अपनी इच्छा अनुसार कोई भी स्टेशन चुन सकते हैं जहां पर उन्हें की वैक्सीन दी जाएगी। जबकि अस्पताल में सपोर्ट आन द स्पाट रजिस्ट्रेशन किया जाएगा तथा वैक्सीन भी तुरंत दी जाएगी।
फोटो कैप्शन 7: वरिष्ठ नागरिक कोरोना वैक्सीन लेते हुुए।


फोरलेन मार्ग बनाए जाने की मांग
-करीब डेढ़ किलोमीटर मार्ग हुआ अति जर्जर
*********************************
***********************************
कनीना कनीना। अटेली टी-प्वाइंट से रेवाड़ी टी-प्वाइंट तक करीब डेढ़ किलोमीटर मार्ग को फोरलेन मार्ग बनाकर डिवाइडर लगाने की योजना को अमलीजामा पहनाने की मांग बलवती हो रही है। वर्षों पहले से यह मांग उठी थी तथा बार-बार आश्वासन भी मिल रहे हैं कि इस मार्ग को फोरलेन मार्ग बना दिया जाएगा किंतु अभी तक इस पर अमल नहीं किया गया है।
उल्लेखनीय है कि कनीना से अटेली, नारनौल रेवाड़ी, कोसली, रोहतक, चरखी दादरी, भिवानी, महेंद्रगढ़ आदि मार्गों को जाने वाले संपर्क मार्गों से जुड़ा हुआ है। कनीना का उपरोक्त मार्ग प्रमुख मार्ग होने के साथ साथ इस मार्ग पर वाहनों का दबाव बढ़ता ही जा रहा है। जिसके चलते जहां अटेली विधायकों ने समय-समय पर इसे फोरलेन मार्ग बनाए जाने की बात कही थी ताकि वाहनों का दबाव घट जाए। वैसे भी यदि अटेली टी-प्वाइंट से रेवाड़ी टी-प्वाइंट तक फोरलेन मार्ग बनाकर बीच में डिवाइडर लगा दिया जाए तो कनीना की सुंदरता में चार चांद लग सकते हैं। वहीं वाहनों के आवागमन की परेशानी भी हल हो सकती है। किंतु मांग बार-बार उठने के बावजूद भी सिरे नहीं चढ़ पा रही है। यहां तक कि उपरोक्त दूरी में यह मार्ग बहुत जर्जर हो चला है। अनेकों घटनाएं घटनाएं इस मार्ग पर घट रही हैं।



सतनाली फीडर नहर में पानी छोड़े जाने को लेकर आयोजित हुई बैठक
**********************************
*******************************
कनीना। किसान मजदूर की समस्याओं को लेकर गांव स्याणा, नौताणा, पोता व सेहलंग में किसान मजदूर पंचायतें आयोजित की गई।
   प्रजा भलाई संगठन के अध्यक्ष ठाकुर अतरलाल की अध्यक्षता में आयोजित पंचायतों में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कर सतनाली फीडर नहर में पूरे मार्च माह पानी चलाने और अपने साधनों द्वारा फसलों की सिंचाई कर रहे किसानों को नहर विभाग के अधिकारियों द्वारा तंग करने की कार्यवाही को किसान विरोधी बताते हुए अधिकारियों को बाज आने की चेतावनी दी गई। पंचायतों में ठाकुर अतरलाल के सामने अपनी समस्याएं रखते हुए किसानों ने कहा की नहर विभाग के अधिकारी सुंडवा, टै्रक्टर अथवा साईफन आदि से सिंचाई कर रहे किसानों को तंग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विभाग ने पूरे माहनहर नहीं चलाई। उनकी फसलें सूख रही है। अब 3-4 दिन से पानी आ रहा है तो अधिकारी किसानों को परेशान कर रहे हैं। किसानों की पीड़ा को सुनकर अतरलाल ने नहर विभाग के अधिकारियों को चेतावनी दी कि अधिकारियों ने किसानों का उत्पीडऩ बंद नहीं किया तो किसान बड़ा आंदोलन करने पर मजबूर होंगे। उन्होंने राज्य सरकार से किसान हित में पूरे मार्च माह नहरों में पानी चलाने की मांग की। पंचायतों में अन्य प्रस्ताव पास कर स्टांप ड्यूटी फीस दरों में वृद्धि, डीजल-पैट्रोल व रसोई गैस की कीमतों में वृद्धि को वापस लेने तथा जोहड़ों को नहरी पानी से भरने की मांगे की गई। इस अवसर पर मुकदम रघुबीर सिंह, शेर सिंह यादव, वासुदेव, प्रताप सिंह, दान सिंह, रामबीर, लाल सिंह, रामचन्द्र सिंह, सतबीर सिंह, ने भी सम्बोधित किया।
