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Thursday, September 4, 2025


 


शिक्षक से राष्ट्रपति पद तक पहुंचे थे डा सर्वपल्ली राधाकृष्णन
--सर्वपल्ली गांव में जन्में थे वो     
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कनीना की आवाज।
पांच सितंबर का दिन एक महान विद्वान,लेखक,आलोचक,विचारक और शिक्षक से राष्ट्रपति तक पहुंचने वाली विभूति के जन्म दिन के रूप में मनाया जाता है। उस महान विभूति का नाम डा. एस राधाकृष्णन है जो युगों-युगों तक शिक्षक समाज के लिए प्रेरणा के स्त्रोत माने जाते रहेंगे।
   डा. राधकृष्णन का जन्म पांच सितंबर 1888 को तिरुपति, आंध्र प्रदेश में हुआ था। 1903 में मद्रास से मैट्रिक, 1905 में इन्टर तथा 1908 में दर्शन शास्त्र में स्नातकोत्तर कर मात्र 21 वर्ष की अल्पायु में ही 1909 में प्रेसीडेंसी कालेज में प्राध्यापक पद पर सुशोभित हो गए थे। 1921में कलकत्ता में नैतिक शास्त्र तथा 1935 में आक्सफोर्ड कालेज में प्रोफेसर नियुक्त हुए। 1939 में बनारस हिन्दु विवि के वाइस चांसलर तथा 1948 में विश्वविद्यालय आयोग के अध्यक्ष चुने गए। 1949 में तत्कालीन यूएसएसआर में राजदूत के पद पर भेजा गया। वे 1952 से 1962 तक दो बार उपराष्टï्रपति बने। 1954 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया। 13 मई 1962 को वे जब दूसरे राष्टï्रपति के पद पर सुशोभित हुए तो उनका जन्म दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
   राधाकृष्णन एक महान लेखक थे। 1908 में उन्होंने वेदान्त शास्त्र पुस्तक लिखी किंतु 1920 मे उनके द्वारा लिखी हुई 'समकालीन समाज में हिन्दू धर्मÓ का देश विदेश में प्रचार हुआ। 'द फिलासाफी ऑफ रविन्द्रनाथ टैगोरÓ लिखकर वे महान रचनाकार, समीक्षक व अंग्रेजी लेखकों की श्रेणी में आ गए। उन्होंने कई पुस्तकें लिखी। 1955व 1957 में जर्मन एवं इंग्लैंड ने उन्हें कई उपाधियों से सम्मानित किया। उन्होंने गीता का अनुवाद भी किया। महात्मा गांधी उनसे बहुत अधिक प्रभावित थे। एक बार महात्मा गांधी ने कहा था-आप मेरे कृष्ण हो और मैं आपका अर्जुन। इस महान विभूति का एक वर्ष की लंबी बीमारी के बाद 17 अप्रैल 1975 को काल ने लील लिया।
 राधाकृष्णन एकता के महान पुजारी थे। उनके अनुसार राष्ट्रीय एकता ईंट और गारे से नहीं बनाई जा सकती और न ही इसका निर्माण छैनी और हथौड़े से किया जा सकता। इसे तो चुपचाप लोगों के दिलों दिमाग में उत्पन्न करना होगा जिसका एकमात्र साधन शिक्षा है। जब वे विश्वविद्यालय आयोग के अध्यक्ष बने तब उन्होंने शिक्षा के विषय में कहा था-शिक्षा रोटी रोजी कमाने का साधन मात्र नहीं है और न ही विचारों का पालन पोषण करती है। और न हीं नागरिकता की पाठशाला है। यह तो आत्मा के जीवन का आरंभ है। मानवीय आत्मा का सत्य की खोज के लिए प्रशिक्षण है। वास्तव में शिक्षा दूसरा जन्म है।
   राधाकृष्णन के शिक्षक के विषय में सुन्दर विचार थे। उनके अनुसार-समाज में शिक्षक का स्थान महत्वपूर्ण है। वह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक बौधिक परंपराओं व तकनीकी कौशल सौंपने की प्रक्रिया का केंद्र बिंदु है। वह सभ्यता के दीपक को प्रज्वलित करने में सहायक होता है। वह केवल व्यक्तियों का मार्गदर्शक नहीं अपितु राष्टï्र के भाग्य का निर्माता होता है। शिक्षक को अपना दायित्व समझना चाहिए। वो महान शख्स हमारे बीच आज नहीं है किंतु कहते प्रतीत होते हैं:-
             दुनिया में आकर एक शख्स दे गया पैगाम,
             कभी न घटने पाए, अध्यापक तेरा सम्मान।  
   एक शिक्षक प्रत्युत्तर में कह रहा है:-
             तन,मन,धन से सेवा करें,बांटे खुलकर ज्ञान,
             कैसे घटेगा जाने वाले, अध्यापक का सम्मान।




मिलिये स्टेट अवार्डी शिक्षक डा. होशियार सिंह यादव से
-45 पुस्तकों की रचना करने वाला चलता है हमेशा साइकिल पर
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कनीना की आवाज।
  वर्ष 2022 में धनौंदा स्कूल से डा. होशियार सिंह यादव को स्टेट अवार्ड मिल चुका है। उन्होंने 45 पुस्तकों की रचना भी की है तथा अपने शिक्षण कार्य के लिए सदा ही जाने जाते हैं। आज भी उनसे पढ़ा हुआ विद्यार्थी उन्हें याद कर नतमस्तक हो जाता है। वे कालेज से लेकर नवोदय विद्यालयों सहित सरकारी विभिन्न विद्यालयों में सेवा दे चुके हैं। दो बार राज्यपाल से सम्मानित हो चुके हैं। उन्हें राज्य शिक्षक पुरस्कार का अभी तक कोई लाभ न मिलने से परेशान हैं। वे 30 अप्रैल 2024 को सेवानिवृत्त हो चुके हैं।  वे वर्ष 1995 में तदर्थ आधार पर सेवा में आये तथा 5 सितंबर 2022 को राज्य शिक्षक पुरस्कार मिला जबकि 30 अप्रैल 2024 में सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उनसे शिक्षा ग्रहण करने वाला विद्यार्थी उन्हें नहीं भूला सकता। एनएमएमएस हो या सांस्कृतिक कार्यक्रम उनकी भागीदारी बेहतर रही है। हर क्षेत्र में उनका योगदान कभी नहीं भूलाया जा सकता। वर्तमान में भी समाज सेवा में जुटे हुये हैं। परंतु शिक्षा विभाग की नीतियों के चलते उन्हें दो वेतनवृद्धियां और दो साल का सेवा विस्तार का लाभ नसीब नहीं हुआ।
