बेहतर प्रबंध खाटू श्याम में किए गए हैं
-खाटू श्याम से लौटकर होशियार सिंह द्वारा-
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कनीना। खाटू श्याम में श्याम मेले के लिए व्यापक प्रबंध किए गए हैं वहीं सारा माहौल श्याममय हो गया है। 25 मार्च को सबसे अधिक भीड़ रहेगी। इस बार लाखों लोगों के पहुंचने का अनुमान है। कोरोना के दृृष्टिगत रजिस्ट्रेशन करवाना तथा कोरोना की रिपोर्ट ले जाने का पालन करवाया जा रहा है। धाम पर फव्वारों के रूप में सेनिटाइजर छिड़का जा रहा है वहीं इत्र भी छिड़क रहे हैं।
यूं तो हर शहर में खाटू श्याम की धूम मची है किंतु गली गली में लगाए गए श्याम भक्तों के लिए सेवा शिविर एवं श्याम भक्तों का आवागमन अब पूरे यौवन पर हैं। हरियाणा भर से भारी संख्या में भक्तजन खाटू, रिंगस, कांवट, श्रीमाधोपुर, नीम का थाना, कछेरा, डाबला आदि स्थानों पर अभी भी शिविर लगाकर भक्तों की सेवा कर रहे हैं।
खाटू श्याम में जहां भक्तों के लिए हर प्रकार की खाने पीने, रहने तथा स्नान आदि की सुविधा उपलब्ध कराई गई है वहीं फास्ट फूड की ओर सभी कैंप चल रहे हैं। रिंगस से खाटू धाम तक करीब 17 किमी में जहां भक्तों की सबसे अधिक संख्या देखने को मिल रही है वहीं पेट के बल जाकर खाटू श्याम के दर्शन करने वाले भी भारी संख्या में हैं। छोटे बच्चे एवं महिलाओं की संख्या भी अधिक है जिनके हाथों में खाटू का निशान है।
खाटू श्याम में सभी भक्तों की जुबान पर बस श्याम का नाम है। डीजे पर, नृत्य करते हुए सभी खाटू धाम की ओर बढ़ते ही जा रहे हैं। खाटू श्याम के दर्शन करके वे अपने को धन्य समझ रहे हैं। खाटू में नजारा देखकर ऐसा लगता है कि भक्तों में अपार आस्था है।
विभिन्न गांवों एवं शहरों से दल के रूप में भक्त निजामपुर की ओर चले जा रहे हैं जहां से रेलवे ट्रैक के साथ साथ भारी भीड़ भक्तों की चली जा रही है। हाथों में डंडे पर खाटू का निशान लेकर मुख से जयकारे लगाते हुए बस आगे की ओर बढ़ रहे हैं। मुख्य धाम खाटू मंदिर को सजाया गया है तथा भक्तों को आने जाने के लिए पुलिस प्रबंध किया गया है। रिंगस से खाटू तक 17 किमी मार्ग पर भारी संख्या में भक्त बिना चप्पल जूतों के साथ तो कुछ पेट के बल चले जा रहे हैं। 17 किमी दूरी में डाली गई कार्पेट बिछाई जा रही है वहीं भक्त विभिन्न प्रकार के बड़े छोटे निशान लेकर दौड़े चले जा रहे हैं। महिलाओं की संख्या बहुत अधिक है। द्वादशी 26 मार्च को भी भारी भीड़ जुटेगी। उस दिन अपार भीड़ जुटने के आसार बन गए हैं।
फोटो कैप्शन 9: खाटू श्याम के मुख्य द्वार का दृश्य।
जिसका हमें था इंतजार वो घड़ी आ गई..........
