कनीना वासी और दुकानदार दोनों खुश
-दोनों ने ली राहत की सांस ली
-न्यायालय का शिलान्यास हुआ वहीं दुकानदारों की सुनवाई की अगली तारीख मुकर्रर हुई
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कनीना। कनीना के चिर प्रतीक्षित मांग न्यायिक परिसर कनीना में ही बनाए जाने का मसला हल हो गया है। आखिरकार लंबे इंतजार के बाद कनीना में ही न्यायिक परिसर भवन का शिलान्यास कर दिया गया है। अब न्यायिक परिसर 4.29 एकड़ जमीन पर बनेगा।
जहां दुकानदारों ने लंबे समय से न्यायालय में अपना मामला चला रखा था उन 153 दुकानदारों ने राहत थोड़ी राहत ली है जब उनकी अगली सुनवाई 26 अप्रैल की रखी गई है। अब तक यह सुनवाई 23 मार्च की रखी गई थी। जहां एक और कनीना के न्यायिक परिसर का शिलान्यास हो रहा था वहीं दूसरी और दुकानदारों का मसले सुनवाई हो रही थी जिसके चलते आप 26 अप्रैल को अगली सुनवाई होगी। तब तक दुकानदारों ने जो राहत की सांस ली है। वहीं कस्बा कनीना वासियों ने राहत की सांस ले ली है। अब कनीना में ही
न्यायिक परिसर बन जाएगा। उल्लेखनीय है कि न्यायिक भवन कनीना में शिलान्यास होने पर लंबे अरसे तक संघर्ष करने वाले कनीना वासियों में बड़ी खुशी की लहर है। सभी एकमत से सरकार का आभार व्यक्त कर रहे हैं कि उन्हें राहत मिली है। उधर दुकानदार पंचायत समिति की दुकानों में बैठे हुए हैं इन्हें थोड़ी राहत मिली है और इनकी अगली सुनवाई की तारीख मुकर्रर कर दी गई है। बहरहाल कनीना में दुकानदार और कनीनावासी दोनों ही एक साथ प्रसन्न नजर आए।
दुकानदारों की सुनवाई तथा न्यायिक परिसर का शिलान्यास साथ-साथ चले हैं और एक ही दिन चले हैं।
वैसे तो पहले से ही नगरपालिका ने भी आश्वासन दिया हुआ था कि किसी की दुकान भंग होती है तो उस सूरत में नपा उनके लिए दुकान उपलब्ध कराएगी किंतु दुकानदार 20 दिनों तक धरने पर बैठे रहे।
गुढ़ा में 48 वरिष्ठ नागरिकों ने कोरोना वैक्सीन दी
-32 वैक्सीन कनीना में दी गई
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कनीना। कनीना उपमंडल के गांव गुढ़ा के उप-स्वास्थ्य केंद्र पर मंगलवार को 48 वरिष्ठ नागरिकों को कोरोना वैक्सीन दी गई। इस मौके पर शीशराम एचआई की देखरेख में संदीप, संजोग एवं राजेश ने कोरोना वैक्सीन दी। उधर कनीना में 32 लोगों को वैक्सीन दी गई।
विस्तृत जानकारी देते हुए ऐसे एसएमओ डा धर्मेंद्र यादव ने बताया कि वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह योजना चल रही है। गुरुवार को फिर वैक्सीन दी जाएगी। उन्होंने समय पर वैक्सीन लेने पर बल दिया। उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त 45 से 59 वर्ष तक के उन लोगों को भी वैकसीन दी जा रही है जो किसी रोग से पीडि़त हैं। ऐसे 20 रोग सरकार ने निर्धारित किए गए हैं जिनकी सूची अस्पताल में उपलब्ध है।
50 पैसे प्रति प्योद के हिसाब से तैयार करवाए उत्तम दर्जे की प्योद- अंकुश
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कनीना। सुंदराह एकीकृत बागवानी विकास केंद्र पर उच्च तकनीक से प्योद तैयार की जा रही है जिस पर 50 पैसे प्रति प्योद किसान को खर्च करना पड़ता है। विस्तृत जानकारी देते हुए बागवानी विभाग के सुपरवाइजर अंकुश ने बताया कि यदि किसान अपने पास से बीज लाकर दे तो उनकी प्योद 50 पैसे प्रति प्योद के हिसाब से तो तैयार करके दी जाएगी। यदि आईएचडी स्कीम के तहत किसान बीज एवं प्योद बुकिंग करवाना चाहें तो उन्हें 50 फीसदी अनुदान बीज एवं प्योद पर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि बागवानी विकास केंद्र पर बीमारी रहित तथा बेहतर दर्जे की प्योद तैयार की जाती हैं। इस मौके पर एचडीओ राहुल कुमार भी उपस्थित थे।
2 एमएम बारिश हुई
-एक पखवाड़े में हो चुकी है चार बार बूंदाबांदी
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कनीना। मंगलवार को दिनभर रुक-रुक कर बूंदाबांदी चलती रही। 2 एमएम बारिश रिकार्ड की गई। क्षेत्र में सरसों की कटाई, सरसों की पैदावार लेने का कार्य त्वरित गति से चल रहा है जो अवरुद्ध हो गया है। अभी गेहूं की कटाई शुरू नहीं हुई है। किसान बेहद परेशान है। विगत एक पखवाड़े में चार बार बूंदाबांदी हो चुकी है और 4 बार फसल कटाई का कार्य प्रभावित हो चुका है। किसान सुरेंद्र, महेंद्र, रमेश आदि ने बताया कि फसल कटाई के साथ-साथ फसल नुकसान होने की संभावना बन गई है।
फिर तुम्हारी याद आई.......