उनके पढ़ाये हुए विद्यार्थी प्रोफेसर, डाक्टर, शिक्षक, प्राध्यापक, एवं ऊंचे पदों पर पदाधिकारी हैं।
सदा चलते हैं साइकिल पर--
एक ऐसी शख्सियत भी कनीना क्षेत्र की है, जिनके पास सरकारी नौकरी भी रही परंतु कभी किसी वाहन की ओर नहीं दौड़े, साइकिल पर ही चले और आज भी साइकिल पर चल रहे हैं। डा. होशियार सिंह यादव एक ऐसी शख्सियत है जो बचपन से ही साइकिल के शौकीन रहे। स्कूलों में शिक्षण के लिए भी साइकिल का प्रयोग किया और आज भी साइकिल पर ही चलते हैं और अभी चुस्त दुरुस्त है। हालांकि शिक्षा विभाग में 40 सालों तक शिक्षण कार्य निजी स्तर पर और सरकारी तौर पर किया, पास में पैसे भी रहे परंतु उन्होंने कभी किसी वाहन की नहीं सोची। आज वे बेशक सेवानिवृत्त नियुक्त हो चुके है लेकिन उनके हजारों विद्यार्थी आज भी उन्हें याद कर प्रसन्नचित हो जाते हैं। कालेज से लेकर सरकारी स्कूलों में श्री यादव ने जहां सादगी भरे कपड़े पहने हैं, कभी दिखावे पर नहीं उतरे परंतु कहावत है कि सादा जीवन उच्च विचार। अगर ऐसी भावना कहीं देखने को मिलती तो श्री यादव कनीना मेें है। जिस भी क्षेत्र में उतरते हैं अच्छा खासा नाम कमाते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में तो उनका कोई सानी नहीं है। जब तक पढ़ाया कभी किसी कुर्सी पर नहीं बैठे। शिक्षण कार्य दौरान ही उन्होंने 45 विभिन्न पुस्तकों की रचना की है। यही कारण है कि हरियाणा साहित्य अकादमी से पुरस्कार मिल पाया और क्षेत्र में नाम भी कमाया है। लेखन कार्य को देख तो वह भी उनका उतना ही बेहतरीन है जितना शिक्षण कार्य। सादगी भी इतनी बेहतरीन है जितने उनके सादे विचार है। आने वाली पीढ़ी शायद यह विश्वास नहीं करेगी कि इस प्रकार का व्यक्ति भी कनीना क्षेत्र में रहा होगा।  अब तक समय समय पर तीन बार राज्यपाल से सम्मानित हो चुके हैं। प्रशासन ने दर्जनों बार तो विभिन्न संस्थानों ने सैकड़ों बार पुरस्कृत किया हुआ है। उच्च लिखे पढ़े होने/पीएचडी के कारण वे डाक्टर कहलाते हैं। वर्षों के बाद पैदा होती है जो सादगी भरे जीवन में जीती है। उनको उनको एक आदर्श शिक्षक ही नहीं आदर्श इंसान और आदर्श लेखक भी कहा जा सकता है।
विश्व रिकार्ड धारक हैं-
डा. होशियार सिंह, कनीना का इंडियन बुक आफ वल्र्ड रिकार्ड में नाम पहले ही दर्ज हो चुका था और इंफ्लुअंस बुक आफ वल्र्ड रिकार्ड में नाम दर्ज हो गया है।
 इससे पहले उन्होंने लंदन बुक आफ वल्र्ड रिकार्ड में नाम दर्ज करवाया था। यही नहीं इंटरनेशनल बुक आफ वल्र्ड रिकार्ड में आईकानिक अवार्ड भी मिला था। साथ में ओरिएंट बुक आफ वल्र्ड रिकार्ड में भी नाम दर्ज हो चुका है। इसके अलावा चैंपियन बुक आफ वल्र्ड रिकार्ड में भी नाम दर्ज हो चुका है।
फोटो कैप्शन: डा. होशियार सिंह यादव




संजू धनौंदा का माडल रहा प्रथम
- शिक्षा विभाग पंचकूला से संयुक्त निदेशक संजीव कुमार रहे उपस्थित
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कनीना की आवाज।
राजकीय माडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना में खंड स्तरीय पर्यावरण विज्ञान प्रदर्शनी का  आयोजन किया गया। इस अवसर पर पूरे कनीना खंड से विभिन्न विद्यालयों के कुल 40 विद्यार्थियों ने भाग लेते हुए अपने-अपने नवोन्मेषी एवं रचनात्मक माडल प्रस्तुत किए।
  बच्चों ने प्रदूषण नियंत्रण, ऊर्जा संरक्षण, जल संरक्षण, अपशिष्ट प्रबंधन, सतत विकास एवं हरित ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर आधारित अपने माडल से सबका ध्यान आकर्षित किया।
प्रदर्शनी का शुभारंभ उप-जिला शिक्षा अधिकारी डा. विश्वेश्वर कौशिक एवं जिला विज्ञान विशेषज्ञ रविंद्र अग्रवाल के मार्गदर्शन में तथा विद्यालय के प्राचार्य सुनील खुडानिया की अध्यक्षता में हुआ। इस अवसर पर अति विशिष्ट अतिथि के रूप में डीएसई पंचकूला से संयुक्त निदेशक संजीव कुमार उपस्थित रहे।
निर्णायक मंडल की भूमिका राजकीय महाविद्यालय कनीना से रसायन विज्ञान के सहायक प्राध्यापक अजय प्रकाश, प्राणीशास्त्र के सहायक प्राध्यापक राकेश कुमार एवं भौतिकी के सहायक प्राध्यापक राहुल कुमार ने निभाई।
