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Sunday, October 19, 2025


 





नहीं भूला सकता 2010 की दिवाली
-पत्नी कैंसर में कराह रही थी
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कनीना की आवाज।
 जब-जब दिवाली आती है लोग बेहद खुश होते हैं, होना भी चाहिए चूंकि एक महापर्व है। हिंदुओं के लिए सबसे बड़ा पर्व माना जाता है परंतु कोई जरूरी नहीं दिवाली सभी के लिए खुशहाली लेकर आए। जिनमें एक अभागा पत्रकार एवं लेखक डा. होशियार सिंह यादव विश्व रिकार्ड धारक भी है। वर्ष 2010 की बात है जब पत्नी सुमन यादव कैंसर से पीडि़त थी। 5 नवंबर 2010 को दिवाली थी। दिवाली के कारण जयपुर के कैंसर के डाक्टर भी उपलब्ध नहीं हो पाए। दिवाली को नहा धोकर पत्नी  वह मायूस बैठी थी और मेरी बहन संतरा देवी आई तो उनसे साफ कह दिया था अब मुझे नहीं बचाना है। जब दिवाली का पूजन हुआ तो भी मायूस तरीके से बैठी हुई थी। खैर दिवाली बीत गई। 8 नवंबर को 2010 को डाक्टर जयपुर आ रहे थे, तब तक को बाहर गए हुए थे। डाक्टर गलगोत्रा जब 8 नवंबर 2010 को आए तब पत्नी सुमन यादव को एसएमएस जयपुर भर्ती करवा दिया गया। तत्पश्चात 12 दिनों तक जीवन मृत्यु से जूझती रही और 16 दिसंबर 2010 की रात को चल बसी। जिस दिन देव उठानी एकादशी शुरू हो गई थी। 17 नवंबर को 2010 को उनका अंतिम संस्कार किया गया। 16 नवंबर को विश्व पत्रकारिता दिवस था सुमन यादव लेखिका एवं पत्रकार थी इसलिए बहुत खुश हुई और उन्होंने कहा कि अब मैं ठीक हो गई हूं, मेरी इच्छा है अब घर चलेंगे। बात सुनकर हम भी बहुत खुश हुए थे परंतु ज्यों ज्यों रात बढ़ती गई उनकी सांसे बंद होती चली गई। ऐसे में उस दीपावली को मुझे दर्द मिला उसे कभी नहीं भूल सकता। यही कारण है कि जब-जब दिवाली आती है सुमन यादव की बहुत याद आती है। अगर सुमन यादव आज होती तो पत्रकार एवं लेखन होशियार सिंह की हालत बहुत बेहतर होती, हर प्रकार से संपन्न होता, खुशहाल होता, जीवन में आगे बढ़ता चला जाता परंतु जो नसीब में था वह मिला।
नसीब के मारो को बस रोना ही पड़ता है,
सूखा नजर आता है, पेड़ से फूल झड़ता है।






खरीद पहुंची 142076 क्विंटल ,सरकारीतौर पर खरीद शून्य, रविवार को रही मंडी बंद
-अब तक 4742 गेट पास काटे गये
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कनीना की आवाज।
 कनीना की नई अनाज मंडी स्थित चेलावास में सरकारी तौर अभी तक बाजरा नहीं खरीदा गया है लेकिन निजी स्तर पर 142076 क्विंटल बाजरा खरीदा जा चुका है। रविवार को मंडी में अवकाश रहा। यह बाजरा कम से कम 1900 रुपये और अधिकतम 1950 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीदा गया है। कुल आवक 142076 क्विंटल हो चुकी है। शनिवार तक 629 किसान 12196 क्विंटल बाजरे की पैदावार लेकर अनाज मंडी पहुंचे।
 विस्तृत जानकारी देते हुए सचिव मार्केट कमेटी मनोज पाराशर ने बताया कि अब तक 4742 टोकन किसानों के काटे जा चुके हैं और किसान अपनी बाजरे की पैदावार अनाज मंडी में ला रहे हैं किंतु उनके सैंपल फेल होने के कारण सरकारी तौर पर खरीद नहीं हो पा रही है।
हैफेड मैनेजर वीरेंद्र कुमार ने बताया कि प्रतिदिन सैंपल रेवाड़ी भेजे जाते हैं किंतु मानकों पर खरे नहीं उतरने के कारण सभी सैंपल फेल हो जाते हैं। ऐसे में सरकारी तौर पर खरीद नहीं हो पा रही है।