-- लंबे संघर्ष की दास्तान याद आई, इंतजार की घडिय़ां हुई पूरी
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कनीना। कनीना क्षेत्र में एक बार फिर से पूर्व सीपीएस अनीता यादव की बड़ी याद आई। यद्यपि अनीता यादव वर्तमान में विधायक नहीं है किंतु 2013 में जब कनीना उप- तहसील होता था उस वक्त से उनके भरसक प्रयासों से कनीना को उप-मंडल का दर्जा मिला। तत्काल में अनीता यादव सीपीएस और अटेली से विधायक होती थी। बात उन दिनों की है जब अनीता यादव ने एक पत्रकार वार्ता में कहा कि कनीना को उपमंडल का दर्जा देने की बात कही थी।
उस समय बात अटपटी सी लगी थी कि कहां उप तहसील और कहां उपमंडल। आखिरकार उनके पास प्रयासों से कनीना को वर्ष 2013 में उपमंडल का दर्जा दिया गया और न केवल उपमंडल का दर्जा दिया गया अपितु पहली बार उन्होंने सुभिा ढाका एसडीएम कनीना के संग कनीना में 15 अगस्त का ध्वजारोहण किया था। आज उनकी बहुत याद आई जब न्यायिक परिसर का शिलान्यास कर दिया गया।
लंबा संघर्ष किया-
कनीना को उपमंडल का दर्जा 2013 में दिया और 15 अगस्त 2013 का झंडा तत्कालीन एसडीएम सुभिता ढाका एवं तत्कालीन विधायक अनीता यादव ने फहराया था। अभी भी 1955 में बने खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी कार्यालय परिसर में ही उपमंडल एवं न्यायिक परिसर भवन चल रहे हैं।
लंबे संघर्ष की दास्तान में 2013-14 में कनीना न्यायिक परिसर तथा उपमंडल कार्यालय पीपल वाली बनी(जंगल) में बनाए जाने की कार्रवाई पूर्ण कर दी गई थी किंतु अपरिहार्य कारणों से वहां पर उपमंडल कार्यालय नहीं बने और कभी उन्हाणी में तो कभी कनीना में कार्यालय बनाए जाने को लेकर के कवायद चली। उपमंडल कार्यालय का कनीना में बनाए जाने का वर्ष 2019 में चंडीगढ़ से ही मुख्यमंत्री ने शिलान्यास भी किया गया किंतु हकीकत में भवन निर्माण शुरू नहीं हो पाया है। वर्तमान में जिस जगह तहसील कार्यालय है वहीं अब न्यायिक परिसर बनेगा।
वर्ष 2013 के बाद खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी कार्यालय में उपमंडल कार्यालय अस्थायी रूप से स्थापित करवा दिया गया जो आज तक वहीं चल रहा है। वर्ष 2017 में न्यायिक परिसर उन्हाणी गांव में बनाए जाने की चर्चा चलते ही 67 दिन एसडीएम कार्यालय समक्ष धरना प्रदर्शन चला। 21 फरवरी 2017 एवं 27 फरवरी 2017 को तत्पश्चात अगस्त 2018 को महापंचायत आयोजित करवाई गई ताकि सभी कार्यालय कनीना में ही बनवाए जाए। एसडीएम से बार बार मिले, 21 फरवरी 2017 से लगातार धरना जारी रहा, जुलूस चला, कनीना बंद रखा गया,उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों लोग मिले, जिला उपायुक्त से तत्कालीन समय में लोग मिले, अनशन जारी रहा यहां तक कि कनीना में ही सभी कार्यालय बनाए जाने को लेकर के वर्ष 2017 में 13 पार्षदों में से 12 ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया। 6 जुलाई 2015 को मनोहर लाल खट्टर ने कनीना कालेज में एक जनसभा आयोजित करते हुए फायर ब्रिगेड, सब्जी मंडी, उप मंडल कार्यालय परिसर, स्टेडियम सभी कनीना में बनाए जाने की घोषणा की थी तब से लोग चैन से नहीं बैठे हैं। आखिरकार अब दोनों भवन कनीना में बनाये जाने को अंतिम रूप दे दिया गया है। न्यायिक परिसर का शिलान्यास होने पर कनीनावासियों, पालिका प्रधान सतीश जेलदार, सुमेर सिंह चेयरमैन, पूर्व मुख्याध्यापक कृष्ण सिंह ने भी खुशी जताई है।