राजकीय माडल स्कूल धनौंदा की संजू ने प्रथम स्थान प्राप्त कर विद्यालय व क्षेत्र का नाम रोशन किया। राजकीय उच्च विद्यालय के अंकित को द्वितीय स्थान, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय पोता के गणेश को तृतीय स्थान तथा राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना मंडी की सुप्रिया को सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया। विजेताओं को क्रमश: 8000 रुपये, 6000 रुपये, 4000 रुपये एवं 2000 रुपये की नगद राशि पुरस्कार स्वरूप दी जाएगी।
सभी प्रतिभागी विद्यार्थियों को प्रशंसा प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। साथ ही, पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए विद्यालय प्रबंधन की ओर से सभी निर्णायकों एवं विशिष्ट अतिथियों को पौधे भेंट किए गए, जिससे समाज में हरित पर्यावरण एवं जागरूकता का संदेश प्रसारित हो सके।
समापन अवसर पर प्राचार्य सुनील खुडानिया ने सभी अतिथियों, निर्णायकों एवं विद्यार्थियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस प्रकार की प्रतियोगिताएं विद्यार्थियों को अनुसंधान, रचनात्मकता एवं नवाचार की दिशा में प्रोत्साहित करती हैं और भविष्य में वे पर्यावरण संरक्षण तथा विज्ञान के क्षेत्र में नई ऊंचाइयां हासिल करेंगे।
 इस मौके पर कार्यक्रम के  संचालन के लिए विद्यालय प्राचार्य ने विज्ञान एवं गणित विभाग के तीन प्रवक्ताओं नितिन मुद्गिल, गुरदीप सिंह एवं संदीप कुमार की समिति बनाई थी। मंच संचालन विद्यालय के हिंदी प्रवक्ता नरेश कुमार ने किया।
फोटो कैप्शन 09: संयुक्त निइेशक शिक्षा विभाग विज्ञान प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए


 
कारगिल शहीद अशोक कुमार की 26वीं पुण्यतिथि पर हवन यज्ञ
-नम आंखों से दी श्रद्धांजलि
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कनीना की आवाज।
कनीना उप-मंडल के गांव सिहोर में कारगिल शहीद अशोक कुमार संपदा सोसायटी (रजि.) की ओर से शहीद स्मारक पर हवन यज्ञ का आयोजन किया गया। इस अवसर पर शहीद अशोक कुमार को उनकी 26वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। 2 मिनट का मौन रखकर शहीद को नमन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि दड़ोली आश्रम के संचालक स्वामी समर्पणानंद महाराज रहे।
   उन्होंने कहा कि शहीद किसी एक जाति या धर्म के नहीं होते, वे पूरे देश के होते हैं। श्रद्धांजलि कार्यक्रम के दौरान शहीद अशोक कुमार की मां भतेरी देवी अपने आंसुओं को रोक नहीं पाईं। भाई राजवीर सिंह ने बताया कि हवन यज्ञ कर शहीद की आत्मा को शांति के लिए प्रार्थना की गई।
शहीद अशोक कुमार का जीवन परिचय-
1 नवंबर 1977 को जन्मे अशोक कुमार की
खेलों में विशेष रुचि, गांव के मैदान में फुटबाल खेलना प्रिय था। 1 मार्च 1997 को रानीखेत में खुली भर्ती में 13 कुमाऊं रेजीमेंट में भर्ती हुए।
ट्रेनिंग पूरी करने के बाद सियाचिन ग्लेशियर पर ड्यूटी, फिर कारगिल युद्ध में भेजा गया। कारगिल युद्ध में 5685 प्वाइंट  तुरतूक पहाड़ी पर दुश्मनों को मारकर कब्जा किया।युद्ध के दौरान वीरगति प्राप्त की। मरणोपरांत सैन्य सेवा मेडल से सम्मानित।
 फोटो कैप्शन 06: शहीद अशोक कुमार की 26वीं पुण्यतिथि पर हवन यज्ञ में श्रद्धांजलि अर्पित करते स्वामी समर्पण आनंद महाराज एवं परिजन।




शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक संजीव कुमार ने कनीना के कई स्कूलों का किया निरीक्षण
--दी अनेक हिदायतें
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कनीना की आवाज।
माध्यमिक शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक संजीव कुमार एचसीएस ने राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना मंडी निरीक्षण किया। उनका स्वागत विद्यालय के प्राचार्य नरेश कुमार कौशिक ने फूलों का गुलदस्ता भेंट करके किया। निरीक्षण के केंद्र बिंदु कंप्यूटर लैब, आइसीटी लैब तथा  विज्ञान विषयों की प्रयोगशालाएं रही तथा सघन निरीक्षण के पश्चात संबंधित कक्षाअंो का निरीक्षण, अध्यापकों की दैनिक डायरी तथा कक्षा में प्रयोग किए जा रहे स्मार्ट बोर्ड की उपयोग के बारे में विस्तृत जानकारी ली।