-न्यायिक परिसर का शिलान्यास 23 को
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कनीना। लंबे संघर्ष के बाद आखिरकार कनीना का न्यायिक परिसर एवं उप मंडल कार्यालय कनीना में ही निर्मित होने जा रहे हैं और 23 मार्च को कनीना में वर्तमान तहसील कार्यालय परिसर में शिलान्यास किया जाएगा। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के जस्टिस हरिपाल वर्मा शिलान्यास करेंगे। विभिन्न अधिकारी वर्तमान न्यायिक परिसर में लगे हुये पंडाल का दौरा कर चुके हैं। पुलिस बल एवं शिलान्यास स्थल पर व्यापक प्रबंध किये हैं।
कनीना को उपमंडल का दर्जा 2013 में दिया और 15 अगस्त 2013 का झंडा तत्कालीन एसडीएम सुभिता ढाका एवं तत्कालीन विधायक अनीता यादव ने फहराया था। अभी भी 1955 में बने खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी कार्यालय परिसर में ही उपमंडल एवं न्यायिक परिसर भवन चल रहे हैं।
लंबे संघर्ष की दास्तान में 2013-14 में कनीना न्यायिक परिसर तथा उपमंडल कार्यालय पीपल वाली बनी(जंगल) में बनाए जाने की कार्रवाई पूर्ण कर दी गई थी किंतु अपरिहार्य कारणों से वहां पर उपमंडल कार्यालय नहीं बने और कभी उन्हाणी में तो कभी कनीना में कार्यालय बनाए जाने को लेकर के कवायद चली। उपमंडल कार्यालय का कनीना में बनाए जाने का वर्ष 2019 में चंडीगढ़ से ही मुख्यमंत्री ने शिलान्यास भी किया गया किंतु हकीकत में भवन निर्माण शुरू नहीं हो पाया है। वर्तमान में जिस जगह तहसील कार्यालय है वहीं अब न्यायिक परिसर बनेगा।
वर्ष 2013 के बाद खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी कार्यालय में उपमंडल कार्यालय अस्थायी रूप से स्थापित करवा दिया गया जो आज तक वहीं चल रहा है। वर्ष 2017 में न्यायिक परिसर उन्हाणी गांव में बनाए जाने की चर्चा चलते ही 67 दिन एसडीएम कार्यालय समक्ष धरना प्रदर्शन चला। 21 फरवरी 2017 एवं 27 फरवरी 2017 को तत्पश्चात अगस्त 2018 को महापंचायत आयोजित करवाई गई ताकि सभी कार्यालय कनीना में ही बनवाए जाए। एसडीएम से बार बार मिले, 21 फरवरी 2017 से लगातार धरना जारी रहा, जुलूस चला, कनीना बंद रखा गया,उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों लोग मिले, जिला उपायुक्त से तत्कालीन समय में लोग मिले, अनशन जारी रहा यहां तक कि कनीना में ही सभी कार्यालय बनाए जाने को लेकर के वर्ष 2017 में 13 पार्षदों में से 12 ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया। 6 जुलाई 2015 को मनोहर लाल खट्टर ने कनीना कालेज में एक जनसभा आयोजित करते हुए फायर ब्रिगेड, सब्जी मंडी, उप मंडल कार्यालय परिसर, स्टेडियम सभी कनीना में बनाए जाने की घोषणा की थी तब से लोग चैन से नहीं बैठे हैं। आखिरकार अब दोनों भवन कनीना में बनाये जाने को अंतिम रूप दे दिया गया है। कनीना में न्यायिक परिसर का शिलान्यास 23 मार्च 2021 को किये जाने पर कनीनावासियों, पालिका प्रधान सतीश जेलदार, सुमेर सिंह चेयरमैन, पूर्व मुख्याध्यापक कृष्ण सिंह ने भी खुशी जताई है।