फोटो कैप्शन 4: पंचायत में हाथ खड़े करके पूरे मार्च माह नहरी पानी चलाने की मांग का प्रस्ताव पास करते ग्रामीण।




पेंटिंग प्रतियोगिता आयोजित
**********************************
************
कनीना। रामचन्द्र पब्लिक स्कूल कनीना में पेंटिग प्रतियोगिता में आनलाइन व आफ लाइन दोनों ही प्रकार से विद्यार्थियों ने भाग लिया। लगभग 100 विद्यार्थियों ने प्राकृतिक नजारों पर भिन्न- भिन्न-भिन्न प्रकार की पेंटिंग बनाकर अपनी कला को प्रदर्शित किया। कला अध्यापिका अनीता यादव ने बच्चों की क्षमता का आंकलन करके उन्हें आगे बढ़ाने में योगदान दिया । इस अवसर पर स्कूल के प्राचार्य राकेश कौशिक ने बताया कि स्कूल में प्रत्येक सप्ताह कोई न कोई  प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है जिसमें बच्चों को रुचि अनुसार तैयार करके उनकी छिपी हुई प्रतिभा को बाहर निकाला जाता है। केवल किताबी शिक्षा ही नही बल्कि सह शैक्षणिक क्रिया कलापों द्वारा बच्चों के सर्वांगीण विकास पर भी पूरा बल दिया जाता है। प्रतियोगिता की मुखिया रितु यादव ने बताया कि कनिष्ठ वर्ग में रितिका प्रथम, जतीन द्वितीय तथा रितिका तृतीय स्थान पर रही। वरिष्ठ वर्ग में आकाश प्रथम, सुमित द्वितीय तथा राधिका तृतीय स्थान पर रही। चेयरमैन रोशनलाल यादव ने सभी विजेता बच्चों को बधाई देते हुए उनकी इस कला की सराहना की तथा भविष्य में और आगे प्रगति करने के लिए प्रोत्साहित किया। इस अवसर पर अनीता जी, नीतू , रविप्रकाश, प्रदीप , राहुल, संदीप, अनीता, कान्ता, दीपा, मनीषा, सरिता, रवि आदि मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 5: आरसीएम के विद्यार्थी बनाई गई पेंटिंग दिखाते हुए। जागरण


भारी जनून रामभक्तों में देखा गया
-श्रीराम समर्पण निधि एक समरसता से परिपूर्ण रही
********************************
*******************
कनीना। जिला महेंद्रगढ़ में 27 फरवरी तक चला श्रीराम समर्पण निधि एक समरसता से परिपूर्ण रहा। भारी जनून रामभक्तों में देखा गया।
 श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं का सहयोग लेते हुए श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण हेतु 15 जनवरी से 27 फरवरी तक जो निधि समर्पण अभियान चलाया गया वह अपने आप में एक अद्वितीय और समाज प्रत्येक वर्ग को साथ लेकर सिद्ध कर दिया कि किस प्रकार समरस वातावरण बनाया जा सकता है। उसमें एक अनूठा और अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करने वाला अभियान बन गया। जगह जगह से श्रीराम मंदिर के लिए निधि समर्पण का आग्रह करती टोलियां समाज को जाती पाती के बंधन से मुक्त होने का स्पष्ट संदेश दे रही थी। देश के प्रत्येक प्रांत जिले नगर बस्ती और ग्राम तक चलाए अभियान दुनिया का सबसे बड़ा जनसंपर्क अभियान साबित हुआ है।
