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Tuesday, October 14, 2025
दीपावली पर्व 20 अक्टूबर को पड़ेगा ---
शिति कंठा
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कनीना की आवाज। ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषिराज शितिकांठा का कहना है कि सूर्य सिद्धांत के अनुसार ही पंचांग निर्माण की हमारी ऋषि परंपरा रही है। धर्म शास्त्र के अनुसार ही हमारे निर्णय पूर्णत: फलित होते हैं, इसी को आधार मानते हुए देखें तो 20 अक्टूबर 2025 को 03:48 मिनट पर अमावस्या लग रही है। हमारे यहां प्रदोष व्यापिनी अमावस्या ही दीपावली पर ग्राह्य होती है जो कि अगले दिन शाम 5:55 बजे तक रहेगी।
ऐसे में धर्मशास्त्र और ज्योतिषीय सिद्धांत के आधार पर दीपावली का पर्व 20 अक्टूबर 2025 को ही मनाया जाएगा भारत में दीपावली त्योहार पांच दिन की अवधि तक मनाया जाता है।
देवज्ञ पंडित ऋषि राज शितिकंठा ने बताया कि दीपावली को अंधकार पर प्रकाश की जीत के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
यह भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास से लौटने, या फिर पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को कमल पर विराजमान माता लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था।
उनके आगमन और धन-समृद्धि की देवी के रूप में उनकी पूजा की जाती है।
जैन धर्म में दिवाली भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के रूप में मनाई जाती है।
यह आत्मा की वह अवस्था है, जब वह जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त होकर परम आनंद और ज्ञान का अनुभव करती है।
भारत में दीपावली त्योहार पांच दिन की अवधि तक मनाया जाता है। पहले दिन दीपावली पर, कौवे को परमात्मा का दूत होने की मान्यता के कारण प्रसाद दिया जाता है। दूसरे दिन
दीपावली पर, कुत्तों को अपनी ईमानदारी के लिए भोजन दिया जाता है। तीसरे दिन गोरु त्योहार
में, गाय और बैल को सजाया जाता है। लक्ष्मी पूजा की जाती है। इस दिन व्यापारी अपने सारे खातों को साफ कर उन्हें समाप्त कर देते हैं। लक्ष्मी पूजा से पहले, मकान सजाया जाता है; लक्ष्मी पूजा के दिन, तेल के दीयों को दरवाजे और खिड़कियों के पास जलाया जाता है। चौथे दिन को गोवर्धन पूजा होती है। यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है, जो दीपावली महापर्व से चौथा दिन होता है। यह त्योहार 22 अक्टूबर को पड़ेगा। पांचवें और अंतिम दिन को भैया दूज कहा जाता, यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला हिन्दू धर्म का पर्व है जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं। यह पर्व भाई के प्रति बहन के स्नेह को अभिव्यक्त करता है एवं बहनें अपने भाई की खुशहाली के लिए कामना करती हैं। भाई बहनों से मिलते हैं। भाई के माथे पर टीका लगाया जाता है। भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं । यह त्योहार 23 अक्टूबर को पड़ेगा।
पंडित ऋषिराज ने बताया कि दीपावली को अंधकार पर प्रकाश की जीत के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास से लौटने, या फिर पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को कमल पर विराजमान माता लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था।
उनके आगमन और धन-समृद्धि की देवी के रूप में उनकी पूजा की जाती है।
जैन धर्म में दिवाली भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के रूप में मनाई जाती है।
यह आत्मा की वह अवस्था है, जब वह जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त होकर परम आनंद और ज्ञान का अनुभव करती है।
फोटो कैप्शन : ऋषिराज
मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना-2.0
-सीईओ उदय सिंह की अध्यक्षता में हुआ आवासीय प्लाट आवंटन का आनलाइन ड्रा
-जिला के 9 गांवों के 306 लाभार्थियों को मिले प्लाट
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कनीना की आवाज। मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना 2.0 के दूसरे चरण के तहत आज जिला महेंद्रगढ़ के पात्र लाभार्थियों को सभागार नारनौल में आयोजित जिला स्तरीय कार्यक्रम में आनलाइन ड्रा के माध्यम से आवासीय प्लाटों का आवंटन किया गया। ये कार्यक्रम जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी उदय सिंह की अध्यक्षता में हुआ।
इस मौके पर उन्होंने सभी लाभार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि प्रदेश के हर वंचित और जरूरतमंद को घर जैसी मूलभूत सुविधा वरीयता के आधार पर उपलब्ध हो। इसी कड़ी में हरियाणा सरकार पात्र लाभार्थियों के लिए प्लाट वितरण का कार्यक्रम रखा गया है।
उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत उन ग्रामीण परिवारों को आवास की सुविधा प्रदान की गई है जिनकी वार्षिक पारिवारिक आय परिवार पहचान पत्र के अनुसार 1.80 लाख तक है।
इस आवंटन के बाद जिला की पंचायतों में 100 वर्ग गज के आवासीय प्लाट लाभार्थियों को दिए जाएंगे।
इस प्रक्रिया में खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी को पंजीकरण और कब्जे के लिए नोडल अधिकारी बनाया गया है। प्लाटों का भौतिक कब्जा लाभार्थियों को सड़कें, सीवरेज, पेयजल आपूर्ति और बिजली जैसी बुनियादी ढांचा पूरा होने के बाद ही सौंपा जाएगा। लाभार्थी को एमएमजीएवाई-2.0 पोर्टल के माध्यम से 1000 रुपए का एकमुश्त शुल्क का भुगतान करना होगा। इसके बाद लाभार्थी अपने आवंटन पत्र के साथ बीडीपीओ के समक्ष प्रस्तुत होंगे।
जिले के इन 9 गांवों के लाभार्थियों को मिले प्लाट--
जिला परिषद के सीईओ उदय सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना-2.0 योजना के तहत जिले के 9 गांवों के पात्र आवेदकों को प्लॉट आवंटित किए गए हैं। ब्लाक कनीना में गुढा के 30, खेड़ी के 90 और सेहलंग के 39 पात्र लाभार्थियों को प्लाट मिले। इसी प्रकार, ब्लॉक महेंद्रगढ़ में सीसोठ के 25, डेरोली जाट के 11 और दोखेरा के 13 लाभार्थियों को उनका हक मिला। ब्लाक नांगल चौधरी के कमानिया से 23, नारनौल ब्लॉक के मंडलाना से 12, और ब्लाक सतनाली के सतनाली गांव से 63 लाभार्थियों को प्लाट आवंटित किए गए हैं।
निजी स्तर पर खरीद पहुंची 77,000 क्विंटल
-अब तक 2765 गेट पास काटे गये
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कनीना की आवाज। कनीना की नई अनाज मंडी स्थित चेलावास में सरकारी तौर पर एक दाना भी खरीदा नहीं गया है लेकिन निजी स्तर पर 77,000 क्विंटल बाजरा खरीदा जा चुका है। यह बाजरा 1900 रुपये से लेकर 1950 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीदा गया है। कुल आवक 77,000 क्विंटल हो चुकी है। मंगलवार को 211 किसान 6000 क्विंटल बाजरे की पैदावार लेकर अनाज मंडी पहुंचे।
विस्तृत जानकारी देते हुए सचिव मार्केट कमेटी मनोज पाराशर ने बताया कि अब तक 2765 टोकन किसानों के काटे जा चुके हैं और किसान अपनी बाजरे की पैदावार अनाज मंडी में ला रहे हैं किंतु उनके सैंपल फेल होने के कारण सरकारी तौर पर खरीद नहीं हो पा रही है।
हैफेड मैनेजर वीरेंद्र कुमार ने बताया कि प्रतिदिन सैंपल रेवाड़ी भेजे जाते हैं किंतु मानकों पर खरे नहीं उतरने के कारण सभी सैंपल फेल हो जाते हैं। ऐसे में सरकारी तौर पर खरीद नहीं हो पा रही है।
दो दिवसीय दिव्यांग जागरूकता शिविर 16 से
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कनीना की आवाज। हरियाणा स्कूल शिक्षा परियोजना परिषद पंचकूला के तत्वाधान में राजकीय माडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना के रिसोर्स सेंटर के अंतर्गत 16 अक्टूबर 17 अक्टूबर को दो दिवसीय जागरूकता शिविर का आयोजन किया जा रहा है । प्राचार्य श्री सुनील खुडानिया व अमृत सिंह विशेष शिक्षक ने बताया कि आने वाली 16 अगस्त 17 अक्टूबर को दो दिवसीय जागरूकता शिविर का आयोजन विद्यालय में किया जा रहा है जिसमें कनीना खंड में अध्यनरत दिव्यांग बच्चों के अभिभावक और उनके विद्यालय से अध्यापक एसएमसी सदस्य ओर आंगनवाड़ी वर्कर इस कार्यक्रम का हिस्सा होंगे। रिसोर्स पर्सन के रूप में धर्मेंद्र विशेष अध्यापक राजकीय माडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय चरखी दादरी अपनी भूमिका निभाएंगे और तो रिसोर्स पर्सन अमृत सिंह विशेष शिक्षक व सरिता विशेष शिक्षक होंगे ।
2 नवंबर देव उठावनी एकादशी होने से खूब बजेंगी शहनाइयां
--कनीना में 6 मैरिज प्लेस
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कनीना की आवाज। 02 नवंबर से देव उठनी एकादशी पर विवाह शादियों का सीजन शुरू हो जाने से इस बार कम अवधि में खूब शहनाइयां बजेंगी। ऐसे में नये कपड़ों की विशेषकर आधुनिक कपड़ों की मांग बढऩे लगी है। ऊनी कपड़ों की मांग भी बढ़ी है। कनीना एवं आस पास दो सौ के करीब शादियां हैं। सभी विवाह समारोह स्थल पहले से ही बुक हैं।
देव उठनी एकादशी 02नवंबर को-
देव उठानी एकादशी 02 नवंबर से शुरू हो रही है। इस दिन विवाह शादी शुरू हो जाएंगी तथा विभिन्न विभिन्न स्थानों पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। कनीना के आचार्य दीपक कौशिक ने बताया कि अकेले कनीना क्षेत्र में 10 के करीब शादियां हो रही है तथा आस पास गांवों को मिलकार करीब 200 शादियां हैं। देव उठनी एकादशी का दिन विवाह शादियों के लिए सबसे शुभ दिन होता है। लंबे समय से विवाह शादी करने वाले इस दिन का इंतजार कर रहे थे। एकादशी पुनीत कार्य पुण्य के बराबर होते हैं। यही कारण है कि इस दिन विवाह शादियां की जाती है।
निर्वाण दिवस-
उधो आश्रम के बाबा लाल दास ने बताया कि उदास निर्वाण दिवस मनाया जा रहा है। इस दिन पवित्र ग्रंथ की पूजा अर्चना की जाती है तथा विभिन्न कार्यक्रम उदास आश्रम में आयोजित किए जा रहे हैं। उल्लेखनीय उठानी एकादशी का दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
क्या कहते हैं विवाह समारोह संचालक-
विवाह समारोह संचालक हनुमान सिंह से बात हुई तो उन्होंने बताया कि कनीना में 6 विवाह समारोह स्थल हैं जिनके पास नवंबर एवं दिसंबर दो माह में करीब 25 से 30 शादियों की बुकिंग आएंगी। किसी के पास अधिक तो किसी के पास कम बुकिंग आ चुकी हैं।
फोटो केप्शन: हनुमान सिंह विवाह समारोह संचालक
सर्दी के दस्तक देते ही बढऩे लगी ऊनी कपड़ों की मांग
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कनीना की आवाज। हल्की सर्दी दस्तक देने से गर्म कपड़ों की की मांग बढऩे लगी है। आधुनिक दर्जे के गर्म कपड़ों की मांग को देखते हुए दुकानदार भी विभिन्न प्रकार के गर्म कपड़े रखने लग गए हैं और आए दिन फैशन के नाम पर दुकानें खुलने लगी हैं।
2 नवंबर से देव उठनी एकादशी पर विवाह शादियों का सीजन शुरू हो जाएगा। ऐसे में कपड़ों की विशेषकर आधुनिक कपड़ों की मांग बढऩे लगी है। सिले हुए कपड़ों की दुकान एवं सिलाई करने वाले दर्जियों के पास कपड़े सिलवाने वालों की मांग बढ़ी है वहीं स्कूल एवं कालेजों में जाने वाले विद्यार्थी एवं जवां दिखने की ललक वाले जन फैशन प्वाइंटों पर जाकर आधुनिक दर्जे के फैशनवाले कपड़े खरीदने लगे हैं।
विगत करीब तीन वर्षों में सिले हुए कपड़ों की दुकानों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है। वर्तमान में करीब तीन दर्जन नए नए फैशन की दुकानें तथा कई सिले हुए कपड़ों की दुकानें खुल चुकी हैं जहां युवा पीढ़ी कपड़े लेने जरूर जाते हैं।
क्या कहते हैं दुकानदार-
आधुनिक दर्जे के कपड़े सिलने व आधुनिक दर्जे के फैशन के कपड़े की दुकान करने वाले महेंद्र कुमार, शेर सिंह, मनोज का कहना है कि नए डिजाइन एवं आधुनिकता से परिपूर्ण एवं गर्म कपड़ों की बेहद मांग हैं। वे दिल्ली से इस प्रकार के कपड़े लाकर युवाओं के लिए प्रदान कर रहे हैं। युवा एवं अन्य जन बेहद आकर्षित हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि निकट भविष्य में शादियां शुरू होने जा रही हैं जिसके चलते नए डिजाइन के कपड़े सिलवाने वालों का तांता लगने लगा है।
कालरवाली जोहड़ की खोदाई जारी
-इसके बाद होलीवाला जोहड़ होगा साफ
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कनीना की आवाज। कनीना के कालरवाली जोहड़ की खोदाई का काम पूरे यौवन पर है। वर्षा के कारण बीच में काम स्थगित हो गया था। अब फिर से जारी है। जोहड़ को गहरा खोदा जा रहा है। तत्पश्चात इस जोहड़ में पानी अधिक मात्रा में समास समा सकेगा।
जानकारी देते हुए नगर पालिका के कनिष्ठ अभियंता राकेश कुमार ने बताया की कालरवाली जोहड़ का काम पूरा होने के बाद होलीवाला जोहड़ की सुध ली जाएगी और इस समस्या से निजात पाया जाएगा।
उल्लेखनीय है कनीना का अधिकांश वर्षा एवं गंदा जल होलीवाला जोहड़ में आता है। होलीवाला जोहड़ का जल सड़कों पर फैला हुआ है। पूरे साल में इस जोहड़ का जल सड़कों पर फैला रहता है। इस जोहड़ के चारों ओर अतिक्रमण पूरे यौवन पर है। कस्बा के धर्मवीर, विजय कुमार, सुनील कुमार महेश कुमार आदि का कहना है कि जिस प्रकार कालरवाली जोहड़ की खोदाई करने से पहले पैमाइश करवाई गई थी ठीक उसी प्रकार होलीवाला जोहड़ की भी पहले पैमाइश होनी चाहिए, तत्पश्चात इसकी खोदाई का कार्य शुरू किया जाना चाहिए। खोदाई के बाद कनीना के होलीवाला जोहड़ की समस्या से निजात मिलने की संभावना जताई जा रही है। वैसे तो यह जोहड़ चारों तरफ से अतिक्रमण के कारण संकीर्ण हो चुका है और यह जल मजबूरन सड़कों पर फैल रहा है। अगर इसकी पैमाइश करके अतिक्रमण हटा दिया जाए तो खोदाई की ही जरूरत नहीं पड़ेगी। अगर खोदाई होती है तो इसमें ज्यादा जल समा सकेगा।
कभी इस जोहड़ का जल फसल के लिए भी उपयोग किया गया था किंतु बाद में किसानों ने इस जल का उपयोग बंद कर दिया। अब दोनों जोहड़ों का जल सीवर ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचता है। जब कभी वर्षा होती है तो इन जोहड़ों का जल बहुत दूर दराज तक फैल जाता है। जोहड़ों के कारण लाखों रुपये की क्षति सड़कों की हुई है वही दो जान भी इन जोहड़ों में गिरने से हो चुकी है।
फोटो कैप्शन 01: कनीना का कालरवाली जोहड़ की खोदाई
ऐसे मनाएंगे दीपावली
घर की मिठाई खाकर सादगी से मनाएंगे दीपावली
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कनीना की आवाज। इस बार क्षेत्र के युवा घर की बनी मिठाई खाकर,चाइनीज आइटम नहीं खरीदेंगे और दीपावली सादगी से मनाएंगे। दीपावली को घी के दीये जलाकर एवं आपस में मिलकर दीपावली मनाना चाहते हैं। वे एक नारा लगा रहे हैं कि घर की मिठाई खाकर, आपस में मिलकर घी के दीये जलाएंगे। उनका मानना है कि लाखों रुपये चाइनीज आइटम पर खर्च होते हैं वे खर्च नहीं किए जाएंगे। क्या कहते हैं दीपावली मनाने वाले-
