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Sunday, March 14, 2021


 बजट से कर्मचारियों को लगी निराशा हाथ- महावीर पहलवान
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 कनीना-- हरियाणा सरकार द्वारा विधानसभा में पेश बजट से हरियाणा के कर्मचारियों को सौगात मिलने की बहुत उमीद थी सरकार द्वारा बजट से कर्मचारियों को निराशा हाथ लगी। हरियाणा कर्मचारी महासंघ के प्रदेश मुख्यप्रवक्ता महावीर पहलवान बाघोत ने अपने बयान में बताया कि हरियाणा प्रदेश में कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत है । लेकिन हरियाणा सरकार द्वारा पेश बजट में हरियाणा के कर्मचारियों को अपनी मांगों को लेकर काफी उम्मीद थी । लेकिन बजट में कर्मचारी व मजदूर को कोई बड़ी घोषणा न होने से निराशा हाथ लगी । डीजल पैट्रोल व गैस की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के कारण मंहगाई दर बढ़ी है । कर्मचारियों को मिलने वाले मंहगाई भत्ते में कोई बढ़ोतरी नही हुई प्रदेश के कर्मचारियों को पुरानी पेंशन बहाल करना, कच्चे कर्मचारियों को पक्का करना,समान काम समान वेतन पंजाब के समान वेतन, जोखिम भत्ता लागू करना,खाली पड़े पदों पर स्थायी भर्ती करना आदि मुख्य बजट में पूरी होने की उमीद थी। प्रदेश सरकार एक बार फिर निराशाजनक बजट पेश करते हुए सभी वर्गों की उम्मीद को धराशाही करने का काम किया है । सरकारी कर्मचारी सरकार की आँख और कान होते है।सरकार ने उनकी कोई सुध नही ली बजट भाषण में किसान,मजदूर, कर्मचारी में किसी भी वर्ग के लिए कोई राहत की मदद की घोषणा नही हुई। आकड़ो की जादूगरी करके लोगो को भृमित किया गया।बजट में कोरोना योद्धाओं को निराशा हाथ लगी। कोरोना महामारी से जूझ रहे कर्मचारियों को कोई रियायत नही मिली।
फोटो महावीर सिंह पहलवान






हरियाणा पावर कारपोरेशन एससी/बीसी कर्मचारी चुनावों के लिए बस की रवाना
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कनीना। हरियाणा पावर कारपोरेशन एससी/बीसी कर्मचारी यूनियन के केंद्रीय परिषद द्वि- वार्षिक चुनाव 2021-2023 के लिए अंबेडकर भवन नेहरू कालोनी रोहतक में करवाने के लिए बस से कर्मियों को रवाना किया। बस में सर्किल नारनौल के कर्मचारी साथी 132 केवी पावर हाउस कनीना से बस के द्वारा राजेंद्र सिंह कपूरी सर्किल सेक्रेटरी वेद प्रकाश यूनिट प्रधान नारनौल अटेली के प्रधान महेश कुमार व कनीना सब यूनिट के प्रधान धर्मपाल एसएसए रोहतक के लिए रवाना  हुये।
बस को हरी झंडी दिखाकर यूनिट प्रधान महेंद्रगढ़ सज्जन सिंह व श्यामपाल फोरमैन द्वारा रवाना की गई  और इस उपलक्ष्य में कर्मचारियों में भारी जोश व उत्साह दिखाई दिया।
फोटो कैप्शन 9= द्वि वार्षिक चुनाव के लिए कर्मी बस द्वारा रोहतक रवाना होते हुए। 