  संयुक्त निदेशक ने  विशेष हिदायत दी कि विद्यार्थियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास करना तथा शिक्षण में नवाचार शामिल व गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रदेश सरकार व शिक्षा विभाग कृत संकल्प है। इससे पूर्व संयुक्त निदेशक ने माडल संस्कृति स्कूल कनीना में खंड स्तरीय विज्ञान माडल प्रदर्शनी का अवलोकन किया तथा विद्यार्थियों को बेहतर वैज्ञानिक सोच के साथ एआई तकनीक के विभिन्न आयामों पर विचार करने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर उन्होंने विद्यालय में दोपहर भोजन को भी चखा तथा विद्यालय की भाषा प्रयोगशाला ,आइसीटी प्रयोगशाला व बुनियाद की प्रयोगशाला का भी निरीक्षण किया । इस अवसर पर खंड शिक्षा अधिकारी विश्वेश्वर, प्रवक्ता नितिन मुदगिल, सचिन, संदीप कुमार, प्राचार्य सुनील कुमार सहित समस्त स्टाफ उपस्थित था। तत्पश्चात उन्होंने राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ककराला तथा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय रामबास का भी निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उनके साथ  डालनवास के प्राचार्य रमन शास्त्री उपस्थित थे ।
फोटो कैप्शन 07: संयुक्त निदेशक संजीव कुमार एचसीएस का राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना मंडी में स्वागत करते नरेश कौशिक प्राचार्य






प्रकृति की मार के सामने रोटी रोजी नजर आई छिनती
-खेती का सहारा वो भी हुआ बेसहारा, किसान रोने को मजबूर
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कनीना की आवाज।
 कनीना और आसपास क्षेत्रों में जहां इस वर्ष अब तक 500 एमएम से अधिक वर्षा हो चुकी और वर्षा का दौरा अभी भी जारी है। किसानों की कपास की फसल पूर्णतया बर्बाद हो चुकी है बाजरे में भी अब किसानों को कुछ बचता नजर नहीं आ रहा है और तो और पशुओं के लिए उपयोगी चारा भी खराब हो गया है। सैकड़ों किसानों ने जिनके पास कोई अन्य रोटी रोजी का सहारा नहीं था, यह सोचकर बाजरे की फसल उगाई थी कि सरकारी भाव अच्छे मिलेंगे वही कपास के भी अच्छे भाव मिलने की संभावना थी लेकिन उन्हें क्या मालूम था कि उनकी रोटी रोजी प्रकृति छीन लेगी। अब फसल पूर्ण रूप से बर्बाद हो गई है, कुछ किसान तो ऐसे हैं जिन्होंने जमीन जोतने के लिए जमींदारों से ली थी किंतु उन पर भी प्रकृति का कहर बरपा है। अब उनको इस साल कठिनाई से जीवन यापन करना पड़ेगा या किसी से उधार लेकर ही अपने बच्चों की पढ़ाई करानी पड़ेगी। कुछ किसान ऐसे मिले जिनकी इस बार रोटी रोजी नष्ट होती नजर आ रही है।
** किसान एक- महेंद्र सिंह जिसके पास केवल एक एकड़ जमीन है। अन्य कोई रोटी रोजी का सहारा नहीं है। आशा के साथ बाजरा बोया था, यह सोचकर कि उसके दो बच्चे पढ़ते हैं, दोनों की पढ़ाई का खर्चा भी पैदावार से निकल जाएगा और घर का गुजारा भी हो जाएगा किंतु उन्हें क्या मालूम था कि अधिक वर्षा उनकी एक एकड़ की फसल को ही बर्बाद करके रख देगी। महेंद्र सिंह असहाय नजर आये। उन्होंने कहा कि जैसी दाता की इच्छा, जिस हाल में रखेंगे वैसे रहना पड़ेगा।
 रविदत्त किसान जिसके पास डेढ़ एकड़ जमीन है। घर में और कमाने वाला नहीं है। दो बच्चे हैं जिनमें से एक परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है। रवि दत्त ने बताया कि उन्हें इस बार विश्वास था कि अच्छी पैदावार होगी और बच्चे की अच्छी कोचिंग दिलवाई जा सकेगी किंतु उनकी आशा उस समय धूमिल हो गई जब उनकी फसल मिट्टी में मिल गई। उनका कहना है कि अब तो फसल कटाई की भी जरूरत नहीं है, फसलों में पानी भर गया है फसल बर्बाद हो गई है लेकिन अब हिम्मत के अलावा और कोई चारा नहीं है।
किसान कांता- पति और पत्नी दोनों बेरोजगार है। दोनों के पास आधा एकड़ जमीन है। तीन बच्चे हैं जो पढ़ते हैं। इसी से रोटी रोजी चलाते हैं। बच्चों की पढ़ाई का खर्चा भी वहन करना पड़ता है। उन्हें आशा थी कि अच्छी पैदावार होगी। विशेषकर सब्जी उगाने की सोची थी। बीज भी बोये थे वर्षा ने खराब कर दिये। फसल बर्बाद हो गई। ऐसे में रोटी रोजी का कोई सहारा नहीं बचा लेकिन उनका कहना है कि जिस रूप में प्रभु रखना चाहे,रहना पड़ेगा। कहीं से उधार लेकर गुजर बसर करेंगे।   किसान जगदीश जिसके पास डेढ़ एकड़ जमीन है। दो बच्चे हैं, दोनों बेरोजगार हैं। कुछ बकरी पाल कर गुजारा करते हैं किंतु इस बार उनकी फसल भी बर्बाद हो गई और चारा भी उपलब्ध नहीं हो पाएगा। ऐसे में उनका कहना है कि अब तो गुजर बसर करने के लिए किसी से उधार लिया जाएगा या फिर सरकार से उम्मीद है कि सरकार उन्हें कुछ मुआवजा दे तो गुजर बसर हो पाएगा।
किसान राजेश कुमार, जिसने पांच एकड़ जमीन ठेके पर ली थी। उन्हें क्या मालूम था कि इस बार उनकी फसल बर्बाद हो जाएगी और जमींदार को दी गई राशि भी पूरी नहीं हो पाएगी।  तीन लड़कियां है, जिनकी पढ़ाई भी और भविष्य में शादी भी करनी है। ऐसे में उनके सामने भी रोटी रोजी का संकट छाया हुआ है।