होने लगी है कुछ वर्षों से गन्ने की पूजा
-उत्तर प्रदेश और बिहार में है अधिक प्रचलन
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कनीना की आवाज।
 दीवाली के दिन जहां गन्ने की पूजा करने का रिवाज धीरे-धीरे ग्रामीण क्षेत्रों में भी बढ़ता जा रहा है। पहले कभी कोई गन्ने नहीं उगता था किंतु अब गन्ने की पैदावार भी कुछ किसान लेने लग गए हैं। कनीना क्षेत्र में ही कम से कम पांच किसान अलग-अलग गांवों के गन्ने की पैदावार ले रहे हैं। दीवाली पर गन्ने का पूजन बिल्कुल ठीक वैसे ही होता है जैसे होली पर। हरियाणा में गेहूं आदि का पूजन किया जाता है। जिस प्रकार होली दहन में गेहूं को भूनकर पूरा परिवार चखकर गेहूं के पकने का पता लगाता है  तत्पश्चात गेहूं की कटाई होती है। इसी प्रकार दीपावली पर उत्तर प्रदेश और बिहार आदि राज्यों में गन्ने का पूजन किया जाता है तत्पश्चात उसकी कटाई की जाती है। लेकिन धीरे-धीरे प्रदेश हरियाणा में भी हजारों की संख्या में उत्तर प्रदेश एवं बिहार के लोग आ गए हैं जिनकी मांग गन्ने की होती है। जिसके देख अन्य लोग भी गन्ने को दीपावली पर खरीदने लग गये हैं। जहां विगत 5 वर्षों से भारी मात्रा में गन्ने बिकते आ रहे हैं।
अनेक लोग गन्ना  लेकर आ गए हैं। किसा रणधीर, धर्मवीर, विजय, सोनम आदि रोहतक क्षेत्र से गन्नेकी ट्राली भरकर अपने घरों में खड़ी कर रखी है ताकि दीपावली से पहले ही गन्ने की बिक्री शुरू हो जाए। वैसे तो दीपावली के दिन के बाद ही नया शक्कर, चीनी, गुड़ आदि आते थे किंतु अब तो पहले से ही नया गुड़ भी बाजार में आ चुका है। वास्तव में गन्नों की पूजन बढऩे के कारण एक-एक गन्ना 50 रुपये का बिकता है और लोग एक दूसरे की होड़ पर गन्ने खरीद ले जाते हैं। विगत वर्ष भी गन्ने भारी मांग थी कि देखते ही देखते एक-एक ट्राली गन्ने की बिक गई थी। अब देखा जाना है कि गन्ने की बिक्री किस कदर बढ़ती है।
   आज से पांच वर्ष पूर्व दीपावली के पर्व पर गन्ने के प्रति लोगों का कोई रुझान नहीं होता था किंतु अब दूसरे राज्यों विशेषकर बिहार एवं उत्तरप्रदेश से आए लोग इस पर्व पर गन्ने की पूजा करने लगे तो क्षेत्रीय लोग भी उनके पीछे दौउऩे लगे हैं। क्षेत्र में गन्ने की अच्छी खासी बिक्री होने लगी है। साफ गन्ना नहीं अपितु पत्ते सहित ही बेचा जाता है। और तो और कुछ लोग अपनी गाडिय़ों के आगे गन्ना झंडे के रूप में लगाकर दो तीनों से चल रहे हैं।
  लोगों का कहना है कि दीपावली के पर्व पर गन्ना तैयार हो जाता है और कटाई शुरू हो जाती है वहीं तथाकथित भूत भगाने के लिए लोग गन्ने को घर से जलाकर चौराहे पर लाकर पटकते हैं। वाहनों के आगे गन्ना लगाकर दौड़ाने का भी रिवाज बढ़ रहा है। उत्तरप्रदेश में तो गन्ने द्वारा घर को भूतों से बचाकर पूजा की जाती है।
फोटो कैप्शन 06: गन्ने की कनीना में खेती







भारी संख्या में मजदूर लौटने लगे हैं अपने राज्यों में
-छठ पूजा के बाद फिर लौटेंगे
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कनीना की आवाज।
 भारी संख्या में मजदूर दो बार हरियाणा प्रदेश में आते हैं। जब दो बार फसल कटाई होती है उस समय ग्रामीण क्षेत्रों में भारी संख्या में मजदूर आसपास आते हैं। अनाज मंडी, किसानों के खेतों में, मुर्गीपालन केंद्रों और अन्य जगह मजदूर काम करते हैं। दीपावली के दिन ये मजदूर अपने राज्यों में जाते हैं क्योंकि दीपावली के बाद छठ पूजा बहुत जोर शोर से उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य में मनाई जाती है। 27 अक्टूबर को छठ पूजा का पर्व मनाया जाएगा। इसीलिए मजदूर अब काम छोड़कर दूसरे अपने राज्यों में चले गए हैं या कुछ जा रहे है। तत्पश्चात यह दिवाली और छठ पूजा के बाद वापस लौट कर आएंगे। तब तक काम रुक जाता है।
 कनीना के भीम सिंह, दिनेश कुमार, राज कुमार आदि ने बताया कि उनके यहां मजदूरी करने बहुत से मजदूर आते हैं। ये मजदूर बिहार, उत्तर प्रदेश राजस्थान,मध्यप्रदेश, नेपाल तथा दूसरे क्षेत्रों से आते हैं। बिहार और उत्तर प्रदेश में छठ पूजा का पर्व विशेष रूप से मनाया जाता है और अब तो ग्रामीण क्षेत्रों में भी यह लोग छठ पूजा का पर्व मानने लग गए हैं। जो मजदूर अपने राज्य नहीं जा सकते वो छठ पूजा अपने जहां रह रहे वहीं पर मानने लग गए हैं। रेवाड़ी आदि में तो अलग से घाट भी बना दिए जाते हैं। यही कारण है कि बहुत से मजदूर अब काम छोड़कर अपने राज्यों में जा रहे हैं। ट्रेनों में भारी भीड़ चल रही है जिसके चलते ये मजदूर वापस फिर से लौटकर आएंगे। तब तक सारा काम ठप हो जाता है। छोटे उद्योग धंधे, चाय की दुकान, मुर्गी पालन केंद्र या बड़े उद्योगों में ये मजदूर देखे जा सकते हैं।






दीपावली को लेकर व्यस्तता बढ़ी
-बाजार से पैदल निकलना भी हुआ कठिन
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कनीना की आवाज।
 दीपावली के पर्व को लेकर व्यस्तता बढ़ी है। 20 अक्टूबर को दीपावली पर्व मनाया जाएगा। जहां बाजार में भीड़ बढऩे लगी है वहीं मिठाई बनाने वालों के यहां सबसे अधिक भीड़ देखने को मिली। पर्व पर सबसे अधिक मिठाई बिकती हैं। उधर पेंट, रंग आदि की दुकानों पर भी भीड़ बढ़ी है।
  कई दिनों से दीवाली को लेकर भीड़ बढऩे लगी थी। ज्यों ज्यों दीपावली पास आ रही है त्यों त्यों व्यस्तता बढऩे लगी है। बाजार में तरह तरह की मिठाइयां बनाई जा रही हैं वहीं रंग पेंट की दुकानों पर भारी भीड़ देखने को मिल रही है। किसान खरीफ फसल से निपटने व भावी रबी फसल बीजाई में लग गए हैं। दुकानदार विभिन्न सामान लाकर अपनी दुकानों को सजाने में लगे हुए हैं। दीपावली के पावन पर्व पर सबसे अधिक बिक्री होती है। बाजार में घिसे पीटे माल की सेल लग रही हैं वहीं विभिन्न प्रकार के सामान बाजार में आ गए हैं जिनकी दीपावली को जरूरत होती है।
 किसान खरीफ फसल से निपटने व भावी रबी फसल पैदावार लेने में लग गए हैं। दुकानदार विभिन्न सामान लाकर अपनी दुकानों को सजाने में लगे हुए हैं। रंग पेंट करने वाले मोनू एवं सोनू ने बताया कि उनकी मांग बढ़ती ही जा रही है।
  कनीना पालिका तहबाजारी की पर्चियां काट दी जिससे कुछ दुकानदारों में रोष देखने को मिला। रवि कुमार ने बताया कि उन्होंने एक छोटी सी मेज लगा रखी थी जिसके दो सौ रुपये तहबाजारी के ले लिये जबकि दुकान बीडीपीओ कार्यालय के तहत आती है।
फोटो कैप्शन 05:बाजार में भीड़ का नजारा।







गो संवर्धन हेतु लाए गए उन्नत नस्ल के दो सांड
-दीपावली पर होगा उनका पूजन-भगत सिंह
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कनीना की आवाज।
कनीना की श्रीकृष्ण गौशाला में गायों की उन्नत नस्लें तैयार करने के लिए और गो संवर्धन हेतु थारपर नस्ल का एक सांड तथा हरियाणा नस्ल का एक सांड लाये गये हैं।
विस्तृत जानकारी देते हुए श्रीकृष्ण गौशाला कनीना के प्रधान भगत सिंह ने बताया कि 25 सालों से गो संवर्धन पर काम कर रही संस्था तथा पूरे भारत में उन्नत नस्ल की गायें एवं सांड प्रदान करने वाली संस्था खांडवा से ये बुल लाये गये हैं। संचालक कृष्णस्वरूप महाराज से संपर्क कर बुल की मांग की तो उन्होंने सहर्ष देने का निर्णय किया। दोनों ही सांडों का दीपावली के दिन अभिनंदन किया जाएगा। ये नस्ले 18 से 22 लीटर तक दूध देती हैं।  
  भगत सिंह प्रधान ने बताया कि उनकी हार्दिक इच्छा है कि कनीना श्रीकृष्ण गौशाला ऊंचाइयों को छुए तथा उन्नत नस्ल की गायें तैयार हो ताकि लोग गौशाला से उन्नत नस्ल की गायों को अपने घर में रखने के लिए बाध्य हो जाए। उन्होंने कहा कि यह दिन अब दूर नहीं है और जल्द ही उनकी यह तमन्ना पूरी हो जाएगी। इस मौके पर भगत सिंह के अलावा राम प्रताप पूर्व शिक्षक, दिलावर सिंह आदि उपस्थित रहे।
 फोटो कैप्शन 3: उन्नत नस्ल का बुल दिखाते हुए प्रधान एवं अन्य



गोवर्धन पूजा 22 को
-अन्नकुट के रूप में मनाया जाएगा-संदीप राठी
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कनीना की आवाज।
 कनीना क्षेत्र में 22 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा के रूप में अन्नकुट का पर्व मनाया जाएगा। विस्तृत जानकारी देते हुए खाटू श्याम मंदिर कनीना के प्रधान संदीप राठी ने बताया कि हर वर्ष अन्नकुट का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष 22 अक्टूबर को यह पर्व मनाया जाएगा इसके लिए विशेष तैयारियां चल रही हैं।






राव नरेंद्र सिंह ही कर सकते हैं क्षेत्र का भला-अंकुर यादव
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कनीना की आवाज
। समाजसेवी अंकुर यादव कनीना अपने साथियों सहित कांग्रेस पार्टी द्वारा बनाए गए हरियाणा के अध्यक्ष राव नरेन्द्र से उनके निवास स्थान नारनौल पर मिलकर उनको व्यक्तिगत दीपावली की हार्दिक बधाई दी। इस व्यक्तिगत मुलाकात पर इलाके के लिए विकास कार्यों को पूरा करवाने के लिए विचार विमर्श हुआ।
  अंकुर यादव ने कहा कि राव नरेंद्र को हरियाणा का अध्यक्ष बनाया जाना अपने आप में अहंमियत रखता है जो क्षेत्र के लिए खुशी की बात हैं। राव नरेंद्र सिंह के पिता भी पंचायत मंत्री होते थे जिन्होंने अनेक विकास कार्य करवाए। तत्पश्चात राव नरेंद्र सिंह ने मंत्री रहते हुए विकास कार्य करवाये जिन्हें लोग भुला नहीं सकते।
  राव नरेन्द्र ने आश्वासन दिया कि इलाके में किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं होगा। सभी का सम्मान किया जाएगा। पूर्व मंत्री राव नरेंद्र कहा कि उनके कनीना से पारिवारिक संबंध हैं। इस मौके पर विनोद पटीकरा, हेमंत चौधरी कनीना, मोहित कनीना आदि उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 01: राव नरेंद्र सिंह से मुलाकात करते हुए अंकुर यादव व अन्य।





प्रदूषण से दीपावली को बचाने की ले रहे हैं शपथ
-देसी घी के दीये जलाए जाएंगे
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कनीना की आवाज।
इस बार क्षेत्र के युवा एवं बुजुर्ग दीपावली को घी के दीये जलाकर एवं आपस में मिलकर दीपावली मनाना चाहते हैं। पटाखे न चलाने व चाइनीज आइटम न खरीदने की शपथ ले रहे हैं। देसी घी के भाव एक हजार रुपये प्रति किलो होने के बावजूद भी वे मुख्य दीया घी का ही जलाते आ रहे हैं। महंगाई के कारण दस फीसदी लोग मोमबत्ती ही जलाकर दीपावली का पर्व मनाते हैं। युवाओं में इस बार दीपावली को सौहार्द, भाईचारा एवं एकता का पर्व बनाने की होड़ लगी है। वे पटाखे चलाने के पक्ष में भी नहीं हैं। युवाओं से इस संबंध में चर्चा की गई--
घरों में मोमबत्ती न जलाकर घी के दीये ही जलाने चाहिए। यही परंपरा श्रीराम के अयोध्या में लौटने पर अपनाई गई थी। उनका कहना है कि घर की मिठाइयां ही खानी चाहिए। वे पटाखे न चलाकर प्रदूषण से बचना चाहते हैं। पटाखों का प्रदूषण कई कई दिनों तक चलता है।
-- कंवरसेन वशिष्ठ,कनीना
घर की मिठाइयां खाकर, घी के दीये जलाकर एवं पटाखे न चलाकर ही दीपावली मनाएंगे। उनका मानना है कि महंगाई के युग भी दीपावली के प्रति लोगों में जोश है। उनका मानना है कि चाइनीज आइटम नहीं खरीदने चाहिए। दीये बनाने वालों से दीये खरीदेंगे और घी डालकर जलाएंगे जो एकता का परिचायक होगा।
   --छोटूराम कोटिया निवासी
 दीपावली को सादगी से मनाना चाहते हैं। लोग जुआ खेलते हैं और दुकानों की मिठाइयां खाकर पटाखे चलाते हैं जो अनुचित है। वे चीन के माल के विरोधी हैं तथा भारत का सामान खरीदना चाहते हैं। वे इस बार गांव में भी देसी घी के ही दीये जलाने की सलाह दे रहे हैं और इस पर्व पर पटाखे न चलाने की प्रेरणा देकर कनीना व आस पास को साफ सुथरा एवं प्रदूषण मुक्त बनाएंगे।
---मुकेश नंबरदार,कनीना
 हम स्वयं भी प्रदूषण नहीं करेंगे और दूसरों को भी रोकेंगे। हम सादगी से दीपावली मनाने की तमन्ना है। हम घी के दीये जलाकर दूसरों को भी प्रेरणा देंगे। उन्होंने शपथ ली कि वे चाइनीज आइटम नहीं खरीदेंगे। कुल मिलाकर युवा पीढ़ी इस बार कम से कम पटाखे चलाने के पक्ष में हैं और दीपावली को सादगीपूर्ण मनाए जाने के पक्ष में है। वे चाइनीज आइटम नहीं खरीदना चाहते।
--सुनील कुमार, बिसोहा
फोटो कैप्शन: छोटूराम, सुनील कुमार, मुकेश नंबरदार एवं कंवरसेन वशिष्ठ





नहीं भूला सकता 2010 की दिवाली
-पत्नी कैंसर में कराह रही थी
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कनीना की आवाज।
 जब-जब दिवाली आती है लोग बेहद खुश होते हैं, होना भी चाहिए चूंकि एक महापर्व है। हिंदुओं के लिए सबसे बड़ा पर्व माना जाता है परंतु कोई जरूरी नहीं दिवाली सभी के लिए खुशहाली लेकर आए। जिनमें एक अभागा पत्रकार एवं लेखक डा. होशियार सिंह यादव विश्व रिकार्ड धारक भी है। वर्ष 2010 की बात है जब पत्नी सुमन यादव कैंसर से पीडि़त थी। 5 नवंबर 2010 को दिवाली थी। दिवाली के कारण जयपुर के कैंसर के डाक्टर भी उपलब्ध नहीं हो पाए। दिवाली को नहा धोकर पत्नी  वह मायूस बैठी थी और मेरी बहन संतरा देवी आई तो उनसे साफ कह दिया था अब मुझे नहीं बचाना है। जब दिवाली का पूजन हुआ तो भी मायूस तरीके से बैठी हुई थी। खैर दिवाली बीत गई। 8 नवंबर को 2010 को डाक्टर जयपुर आ रहे थे, तब तक को बाहर गए हुए थे। डाक्टर गलगोत्रा जब 8 नवंबर 2010 को आए तब पत्नी सुमन यादव को एसएमएस जयपुर भर्ती करवा दिया गया। तत्पश्चात 12 दिनों तक जीवन मृत्यु से जूझती रही और 16 दिसंबर 2010 की रात को चल बसी। जिस दिन देव उठानी एकादशी शुरू हो गई थी। 17 नवंबर को 2010 को उनका अंतिम संस्कार किया गया। 16 नवंबर को विश्व पत्रकारिता दिवस था सुमन यादव लेखिका एवं पत्रकार थी इसलिए बहुत खुश हुई और उन्होंने कहा कि अब मैं ठीक हो गई हूं, मेरी इच्छा है अब घर चलेंगे। बात सुनकर हम भी बहुत खुश हुए थे परंतु ज्यों ज्यों रात बढ़ती गई उनकी सांसे बंद होती चली गई। ऐसे में उस दीपावली को मुझे दर्द मिला उसे कभी नहीं भूल सकता। यही कारण है कि जब-जब दिवाली आती है सुमन यादव की बहुत याद आती है। अगर सुमन यादव आज होती तो पत्रकार एवं लेखन होशियार सिंह की हालत बहुत बेहतर होती, हर प्रकार से संपन्न होता, खुशहाल होता, जीवन में आगे बढ़ता चला जाता परंतु जो नसीब में था वह मिला।
नसीब के मारो को बस रोना ही पड़ता है,
सूखा नजर आता है, पेड़ से फूल झड़ता है।






खरीद पहुंची 142076 क्विंटल ,सरकारीतौर पर खरीद शून्य, रविवार को रही मंडी बंद
-अब तक 4742 गेट पास काटे गये
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कनीना की आवाज।
 कनीना की नई अनाज मंडी स्थित चेलावास में सरकारी तौर अभी तक बाजरा नहीं खरीदा गया है लेकिन निजी स्तर पर 142076 क्विंटल बाजरा खरीदा जा चुका है। रविवार को मंडी में अवकाश रहा। यह बाजरा कम से कम 1900 रुपये और अधिकतम 1950 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीदा गया है। कुल आवक 142076 क्विंटल हो चुकी है। शनिवार तक 629 किसान 12196 क्विंटल बाजरे की पैदावार लेकर अनाज मंडी पहुंचे।
 विस्तृत जानकारी देते हुए सचिव मार्केट कमेटी मनोज पाराशर ने बताया कि अब तक 4742 टोकन किसानों के काटे जा चुके हैं और किसान अपनी बाजरे की पैदावार अनाज मंडी में ला रहे हैं किंतु उनके सैंपल फेल होने के कारण सरकारी तौर पर खरीद नहीं हो पा रही है।
हैफेड मैनेजर वीरेंद्र कुमार ने बताया कि प्रतिदिन सैंपल रेवाड़ी भेजे जाते हैं किंतु मानकों पर खरे नहीं उतरने के कारण सभी सैंपल फेल हो जाते हैं। ऐसे में सरकारी तौर पर खरीद नहीं हो पा रही है।







होने लगी है कुछ वर्षों से गन्ने की पूजा
-उत्तर प्रदेश और बिहार में है अधिक प्रचलन
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कनीना की आवाज।
 दीवाली के दिन जहां गन्ने की पूजा करने का रिवाज धीरे-धीरे ग्रामीण क्षेत्रों में भी बढ़ता जा रहा है। पहले कभी कोई गन्ने नहीं उगता था किंतु अब गन्ने की पैदावार भी कुछ किसान लेने लग गए हैं। कनीना क्षेत्र में ही कम से कम पांच किसान अलग-अलग गांवों के गन्ने की पैदावार ले रहे हैं। दीवाली पर गन्ने का पूजन बिल्कुल ठीक वैसे ही होता है जैसे होली पर। हरियाणा में गेहूं आदि का पूजन किया जाता है। जिस प्रकार होली दहन में गेहूं को भूनकर पूरा परिवार चखकर गेहूं के पकने का पता लगाता है  तत्पश्चात गेहूं की कटाई होती है। इसी प्रकार दीपावली पर उत्तर प्रदेश और बिहार आदि राज्यों में गन्ने का पूजन किया जाता है तत्पश्चात उसकी कटाई की जाती है। लेकिन धीरे-धीरे प्रदेश हरियाणा में भी हजारों की संख्या में उत्तर प्रदेश एवं बिहार के लोग आ गए हैं जिनकी मांग गन्ने की होती है। जिसके देख अन्य लोग भी गन्ने को दीपावली पर खरीदने लग गये हैं। जहां विगत 5 वर्षों से भारी मात्रा में गन्ने बिकते आ रहे हैं।
अनेक लोग गन्ना  लेकर आ गए हैं। किसा रणधीर, धर्मवीर, विजय, सोनम आदि रोहतक क्षेत्र से गन्नेकी ट्राली भरकर अपने घरों में खड़ी कर रखी है ताकि दीपावली से पहले ही गन्ने की बिक्री शुरू हो जाए। वैसे तो दीपावली के दिन के बाद ही नया शक्कर, चीनी, गुड़ आदि आते थे किंतु अब तो पहले से ही नया गुड़ भी बाजार में आ चुका है। वास्तव में गन्नों की पूजन बढऩे के कारण एक-एक गन्ना 50 रुपये का बिकता है और लोग एक दूसरे की होड़ पर गन्ने खरीद ले जाते हैं। विगत वर्ष भी गन्ने भारी मांग थी कि देखते ही देखते एक-एक ट्राली गन्ने की बिक गई थी। अब देखा जाना है कि गन्ने की बिक्री किस कदर बढ़ती है।
   आज से पांच वर्ष पूर्व दीपावली के पर्व पर गन्ने के प्रति लोगों का कोई रुझान नहीं होता था किंतु अब दूसरे राज्यों विशेषकर बिहार एवं उत्तरप्रदेश से आए लोग इस पर्व पर गन्ने की पूजा करने लगे तो क्षेत्रीय लोग भी उनके पीछे दौउऩे लगे हैं। क्षेत्र में गन्ने की अच्छी खासी बिक्री होने लगी है। साफ गन्ना नहीं अपितु पत्ते सहित ही बेचा जाता है। और तो और कुछ लोग अपनी गाडिय़ों के आगे गन्ना झंडे के रूप में लगाकर दो तीनों से चल रहे हैं।
  लोगों का कहना है कि दीपावली के पर्व पर गन्ना तैयार हो जाता है और कटाई शुरू हो जाती है वहीं तथाकथित भूत भगाने के लिए लोग गन्ने को घर से जलाकर चौराहे पर लाकर पटकते हैं। वाहनों के आगे गन्ना लगाकर दौड़ाने का भी रिवाज बढ़ रहा है। उत्तरप्रदेश में तो गन्ने द्वारा घर को भूतों से बचाकर पूजा की जाती है।
फोटो कैप्शन 06: गन्ने की कनीना में खेती







भारी संख्या में मजदूर लौटने लगे हैं अपने राज्यों में
-छठ पूजा के बाद फिर लौटेंगे
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कनीना की आवाज।
 भारी संख्या में मजदूर दो बार हरियाणा प्रदेश में आते हैं। जब दो बार फसल कटाई होती है उस समय ग्रामीण क्षेत्रों में भारी संख्या में मजदूर आसपास आते हैं। अनाज मंडी, किसानों के खेतों में, मुर्गीपालन केंद्रों और अन्य जगह मजदूर काम करते हैं। दीपावली के दिन ये मजदूर अपने राज्यों में जाते हैं क्योंकि दीपावली के बाद छठ पूजा बहुत जोर शोर से उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य में मनाई जाती है। 27 अक्टूबर को छठ पूजा का पर्व मनाया जाएगा। इसीलिए मजदूर अब काम छोड़कर दूसरे अपने राज्यों में चले गए हैं या कुछ जा रहे है। तत्पश्चात यह दिवाली और छठ पूजा के बाद वापस लौट कर आएंगे। तब तक काम रुक जाता है।
 कनीना के भीम सिंह, दिनेश कुमार, राज कुमार आदि ने बताया कि उनके यहां मजदूरी करने बहुत से मजदूर आते हैं। ये मजदूर बिहार, उत्तर प्रदेश राजस्थान,मध्यप्रदेश, नेपाल तथा दूसरे क्षेत्रों से आते हैं। बिहार और उत्तर प्रदेश में छठ पूजा का पर्व विशेष रूप से मनाया जाता है और अब तो ग्रामीण क्षेत्रों में भी यह लोग छठ पूजा का पर्व मानने लग गए हैं। जो मजदूर अपने राज्य नहीं जा सकते वो छठ पूजा अपने जहां रह रहे वहीं पर मानने लग गए हैं। रेवाड़ी आदि में तो अलग से घाट भी बना दिए जाते हैं। यही कारण है कि बहुत से मजदूर अब काम छोड़कर अपने राज्यों में जा रहे हैं। ट्रेनों में भारी भीड़ चल रही है जिसके चलते ये मजदूर वापस फिर से लौटकर आएंगे। तब तक सारा काम ठप हो जाता है। छोटे उद्योग धंधे, चाय की दुकान, मुर्गी पालन केंद्र या बड़े उद्योगों में ये मजदूर देखे जा सकते हैं।