पुलिस की कार्रवाई किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी- मनीष कुमार
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कनीना। यूपी के पत्रकार के साथ बेहरहमी से पुलिस द्वारा मार पिटाई करने के मामले में कनीना प्रेस क्लब ने कड़ा विरोध जताया है।
 बहराइच जनपद के नानपारा इलाके में आने वाली पुलिस चौकी के क्षेत्र में काफी समय से भांग के ठेके पर अवैध रूप से हो रहे अन्य नशे के खुले कारोबार की खबर लेने गए पत्रकार रामेश्वर पर पुलिस द्वारा बर्बरता पूर्वक पीटे जाने का आरोप पीडि़त पत्रकार द्वारा लगाया गया है। जिसको लेकर कनीना प्रेस क्लब ने पुलिस की कार्रवाई पर कड़ा विरोध जताया है। कनीना प्रेस क्लब द्वारा इस अत्याचार की कड़े शब्दों में निन्दा की है तथा मामले की खुली जांच कराने की गुहार भी लगाई है। वही भारत जर्नलिस्ट काउंसिल के प्रदेश अध्यक्ष मनीष कुमार व उनकी टीम के सभी साथियों ने भी मुख्य मंत्री यूपी से मांग कर दोषी पुलिस वालों पर कठोर कार्रवाई करने तथा लोकतंत्र  के चौथे स्तंभ पर इस प्रकार से किए गए हमले की कड़े शब्दों में निन्दा की है। उन्होंने यह भी कह है कि अगर सरकार द्वारा जल्द से जल्द पत्रकार के मामले में न्यायिक कार्रवाई नहीं की तो भारत जर्नलिस्ट काउंसिल की हरियाणा प्रदेश इकाई सड़कों पर आने के लिए विवश हो जाएगी।





प्याज गिरी औंधे मुंह, 20 रुपये किलो पहुंची
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 कनीना। क्षेत्र में जो प्याज 90 रुपये किलो तक बिक रही थी वह औंधे मुंह गिर गई है। सीकर राजस्थान से भारी मात्रा में ताजा प्याज आने से अब भाव 20 रुपये किलो के भाव पर पहुंच गई है। गांवों में भी प्याज ठेलियों पर बेची जा रही हैं। थोक में ताजा प्याज दस से 12 रुपये किलो है।
लंबे समय से प्याज और टमाटर में होड़ चली आ रही है। कभी टमाटर सस्ता तो प्याज महंगी हुई। अब टमाटर और प्याज बराबर भाव पर चल रहे हैं।
 अचानक प्याज के भाव कम होने के पीछे प्याज उगाने वाले गए, महाबीर करीरा, गजराज मोड़ी, सब्जी विक्रेता सुरेश कुमार एवं योगेश कुमार ने बताया कि प्याज के भाव बढऩे से खरीददार कम हो गए थे किंतु सीकर में प्याज को जल्दी उखाड़ दिया और प्याज आयात होने से प्याज के भाव अचानक गिर गए।
यहां तक कि हरी प्याज भी सूखी प्याज के रास्ते पर चली और वह भी 80 रुपये किलो तक बिकी। किंतु अब टमाटर और प्याज बराबर भाव पर चल रहे है। माना जा रहा है आने वाले समय में प्याज और भी सस्ती होगी।
प्याज सस्ती होने से जहां गली-गली में आप लोग प्याज बेचते नजर आ रहे किंतु खरीददार नहीं मिल रहे वही दुकानदार भी अधिक प्याज नहीं रख रहे हैं क्योंकि प्याज दिनोंदिन सस्ती हो रही है।  उपभोक्ता भी मान रहे हैं कि प्याज और सस्ती होगी वही दुकानदार योगेश, दिनेश, धर्मेंद्र आदि ने बताया कि प्याज के भाव लगातार घट बढ़ रहे हैं।
 ग्राहक भी अब बहुत कम प्याज खरीद रहे हैं उनका भी कहना है कि प्याज के भाव और घटेंगे। गृहणि सुनीता, शकुंतला, मनीता आदि ने बताया कि प्याज महंगे दामों पर पहुंच गई थी किंतु अब सस्ती हो रही है। अभी तक दाल एवं सब्जी का तड़का लगाते समय प्याज गायब हो गई थी। अब फिर से प्याज के लौट आने से तड़के में प्याज दिखाई देगी।
गंठा और रोटी है प्रमुख खाना-
गांवों में लोग प्याज को गंठा कहते हैं जिसके संग छाछ एवं रोटी चाव से खाते हैं। सलाद के रूप में विभिन्न सब्जियों, दाल, पकौड़ा आदि बनाने में काम ले रहे हैं।
आंखों की दवा भी बनाते हैं-
प्याज का यूं तजो पाउडर, पिसे रूप में तथा विभिन्न रूपों में प्रयोग करते हैं। करीरा के वैद्य श्रीकिशन सफेद प्याज से आंखों की दवा बनाते हैं। प्याज कई रोगों से भी बचाती है।
फोटो कैप्शन 7: प्याज।




