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Friday, March 26, 2021


 
डेढ़ एकड़ सरसों की फसल जलकर राख
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कनीना। कनीना के गांव कलवाड़ी में शुक्रवार की देर शाम खेत में इकट्ठी की गई सरसों की फसल जलकर राख हो गई। फायर ब्रिगेड भी मौके पर पहुंची तथा आग पर काबू पाया। करीब डेढ़ एकड़ की सरसों फसल काटकर इकट्ठी की हुई थी।
  कनीना खंड के गांव का कलवाड़ी में शुक्रवार की देर शाम  सत्यवीर   किसान के सरसों की काटकर डाली फसल आग लग गई आग बुझाने के लिए महेंद्रगढ़ से फायर ब्रिगेड को बुलाया गया। फायर ब्रिगेड के पहुंचने तक अधिकांश गेहूं जलकर राख हो गई। फायर आफिसर राकेश कुमार ने बताया कि करीब शाम 6:35 बजे उनको सूचना मिली कि कलवाड़ी गांव के  के खेत में काटकर सरसों की फसल में आग लग गई है। आग पर करीब एक घंटे में काबू पाया गया। फायर ब्रिगेड तुरंत मौके पर पहुंची किंतु तब तक अधिकांश सरसों फसल जलकर राख हो गया। फायर ब्रिगेड ने कड़ी मशक्कत कर आग पर काबू पाया। आग बूझाने वालों में देवी प्रसन्न, जगदीश चालक थे। खेत में आग लगने के कारणों का कुछ पता नहीं चल पाया है।
फोटो कैप्शन 18: कलवाड़ी के सरसों के खेत में लगी आग ।





कोटिया में 99 वरिष्ठ नागरिकों ने कोरोना वैक्सीन दी
-16 वैक्सीन कनीना में दी गई
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 कनीना। कनीना उपमंडल के गांव कोटिया के 99 वरिष्ठ नागरिकों को कोरोना वैक्सीन दी गई।  इस मौके पर शीशराम एचआई की देखरेख में सुशीला, सुमन एवं राजेश ने कोरोना वैक्सीन दी। उधर कनीना में 16 लोगों को वैक्सीन दी गई। 27 मार्च को करीरा उप स्वास्थ्य केंद्र पर वैक्सीन दी। जबकि 25 मार्च को करीरा में 140 लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है।
 विस्तृत जानकारी देते हुए ऐसे एसएमओ डा धर्मेंद्र यादव ने बताया कि वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह योजना चल रही है। शुक्रवार को फिर वैक्सीन दी जाएगी। उन्होंने समय पर वैक्सीन लेने पर बल दिया। उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त 45 से 59 वर्ष तक के उन लोगों को भी वैकसीन दी जा रही है जो किसी रोग से पीडि़त हैं। ऐसे 20 रोग सरकार ने निर्धारित किए गए हैं जिनकी सूची अस्पताल में उपलब्ध है।


आइए मिलते हैं कनीना की भैंस वाली गली से
-संकीर्ण गली में बांधी जाती कई भैंस
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कनीना। यूं तो कनीना की गलियां लगभग पक्की है परंतु जब कोई गली संकीर्ण हो तथा भैंस गली के बीच बंधी हो तो फिर आने जाने वालों के लिए दिक्कत देती हैं। वाली नाम से प्रसिद्ध हो और उसमें कहीं एट कहीं पत्थर कहीं बाबा मोलडऩाथ आश्रम के पास एक गली दस फीट चौड़ी हैं किंतु बस स्टैंड जाने का प्रमुख मार्ग है। इस गली में दोनों तरफ साधन खड़े रहते हैं तथा भैंस बंधी होती हैं जो आने जाने वालों को गंदगी देती रहती हैं।
ये गली में बंधी भैंस मल मूत्र से आने जाने वालों के चेहरे तथा कपड़ों को खराब करती रहती है। यदि कोई इनके मालिक को कहे तो समझो सामत आ जाती है। ऐसे में कोई बोलने वाला नजर नहीं आता। दिनभर ये भैंस से गोबर और मल मूत्र से गली को गंदा कर रही हैं। आवागमन में बड़ी दिक्कत आती है किंतु बस स्टैंड जाने के लिए इस गली का प्रयोग करना मजबूरी है।
लोग बेहद परेशान है किंतु कुछ कह नहीं सकते। नगर पालिका प्रधान सतीश जेलदार का कहना है कि इस प्रकार के लोगों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि गली में भैंस बांधना ठीक नहीं और उस पर वो गंदगी करें तो और भी दिक्कत आती है।
फोटो कैप्शन 16: गली में बंधी भैंस।




पेंंटिंग में जिला स्तर पर नाम कमाने वाली शिखा पुरुस्कृत
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कनीना। आरआरसीएम पब्लिक स्कूल कनीना में आज प्रगतिशील जिला स्तरीय गीता महोत्सव 2020  में पेंटिंग प्रतियोगिता में जिला सस्तर पर सांत्वना पुरस्कार प्राप्त करने पर विद्यालय की छात्रा शिखा को सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर संस्था के चेयरमैन रोशन लाल यादव ने बताया कि गीता महोत्सव का आयोजन एक महत्वपूर्ण एवं गौरवशाली आयोजन है प् इस प्रतियोगिता के द्वारा विद्यार्थियों में गीता जी के ज्ञान के प्रति समझ व रूचि उत्पन्न होती है तथा इस प्रकार की प्रतियोगिताओं  से विद्यार्थियों में नैतिक मूल्योंएमानवीय मूल्यों व सद्गुणों का विकास भी होता है जिससे समाज व राष्ट्र के लिए उत्तम नागरिकों का निर्माण करने में मदद मिलती है।
इस अवसर पर संस्था के निदेशक संजय यादव,प्राचार्य नरेंद्र गौतम ने भी अपने विचार प्रकट किए।