किसान सज्जन सिंह जिनके पास कोई जमीन नहीं है। 6 एकड़ जमीन जोतने के लिए ली थी, वह भी बर्बाद हो गई है। दो छोटे बच्चे हैं जिनकी पढ़ाई के लिए भी फीस वहन करनी पड़ेगी। ऐसे में पशुओं के लिए चारा तथा रोटी रोजी का संकट छाता नजर आ रहा है ऐसे अनेक कैसे और भी देखने को मिला।
किसान सुरेश कुमार दो एकड़ जमीन है सारी पर उगाई गई फसल बर्बाद हो गई। अब उनके लिए अन्य कोई विकल्प नहीं बचा है। महज सरकार द्वारा मिलने वाला मुआवजा ही सहारा साबित होगा।
 फोटो कैप्शन: कांता, महेंद्र, राजेश, रविदत्त, सज्जन सिंह, सुरेश कुमार


फिर हुई कनीना क्षेत्र में वर्षा, फसल बर्बादी का दौर जारी
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कनीना की आवाज।
 कनीना क्षेत्र में आए दिन वर्षा होती है जिसके चलते क्षेत्र के कपास और बाजरे की फसल में नुकसान का दौर जारी है। किसानों की माने तो बाजरे की फसल कपास की फसल बचने की अब कोई संभावना नहीं रही है जबकि बाजरे का खराब होने का दौर जारी है। किसान मौसम खुलने का इंतजार कर रहे हैं लेकिन मौसम विभाग अभी 15 सितंबर तक इसी प्रकार का मौसम रहने की बात कह रहा है। ऐसे में किसान अब केवल सरकार पर आश्रित हैं। सरकार ने क्षतिपूर्ति के लिए ई-पोर्टल तो खोल दिया है ताकि अपनी फसलों की क्षति की जानकारी पोर्टल पर अपलोड कर सकें। पोर्टल खोलने के बाद जहां किसान त्वरित गति से फसलों की क्षति की जानकारी पोर्टल पर देने लग गए हैं। किसानों की मांग है कि अब अधिक से अधिक मुआवजा मिले। यदि मुआवजा कम मिलता है तो उनकी फसल क्षति की भरपाई नहीं हो पाएगी।
ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल खोला, 15 सितंबर तक अपलोड कर सकते हैं नुकसान की रिपोर्ट-
मानसून सीजन 2025 के दौरान भारी वर्षा और जल भराव से प्रभावित किसानों को राहत नहीं देने की उद्देश्य से सरकार ने खरीफ फसलों को हुए नुकसान के दावो को ई- क्षतिपूर्ति पोर्टल पर अपलोड करने का निर्णय लिया है। इसके लिए 15 सितंबर 2025 तक खोला गया है।
वित आयुक्त, राजस्व एवं अतिरिक्त मुख्य सचिव, हरियाणा सरकार, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि इसमें महेंद्रगढ़ जिले के सभी गांवों को शामिल किया गया है।
सभी संबंधित प्रशासनिक अधिकारी और विभागीय अधिकारी इस संबंध में किसानों तक जानकारी पहुंचाने के लिए आवश्यक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करेंगे, ताकि कोई भी पत्र किस दवा दाखिल करने से वंचित न रहे।
गौरतलब है कि इससे पहले क्षतिपूर्ति  पोर्टल तो खोल दिया गया था, लेकिन उसमें महेंद्रगढ़ जिले के किसानों के लिए आप्शन नहीं आ रहा था।
अब सरकार ने पोर्टल को ओपन कर दिया है  विकास एवं निगरानी समिति सदस्य चौधरी रामनिवास खेड़ी ने बताया कि महेंद्रगढ़ अकेला ऐसा जिला है जिसके सभी गांव क्षतिपूर्ति पोर्टल के लिए खोले गए हैं।
फोटो कैप्शन 04: बाजरे की काटकर डाली गई फसल पूर्णरूप से नष्ट




उप-प्रधान पद का चुनाव 6 सितंबर को,
--चौथी बार हुई है घोषणा, न्यायालय के आदेश पर लिया गया है यह फैसला
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कनीना की आवाज।
 कनीना नगर पालिका बालिका के प्रधान पद का चुनाव 6 सितंबर को निर्धारित किया गया है। यह फैसला प्रशासन ने पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश पर लिया है। जहां कनीना पालिका के नवनियुक्त प्रतिनिधियों ने 25 मार्च 2025 को पंचकूला में शपथ ले ली थी। यदि कोई प्रतिनिधि बच गया तो उनको भी उप प्रधान के चुनाव वाले दिन शपथ दिलाई जाएगी। इस संबंध में कनीना एसडीएम ने एक पत्र जारी करते हुए प्रधान एवं सभी पार्षदों को सूचना दे दी है तथा उन्होंने बताया कि उप प्रधान चुनाव वाले दिन नगरपालिका में एक घंटे के लिए पहले दिशा निर्देश जारी किए जाएंगे फिर नामांकन पत्र प्राप्त किए जाएंगे, जांच होगी नाम वापस लेने का भी समय दिया जाएगा, यदि आवश्यक हुआ तो मतदान दोपहर 12 से 1 बजे तक चलेगा तुरंत बाद परिणाम की घोषणा कर दी जाएगी। इस संबंध में उन्होंने कहा है कि कुछ इच्छुक उम्मीदवार एक प्रस्ताव तथा एक समर्थक सहित अपना नामांकन भर सकते हैं।
15 दिनों में करवाये जाए कनीना पालिका उप-प्रधान के चुनाव न्यायालय आदेश--
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में कनीना नगर पालिका के उप- प्रधान बनने के बारे में गत दिनों सुनवाई हुई।
एडवोकेट आदित्य यादव एवं सत्यनारायण यादव द्वारा हाईकोर्ट में पार्षदों एवं अन्य लोगों की तरफ से/कुल 8 लोगों द्वारा याचिका दायर की थी कि एक बड़े नेता अपने चहेते को उप-प्रधान बनवाना चाहते हैं इसलिए नगर पालिका उप-प्रधान का बार-बार स्थगित कर दिये जाते हैं।