फोटो कैप्शन 10: न्यायिक परिसर के शिलान्यास को लेकर लगाये गये पंडाल।
क्षेत्र में हुई बूंदाबांदी
-तेज हवाएं चली
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कनीना। सोमवार हल्की बूंदाबांदी हुई। दिनभर आकाश में काले बादल छाए रहे। 23 मार्च को बारिश की संभावना जताई हुई है। विगत दिनों भी बारिश तथा बारिश तेज हवा के चलते जहां गेहूं की फसल गिर गई थी जिसमें नुकसान की संभावना बढ़ी है। सरसों की कटाई में भी बाधा पड़ी है तथा सूखी सरसों की फलियां चटकने से नुकसान की संभावना बनी है। फसल कटाई के वक्त विगत दिनों से 9 एमएम बारिश हो चुकी है।
किसान राजवीर सिंह, अजीत कुमार, राजेंद्र सिंह, कृष्ण कुमार, महिपाल सिंह करीरा आदि ने बताया कि सोमवार बूंदाबांदी एवं तेज हवाओं के चलते गेहूं की फसल गिर गई है जिसमें नुकसान होने की पूरी संभावना है
उन्होंने बताया कि सरसों पर खड़ी है जिस पर पानी गिरने से फलिया चटक जाती है और कुछ नुकसान होता है परंतु नुकसान अधिक नहीं है।
कनीना क्षेत्र में जहां 10590 हेक्टेयर पर गेहूं उगाया हुआ है वही 19310 हेक्टेयर पर सरसों उगायी है। किसान सरसों की लावणी में लग रहे थे रहे हैं और उनकी कटाई का काम प्रभावित हो गया है वहीं गेहूं अभी पकान की ओर है जिसमें बारिश एवं तेज हवा से नुकसान हुआ है।
किसानों के लिए रबी फसल प्रमुख फसल मानी जाती है जिससे व घर के सभी काम पूर्ण करते हैं। खरीफ फसल तो चारे के लिए अधिक उगाई जाती है।
क्या कहते हैं कृषि अधिकारी- कृषि विस्तार अधिकारी कनीना डा देवराज का कहना है कि जब फसल गिर जाने पर 5 से 10 फीसदी नुकसान होने की संभावना होती है। उन्होंने बताया कि लेबर भी बढ़ जाती है तथा पकान भी सही ढंग से नहीं हो पाता। इसलिए उन्होंने कहा कि फसल में नुकसान स्वाभाविक है।
फोटो कैप्शन 11: आसमान पर काले बादल।
कोरोना से बचने के सभी नियमों का पालन करें- डा धर्मेंद्र
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कनीना। कनीना उप नागरिक अस्पताल के एसएमओ डा धर्मेंद्र ने कहा कि कोरोना फिर से फैलने लगा है। ऐसे में सभी जनों का फर्ज बनता है कि वो कोरोना से बचने के सभी नियमों का पालन करें। एक केस कनीना का कोरोना पोजिटिव आ चुका है। दूसरी बार कोरोना दस्तक देने लगा है। उन्होंने अपनी बारी आने पर वैक्सीन लेने पर बल दिया।
उन्होंने फिजिकल डिस्टेंस बनाए रखने, हाथों में ग्लव्ज पहनने, मुंह पर मास्क लगाने आदि की हिदायत दी है। उन्होंने कहा कि यदि रोग से स्वयं ही बचाव नहीं करोगे तो रोग द्वारा धावा बोलना सुनिश्चित होगा।
उन्होंने कहा कि हम सभी का दायित्व बनता है कि इस रोग से बचाव करें। दूसरे को भी सलाह दे। उधर सरकार भी सख्ती बरत रही है। बिना मास्क घर से बाहर वाहन पर न निकले वरना चालान भी काटा जा रहा है। उन्होंने कहा कि अच्छा हो कि अब यह रोग सिर न उठाने पाये।
फोटो: डा धर्मेंद्र
विश्व जल दिवस पर ......
