शुक्रवार को हुई 8 एमएम बारिश, फसल में नुकसान की संभावना बढ़ी
-मंगलवार की रात हुई थी एक एमएम बारिश
-सरसों कटाई हुई बाधित
*********************************************************
********************************************************
*************************************************************
कनीना। कनीना क्षेत्र में तीन दिनों में दूसरी बार मौसम बदला है तथा बूंदाबांदी हुई। शुक्रवार सुबह से ही बादल छाये रहे तथा दोपहर पश्चात बूंदाबांदी हुई जिसके चलते किसानों के माथे पर चिंता की रेखा स्पष्ट नजर आई।
इस वक्त कनीना क्षेत्र में करीब 31000 हेक्टेयर भूमि पर सरसों, गेहूं, चारा तथा अन्य फसलें उगाई गई है। किसान जोर-शोर से सरसों की लावणी में लगे हुये हैं। इन हालातों में बारिश होना उनके लिए नुकसानदायक साबित होगी। उधर गेहूं की फसल अभी लहलहा रही है जिसके लिए बारिश लाभप्रद साबित होगी। ऐसे में किसान परेशान रहे। वैसे भी दूसरे प्रांतों से मजदूर बुलाए गए हैं जो दिहाड़ी पर फसल कटाई और लावणी का काम करते हैं। यदि लगातार फसल कटाई और लावणी में बाधा आती है तो किसान परेशान हो उठना स्वाभाविक हैं।
किसान सूबे सिंह, कृष्ण सिंह, सुमेर सिंह आदि ने बताया कि इस वक्त बूंदाबांदी सरसों की फसल के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है। कनीना क्षेत्र में सबसे अधिक 19300 हेक्टेयर पर सरसों उगाई गई है जो पक कर तैयार खड़ी है, जिसके लावणी चल रही है। किसानों ने सरसों की पैदावार लेनी शुरू कर दी है। मंगलवार की रात हुई बूंदाबांदी तथा तेज हवाओं ने गेहूं की खड़ी फसल को गिरा दिया था और एक बार फिर से शुक्रवार के दिनभर आकाश में बिजली चमकने से किसान डरे डरे से नजर आये।
फोटो कैप्शन 11: कनीना क्षेत्र में आकाश में छाये काले बादल।
शिव ही सबसे ऊपर-भैरूनाथ
***************************************
*******************************************
कनीना। इस संसार में परमपिता परमात्मा शिव ही सबसे ऊपर हैं तथा वे ही पालक ,सृजन हारतथा विकारी शक्तियों का नाश करते हैं। ये विचार बाबा भैरूनाथ खड़े श्री ने कनीना उपमंडल के गांव खरकड़ा बास में नर्वदेश्वर शिवलिंग की स्थापना करने के बाद ग्रामीणों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
खड़े श्री महाराज ने बताया कि शिवलिंग की स्थापना मानव जीवन में कल्याणकारी अवसर लाती है लेकिन नर्वदेश्वर शिवलिंग की स्थापना उससे भी 100 गुना अधिक पुण्य प्रदान करती है क्योंकि शिव परमात्मा की पुत्री नर्मदा नदी को ही यह वरदान प्राप्त है की उसी में से शिवलिंग निकलते हैं तथा मानव जीवन में श्रेष्ठता प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि आज का मनुष्य इसीलिए परेशान है क्योंकि विकारों से ग्रसित है इंसान अगर इच्छाएं छोड़ दे तो अच्छा बन सकता है और अपने जीवन में पुरुषार्थ के द्वारा परम पद प्राप्त कर सकता है। बाबा खड़े श्री महाराज का स्वागत कार्यक्रम के आयोजक एवं यजमान नरेश कुमार कौशिक ने किया।
इससे पूर्व शिवलिंग की गांव में भव्य झांकी वह परिक्रमा की गई जिसमें गांव की 31 महिलाओं ने कलश यात्रा निकाली जो गांव के सभी मार्गों व मुख्य चौराहों से निकली तथा शिव महिमा के भजनों के साथ माहौल को शिवमय किया। इस अवसर पर राम सिंह सरपंच, विजय कुमार लोधी, सुरेश कुमार डाबला, पाल सिंह बिजली बोर्ड के पूर्व प्रधान, इंद्राज सिंह हवलदार, पंडित चेतन देव नीमकाथाना, आनंदी परिधान की संस्थापक आनंदी देवी, निदेशक पूजा कौशिक, प्रबंधक पुष्प लता, पूर्व सरपंच बंशीधर, राजपाल बोकन, मुकेश सूबेदार, दिनेश कौशिक एडवोकेट, प्रेम दत्त कौशिक, कृष्ण खटाना, ओम प्रकाश शर्मा, सत्यवीर शर्मा नांगल हरनाथ, हेड मास्टर नरेश शर्मा, जयप्रकाश प्राचार्य खेड़ी तलवाना, प्रवीन शास्त्री खाटू भक्त, गोपी राम शर्मा, राजेश शर्मा, नरेश, सतवीर सिंह सहित सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित थे।