अभियान के प्रारंभ से ही एक लक्ष्य निर्धारित करके राम भक्तों की टोलियां अपने घरों से निकल रही थी। एक अनुमान अनुसार आयोजकों ने 13 करोड़ परिवारों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा था परंतु जैसे-जैसे अभियान गति पकड़ता गया और कार्यकर्ता समर्पण भाव से इस कार्य में लगे यह लक्ष्य बौना साबित होने लगा।  देश के सभी 7 लाख गांव तक पहुंचने का संकल्प राम भक्त टोलियों ने लिया हुआ था। यद्यपि अभियान के प्रारंभ में टोलिया इतनी सक्रियता से नहीं लगी थी परंतु जैसे-जैसे अभियान में लगे कार्यकर्ता समाज के पास गए और समाज का जो स्नेह प्यार और उत्साह उन्हें मिला उससे यह राम भक्त चौगुनी ऊर्जा के साथ इस पुनीत कार्य में जुट गए। किसान आंदोलन का प्रभाव हरियाणा के कुछ क्षेत्रों में दिखाई देता था परंतु जिस प्रकार इस कार्य में लगे कार्यकर्ता घरों में मातृशक्ति के पास पहुंचे। इस आंदोलन का प्रभाव भी क्षीण दिखाई देने लगा।   हरियाणा के प्रत्येक जिले में प्रत्येक घर में पहुंचने का कार्य राम भक्त टोलियों ने सहजता और आसानी के साथ किया। लगभग 50 लाख घरों तक संपर्क 31 जनवरी से 27 फरवरी तक किया गया।
क्या कहते हैं पालक---
निधि समर्पण कार्य में लगे महेंद्रगढ़ जिला के पालक कैलाश पाली ने बताया कि जिस प्रकार इस अभियान में आमजन का सहयोग मिला उसे देख कर यह लगा कि समाज समरस होने के लिए आतुर है और इसके लिए राम एक माध्यम है। यह मंदिर का अनुष्ठान सारे भारतीय समाज को आने वाले समय में एक सूत्र में पिरोने का कार्य करेगा। उन्होंने अपने जिले की जानकारी देते हुए बताया की जिले को आठ खंडों दो नगरों 41 मंडलों में बांटकर सभी 367 गांव तक पहुंचने का लक्ष्य लिया गया था और अभियान की समाप्ति तक सभी गांव में सभी घरों में राम भक्तों की टोली होने लक्ष्य को हासिल करते हुए संपर्क किया। उन्होंने बताया कि समाज इस समर्पण अभियान में अपने पूरे मनोभाव के साथ समर्पण करने के लिए आतुर था लोग राम भक्तों की टोलियों का अपने घर पहुंचने का इंतजार करते हुए देखे गए। यहां तक की मिलने पर अपने घर आने का न्योता देते हुए और फोन के माध्यम से यह कहते हुए कि हमारा समर्पण नहीं हुआ है, हमारे घर कब आओगे, अपने आप में एक अनूठा उदाहरण पेश कर रहे थे।  इस समर्पण अभियान के ज्यादातर कार्यक्रम भगवान बाल्मीकि, संत रविदास, शहीद स्मारक, गांव के मंदिर और स्थानीय देवी देवताओं को केंद्र बिंदु बनाकर प्रारंभ हुई। यह अभियान हर जन के मन को छू गया।
फोटो कैप्शन 2 व 3: निधि समर्पण अभियान का शुभारंभ करते पालक कैलाश पाली।


कनीना बस स्टैंड की दुकानें 2015 से रही हैं चर्चा में
-कभी 71 दुकानें नगरपालिका तो कभी 153 खोखे एवं दुकाने पंचायत समिति की दुकानें तोड़े जाने की बात चली
******************************
*********************************************
कनीना। वर्ष 2015 से कनीना बस स्टैंड के सामने से गुजरने वाले महेंद्रगढ़-रेवाड़ी मार्ग की दुकानें तोड़े जाने को लेकर चर्चा में रही हैं। वर्ष 2015 में पीडब्ल्यूडी की जगह में बनाई गई 71 दुकानें तोड़े जाने को लेकर दुकानदारों का संघर्ष चला और मामला न्यायालय तक पहुंचा है वहीं वर्ष 2019 में पंचायत समिति की 153 खोखो/दुकानों को खाली करने का मामला सामने आया जो वर्ष 2021 में पुन: खाली करने के बाद सुर्खियों में आया और आंदोलन में बदल गया। यह भी मसला न्यायालय में चल रहा है।