जल नहीं बचाया तो होगा भविष्य अंधकारमय
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कनीना। पृथ्वी पर कहने को 71 प्रतिशत भू-भाग पर जल भरा हुआ है किंतु पीने योग्य जल 3 प्रतिशत से भी कम है। यदि जल का इसी प्रकार दोहन होता रहा तो आने वाले समय में जल गंभीर समस्या बन कर उभरेगा जिससे जीना मुश्किल हो जाएगा।
ऐसे मिल वर्षा जल संरक्षण करने, भूमिगत जल को बचाने, रिचार्ज करने आदि की बातें बार-बार उभर कर आ रही। इस संबंध में कुछ लोगों से बातचीत हुई।
समाजसेवी विजयपाल का कहना है कि जमीन के नीचे 1.6 प्रतिशत पानी और हवा में 0.001 प्रतिशत हचा में वाष्प के रूप में है। दिनोंदिन शुद्ध जल घटता जा रहा है। अगर जल का संरक्षण नहीं किया जाए तो भविष्य अंधकारमय हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि वर्षा के जल को घरों में इक_ा करना चाहिए। वर्षा एवं घरेलू जल को भूमिगत भूमि में जाने दिया जाए। वर्षा जल सहेजकर जल से सब्जी और फल बनाने चाहिए।
प्राचार्य डा मुंशीराम का कहना है कि पीने योग्य पानी में से 2.4 प्रतिशत ग्लेशियर और उत्तरी दक्षिणी ध्रूव पर जमा हुआ है। केवल 0.6 प्रतिशत पानी झीलों तालाबों में है जिसका उपयोग किया जाता है। उन्होंने कहा कि एक अनुमान अनुसार धरती पर 32 करोड़ 60 लाख खराब गैलन पानी है। अगर यह पानी इसी रफ्तार से प्रयोग किया जाता रहा तो अधिक दिनों तक नहीं चल पाएगा। ऐसे में उन्होंने कम पानी वाली फसलें उगाने, आवश्यकतानुसार पानी प्रयोग करने पर बल दिया।
सुनील कुमार समाजसेवी का कहना है कि एक इंसान खाने पीने में नहाने में कपड़े धोने में प्रतिदिन 50 से 60 लीटर पानी प्रयोग कर लेता है। यही हाल चलता रहा तो भविष्य में पीने योग्य शुद्ध जल भी नहीं मिल पाएगा। ऐसे में सभी की छतों से निकलने वाला बारिश का जल तथा घरों से निकलने वाला जल रिचार्ज में मिलाना चाहिए ताकि भूमिगत जल में जाकर यह जल शुद्ध अवस्था में मिल सके।
राजेश शास्त्री का कहना है क्या जल को जीवन का अमृत माना गया है। जल बिना बिना जीना दूभर हो जाएगा। ऐसे में उन्होंने जल को भविष्य के लिए बचाने की अपील की। उन्होंने कहा कि जल अधिक प्रयोग किया गया तो जल संकट निश्चित है। जल आवश्यकतानुसार प्रयोग करना चाहिए, जल को बहाने से रोकना बहने से रोकना चाहिए।
सत्यवीर सिंह प्राध्यापक का कहना है कि जल है तो कल है।
अगर इंसान को मौत से बचना है तो पानी का सोच समझकर प्रयोग किया जाना चाहिए। ऐसे में प्रत्येक जन को प्रतिदिन 2-4 लीटर पानी जरूर बचाना चाहिए। पूरे देश में प्रत्येक व्यक्ति प्रतिदिन 2-4 लीटर पानी बचाएगा तो आने वाले समय में पानी की पूर्ति हो सकेगी। वरना आने वाले समय में पेट्रोल पंप की भांति उपलब्ध होगा।
फोटो कैप्शन : विजयपाल, डा मुंशीराम, राजेश शास्त्री, सत्यवीर सिंह, सुनील कुमार।
कोटिया में फांसी का फंदा डाल की आत्महत्या
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कनीना। खंड के गांव कोटिया में एक युवक द्वारा फांसी का फंदा डालकर आत्महत्या कर ली। पुलिस आगामी कार्रवाई में जुट गई है।