आयोजक नरेश शर्मा ने बताया कि बाबा भैरवनाथ खड़े श्री महाराज ने 4000 किलोमीटर लंबी नर्मदा नदी की दोनों तरफ की परिक्रमा की है तथा पिछले 6 वर्ष से धरती पर विश्राम नहीं किया है तथा खड़े रहकर ही तपस्या कर रहे हैं। अन्न भी ग्रहण नहीं किया है।
फोटो कैप्शन 10: खरकड़ा बास में शिवलिंग की स्थापना से पूर्व कलश यात्रा तथा शिवलिंग झांकी निकालते हुए।
आम, सेहजना एवं सेमल के भारी बोर
-सब्जी बना रहे हैं सेमल एवं सेहजना के फूलों की
***********************************************
******************************************************
कनीना। कनीना क्षेत्र में कई जगह आम के बड़े पौधे ही नहीं अपितु फल लगते आ रहे हैं। हाल ही में पौधों पर भारी मात्रा में बोर आया हुआ है। सेहजना एवं सेमल तो बड़े एवं भारी फूलों से लद गए हैं। सेहजना और सेमल के फूलों से तो सब्जी बनाकर खाई जा रही है। इसके फूलों की सब्जी स्वास्थ्य के लिए बेहतर बताई जा रही है।
कनीना मंडी के भीम सिंह जिनके घर के सामने आम के पौधे बोर से लदे हुए हैं। विगत वर्ष पर्याप्त आम लगे थे। भीम सिंह ने बताया कि विगत वर्ष की तुलना में इस वर्ष अधिक बोर आया है। सरकारी स्कूल में सेहजना और सेमल के पौधे पर बड़े बड़े फूल लगे हुए हैं। इन फूलो को सब्जी बनाने के काम में लाया जाता है वहीं सुआ सेमल साहित्यिक शब्द प्रसिद्ध है। इस सेमल के फल लगने पर तथा गिरने पर जो रुई प्राप्त होती है उससे देहात के लोग तोशक/तकिया भरते हैं। भीम सिंह का कहना है कि नहरी पानी के कारण आम के पेड़ फल देते हैं।
उधर कनीना के सिहोर वाटर पंप पर कई पेड़ आम के हैं जिन पर आम के फल लगते आ रहे हैं। सबसे पुराने आम के पेड़ वाटर पंप पर ही हैं। वाटर पंप पर काम करने वाले अशोक कुमार ने बताया कि विगत वर्षों से यहां फल लगते आ रहे हैं किंतु उन्हें पक्षी नष्ट कर देते हैं। बहुत कम फल पकान तक पहुंचते हैं।
अपने ट्यूबवेल पर रह रहे राजेंद्र सिंह किसान ने न केवल अपने खेत पर आम उगाने अपितु फल पेड़ों पर पकाकर दिखाने में सफलता कायम की है। उन्होंने बताया कि उनके पेड़ों पर इस बार विगत वर्षों की तुलना में अधिक बोर आया है। उन्हें आशा है कि आने वाले समय में उनके पेड़ों पर भारी मात्रा में आम लगेंगे। इसी प्रकार कई किसानों ने आम उगाने में सफलता हासिल की है।
सब्जी के लिए प्रसिद्ध है सेमल एवं सेहजना-
गृहणि कमला, भीम सिंह, राकेश, लीलाराम आदि ने बताया कि सेमल के फूलों की मार्केट में बेहतर मांग है। इसके फूलों को साफ करके, पुंकेशर एवं स्त्रिकेशर को निकालकर, मोटी हरी पंखुडिय़ों को काटकर बेहतर सब्जी बनाई जाती है। राजस्थान, उत्तरप्रदेश एवं बिहार के लोग तो इसके फूलों को दूर दराज से ढूंढकर लाते हैं। बताया जाता है कि इसके फूलों की सब्जी शरीर के विभिन्न रोगों के लिए लाभकारी होती है। गृहणि कमला देवी ने बताया कि वे भी इसकी सब्जी बनाकर प्रयोग कर चुकी हैं। गठिया एवं जोड़ों के दर्द के लिए भी बेहतर मानी जाती है। सेहजना के फूलों एवं फलों की सब्जी जोड़ों के दर्द में ग्रामीण काम लेते हैं।
फोटो कैप्शन 1:आम के पेड़ पर आये बोर। कनीना मंडी भीम ट्रंक हाउस के पापस खड़े हैं पेड़
2: सेमल के फूल इक_े करता जन।
जल्द ही बदलने वाले हैं कनीना मंडी के दिन
-सरसों की आवक होने में महज एक सप्ताह, सरकारी खरीद होती है एक अप्रैल से
******************************************************************
कनीना। अनाज खरीद के वक्त नंबर एक पर रहने वाली कनीना की अनाज मंडी अब सुनसान पड़ी है। खरीद में मदद करने वाले आढ़ती अब मुश्किल से एक सप्ताह का इंतजार करेंगे। रबी एवं खरीफ फसल पैदावार के बाद ही रौनक बढ़ती है। एक सप्ताह के बाद सरसों की आवक होने से मंडी में रौनक बढ़ जाएगी। आढ़ती बेसब्री से आवक का इंतजार कर रहे हैं। उधर किसान जोर शोर से फसल कटाई में लग रहे हैं।
किसी वक्त कनीना की अनाज मंडी व्यापारिक प्रतिष्ठानों में से एक होती थी और महेंद्रगढ़ के पास तक इसका विस्तार होता था किंतु समय के साथ साथ अब व्यापारिक प्रतिष्ठान की चमक धीमी पड़ती चली गई है। आज कनीना के सामान्य बस स्टैंड की ओर सघन क्षेत्र बनता जा रहा है और बहुत से व्यापारिक प्रतिष्ठान एवं कार्यालय कनीना मंडी से बस स्टैंड की ओर जा रहे हैं। यही नहीं अपितु चेलावास में अनाज मंडी, सब्जी मंडी एवं फायर ब्रिगेड त्वरित गति से बन रहे हैं।