कनीना के सामान्य बस स्टैंड द्वार पर पुलिस चौकी तक बनी 71 दुकानों के भाग्य का फैसला बनी हुई हैं जो नगरपालिका कनीना ने वर्षों पहले निर्मित करवाया था तथा जिनका किराया भी नगरपालिका ने लिया। इन दुकानों को तोड़े जाने की वर्ष 2015 में पूरी तैयारियां हो गई थी। दुकानदारों के सामने कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा था। बार बार उच्चाधिकारियों से मिलकर भी राहत नजर नहीं आ रही थी जो आखिरकार न्यायालय में मसला पहुंचा जिसके चलते कुछ राहत मिली है। यह जगह पीडब्ल्यूडी अपनी मानती है तथा इन दुकानों को तोडऩा चाहती है। अभी मामला न्यायालय में ही चल रहा है।
  उधर कनीना पंचायत समिति के 153 खोखे एवं दुकानें वर्ष 2019 में सुर्खियों में आई जब कनीना न्यायिक परिसर के लिए 54 कनाल 6 मरला जमीन पंचायत समिति ने सरकार को दे दी। और इन खोखा एवं दुकानधारकों को मार्च 2019 में नोटिस जारी कर खाली करने के आदेश दिये। दुकानदार न्यायालय तक पहुंचे किंतु उस वक्त अचानक मामला और गर्मा गया जब जनवरी 2021 में पंचायत समिति ने पुन: नोटिस देकर खोखे एवं दुकानें खाली करने का आदेश दिया। इन खोखो एवं दुकानों में दो दर्जन के करीब दुकानें पंचायत समिति ने स्वयं बनाकर दी थी। इनका किराया पंचायत समिति लेती थी। जहां दुकानें खाली करने का आदेश सुनकर दुकानदारों ने 20 दिन धरना एवं प्रदर्शन के अलावा क्रमिक भूख हड़ताल की जो अचानक यू-टर्न लेकर समाप्त कर दिया। यह मसला भी न्यायालय में चला हुआ है।
इस प्रकार 224 दुकानों एवं खोखों का भाग्य न्यायालय पर निर्भर करता है।

सरसों की कटाई की हुई तैयारी
-बुलाये जा रहे हैं दूसरे प्रांतों से मजदूर
**********************************
*****************************
कनीना। करीब एक हफ्ते बाद सरसों की कटाई शुरू होने की संभावना है। गर्मी के चलते फसल कटाई जल्द होने की संभावना बनी है।   किसान अपनी पकी सरसों की फसल का बार बार निरीक्षण कर रहे हैं। गेहूं की फसल होली पर्व के बाद ही पक पाएगी।
  यूं तो सरसों की कटाई का पर्व 15 मार्च से शुरू उम्मीद थी किंतु मौसम के बदलने व गर्मी अधिक पडऩे के चलते फसल जल्द पककर तैयार होगी और कटाई भी जल्द होने की संभावना बन गई है। किसानों गजराज, अजय, महेंद्र, कांता का का कहना है कि गेहूं में अभी एक और सिंचाई की जरूरत है वहीं सरसों को अब पानी देने का समय जा चुका है।
  बार बार मौसम बदलने तथा देर से सर्दी पडऩे का फसलों पर पड़ा प्रभाव पैदावार लेने के बाद ही पता चल पाएगा किंतु किसान अब सरसों की कटाई की तैयारी में जुट गए हैं। दुकानों से दरांती एवं बाकड़ी की बिक्री बढ़ गई है वहीं किसान अपने कृषि के इन औजारों को साफ करके तैयारी में जुट गए हैं। सरसों फसल की कटाई के साथ साथ किसान सरसों के धांसे भी काटकर ईंधन के रूप में प्रयोग करते हैं। इस मौसम में लंबे समय तक ईंधन के विकल्प के रूप में काम आने वाले धांसों की मांग बढ़ जाती है।