मिली जानकारी के अनुसार गांव कोटिया में मनोज कुमार उम्र 32 साल ने अज्ञात कारणों से फांसी का फंदा डालकर आत्महत्या कर ली जिसकी सूचना परिजनों ने स्थानीय पुलिस को देकर अवगत कराया। वहीं सूचना के आधार पर थाना प्रभारी ने मौके पर पहुंचे घटनास्थल का दौरा कर शव को अपने कब्जे में ले लिया और पोस्टमार्टम कराने के लिए महेंद्रगढ़ भेज दिया। समाचार लिखे जाने तक आत्महत्या करने का कारण साफ नहीं हो पाया। गांव में शोक की लहर है।
मेदांता की टीबी की चल वैन पहुंची सेहलंग
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कनीना। टीबी मुक्त देश करने के लिए मेदांता की चल वैन सीएचसी सेहलंग पहुंची। जिन लोगों में टीबी के लक्षण नजर आते हैं उनकी मौके पर ही बलगम जांच, एक्सरे आदि करके टीबी हो तो आगामी इलाज करती है। सरकार की सरकार की ओर से यह टीम भेजी गई है।
यही टीम तत्पश्चात 24 मार्च को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भोजावास में, 25 मार्च को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मुंडिया खेड़ा तथा 26 मार्च को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कनीना में जांच करेगी। टीम के विभिन्न सदस्य मरीज के बलगम जांच, विशेषज्ञ परामर्श करेंगे। विस्तृत जानकारी देते हुए सुनील कुमार ने बताया कि 2 हफ्ते से ज्यादा खांसी बलगम आना, बलगम में खून आना, बुखार, वजन घटना आदि लक्षण नजर आए तो तुरंत जांच करवानी चाहिए।
फोटो कैप्शन 8: मेदांता की वैन कनीना के गांव सेहलंग सीएचसी में।
नांगल हरनाथ में 130 वरिष्ठ नागरिकों ने कोरोना वैक्सीन दी
-90 वैक्सीन कनीना में दी गई
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कनीना। कनीना उपमंडल के गांव नांगल हरनाथ के उप-स्वास्थ्य केंद्र पर सोमवार को 137 वरिष्ठ नागरिकों को कोरोना वैक्सीन दी गई। इस मौके पर शीशराम एचआई की देखरेख में दिप्ती एवं गंगा एएनएम, संदीप एमपीएचडब्ल्यू ने कोरोना वैक्सीन दी। उधर कनीना में 90 जोगों को वैक्सीन दी गई।
विस्तृत जानकारी देते हुए ऐसे एसएमओ डा धर्मेंद्र यादव ने बताया कि वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह योजना चल रही है। अलग-अलग तिथियों को कोरोना वैक्सीन दी जाएगी। उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त 45 से 59 वर्ष तक के उन लोगों को भी वैकसीन दी जा रही है जो किसी रोग से पीडि़त हैं। ऐसे 20 रोग सरकार ने निर्धारित किए गए हैं जिनकी सूची अस्पताल में उपलब्ध है।
विश्व जल दिवस पर भडफ़ स्कूल में आयोजित की विचार गोष्ठी
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,कनीना। सरस्वती पब्लिक स्कूल भडफ़ के प्रांगण में विश्व जल दिवस के अवसर पर जल के महत्व पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। विद्यालय के निर्देशक रमेश कुमार भारद्वाज ने इस विषय पर बच्चों को विस्तार में बताया कि विश्व जल दिवस मनाने की शुरूआत संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 1992 के अपने अधिवेशन में 22 मार्च को की थी। इसका उद्देश्य पानी की बर्बादी रोकना, इसकी महत्ता को समझाने और लोगों को स्वच्छ जल मुहैया करवाना है।