फोटो कैप्शन 13: कनीना के न्यायिक परिसर का शिलान्यास करते हुए जस्टिस
तीन गांवों का ओलावृष्टि का मुआवजा एक सप्ताह में-एसडीएम
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कनीना। ओलावृष्टि से बर्बाद हुई किसान की फसल का मुआवजा जल्द ही दिया जाएगा। ये विचार कनीना के एसडीएम दिनेश सिंह ने एक भेंटवार्ता में व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि कहा कि 2019-20 में कनीना खंड के विभिन्न गांवों में ओलावृष्टि से रबी की फसल नष्ट हो गई थी जिसको लेकर किसानों ने सरकार से मुआवजे की मांग की थी। जिस पर सरकार ने गौर फरमाते हुए किसान की बर्बाद फसल का स्पेशल मुआयना करवा मुआवजा देने का ऐलान किया था। वही अब किसान की बर्बाद फसल का मुआवजा पहुंच गया है जिसको एक सप्ताह के अंदर बांट दिया जाएगा उन्होंने यह भी बताया कि हमारे लिए अन्नदाता सबसे पहले हैं। वही इस कार्यालय में आने वाले सभी व्यक्तियों की समस्या का समाधान बिना देरी के किया जाएगा। उन्होंने बताया कि कनीना उपमंडल के गांव मानपुरा, ढाणा, पाथेड़ा आदि गांवों की मुआवजा राशि 45,04,500 रुपये है जिसको जल्द से जल्द किसानों को सौंप दिया जाएगा।
श्रीराम सेवा ट्रस्ट ने मनाया शहीदी दिवस
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,कनीना। गुजरवास में श्रीराम सेवा ट्रस्ट की ओर से शहीद-ए-आज़म भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव का शहीदी दिवस मनाया गया। इस अवसर पर भारतीय धर्म-संस्कृति, इतिहास, दर्शन पर भारत को जानो सामान्य ज्ञान की प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसमें विभिन्न स्कूलों के 50 विद्यार्थियों ने भाग लिया। आशीष,हिमांशु,मुकुल क्रमश: प्रथम,द्वितीय व तृतीय स्थान पर रहे। प्रथम विजेता को दीवार घङी व 500 रुपये, द्वितीय को दीवार घङी एवं 300 रुपये ,तृतीय को दीवार घङी व 200 रुपये दिए। पांच विद्यार्थियों को 200-200 रुपये सांत्वना पुरस्कार दिए गए। भाषण में दीपिका प्रथम व रणवीर द्वितीय रहे। कविता गायन में खुशी प्रथम, कोमल द्वितीय स्थान पर रही। सभी प्रतिभागियों को स्टेशनरी,सामान्य ज्ञान की पुस्तकें वितरित की। कालेज टापर नीलम को 2500 रुपये का चैक प्रदान किया।
ट्रस्ट के अध्यक्ष ओपी चौहान ने बताया कि भावी पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक विरासत से परिचित कराना, राष्ट्र के प्रति प्रेम, त्याग और बलिदान की भावना प्रबल करना,सामाजिक सौहार्द बढाना, उच्च संस्कारों व शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना, शहीदों के सपनों का भारत बनाना, पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन ट्रस्ट के मुख्य उद्देश्य हैं। 1971 के भारत-पाक युद्ध के शहीद जयपाल सिंह की वीर-वधू उमेद देवी व शहीद बहादुर सिंह के भतीजे राजेन्द्र सिंह ने झंडी दिखा कर प्रभात फेरी को रवाना किया। बच्चों ने पोस्टर,बैनर के साथ रैली के माध्यम से देशभक्ति,स्वच्छता,पर्यावरण संरक्षण का संदेश जन-जन तक पहुंचाया। ट्रस्ट की ओर से स्वतंत्रता सेनानी व वीर शहीदों के परिवारों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर ट्रस्ट कार्यकारिणी के अलावा कृष्णगोपाल, कुलदीप, नीरज चौहान, बिमला देवी, काजल बंसल ,गायत्री परिवार से बृजपाल सिंह, रामपाल थानेदार,मेजर भवानी सिंह, सरदार सिंह, राजपाल सिंह के अलावा काफी ग्रामीण उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 14: अव्वल रहे प्रतिभागियों को सम्मानित करते श्रीराम सेवा ट्रस्ट पदाधिकारी।
