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Thursday, March 25, 2021

11-11 हजार रुपये की कुश्तियां बराबरी पर रही
-नहीं दिया गया ईनाम
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कनीना। बाबा मोलडऩाथ के मेला अवसर पर कमेटी की तरफ से 51 रुपए से लेकर 11 हजार रुपए तक का कुश्ती दंगल करवाया गया। जिसमें 1100 रुपए की तीन कुश्तियां करवाई गई। जिनमें कुंजिया से पहलवान यशपाल, बौंद से पहलवान जतिन व नूह से पहलवान लखपत विजेता रहा। उसके बाद 2100 रुपए की 8 कुश्तियां करवाई गई। जिनमें भिवानी से पहलवान सोनू, रोहतक से पहलवान मोहित, बाघोत से पहलवान संदीप, घढ़ी से पहलवान चंदरुप, अटेली से पहलवान विक्की, गणियार से पहलवान राजकुमार, भिवानी से पहलवान सौरभ व बाघोत से पहलवान सोनू विजेता रहा। उसके बाद 5100 रुपए की दो कुश्ती प्रतियोगिताएं करवाई गई। जिनमें बाघोत से पहलवान राजेश व लाडपुर से पहलवान हिमांशू विजेता रहा। कमेटी के सदस्य राजेन्द्र भेलिया ने बताया कि कुश्ती दंगल में 11-11 हजार रुपए की तीन कुश्तियां करवाई गई थी। लेकिन तीनों ही कुश्तियां बराबरी पर छूटने की वजह से किसी भी पहलवान को ईनाम नहीं दिया गया। उन्होंने बताया कि प्रतियोगिता के प्रारंभ में ही पहलवानों को बता दिया गया था कि कुश्ती दंगल बराबरी पर छूटने पर किसी भी पहलवान को कोई ईनाम नहीं दिया जाएगा।



तेज गति से आने वाली गाड़ी ने मारी दूसरी गाड़ी को टक्कर एक युवक की मौत
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कनीना। कनीना-भोजावास मार्ग पर पेट्रोल पंप के नजदीक कनीना से अटेली की तरफ तेज गति से जा रही गाड़ी ने अटेली की तरफ से आ रही गाड़ी को सीधी टक्कर मारी तथा मौके से गाड़ी लेकर भाग खड़ा हुआ जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई। कनीना पुलिस ने रविंंद्र राजपूत भोजावास के बयान पर मामला दर्ज कर लिया है।
 रविंद्र भोजावास ने कनीना पुलिस में बयान दर्ज कराया है कि वह रात को अपने खेतों में
पानी देकर आ रहा था। तभी कनीना से अकेली और एक तेज रफ्तार से गाड़ी जा रही थी वहीं अटेली से कनीना की ओर एक गाड़ी आ रही थी जिसको सीधी टक्कर मार दी और टक्कर मारकर वह अपनी गाड़ी को ले भागा।
 अटेली की ओर से आ रही गाड़ी पलट गई जिसको देखकर उन्होंने शोर मचाया नजदीक होटल से राहुल नाम व्यक्ति मौके पर पहुंचा। दोनों ने गाड़ी का शीशा तोड़कर ड्राइवर को निकालने की कोशिश की उन्होंने देखा कि युवक प्रवीण है। उन्होंने उनके पिता को सूचना दी, एंबुलेंस मौके
पहुंची तथा प्रवीन के पिता के मौके पर पहुंच गए। एंबुलेंस सरकारी अस्पताल कनीना चेकअप के लिए प्रवीण को ले गई जहां डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया प्रवीण 35 वर्ष चेलावास निवासी था। कनीना पुलिस ने अज्ञात गाड़ी चालक के विरुद्ध विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।



