बंदर पकडऩे के लिए आई तीन एजेंसी
-जल्द ही उनके जांचे
जाएंगे कागजात
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कनीना की आवाज। कनीना में लंबे समय से बंदरों की समस्या झेल रहे लोगों के लिए कुछ शकुन भरा पाल होगा जब बंदरों को पकडऩे की कार्रवाई शुरू होगी। बंदर पकड़वाने के लिए टेंडर छोड़े गए थे जिसमें तीन एजेंसी आई हैं।
विस्तृत जानकारी देते हुए एमई नगर पालिका कनीना दिनेश कुमार ने बताया कि बंदर पकडऩे के लिए तीन एजेंसी आ चुकी है। टेंडर खोले जा चुके हैं। अभी उनके कागजात चेक करके फिर इनको बंदर पकडऩे का आदेश दे दिया जाएगा। संभावना है कि दीपावली के बाद ही यह कार्य संभव हो पाएगा।
उधर उन्होंने बताया कि कनीना में डोर टू डोर कूड़ा कचरा उठाने के लिए दो एजेंसी आई है। इनको एक सप्ताह का समय दिया है ताकि ये डीएमसी नारनौल मिलेंगे और उसके बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी। इसमें कुछ समय लगेगा। एमई दिनेश कुमार ने बताया कि अगर ये एजेंसी ठेका लेती है तो हर दिन साथ नए टेंपो लगेंगे जो कूड़ा उठाने के लिए ठेका लेती हैं तो 7 नये टैंपों लगाए जाएंगे जिन पर टैग लगे होंगे। और घरों पर भी टैग लगाए जाएंगे। तत्पश्चात गिला और सूखा कूड़ा अलग-अलग वाहनों में डाला जाएगा। लेकिन यह आगे की योजना है। अभी तो इन कूड़ा कचरा उठाने के लिए दो एजेंसी को डीएमसी के पास उपस्थित होना होगा।
दिव्यांग किसी प्रकार किसी से कम नहीं
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कनीना की आवाज। हरियाणा स्कूल शिक्षा परियोजना परिषद पंचकूला के तत्वावधान में राजकीय माडल संस्कृति सीनियर सेकेंडरी स्कूल कनीना में दिव्यांग जागरूकता शिविर के पहले दिन प्राचार्य सुनील की खुडानिया ने मां सरस्वती के चित्र के आगे दीप प्रज्वलित करके कार्यक्रम की शुरुआत की।
अमृत सिंह राघव विशेष शिक्षक ने सभी एसएमसी मेंबर ,सामान्य अध्यापक, दिव्यांग बच्चों के अभिभावक को संबंधित जानकारी उपलब्ध करवाई तथा विशेष शिक्षा का सरिता ने दिव्यंका के प्रकारों के कर्म और उपायों पर प्रकाश डाला। रिसोर्स पर्सन धर्मेंद्र ने दिव्यांग से संबंधित आने वाली बाधा से हम कैसे मुक्त हो सकते हैं, के बारे में सभी अभिभावकों ,अध्यापकों को बताया। धर्मेंद्र कुमार रिसोर्स पर्सन ने बताया कि दिव्यांग का कोई अभिशाप नहीं है बल्कि एक विशेष प्रकार की योग्यता है। और दिव्यांग किसी भी रूप में किसी से कम नहीं है। आज दिव्यांग हर क्षेत्र में अपना नाम कमा रहे हैं। और उन्होंने यह भी बताया कि कनीना रिसोर्स सेंटर के अंतर्गत आने वाले कुछ दिव्यांग बच्चों ने सरकारी नौकरी भी हासिल कर ली है। आखरी में प्राचार्य सुनील खुडानिया ने आने वाले सभी का अभिवादन किया।
इस मौके पर मुंशी राम प्रवक्ता और धर्मेंद्र कुमार ने सहभागिता निभाई।
फोटो कैप्शन 10: दिव्यांग जागरूकता शिविर में संबोधित करते रिसोर्स पर्सन
निजी स्तर पर खरीद पहुंची 104228 क्विंटल
-अब तक 3609 गेट पास काटे गये
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कनीना की आवाज। कनीना की नई अनाज मंडी स्थित चेलावास में सरकारी तौर अभी तक बाजरा नहीं खरीदा गया है लेकिन निजी स्तर पर 104228 क्विंटल बाजरा खरीदा जा चुका है। यह बाजरा 1900 रुपये से लेकर 1950 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीदा गया है। कुल आवक 104228 क्विंटल हो चुकी है। गुरुवार को 225 किसान 7533 क्विंटल बाजरे की पैदावार लेकर अनाज मंडी पहुंचे।
विस्तृत जानकारी देते हुए सचिव मार्केट कमेटी मनोज पाराशर ने बताया कि अब तक 3609 टोकन किसानों के काटे जा चुके हैं और किसान अपनी बाजरे की पैदावार अनाज मंडी में ला रहे हैं किंतु उनके सैंपल फेल होने के कारण सरकारी तौर पर खरीद नहीं हो पा रही है।
हैफेड मैनेजर वीरेंद्र कुमार ने बताया कि प्रतिदिन सैंपल रेवाड़ी भेजे जाते हैं किंतु मानकों पर खरे नहीं उतरने के कारण सभी सैंपल फेल हो जाते हैं। ऐसे में सरकारी तौर पर खरीद नहीं हो पा रही है।
जर्जर हो चला है कनीना से गाहड़ा सड़क मार्ग
--टेंडर लगाए हुए हैं-एक्षन
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कनीना की आवाज। कनीना से गाहड़ा तक करीब 3 किलोमीटर का मार्ग अति जर्जर हो गया है। जिससे आवागमन में परेशानी हो रही है।
उल्लेखनीय है कि कनीना से गाहड़ा, सीहोर तथा आगे चरखी दादरी आदि तक यह मार्ग पहुंचता है। और इसी मार्ग से होकर बव्वा, बहाला होकर रोहतक तक भी पहुंचा जा सकता है। यह मार्ग कुछ वर्षों पहले बना था किंतु अति जर्जर हो चला है। सुरेंद्र सिंह, सीटू ,बबली, दिनेश, इंद्रजीत आदि में बताया कि इस मार्ग पर पैदल चलना भी कठिन हो गया है, दुर्घटनाओं का अंदेशा बन गया है। इस मार्ग पर छोटे-छोटे गड्ढे बन गए हैं। कुछ जगह तो जल भराव से सड़क टूट गई है। कुछ जगह सड़क का नामोनिशान मिट गया है। इस मार्ग की अविलंब सुध ली जाए ताकि आवागमन सुचारु रूप से हो सके।
इस संबंध में चंद लोगों से बात की तो उनके विचार निम्र हैं-
चरखी दादरी पहुंचने का यह छोटा मार्ग गाहड़ा,सिहोर होकर आगे गुजरता है किंतु यह मार्ग अति जर्जर हो चला है। जगह-जगह गड्ढे बन गए हैं। कुछ जगह तो यही नहीं पता चला कि रोड़ था या नहीं। जब-जब किसान अपनी पैदावार लेकर कनीना आते हैं उन्हें भारी परेशानी उठानी पड़ती है। आवागमन प्रभावित हो रहा है।
-- मनोज शर्मा, कनीना
गाहड़ा-सीहोर सड़क मार्ग बहुत जर्जर है। इसी मार्ग पर जहां अनेक स्कूल संस्थाएं और कार्यालय स्थापित है वही इस सड़क मार्ग की हालत जर्जर होने के कारण और रोहतक जाने वाले लोग भी परेशान है क्योंकि उनके लिए भी एक छोटा मार्ग है। कनीना से गाहड़ा करीब 3 किलोमीटर मार्ग है। और इसकी हालत बहुत जर्जर है। इसकी तुरंत सुध ली जाए।
-- सुदेश कुमारी,बव्वा
कनीना- गाहड़ा- सीहोर- बव्वा आदि गांवों से कनीना का गहरा संबंध है। इसलिए आवागमन इसी मार्ग से होता है और यह मार्ग अति जर्जर होने के कारण इस पर पैदल चलना भी कठिन हो गया है। यदि मार्ग बेहतर हो तो आवागमन बेहतर हो पाएगा। दुर्घटनाओं से बचा जा सकेगा। विशेष कर स्कूली विद्यार्थियों को परेशानी नहीं झेलनी पड़ेगी। इस मार्ग पर कनीनावासियों का आवागमन भी अधिक है। खेतों में तथा गैस एजेंसी तक जाने के लिए भी उन्हें परेशानी झेलनी पड़ती है।
सुरेश कुमार, कनीना
कनीना-सीहोर वाया गाहड़ा सड़क मार्ग को बने लंबा अरसा नहीं हुआ है किंतु इसकी हालत बहुत जर्जर हो गई है। कई स्थानों से सड़क गायब है ,कहीं चौड़े चौड़े गड्ढे बन गए हैं। यदि इसकी सुध ले ली जाए तो लाखों लोगों को लाभ मिलेगा, वहीं विभिन्न मैरिज प्लेस, स्कूल संस्थाएं इसी मार्ग पर स्थित हैं।
--रघुराज सिंह
क्या कहते एक्शन पीडब्ल्यूडी बीएंड आर-
एक्शन पीडल्यूडीबी एंड आर से सड़क के संबंध में चर्चा हुई ।उन्होंने बताया कि इस रोड का जल्द ही उद्धार होगा। टेंडर लगाए हुए हैं और टेंडर का कार्य पूर्ण होते ही इसका पुन: निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा।
फोटो कैप्शन 08: कनीना-गाहड़ा-सीहोर जर्जर मार्ग
साथ में सुदेश कुमारी, सुरेश कुमार, मनोज शर्मा, रघुराज सिंह
हेरिटेज विद्यालय में दीपावली अवसर पर दीया मेकिंग व रंगोली कार्यक्रम किया आयोजित
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कनीना की आवाज। उप मंडल कनीना में स्थित हेरिटेज वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय मोहनपुर में आज दीपावली के पावन पर्व को ध्यान में रखते हुए दिया मेकिंग तथा रंगोली कार्यक्रम की आयोजित की। जिसमें बच्चों ने बड़े ही सुंदर दिए सजाये इसमें नन्हे बच्चों ने बड़े ही सुंदर मनमोहक लुभाने वाले दिए सजाकर सभी का मन मोह लिया।
जिसमें यूकेजी कक्षा से आराधना हनीष पहली कक्षा से युग, दूसरी कक्षा से नमन, तीसरी कक्षा से अवनी, चौथी कक्षा से निधि, पांचवीं कक्षा से समीर ने बड़े ही सुंदर-सुंदर दीये सजाए। इसके साथ विद्यालय में रंगोली कार्यक्रम भी आयोजित किया गया जिसमें कक्षा छठी से 12वीं तक के विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया और प्रतियोगिता में बहुत ही सुंदर-सुंदर रंगोली बनाई। जिसमें प्रथम स्थान चंचल,पूजा, एकता 11वीं कक्षा से, द्वितीय स्थान पलक, दीक्षित नौवीं कक्षा से तथा तृतीय स्थान लक्षिता, मोनिका ने रंगोली प्रतियोगिता में अपना स्थान हासिल किया। इस पूरे कार्यक्रम में बच्चों की बड़ी ही सराहना की गई जिन्होंने इतने अच्छे-अच्छे रंगोली पिक्चर्स बनाई हैं। नन्हे नन्हे बच्चों ने दीये सजाए हैं सभी ने उनकी सराहना की। इस अवसर पर विद्यालय के अध्यक्ष ओम प्रकाश शर्मा ने सभी बच्चों को बधाई दी और उन्हें अपनी प्रतिभाओं में और मेहनत करके सफलता प्राप्त करने का आशीर्वाद दिया। इस कार्यक्रम में विद्यालय के सीईओ कैलाश शर्मा, मनीष कुमार, डायरेक्टर खुशीराम शर्मा, प्रधानाचार्य कृष्ण सिंह, सीनियर कोआर्डिनेटर सुरेंद्र कुमार, जूनियर कोआर्डिनेटर सुमन तथा समस्त अध्यापक उपस्थित रहे।
पीएमश्री जेएनवी करीरा में अभिभावक-शिक्षक बैठक का सफल आयोजन
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कनीना की आवाज। पीएमश्री जवाहर नवोदय विद्यालय, करीरा के बहुउद्देशीय हाल में अभिभावक-शिक्षक बैठक (पीटीएम) का आयोजन किया गया।
बैठक में सभी शिक्षकगण तथा अभिभावकों की व्यापक उपस्थिति दर्ज की गई, जिससे बच्चों के शैक्षणिक प्रदर्शन और समग्र विकास पर विस्तृत चर्चा हुई। कक्षा शिक्षकों द्वारा अभिभावकों को बच्चों के परिणाम दिखाए गए, जिससे उनकी प्रगति और कमियों पर प्रकाश डाला गया।
मंच संचालन विक्रम सिंह द्वारा किया गया । उप-प्राचार्य धर्मेंद्र आर्य , वरिष्ठ शिक्षक विजय मोहन, सुदेश कुमारी ने व्याख्यान दिए, जिसमें शिक्षा की गुणवत्ता, अनुशासन और करियर मार्गदर्शन पर बल दिया गया। कई अभिभावकों ने उपयोगी सुझाव साझा किए, जैसे विद्यालय में नियमित रूप से शिक्षक अभिभावक बैठकों का आयोजन होना चाहिए। इन पर विचार करते हुए विद्यालय प्रशासन ने सकारात्मक कार्रवाई का आश्वासन दिया। स्काउट एंड गाइड के विद्यार्थियों द्वारा सभी उपस्थित जनों को चाय और जलपान वितरण में सहयोग किया गया।