 एडवोकेट सत्यनारायण ने बताया कि हाई कोर्ट में सरकार की तरफ से कहा गया है कि 15 दिन के अंदर अंदर नगर पालिका के उप-प्रधान का चुनाव करवा दिया जाएगा।  उल्लेखनीय है कि 12 अप्रैल को कनीना पालिका के चुनाव संपन्न हुये थे किंतु अभी तक उप प्रधान का चुनाव नहीं हो सका है। इससे पहले जहां 18 अप्रैल को पहली बार, 26 अप्रैल को दूसरी बार फिर 20 जून को तीसरी बार उप प्रधान पद के लिए तिथि घोषित हुई थी जो स्थगित कर दी गई। कनीना के 14 वार्डों से चुने हुए प्रतिनिधि तथा प्रधान पद का प्रतिनिधि सहित 8 पार्षदों से कोरम पूरा होना है तथा उप-प्रधान पद को बहुत अधिक जरूरत समझा जा रहा है क्योंकि विकास कार्यों में अहं योगदान होगा।
फोटो कैप्शन 05: कनीना नगरपालिका








कनीना महाविद्यालय में उद्यमिता पर हुईं विभिन्न गतिविधियां
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कनीना की आवाज।
पीकेएस राजकीय महाविद्यालय में बृहस्पतिवार को महाविद्यालय के प्राचार्य विनोद कुमार की अध्यक्षता में  उद्यमिता पखवाड़े का समापन किया गया। कार्यक्रम के संयोजक  सहायक प्राध्यापक संदीप कुमार ककरालिया ने बताया कि उद्यमिता पर विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया जिसमें विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़कर स्लोगन राइटिंग, पोस्टर मेकिंग, निबंध लेखन, वाद-विवाद में भाग लिया।
   उन्होंने कहा कि जब मन में कुछ करने का लक्ष्य है तो किसी भी छोटे उद्योग को हम किसी भी ऊंचे मुकाम तक ले जा सकते हैं। विद्यार्थियों ने बढ़-बढ़चढ़कर विभिन्न गतिविधियों में भाग लिया। पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता में रोहित प्रथम, वर्षा और शीतल द्वितीय तथा महक और नेहा  तृतीय, मुस्कान ने सांत्वना पुरस्कार  प्राप्त किया। कार्यक्रम में डा.महेश, डा. कांता, डा.हरिओम, डा. सोमवीर,  डा.यतेंद्र सिंह, डा.बलराज, डा. संदीप , डा. रविंद्र, और महाविद्यालय के अन्य कर्मचारी उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 01: उद्यमिता दिवस पर कनीना कालेज में पोस्टर मेकिंग में भाग लेते हुए पिद्यार्थी



वार्ड 9 में कई दिनों से सप्लाई हो रहा है गंदा जल
 -अधिकारी एक सप्ताह में ठीक करने का दे रहे हैं आश्वासन
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कनीना की आवाज।
 कनीना के वार्ड नौ में गंदे पानी सप्लाई की लंबे समय से समस्या चली आ रही है। वहीं वार्ड से रवि कुमार, सुरेश कुमार, अमन कुमार, रमन कुमार, संतरा देवी आदि ने बताया कि उनके यहां सप्लाई जल इतना गंदा होता है कि जोहड़ का पानी भी उससे साफ होता है। उन्होंने सरकार से बार-बार मांग की है कि इस प्रकार सप्लाई  गंदे जल को रोका जाए वरना लोगों में बीमारी फैलने का अंदेशा बन जाएगा। अभी तक कई बार के जन स्वास्थ्य विभाग को सूचित कर दिया है। लोगों में रोष है। लोगों का कहना है कि इस पानी को पीने से कोई भी रोग किसी भी समय लग सकता है। ऐसे में रोगों से बचने के लिए कम से कम साफ जल सप्लाई करने की मांग की है। इस संबंध में लोगों से बात की गई जिनके विचार निम्र हैं-
*** गंदा जल सप्लाई होने से परेशानी बढ़ गई है। जल इतना दूषित होता है कि किसी तालाब का पानी लाया जाए तो वह इससे बेहतर होगा। ऐसे में लोग मजबूरन नालियों में इस पानी को बहा देते हैं। यह तो कपड़े धोने के काम भी नहीं लाया जा सकता।
-- आलोक कुमार ,वार्ड वासी
 वाटर सप्लाई का पेयजल कहने को पेयजल है किंतु इसको पशु भी नहीं पीते। यह जल इतना दूषित है कि किसी भी काम में नहीं लिया जा सकता। ऐसे जल सप्लाई करने से बेहतर है सप्लाई ही न की जाए। मजबूरन लोग पेड़ पौधों में इस पानी को डाल रहे हैं।
-- मनीष जांटीवाल
 वार्ड नौ में सप्लाई होने वाला जल बीमारी फैला सकता है। सप्लाई जल में शिविर का जल मिल रहा है लेकिन विभाग अभी तक यह पता नहीं लगा पाया है कि यह गंदा और शुद्ध जल कहां मिलते हैं? इसे अविलंब ठीक किया जाए।
-- सुनील कुमार निवासी कनीना
इस संबंध में जेई वाटर सप्लाई तथा एसडीएम को भी पत्र लिखा जा चुका है किंतु अभी तक पेयजल सप्लाई दुरुस्त नहीं हुई है। लंबे समय से गंदा जल सप्लाई हो रहा है।
- नितेश कुमार ,वार्ड पार्षद
वैसे यह समस्या आज की नहीं अपितु मई माह से चली आ रही है। जेब से कनीना मंडी सड़क मार्ग बनाया गया है उसके बाद से यह गंदा जल सप्लाई हो रहा है। भ्रसक प्रयास किये जा रहे हैं कि गंदा और शुद्ध जल कहां आपस में मिल रहे हैं पता लगाया जा रहा है। सड़क मार्ग को तोड़ा नहीं जा सकता। यह जल दो जगह जाता है, बारी-बारी से वाल्व लगाकर पता लगाया जा रहा है कि किस जगह से अशुद्ध जल शुद्ध में मिल रहा है? आने वाले एक सप्ताह में इस समस्या को दूर कर दिया जाएगा।