शहीदी दिवस मनाया गया
-शहीद भगत सिंह सहित विभिन्न शहीदों को याद किया
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कनीना। अमर शहीद भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव के बलिदान दिवस के अवसर पर ब्रिलिएंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल, धनौन्दा में बाल सभा एवं शहीदों को नमन कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर छात्र-छात्राओं ने देशभक्ति गीत, कविता और भाषण के माध्यम से देश के अमर शहीदों को याद कर उन्हें नमन किया। प्रवक्ता नरेंद्र कौशिक ने भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के जीवन पर प्रकाश डाला और विद्यार्थियों को उनके जीवन से प्रेरणा लेने का आह्वान किया। मनजीत सिंह ने भगत सिंह के बचपन की घटनाओं का वर्णन कर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। कार्यक्रम के अंत में प्रवक्ता प्रवीण कुमार ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करके सभी का धन्यवाद किया। इस अवसर पर संतोष देवी, नेहा तंवर, रविंद्र सिंह डीपीई, रेनू यादव, सुभाषचंद, राम शर्मा सहित विद्यालय का समस्त स्टाफ एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।
उधरकनीना के नेताजी मेमोरियल क्लब में कनीना के लोगों द्वारा सभी शहीदों को शहीद स्मारक पर जाकर याद किया और उन्हें पुष्प अर्पित किए। इस मौके पर अध्यक्षता महेश बोहरा ने की।
निर्मल शास्त्री, रणधीर सिंह, सूबे सिंह चौहान, सुरेंद्र, सुमेर सिंह चेयरमैन, राजकुमार सिंगला, सुरेश शर्मा ने इस मौके पर कहा कि शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ऐसे क्रांतिकारी थे जिन्होंने भारत को आजाद होने में मुख्य भूमिका निभाई थी। इनके बलिदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। इनको 23 मार्च 1931 की रात को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को अंग्रेजों द्वारा फांसी पर लटका दिया गया था। इस दिन को हर वर्ष शहीद दिवस के रूप में मनाते हैं।
भगत सिंह के विषय में उन्होंने कहा कि 8 वर्ष की छोटी उम्र में ही वह भारत की आजादी के बारे में सोचने लगे थे और 15 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपना घर छोड़ दिया था। माता-पिता ने जब उनकी शादी करवानी चाही तो वे कानपुर चले गए। भगत सिंह ने अंग्रेजों से कहा था कि फांसी के बदले मुझे गोली मार देनी चाहिए लेकिन अंग्रेजों ने इसे नहीं माना। इसका उल्लेख उन्होंने अपने अंतिम पत्र में किया है। उन्होंने जेल में 116 दिनों तक उपवास किया था। इस दौरान वे अपने सभी काम नियमित रूप से करते थे, जैसे- गायन, किताबें पढऩा, लेखन, प्रतिदिन कोर्ट आना, इत्यादि।
जब उसकी मां जेल में उनसे मिलने आई थी तो भगत सिंह जोरों से हंस पड़े थे। यह देखकर जेल के अधिकारी भौचक्के रह गए कि यह कैसा व्यक्ति है जो मौत के इतने करीब होने के बावजूद खुले दिल से हंस रहा है।
कनीना में 4.29 एकड़ में बनने वाले न्यायिक भवन का शिलान्यास
-पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस हरिपाल वर्मा ने किया शिलान्यास
---प्रदेश में पहला न्यायालय होगा जहां ट्रास्जेंडर टायलेट की होगी सुविधा
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कनीना। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस हरिपाल वर्मा ने मंगलवार को कनीना के उपमंडल स्तरीय न्यायिक भवन का शिलान्यास किया। 4.29 एकड़ में बनने वाला यह भवन हरियाणा का पहला न्यायिक भवन होगा जिसमें भविष्य की जरूरतों के हिसाब से अत्याधुनिक सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी।
शिलान्यास कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री वर्मा ने कहा कि यहां पर लंबे अर्से से न्यायिक भवन बनवाने की मांग थी। वर्ष 2016 में कोर्ट की स्थापना के बाद कम से कम संसाधनों के बावजूद न्यायिक अधिकारियों ने यहां अपनी सेवाएं दी हैं। अब जल्द से जल्द इसका निर्माण कार्य पूरा होगा तथा अत्याधुनिक सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। उन्होंने कहा कि सरकार की पालिसी के अनुसार इसके साथ ही वकीलों के लिए बार चैंबर की जगह छोड़ी गई है। जल्द ही चैंबर की व्यवस्था भी की जाएगी। इस जगह के चयन में सभी का बहुत सहयोग रहा है। सभी के आजीविका के साधनों का ख्याल रखा जाएगा।
श्री वर्मा ने कहा कि लोगों की सहूलियत के हिसाब से सभी से विचार करने के बाद यह जगह फाइनल की गई है। इससे बहुत लोगों को रोजगार मिलेगा। लोगों को आने-जाने में किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी।
कार्यक्रम में जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरके सौंधी ने शहीदी दिवस पर शहीदों को नमन करते हुए कहा कि आज का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है। हमारे शहीदों की बदौलत ही हम आजाद हैं और प्रजातांत्रिक प्रणाली के अनुरूप काम कर पा रहे हैं। आज का दिन कनीना के लिए विशेषकर यादगार रहेगा।
कार्यक्रम में मंच संचालन एडीजे मोना सिंह ने किया तथा सीजेएम प्रवेश सिंगला का विशेष सहयोग रहा। शिलान्यास से पहले भूमि-पूजन किया गया। कार्यक्रम में स्कूली छात्राओं ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। बार एसोसिएशन के प्रधान कुलदीप यादव ने सभी का संबोधन के माध्यम से स्वागत किया।
इस मौके पर उपायुक्त अजय कुमार, पुलिस अधीक्षक चंद्रमोहन, आर्किटेक्ट विनोद गौरी तथा नारनौल, महेंद्रगढ़ व कनीना के सभी न्यायिक अधिकारी सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।
सभी प्रकार की होंगी सुविधाएं--
कनीना में 4.29 एकड़ में बनने वाले उपमंडल स्तरीय न्यायिक भवन में सभी प्रकार की आधुनिक सुविधाओं का ख्याल रखा जाएगा। इसका नक्शा भविष्य की जरूरतों के अनुसार तय किया गया है। इसका कवर एरिया प्रत्येक मंजिल पर लगभग 22030 वर्ग फुट होगा। फिलहाल दो मंजिला इस भवन में भविष्य में जरूरत के अनुसार दो मंजिल और बनाई जा सकेंगी। इसमें चार कोर्ट का निर्माण होगा। इसके अलावा वाहन पार्किंग की व्यवस्था होगी। वहीं भवन में लिटगेंट हॉल, वेटिंग हॉल, ई-सुविधा, कैंटीन, मालखाना, बख्शी खाना, बार रूम व लाइब्रेरी, दो लिफ्ट की सुविधा होगी। इसके मुख्य द्वार पर हेल्प डेस्क की सुविधा होगी जिस पर लोगों को हर प्रकार की सहायता दी जाएगी। जन सुविधाओं का यहां पर खास ख्याल रखा गया है। यहां पर विकलांग व ट्रास्जेंडर टायलेट की सुविधा होगी। इस तरह का टायलेट हरियाणा के किसी भी न्यायिक भवन में नहीं है।
फोटो कैप्शन 9: कनीना में बनने वाले न्यायिक परिसर का भवन की रुपरेखा
फोटो कैप्शन 10 व 11: कनीना के न्यायिक भवन का शिलान्यास करते पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस हरिपाल वर्मा।