बिजली के  तारों से फसल को बचाएं-गोमली
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 कनीना। बिजली विभाग कनीना ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि वो अपनी कटी हुई फसलों को बिजली की तारों के नीचे एकत्रित न करें क्योंकि कई बार तेज हवाओं के चलने व तारों पर पक्षियों के बैठने से तार आपस में मिल जाते हैं जिससे चिंगारियां निकलती है। इन चिंगारियों से फसलों का  जल जाने से नुकसान होने की संभावना ज्यादा रहती है।
बिजली विभाग कनीना के 132 केवी उपकेंद्र के जेई रामरत्न गोमली ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि वो खेतों में अपनी कटी हुई सरसों, गेहूं व अन्य किस्म की फसलों को वहां से गुजरने वाली तारों के नीचे एकत्रित ना करें। उन्होंने कहा कि तारों के नीचे फसलों के रखने से उनमें नुकसान होने का अंदेशा बना रहता है। कई कारणों से तारों में  चिंगारियां निकलती है। इन चिंगारियों के कटी हुई फसलों  पर गिर जाने से फसलों के जल जाने का खतरा रहता है जिससेे किसानों को नुकसान हो सकता है। इसलिए किसान अपनी कटी हुई फसलों को ऐतिहात बरतते हुए तारों से दूर रखें। ताकि फसलों को किसी भी प्रकार का नुकसान न हो।




जल्द से जल्द पैदावार लेना चाहते हैं किसान
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कनीना। मौसम खुलते ही किसान अपनी सरसों की कटाई में पूरे वेग से जुटे हुए हैं। मजदूर 2500 रुपये प्रति एकड़ की दर से सरसों की लावणी कर रहे हैं। करीब एक सौ मजदूर राजस्थान, 200 मजदूर उत्तरप्रदेश एवं बिहार से आए हुए हैं जो खेतों में रहकर ही लावणी का काम पूरा कर रहे हैं। किसान मौसम बदलने की भविष्यवाणी से परेशान हैं। मौसम विभाग एक बार फिर से 16 एवं 17 मार्च को बारिश की संभावना जता रहा है। किसान कृष्ण कुमार, सुरेश कुमार, रोहित कुमार, योगेश कुमार ने बताया कि 6 मजदूर एक किला की सरसों की फसल की लावणी एक दिन में कर देते हैं। उन्होंने बताया कि इस बार कम मजदूर आए हैं। होली के दृष्टिगत कम मजदूर आये हैं जिसके चलते अधिक मजदूरी ले रहे हैं।  मजदूरों की मांग अधिक है।
 सरसों की लावणी का काम पूरे वेग पर है। जिन किसानों की खेती बहुत कम है वो अपनी लावणी स्वयं कर रहे हैं परंतु जिस किसान के पास खेती अधिक है वो मजदूरों से लावणी करवाकर जल्द से जल्द अपने काम को पूरा करने की सोच रहे हैं।  किसानों ने बताया कि सरसों की लावणी तथा कटाई एवं भंडारण में करीब एक माह का समय लगता है। ऐसे में गेहूं की फसल पककर तैयार हो जाती है और वे उसकी लावणी में लग जाएंगे।




सेवा भारती ने लगाया मुफ्त चिकित्सा शिविर
-102 मरीजों मरीज पहुंचे शिविर में
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 कनीना। सेवा भारती हरियाणा की कनीना शाखा द्वारा 39वां हृदय रोग, हड्डी रोग, नेत्र रोग जांच एवं परामर्श शिविर का आयोजन किया गया। मेट्रो अस्पताल एवं हृदय रोग संस्थान से डा अश्वनी यादव, डाक्टर आरबी यादव आर्थो, डाक्टर प्राची ने नेत्र रोग विशेषज्ञ ने रोगियों की जांच की, दवाइयां एवं चश्मे निशुल्क वितरित किए। शिविर में 102 मरीज पहुंचे। कोरोना एवं लाकडाउन के बाद यह दूसरा शिविर है।
 इस मौके पर हृदय रोग विशेषज्ञ डा अश्विनी यादव ने कहा कि समय-समय पर हृदय की जांच करवा लेनी चाहिए यदि रक्तचाप बढ़ता है या घटता है तो उसका समय रहते इलाज करवा लेना चाहिए। वही डा प्राची नेत्र रोग विशेषज्ञ ने कहा कि आंखें जहान की सबसे बड़ी वस्तु है, आंखों की देखभाल करनी चाहिए। यदि किसी प्रकार की समस्या हो तो डाक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
 विस्तृत जानकारी देते हुए सेवा भारती के योगेश अग्रवाल ने बताया कि अब यह कैंप हर माह के दूसरे रविवार को लाला शिवलाल धर्मशाला रेलवे स्टेशन कनीना मंडी के पास सुबह 9:30 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक का समय निर्धारित किया गया है। शिविर में सेवा भारती शाखा कनीना के अध्यक्ष सुरेश शर्मा, सचिव श्याम सुंदर बंसल, योगेश अग्रवाल, योगेश गुप्ता, डा वेद प्रकाश शर्मा, रोहित, नरेश शर्मा पार्षद,  शिवकुमार अग्रवाल, प्रेम सिंह, अमित कुमार, कंवरसेन वशिष्ठ, राजेंद्र सिंह,  जगदीश आचार्य सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित थे।
 फोटो कैप्शन 8 व 9: मरीजों की जांच करते हुए डाक्टर।




