फ्लाइंग अफसर निशांत सिंह का गांव में हुआ सम्मान
-----ट्रेनिंग पूरी कर पहुंचा गांव में
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कनीना की आवाज। गांव झगडोली में भारतीय वायु सेवा में फ्लाइंग अफसर के पद पर नियुक्त निशांत सिंह का सम्मान समारोह गांव के शिव मंदिर में आयोजित किया गया।
उल्लेखनीय है कि निशांत सिंह अब ट्रेनिंग पूरी करके गांव में लौटे हैं। उन्होंने 6 माह की ट्रेनिंग एयर फोर्स अकादमी हैदराबाद तथा 15 माह की ट्रेनिंग एयर फोर्स टेक्रिकल कालेज बैंगलुरू में पूर्ण हुई है। उन्हें फूल मालाओं से लाद दिया गया। इस मौके पर ग्राम पंचायत झगड़ोली, ग्राम चेतना मंच झगड़ोली, एयर फोर्स वेटर्न एसोसिएशन आदि ने उनको सम्मान दिया तथा स्मृति चिह्न भेंट किया।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे इस अवसर पर निशांत के दादा हवलदार छाज्जू सिंह, चाचा धूप सिंह, उनके भाई अशोक कुमार, अजीत सिंह, राजकुमार गांव के सरपंच मुकेश सोनी, भंवर सिंह, पूर्व सरपंच ग्राम चेतना मंच झगड़ोली से गजानन शर्मा, आईटीआई नारनौल के प्रिंसिपल विनोद खनगवाल, जगदीश प्रसाद खनगवाल पूर्व सीटीआई, प्रवक्ता महेश कुमार शर्मा, मदन मोहन कौशिक, सतीश कुमार जेई सुरेंद्र सिंह, सूबेदार जितेंद्र सिंह, वायु सेवा के सेवानिवृत्ति विंग कमांडर तथा अनेक वारंट आफिसर, राजवीर सिंह नंबरदार, गुलाब राय रघुवीर प्रसाद शर्मा, कैप्टन बनवारी सिंह, सुभाष चंद्र शर्मा ,गांव के पूर्व सरपंच संजय शर्मा सहित ग्राम के अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे। इस अवसर पर पूरा वातावरण भारत माता की जय तथा देशभक्ति पूर्ण नारों से गूंज उठा।
फोटो कैप्शन 09: निशांत सिंह का सम्मान करते ग्रामीण
एसडी विद्यालय, ककराला में पांचवीं बार सीबीएसई नेशनल बाक्सिंग चैम्पियनशिप का आगाज
--हुये कई रोचक मुकाबलें
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कनीना की आवाज। एसडीवमा विद्यालय, ककराला में 11 से 15 सितम्बर तक चलने वाली नेशनल सीबीएसई बाक्सिंग चैम्पियनशिप का गुरुवार को मुख्य अतिथि भीम अवार्डी व पराओलम्पियन ध्यानचन्द अवार्डी डीप्टी डारेक्टर आफ स्पोर्ट हरियाणा गिरराज सिंह तथा सुषमा यादव प्रथम भीम अवार्डी हरियाणा, विशेष अतिथि दिप्ती रामे महेन्द्रगढ़ ने इस प्रतियोगिता का शुभारम्भ किया। इस प्रतियोगिता में विदेशी टीमों सहित पूरे भारत वर्ष से सीबीएसई के 9 जोन से 1300 खिलाडिय़ों ने नामांकन करवाए।
परिणाम-
रिंग न 1 व 2 में हुए मुकाबलों के परिणाम इस प्रकार रहे:-
रिंग न 1 में 28-30 किलो भार वर्ग में आयुवर्ग 14 से मुकाबले की शुरुआत जिसमें नार्थ जोन 1 बी की खिलाड़ी आदिती मौर्या, ईस्ट जोन-ए से तान्या कुमारी, नोर्थ जोन-2बी से मारिया मेहता, नोर्थ जोन 2बी से वजस्ंवी, साऊथ जोन 1 बी से आल्लुगोजू, 30-32 किलो भार वर्ग में साऊथ जोन- 1बी से एस मदर्सेन, सेन्ट्रल जोन-ए प्रिंजल, नोर्थ जोन 2 ए मांशी, साऊथ जोन 1ए से नायशा विद्या सागर, 32-34 किलो भार वर्ग में ईस्ट जोन बी से अन्न्या कुमारी, नोर्थ जोन-ए ईरिवा, साऊथ जोन-1ए से पी अन्न हस्सेलटैन, 34-36 किलो भार वर्ग में साऊथ जोन से थरीसा ए, नोर्थ जोन 2 ए से निती यादव, नोर्थ जोन-1ए से रितिका रौतेला, साऊथ जोन 1 बी से निकिथा श्री न, सैन्ट्रल जोन-ए से पलक, नोर्थ जोन से तन्वी विजेता रही।
इस अवसर पर भीम अवार्डी व पराओलम्पियन ध्यानचन्द अवार्डी डीप्टी डारेक्टर आफ स्पोर्ट हरियाणा गिरराज सिंह एवं सुषमा यादव प्रथम भीम अवार्डी हरियाणा, स्पेशल गेस्ट कृष्ण कुमार एडवोकेट योगेश कुमार, पिंकी देवी व मनिषा (बामड़), सीबीएसई आबजर्वर पुनेश सिंह, राजेश सिन्हा, एईओ नारनौल रमेश चन्द व एसडी विद्यालय चेयरमैन जगदेव यादव सहित भारी संख्या में गणमान्य जन उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 01 व 02, 04 से 08: बाक्सिंग की है
हिम्मत का पर्याय है विजय वधवा
- कबाड़ का जुगाड़ बनाने में है महारत
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कनीना की आवाज। यदि हाथों में कुछ करने का हुनर हो तो दिव्यांगता आड़े नहीं आती है। हिम्मत के पर्याय के रूप में कनीना का विजय वधवा जाना जाता है जो 83 प्रतिशत दिव्यांग है। डाक्टरों ने कहा था कि यह खड़ा भी नहीं हो सकेगा किंतु अपनी रोटी रोजी आज भी कमा रहा है।
कनीना बस स्टैंड के पीछे छोटी सी पुरानी दुकान में बैठकर खराब सीएफएल को ठीक करता है। कनीना में सबसे पहले खराब सीएफएल वो भी 10 रुपये में ठीक करने का अगर श्रेय जाता है तो उनको जाता है। वर्षों पहले इन्होंने अपने यहां सीएफएल ठीक करना शुरू किया और अच्छा नाम कमाया। 2017 में इनको हृदयघात आया और मेडिसिटी गुररुग्राम में भर्ती करवाना पड़ा। कान खराब हो गए, आंखों से दिखाई कम देने लगा और शरीर की एक साइड अधरंग हो गई। वर्तमान में 83 प्रतिशत दिव्यांग हैं परंतु हिम्मत नहीं छोड़ते हैं। उनकी हिम्मत के आगे सभी नतमस्तक होते हैं। प्रतिदिन 30 से 40 सीएफएल वर्तमान में भी ठीक कर लेते हैं जबकि उनके हाथ बड़ी मुश्किल से काम करता है। एक हाथ बिल्कुल काम नहीं करता। पैरों से चला नहीं जाता ,शरीर में कई दिक्कत आती है, चलने के लिए ट्राई साइकिल ले रखी है परंतु उनका एक ही उद्देश्य है कि किसी प्रकार अपनी रोटी रोटी खुद कमाये और दूसरों पर निर्भर न रहे। कहने को तो उनका परिवार है जो अच्छी खासी नौकरियों में है किंतु उन्होंने कभी काम से जी नहीं चुराया। पुरानी सीएफएल लाने वाले लोगों की सीएफएल ठीक करके देता है। यह काम करने को तो अनेकों लोग कर रहे हैं परंतु जिन परिस्थितियों में विजय वधवा काम कर रहे हैं वो सराहनीय है। उसको देखकर लगता है कि सचमुच वह एक उदाहरण बनकर उभरा है।
विजय वधवा कबाड़ से जुगाड़ करने में भी महारत लिये हुए है। वर्ष 2008 में उन्होंने कबाड़ में पड़ी हुई खराब ट्यूबलाइट को महज अल्प राशि में ठीक करके देने का काम शुरू किया था और आज उन्होंने नि:शुल्क प्रशिक्षण देकर बहरोड़, कोसली, नारनौल, अटेली, दादरी, सेहलंग एवं कनीना में अपने शिष्य छोड़ दिए हैं जो जन सेवा में जुटे हुए हैं। उनका कहना है कि सरकार को आइटीआइ में इस प्रकार का ट्रेड शुरू कर देना चाहिए ताकि वे प्रशिक्षण दे सके। उनका मानना है कि विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थानों में उनके नि:शुल्क प्रशिक्षण शिविर लगाने की अनुमति दी जाए ताकि वे बेरोजगारों को रोजगार की राह दिखा सके। उनकी तमन्ना है कि हर गांव में कम से कम एक व्यक्ति उनका यह प्रशिक्षण लेकर गांव की खराब लाइटों को ठीक करने लगे तो उनका नाम भी हो और बेरोजगारों को भी रोजगार मिल सके।
विजय वधवा के कानों में सुनने की मशीन, आंखों पर बड़े चश्मे, पास खड़ी ट्राइ साइकिल, बेंत नजर आते हैं किंतु उनके ग्राहक उन तक जरूर आ जाते हैं। धुआं रहित चिमनी वर्षों पहले से बना रहे हैं।
फोटो कैप्शन 03: सीएफएल सुधारते हुए विजय वधवा
एसडी विद्यालय, ककराला में पांचवीं बार सीबीएसई नेशनल बाक्सिंग चैम्पियनशिप का आगाज
-6 विदेशी व 20 सीबीएसई क्लस्टर की टीमों से 1300 खिलाड़ी ले रहे है भाग
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कनीना की आवाज। एसडीवमा विद्यालय, ककराला में 11 से 15 सितम्बर तक चलने वाली नेशनल सीबीएसई बाक्सिंग चैम्पियनशिप का गुरुवार को मुख्य अतिथि भीम अवार्डी व पराओलम्पियन ध्यानचन्द अवार्डी डीप्टी डारेक्टर आफ स्पोर्ट हरियाणा गिरराज सिंह तथा सुषमा यादव प्रथम भीम अवार्डी हरियाणा, विशेष अतिथि दिप्ती रामे महेन्द्रगढ़ ने इस प्रतियोगिता का शुभारम्भ किया। इस प्रतियोगिता में विदेशी टीमों सहित पूरे भारत वर्ष से सीबीएसई के 9 जोन से 1300 खिलाडिय़ों ने नामांकन करवाए।
इस दौरान चेयरमैन जगदेव यादव ने कहा कि जीवन में कर्म की महत्ता पर बल देना चााहिए। उन्होंने बच्चों को सादा जीवन व उच्च विचार रखते हुए सदैव आगे बढ़ते रहने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ-साथ रुचि के अनुसार खेलों व अन्य गति विधियों में बढ़-चढ़कर भाग लेना चाहिए। केवल तभी एक विद्यार्थी का सही मायने में सर्वांगीण विकास सम्भव है।
इस दौरान मुख्यतिथि भीम अवार्डी व पराओलम्पियन ध्यानचन्द अवार्डी डीप्टी डारेक्टर आफ स्पोर्ट हरियाणा गिरराज सिंह ने कहा कि हार-जीत को जीवन में आगे बढऩे के दो मुख्य आयाम बताए। उन्होंने खेलों में मिलने वाली हार से खिलाडिय़ों को निराश न होकर नए उत्साह से आगे बढऩे के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि असफलता ही वास्तव में सफलता की पहली सीढ़ी होती है, इसलिए असफलता से खिलाडिय़ों को नया सीखकर आगे बढऩा चाहिए।
सुषमा यादव प्रथम भीम अवार्डी हरियाणा ने एसडी प्रबन्धन समिति द्वारा की गई व्यवस्था तथा विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रमों की भूरी-भूरी प्रशंसा की और एसडी विद्यालय को सीबीएसई बोर्ड द्वारा इस प्रतियोगिता के आयोजन के लिए चुनने को एक दम सही निर्णय बताया।
प्रतियोगिता के शुभारंभ अवसर पर विद्यार्थियों ने हरियाणवी संस्कृति की छटा बिखेरते हुए विभिन्न रंगारंग कार्यक्रमों, हरियाणवी लोकगीत, नृत्य, देशभक्ति गीत, नाटक आदि का मंचन कर सभी का मन मोह लिया। चेयरमैन जगदेव यादव ने सीबीएसई द्वारा एसडी विद्यालय, ककराला को पाचवीं बार नेशनल बाक्सिंग चैम्पियनशिप आयोजित करवाने के लिए चुने जाने को हमारे इस क्षेत्र के लिए बड़े ही गौरव का विषय बताया। साथ ही उन्होंने देश-विदेश से आए खिलाडिय़ों को अच्छी से अच्छी व्यवस्था व निष्पक्षता व सुरक्षा का आश्वासन दिया और प्रतिभागियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
इस अवसर पर भीम अवार्डी व पराओलम्पियन ध्यानचन्द अवार्डी डीप्टी डारेक्टर आफ स्पोर्ट हरियाणा गिरराज सिंह एवं सुषमा यादव प्रथम भीम अवार्डी हरियाणा, स्पेशल गेस्ट कृष्ण कुमार एडवोकेट योगेश कुमार, पिंकी देवी व मनिषा (बामड़), सीबीएसई आबजर्वर पुनेश सिंह, राजेश सिन्हा, एईओ नारनौल रमेश चन्द व एसडी विद्यालय चेयरमैन जगदेव यादव सहित भारी संख्या में गणमान्य जन उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 01 व 02: बाक्सिंग प्रतियोगिता करवाते हुए तथा खिलाडिय़ों से मुलाकात करते हुए विभिन्न गणमान्य जन।
अपने पिता के पद चिन्हों पर चल रहे पार्षद
तर्पण
मोहन कुमार पार्षद
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कनीना की आवाज। मेरे
पिताजी बाबू जगत सिंह कनीना नगर पालिका में लंबे समय तक सेवारत रहे और
19 फरवरी 2008 को स्वर्ग सिधार गए। उस वक्त उनकी उम्र करीब 72 वर्ष थी
लेकिन वे एक ने नियत ईमानदारी और कर्तव्य परायण व्यक्ति थे। जिस राह पर चले
उन्हें आज भी याद किया जाता है। जब मैं शिक्षा पा रहा था तो एक दिन
उन्होंने मुझे बुलाकर कहा कि नेक नियत, कर्तव्य परायण ईमानदारी से काम
करोगे तो एक दिन देखना तुम नाम कमाओगे। उनकी बातों पर अमल करते हुए मैं आगे
बढ़ता जा रहा हूं और उन्हीं की कृपा से आज नगर पालिका का पार्षद बना हूं।
जब उनको याद करता हूं तो आज भी जब मैं उन्हें याद करता हूं तो मेरे पिता
की तस्वीर आंखों के सामने घूमने लग जाती है। और उनकी वे बातें याद आ जाती
है कि नेक नीयत से रहने पर सफलता कदम चूमेगी। आज मैं इस मुकाम पर पहुंचा
हूं अपने पिता की बदौलत पहुंचा हूं। जब याद आते हैं तो उनको मैं नमन करता
हूं और उनकी बातों को याद करके रुआसे दिल से उनके समक्ष बैठकर प्रार्थना
करता हूं कि जहां कहीं भी हो मेरा ख्याल रखें
फोटो कैप्शन मोहन पार्षद तथा स्व जगत सिंह बाबू
तर्पण
सीख दी कि मां-बाप और गुरु की सेवा नित्य करते रहना
कंवर सेन वशिष्ठ सेवानिवृत्त मुख्यशिक्षक
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कनीना की आवाज। बात
उन दिनों की है जब मेरी मां स्व सारली देवी और मेरे स्वर्गीय पिता
हरद्वारी लाल जीवित थे। जहां हरद्वारी लाल ने 1942 में दूसरे विश्व युद्ध
में नाम कमाया हुआ है वहीं सारली देवी के छह भाई थे किंतु सभी बीमारी से मर
जाने के बाद मां एवं बापू की सेवा करके क्षेत्र में नाम कमाया। उन्होंने
एक दिन हम दोनों भाइयों भीम सिंह तथा कंवर सेन को बुलाकर कहा कि तुम्हें
अगर सफल होना है तो मां-बाप और गुरु की सेवा नित्य करते रहना। ईश्वर की
पूजा अर्चना करने से तुम्हारा भला होगा। अपनी मां के आदेशों का पालन करते
हुए दोनों भाई मेहनत, ईमानदारी से काम करते रहे। बड़ा भाई जहां रेलवे में
से सेवानिवृत्त हुए हैं वहीं दूसरा कंवरसेन मुख्य शिक्षक पद से सेवानिवृत्त
हो गए हैं किंतु दोनों भाई अपने मां के उन शब्दों को आज भी याद करके रो
पड़ते हैं। जब जब श्राद्ध आते हैं तो उनकी विचारधारा, उनका ईश्वरीय ज्ञान
हमें याद आते हैं।
कंवर सेन वशिष्ठ
फोटो कैप्शन कंवरसेन वशिष्ठ तथा स्वर्गीय सारली देवी
ईमानदार और उसमें दूसरों का हित करते रहना
राजेश कुमार पूर्व प्राध्यापक,
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कनीना की आवाज।मैं
पूर्व प्राध्यापक हूं। शिक्षक पद तक पहुंचाने में मेरे दादा जी उमराव सिंह
का अहं योगदान रहा है। बात उन दिनों की है जब में शिक्षा ग्रहण कर रहा था।
एक दिन मेरे दादा जी ने मुझे बुलाकर कहा-बेटे, तुम अच्छी खासी शिक्षा पा
रहे हो लेकिन ध्यान रहे जो भी व्यवसाय करो वो ईमानदारी का हो और उसमें
दूसरों का हित भी हो। उसी बात को ध्यान में रखकर मैंने उच्च शिक्षा पाई और
शिक्षक पद तक पहुंचा। शिक्षक परहित का काम एवं ईमानदारी से परिपूर्ण है।
देखते
ही देखते मैं शिक्षक पद पर काम करने लगा तो एक दिन अपने दादा को कहा-दादा
जी, परहित एवं इमानदारी दोनों ही मेरे में भरी हुई हैं। इस बात को सुनकर
वे प्रसन्न हुए। अचानक 82 वर्ष की उम्र में 14 मई 2004 को वे स्वर्ग सिधार
गए किंतु जब भी मैं शिक्षण कार्य के लिए जाता हूं तो अनायास ही मुझे मेरे
दादाजी की याद आ जाती है। उन्हें कोटि कोटि नमन।
स्व. उमराव सिंह
फोटो कैप्शन: राजेश कुमार एवं उमराव सिंह
तर्पण
शिक्षा एक बड़ा गहना है
सत्येंद्र यादव शास्त्री
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कनीना की आवाज।बात
उन दिनों की है जब मैं शिक्षा पा रहा था। शिक्षा पाने के वक्त एक एक रोज
मेरे पिता रविचंद्र यादव ने मुझे बुलाया और कहा कि शिक्षा एक बड़ा कहना है
शिक्षा को चोर चोरी नहीं कर सकते इसलिए तुम ज्यादा से ज्यादा शिक्षा पाओ और
कम से कम शिक्षण का कार्य करो। उन्हीं के कहे गए वचनों पर चलते हुए मैंने
उच्च शिक्षा प्राप्त की और आज मैं शिक्षक पद पर आसीन जब कभी श्राद्ध आते
हैं तो मैं अपने पिता रविचंद्र को याद करके उन्हें नमन करता हूं जिन्होंने
इतनी बातें मुझे छोटी उम्र में सिखाई किंतु दुर्भाग्य है कि वह 1989 में
स्वर्ग सिधार गए। उनकी यादें आज भी हमारे जहन में बसी है। सुबह शाम को नमन
करता हूं तथा जब उनकी फोटो समक्ष जाता हूं तो उनके कहे गए वचन मुझे याद आ
जाते हैं।
सत्येंद्र यादव
फोटो कैप्शन: सत्येंद्र यादव एवं स्व.रविचंद्र यादव



















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