हालांकि कनीना मंडी में अभी सरकारी खरीद नहीं होने वाली किंतु खुली मंडी में सरसों आने की पूरी उम्मीद हैं। इस बार खुली अनाज मंडी में सरसों के भाव पांच हजार रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं जबकि जहां सरकार ने गेहूं का समर्थन मूल्य 1975 रुपये रखा है सरसों का 4650 रुपये प्रति क्विंटल रखा गया है। क्षेत्र में जहां 19310 हेक्टेयर पर सरसों उगई है वहीं 10590 हेक्टेयर पर गेहूं उगाया गया है।
कनीना मंडी से आढ़ती रविंद्र बंसल, ओमप्रकाश लिसानिया, शिव कुमार अग्रवाल ने बताया कि जब बाजरे या सरसों की आवक होती तो चहल पहल बढ़ जाती है वहीं गेहूं की खरीद के वक्त भी चहल पहल बढ़ जाती है। शेष समय में मंडी के व्यापारी ग्राहक कम और धूल अधिक फांकते हैं। सितंबर माह के अंत में बाजरे की आवक शुरू होती है तो अप्रैल में सरसों की आवक होती है। 1935 में कनीना मंडी स्थापित हुई थी।
फोटो कैप्शन 3: कनीना की सूनी पड़ी अनाज मंडी।
खेल मेला संपन्न
-रोहतक की टीम रही प्रथम टीम
**************************************************
कनीना। कनीना -कोसली रोड़ पर कोटिया बस स्टैंड के पास स्थित भक्ति मन्दिर पर धार्मिक मेले का आयोजन किया गया। इस मेले के दौरान कबड्डी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। मंदिर के पुजारी स्वामी घनश्याम दास व बाबा बुद्धेश्वर धाम कोटिया के विजय गिरी महाराज ने कबड्डी प्रतियोगिता का शुभारंभ करवाया।
खेल प्रतियोगिता में हरियाणा के विभिन्न जिलों से करीब 10 टीमों ने भाग लिया। घनश्यामदास ने बताया कि खेल प्रतियोगिता में रोहतक की टीम पहले स्थान पर रही वह दूसरे स्थान पर रिन्हाना की टीम रही। खेलों में मुख्य अतिथि विकास यादव पूर्व चेयरमैन नगरपालिका अटेली थे। विशिष्ट अतिथि पंकज यादव करीरा पूर्व जिला सचिव भाजपा युवा मोर्चा थे।
मुख्य अतिथि विकास यादव ने सम्बोधित करते हुए कहा की खेलों से अनुशासन में रहने का प्रशिक्षण मिलता है। अनुशासन का जीवन में बहुत महत्व है। कोई भी खेल अनुशासन अथवा नियमों का पाबन्द रहकर ही खेला जाता है। अनुशासन का पाबन्द रहकर मनुष्य जीवन में उन्नति के पथ पर अग्रसर होता है। खेल बहुत ही अच्छी शारीरिक गतिविधि है जो तनाव और चिन्ता से मुक्ति प्रदान करता है। यह खिलाडिय़ों के लिए अच्छा भविष्य और पेशेवर जीवन का क्षेत्र प्रदान करता है। यह खिलाडिय़ों को उनके आवश्यक नाम, प्रसिद्धी और धन देने की क्षमता रखता है। खेल हमारे शरीर, मस्तिष्क और आत्मा को लाभ पहुंचाता है। विशिष्ट अतिथि पंकज यादव ने भी कहा की खेल गतिविधियों में शामिल होना एक व्यक्ति के लिए बहुत से तरीकों से लाभदायक होता है। यह न केवल शारीरिक ताकत प्रदान करता है बल्कि, यह मानसिक शक्ति को भी बढ़ाता है। खेलों का जीवन में बहुत महत्व है। खेल उतने ही आवश्यक है जितनी पढ़ाई।
उन्होंने कहा कि खेल को खेल की भावना से खेलना चाहिए। खेल में हार जीत होती रहती है। जीवन स्वयं में एक खेल है जिस प्रकार खेल में उतार-चढ़ाव आते हैं तथा हार-जीत होती है, ठीक उसी प्रकार जीवन में भी ऐसी परिस्थितियां आती हैं। खेल का खेलना हार-जीत से अधिक महत्वपूर्ण हैं। जीवन में परस्पर सहयोग और प्रेम का बहुत महत्व है। इस दौरान बीएमडी क्लब के चेयरमैन लक्की सीगड़ा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयवीर कुमार, कर्मपाल यादव ने आए हुए अतिथियों का स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। इस मौके पर कर्मपाल यादव, स्वामी घनश्याम दास, विजय गिरी महाराज, डॉ पंकज यादव मास्टर जगराम प्रधान ईश्वर मास्टर सुमेर सिंह निहाल सिंह ओंकार मंदिर कमेटी के प्रधान सोमदत्त श्रीचंद मनीष सोनाराम जगन सिंह रणधीर सिंह, बीएमएनसी क्लब से जोगिंदर शर्मा, आशु, मोनी, अक्षय आदि मौजूद रहे।
बजट दे गया कुछ को खुशी तो कुछ को गम
********************************************
कनीना। हरियाणा सरकार द्वारा पारित बजट जहां विद्यार्थियों के लिए खुशी भरा साबित हुआ वहीं कुछ लोगों के लिए दर्द भी दे गया है। हरियाणा सरकार ने सभी सरकारी स्कूलों में नौवीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों की मुफ्त शिक्षा का नियम लागू करना सबसे बेहतरीन कदम बताया जा रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चे गरीब है तथा नौवीं से 12वीं तक की फीस लगती थी। वह भी कुछ विद्यार्थी फीस देने में असमर्थ थे। अब उनकी फीस माफ करना सराहनीय कदम है। ऐसे में सरकार द्वारा बजट में लिया गया यह निर्णय बेहतर बताया जा रहा है
डा मुंशीराम प्राचार्य ने कहा कि सरकार द्वारा 9वीं से 12 वीं कक्षा के लिए मुफ्त शिक्षा देने की घोषणा वास्तव में सराहनीय है। पहली से आठवीं तक की कक्षा की पहले ही फीस माफ थी। इस प्रकार विद्यार्थियों में एक लगन और उत्साह पैदा होगा जिसका परिणाम सार्थक साबित होगा। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम सराहनीय है।
वरिष्ठ प्रवक्ता विजय पाल ने कहा कि सरकार ने बजट में विद्यार्थियों के लिए बहुत कुछ दे दिया है। अब तक नौवीं से बारहवीं तक के कक्षा की फीस लगती थी। अब सभी की फीस माफ करना मील का पत्थर साबित होगी तथा विद्यार्थियों के लिए सुनहरे भविष्य का काम करेगी विद्यार्थी बिना किसी हिचक के पढ़ पाएंगे और उनके लिए यह कारगर साबित होगी।
हसला के पूर्व प्रधान सुनील कुमार यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बजट में कक्षा नौंवी से बारहवीं तक के बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करने की घोषणा की है, यह एक बहुत ही सराहनीय कदम सरकार द्वारा उठाया गया है। कक्षा एक से आठ तक की शिक्षा पहले ही प्रदेश में शिक्षा के अधिकार के तहत मुफ्त है। उन्होंने कहा कि यूं तो इस घोषणा का लाभ सभी वर्ग के विद्यार्थियों को होगा किंतु गरीिब तबके के लए तो निसंदेह बहुत कारगर होगा। उन्होंने कहा कि इस साल के शिक्षा बजट में पिछले साल के बजट से 17.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है जो प्रदेश में शिक्षा के लिए शुभ संकेत है ।
उधर स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी राजेश उन्हाणी ने मुख्यमंत्री द्वारा पेश आम बजट में स्वतंत्रता सेनानी परिवारों की घोर उपेक्षा हुई है एक तरफ पूरा देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाने की तैयारी कर रहा है वही दूसरी तरफ हरियाणा के आम बजट में आजादी के लिए कष्ट एवं यातनाएं सहने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को निराश कर दिया है। अच्छा होता भूतपूर्व सैनिकों के परिवारों की तरह इन ऐतिहासिक परिवारों के कल्याण लिए भी सरकार बजट में कुछ प्रावधान करती।
फोटो कैप्शन: डा मुंशीराम, विजयपाल, राजेश उन्हाणी तथा सुनील कुमार
14 मार्च को कस्बे में लगेगा नि:शुल्क विभिन्न रोग जांच शिविर
******************************************************
कनीना। 14 मार्च को कनीना में निशुल्क जांच शिविर लगेगा जिसमें वरिष्ठ डाक्टरों की टीम जांच करेगी।
सेवा भारती संस्था के वरिष्ठ सदस्य योगेश कुमार अग्रवाल ने देते हुए बताया कि 14 मार्च को 39वां विशाल नि:शुल्क जांच शिविर लाला शिवलाल धर्मशाला में आयोजित किया जाएगा जिसमें हृदय रोग, हड्डी व जोड़ रोग एवं नेत्र रोग जांच एवं परामर्श शिविर आयोजित होगा। उन्होंने यह भी बताया कि यह शिविर प्रत्येक माह के दूसरे रविवार को लगता है जिसमें दूर दरााज तक के लोग लाभ उठाते हैं।
योगेश कुमार अग्रवाल ने बताया कि इस शिविर में इसीजी, रक्तचाप, ब्लड शुगर की सभी जांच निशुल्क कि जाएगी। वही इस जांच शिविर में हृदय रोग के वरिष्ठ चिकित्सक डा राहुल सिंगला, ओर्थो के वरिष्ठ चिकित्सक डाआरबी यादव, के अलावा नेत्र रोग चिकित्सक डा प्राची जैन की टीम द्वारा अपनी सेवा दी जाएगी।
उन्हाणी कालेज में अमृत महोत्सव आयोजित