उन्होंने बताया कि इस वर्ष का थीम वेल्यूइंग वाटर है। जिसका लक्ष्य लोगों को पानी का महत्व समझाना है पानी की किल्लत की वजह से ग्रामीण लोग गावों से शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। वहीं दुनिया में कुछ देश ऐसे भी हैं जहां लोगों को पीने का पानी भी उपलब्ध नहीं है और वहां के लोग गन्दा पानी पीकर तमाम स्वास्थ्य सम्बंधी समस्याओं का सामना करते हैं, कई बार तो इसकी वजह से उनकी मौत तक हो जाती है। उन्होंने कहा कि प्राचीन समय में जगह-जगह नदियां, तालाब, नहरें कुएं आदि दिखाई पड़ते थे लेकिन ओद्यौगिकरण की राह पर चल पड़ी इस दुनिया ने इस दृश्य को काफीहद तक बदल दिया है तमाम जल स्त्रोत सूखते जा रहे हैं नदियों का जल दूषित होने के साथ-साथ कम होता जा रहा है लोगों के बीच जल संकट गहराता जा रहा है। उन्होंने विद्यार्थियों व तमाम स्टाफ सदस्यों को जल को अशुद्ध न करने व जल बचाने की शपथ दिलवाई।
वैक्सीन के गुण बताकर लगवाने में मदद की
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कनीना। भाजपा मण्डल कनीना के कार्यकर्ताओं ने संयोजक कृष्ण पाथेडा सह-संयोजक देशराज यादव के नेतृत्व में उप नागरिक अस्पताल कनीना मे कोविड-19 की वैक्सीन लगवाने में मदद की जिसमें 60 वर्ष से ऊपर बुजुर्ग व गंभीर रूप से बीमारी से ग्रस्त 45 वर्ष से ऊपर के सभी को वैक्सीन लगवाई गई। इसमें भारत विकास परिषद् शाखा कनीना के अध्यक्ष मोहन सिंह की अगुवाई में वह मंडल अध्यक्ष अतर सिंह के साथ मिलकर सुबह नौ बजे से एक बजे तक 60 लोगों को वैक्सीन दिलवाने में मदद की।
देवदत्त भडफ, सुमन देवी, रामेश्वर देवी, दलीप सिंह,सारली देवी व हरिराम मितल ने वैक्सीन लगवाने के बाद बताया कि वैक्सीन लगवाने में किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं हुई। ये वैक्सीन कनीना अस्पताल में सप्ताह में तीन दिन सोमवार, मंगलवार, बृहस्पति वार को सुबह नौ से तीन बजे तक लगाई जाती है। वैक्सीन की दूसरा डोज 28 दिनों बाद लगेगा। इस मौके पर मोहन सिंह पार्षद प्रधान भारत विकास परिषद् शाखा कनीना,कंवर सैन वशिष्ठ, ओमप्रकाश यादव, सुरेश कुमार शर्मा, राजकुमार भारद्वाज,दिपक वशिष्ठ और पार्टी के अन्य सदस्य भी मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 7: कोरोना वैक्सरीन लगवाने में बुजुर्गों की मदद के लिए तैयार भाजपा पदाधिकारी।
होलिका दहन की तैयारियों में जुटे हैं जन
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,कनीना। कनीना में होलिका दहन की तैयारियां तेजी से चल रही हैं। ईंधन डाल डालकर होलिका दहन स्थल को सजाया जा रहा है। कनीना के बाबा मोलडऩाथ मेले के बाद तो इसी पर्व की तैयारियों में कस्बावासी जुट जाते हैं। जौ की फसल पकने लगी है जो होलिका दहन पर भूनकर परिवार द्वारा खाने की परंपरा चली आ रही है।
इस बार जब होलिका दहन 28 मार्च को होने जा रहा है, होलिका दहन में तेजी आ गई है। डांडा गाडऩे के बाद से अब तक ऊंची होली बना दी गई है। वैसे तो होली के चलने वाले खेलों में इधर उधर पड़ी हुई कंटीली झंाडिय़ां लाकर होलिका दहन स्थल पर डाली जाती हैं। आस पास तथा दूर दराज खड़ी कांटे की झाडिय़ों को उठाकर होलिका दहन स्थल पर डाल दिया जाता है।