बच्चों को बचाइये मोबाइल से- मनोवैज्ञानिक सूर्यकांत
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कनीना। मोबाइल या स्मार्टफोन से अपने बच्चों को जरूर बचाये क्योंकि ये तनाव,अवसाद,अनिद्रा,क्रोध व सामाजिक अलगाव आदि का कारण बनते हैं। ये विचार डाइट महेंद्रगढ़ के मनोवैज्ञानिक सूर्यकांत ने यहां व्यक्त किये।
 उन्होंने कहा कि एक समय था जब बच्चे अपने बचपन में पारंपरिक खेल खेलते थे,जिनसे बच्चों का न केवल शारीरिक अपितु मानसिक व सामाजिक विकास भी होता था। लेकिन आज उन पारम्परिक खेलों का स्थान मोबाइल पर हिंसक गेम्स ने ले लिया है। हिंसक गेम खेलने वाले बच्चों में नकारात्मक अभिव्यक्ति बढ़ रही है। माता-पिता की बात न मानना,छोटे भाई-बहन को पीटना,बात-बात पर गुस्सा करना आदि अनेक व्यवहारिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सम्पूर्ण समाज को इस विषय पर सजग व सचेत होने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि मोबाइल फोन का उपयोग आवश्यक है। जीवन को सशक्त बनाने के उद्देश्य से किया गया था। किंतु मोबाइल उपयोग कर्ता पर हावी हो गया है जिससे माइग्रेन या सिरदर्द, अनिद्रा विकार और अवसाद, तनाव और सामाजिक अलगाव,आवेगी और आक्रामक व्यवहार,पारिवारिक सम्बन्धो में दरार, ध्यान केंद्रित करने की अक्षमता,आंखों की रोशनी का कमजोर होना, रीढ़ की हड्डी में दर्द होना,निष्क्रिय जीवन शैली, आर्थिक व व्यवसायिक समस्याएं, क्रोधी,झगड़ालू व चिड़चिड़े स्वभाव आदि प्रमुख हैं।
उन्होंने कहा कि मोबाइल का उपयोग करने के लिए एक निश्चित समय तय करें, जरूरी होने पर ही मोबाइल फोन का उपयोग करें, अनावश्यक रूप से मोबाइल पर समय ना बिताएं,
 मोबाइल पर गेम खेलने की बजाय पारम्परिक व आउटडोर गेम्स खेलें, समय का सही इस्तेमाल करें, रोचक कार्यों को प्राथमिकता दें,वर्चुअल दुनिया से बाहर निकले मोबाइल एडिक्शन से छुटकारा पाने के लिए किसी प्रशिक्षित परामर्श मनोवैज्ञानिक या परामर्शदाता से सम्पर्क करें।
फोटो कैप्शन: सूर्यकांत।




नटवरलाल पकडऩे के बाद भी दुकानदारों की राशि नहीं मिली
-नटवरलाल पकड़े बीत चुका है एक माह
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 कनीना। विगत करीब एक वर्ष से कनीना क्षेत्र में आधा दर्जन दुकानदारों को ठगी का शिकार बना चुका नटवरलाल जहां एक माह पहले पुलिस के हत्थे चढ़ चुका है किंतु दुकानदार अपनी राशि की उम्मीद लगाये बैठे हैं। कनीना के तीन तथा सेहलंग का एक दुकानदार नटवरलाल द्वारा ठगे जाने के बाद जहां मामला भी कनीना थाने में दर्ज हुआ था वहीं कुछ दुकानदारों ने तो मामला भी दर्ज न करवाकर ठग द्वारा पैसे लौटाये जाने की बाट जोहते रहे। अब तो उन्होंने मान लिया कि उनकी हजारों रुपये की राशि अब नहीं आनी।
करीब एक माह पहजे पुलिस प्रशासन द्वारा नटवरलाल को पकड़ लिए जाने के बाद जहां कनीना के ठगे गए दुकानदारों को ले जाकर पहचान भी करवा ली गई है वहीं अब दुकानदारों उनकी राशि मिलने की बाट जोह रहे हैं। जहां सेहलंग गांव का बिजली का सामान बेचने वाला हाल ही में ठगाई में आया था वही कनीना क्षेत्र के दो परचून दुकानदार एवं एक कपड़े की दुकान करने वाले ठग का शिकार बने थे।
उल्लेखनीय है कि नटवरलाल ने जहां कनीना में आधा दर्जन से भी अधिक दुकानदारों को विगत एक वर्ष में लाखो रुपये की चपत लगाई परंतु सभी दुकानदारों ने मामला कनीना थाने में दर्ज नहीं करवाया। महज मायूस होकर बैठ गये थे। दुकानदार भरपूर सिंह, अरुण कुमार एवं सुमेर सिंह ने बताया कि यह ठग बहुत ही होशियारी से ठगी करता आ रहा था परंतु पुलिस की पकड़ में पकड़ में आ चुका है। उन्हें इस बात की खुशी है  कि बस अब भविष्य में कोई अन्य दुकानदार इस ठग की ठगी का शिकार नहीं हो पाएगा। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि किसी प्रकार ठग द्वारा ठगी उनकी राशि दिलवाई जाए।