जान से मारने की धमकी का मामला दर्ज
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 कनीना। जयसिंह बाघोत ने कनीना पुलिस में प्रवीण नामक व्यक्ति के विरुद्ध उन्हें जान से मारने की धमकी का मामला दर्ज करवाया है। जय सिंह ने पुलिस में कहा है कि वह दूध की डेरी रखता है। उनका प्रवीण के साथ काफी दिनों से जमीन बंटवारा विवाद चल रहा था जिसे प्रवीण के रिश्तेदारों की मौजूदगी में फैसला भी हो गया था। इसके बावजूद भी प्रवीण
बाज नहीं आ रहा है। प्रवीण 22 मार्च को डेयरी पर आया और कनपटी पर रिवाल्वर रख दिया धमकी दी। उन्होंने आरोप लगाया कि डेयरी में रखी पंखे की रात से उनकी पीठ पर मारी और जान से मारने की धमकी देकर भाग गया। जाते जाते मशीनों के साथ तोडफ़ोड़ की। कनीना पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और जांंच शुरू कर दी है।



डाक्टरों के अनुसार रासायनिक रंगों की होली हानिकारक
-29 मार्च को जमकर खेली जाएगी होली
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कनीना। पानी बचाकर होली खेलने की प्रेरणा देगा युवा वर्ग। होली को सामान्य तरीकों से मनाने तथा टीका लगाकर या फिर गुलाल का टीका लगाकर ही खेलेंगे। पानी को बचाने के लिए तथा रोगों से बचने के लिए रासायनिक रंगों से होली खेलने से बचेंगे। महिलाएं भी होली खेलने में अग्रणी हैं जो घर में पानी को बचाने के लिए प्रयास करेंगी।
 रासायनिक रंगों से बचना चाहिए। रासायनिक रंगों के प्रयोग से जहां खुजली, एलर्जी तथा कई अन्य बीमारियां हो जाती हैं। कनीना के विभिन्न डाक्टरों की रासायनिक रंगों के प्रयोग करने के बारे में राय प्रस्तुत है। वे चंदन का टीका लगाने तथा गले मिलने की बात पर जोर दे रहे हैं।
झगड़ोली निवासी डा अजीत शर्मा का कहना है कि रासायनिक रंगों से होली खेलना सेहत के लिए प्रतिकूल है। इन रंगों से खुजली, त्वचा के रोग, जलन एवं कई अन्य बीमारियां होने का अंदेशा होता है। रासायनिक रंगों में जल का अधिक उपयोग होने से जल की बर्बादी होती है। कपड़ों एवं चेहरे को रंग खराब कर देता है। इन रंगों से उन्होंने बचने की सलाह दी है।
  गागड़वास के डा वेदप्रकाश का कहना है कि रासायनिक रंगों से होली खेलना किसी भी रूप में बेहतर नहीं है। एक ओर पानी की बर्बादी तो दूसरी ओर शरीर को नुकसान। एक ओर रासायनिक रंग कपड़ों को दागिल कर देता है तो दूसरी ओर शरीर से रंग छुड़ाने से भी नहीं छूटता है। उन्होंने गुलाल एवं रंगों का प्रयोग न करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि आंख, मुंह व नाक आदि में रंग गिर जाने पर तुरंत डाक्टर की सलाह लेनी चाहिए। ये रंग जहरीले होते हैं।
 विक्की पंसारी का कहना है कि होली खेलना अच्छी बात है किंतु रासायनिक रंगों की बजाय चंदन से तथा हो सके तो गुलाल से ही खेलना चाहिए। किसी परेशान व्यक्ति पर रंग गुलाल न डालकर गले से मिलकर खुशी का इजहार करना चाहिए तभी होली का रंग सच्चा रंग बन पाएगा। रासायनिक रंग कई मायनों में हानिकारक हैं।
  कनीना के समाजसेवी महेश कुमार का कहना है कि होली जरूर खेलनी चाहिए परंतु होली के नाम पर पानी की बर्बादी नहीं होनी चाहिए। पानी के लिए दिनरात मारामारी चलती है उसे केवल रंगों से खेलने व रंगों को हटाने में बर्बाद नहीं करना चाहिए। रासायनिक रंग डालकर  दुश्मनी साधने का पर्व नहीं बनाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि कि रंगों का पर्व होली हमें संदेश देता है कि एकता एवं बैर भाव को भूलाना। पुराना बैर भाव भूला देना चाहिए तथा एकता को कायम करना चाहिए। रासायनिक रंग कानों, आंखों एवं चेहरे के लिए घातक होते हैं।
 सुमेर सिंह चेयरमैन का कहना है कि होली अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में जमकर खेली जाती है। होली हमें एकता, बंधुता, भाईचारा एवं प्यार का संदेश देती है।  रासायनिक पदार्थों की होली, केवल शरीर को नुकसान पहुंचाती हैं। उससे बचना चाहिए। रासायनिक रंगों का नुकसान वर्षों तक घातक साबित होता है।
ऐसे में एलर्जी, आंखों,कानों तथा मुंह के रोगों से बचने के लिए गुलाल या प्राकृतिक रंगों से होली खेलनी चाहिए वरना शरीर को नुकसान होगा जो वर्षों तक चलेगा।
  फोटो कैप्शन: डा अजीत शर्मा, डा वेदप्रकाश, महेश कुमार, विक्की पंसारी, सुमेर सिंह चेयरमैन की फोटो साथ हैं।


कनीना में आयोजित हुई किसान गोष्ठी
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 कनीना। भारत इटली कृषि विकास निगम रेवाड़ी की ओर से कनीना खंड कृषि अधिकारी कार्यालय में एक दिवसीय किसान प्रशिक्षण शिविर आयोजित हुआ जिसकी अध्यक्षता डा रमेश यादव वरिष्ठ संयोजक कृषि विज्ञान केंद्र महेंद्रगढ़ ने की।
 किसान गोष्ठी में किसानों को संबोधित करते हुए डॉ रमेश यादव ने संतुलित खाद एवं फसलों में आने वाली बीमारियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने समर मूंग, मिट्टी जांच, चारा देने वाली फसलों की जानकारी दी। मौसम का बदलाव भी बीमारियों का कारण बन सकता है। ऐसे में किसानों को अपनी फसल का नियमित परीक्षण करना चाहिए।
वहीं उन्होंने कहा कि किसानों को संतुलित खाद डालने चाहिए। अधिक खाद डालने से भी जहां खेत में नुकसान होगा वहीं कम खाद डालने से भी फसल बेहतर पैदावार नहीं दे पाएगी। उन्होंने आय दोगुनी करने व खेत और घर पर आय व्यय के प्रबंधन पर विचार व्यक्त किए। उन्होंने माना कि किसान बेहतर जीवन नहीं जी पा रहे हैं क्योंकि उनकी आय कम है। अगर आय बढ़ जाएगी तो उनकी जीवन स्तर भी सुधर जाएगा।  उन्होंने किसानों को आधुनिक खेती के बारे में विस्तार से बताया और कहा कि आर्गेनिक खेती किसानों के लिए लाभप्रद बन रही है। उन्होंने कहा कि एक वक्त था जब किसान आर्गेनिक खेती करने से कतराते थे। अब वक्त आ गया है कि आर्गेनिक खेती न केवल सेहत के लिए बेहतर है वहीं आय भी बढ़ा सकते हैं।
 इस अवसर पर कृषि विस्तार सलाहकार डा देवराज यादव  ने किसानों को किचन गार्डन, जैविक खेती के बारे में जानकारी दी गई।  इस मौके खंड कृषि अधिकारी डा गजानंद, डा विकास, डा आशीष शिवरान आदिमौजूद थे।
 फोटो कैप्शन 14: किसान गोष्ठी को संबोधित करते हुए महेंद्रगढ़ वरिष्ठ संयोजक डा रमेश कुमार।






गांव की मुख्य फिरनी पर पानी जमा होने से परेशानी
-सीएम विंडो तक पहुंची शिकायत
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 कनीना। उप-मंडल के गांव कोटिया में भूमिगत नाले के ब्लाक हो जाने से गलियों में गंदा पानी जमा हो गया है जिसके चलते आवागमन बाधित हो रहा है
कोटिया गांव के महावीर प्रसाद, जगत सिंह करतार सिंह, छोटू राम ,ओम प्रकाश, राज सिंह, रामचंद्र, राजेंद्र कुमार, हवा सिंह, लीलाराम आदि ने बताया फिरनी में जमा पानी परेशानी का कारण बना हुआ है। शिकायत सीएम विंडो में भी लगाई है। ग्राम सरपंच को बार बार सूचित करने के बावजूद भी समस्या समाधान नहीं हुआ है।
उन्होंने सरकार से मांग की है कि तुरंत प्रभाव से उनकी समस्या का हल किया जाए ताकि आवागमन में परेशानी खत्म हो सके। उन्होंने कहा कि यदि यही हालात चलते रहे तो घरों में नमी आ जाएगी तथा दीवार तक गिरने की संभावना बन जाएगी।
उधर सरपंच प्रतिनिधि दलीप सिंह ने बताया कि उनके पास अब पावर नहीं हैं किंतु उन्होंने जेसीबी बुलाकर समस्या समाधान करवाने का प्रयास किया है। दो जोहड़ों को जोडऩे वाले भूमिगत लाइन को लोगों ने गुदड़ी, पोलीथिन तथा कूड़ा भरने से ब्लाक कर दिया है। इसका जल्द समाधान कर दिया जाएगा।
फोटो कैप्शन 10 एवं 11: कोटिया की फिरनी में जमा पानी।





खाटू श्याम की शोभायात्रा निकाली
-कनीना मंडी से खाटू श्याम मंदिर तक चली निशान यात्रा
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 कनीना। कनीना मंडी से खाटू श्याम मंदिर तक शोभायात्रा निकाली गई। यात्रा खाटू श्याम मंदिर पर संपन्न हुई जिसमें खाटू श्याम के करीब 300 खाटू श्याम भक्तों ने अपने निशान सहित यात्रा में भाग लिया।
 होली मिलन समारोह की शुरुआत करते हुए गुलाल से होली खेलते हुए नृत्य करते हुए अपने निशानों के साथ यात्रा में भक्त शामिल हुए। आगे-आगे खाटू श्याम की प्रतिमा चल रही थी पीछे भक्तों का दल चल रहा था। वे संग में खाटू श्याम की प्रतिमा लिये हुये थे। शोभा यात्रा एकता भाईचारे के प्रतीक के रूप में शुरू की गई तथा वापस खाटू श्याम मंदिर पर संपन्न हुई।  इस शोभायात्रा में शामिल भक्त अपने-अपने घर से निशान लेकर आए थे जो शोभायात्रा में शामिल हुए तथा
शोभा यात्रा के विषय में दुलीचंद साहब का कहना था कि विगत वर्ष भी यह उत्सव मनाया गया था। खाटू श्याम मंदिर स्थापित हुए तीन वर्ष बीत गये है। शोभायात्रा में बाबा की प्रतिमा, गुलाल से होली खेलते हुए ,निशान साथ में लेकर के भक्तों का दल खाटू श्याम मंदिर तक पहुंचा। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की यात्रा से जहां सामाजिक एकता भाईचारा कायम होता है समरसता का संदेश भी पहुंचता है। इस यात्रा में महिलाओं की संख्या अधिक थी।
फोटो कैप्शन 9: निशान लेकर खाटू यात्रा में जाते हुए लोग ।