- तेज बहादुर सिंह जेई, वाटर सप्लाई ,कनीना फोटो कैप्शन दो व तीन सप्लाई होने वाला दूषित जल। साथ में आलोक कुमार ,मनीष कुमार ,नितेश कुमार सुनील की पासपोर्ट



7 सितंबर को भारत में दिखाई देगा ब्लड मून चन्द्र ग्रहण
--इस साल का अंतिम चंद्र ग्रहण, नंगी आंखों से भी देख सकते हैं
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कनीना की आवाज।
07 सितंबर को भारत सहित पूरी दुनिया में इस साल का  अंतिम चन्द्र ग्रहण होगा। भाद्रपद की पूर्णिमा के दिन लगने वाला  पूर्ण चन्द्र  ग्रहण जो भारतवर्ष में दिखाई देगा।  7 सितंबर को पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा जब पृथ्वी की पूरी छाया चंद्रमा को ढक लेती है इस दौरान चंद्रमा का गहरा लाल रंग का दिखाई देता है क्योंकि सूर्य की रोशनी पृथ्वी के वायुमंडल से छानकर चंद्रमा तक पहुंचती है।
 इसे ब्लड मून चन्द्र ग्रहण भी कहते है। इस अद्भुत घटना 07 सितंबर को भारतीय समय के अनुसार रात 8:58 से शुरू होकर 08 सितंबर की सुबह 2:25 तक रहेगा। यह चन्द्र ग्रहण 11:41 बजे पूर्ण ग्रहण में बदल जाएगा। चंद्रमा का रंग लाल दिखाई देगा। चन्द्र ग्रहण की अवधी  5 घण्टे  27 मिनट की होगी।
चन्द्र ग्रहण उस खगोलीय स्थिति को कहते हैं जब चन्द्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया मे आ जाता है। ऐसा तभी होता है जब जब सूर्य ,पृथ्वी ,और चन्द्रमा इस क्रम में लगभग एक सीधी रेखा में अवस्थित हो। चन्द्र ग्रहण केवलं पूर्णिमा को घटित हो सकता है। यह चन्द्र ग्रहण मे चन्द्रमा पहले काले फीर धीरे धीरे सुर्ख लाल रंग मे तब्दील हो जायेगा ।
    पृथ्वी अपने उपग्रह, चांद को लेकर जब सूरज के चक्कर लगाती है तो पूर्णिमा के दिन सूरज और चांद के बीच में पृथ्वी आ जाती है और सूरज की रोशनी को चांद पर पडऩे से रोक देती है, इस कारण चंद्रमा की चमक खत्म हो जाती है और चांद की सतह काली या कम चमकीली पड़ जाती है। चांद की इस स्थिति को चंद्र ग्रहण कहते हैं। चंद्र ग्रहण पूर्ण या आंशिक हो सकता है। यह एक खगोलीय घटना है और विज्ञान का नियम है।
 ग्रहण का उपयोग कुछ स्वार्थी लोग जानबूझकर अपने स्वार्थ सिद्धि और  उदर पूर्ति  के लिए कर रहे  हैं। वे इससे आदमी को डराते हैं उन्हें उन में खौफ पैदा करते हैं और वह मनुष्य की अज्ञानता, अनजानपन और अनभिज्ञता का लाभ उठाते हैं, उनमें अंधविश्वास फैलाते हैं और वह आदमी  और  आदमियत को बौना बनाते हैं।
    धर्मपाल शर्मा ने बताया कि चंद्र ग्रहण में किसी भी राहु या केतु का कोई रोल नहीं है क्योंकि राहुल या केतु आकाश में कोई बिंदु नहीं हैं, कोई ग्रह या उपग्रह नहीं हैं। इनका कोई अस्तित्व नहीं है, इनसे हमें डरने की जरूरत नहीं है। ग्रहण के दिन हमें अपने बच्चों को डराना नहीं चाहिए और ना ही डरना चाहिए। यह एक अद्भुत नजारा है, प्रकृति का चमत्कार है हमें इसका भरपूर आनंद लेना चाहिए और अपने बच्चों को इसके बारे में पूरी जानकारी देनी चाहिए इससे कोई अहित, हानि या समस्या  होने वाला नहीं है। यह एक खगोलीय घटना है, इसको इसी रूप में लीजिए। इससे देखने में कोई तकलीफ नहीं होने वाली है। अपने बच्चों को अंधविश्वासों के भंवर से निकाले ।
ध्यान रहे सूर्य ग्रहण को नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए किंतु चंद्र ग्रहण को नंगी आंखों से देखना चाहिए।



5 सितंबर शिक्षक दिवस पर विशेष
खंड कनीना में 63 वर्षों में चार शिक्षकों को मिल चुका है राज्य शिक्षक अवार्ड
-दो हो चुके हैं सेवानिवृत्त, दो अभी भी कार्यरत
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कनीना की आवाज।
कनीना खंड में विगत 63 वर्षों के इतिहास में महज चार शिक्षकों को हरियाणा राज्य शिक्षक पुरस्कार मिला है जिनमें से दो सेवा में हैं और दो सेवानिवृत्त हो चुके हंै। वर्ष 2020 में कोरोना के चलते राज्य के किसी भी शिक्षक को कोई अवार्ड नहीं दिया गया।  इन चार में से दो दिव्यांग हैं। 5 सितंबर 1962 से डा सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा था जो अभी भी जारी है।
    बेहतर शिक्षण पर मिला था अवार्ड-