होलिका दहन की परंपरा के अनुसार होलिका दहन की सुबह सवेरे इस विशालकाय होलिका पर गोबर से बने हुए हथियार(जिन्हें ढाल एवं बिड़कला नाम से पुकारा जाता है ) डाल दिए जाते हैं। बताया जाता है कि होलिका दहन के समय जब प्रह्लाद भक्त एवं होलिका को एक साथ बैठाकर उन पर ईंधन डालकर आग लगा दी गई थी उस वक्त लोगों के पास जो हथियार थे वे भी होलिका दहन में डाल दिए गए थे तभी से लेकर आज तक यह परंपरा चली आ रही है। होलिका दहन में गोबर के ये हथियार भी डाले जाते हैं। होलिका दहन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले लोग प्रह्लाद भक्त के दुश्मन थे जो उन्हें जलाना चाहते थे।
आज भी होलिका दहन के समय औरतें दहन को पानी से बूझा देती हैं। ये औरतें प्रह्लाद भक्त को चहेतों के रूप में जानी जाती हैं जो प्रह्लाद को आग लगने से बचाने के लिए पानी डालती हैं। जैसे तैसे सभी परंपरा चली आ रही हैं और होलिका दहन के बाद अगले दिन अर्थात दुलेंडी के दिन होलिका या प्रह्लाद में से कौन जलकर नष्ट हुआ उसे देखने के लिए जाती हैं और बताया जाता है कि जब प्रह्लाद भक्त बच गए थे तो खुश होकर रंग एवं गुलाल से खुशी मनाई थी जिसे आज दुलेंडी कहते हैं। यह परंपरा आज भी चली आ रही है।
होलीवाला जोहड़-
होलीवाला जोहड़ के विषय में डा मेहरचंद(83) का कहना है कि उनके पूर्वजों के वक्त से कनीना के एकमात्र स्थान पर ही होलिका दहन किया जाता रहा है। इस जोहड़ का नाम होली के कारण होलीवाला पड़ा है किंतु वर्षों पूर्व इस जोहड़ के बीचोंबीच बड़ा रास्ता था। एक ओर का जोहड़ पीलिया जोहड़ तो दूसरी ओर का जोहड़ होलीवाला नाम से जाना जाता था। पीलिया जोहड़ का पानी अति साफ होने के कारण जन पीते थे। समय बीतता गया और जोहड़ के बीच का मार्ग भी पानी भरकर खत्म हो गया। अब केवल इसमें गंदा जल भरा हुआ है और यह समस्या बना हुआ है।
डाक्टर साहब बताते हैं कि कनीना जब से बसा है तभी से इसी एकमात्र स्थान पर होलिका दहन होता आ रहा है। होली दहन एवं एकता में इस जोहड़ का विशेष स्थान रहा है। आज इस जोहड़ का गंदा जल दूर दराज तक फैल चुका है और समस्या बना हुआ है। होलिका दहन के समय तक महिलाएं गोबर के बने ढाल एवं बिड़कले इस होली पर डालती हैं तथा दुलेंडी के दिन बची हुई आग में चने भूनकर बच्चों को खिलाती हैं वहीं होली पर डाले गए गोबर के अस्त्र एवं शस्त्रों से बचे हुए दीपक को ढूंढकर घर लाती हें। माना जाता है कि इन खोजे गए दीपक में बच्चों को घुट्टी आदि देने से वे अधिक समय स्वस्थ रहते हैं।
मेला-
समय के साथ-साथ बदलाव आना स्वाभाविक होता है। इस होलिका दहन के स्थान पर कभी से महिलाएं एवं भीड़ आकर पूजा करती है। विगत चंद वर्षों से यहां मेला भी लगने लग गया है। अब तो आलम यह है कि करीब आधा किमी दूरी में मेला लगता है और मेले का सामान होलिका दहन स्थल तक रखकर बेचते देखे गए हैं। हालांकि पूजा अर्चना करने आई महिलाएं यहां व्रत धारण करके आती हैं किंतु यहां से जाने के बाद व्रत खोलती हैं।
फोटो कैप्शन 3: होलिका दहन का नजारा।
साथ में डा मेहरचंद
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