कनीना का बाबा मोलडऩाथ मेला संपन्न
-आयोजित हुई खेल प्रतियोगितएं, शुक्रवार को साधु संतों को किया जाएगा विदा
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 कनीना। कनीना का प्रसिद्ध बाबा मोलडऩाथ मेला बुधवार से शुरू हुआ जो शुक्रवार को संपन्न हो जाएगा। बुधवार रात को जहां जागरण चला वहीं गुरुवार को शक्कर मेला चला। वहीं 26 मार्च को साधु संतों का सम्मान देकर विदा किया जाएगा। 25 मार्च को ऊंट,घोड़ी दौड़ आदि प्रतियोगिताएं आयोजित की गई।  बालीबाल और कबड्डी खेल प्रतियोगिता आयोजित आयोजित हुई जिसमें दूर-दराज से खेलों को देखने के लिए लोग आए। इस मेले को शक्कर मेला नाम से जाना जाता है।
पूरे कस्बा से शक्कर का प्रसाद चढ़ाया जाता है। बाबा मोलडऩाथ लंबे समय तक यहां तप किया। पूरा कनीना कस्बा ही नहीं मांदी, रोड़वाल तथा ढाणी बाठोठा तक के लोग भारी संख्या में पहुंचे। क्षेत्र में भारी मान्यता बाबा मोलडऩाथ की है। इस मौके पर आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताएं गुरुवार देर शाम तक चलती रही। विस्तृत जानकारी देते हुए सुमेर सिंह चेयरमैन ने बताया कि लांग कबड्डी में झमोला प्रथम तथा अहरी की टीम दूसरे स्थान पर रही। नेशनल कबड्डी में भैंसवाल टीम बी प्रथम तो कथूरा की टीम दूसरे स्थान पर रही। रामप्रताप पूर्व शिक्षक ने बताया कि वालीबाल में प्रथम मोलडऩाथ क्लब तथा दूसरे स्थान पर कुुरुक्षेत्र की टीम रही। भक्त पेट के बल बाबा आश्रम तक आए।
 संत शिरोमणि बाबा मोलडऩाथ एक  विख्यात संत थे जिन्होंने अपने समूचे जीवन में भगवान की भक्ति कर नर-नारियों का भला करने का कार्य किया था। यही कारण है कि भक्त उन्हें पूजते हैं। इस धाम पर आने वाले भक्त बाबा के शक्कर,बतासे, बून्दी के अलावा अन्य विभिन्न प्रकार के प्रसाद चढ़ाते है और मन्नत मांगते है। इस धाम पर 36 बिरादरियों के लोगों ने आकर माथा टेका। इस मेले की सबसे बड़ी बात यह भी है की इस मेले में हिन्दु और मुस्लिम सभी एक साथ प्रसाद चढ़ाते है।
   कनीना के इस मेले में बाबा आश्रम को फूल मालाओं से सजाया हुआ था। बाबा की प्रतिमा को भी फूल मालाओं से सजाकर आकर्षक बनाया हुआ था। मेले में धूने के स्थान पर सेवक भक्तों की सेवा में लगे हुए थे। महिलाएं एवं पुरुष धूने पर प्रसाद चढ़कर बाबा का आशीर्वाद पा रहे थे। बाबा  आश्रम के पास ही माता मंदिर, शिरड़ी मंदिर,खाटू श्याम मंदिर, हनुमान मंदिर, 21 फुट ऊंची प्रतिमा वाले शिवालय, सती स्थल, राधा कृष्ण मंदिर, सीताराम मंदिर में भी भीड़ रही।  
   इस मेले में भंडारों का विशेष प्रावधान किया गया। कई भक्तजनों ने भंडारा लगाया। शक्कर का प्रसाद चढ़ाया, संतों को भोजन कराया, बीती शाम को मोलडऩाथ सत्संग मंडल सहित कई मंडलों ने सत्संग एवं भजन किए।
फोटो कैप्शन 8: पेट के बल बाबा तक आते भक्तजन
   9:मोलडऩाथ आश्रम का मुख्य आकर्षण
  10: आयोजित कबड्डी का नजारा