फोटो कैप्शन 12: कनीना के न्यायिक भवन का भूमि-पूजन करते पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस हरिपाल वर्मा।
फोटो कैप्शन 13:कनीना के न्यायिक भवन के शिलान्यास मौके पर कार्यक्रम को संबोधित करते पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस हरिपाल वर्मा।
कोरोना से बचने के सभी नियमों का पालन करें- डा धर्मेंद्र
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कनीना। कनीना उप नागरिक अस्पताल के एसएमओ डा धर्मेंद्र ने कहा कि कोरोना फिर से फैलने लगा है। ऐसे में सभी जनों का फर्ज बनता है कि वो कोरोना से बचने के सभी नियमों का पालन करें। एक केस कनीना का कोरोना पोजिटिव आ चुका है। दूसरी बार कोरोना दस्तक देने लगा है। उन्होंने अपनी बारी आने पर वैक्सीन लेने पर बल दिया।
उन्होंने फिजिकल डिस्टेंस बनाए रखने, हाथों में ग्लव्ज पहनने, मुंह पर मास्क लगाने आदि की हिदायत दी है। उन्होंने कहा कि यदि रोग से स्वयं ही बचाव नहीं करोगे तो रोग द्वारा धावा बोलना सुनिश्चित होगा।
उन्होंने कहा कि हम सभी का दायित्व बनता है कि इस रोग से बचाव करें। दूसरे को भी सलाह दे। उधर सरकार भी सख्ती बरत रही है। बिना मास्क घर से बाहर वाहन पर न निकले वरना चालान भी काटा जा रहा है। उन्होंने कहा कि अच्छा हो कि अब यह रोग सिर न उठाने पाये।
फोटो: डा धर्मेंद्र
जल नहीं बचाया तो होगा भविष्य अंधकारमय
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कनीना। पृथ्वी पर कहने को 71 प्रतिशत भू-भाग पर जल भरा हुआ है किंतु पीने योग्य जल 3 प्रतिशत से भी कम है। यदि जल का इसी प्रकार दोहन होता रहा तो आने वाले समय में जल गंभीर समस्या बन कर उभरेगा जिससे जीना मुश्किल हो जाएगा।
ऐसे मिल वर्षा जल संरक्षण करने, भूमिगत जल को बचाने, रिचार्ज करने आदि की बातें बार-बार उभर कर आ रही। इस संबंध में कुछ लोगों से बातचीत हुई।
समाजसेवी विजयपाल का कहना है कि जमीन के नीचे 1.6 प्रतिशत पानी और हवा में 0.001 प्रतिशत हचा में वाष्प के रूप में है। दिनोंदिन शुद्ध जल घटता जा रहा है। अगर जल का संरक्षण नहीं किया जाए तो भविष्य अंधकारमय हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि वर्षा के जल को घरों में इक_ा करना चाहिए। वर्षा एवं घरेलू जल को भूमिगत भूमि में जाने दिया जाए। वर्षा जल सहेजकर जल से सब्जी और फल बनाने चाहिए।
प्राचार्य डा मुंशीराम का कहना है कि पीने योग्य पानी में से 2.4 प्रतिशत ग्लेशियर और उत्तरी दक्षिणी ध्रूव पर जमा हुआ है। केवल 0.6 प्रतिशत पानी झीलों तालाबों में है जिसका उपयोग किया जाता है। उन्होंने कहा कि एक अनुमान अनुसार धरती पर 32 करोड़ 60 लाख खराब गैलन पानी है। अगर यह पानी इसी रफ्तार से प्रयोग किया जाता रहा तो अधिक दिनों तक नहीं चल पाएगा। ऐसे में उन्होंने कम पानी वाली फसलें उगाने, आवश्यकतानुसार पानी प्रयोग करने पर बल दिया।
सुनील कुमार समाजसेवी का कहना है कि एक इंसान खाने पीने में नहाने में कपड़े धोने में प्रतिदिन 50 से 60 लीटर पानी प्रयोग कर लेता है। यही हाल चलता रहा तो भविष्य में पीने योग्य शुद्ध जल भी नहीं मिल पाएगा। ऐसे में सभी की छतों से निकलने वाला बारिश का जल तथा घरों से निकलने वाला जल रिचार्ज में मिलाना चाहिए ताकि भूमिगत जल में जाकर यह जल शुद्ध अवस्था में मिल सके।