*************************************************
कनीना। राजकीय कन्या महाविद्यालय उन्हाणी में राष्ट्रीय सेवा योजना के तत्वाधान में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर आयोजित संगोष्ठी में छात्राओं को संबोधित करते हुए प्राचार्य डा. विक्रम यादव ने अमृत महोत्सव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर संपूर्ण देश की आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जाएगा। आजादी के संघर्ष में अपना सर्वस्व न्योछावर कर देने वाले ज्ञात और अज्ञात वीरों की याद में मनाए जा रहे अमृत महोत्सव के विभिन्न कार्यक्रम 2022 में मनाये जाने वाले स्वतंत्रता दिवस से 75 सप्ताह पूर्व ही प्रारंभ हो जाएंगे और वर्ष 2023 के स्वतंत्रता दिवस तक जारी रहेंगे।
उन्होंने भारतीय इतिहास के बारे में जानकारी देते हुए छात्राओं का ज्ञानवर्धन किया। इतिहास प्रवक्ता राजेश ने राष्ट्रीय आंदोलन पर विस्तृत व्याख्यान देते हुए कहा कि आजादी की लड़ाई में जहां प्रारंभ में उदारवादी नेताओं की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही है, वहीं 1920 के बाद मुख्य रूप से महात्मा गांधी के नेतृत्व में राष्ट्रीय आंदोलन चलाया गया। क्रांतिकारी आंदोलनकारियों ने देश के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर कर, अपना सर्वस्व बलिदान करने के लिए प्रेरित किया। सुभाष चंद्र बोस की बोस की भारतीय राष्ट्रीय सेना ने भी देश की जनता को आजादी के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया, किंतु ज्ञात शहीदों और क्रांतिकारियों की तुलना में भी उन अज्ञात वीर शहीदों एवं आंदोलनकारियों का योगदान भी कम नहीं है।
डॉ. सीमा देवी ने भारतीय संस्कृति की जानकारी दी। इस अवसर पर आयोजित निबंध लेखन प्रतियोगिता उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। छात्राओं ने डा.सुधीर के निर्देशन में सड़क सुरक्षा अभियान के अंतर्गत आयोजित गतिविधियों में उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस अवसर पर डा. कांता, नीतू, कविता, धनेश, सोमेश, अनिल, कंवर सिंह, मोनू यादव, पूनम उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 9: अमृत महोत्सव उन्हाणी में सड़क सुरक्षा पर आयोजित प्रतियोगिता का नजारा।
जल की बूंद बूंद है कीमती...................
-वर्षा जल तथा प्रतिदिन घरों से निकलने वाला जल इकट्ठा कर उगा रहे हैं सब्जी तथा फसलों में लिया जा रहा है उपयोग
-पूरी ही ढाणी लगी है जल संरक्षण में
******************************************************
कनीना। उपमंडल के गांव मोड़ी के खेतों में स्थित एक ढाणी के लोगों ने मिसाल कायम करते हुए सिद्ध कर दिया है कि पानी की एक-एक बूंद कीमती है। बरसात का पानी, प्रतिदिन घरों से निकलने वाला पानी नालियों से एक गहरे गड्ढे(कुंड) में जमा हो जाता है जिसका उपयोग फसल, फल, सब्जी उगाने तथा विभिन्न खेती के कार्यों में लेने लगे हैं। 3 एचपी की सोलर मोटर लगाकर इस पानी को खींचकर बेहतर सब्जी उत्पादन शुरू कर दिया है।
24 सदस्यों की इस ढाणी में छह घर शामिल है और प्रतिदिन करीब 2000 लीटर पानी इस कुंड में जमा हो जाता है। जब बरसात होती तो सभी घरों का पानी नालियों से होता हुआ भी इसी कुंड में जमा हो जाता है। पहले वाटर रिचार्ज में काम ले रहे थे। अब तक वे हाथों से कुंड के पानी को रस्सी एवं बाल्टी से खींचकर प्रयोग कर रहे थे किंतु समय की करवट ने सोलर सिस्टम लगवा लिया है ताकि किसी भी समय दिन में अपने इस जल को मोटर से खींचकर सिंचाई के काम में ले रहे हैं। वर्तमान में उन्होंने किन्नू, टमाटर, मिर्च, बैंगन आदि की भी सब्जी एवं फल पैदा कर रखे हैं।
वर्षा जल संरक्षण था उद्देश्य-
ढाणी के सबसे बड़े व्यक्ति हैं पूर्व सरपंच गजराज सिंह बताते हैं कि करीब 10 वर्ष पहले कृषि विभाग के एक अधिकारी की सलाह से उन्होंने सभी ढाणी के विभिन्न घरों की छतों के पानी को इक_ा करके नालियों द्वारा एक कुंड तक पहुंचाया जाने लगा जो ढ़ाणी के घरों के पास बना है। इस जल को वाटर रिचार्ज के काम में लाया जा रहा था। कुंड में ही बोर करवाया हुआ था ताकि वर्षा का, सभी घरों का जल इस कुंड में आए और उस कुंड में बोर के जरिये भूमि में पानी चला जाए लेकिन धीरे-धीरे यह बोर काम करना बंद कर गया और पानी कुंड में जमा होने लग गया। कुंड में जमा होने लग गया। ढाणी के सभी लोगों ने वास्तव में एक मिसाल कायम की जब ढाणी के एक विज्ञान के ज्ञाता सतीश कुमार ने उन को सलाह दी कि सभी घरों से प्रतिदिन पशुओं को नहलाने, बर्तन आदि से जो पानी निकलता है उसको भी नालियों द्वारा इसी कुंड में क्यों न जमा किया जाए ताकि विभिन्न कार्यों में उपयोग हो सके। फिर क्या था सभी ने पानी को नालियों द्वारा एक कुंड में जमा करना शुरू कर दिया।