किसानों का रुझान सब्जी की नर्सरी की ओर
-कम लागत से कमा रहे हैं हजारों रुपये
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कनीना। कम लागत से खेतों में सब्जी के पौधों की नर्सरी तैयार करने की ओर किसानों का रुझान बढ़ा है। नर्सरी से ही कनीना खंड के दर्जनों किसान रोटी रोजी कमा रहे हैं।
  भोजावास गांव का किसान सत्यवीर सिंह अपने ट्यूबवेल पर रह रहे हैं। उन्होंने करीब एक एकड़ में टमाटर, मिर्च, प्याज, बैंगन आदि की नर्सरी तैयार की है तथा 18 वर्षों से यह काम कर रहे हैं। सत्यवीर सिंह ने बताया कि वे प्योद किसानों तक पहुंचा रहे हैं। गृहणियों का ध्यान भी किचन गार्डन की ओर बढऩे से सब्जी वाले पौधों की अधिक मांग है। उनका मानना है कि करीब एक लाख रुपये का खर्चा बीज, टपका सिंचाई तथा दवा आदि पर खर्च करने के बाद तीन लाख रुपये आय का टारगेट है।
     किसान सत्यवीर सिंह ने बताया कि नवंबर में लगाई गई नर्सरी अप्रैल माह तक चलती है जबकि जून माह में लगाई हुई नर्सरी जुलाई-अगस्त तक चलती है। वे दूसरे किसानों को भी शिक्षा दे रहे हैं। उनके पदचिह्नों पर दूसरे किसान भी चलने लगे हैं। उधर मोड़ी का किसान गजराज सिंह भी भारी मात्रा में सब्जी देने वाले पौधों की नर्सरी तैयार करते हैं किंतु वे अपने आस पास एवं परिवार को प्रदान करते हैं। गजराज सिंह ने बताया कि प्योद तैयार करने में सबसे बड़ी समस्या सर्दी व गर्मी से छोटे पौधों को बचाने की होती है।
 कौन कौन कर रहे हैं नर्सरी का काम-
यूं तो बहुत से किसान नर्सरी उगाकर अपनी एवं कुछ लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति कर रहे हैं किंतु किसान सत्यवीर भोजावास, गजराज सिंह मोड़ी, अजय इसराणा,महावीर सिंह, अजीत कुमार, सूबे सिंह कनीना, अजय, विकास मोड़ी आदि सब्जी की पैदावार का लाभ उठाते हुए अतिरिक्त आय कमा सकते हैं।  छोटे-छोटे पौधों को सर्दी एवं गर्मी से बचाने के लिए अतिरिक्त प्रबंध करने पड़ते हैं।  
किसान प्याज तथा मूली,गाजर के बीज भी नर्सरी में तैयार करने लग गये हैं। ताकि उनको बीजों पर अतिरिक्त खर्चा न करना पड़े। कनीना क्षेत्र में अगर सब्जी मंडी होती तो आय में अधिक इजाफा होता।
क्या कहते हैं कृषि एवं बागवानी अधिकारी--
कृषि अधिकारी डा देवराज, जिला बागवानी अधिकारी डा मंदीप यादव रेवाड़ी का कहना है कि सब्जी की नर्सरी से कम जमीन पर भी अधिक आय प्राप्त हो सकती है। महज देखरेख अधिक होती वरना आय बेहतर होती है। किचन गार्डन की ओर रुझान ने भी सब्जी की नर्सरी की मांग बढ़ा दी है।
फोटो कैप्शन 2 व 3: प्याज एवं गाजर के बीज नर्सरी में दिखाते हुए सत्यवीर सिंह।