'विशिष्ट कस्बा होने के कारण नाम पड़ा कनीना खास रेलवे स्टेशन
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 कनीना। कनीना एक उपमंडल है तथा रेलवे स्टेशन को छोड़कर हर जगह कनीना नाम मिलेगा किंतु कनीना के रेलवे स्टेशन का नाम कनीना खास रेलवे स्टेशन रखा हुआ है।  जिसके पीछे 'विशिष्टÓ कस्बा होने के गौरव प्राप्त रहा है। इसलिए इसको 1935 में कनीना खास रेलवे स्टेशन नाम दिया गया था।
  मिली जानकारी के अनुसार उस वक्त जब बीकानेर के राजा गंगा सिंह होते थे दिल्ली से रेवाड़ी तक रेलवे मार्ग बना था क्योंकि बीकानेर के राजा गंगा सिंह को बीकानेर के लिए आना जाना पड़ता था। ट्रेन प्रमुख साधन होता था। इसलिए उन्होंने इस रेलवे ट्रैक को रेवाड़ी से बीकानेर तक बनवाया किंतु यह रेलवे मार्ग कनीना से करीब 8 किलोमीटर दूर इसराना होकर गुजरना था। रेवाड़ी से कानौड़(महेंद्रगढ़) तक का सबसे पुराना एवं छोटा मार्ग भी इसराना होकर गुजरता था जो आज भी कच्चे रूप में मौजूद है।
 उस वक्त कनीना के पढ़े लिखे लोगों में मेजर भवानी सिंह तथा जमादार भैरव सिंह की बहुत चलती थी। उन्होंने बीकानेर के राजा को पत्र लिखा। पत्र में उन्होंने इस रेलवे ट्रैक को कनीना होकर ले जाने की मांग की। बीकानेर के राजा गंगा सिंह ने कनीना के इस कस्बे का दौरा किया और यहां से बहुत प्रभावित हुए जिसके चलते इसे खास कस्बा का टाइटल मिला।
तत्पश्चात बीकानेर के राजा ने कनीना एक खास कस्बे से होकर इस लाइन को गुजारने के बारे में तत्कालीन अधिकारियों को आदेश दिया। अधिकारियों ने कनीना खास कस्बे से होकर रेलवे लाइन गुजारने पर एक मोड़ देने की बात कही। जैनाबाद ढहीना के पास घुमाव देकर रेलवे लाइन को कनीना खास से गुजारा गया। इसलिए आज भी कनीना  रेलवे स्टेशन नाम कनीना खास पड़ा हुआ है।
अब ट्रेनों का ठहराव नहीं-
 1935 में भी कनीना में टाउन नगरपालिका होती थी और यह नगरपालिका कस्बे का विकास करवाती थी। उस वक्त भी सभी ट्रेन कनीना में ठहरा करती थी किंतु वर्तमान में जहां कनीना उपमंडल बना है तो ट्रेनों का ठहराव बंद कर दिया गया। शायद ही कोई ऐसा उपमंडल होगा जहां सभी ट्रेनों का ठहराव नहीं होता हो। यह क्षेत्र सैनिकों का गढ़ है तथा ट0ेन पकडऩे के लिए र35 किमी रेवाड़ी जाना पड़ता है। लंबे समय से ट्रेनों के ठहराव की मांग चली आ रही है। एक बार फिर से कनीना खास एवं आसपास के लोग उस पुरानी मांग को दोहरा रहे हैं।
फोटो कैप्शन 01: कनीना खास रेलवे स्टेशन।