मोटरसाइकिल सवार को गाड़ी ने मारी मारी टक्कर मामला दर्ज
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 कनीना। कुलदीप मुंडियाखेड़ा ने कनीना पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है कि उनका भतीजा पंकज 21 मार्च को अपने निजी काम से कनीना आया था। कान सिंह पार्क से नहर की पुलिया के पास सड़क पर जा रहा था कि तभी एक तेज रफ्तार से गाड़ी आई और उनके मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी। जिससे उनके भतीजे के शरीर पर चोट आई। पड़ोस के भूप सिंह कनीना शोर सुनकर पहुंचे और गाड़ी चालक को काबू कर लिया। मेरे भतीजे को गंभीर चोट देखते हुए उसे टक्कर मारने वाली गाड़ी से कनीना अस्पताल ले गए जहां से उन्हें हायर सेंटर रेफर कर दिया। उनका इलाज रेवाड़ी के एक निजी अस्पताल में चल रहा है। कुलदीप के बयान पर गाड़ी चालक के विरुद्ध मामला दर्ज कर लिया है।




मेले में हुई कई चोरियां
-मोबाइल, पर्स,नकदी हुई चोरी, मामला दर्ज
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 कनीना। कनीना के बाबा मोलडऩाथ मेले में कई लोगों के मोबाइल नकदी पर्स आदि चोरी हो गए। कनीना पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है।
 कनीना निवासी संदीप ने कनीना पुलिस में दर्ज शिकायत दर्ज करवाई है कि जब वो मेले के भंडारे का प्रसाद लेने गए तो भीड़ का लाभ उठाकर  उनकी जेब से मोबाइल अज्ञात चोर ले उड़ा।
जब इधर-उधर तलाश की गई पूछताछ की तो मोबाइल का पता नहीं चला।
इसी दौरान महावीर प्रसाद वार्ड नंबर 7 ने बताया कि उनका पर्स चोरी हो गया जिसमें 5500 रुपये थे, छोटेलाल
गोमला ने बताया कि उनकी जेब से 6800 रुपये चोरी हो गये, मास्टर सुमेर सिंह सिहोर निवासी ने बताया कि उनके 3600 रुपये तथा आधार कार्ड चोरी कर लिया गया वहीं विजयपाल खरकड़ा बास ने बताया कि उनकी कमीज की जेब से 3800 रुपये, रामनिवास धनौंदा ने बताया कि उनकी जेब से 6000 रुपये,अजीत राजपूत ने बताया कि उनकी जेब से 9500 रुपये निकाल लिए। जिले सिंह वार्ड 10 ने बताया कि वो घोड़ी रेस में गया था और उनकी जेब काटकर 10000 रुपये चोरी कर लिये वहीं रिसाली देवी जोधपुर राजस्थान ने बताया कि उनके गले से चेन की कंठी चोरी कर ली गई वहीं दीपक उर्फ दीपू कनीना  वार्ड 10 ने बताया कि उनकी जेब से चार हजार रुपये, राहुल वार्ड 4 ने बताया कि उनकी लोवर की जेब से एक मोबाइल फोन अनजान व्यक्ति ने निकाल लिया। सभी ने मांग की है कि उनकी चोरी के सामान वापस दिलवाया जाये। कनीना पुलिस ने अज्ञात चोर के इलाज मामला दर्ज कर लिया है और छानबीन जारी है।



जौ की खेती भूले किसान
-40 हेक्टेयर पर हुई बीजाई
-होली पर भूनकर खाया जाता है जौ
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 कनीना। किसान जौ की खेती कम होती जा रही है।  कनीना खंड के गांवों में महज 40 हेक्टेयर पर जौ उगाए गए हैं। जौ की रोटी, राबड़ी तथा धानी आदि बनाकर प्रयोग करते है। अब किसानों को पूजा के लिए या राबड़ी के लिए जौ खरीदकर लाने पड़ते हैं।
  कभी कनीना खंड में हजारों एकड़ में जौ की खेती की जाती थी। जौ न केवल पूजा आदि बल्कि हवन आदि में भी काम आता हैं। जब नवरात्रे आते हैं या गर्मी में राबड़ी बनानी हो या फिर जौ चनी की रोटी खानी हो तो जौ याद आता है। होली पूजा में जौ भूने जाते हैं तो दूर दराज से ढूंढ ढूंढकर लाए गए।
    किसान अजीत कुमार, सूबे सिंह एवं राजेंद्र सिंह ने बताया कि जौ की पैदावार तो बेहतर होती है तथा पानी की कम जरूरत होती है किंतु इसकी तूड़ी पशु नहीं खाते वहीं इसके रेट गेहूं की तुलना में कम हैं जिसके कारण जौ नहीं उगाया जाता है। एक जमाना था जब हर घर में जौ की खेती की जाती थी जिसे पूरी गर्मी आनंद से रोटी एवं अन्य रूपों में प्रयोग किया जाता था। अब जमाना लद गया है। जौ की खेती करना किसान भूल रहे हैं।
  अब सत्तू, धाणी, पूजा के लिए जौ तथा हवन आदि के लिए जौ बाजार से किसान खरीदते हैं।   कहावत है कि इतिहास अपने आप को दोहराता है। जौ उगाने का युग फिर से लौटकर आता नजर आता है। आज भी कुछ बुजुर्ग जौ को लाकर खाते हैं। दिनोंदिन राबड़ी की मांग बढ़ रही है। ठंडाई के रूप में राबड़ी को प्रति गिलास के हिसाब से बेचा भी जाता है। ऐसे में लगता है कि जौ की खेती आने वाले समय में फिर से हुआ करेगी।
कितनी उगाई गई है फसलें-
कनीना के कृषि विस्तार अधिकारी डा देवराज यादव ने बताया कि वर्तमान में 30340 हेक्टेयर पर कनीना क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की फसलें उगाई है। उन्होंने बताया कि 19310 हेक्टेयर पर जहां सरसों, 10590 हेक्टेयर गेहूं, 40 हेक्टेयर पर जौ, 400 हेक्टेयर पर चारे की फसलें  तथा 6 हेक्टेयर पर चने की फसल उगाई गई है।
फोटो कैप्शन 8: कनीना में जौ की खेती दिखाता किसान।