होली पर जल बचत की ली शपथ
-हजारों लीटर पानी करते हैं बर्बाद
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कनीना। रंगों के त्योहार होली के प्रति लोग जल बचाने, रंगों की बजाय गुलाल एवं तिलक लगाकर होली खेलने के पक्ष में हैं। वे इस प्यार एवं भाईचारे के पर्व को दुश्मनी भुलाकर खेलना पसंद करते हैं।  इस बार सभी पानी बचाने के पक्ष में हैं।  इस होली के पर्व पर महेश बोहरा,कुलदीप कुमार भी अनावश्यक  रूप से पानी को बहाने से रोकने तथा पानी को बचाने के पक्ष में हैं। धीरे-धीरे सुधार हो रहा है । प्यार एवं भाईचारे से इस पर्व को मनाने के लिए वे कटिबद्ध हैं।
  इस मौके पर डा मुंशीराम मोहनपुर ने कहा कि रासायनिक रंगों का प्रयोग स्वास्थ्य के लिए घातक साबित होता है वहीं इसका प्रयोग अधिक पानी को खराब करने का एक तरीका है। उन्होंने कहा कि कम से कम पानी प्रयोग करना चाहिए। एक एक व्यक्ति 50-60 लीटर पानी बर्बाद कर देता है।
  सत्यवीर सिंह पड़तल ने इस मौके पर कहा कि होली एक पवित्र एवं हंसी खुशी से मनाने की शिक्षा देता है। ऐसे में हमें प्यार से एक दूसरे को चंदन आदि का टीका लगाकर या फूलों की होली खेलकर मनाना चाहिए। भूमिगत जल को बचाने के लिए जल बर्बाद न करके होली खेली जाएगी।
  इस मौके पर विनीता राव प्राध्यापिक ने  कहा कि पानी बचाना इस पर्व का प्रमुख कत्र्तव्य होगा। पेयजल की कमी होती जा रही है। ऐसे में होली मनाने के लिए हमें प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करने पर बल देना चाहिए।
 भीम सिंह समाजसेवी कनीना का कहना है कि दिनोंदिन पानी कम होता जा रहा है वहीं इंसान पानी का दुरुपयोग कर रहा है। एक ओर जहां खुशी का अवसर है तो क्यों न पानी की बचत करते हुए या तो कम से कम गुलाल लगाकर या फिर चंदन आदि का टीका लगाकर खुशी का इजहार किया जाए। उन्होंने कहा कि पूरे ही विश्व में जल की मांग बढ़ रही है तो जल को बचाना भी हमारा दायित्व बनता है।
क्या कहते हैं राजेश कुमार-
होली पर पानी बर्बादी के बारे में रोजश कुमार समाजसेवी का कहना है कि अगर होली खेलने वाला प्रत्येक व्यक्ति दस लीटर पानी बचाये तो देश की सवा करोड़ जनसंख्या करोड़ों लीटर पानी बचा सकती है जो एक दिन की प्यास करोड़ों लोगों की बूझा सकता है। उन्होंने जल बचत की मांग की है।
फोटो कैप्शन: विनीता राव, राजेश कुमार, भीम सिंह, डा मुंशीराम, सत्यवीर सिंह पड़तल।


आंवला एकादशी मनाई गई
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कनीना। कनीना क्षेत्र में गुरुवार को आंवला एकादशी का पर्व मनाया गया। व्रत करके महिलाओं ने आंवला की पूजा की और आंवला एकादशी की कथा सुनाई। इसे आमलकी एकादशी नाम से भी जाना जाता है।
वयोवृद्ध महिला संतरा देवी ने बताया कि हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। एक वर्ष के अंतराल में 24 एकादशियां आती हैं। जब मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। आमलकी यानी आंवला को शास्त्रों में उसी प्रकार श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है जैसा नदियों में गंगा को प्राप्त है और देवों में भगवान् विष्णु को। विष्णु जी ने जब सृष्टि की रचना के लिए ब्रह्मा को जन्म दिया उसी समय उन्होंने आंवले के वृक्ष को जन्म दिया। आंवले को भगवान विष्णु ने आदि वृक्ष के रूप में प्रतिष्ठित किया है। आंवले के हर अंग में ईश्वर का स्थान माना गया है। स्वयं भगवान विष्णु ने कहा है जो प्राणी स्वर्ग और मोक्ष प्राप्ति की कामना रखते हैं उनके लिए फाल्गुन शुक्ल पक्ष में जो पुष्य नक्षत्र में एकादशी आती है उस एकादशी का व्रत अत्यंत श्रेष्ठ है। इस एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है।
 कनीना के वार्ड एक की महिलाओं ने आशा यादव के भवन परिसर में लगे आंवलों की पूजा विधि विधान से की और आंवले को जल अर्पित किया। आशा यादव, सरला, कांता, गुड्डों आदि ने आंवला एकादशी का व्रत, तरीका, कथा आदि सुनाई।
फोटो कैप्शन 4: आंवला एकादशी पर महिलाएं आंवला की पूजा करते हुए।