 कनीना प्रखंड के गांव ककराला निवासी एवं रसूलपुर स्कूल से मुख्याध्यापक पद से सेवानिवृत्त बनवारीलाल को कनीना के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना में बतौर समाजशास्त्र प्रवक्ता काम करते हुए 2006 में हरियाणा शिक्षक अवार्ड से सम्मानित किया गया था। आज भी जनसेवा में जुटे हुए हैं। उन्होंने दो साल की अतिरिक्त सेवा का लाभ भी मिला था। कनीना खंड के पहले अवार्डी शिक्षक रहे हैं। बेहतर शिक्षण के कारण मिला था अवार्ड। उन्होंने वन महोत्सव में बढ़ चढ़ कर भाग लिया, पेड़ पौधे न केवल लगाए अपितु संरक्षण भी किया, रक्तदान हो या फिर बेहतर परीक्षा परिणाम हर जगह समाजसेवा में उनका नाम अग्रणी रहा है।
बनवारी लाल पहले विज्ञान अध्यापक रहे हैं। हर विद्यार्थी उनकी शिक्षण कला से प्रभावित था। बाद में समाजशास्त्र के प्रवक्ता बने और मुख्याध्यापक बने और बतौर 2011 को बतौर मुख्याध्यापक रसूलपुर से सेवानिवृत्त हुये हैं। बेशक दुर्भाग्यवश उनके एक पैर पर बिजली का पोल गिरकर दिव्यांग बना दिया था।
   हर क्षेत्र में अग्रणी रहे हैं वीरेंद्र सिंह कैमला-
 वीरेंद्र सिंह मौलिक मुख्य अध्यापक राजकीय माध्यमिक विद्यालय कैमला खंड कनीना जिला महेंद्रगढ़ में 2 जून 2014 से कार्यरत हैं तब से लेकर अब तक उन्होंने विद्यालय में पूर्ण नैतिकता समर्पण भाव के साथ कार्य किया है। एक रेल दुर्घटना में अपने दोनों पैर गंवा देने के बाद पूर्ण दिव्यांग होने के उपरांत भी उन्होंने कड़ी मेहनत लगन निष्ठा विद्यार्थियों के साथ लगातार शैक्षिक उपलब्धियों में नए-नए आयाम सफलता के प्राप्त किए हैं। जिला व खंड स्तर पर उनका विद्यालय हमेशा प्रथम रहता है। राष्ट्रीय पर्व पर विद्यालय की प्रथम और द्वितीय स्थान पर रहा है। एनएमएमएस में 4 वर्षों से लगातार विद्यालय के बच्चों का चयन हुआ है। पिछले 15 साल से सभी शैक्षिक उपलब्धियों उत्कृष्ट है। पिछले 20 वर्षों से सेवाकाल के दौरान उनका शत-प्रतिशत परीक्षा परिणाम रहा है। मुख्यमंत्री सौंदर्यीकरण स्कीम में विद्यालय जिला स्तर पर प्रथम रहा था। वे सेवा में 16 जनवरी 1997 में तदर्थ आधार पर बतौर हिंदी शिक्षक सेवा में आये और अब मुख्याध्यापक बतौर कार्यरत हैं। वे 2032 में सेवानिवृत्त होंगे।
हर क्षेत्र में रही है उपलब्धि-
प्रमिला पत्नी कुलदीप कुमार जेबीटी अध्यापिका वर्ष 2000 में सेवा में आई तथा वर्तमान में पाथेड़ा में हिंदी शिक्षिका बतौर कार्यरत है। अध्यापिका शुरुआत से होनहार रही है। उन्हें भी 5 सितंबर 2019 में राज्य शिक्षक अवार्ड से सम्मानित किया गया था। अति मृदुभाषी एवं अपने शिक्षण कार्य में लीन रहने वाली प्रमिला हर क्षेत्र में उपलब्धि प्राप्त होने के बाद ही उन्हें यह अवार्ड मिला है। उन्हें भी दो वर्ष अतिरिक्त सेवा का मौका दिया जाएगा। वे आठ नवंबर 2000 से बतौर जेबीटी सेवा में आई थी और अब हिंदी शिक्षिका हैं। वे 2039 में सेवानिवृत्त होंगी।
 पढ़ाये हुए बच्चे हैं प्रोफेसर एवं डाक्टर-
वर्ष 2021 में धनौंदा स्कूल से डा. होशियार सिंह यादव को स्टेट अवार्ड मिल चुका है। उन्होंने 45 पुस्तकों की रचना भी की है तथा अपने शिक्षण कार्य के लिए सदा ही जाने जाते हैं। आज भी उनसे पढ़ा हुआ विद्यार्थी उन्हें याद कर नतमस्तक हो जाता है। वे कालेज से लेकर नवोदय विद्यालयों सहित सरकारी विभिन्न विद्यालयों में सेवा दे चुके हैं। दो बार राज्यपाल से सम्मानित हो चुके हैं।  वे 30 अप्रैल 2024 को सेवानिवृत्त हो चुके हैं।  वे वर्ष 1995 में तदर्थ आधार पर सेवा में आये तथा 5 सितंबर 2022 को राज्य शिक्षक पुरस्कार मिला। उनसे शिक्षा ग्रहण करने वाला विद्यार्थी उन्हें नहीं भूला सकता। एनएमएमएस हो या सांस्कृतिक कार्यक्रम उनकी भागीदारी बेहतर रही है। पढ़ाये हुए विद्यार्थी प्रोफेसर, डाक्टर, शिक्षक, प्राध्यापक, एवं ऊंचे पदों पर पदाधिकारी हैं।
2020 के बाद लाभ बंद-
वर्ष 2020 तक स्टेट अवार्डी शिक्षकों को दो साल का सेवा विस्तार, दो अतिरिक्त वेतनवृद्धियां मिलती रही हैं किंतु 2020 के बाद नहीं दी ा रही हैं। डा. होशियार सिंह को छोड़कर शेष सभी शिक्षकों को मिली हैं दो साल की सेवा विस्तार।
नहीं जारी हुई है 2024 की सूची-
शिक्षा विभाग हरियाणा द्वारा अभी तक वर्ष 2024 की भी अवार्डी शिक्षकों की सूची जारी नहीं की है। उस पर 2025 के अवार्डी शिक्षकों की सूची भी नहीं आई है। शिक्षक बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
जिला महेंद्रगढ़ से मिल चुका है कई शिक्षकों को यह अवार्ड-
जिला महेंद्रगढ़ से वीरेंद्र गणित अध्यापक, डा. जितेंद्र भारद्वाज, अशोक कुमार, संगीता प्राध्यापिका, दिलबाग सिंह बीआरपी, ईश्वर सिंह प्राचार्य, अश्विनी कुमार प्राचार्य, जेपी यादव सेवानिवृत्त प्राचार्य आदि को भी राज्य शिक्षक पुरस्कार मिल चुका हे।
फोटो कैप्शन: विरेंद्र कैमला, प्रोमिला देवी, बनवारीलाल एवं डा. होशियार सिंह यादव





























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