11-11 हजार रुपये की कुश्तियां बराबरी पर रही
-नहीं दिया गया इनाम
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 कनीना। बाबा मोलडऩाथ के मेला अवसर पर कमेटी की तरफ से 51 रुपये से लेकर 11 हजार रुपए तक का कुश्ती दंगल करवाया गया। कुश्तियां गुरुवार देर शाम तक चली। जिसमें 1100 रुपये की तीन कुश्तियां करवाई गई। जिनमें कुंजिया से पहलवान यशपाल, बौंद से पहलवान जतीन व नूह से पहलवान लखपत विजेता रहा। उसके बाद 2100 रुपये की 8 कुश्तियां करवाई गई। जिनमें भिवानी से पहलवान सोनू, रोहतक से पहलवान मोहित, बाघोत से पहलवान संदीप, घढ़ी से पहलवान चंदरूप, अटेली से पहलवान विक्की, गणियार से पहलवान राजकुमार, भिवानी से पहलवान सौरभ व बाघोत से पहलवान सोनू विजेता रहा। उसके बाद 5100 रुपये की दो कुश्ती प्रतियोगिताएं करवाई गई। जिनमें बाघोत से पहलवान राजेश व लाडपुर से पहलवान हिमांशु विजेता रहा। कमेटी के सदस्य राजेन्द्र भेलिया ने बताया कि कुश्ती दंगल में 11-11 हजार रुपये की तीन कुश्तियां करवाई गई थी। लेकिन तीनों ही कुश्तियां बराबरी पर छूटने की वजह से किसी भी पहलवान को ईनाम नहीं दिया गया। उन्होंने बताया कि प्रतियोगिता के प्रारंभ में ही पहलवानों को बता दिया गया था कि कुश्ती दंगल बराबरी पर छूटने पर किसी भी पहलवान को कोई ईनाम नहीं दिया जाएगा।
फोटो कैप्शन 9: कनीना में बाबा मोलडऩाथ मेले में आयोजित कुश्ती।



रंग और गुलाल से सज गए बाजार
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 कनीना। कनीना के बाजार में रंग और गुलाल सज गए हैं।  रंग गुलाल खेलने के लिए पिचकारियों की भरमार है। होलिका दहन के बाद 28 मार्च को वहीं 29 मार्च दुलेंडी का पर्व मनाया जाएगा।    
    इस बार सूखी होली, गुलाल तथा प्राकृतिक रंगों से होली खेलने के लिए युवा वर्ग आमजन को प्रेरित कर रहा है और आगे आ रहा है। उधर दुकानदार भरपूर सिंह, रोहित कुमार, योगेश कुमार ने बताया कि अभी से ही गुलाल की बिक्री बढ़ गई है वहीं बच्चे पिचकारियां खरीद रहे हैं तथा जमकर होली खेलने की संभावना जता रहे हैं। उन्होंने कहा कि मार्केट में आजकल नई-नई तकनीकी युक्त पिचकारियां आई हुई है वही विभिन्न प्रकार के रंग आए हुए हैं। रंगों के बजाय इस बार लोग विशेषकर युवा वर्ग गुलाल खरीद रहा है। उन्होंने बताया कि युवा वर्ग प्रत्येक व्यक्ति को प्रेरित कर रहा है कि होली पर पानी बचाना चाहिए, प्राकृतिक रंगों से होली खेले। रविंद्र कुमार शिक्षाविद का कहना है कि रासायनिक रंगों से होली खेलने से विभिन्न प्रकार के चर्म रोग ही नहीं अपितु गुर्दे, आंखों के रोग, एलर्जी तथा अन्य कई प्रकार के रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि किसी भी सूरत में रासायनिक रंगों से होली नहीं खेलनी चाहिए और प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करके या चंदन का टीका लगाकर होली खेलनी चाहिए। 80 प्रतिशत लोग तिलक लगाकर होली खेलने के पक्षधर हैं। प्रतिवर्ष होली के पर्व पर भारी मात्रा में रंग गुलाल बिकते हैं किंतु इस बार प्राकृतिक रंगों की बिक्री में बढ़ोतरी हो गई है। प्राकृतिक रंगों को बेचने वाले विक्की का कहना है कि अखबारों में पानी बचाने का संदेश तथा प्राकृतिक रंगों के प्रयोग करने की प्रेरणा देने के चलते उनके पास ऐसे युवा अधिक हैं जो प्राकृतिक रंग खरीदते हैं। उन्होंने मेहंदी,हल्दी, चुकंदर, पत्तों से बनाया हुआ रंग आदि प्रयोग करने पर बल दिया। डा अजीत कुमार का कहना है की होली सादगी से खेलनी चाहिए। अगर प्राथमिक रंगों से होली खेल रहे तो पहले शरीर पर सरसों का तेल लगा लेना चाहिए ताकि रंगों से छुटकारा आसानी से मिल सके वरना यह रंग कई दिनों तक नहीं छूटेंगे। बच्चे, बूढ़े, विधवा आदि का ख्याल रखने पर भी उन्होंने बल दिया।
फोटो कैप्शन 10: रंग, गुलाल एवं पिचकारी की भरमार।


किसानों का रुझान सब्जी की नर्सरी की ओर
-कम लागत से कमा रहे हैं हजारों रुपये
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 कनीना। कम लागत से खेतों में सब्जी के पौधों की नर्सरी तैयार करने की ओर किसानों का रुझान बढ़ा है। नर्सरी से ही कनीना खंड के दर्जनों किसान रोटी रोजी कमा रहे हैं।
  भोजावास गांव का किसान सत्यवीर सिंह अपने ट्यूबवेल पर रह रहे हैं। उन्होंने करीब एक एकड़ में टमाटर, मिर्च, प्याज, बैंगन आदि की नर्सरी तैयार की है तथा 18 वर्षों से यह काम कर रहे हैं। सत्यवीर सिंह ने बताया कि वे प्योद किसानों तक पहुंचा रहे हैं। गृहणियों का ध्यान भी किचन गार्डन की ओर बढऩे से सब्जी वाले पौधों की अधिक मांग है। उनका मानना है कि करीब एक लाख रुपये का खर्चा बीज, टपका सिंचाई तथा दवा आदि पर खर्च करने के बाद तीन लाख रुपये आय का टारगेट है।
     किसान सत्यवीर सिंह ने बताया कि नवंबर में लगाई गई नर्सरी अप्रैल माह तक चलती है जबकि जून माह में लगाई हुई नर्सरी जुलाई-अगस्त तक चलती है। वे दूसरे किसानों को भी शिक्षा दे रहे हैं। उनके पदचिह्नों पर दूसरे किसान भी चलने लगे हैं। उधर मोड़ी का किसान गजराज सिंह भी भारी मात्रा में सब्जी देने वाले पौधों की नर्सरी तैयार करते हैं किंतु वे अपने आस पास एवं परिवार को प्रदान करते हैं। गजराज सिंह ने बताया कि प्योद तैयार करने में सबसे बड़ी समस्या सर्दी व गर्मी से छोटे पौधों को बचाने की होती है।
 कौन कौन कर रहे हैं नर्सरी का काम-
यूं तो बहुत से किसान नर्सरी उगाकर अपनी एवं कुछ लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति कर रहे हैं किंतु किसान सत्यवीर भोजावास, गजराज सिंह मोड़ी, अजय इसराणा,महावीर सिंह, अजीत कुमार, सूबे सिंह कनीना, अजय, विकास मोड़ी आदि सब्जी की पैदावार का लाभ उठाते हुए अतिरिक्त आय कमा सकते हैं।  छोटे-छोटे पौधों को सर्दी एवं गर्मी से बचाने के लिए अतिरिक्त प्रबंध करने पड़ते हैं।  
किसान प्याज तथा मूली,गाजर के बीज भी नर्सरी में तैयार करने लग गये हैं। ताकि उनको बीजों पर अतिरिक्त खर्चा न करना पड़े। कनीना क्षेत्र में अगर सब्जी मंडी होती तो आय में अधिक इजाफा होता।
क्या कहते हैं कृषि एवं बागवानी अधिकारी--
कृषि अधिकारी डा देवराज, जिला बागवानी अधिकारी डा मंदीप यादव रेवाड़ी का कहना है कि सब्जी की नर्सरी से कम जमीन पर भी अधिक आय प्राप्त हो सकती है। महज देखरेख अधिक होती वरना आय बेहतर होती है। किचन गार्डन की ओर रुझान ने भी सब्जी की नर्सरी की मांग बढ़ा दी है।
फोटो कैप्शन 1 व 2: प्याज एवं गाजर के बीज नर्सरी में दिखाते हुए सत्यवीर सिंह।


आंवला एकादशी मनाई गई
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 कनीना। कनीना क्षेत्र में गुरुवार को आंवला एकादशी का पर्व मनाया गया। व्रत करके महिलाओं ने आंवला की पूजा की और आंवला एकादशी की कथा सुनाई। इसे आमलकी एकादशी नाम से भी जाना जाता है।
वयोवृद्ध महिला संतरा देवी ने बताया कि हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। एक वर्ष के अंतराल में 24 एकादशियां आती हैं। जब मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। आमलकी यानी आंवला को शास्त्रों में उसी प्रकार श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है जैसा नदियों में गंगा को प्राप्त है और देवों में भगवान् विष्णु को। विष्णु जी ने जब सृष्टि की रचना के लिए ब्रह्मा को जन्म दिया उसी समय उन्होंने आंवले के वृक्ष को जन्म दिया। आंवले को भगवान विष्णु ने आदि वृक्ष के रूप में प्रतिष्ठित किया है। आंवले के हर अंग में ईश्वर का स्थान माना गया है। स्वयं भगवान विष्णु ने कहा है जो प्राणी स्वर्ग और मोक्ष प्राप्ति की कामना रखते हैं उनके लिए फाल्गुन शुक्ल पक्ष में जो पुष्य नक्षत्र में एकादशी आती है उस एकादशी का व्रत अत्यंत श्रेष्ठ है। इस एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है।
 कनीना के वार्ड एक की महिलाओं ने आशा यादव के भवन परिसर में लगे आंवलों की पूजा विधि विधान से की और आंवले को जल अर्पित किया। आशा यादव, सरला, कांता, गुड्डों आदि ने आंवला एकादशी का व्रत, तरीका, कथा आदि सुनाई।
फोटो कैप्शन 3: आंवला एकादशी पर महिलाएं आंवला की पूजा करते हुए।



गांव की मुख्य फिरनी पर पानी जमा होने से परेशानी
-सीएम विंडो तक पहुंची शिकायत
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 कनीना। उप-मंडल के गांव कोटिया में भूमिगत नाले के ब्लाक हो जाने से गलियों में गंदा पानी जमा हो गया है जिसके चलते आवागमन बाधित हो रहा है
कोटिया गांव के महावीर प्रसाद, जगत सिंह करतार सिंह, छोटू राम ,ओम प्रकाश, राज सिंह, रामचंद्र, राजेंद्र कुमार, हवा सिंह, लीलाराम आदि ने बताया फिरनी में जमा पानी परेशानी का कारण बना हुआ है। शिकायत सीएम विंडो में भी लगाई है। ग्राम सरपंच को बार बार सूचित करने के बावजूद भी समस्या समाधान नहीं हुआ है।
उन्होंने सरकार से मांग की है कि तुरंत प्रभाव से उनकी समस्या का हल किया जाए ताकि आवागमन में परेशानी खत्म हो सके। उन्होंने कहा कि यदि यही हालात चलते रहे तो घरों में नमी आ जाएगी तथा दीवार तक गिरने की संभावना बन जाएगी।
उधर सरपंच प्रतिनिधि दलीप सिंह ने बताया कि उनके पास अब पावर नहीं हैं किंतु उन्होंने जेसीबी बुलाकर समस्या समाधान करवाने का प्रयास किया है। दो जोहड़ों को जोडऩे वाले भूमिगत लाइन को लोगों ने गुदड़ी, पोलीथिन तथा कूड़ा भरने से ब्लाक कर दिया है। इसका जल्द समाधान कर दिया जाएगा।
फोटो कैप्शन  5: कोटिया की फिरनी में जमा पानी।


डाक्टरों के अनुसार रासायनिक रंगों की होली हानिकारक
-29 मार्च को जमकर खेली जाएगी होली
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 कनीना। पानी बचाकर होली खेलने की प्रेरणा देगा युवा वर्ग। होली को सामान्य तरीकों से मनाने तथा टीका लगाकर या फिर गुलाल का टीका लगाकर ही खेलेंगे। पानी को बचाने के लिए तथा रोगों से बचने के लिए रासायनिक रंगों से होली खेलने से बचेंगे। महिलाएं भी होली खेलने में अग्रणी हैं जो घर में पानी को बचाने के लिए प्रयास करेंगी।
 रासायनिक रंगों से बचना चाहिए। रासायनिक रंगों के प्रयोग से जहां खुजली, एलर्जी तथा कई अन्य बीमारियां हो जाती हैं। कनीना के विभिन्न डाक्टरों की रासायनिक रंगों के प्रयोग करने के बारे में राय प्रस्तुत है। वे चंदन का टीका लगाने तथा गले मिलने की बात पर जोर दे रहे हैं।
झगड़ोली निवासी डा अजीत शर्मा का कहना है कि रासायनिक रंगों से होली खेलना सेहत के लिए प्रतिकूल है। इन रंगों से खुजली, त्वचा के रोग, जलन एवं कई अन्य बीमारियां होने का अंदेशा होता है। रासायनिक रंगों में जल का अधिक उपयोग होने से जल की बर्बादी होती है। कपड़ों एवं चेहरे को रंग खराब कर देता है। इन रंगों से उन्होंने बचने की सलाह दी है।
  गागड़वास के डा वेदप्रकाश का कहना है कि रासायनिक रंगों से होली खेलना किसी भी रूप में बेहतर नहीं है। एक ओर पानी की बर्बादी तो दूसरी ओर शरीर को नुकसान। एक ओर रासायनिक रंग कपड़ों को दागिल कर देता है तो दूसरी ओर शरीर से रंग छुड़ाने से भी नहीं छूटता है। उन्होंने गुलाल एवं रंगों का प्रयोग न करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि आंख, मुंह व नाक आदि में रंग गिर जाने पर तुरंत डाक्टर की सलाह लेनी चाहिए। ये रंग जहरीले होते हैं।
 विक्की पंसारी का कहना है कि होली खेलना अच्छी बात है किंतु रासायनिक रंगों की बजाय चंदन से तथा हो सके तो गुलाल से ही खेलना चाहिए। किसी परेशान व्यक्ति पर रंग गुलाल न डालकर गले से मिलकर खुशी का इजहार करना चाहिए तभी होली का रंग सच्चा रंग बन पाएगा। रासायनिक रंग कई मायनों में हानिकारक हैं।
  कनीना के समाजसेवी महेश कुमार का कहना है कि होली जरूर खेलनी चाहिए परंतु होली के नाम पर पानी की बर्बादी नहीं होनी चाहिए। पानी के लिए दिनरात मारामारी चलती है उसे केवल रंगों से खेलने व रंगों को हटाने में बर्बाद नहीं करना चाहिए। रासायनिक रंग डालकर  दुश्मनी साधने का पर्व नहीं बनाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि कि रंगों का पर्व होली हमें संदेश देता है कि एकता एवं बैर भाव को भूलाना। पुराना बैर भाव भूला देना चाहिए तथा एकता को कायम करना चाहिए। रासायनिक रंग कानों, आंखों एवं चेहरे के लिए घातक होते हैं।
 सुमेर सिंह चेयरमैन का कहना है कि होली अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में जमकर खेली जाती है। होली हमें एकता, बंधुता, भाईचारा एवं प्यार का संदेश देती है।  रासायनिक पदार्थों की होली, केवल शरीर को नुकसान पहुंचाती हैं। उससे बचना चाहिए। रासायनिक रंगों का नुकसान वर्षों तक घातक साबित होता है।
ऐसे में एलर्जी, आंखों,कानों तथा मुंह के रोगों से बचने के लिए गुलाल या प्राकृतिक रंगों से होली खेलनी चाहिए वरना शरीर को नुकसान होगा जो वर्षों तक चलेगा।
 

कनीना में आयोजित हुई किसान गोष्ठी
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 कनीना। भारत इटली कृषि विकास निगम रेवाड़ी की ओर से कनीना खंड कृषि अधिकारी कार्यालय में एक दिवसीय किसान प्रशिक्षण शिविर आयोजित हुआ जिसकी अध्यक्षता डा रमेश यादव वरिष्ठ संयोजक कृषि विज्ञान केंद्र महेंद्रगढ़ ने की।
 किसान गोष्ठी में किसानों को संबोधित करते हुए डॉ रमेश यादव ने संतुलित खाद एवं फसलों में आने वाली बीमारियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने समर मूंग, मिट्टी जांच, चारा देने वाली फसलों की जानकारी दी। मौसम का बदलाव भी बीमारियों का कारण बन सकता है। ऐसे में किसानों को अपनी फसल का नियमित परीक्षण करना चाहिए।
वहीं उन्होंने कहा कि किसानों को संतुलित खाद डालने चाहिए। अधिक खाद डालने से भी जहां खेत में नुकसान होगा वहीं कम खाद डालने से भी फसल बेहतर पैदावार नहीं दे पाएगी। उन्होंने आय दोगुनी करने व खेत और घर पर आय व्यय के प्रबंधन पर विचार व्यक्त किए। उन्होंने माना कि किसान बेहतर जीवन नहीं जी पा रहे हैं क्योंकि उनकी आय कम है। अगर आय बढ़ जाएगी तो उनकी जीवन स्तर भी सुधर जाएगा।  उन्होंने किसानों को आधुनिक खेती के बारे में विस्तार से बताया और कहा कि आर्गेनिक खेती किसानों के लिए लाभप्रद बन रही है। उन्होंने कहा कि एक वक्त था जब किसान आर्गेनिक खेती करने से कतराते थे। अब वक्त आ गया है कि आर्गेनिक खेती न केवल सेहत के लिए बेहतर है वहीं आय भी बढ़ा सकते हैं।
 इस अवसर पर कृषि विस्तार सलाहकार डा देवराज यादव  ने किसानों को किचन गार्डन, जैविक खेती के बारे में जानकारी दी गई।  इस मौके खंड कृषि अधिकारी डा गजानंद, डा विकास, डा आशीष शिवरान आदिमौजूद थे।
 फोटो कैप्शन 7: किसान गोष्ठी को संबोधित करते हुए महेंद्रगढ़ वरिष्ठ संयोजक डा रमेश कुमार।



बाबा का लगा भंडारा, 500 संत पहुंचे
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कनीना। यहां के प्रसिद्ध संत बाबा मोलडऩाथ का शनिवार को विशाल भंडारा आयोजित किया एवं संतों को दान दक्षिणा देकर विदा किया। करीब 500 संतों ने भंडारे में भाग लिया। तीन दिनों से चला आ रहा मेला अब संपन्न हो गया। मेले से पूर्व रात को जागरण तो मेले के दिन ऊंट दौड़ एवं शक्कर का प्रसाद बांटा जाता है वहीं अंतिम दिन दूर दराज से आए संतों को भंडारे का प्रसाद खिलाकर दान दक्षिणा के साथ विदा किया जाता है।
  कनीना के संत बाबा मोलडऩाथ मेले के समापन के अगले दिन प्रतिवर्ष विशाल भंडारा आयोजित किया जाता है। इस बार भी संतों एवं भक्तों के लिए विशाल भंडारा किया गया जिसमें दूर दराज से आए साधु संतों को भोजन कराकर सम्मान के साथ विदा किया। सुबह सवेरे से ही साधु संतों को भोजन कराने तथा उन्हें विदा करने का कार्यक्रम चलता रहा जो दोपहर पश्चात संपन्न हुआ। बाबा मेले के साथ ही यह परंपरा जुड़ी हुई है। मेले के पहले दिन रात्रि को जागरण, दूसरे दिन खेल तथा तीसरे दिन भंडारा आयोजित किया गया। भंडारे में देशी घी का हलवा, खीर सहित कई पकवान बनाए गए और सबसे पहले साधु संतों को भोजन कराकर प्रत्येक को 200 रुपये से 1100 रुपये तक देकर विदा किया।
 इस मौके पर दलीप गिरी, आकाशगिरी, दयालनाथ, मोनी बाबा, खड़ेश्वरीनाथ, दिनेश कुमार, राजेंद्र, मुकेश, राहुल चौधरी, शिवकुमार, अनिल कुमार, रमेश कुमार, नरेंद्र आदिइ ने साधु संतों को भोजना कराया और उन्हें विदा किया।
फोटो कैप्शन 11: साधु संतों को भंडारे में भोजन कराते भक्त
     