कनीना, जैतपुरा में लगे मेले

-श्याम भक्तों के लिए शिविर संपन्न हुये 

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कनीना। कनीना और जैतपुरा में गुरुवार को मेले संपन्न हुये। दिनभर भक्तों ने निशान अर्पित किये। कनीना में तीन वर्ष पुराना तथा जैतपुरा में 300 वर्ष पुराना खाटूश्याम मंदिर हैं। दिनभर भक्तों का तांता लगा रहा।
शिविर संपन्न---
दूर दराज से जैतपुरा तथा खाट धाम पर खाटूश्याम के दर्शन करने जाने वाले भक्तों के लिए विभिन्न गांवों में लगाये गये शिविर संपन्न हो गये हैं। इन शिविरों में सोशल डिस्टेंस एवं कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुये भक्तों की सेवा की गई। दुलीचंद, मनीष,अमरजीत आदि ने बताया कि मेला 25 मार्च को संपन्न होता है। इसी दिन संत शिरोमणि बाबा मोलडऩाथ मेला संपन्न होगा। ऐसे में जो भक्त निशान लेकर पदयात्रा करते हैं उनके लिए जगह जगह कैंप लगाये गये थे। जहां दवाइयां, पैरों की मसाज तथा खाना आदि मुफ्त दिया जाता रहा है।
  उधर भक्तजन कृष्ण कुमार, विजयपाल, अश्विनी कुमार, महिपाल सिंह, नेमीचंद ने बताया कि वे खाटूश्याम पर निशान चढ़ाकर आये हैं। रास्ते में बेहतर सेवा भक्तों की होती है। मेले में अपार भक्त पहुंचते हैं जिनको किसी प्रकार की तकलीफ नहीं होने दी जाती है। विगत वर्ष भी जहां कोरोना के वक्त मेला चला था वहीं इस वर्ष भी कोरोना की मार भक्तों ने झेली हैं। किंतु भक्तों का हौसला कम नहीं हुआ।
फोटो कैप्शन 1: मेले में निशान ले जाते हुये भक्त।


सुंदराह केंद्र पर हाई तकनीकी प्योद करवाये तैयार
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कनीना। सुंदराह एकीकृत बागवानी विकास केंद्र पर उच्च तकनीक से प्योद तैयार की जा रही है जिस पर 50 पैसे प्रति प्योद किसान को खर्च उठाना पड़ता है।
विस्तृत जानकारी देते हुए बागवानी विभाग के सुपरवाइजर अंकुश ने बताया कि यदि किसान अपने पास से बीज लाकर दे तो उनकी प्योद 50 पैसे प्रति प्योद के हिसाब से प्योद तैयार करके दी जाएगी। यदि आईएचडी स्कीम के तहत किसान बीज एवं प्योद बुकिंग करवाना चाहें तो उन्हें 50 फीसदी अनुदान बीज एवं प्योद पर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि बागवानी विकास केंद्र पर बीमारी रहित तथा बेहतर दर्जे की प्योद तैयार की जाती हैं। इस मौके पर एचडीओ राहुल कुमार भी उपस्थित थे।


परीक्षा के दृष्टि
















गत स्कूलों का समय बदला
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 कनीना। हरियाणा प्रदेश के स्कूलों में कक्षा पहली से आठवीं तथा 9वीं व 11वीं की सत्र 2020-21 की वार्षिक परीक्षा 26 मार्च 2021 से प्रारंभ हो रही है जिसके लेकर स्कूलों का समय प्रात: 9:30 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक का रहेगा। विस्तृत जानकारी देते हुए वरिष्ठ प्राचार्य अभय यादव ने बताया कि केवल वही विद्यार्थी विद्यालय में आएगा इसकी परीक्षा होगी । यदि कोई यदि 9वी और 11वीं कक्षा का विद्यार्थी कोरोना पाजिटिव पाया जाता है तो नेगेटिव रिपोर्ट आने तक विद्यालय अपने स्तर पर परीक्षा लेगा। जिन विद्यार्थियों में कोरोना के लक्षण जाने की संभावना है उन्हें अलग से कमरे में बिठाया जाएगा।

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