   दूसरे राज्यों से फसल कटाई के लिए मजदूर भारी मात्रा में आ रहे हैं। ये मजदूर किसान से निश्चित राशि लेकर कटाई करते हैं तथा वापस अपने प्रांत को चले जाते हैं। किसान आलसी होते जा रहे हैं और इन मजदूरों से ही कटाई करवाने लगे हैं। विभिन्न किसानों के पास मजदूरों के फोन नंबर होते हैं जिस पर वे फोन करके उन्हें फसल कटाई के समय बुला लेते हैं। धड़ाधड़ फोन करके उन्हें बुलाया जा रहा है। रातोंरात मजदूर आ रहे हैं। विगत वर्ष कोरोना मार झेलते हुए मुश्किल से अपने घर तक जा सके थे किंतु इस बार कोरोना का डर कम हुआ है।
  कृषि अधिकारी मानते हैं कि सरसों की कटाई का सही समय मार्च माह का पहला सप्ताह होता है वहीं गेहूं की कटाई का सही समय अप्रैल दूसरा सप्ताह होता है।
  मिली जानकारी अनुसार राजस्थान, बिहार एवं उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश राज्यों के भारी संख्या में मजदूर लावणी के लिए पहुंच चुके हैं।  किसान अपने खेतों से फसल की कटाई का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। आखिरकार वो दिन आ गया जब किसान अपने पूरे वर्ष की मेहनत का फल पाने के लिए खेतों में जुटने वाले हैं।
किरायेदार बढ़े---
  इस क्षेत्र में यूं तो विगत कुछ समय से दूसरे राज्यों के किराएदारों की संख्या बढ़ गई है वहीं अब फसल काटने के लिए राजस्थान, बिहार एवं एमपी के मजदूर भी आने लगे हैं। ये मजदूर पूरे खेत की लावणी का ही काम ठेके पर लेते हैं। ऐसे में किसान धूप में तपने से बचने के लिए इन मजदूरों का सहारा ले रहे हैं। कुल मिलाकर किसान की फसल की कटाई, निकालने का काम और घर तक पहुंचाने का काम अब मजदूर ही करने लगे हैं। आज से चार-पांच वर्ष पहले क्षेत्र के किसान इन मजदूरों से काम नहीं लेते थे किंतु अब स्थिति यह बन गई है कि इन्हीं से अधिक काम लेने लगे हैं। ये मजदूर अपने पूरे परिवार सहित आते हैं और खेत की फसल को देखते ही देखते काट देते हैं। कनीना के खंडहरनुमा घरों में ये लोग रहते हैं। ये सस्ते मकानों, किसानों के कुएं पर या कम सुविधाजनक जगह पर भी रह सकते हैं।
थ्रेसर और ट्रैक्टर भी साथ--
   बाहर से आने वाले मजदूर अपने साथ थ्रेसर एवं ट्रैक्टर आदि भी रखते हैं ताकि फसल काटने के अलावा फसल निकालने का काम भी पूरा कर सके। जहां महेंद्रगढ़ से लगते रेवाड़ी जिले में तो फसल पैदावार लेनी शुरू कर दी हैं वहीं राजस्थान में सरसों करीब एक माह पहले ही निकाली जा चुकी हैं। अब महेंद्रगढ़ में फसल कटाई शुरू होगी।
फोटो कैप्शन 1: कटाई के लिए तैयार खड़ी कनीना क्षेत्र में सरसों फसल।


गिरता ही जा रहा है भू जलस्तर
-1995 को छोड़कर विगत 25 वर्षों में हुई औसत से कम वर्षा
**********************************
****************************************
कनीना। कनीना क्षेत्र में लगातार भू जल स्तर गिरता जा रहा है। कभी 20 मीटर गहराई पर होता था जो अब 70 मीटर गहरा जा चुका है। पूरा जिला महेंद्रगढ़ ही डार्क जोन घोषित हो चुका है जहां भूमिगत जल की कमी होती जा रही है जो किसानों के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है। हर वर्ष जल स्तर गिरता जा रहा है।