दीपावली को लेकर व्यस्तता बढ़ी
-बाजार से पैदल निकलना भी हुआ कठिन
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कनीना की आवाज।
 दीपावली के पर्व को लेकर व्यस्तता बढ़ी है। 20 अक्टूबर को दीपावली पर्व मनाया जाएगा। जहां बाजार में भीड़ बढऩे लगी है वहीं मिठाई बनाने वालों के यहां सबसे अधिक भीड़ देखने को मिली। पर्व पर सबसे अधिक मिठाई बिकती हैं। उधर पेंट, रंग आदि की दुकानों पर भी भीड़ बढ़ी है।
  कई दिनों से दीवाली को लेकर भीड़ बढऩे लगी थी। ज्यों ज्यों दीपावली पास आ रही है त्यों त्यों व्यस्तता बढऩे लगी है। बाजार में तरह तरह की मिठाइयां बनाई जा रही हैं वहीं रंग पेंट की दुकानों पर भारी भीड़ देखने को मिल रही है। किसान खरीफ फसल से निपटने व भावी रबी फसल बीजाई में लग गए हैं। दुकानदार विभिन्न सामान लाकर अपनी दुकानों को सजाने में लगे हुए हैं। दीपावली के पावन पर्व पर सबसे अधिक बिक्री होती है। बाजार में घिसे पीटे माल की सेल लग रही हैं वहीं विभिन्न प्रकार के सामान बाजार में आ गए हैं जिनकी दीपावली को जरूरत होती है।
 किसान खरीफ फसल से निपटने व भावी रबी फसल पैदावार लेने में लग गए हैं। दुकानदार विभिन्न सामान लाकर अपनी दुकानों को सजाने में लगे हुए हैं। रंग पेंट करने वाले मोनू एवं सोनू ने बताया कि उनकी मांग बढ़ती ही जा रही है।
  कनीना पालिका तहबाजारी की पर्चियां काट दी जिससे कुछ दुकानदारों में रोष देखने को मिला। रवि कुमार ने बताया कि उन्होंने एक छोटी सी मेज लगा रखी थी जिसके दो सौ रुपये तहबाजारी के ले लिये जबकि दुकान बीडीपीओ कार्यालय के तहत आती है।
फोटो कैप्शन 05:बाजार में भीड़ का नजारा।







गो संवर्धन हेतु लाए गए उन्नत नस्ल के दो सांड
-दीपावली पर होगा उनका पूजन-भगत सिंह
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कनीना की आवाज।
कनीना की श्रीकृष्ण गौशाला में गायों की उन्नत नस्लें तैयार करने के लिए और गो संवर्धन हेतु थारपर नस्ल का एक सांड तथा हरियाणा नस्ल का एक सांड लाये गये हैं।
विस्तृत जानकारी देते हुए श्रीकृष्ण गौशाला कनीना के प्रधान भगत सिंह ने बताया कि 25 सालों से गो संवर्धन पर काम कर रही संस्था तथा पूरे भारत में उन्नत नस्ल की गायें एवं सांड प्रदान करने वाली संस्था खांडवा से ये बुल लाये गये हैं। संचालक कृष्णस्वरूप महाराज से संपर्क कर बुल की मांग की तो उन्होंने सहर्ष देने का निर्णय किया। दोनों ही सांडों का दीपावली के दिन अभिनंदन किया जाएगा। ये नस्ले 18 से 22 लीटर तक दूध देती हैं।  
  भगत सिंह प्रधान ने बताया कि उनकी हार्दिक इच्छा है कि कनीना श्रीकृष्ण गौशाला ऊंचाइयों को छुए तथा उन्नत नस्ल की गायें तैयार हो ताकि लोग गौशाला से उन्नत नस्ल की गायों को अपने घर में रखने के लिए बाध्य हो जाए। उन्होंने कहा कि यह दिन अब दूर नहीं है और जल्द ही उनकी यह तमन्ना पूरी हो जाएगी। इस मौके पर भगत सिंह के अलावा राम प्रताप पूर्व शिक्षक, दिलावर सिंह आदि उपस्थित रहे।
 फोटो कैप्शन 3: उन्नत नस्ल का बुल दिखाते हुए प्रधान एवं अन्य



गोवर्धन पूजा 22 को
-अन्नकुट के रूप में मनाया जाएगा-संदीप राठी
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कनीना की आवाज।
 कनीना क्षेत्र में 22 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा के रूप में अन्नकुट का पर्व मनाया जाएगा। विस्तृत जानकारी देते हुए खाटू श्याम मंदिर कनीना के प्रधान संदीप राठी ने बताया कि हर वर्ष अन्नकुट का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष 22 अक्टूबर को यह पर्व मनाया जाएगा इसके लिए विशेष तैयारियां चल रही हैं।