राजेश शास्त्री का कहना है क्या जल को जीवन का अमृत माना गया है। जल बिना बिना जीना दूभर हो जाएगा। ऐसे में उन्होंने जल को भविष्य के लिए बचाने की अपील की। उन्होंने कहा कि जल अधिक प्रयोग किया गया तो जल संकट निश्चित है। जल आवश्यकतानुसार प्रयोग करना चाहिए, जल को बहाने से रोकना बहने से रोकना चाहिए।
सत्यवीर सिंह प्राध्यापक का कहना है कि जल है तो कल है।
अगर इंसान को मौत से बचना है तो पानी का सोच समझकर प्रयोग किया जाना चाहिए। ऐसे में प्रत्येक जन को प्रतिदिन 2-4 लीटर पानी जरूर बचाना चाहिए। पूरे देश में प्रत्येक व्यक्ति प्रतिदिन 2-4 लीटर पानी बचाएगा तो आने वाले समय में पानी की पूर्ति हो सकेगी। वरना आने वाले समय में पेट्रोल पंप की भांति उपलब्ध होगा।
फोटो कैप्शन : विजयपाल, डा मुंशीराम, राजेश शास्त्री, सत्यवीर सिंह, सुनील कुमार।
चबूतरे एवं जल के रखे गए पात्र पक्षियों को दे रहे हैं दाना पानी
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कनीना। गर्मी के चलते एक ओर जहां पक्षियों का जीना कठिन हो रहा है वहीं उनकी संख्या घटने के पीछे गर्मी भी एक कारण है। लेकिन लोगों के जागरूक हो जाने के कारण अब घरों की छतों पर शिकोरे रखे जाने लगे हैं वहीं दाने भी डाले जाते हैं। पीएफए के सदस्य सदा ही जीवों के लिए सिकोरे रखता आया है।
विभिन्न गांवों में धार्मिक स्थलों पर बने हुए चबूतरे भी पक्षियों के लिए अन्न एवं जल का प्रबंध कर रहे हैं। यह भी सत्य है कि हर गांव में कोई न कोई देवी या देवता का मंदिर है जहां एक चबूतरा पक्षियों के लिए बनवाया जाता है जहां ग्रामीण सुबह सवेरे दाने डालते हैं। इन दानों को सुबह शाम पक्षी चुगते हैं। पास में कहा रखे हुए शिकोरों में जल पीकर गर्मी के मौसम में आनंदमय जीते हैं।
वर्तमान में लोग भी जीव जंतुओं के प्रति जागरूक हो गए हैं। वे अपने घरों की छतों पर तथा दीवारों पर निरीह पक्षियों के लिए गर्मियों में शिकोरे रखते आ रहे हैं। इन शिकोरों में सुबह एवं शाम को पानी भरते हैं ताकि पक्षी जल पी सके और गर्मी से बच सके।
कनीना के चंद लोगों सं बात की गई जिनमें कृष्ण सिंह, राजेंद्र सिंह, सूबे सिंह, आशा देवी, योगेश कुमार, शकुंतला देवी, शर्मिला कुमारी आदि ने बताया कि वे नित्य जीवों के लिए शिकोरे में पानी भरती हैं। यह काम लंबे समय से चला आ रहा है। उधर उन्होंने बताया कि बाबा मोलडऩाथ, बाबा राधेदास, विभिन्न मंदिर कनीना के पास ही पक्षियों के लिए विशेष चबूतरे बनाए गए हैं जहां भक्त देवी देवता के दर्शन के लिए जाते हैं तो अपने साथ अन्न ले जाते हैं। इस अन्न को पक्षियों के लिए डाल देते हैं। पक्षी इसी अन्न को खाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में तो इस प्रकार के चबूतरों पर फाख्ता, चिडिय़ा, मोर तथा अन्य लुप्तप्राय पक्षियों को देखा जा सकता है। इन चबूतरों पर गर्मी के मौसम में ही नहीं अपितु सर्दी हो या बारिश अन्न डाला जाता है और ये चबूतरे पक्षियों के लिए वरदान साबित हो रहे हैं।
फोटो कैप्शन 9: चबूतरे पर मोर
8: छत पर रखा शिकोरा
मेले की तैयारियां पूर्ण, बुधवार से शुरू होगा शक्कर मेला
-तीन दिनों तक चलता है मेला
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कनीना। 25 मार्च को कनीना का प्रदेश भर में विख्यात संत शिरोमणि बाबा मोलडऩाथ का मेला भरने जा रहा है। संत शिरोमणि बाबा मोलडऩाथ को बालक नाथ, ओघड़ बाबा नाम से जाना जाता है वही कनीनावासी खेड़ा वाला नाम से भी जानते हैं। बस स्टैंड के पास भरने वाले मेले की तैयारियां पूर्ण हो चुकी है। रंग रोगन किया जा चुका है। 24 मार्च से शुरू होने वाला मेला 26 मार्च को संपन्न होगा। इस मेले में पूरे ही कस्बा के लोग शक्कर का प्रसाद अर्पित करते हैं ऊंट और घोडिय़ों की दौड़ पूरे प्रदेश में विख्यात है। विक्रमी संवत 2006 में संत शिरोमणि बाबा मोलडऩाथ ने सिरसवाला जोहड़ में समाधि लगाई थी और वे अस्वस्थ होकर समाधिस्थ तो गए थे। उनकी याद में हर वर्ष यहां भारी भीड़ जुटती है और मेला लगता है। अब तो कनीना का बाबा मोलडऩाथ आश्रम श्रद्धा एवं भक्ति का आश्रम बन गया है। इसके आसपास कम से कम एक दर्जन अन्य मंदिर स्थापित हो गए हैं जिसके चलते यह दर्शनीय स्थल भी बन गया है। इसी स्थान पर 25 मार्च को शक्कर मेला लगने जा रहा है। बालीबाल,कबड्डी तथा ऊंट घोड़ों की दौड़ के अलावा यहां दंगल भी आयोजित होते हैं। यह मेला कनीना के पूर्वजों ने चलाया था जो आज भी चला आ रहा है। समस्त वृतांत कनीना के लेखक एचएस यादव की पुस्तक में वर्णित है।
होशियार सिंह यादव का योगदान-
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यूं तो बााबा मोलडऩाथ की संपूर्ण जीवनी कनीना के लेखक होशियार सिंह का नाम प्रसिद्ध है वहीं उन्होंने कनीना के भीम सिंह को प्रेरित कर बाबा की प्रतिमा लगवाई। होशियार सिंह ने बाबा मोलडऩाथ पर दो पुस्तकें जिनमें से एक आइएसबीएन नंबर की निकाली वहीं बाबा चालीसा, बाबा कैलेंडर, बाबा करी आरती आदि भी निकाली हैं तथा बाबा के लिए आज भी समर्पित हैं।
बाबा मोलडऩाथ बाल साधु एवं तपस्वी थे। बाबा को अपनी आंखों से देखने वाले अनेकों व्यक्ति जीवित हैं। प्रत्यक्षदर्शियों अनुसार जहां आज मन्दिर है वहां कभी विशालकाय जाल का वृक्ष था और पास में विशाल जंगल था। तपस्वी ने विशाल जाल के नीचे ही अपना निवास एवं तप स्थल बनाया। जब से उन्होंने यहां पदार्पण किया तभी से किसी प्रकार के रोग तथा आपदायें नहीं आई।
बताया जाता है कि हैजे के रोग तथा ओलावृष्टि को भगाने की शक्ति थी। यही कारण है कि आज की भी ये रोग फैलने की आशंका होती है तो उन्हीं का नाम श्रद्धा से लिया जाता है। बाबा उस वक्त विचरने वाले गीदड़ों तथा मोरों को चुग्गा देतेे थे। फाल्गुन एकादशी को उन्होंने चोला त्याग दिया। चोला त्यागने से पूर्व उन्होंने इच्छा जाहिर की थी कि जिस भी अवस्था में प्राण त्यागे जाये उसी अवस्था में समाधि दी जाए। पूरे कस्बा में बाबा की झांकियां निकाली और मन्दिर स्थल पर समाधि दी जाये। तभी से उन्हीं की याद में प्रत्येक वर्ष फाल्गुन एकादशी को विशाल मेला लगाता है। बाबा मोलडऩाथ जिन्हें बालकनाथ नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने मांदी, कांवी भोजावास, रोड़वाल, मानसरोवर, नीमराणा आदि स्थानों पर भी तप किया किंतु उनका प्रमुख स्थल कनीना में ही है।
फोटो कैप्शन 1: कनीना का संत शिरोमणि बाबा मोलडऩाथ आश्रम का नजारा।
कोविड-19 के दृष्टि
गत सभी स्कूली बच्चों का होगा सैंपल, जांच
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कनीना। सिविल सर्जन नारनौल में जिला शिक्षा अधिकारी नारनौल सहित विभिन्न अधिकारियों का आदेश दिया है कि जिला महेंद्रगढ़ के सभी सरकारी व गैर सरकारी स्कूलों में अध्ययनरत विद्यार्थियों का कोविड सैंपल करवाएं ताकि बढ़ते हुए कोविड-19 के केसों पर नियंत्रण पाया जा सके। उल्लेखनीय की विगत दिनों से फिर से कोरोना के केस बढऩे लगे हैं जिसके चलते सरकार ऐतिहात के सभी कदम उठा रही है।
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