यह कुंड करीब 6 मीटर गहरा है जिसमें प्रतिदिन करीब 2000 लीटर पानी जमा होने लगा जिसका सदुपयोग करने के लिए उन्हें रस्सी और बाल्टी से खिंचने की बजाय सोलर सिस्टम लगवा दिया। अब सोलर मोटर से यह पानी कुंड से खींचा जाता है।
क्या है सोलर मोटर-
पूर्व सरपंच एवं ढाणी के सदस्य गजराज सिंह बताते हैं कि सोलर सिस्टम के बारे में उन्हें जानकारी मिली तो आनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाकर डीआरडीए की ओर से 3 हार्स पावर की मोटर वाला, 3 केवी का सोलर पंप लगवा दिया है। जिस पर करीब 42 हजार रुपये का खर्चा आया है। दिन के समय मोटर चला कर इस कुंड के पानी को खींचा जाता है। जब से यह पानी सब्जी, फल और अन्न उत्पादन में काम में लेना शुरू किया तब से प्रतिवर्ष अच्छी पैदावार सब्जी फल एवं अनाज की होने लगी है। बिना मोटर के भी इसी जल से सब्जी उगाई जाती रही है।
बिजली पर नहीं रहना पड़ता निर्भर-
उन्होंने बताया कि अब बिजली पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। दिन के किसी भी समय मोटर को चलाकर कुंड के पानी को खींचकर सब्जी उत्पादन में प्रयोग कर रहे हैं। एक और जहां बिजली की बचत हो रही है वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली कम आने पर भी यह उनका पंप काम करता रहता है।
पूरी ढाणी प्रसन्न है। इस प्रकार एक बूंद पानी भी खराब होने से बच रहा है। 1990 में जो वर्षा जल संरक्षण विधि अपनाई और अब समस्त गांव का पानी इक_ा कर काम में लेने की विधि अपनाई जा रही है। यह ढाणी या गांव दूसरे लोगों के लिए एक उदाहरण बन गई है।
क्या-क्या करना होता है-
ढाणी के लोग जब बारिश का समय आता है तो सभी अपनी अपनी छतों को साफ करते हैं तथा नालियों को साफ रखते हैं ताकि वर्षा का एक-एक बूंद जल इन नालियों से होता हुआ कुंड में जमा हो जाए। अब तो इस कुंड को घरों से जोड़ दिया है। नालियों से सभी घरों का गंदा जल भी इसने जमा हो जाता है। जिसे सोलर पंप द्वारा खींचकर उपयोग में लाया जा रहा है। वास्तव में इस प्रकार की सकारात्मक सोच ने इस ढाणी के लोगों ने पूरे ही क्षेत्र में नाम कमा लिया है।
कौन-कौन है निभा रहे अग्रणी भूमिका-
यूं तो इस ढाणी के सभी छोटे बड़े जन जल संरक्षण में भूमिका निभा रहे हैं किंतु सतीश कुमार, गजराज सिंह, कांता तथा अजय कुमार अहं भूमिका निभा रहे हैं जो इस प्रकार की सोच रखते हैं। जिससे जल को बर्बाद होने से बचाया जा रहा है।
कई बार मिल चुका है पुरस्कार-
गजराज सिंह को सरकार द्वारा सकारात्मक सोच के चलते कई बार फल, सब्जी उत्पादन, वर्षा जल संरक्षण आदि पर सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें अग्रणी किसान माना जाता है।
क्या कहते हैं अधिकारी-
कृषि अधिकारी डा देवराज तथा जिला बागवानी अधिकारी रेवाड़ी डा मंदीप यादव से इस संबंध में बात की तो उन्होंने बताया कि मोड़ी गांव की यह ढ़ाणी जल संरक्षण, वर्षा जल संरक्षण, जल रिचार्ज करने में अहं भूमिका निभा रहा है। इससे फल एवं सब्जियां बेहतर हो पाएंगी वहीं भूमिगत जल को बढ़ावा देंगे। उनसे अन्य किसानों को शिक्षा लेनी चाहिए।
फोटो कैप्शन 04: 3 केवी की सोलर प्लेट
05 एवं 06: कुंड का नजारा जहां चकली लगी हुई है, रस्सी से पानी खींचा जाता था किंतु अब साथ में चलती मोटर, साथ में अजय कुमार 3 एचपी की मोटर के संग
07: उगाई गई फसल और सब्जियां।
कनीना का सबसे पुराना स्कूल अब हुआ अंग्रेजी माध्यम, नये सत्र से सीबीएसई से होंगी परीक्षाएं
-कनीना के उच्च तथा वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों में शुरू की जाये सह-शिक्षा