कोरोना काल में लेखकों ने जमकर लेखन कार्य किया  
-नई प्रतिभाएं उभरी
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 कनीना। कोरोना काल को एक साल बीत चुका है किंतु उस समय को कोई नहीं भुला सकता, जब लोग घरों में कैद हो गए थे, न खाना समय पर मिल रहा था और न पीने के लिए कुछ मिल रहा था। परंतु यह समय लेखकों के लिए सुनहरी काल कहा जाएगा क्योंकि इस समय लेखक पूर्णता आराम में अपने परिवार संग बैठे रहे। जहां उनको समय-समय पर चाय, पानी, पेय पदार्थ आदि मिलते रहे वहीं उन्होंने भी लेखन कार्यों में कोई कसर नहीं छोड़ी कनीना क्षेत्र के 5 प्रसिद्ध लेखक है जिन्होंने कोरोना काल में अपनी लेखनी को खूब चलाया।
 गुढ़ा के राम अवतार शर्मा प्रसिद्ध लेखक के रूप में उभरे हैं। जिन्होंने कोरोना काल में रहते हैं दो पुस्तकें कुंडलियों पर लिख डाली। उन्होंने बताया कि कल्लो ताई की कलम से नामक हरियाणवी बोली की कुंडलियां तथा कोरोना का हाल की कुंडलियां हिंदी भाषा में लिखी जो प्रकाशित भी हो चुकी है। वे खुश है कि उन्होंने कोरोना काल का सबसे ज्यादा लाभ उठाया।
कोराना काल में राधेश्याम गोमला जो न केवल  सरपंच के रूप में जाने जाते हैं अपितु समाज सेवा के रूप में भी जाने जाते हैं किंतु इन्होंने कोरोना काल में आराम से घर बैठकर तीन पुस्तकों की रचना कर डाली। उन्होंने बताया कि हिंदी कविताओं का काव्य संकलन तथा हरियाणवी बोली की कथाएं एवं उपदेश नामक पुस्तकों की
रचना की हैं। जो प्रकाशित होने जा रही हैं। शमशेर सिंह कोसलिया स्याणाा निवासी ने भी अपनी लेखनी को कोरोना काल में खूब चलाया और बरगद नाम से अपनी पुस्तक लिख डाली जिसमें विभिन्न लेख गाय तथा विभिन्न पेड़ पौधों पर दिए गए हैं।
विजयपाल सेहलंंगिया एक प्रतिभा बतौर उभरकर सामने आए हैं। पूर्व प्राध्यापक है किंतु उन्होंने कोरोना का काल में विभिन्न पर्वों जयंती आदि पर लेख माला की रचना की है जो जल्द ही प्रकाशित होकर लोगों के हाथों में होगी। उन्होंने बताया कि वे कोरोना काल में आराम से नहीं बैठे। दिन रात काम करते रहे।
 कोरोना काल में ही कनीना की प्रसिद्ध लेखिका आशा यादव अपने घर के कार्यों से निवृत्त होकर लेखनी चलाई। उन्होंने भी ज्ञानदीप नाम से
एक काव्य ग्रंथ लिखा है तथा कोरोना कविताएं एवं लेख लिखे भी शामिल हैं।
फोटो कैप्शन सभी लेखों की
यह काल सचमुच लेखकों के लिए स्वर्णिम काल साबित होगा क्योंकि इस काल में कोई भी लेखक आराम से नहीं बैठा।
फोटो कैप्शन: राम अवतार, राधेश्याम गोमला, समशेर सिंह, विजयपाल सेहलंगिया, आशा यादव।



भारत बंद का कोई असर नहीं
-कनीना-दादरी मार्ग पर नहीं चली बसें
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 कनीना। संघर्षरत किसानों की ओर से आयोजित भारत बंद का असर कनीना क्षेत्र में देखने को नहीं मिला। सभी दुकानें आम दिनों की तरह खुली रही वही विभिन्न साधन भी चलते रहे। महज चरखी दादरी से कनीना के लिए बसें आवागमन नहीं हुआ क्योंकि चरखी दादरी क्षेत्र में किसानों का आंदोलन जारी है। बहुत से दुकानदारों को तो यही मालूम नहीं कि कोई बंद भी है।





















शहीदों के स्मारक पर एनसीसी की टुकड़ी ने चलाया सफाई अभियान
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कनीना। 16 हरियाणा बटालियन नारनौल के सीईओ कर्नल आदित्य नेगी एडम कर्नल एचएस भिंडर के दिशा निर्देश में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना के एनसीसी कैडेट्स ने शहीद स्मारकों पर सफाई अभियान का कार्यक्रम चलाया। प्राचार्य सत्यपाल के मार्गदर्शन में  एनसीसी अधिकारी रमन शास्त्री के नेतृत्व में कनीना के शहीद रणबांकुरे सज्जन सिंह अशोक चक्र तथा शहीद रामकुमार वीर चक्कर की प्रतिमाओं को साफ किया।रमन शास्त्री ने बताया कि झाड़ू से साफ करने के बाद पानी से प्रतिमाओं को धोया तथा कपड़े से भी पौचा लगाया।
रमन शास्त्री ने बताया कि सफाई सभी का दायित्व बनता है और शहीद प्रतिमाओं की सफाई तो और भी पुनीत का कार्य होता है। इस अवसर पर प्राचार्य सत्यपाल ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया और कहा कि उन्हें सफाई के साथ-साथ शहीदों से प्रेरणा भी लेनी चाहिए। इस अवसर पर अमरजीत, निर्भय, विशाल, दीपक, कर्ण जैसे 50 कैडेटों ने भाग लिया।
फोटो कैप्शन 9 व 10: कनीना एनसीसी की टुकड़ी शहीद प्रतिमाओं की सफाई करते हुए।



 

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