चीन के बने सामान, लाइट आदि नहीं खरीदेंगे। देसी घी को दीये में डालकर दीपावली के दिन बुजुर्ग पुराने समय से जलाते आ रहे हैं। बुजुर्ग बहुत बुद्धिमान थे। अब उन्हीं के कदमों पर चलकर वे इस बार दीवाली को देसी घी के दीयों से मनाएंगे और दूसरों को भी प्रेरित करेंगे।
--डा. वेदप्रकाश
हम कई वर्षों से देसी घी के दीये जलाते आ रहे हैं। न केवल बड़ी या छोटी दिवाली अपितु मुख्य दिवाली के दिन घर में विभिन्न स्थानों पर रखे जाने वाले समस्त दीये देसी घी से ही जलाते हैं। देसी घी का दीया जलाने का अर्थ है कि वातावरण की देखभाल करना तथा सभी के जीवन की मंगलकामना करना। उन्होंने इन दीयों को अंधकार दूर करने वाला तथा दिलों में शुद्धता भरने वाला प्रतीक बताया। चीन के बने दीपावली के आइटमों से दूर रहने की सलाह दी है।
---मनोज कुमार एडवोकेट
मैं घर पर बनी मिठाई खाऊंगा तथा दूसरों को प्रेरित करूंगा। न केवल स्वयं देसी घी के दीये जलाएंगे अपितु दूसरों को भी इस बार देसी घी के ही दीये जलाने के लिए प्रेरित करेंगे। उनके अनुसार देसी घी के दीये जलाना एक हवन या यज्ञ के बराबर होता है। पर्यावरण का प्रदूषण दूर होता है तथा सुगंधित वातावरण बन जाता है। दीये का प्रकाश जहां तक जाता है वहां तक हानिकारक कीट नष्ट हो जाते हैं।
-------डा. ज्ञान सिंह
हमारी संस्कृति के अनुसार घी के दीये जलाना शुभ माना जाता है और ऐसे में वे देशी घी के दीये स्वयं भी जलाते हैं और दूसरों को भी प्रेरित करते हैं। उन्होंने कहा कि बाजार की मिठाई नहीं खरीदेंगे, चाइनीज आइटमों का सदा बहिष्कार करते आये हैं। दीये खरीदने पर बल देंगे।
--डा. अजीत
फोटो कैप्शन : डा. अजीत, डा. ज्ञान, डा. वेद प्रकाश, मनोज एडवोकेट
कम से कम 30 सेकंड और अधिकतम 1 मिनट हाथों को धोना चाहिए-डा. विनय
-हस्तप्रक्षालन दिवस-15 अक्टूबर
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कनीना की आवाज। हस्तप्रक्षालन का सही अर्थ होता है हाथ धुलना। विभिन्न बीमारियों का कारण सफाई होती है। जब हम अपने आस पास सफाई नहीं रखते तो बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ठीक उसी प्रकार अगर हम अपने हाथ को साफ नही रखते जिससे तरह तरह की चीजें छूते हैं। प्रतिवर्ष 15 अक्टूबर को मनाया जाता है। इस दिन लोगों में हाथ धोने के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए अभियान चलाया जाता है। कुछ महत्वपूर्ण कार्य करने के पहले हाथ धोना बहुत महत्वपूर्ण है। भारतीयों के लिए यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां हाथ से ही खाना खाने की संस्कृति है। इसके अलावा मलत्याग के बाद पानी से हाथ द्वारा गुदा स्थान को साफ करते हैं, अत: इसके बाद उचित ढंग से हाथ की सफाई आवश्यक है।
डा. विनय शर्मा बताते हैं कि खाने खाते वक्त बेहतर दर्जे के हैंड वाश आदि से हाथों को धोना चाहिए। यह शारीरिक स्वच्छता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो कीटाणुओं को फैलने से रोकता है और बीमारियों से बचाता है।
उन्होंने बताया कि हस्त प्रक्षालन खाने वाले व्यंजनों के कारण होने वाली बीमारियों को रोकने में मदद करता है।
कुछ हिंदू धार्मिक अनुष्ठानों में, हस्त प्रक्षालन का विशेष ध्यान रखा जाता है। हाथों को कम से कम से कम 30 सेकंड और अधिकतम 1 मिनट तक धोना चाहिए। हाथों को सीधा, फिर उल्टा, फिर नाखून फिर हथेली, फिर अंगूठा ,और फिर बाजू छह सौपानों से होकर हाथों को धोना चाहिए। हाथों को धोने से बीमारी फैलने वाले वायरस और जीवाणु जो नंगी आज से नहीं दिखाई देते, नष्ट हो जाते हैं। हाथों को धोने से अनेक बीमारियों से बचा जा सकता है। जब-जब मलमूत्र त्याग करते हैं, बाहर कहीं घूम कर आते हैं या कोई गंदगी आदि उठाकर आते हैं, सुबह, शाम दोपहर जब भी हाथों से कोई खाने पीने का कार्य करते हैं उसे समय हाथों को धोना जरूरी होता है। हाथों को यदि नहीं धोया जाए तो बीमारियां घर कर जाती है। बीमारियों से बचने का सबसे सरल उपाय हस्त प्रक्षालन या हैंड वाश, हाथ धोवन नाम से जाना जाता है। खाना बनाने से पहले, बाथरूम इस्तेमाल करने पर, खाना खाते समय अपने हाथों को जरूर साफ करना चाहिए जिससे कई बीमारियों से बचा जा सकता है। वर्ष 2008 में विश्व हस्त प्रक्षालन दिवस की शुरुआत की गई थी तब से लगातार लोगों को जागरूक किया जा रहा है। हाथों को अच्छी प्रकार धोने से दस्त एवं निमोनिया सहित कई बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। एक अन्वेषण के दौरान पता लगाया कि हाथों के धोने से बच्चों में दस्त से होने वाला खतरा 40 फीसदी कम हो जाता है। लोगों को हाथ धोने के बारे में जानकारी देने से स्वास्थ्य का अच्छा बनाने में मदद मिलती है। न केवल लीवर संबंधी समस्या का समाधान होता है बल्कि सर्दी, बुखार एवं वायरल आदि दूर हो जाते हैं। कई बार ऐसे जीवाणु और विषाणु जो नग्न आंखों से नहीं देखे जा सकते हैं, मोबाइल फोन या टूथ ब्रश में सबसे ज्यादा पाए जाते हैं, ऐसे में खाने से पहले नियमित रूप से हाथ धोना जरूरी है। अच्छी तरह हाथ धोने से खसरा, चिकन पाक्स के चकते आदि इंफेक्शन नहीं होता क्योंकि ये संक्रमण जानलेवा हो सकते हैं। हर समय कोई काम करते हैं और खाने पीने का काम हाथों करते हैं उस समय हाथों को धो लेना चाहिए।
फोटो कैप्शन: डा. विनय शर्मा
नवोदय विद्यालय में मनाया विकसित भारत बिल्डथान दिवस
--13 अध्यापको ने 5 सदस्यों वाली टीमों का गठन
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कनीना की आवाज। पीएमश्री जवाहर नवोदय विद्यालय करीरा में विकसित भारत बिल्डथान-2025 दिवस मनाया गया। जिसमे मुख्य अतिथि प्रोफेसर सुनीता श्रीवास्तव , केन्द्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा , विशिष्ट अथिति सहायक प्रोफेसर मुरलीधर नायक, केन्द्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा एवं असिस्टेंट प्रोफेसर डा. सुनील कुमार, केन्द्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा विद्यालय परिसर में उपस्थित हुए।
मुख्य अतिथि प्रोफेसर सुनीता श्रीवास्तव ने सभी छात्र-छात्राओ को आत्म- निर्भर भारत का आह्वान, विकसित भारत का निर्माण विषय पर बच्चों का मार्गदर्शन किया। विशिष्ट अतिथि ने स्वदेशी, वाकल फार लोकल समृद्ध भारत एवं आत्म-निर्भर भारत विषयों पर जानकारी दी। विद्यालय प्राचार्य बृजमोहन लाल रावत ने विद्यार्थियों को शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार को अपनाते हुए विकसित भारत की ओर अग्रसर होने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम के प्रभारी शिक्षक गोविन्द नारायण सैन के नेतृत्व में उनकी टीम के सदस्यों ने अपनी नवाचार का प्रदर्शन सभी उपस्थित जनों के समक्ष प्रभावी ढंग से किया। मंच संचालन विक्रम सिंह के द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम के अंतर्गत विद्यालय की और से 13 अध्यापको ने 5 सदस्यों वाली टीमों को गठन किया जो अपने विभिन्न प्रोजेक्ट/माडल को निश्चित समयावधि में पूर्ण करेंगे। विद्यालय के उप -प्राचार्य धर्मेन्द्र आर्य ने सभी अतिथियों एवं टीम प्रतिभागी विद्यार्र्थियों व उनके मार्गदर्शक शिक्षकों का आभार व्यक्त किये।
फोटो कैप्शन 02: वकसित भारत बिल्डथान दिवस पर विद्यार्थी एवं शिक्षक
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