*************************************************************************
कनीना। कनीना में लड़कों के एकमात्र सरकारी स्कूल का माडल स्कूल बनने पर गरीब बच्चों की हिंदी माध्यम से शिक्षा पाना सपना बनकर रह जाएगा। दूसरे प्रांतों से अधिक संख्या में विद्यार्थी इस विद्यालय में शिक्षा पा रहे हैं। अब अंग्रेजी माध्यम एवं अधिक फीस देकर शिक्षा पानी होगी। माडल स्कूल में सभी कार्रवाई पूर्ण कर माडल संस्कृति का दर्जा दिया जा चुका है तथा प्राचार्य भी भेजा जा चुका हैं।
सरकार द्वारा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय (बाल) कनीना को माडल स्कूल का दर्जा दिया गया है जो निसंदेह अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा पाने वालों के लिए वरदान साबित होगा किंतु सैकड़ों उन गरीब तबके के बच्चों को भारी दिक्कत आएगी जो हिंदी माध्यम से पढ़ते आ रहे हैं और पढऩा चाहते हैं। ऐसे बच्चे अब किस स्कूल में पढ़ पाएंगे अनिश्चितता बन गई है। अब तक ये बच्चे महज 25 रुपये में हिंदी माध्यम में शिक्षा पा लेते थे अब 500 रुपये प्रतिमाह में शिक्षा पानी होगी। अभिभावक रमेश, साहबु, कमल आदि ने बताया कि फीस अधिक नहीं अखरेगी अपितु अंग्रेजी माध्यम में पढ़ पाना अति कठिन हो जाएगा। बच्चों से पांच सौ रुपये प्रतिमाह फीस लेकर अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा दी जाएगी जिससे गरीब परिवार के बच्चों को फीस जमा करने में परेशानी होगी तथा हिंदी माध्यम से पढ़ाई करने वाले लड़कों के लिए कोई विकल्प नहीं बचेगा। इस समय कनीना के सरकारी (बाल) स्कूल में लगभग चार सौ बच्चे शिक्षा ले रहे है जिनको अब इस नए सत्र से सीबीएसई के तहत 500 रुपये प्रतिमाह फीस देनी होगी।
यहां यह उल्लेखनीय है कि कनीना में मध्यप्रदेश, राजस्थान तथा दूसरे प्रांतों के मजदूर, मिस्त्री लोगों के बहुत परिवार आये हुए है। जिनके बच्चे इसी सरकारी स्कूल में कम फीस में शिक्षा प्राप्त करते है लेकिन अब माडल स्कूल बनने से अब उनके लड़कों के लिए कनीना में सरकारी स्कूल में पढऩा महंगा हो गया है तथा उनका हिंदी माध्यम से शिक्षा पाने के लिए कोई स्कूल नहीं बचेगा। या तो वे दूसरे गांवों के स्कूलों में जाने को मजबूर होंगे या फिर कनीना के दो अन्य सरकारी कन्या स्कूलों में सह शिक्षा लागू की जाए। ताकि गरीब परिवारों के बच्चे फीस की वजह से व शिक्षा के माध्यम की वजह पढ़ाई से वंचित न हो पाए।
राज कुमार, दिनेश कुमार, सुनील कुमार, सुरेश कुमार आदि ने सरकार से मांग की है कि कनीना में पहले से ही मौजूद लड़कियों के उच्च विद्यालय को वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय का दर्जा देकर सह शिक्षा के लिए मंजूरी देनी चाहिए या राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना मंडी के स्कूल में सह शिक्षा को मंजूरी देनी चाहिये ताकि हिंदी माध्यम से शिक्षा पाने के लिए विद्यार्थियों को दूसरे गांवों के स्कूलों में न जाना पड़े। हसला के पूर्व ब्लाकाध्यक्ष सुनील कुमार यादव, अध्यापक नेता धर्मपाल तथा निर्मल शास्त्री ने मांग की है कि उपरोक्त स्कूलों में सह शिक्षा का प्रबंध किया जाए।
आम, सेहजना एवं सेमल के भारी बोर
-सब्जी बना रहे हैं सेमल एवं सेहजना के फूलों की
****************************************************
कनीना। कनीना क्षेत्र में कई जगह आम के बड़े पौधे ही नहीं अपितु फल लगते आ रहे हैं। हाल ही में पौधों पर भारी मात्रा में बोर आया हुआ है। सेहजना एवं सेमल तो बड़े एवं भारी फूलों से लद गए हैं। सेहजना और सेमल के फूलों से तो सब्जी बनाकर खाई जा रही है। इसके फूलों की सब्जी स्वास्थ्य के लिए बेहतर बताई जा रही है।
कनीना मंडी के भीम सिंह जिनके घर के सामने आम के पौधे बोर से लदे हुए हैं। विगत वर्ष पर्याप्त आम लगे थे। भीम सिंह ने बताया कि विगत वर्ष की तुलना में इस वर्ष अधिक बोर आया है। सरकारी स्कूल में सेहजना और सेमल के पौधे पर बड़े बड़े फूल लगे हुए हैं। इन फूलो को सब्जी बनाने के काम में लाया जाता है वहीं सुआ सेमल साहित्यिक शब्द प्रसिद्ध है। इस सेमल के फल लगने पर तथा गिरने पर जो रुई प्राप्त होती है उससे देहात के लोग तोशक/तकिया भरते हैं। भीम सिंह का कहना है कि नहरी पानी के कारण आम के पेड़ फल देते हैं।