राव नरेंद्र सिंह ही कर सकते हैं क्षेत्र का भला-अंकुर यादव
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कनीना की आवाज।
समाजसेवी अंकुर यादव कनीना अपने साथियों सहित कांग्रेस पार्टी द्वारा बनाए गए हरियाणा के अध्यक्ष राव नरेन्द्र से उनके निवास स्थान नारनौल पर मिलकर उनको व्यक्तिगत दीपावली की हार्दिक बधाई दी। इस व्यक्तिगत मुलाकात पर इलाके के लिए विकास कार्यों को पूरा करवाने के लिए विचार विमर्श हुआ।
  अंकुर यादव ने कहा कि राव नरेंद्र को हरियाणा का अध्यक्ष बनाया जाना अपने आप में अहंमियत रखता है जो क्षेत्र के लिए खुशी की बात हैं। राव नरेंद्र सिंह के पिता भी पंचायत मंत्री होते थे जिन्होंने अनेक विकास कार्य करवाए। तत्पश्चात राव नरेंद्र सिंह ने मंत्री रहते हुए विकास कार्य करवाये जिन्हें लोग भुला नहीं सकते।
  राव नरेन्द्र ने आश्वासन दिया कि इलाके में किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं होगा। सभी का सम्मान किया जाएगा। पूर्व मंत्री राव नरेंद्र कहा कि उनके कनीना से पारिवारिक संबंध हैं। इस मौके पर विनोद पटीकरा, हेमंत चौधरी कनीना, मोहित कनीना आदि उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 01: राव नरेंद्र सिंह से मुलाकात करते हुए अंकुर यादव व अन्य।















प्रदूषण से दीपावली को बचाने की ले रहे हैं शपथ
-देसी घी के दीये जलाए जाएंगे
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कनीना की आवाज।
इस बार क्षेत्र के युवा एवं बुजुर्ग दीपावली को घी के दीये जलाकर एवं आपस में मिलकर दीपावली मनाना चाहते हैं। पटाखे न चलाने व चाइनीज आइटम न खरीदने की शपथ ले रहे हैं। देसी घी के भाव एक हजार रुपये प्रति किलो होने के बावजूद भी वे मुख्य दीया घी का ही जलाते आ रहे हैं। महंगाई के कारण दस फीसदी लोग मोमबत्ती ही जलाकर दीपावली का पर्व मनाते हैं। युवाओं में इस बार दीपावली को सौहार्द, भाईचारा एवं एकता का पर्व बनाने की होड़ लगी है। वे पटाखे चलाने के पक्ष में भी नहीं हैं। युवाओं से इस संबंध में चर्चा की गई--
घरों में मोमबत्ती न जलाकर घी के दीये ही जलाने चाहिए। यही परंपरा श्रीराम के अयोध्या में लौटने पर अपनाई गई थी। उनका कहना है कि घर की मिठाइयां ही खानी चाहिए। वे पटाखे न चलाकर प्रदूषण से बचना चाहते हैं। पटाखों का प्रदूषण कई कई दिनों तक चलता है।
-- कंवरसेन वशिष्ठ,कनीना
घर की मिठाइयां खाकर, घी के दीये जलाकर एवं पटाखे न चलाकर ही दीपावली मनाएंगे। उनका मानना है कि महंगाई के युग भी दीपावली के प्रति लोगों में जोश है। उनका मानना है कि चाइनीज आइटम नहीं खरीदने चाहिए। दीये बनाने वालों से दीये खरीदेंगे और घी डालकर जलाएंगे जो एकता का परिचायक होगा।
   --छोटूराम कोटिया निवासी
 दीपावली को सादगी से मनाना चाहते हैं। लोग जुआ खेलते हैं और दुकानों की मिठाइयां खाकर पटाखे चलाते हैं जो अनुचित है। वे चीन के माल के विरोधी हैं तथा भारत का सामान खरीदना चाहते हैं। वे इस बार गांव में भी देसी घी के ही दीये जलाने की सलाह दे रहे हैं और इस पर्व पर पटाखे न चलाने की प्रेरणा देकर कनीना व आस पास को साफ सुथरा एवं प्रदूषण मुक्त बनाएंगे।
---मुकेश नंबरदार,कनीना
 हम स्वयं भी प्रदूषण नहीं करेंगे और दूसरों को भी रोकेंगे। हम सादगी से दीपावली मनाने की तमन्ना है। हम घी के दीये जलाकर दूसरों को भी प्रेरणा देंगे। उन्होंने शपथ ली कि वे चाइनीज आइटम नहीं खरीदेंगे। कुल मिलाकर युवा पीढ़ी इस बार कम से कम पटाखे चलाने के पक्ष में हैं और दीपावली को सादगीपूर्ण मनाए जाने के पक्ष में है। वे चाइनीज आइटम नहीं खरीदना चाहते।
--सुनील कुमार, बिसोहा
फोटो कैप्शन: छोटूराम, सुनील कुमार, मुकेश नंबरदार एवं कंवरसेन वशिष्ठ


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