वर्तमान में भी मन मोह रहे हैं सैकड़ों वर्ष पुराने भित्तिचित्र









-रामायण और महाभारत युद्ध को रहे हैं दर्शा
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 कनीना। कनीना क्षेत्र में सैकड़ों वर्ष पुराने भित्तिचित्र अपने समय की याद दिलाते हुए दर्शनीय बनते जा रहे हैं और मन मोह रहे हैं। ये न तो मिट रहे हैं और न हीं इनका रंग फीका पड़ रहा है। करीब 250 वर्ष पुराने बताये जाते हैं। पुरानी इमारतों, भवनों और मंदिरों में आज भी ये भित्तिचित्र आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। जन जब भी कभी मंदिरों या अन्यत्र स्थानों पर इन भित्तिचित्रों को देखते हैं तो मंदिर को भूल जाते हैं और इन्हीं की ओर टकटकी लगाकर देखते रह जाते हैं। अब तो इनका संरक्षण
 कनीना की पुरानी गुम्बद व जैनाबाद का बाबा उधोदास मंदिर रामायण, महाभारतकालीन समाज को शिक्षा देने वाले तथा देवी देवताओं से परिपूर्ण हैं।  इस कला में पारंगत व्यक्तियों ने भरसक प्रयास करके ही इन कलाओं को अपनी तूलिकाओं से उकेरा है।
    कनीना में होलीवाला जोहड़ पर एक यादगार बनी हुई है। यहां किसी की यादगार में गुंबद बनी है। यादगार की सबसे बड़ी विशेषता ऊपर की ओर वो मनमोहक कलाकारी भित्तिचित्र के रूप में की हुई है कि देखकर मन हर्षित हो उठता है। इस कलाकारी में ऐसे रंग व पेंट प्रयोग किए हैं जो आज भी मुंह बोलते नजर आते हैं। पुरातत्ववेत्ताओं ने एक बार आकर बताया था कि ये भित्तिचित्र करीब 250 वर्ष पुराने हैं। इन भित्तिचित्रों में रामायण, महाभारत व गीता आदि के दृश्य दर्शाए गए हैं। बाबा मोलडऩाथ सत्संग मंडल के जन्मदाता मेहरचंद आयु में बुजुर्ग हैं, का कहना है कि उनके पूर्वज भी इन भित्तिचित्रों का वर्णन करते आए हैं। इन भित्तिचित्रों को तैयार करने से पहले कोड़ी को घिसकर दीवारों को चमकीला व सजीला बनाया गया है और प्राकृतिक रंगों से पेंटिंग की गई बताई जाती है। जब भी किसी व्यक्ति के पास फुरसत होती है तो वह इन भित्तिचित्रों को देखने के लिए यहां आ बैठता है। इन कलाओं के बारे में बुजुर्गों का कहना है कि ये कोड़ी का उपयोग करके बनाई हैं। कोड़ी एक प्रकार का कैल्शियम युक्त जीव होता है। यद्यपि ऐसी पेंटिंग एवं कलाकृतियां कम ही बची हैं किंतु इनको देखकर लगता है कि प्राचीन समय से बुजुर्गों में कुछ करने की क्षमता होती थी।
   उधर कनीना से नौ किमी दूर जैनाबाद आश्रम में बाबा उधोदास समकालीन भित्तिचित्र आज भी मन मोह लेते हैं। ये भित्तिचित्र भी लगभग उसी पैट्रन पर बनाए गए हैं जैसे कि कनीना की गुम्बद के । बाबा उधोदास ने 1827 में एक कुआं और ये भित्तिचित्र बनवाए गए थे। बाबा उधोदास की गुम्बद के अंदर ऊपर की ओर रामायण, महाभारत, यमराज, कवि आदि के भित्तिचित्र बनाए गए है। बाबा आश्रम के संचालक महंत लालदास महाराज का कहना है कि बाबा उधोदास के समकालीन के ये भित्तिचित्र हैं जो जन आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। जो भक्त बाबा उधोदास स्थल पर आता है वह इस कलाकारी को जरूर देखता है और अनायास ही मुंह से वाह-वाह निकल जाता है।
फोटो कैप्शन 2: जैनाबाद के उधोदास आश्रम में मंदिर की दीवारों पर भित्तिचित्र
                       5: कनीना गुंबद में भित्तिचित्र  

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