उधर कनीना के सिहोर वाटर पंप पर कई पेड़ आम के हैं जिन पर आम के फल लगते आ रहे हैं। सबसे पुराने आम के पेड़ वाटर पंप पर ही हैं। वाटर पंप पर काम करने वाले अशोक कुमार ने बताया कि विगत वर्षों से यहां फल लगते आ रहे हैं किंतु उन्हें पक्षी नष्ट कर देते हैं। बहुत कम फल पकान तक पहुंचते हैं।
अपने ट्यूबवेल पर रह रहे राजेंद्र सिंह किसान ने न केवल अपने खेत पर आम उगाने अपितु फल पेड़ों पर पकाकर दिखाने में सफलता कायम की है। उन्होंने बताया कि उनके पेड़ों पर इस बार विगत वर्षों की तुलना में अधिक बोर आया है। उन्हें आशा है कि आने वाले समय में उनके पेड़ों पर भारी मात्रा में आम लगेंगे। इसी प्रकार कई किसानों ने आम उगाने में सफलता हासिल की है।
सब्जी के लिए प्रसिद्ध है सेमल एवं सेहजना-
गृहणि कमला, भीम सिंह, राकेश, लीलाराम आदि ने बताया कि सेमल के फूलों की मार्केट में बेहतर मांग है। इसके फूलों को साफ करके, पुंकेशर एवं स्त्रिकेशर को निकालकर, मोटी हरी पंखुडिय़ों को काटकर बेहतर सब्जी बनाई जाती है। राजस्थान, उत्तरप्रदेश एवं बिहार के लोग तो इसके फूलों को दूर दराज से ढूंढकर लाते हैं। बताया जाता है कि इसके फूलों की सब्जी शरीर के विभिन्न रोगों के लिए लाभकारी होती है। गृहणि कमला देवी ने बताया कि वे भी इसकी सब्जी बनाकर प्रयोग कर चुकी हैं। गठिया एवं जोड़ों के दर्द के लिए भी बेहतर मानी जाती है। सेहजना के फूलों एवं फलों की सब्जी जोड़ों के दर्द में ग्रामीण काम लेते हैं।
फोटो कैप्शन 1:आम के पेड़ पर आये बोर।
2: सेमल के फूल इक_े करता जन।
जल्द ही बदलने वाले हैं कनीना मंडी के दिन
-सरसों की आवक होने में महज एक सप्ताह
******************************************************
कनीना। अनाज खरीद के वक्त नंबर एक पर रहने वाली कनीना की अनाज मंडी अब सुनसान पड़ी है। खरीद में मदद करने वाले आढ़ती अब मुश्किल से एक सप्ताह का इंतजार करेंगे। रबी एवं खरीफ फसल पैदावार के बाद ही रौनक बढ़ती है। एक सप्ताह के बाद सरसों की आवक होने से मंडी में रौनक बढ़ जाएगी। आढ़ती बेसब्री से आवक का इंतजार कर रहे हैं। उधर किसान जोर शोर से फसल कटाई में लग रहे हैं।
किसी वक्त कनीना की अनाज मंडी व्यापारिक प्रतिष्ठानों में से एक होती थी और महेंद्रगढ़ के पास तक इसका विस्तार होता था किंतु समय के साथ साथ अब व्यापारिक प्रतिष्ठान की चमक धीमी पड़ती चली गई है। किसी वक्त कनीना की अनाज मंडी व्यापारिक प्रतिष्ठानों में से एक होती थी और महेंद्रगढ़ के पास तक इसका विस्तार होता था किंतु समय के साथ साथ अब व्यापारिक प्रतिष्ठान की चमक धीमी पड़ती चली गई है। आज कनीना के सामान्य बस स्टैंड की ओर सघन क्षेत्र बनता जा रहा है और बहुत से व्यापारिक प्रतिष्ठान एवं कार्यालय कनीना मंडी से बस स्टैंड की ओर जा रहे हैं। यही नहीं अपितु चेलावास में अनाज मंडी, सब्जी मंडी एवं फायर ब्रिगेड त्वरित गति से बन रहे हैं।
हालांकि कनीना मंडी में अभी सरकारी खरीद नहीं होने वाली किंतु खुली मंडी में सरसों आने की पूरी उम्मीद हैं। इस बार खुली अनाज मंडी में सरसों के भाव पांच हजार रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं जबकि जहां सरकार ने गेहूं का समर्थन मूल्य 1975 रुपये रखा है सरसों का 4650 रुपये प्रति क्विंटल रखा गया है। क्षेत्र में जहां 19310 हेक्टेयर पर सरसों उगई है वहीं 10590 हेक्टेयर पर गेहूं उगाया गया है।
कनीना मंडी से आढ़ती रविंद्र बंसल, ओमप्रकाश लिसानिया, शिव कुमार अग्रवाल ने बताया कि जब बाजरे या सरसों की आवक होती तो चहल पहल बढ़ जाती है वहीं गेहूं की खरीद के वक्त भी चहल पहल बढ़ जाती है। शेष समय में मंडी के व्यापारी ग्राहक कम और धूल अधिक फांकते हैं। सितंबर माह के अंत में बाजरे की आवक शुरू होती है तो अप्रैल में सरसों की आवक होती है। 1935 में कनीना मंडी स्थापित हुई थी।
फोटो कैप्शन 3: कनीना की सूनी पड़ी अनाज मंडी
No comments:
Post a Comment