प्राचार्य बृजमोहन लाल रावत जी ने अपने उद्बोधन में सभी के सहयोग की प्रशंसा की। श्री रावत ने अभिभावकों के समक्ष विद्यालय की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि छात्रावासों के शौचालय और स्नानघरों के अधिकांश पुराने दरवाजों को बदल दिया गया है, ताकि स्वच्छता और सुविधा बनी रहे। उन्होंने जोर देकर कहा कि सुरक्षा और संरक्षा हमारी प्रथम जिम्मेदारी है, उसके बाद शैक्षणिक और अन्य सुविधाएं आती है । सभी अभिभावकों को आगामी दीपावली पर्व की शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने घोषणा की कि भविष्य में पीटीसी बैठकें प्रत्येक माह के दूसरे शनिवार को नियमित रूप से आयोजित की जाएंगी।
यह बैठक विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए अभिभावक-शिक्षक सहयोग को मजबूत करने में महत्वपूर्ण सिद्ध हुई। विद्यालय परिवार ने सभी का आभार व्यक्त किया।
फोटो कैप्शन 06: नवोदय विद्यालय पीटीएम का नजारा
प्रदूषण रहित दीवाली मनाने का लिया संकल्प
-प्रदूषण से हो जाता है जीना हराम
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कनीना की आवाज। लोगों में धीरे धीरे आई जागरूकता के चलते इस बार प्रदूषण रहित दीवाली मनाने के लिए युवा एवं बुजुर्ग आगे आने लगे हैं। दीवाली के दिन दीये जलाकर, घर की मिठाई खाकर मनाएंगे। दीवाली को हंसी खुशी, भाईचारा एवं एकता के साथ एक दूसरे को मिठाई बांटकर मनाना चाहते हैं। इस बार दीवाली पर युवा एवं बुजुर्ग जागृत हैं और वे प्रदूषण के विषय में जानते हैं। मैत्रीभाव से मिलकर दीवाली मनाने का निर्णय लेने वालों की होड़ लगी हुई है। दीये जलाने व शहीदों की याद में एक एक दीया जलाने का निर्णय लिया है।
प्रसिद्ध पर्व पर प्रदूषण क्यों करें? हवन आदि करके वातावरण को शुद्ध रखने का प्रयास किया जाएगा। लोगों को प्रेरणा देकर पटाखे न चलाने या बहुत कम चलाने पर बल दिया जाए। गले मिलकर मिठाई का आदान प्रदान करके ही दीवाली का आनंद आएगा। खुशियों का त्योहार है इसमें नाखुशी कैसे बर्दाश्त की जाए?
--राजेश कुमार, लूखी
प्रेम, भाईचारा, एकता का पर्व दीवाली है। इस पर्व पर प्रदूषण करके बुजुर्ग एवं रोगियों के लिए सांस लेने की तकलीफ पैदा हो जाती हैं। ऐसे में अगर प्रदूषणरहित दीवाली सबके मन को लुभाएगी। मिठाइयां बांटकर दीवाली मनाने पर बल दिया जाना चाहिए। मिठाई भी घर की बनी हुई होनी चाहिए। बाजार की मिठाई लेन देन में प्रयोग नहीं करेंगे।
-निर्मल कुमार, नांगल हरनाथ
देसी घी के दीये में डालकर दीपावली के दिन बुजुर्ग पुराने समय से जलाते आ रहे हैं। बुजुर्ग बहुत बुद्धिमान थे। पर्व पर तेल या मोमबत्ती जलाना अशुभ मानते थे। अब उन्हीं के कदमों पर चलकर वे इस बार दीवाली को देसी घी के दीयों से मनाएंगे और दूसरों को भी प्रेरित करेंगे। घी के दीये जलाने से वातावरण शुद्ध होता है।
---जसवंत सिंह, समाजसेवी कनीना
देसी घी के दीये जलाकर हिंदुओं के महान पर्व को मनाना अति लाभदायक एवं फलदायक होता है। देसी घी के दीये जलाने प्रदूषण नामक बीमारी से बचा जा सकता है। वैसे भी घरों में पशुधन मिलता है और देसी घी भी आसानी से मिल जाता हे। ऐसे में इस पर्व पर देसी घी के दीये ही जलाएंगे।
-डा मुंशीराम, नांगल मोहनपुर
फोटो कैप्शन 06: राजेश कुमार, निर्मल कुमार, जसवंत सिंह, डा मुंशीराम।
जर्जर हो चला है कनीना से गाहड़ा सड़क मार्ग
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कनीना की आवाज। कनीना से गाहड़ा तक करीब 3 किलोमीटर का मार्ग अति जर्जर हो गया है। जिससे आवागमन में परेशानी हो रही है।
उल्लेखनीय है कि कनीना से गाहड़ा, सीहोर तथा आगे चरखी दादरी आदि तक यह मार्ग पहुंचता है। और इसी मार्ग से होकर बव्वा, बहाला होकर रोहतक तक भी पहुंचा जा सकता है। यह मार्ग कुछ वर्षों पहले बना था किंतु अति जर्जर हो चला है। सुरेंद्र सिंह, सीटू ,बबली, दिनेश, इंद्रजीत आदि में बताया कि इस मार्ग पर पैदल चलना भी कठिन हो गया है, दुर्घटनाओं का अंदेशा बन गया है। इस मार्ग पर छोटे-छोटे गड्ढे बन गए हैं। कुछ जगह तो जल भराव से सड़क टूट गई है। कुछ जगह सड़क का नामोनिशान मिट गया है। इस मार्ग की अविलंब सुध ली जाए ताकि आवागमन सुचारु रूप से हो सके।
क्षेत्र में धनतेरस को लेकर सजी बर्तन की दुकानें
-हर घर से खरीदते हैं बर्तन
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में शनिवार को धन तेरस का पर्व मनाया जाएगा जिसको लेकर बाजार में बर्तनों की दुकानें सज गई हैं।
कनीना क्षेत्र में दो दिनों पूर्व से ही दिवाली पर्व की धूम मची है। बाजारों में भारी रौनक देखने को मिली है वहीं बर्तनों की दुकानों पर दुकानदार ग्राहकों का इंतजार कर रहे हैं।
दीपावली के चलते बाजार सजने लगे हैं। दीपावली के पर्व को महज चार दिन ही बाकी हैं और बाजार में रौनक आने लगी है। बाजार सजने लगे हैं। अब तक ऐसा लग रहा था कि रौनक फीकी रहेगी किंतु अब धीरे-धीरे बाजार सजने लगे हैं। धीरे-धीरे बाजार में रौनक आने लगी है और भीड़ के चलते आवागमन में परेशानी होने लगी है। मुख्य मार्गों पर भी दुकानों की वजह से मार्ग संकीर्ण बन गए हैं। क्या कहते हैं दुकानदार एवं ग्राहक--
इस दिन का लंबे समय से इंतजार होता है। इस दिन अन्य दिनों की बजाय सबसे ज्यादा बर्तन बिकते हैं। इस दिन लगभग हर घर से बर्तन खरीदने के लिए बाजार आते हैं। बर्तन वालों के लंबी कतार देखने को मिलती है। अब वो समय आ गया है।
---मुकेश कुमार, दुकानदार
आचार्य दीपक कौशिक का कहना है कि धन तेरस के दिन ही राक्षसों एवं देवताओं के बीच हुए समुद्र मंथन से अमृत निकला था जिसे पाने के लिए देवता अपना अपना बर्तन लिए बैठे थे और धनवंतरि सभी को अमृत बांट रहे थे। उसी दिन से माना जाता है कि धनवंतरि उन्हें अमृत बाटने आते हैं। इस दिन लोग नए बर्तन में धनवंतरि से अमृत पाने की इच्छा से बर्तन खरीदते हैं।
--आचार्य दीपक
घर परिवार में बर्तनों की जरूरत होती है किंतु इस दिन का विशेष इंतजार होता है क्योंकि इस दिन बर्तन खरीदने की परंपरा चली आ रही है। वे जरूर बर्तन खरीदकर ले जाएंगे। चाहे बर्तना छोटा हो या बड़ा मांग के अनुसार खरीद ही लेते हैं।
---सुरेंद्र सिंह, बव्वा
यह कामना करते हुए कि धनवंतरि उन्हें नये खरीदे हुए बर्तन में अमृत देकर जाएंगे धतेरस को बर्तन खरीद लेते हैं। वैसे भी बर्तन की जरूरत हर घर में ही होती है। साल में एक बार कई कई बर्तन भी खरीद लेते हैं।
---विजयपाल समाजसेवी
फोटो कैप्शन 05: बर्तनों की सजी दुकानें
साथ में विजयपाल्र, सुरेंद्र, मुकेश एवं दीपक कौशिक


























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