  कहने को तो कनीना का क्षेत्र बावनी अर्थात 52 हजार हेक्टेयर का स्वामी माना जाता है किंतु वर्तमान में 31 हजार हेक्टेयर के करीब भूमि पर खेती की जाती है। यहां भूमिगत जल स्तर में निरंतर गिरावट आ रही है। दिनोंदिन जल का दोहन हो रहा है किंतु जल की आपूर्ति जो वर्षा से होती है वो घटती ही जा रही है। करीब 20 वर्षों में कनीना क्षेत्र में हुई वर्षा पर नजर डाले तो पता चलता है कि वर्ष 1995 व 1996 में कुछ वर्षा हुई जबकि अन्य वर्ष अल्प वर्षा हुई है।
वर्ष       वर्षा हुई मिलीमिटर में
          प्रथम जनवरी से 31 दिसंबर तक
1995    490
1996    492
1997    435
1998    295
1999    213
2000    280
2001    105
2002    210
2003    336
2004    229
2005    312
2006    118
2007    221
2008    319
2009    189
2010     304
2011     196
2012     326
2013     259
2014     219
2015      221
2016      235
ृ2017      230
2018      243
2019      229
2020      238
(स्रोत खंड कृषि अधिकारी कार्यालय)
 घटते जल स्तर को लेकर कृषि वैज्ञानिक चिंतित हैं। इस संबंध में कृषि वैज्ञानिकों ने 2014 से अब तक दौंगड़ा अहीर, सुरजनवास तथा कई गांवों में किसान शिविर लगाकर आने वाली जल समस्या के बारे में जानकारी दी चुकी है। ताप, वायु, हिम, वर्षा में बदलाव के पीछे सूर्य की ऊष्मा में बदलाव, महासागरों के जल बहाव में परिवर्तन, जीवाष्मी ईंधन का अधिक जलाना, वनों की कटाई, शहरों के आस पास अंधाधुंध भवन निर्माण, जल का दोहन आदि प्रमुख कारण माने जा रहे हैं जिसके चलते ग्रीन हाउस प्रभाव बनता है जिसके कुप्रभावों में पृथ्वी का अधिक गर्म होना, समुद्र के जलस्तर में बढ़ोतरी, वर्षा की मात्रा में बदलाव, अधिक कार्बन डाइआक्साइड के चलते उगने वाली पौधों की प्रजातियों में प्रभाव पड़ता है।
 इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि है। कृषि मानसून पर निर्भर करती है किंतु जलवायु में परिवर्तन होने से भारतीय अर्थव्यवस्था एवं खाद्य सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। वैश्विक ऊष्मण से होने वाले प्रभावों में देश की खाद्य उत्पादन 40 फीसदी तक कम हो रही है, एक डिग्री ताप में परिवर्तन से गेहूं की पैदावार 50 लाख टन तक कम हो जाती है, किसानों की आजीविका पर कुप्रभाव पड़ता है, ग्लेशियर पिंघलने लग जाता है, मछली, पशु एवं समुद्री जीवों पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
  क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक-
कृषि विस्तार अधिकारी डा देवराज यादव का कहना है कि वे किसानों को शिविर लगाकर समझा रहे हैं कि वर्षा की कमी या प्रतिकूल होने के क्या कारण है जिसके लिए किसान अहं योगदान दे सकते हैं। उन्होंने बताया कि भूमिगत जल स्रोतों को पुन: प्रभावी करके, सिंचाई के लिए आधुनिक मशीनों एवं तरीकों को अपनाकर, धान की अवशेष, गेहूं के भागों को जलाना नहीं चाहिए। उनके अनुसार अधिक से अधिक पौधारोपण करके, ऊर्जा के नवीनीकरण तरीकों को अपनाकर, फसलों में कम से कम रासायनिक पदार्थ डालकर, गोबर गैस का प्रयोग करके, खान पान की आदतों में बदलाव करके, जल का कम दोहन करके, फसल की आवश्यकतानुसार सिंचाई करके भू जल स्तर को कम होने से बचाया जा सकता है। अगर इसी प्रकार वर्षा के जल का दोहन हुआ तो आने वाले समय में गंभीर समस्या बन जाएगी।








No comments: