छठ पूजा की चल रही है तैयारी
-आज नहाए खाय का कार्यक्रम हुआ संपन्न
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कनीना की आवाज। कनीना के सिरसवाला जोहड़ पर 28 अक्टूबर तक छठ पूजा का पर्व पूर्वांचल लोगों द्वारा मनाये जाने को लेकर तैयारियां चल रही है। पर्व की शुरुआत हो चुकी है। जहां आज घरों में बैठकर लोगों ने नहाए खाए का कार्यक्रम पूर्ण किया, दीप प्रज्वलित कर पूजा की।
दुलारचंद और पार्वती ने बताया कि वो अपने बच्चों सहित तथा आसपास के सभी लोगों ने मिलकर नहाए और खाय का कार्यक्रम किया है। जो कल से रविवार खरना कार्यक्रम में शामिल होंगे। 27 अक्टूबर को अक्टूबर को जहां भगवान भास्कर को संध्याकालीन अघ्र्य दिया जाएगा वहीं सुबह अस्ताचलगामी कार्यक्रम चलेगा। 28 अक्टूबर को उदयमान सूर्य को प्रात: कालीन अघ्य दिया जाएगा। इसके लिए सिरसवाला जोहड़ उन्होंने चुन रखा है, जहां पर कार्यक्रम पूर्ण होगा।
इन लोगों ने बताया कि वे अपने प्रांत नहीं जा सके चूंकि ट्रेनों में सीटों का अभाव है। ऐसे में यहीं पर रहकर पर्व मनाएंगे। यह कठोर व्रत के विधान के तहत उनका पर्व पूर्ण होता है। जल में खडेु़ रहना पड़ता हे। भारी मात्रा में फलों का प्रबंध करना पड़ता है। विगत वर्षों से कनीना की नहर में, संत मोलडऩाथ आश्रम जोहड़ तथा रामेश्वरदास जोहड़ पर ये लोग धूमधाम से छठ पूजा मनाते आ रहे हैं।
उन्होंने बताया कि छठ पूजा का पर्व चार दिनों तक चलने वाला सूर्य उपासना का एक विशेष पर्व है जिसका समापन 28 अक्टूबर को होगा। इस पर्व में कठोर तप, स्नान, उपवास, बगैर पानी पिये लंबे समय तक पानी में खड़े होना और प्रसाद वितरण करके सूर्य को अर्घ देना शामिल है। महाभारत के कर्ण सूर्य के प्रमुख उपासक हुए हैं। यह दीपावली के 6 दिनों के बाद आने वाला विशाल पर्व है जो विशेषकर उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश, बिहार में बहुत प्रमुखता से मनाया जाता है। इसे सूर्य षष्ठी भी कहा जाता है। यह वर्ष में दो बार मनाया जाता है। स्त्री और पुरुष समान रूप से पर्व मनाते हैं। इस पर्व को अनेक कथाओं से जोड़ा जाता है।
पर्व का संबंध पांडवों के राजपाट से है। जब पांडव अपना राजपाट हार गए तो श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को छठ व्रत करने की बात कही। इस पर्व के करने से मनोकामना पूर्ण हुई और राजपाट वापस मिल गया। वैसे भी सूर्य देव और छठ मैया का संबंध भाई-बहन से जोड़ा जाता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी पर्व को विशेष माना जाता है क्योंकि सूर्य की पराबैंगनी किरणें इस समय अधिक मात्रा में धरती पर आती हैं। इनका कु-प्रभाव सभी जीव जंतुओं पर पड़ता है और इससे बचने के लिए भी सूर्य की पूजा की जाती है। यह पर्व 4 दिनों तक चलता है जहां अंतिम दिन सूर्य की पूजा करके तब व्रत को खोला जाता है। 36 घंटे तक का लंबा व्रत रखा जाता है जिसमें पहले दिन नहाए और खाए चतुर्थी को किया जाता है, वहीं दूसरे दिन पंचमी को पूरे दिन उपवास रखा जाता है, तीसरे दिन छठ का पर्व होता है और पानी में खड़े होकर व्रत किया जाता है, छठ गीत गाए जाते हैं चौथे दिन जहां सूर्योदय होती अर्घ दिया जाता है और व्रत खोला जाता है।
उनका मानना है कि इस पर्व को करने वाली स्त्रिया धन धान्य, पति पुत्र तथा सुख समृद्धि से परिपूर्ण रहती हैं। यह व्रत बड़े नियम तथा निष्ठा से किया जाता है। इसमें तीन दिन के कठोर उपवास का विधान है। इस व्रत को करने वाली स्त्रियों को पंचमी को एक बार नमक रहित भोजन करना पड़ता है। षष्ठी को निर्जल रहकर व्रत करना पड़ता है। षष्ठी को अस्त होते हुए सूर्य को विधिपूर्वक पूजा करके अर्घ देते हैं। सप्तमी के दिन प्रात:काल नदी या तालाब पर जाकर स्नान करती हैं। सूर्योदय अघ्र्य देती है।
पंडित दिनेश कुमार इस पर्व से जुड़ी एक कहानी बताते हैं। उनके अनुसार प्राचीन काल में बिन्दुसार तीर्थ में एक महीपाल नाम का वणिक रहता था । वह धर्म कर्म तथा देवता विरोधी था। एक बार उसने सूर्य भगवान की प्रतिमा के सामने मल मूत्र का त्याग किया। परिणामस्वरूप उसकी आंखों की ज्योति चली गई। इसके बाद वह अपने जीवन से ऊबकर गंगा जी में डूबकर मर जाने को चल दिया। रास्ते में उसकी भेंट महर्षि नारद से हो गई। नारद ने उससे पूछा- आप,जल्दी जल्दी किधर जा रहे हो महीपाल रोते रोते बोला मेरा जीवन दूभर हो गया है । मैं अपनी जान देने हेतु गंगा में कूदने जा रहा हूं। मुनि बोले मूर्ख प्राणी तेरी यह दशा भगवान सूर्य देव के कारण हुई है इसलिए कार्तिक मास की सूर्य षष्ठी का व्रत रख तेरे सब कष्ट दूर हो जायेंगे। वणिक ने ऐसा ही किया तथा सुख समृद्धि पूर्ण दिव्य ज्योति प्राप्त कर स्वर्ग का अधिकारी बन गया।
फोटो कैप्शन 08: पूजा अर्चना करते लोग
कई समस्याओं से जूझ रहे हैं कनीना के किसान
-रबी फसल पैदावार लेना तलवार की धार
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कनीना की आवाज। क्षेत्र के किसान कई समस्याओं से जूझते आ रहे हैं। पैदावार लेने के लिए बिजली, पानी, खाद, गिरते जलस्तर, बीजों की जानकारी अभाव तथा कई अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में रबी फसल पैदावार लेना तलवार की धार के समान है।
कनीना क्षेत्र का किसान यूं तो सदा ही मेहनत के बलबूते पर जीवित रहा है। कठिन परिश्रम करके अपनी आजीविका कमा रहा है। उसकी मुख्य फसलें खरीफ एवं रबी की होती है। खरीफ की फसल वर्षा पर आधारित होती है। पहले ही भू-स्तर गिरता जा रहा है ऊपर से डार्क जोन घोषित होने से नलकूप खोदना आसान नहीं रहा है। वैसे भी नलकूप लगाना लाखों रुपये का खर्चा होता है। यह भी सत्य है कि प्रतिवर्ष उसके बिजली के उपकरण जलने की समस्या रहती है। जैसे तैसे उपकरण ऋण लेकर लगा भी देता है तो पानी की समस्या फिर भी आड़े आ जाती है क्योंकि बिजली कम आती है जिसके चलते पर्याप्त खेतों की सिंचाई नहीं हो पाती है। इस संबंध में कुछ किसानों से चर्चा की गई जिनके विचार निम्र हैं--
**कनीना क्षेत्र में नहरों की संख्या काफी है किंतु या तो उनमें पानी आता ही नहीं या फिर वह पानी पीने के लिए ही सप्लाई होता है। इस पानी को किसान ले नहीं सकते। खादों की कमी विगत वर्ष से अधिक चल रही है। बीज और दवाइयां भी तो अच्छे नहीं मिलते हैं। मिल भी जाते हैं तो अति महंगे होते हैं। किसान रूढि़वादी होने के कारण भी परेशान हैं क्योंकि वे नए बीजों का उपयोग करने की बजाए पूर्व में उपयोग करते आ रहे बीजों का ही उपयोग करना श्रेष्ठ समझते हैं।
---भरत सिंह किसान
किसानों के सामने गिरते जलस्तर की समस्या भी तो विकराल बन रही है क्योंकि किसान प्रत्येक वर्ष डीप बोर करवाता है किंतु अगले वर्ष वह जलस्तर भी घट जाता है। ऐसे में दक्षिण हरियाणा का किसान हताश व निराश लगता है। उससे बात करने पर कृषि को घाटे का सौदा बताता है। इन हालातों में उसके लिए फसल पैदावार लेना तलवार की धार पर चलने के समान है।
---रोहित कुमार, किसान
कई कई सालों तक ट्यूबवेल कनेक्षन नहीं मिलता है जिससे कुछ पैदावार लेना चाहे वो नहीं ले पाता है। किसान कुआं खोद ले तो कनेक्षन के लिए मारे मारे फिरते रहो। परेशान होकर बैठ जाता है।
---सूबे सिंह, किसान
आवारा जंतु फसल को तबाह कर जाते हैं। अब तो बंदर, नीलगाय, कुछ सुअर, कुछ अन्य आवारा जंतु भी खड़ी फसल पर धावा बोल देते हैं। किसान मायूस मिलता है। इन पर काबू करना कठिन है।
--अजीत कुमार, किसान
फोटो कैप्शन: अजीत कुमार, सूबे सिंह, रोहित कुमार, भरत सिंह
326 किसान मंडी में लेकर आये 9413 क्विंटल बाजरा
--खरीद पहुंची 204896 क्विंटल ,सरकारी तौर पर नहीं हो पाई खरीद
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कनीना की आवाज। कनीना की नई अनाज मंडी स्थित चेलावास में सरकारी तौर अभी तक एक दाना भी बाजरा नहीं खरीदा गया है लेकिन निजी स्तर पर 204896 क्विंटल बाजरा खरीदा जा चुका है। यह बाजरा कम से कम 1900 रुपये और अधिकतम 1950 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीदा गया है। शनिवार को 326 किसान 9413 क्विंटल बाजरा लेकर आये।
मिली जानकारी अनुसार अब तक 6635 टोकन किसानों के काटे जा चुके हैं और किसान अपनी बाजरे की पैदावार अनाज मंडी में ला रहे हैं किंतु उनके सैंपल फेल होने के कारण सरकारी तौर पर खरीद नहीं हो पा रही है।
हैफेड मैनेजर वीरेंद्र कुमार ने बताया कि प्रतिदिन सैंपल रेवाड़ी भेजे जाते हैं किंतु मानकों पर खरे नहीं उतरने के कारण सभी सैंपल फेल हो जाते हैं। ऐसे में सरकारी तौर पर खरीद नहीं हो पा रही है।
फोटो कैप्शन 06: कनीना की नई अनाज मंडी में बाजरे की आवक।
बाबा उधोदास का महापरिनिर्वाण दिवस 2 नवंबर को
-महान संत है लालदास महाराज
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कनीना की आवाज। संत शिरोमणि बाबा उधोदास महापरिनिर्वाण दिवस 2नवंबर देव उठानी एकादशी को मनाया जाएगा। रात्रि को जागरण होगा तथा द्वादशी 3 नवंबर को भंडारा आयोजित होगा। विस्तृत जानकारी देते हुए संत शिरोमणि लाल दास महाराज ने बताया कि वर्षों से यह परंपरा इसी प्रकार चली आ रही है। बाबा उधोदास का महापरिनिर्वाण दिवस देव उठानी एकादशी को मनाया जाता है।
लालदास महाराज--
कनीना-रेवाड़ी मार्ग पर मात्र नौ किमी दूर ग्र्राम जैनाबाद में स्थित बाबा उधोदास मंदिर अपार श्रद्धा एवं भक्ति का केंद्र बन गया है जिसके पीछे यहां के संत लालदास एवं उनके द्वारा स्थापित गौशाला है। स्वयं दिनभर गायों की सेवा करते हैं और अपने भक्तों को भी सेवा भाव में लगाए रखते हैं। दो योजनाएं गांव के सरपंच बनने के कारण गांव की काया ही पलट कर रख दी है। होली के दिन बाबा बाबा लालदास स्वयं होली खेलते हैं। हजारों गाएं बिना किसी सरकारी सहायता के बाबा लालदास स्वयं गौशाला में पाल रहे हैं।
रेवाड़ी जिला के जैनाबाद स्थित बाबा उधोदास का भव्य मंदिर है। इसी मंदिर के सामने बाबा की समाधि तथा बाबा के बाद में आए उनके शिष्यों की समाधियों वाला मंदिर है। भजन-कीर्तन तथा उत्सव इसी भव्य मंदिर में होते हैं जहां समाधियों के अलावा पेयजल का प्रबंध, घास के मैदान तथा वृक्षों से आच्छादित क्षेत्र है। इन समाधियों में सबसे पहले बाबा उधोदास की समाधि है। इस समाधि के ऊपर की ओर झांक कर देखे तो सैकड़ों वर्ष पुरानी पेंट व ब्रुश से की हुई कलाकारी दिखाई पड़ती है जो आज भी अपनी आब नहीं खो पाई है। यह वही स्थान है जहां अनवरत पूजा अर्चना का सिलसिला चलता रहता है तथा दीप जलते रहते हैं।
होली के पर्व पर महंत लालदास के साथ होली खेलते भक्तों को देखा जा सकता है। यहां पर हरियाणा ही नहीं अपितु दूसरे राज्यों के भक्तजन भी आते हैं। जब देव उठनी एकादशी आती है तो बाबा का निर्वाण दिवस श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस दिन रात्रि के समय जहां जागरण चलता रहता है
संत लालदास महाराज ने यूं तो दो योजनाएं गांव के सरपंच रहकर गांव का नाम चमका दिया वहीं जैनाबाद में संत शिरोमणि बाबा उधोदास नामक गौशाला खोलकर एक बेहतर काम किया है। बाबा सेवादास 22 जून 1978 को ब्रह्मïलीन हुए थे जिसके बाद 27 फरवरी 1979 को बाबा लालदास जी ने पदार्पण किया जो आज भी मंदिर के कायाकल्प व बाबा उधोदास के नाम को चार चांद लगा रहे हैं।
बाबा लालदास जीव जंतुओं और मानव जाति के कल्याण में रत रहते हैं। गायों के प्रति गहन लगाव रखने के कारण अपाहिज गायों की सेवा के उद्देश्य से गौशाला की स्थापना की। महज चार वर्षों में इस गौशाला में गायों की संख्या बढ़कर हजारों हो गई है। किसी प्रकार की सरकारी सहायता के बगैर ही गौशाला को चलाया जा रहा है। बाबा की अपार मेहनत के चलते बाबा आश्रम की भांति गौशाला का नाम उच्च श्रेणी में गिना जाने लगा है।
बाबा लालदास कहते हैं कि संसार में तीन ही माताएं मानी जाती हैं जिनमें जननी, धरती और गौमाता आती हैं। यूं तो तीनों ही माताओं की आज के दिन दुर्दशा हो चली है किंतु गौमाता की तो कुछ अधिक ही दुर्दशा हो गई है। जिस गाय को कभी घरों में पालना शुभ माना जाता था और उनके दूध एवं दही को खाकर जवान बनते थे जिनकी प्रखर बुद्धि होती थी आज उन गायों को कोई पूछने वाला नहीं है। या तो उन्हें गली-मौहल्ले में घूमते देखा जा सकता है।
'गो सेवा से बेहतर कोई सेवा नहीं है। गायों की सेवा ही इंसान के सभी पूर्व पापों से मुक्ति दिलाती हैÓ। ये विचार बाबा लालदास के हैं। उनका कहना है कि जो व्यक्ति नित्य गायों की सेवा करता है उसे पुण्य प्राप्त होता है। गायों को घर में रखने से घर के संताप मिट जाते हैं और गाय का दूध व घी प्रयोग करने से सभी रोग समाप्त हो जाते हैं। उन्होंने गायों की सेवा करने व उनका घी व दूध प्रयोग करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण भी गायों की सेवा करने के कारण गोपाल कहलाए थे।
फोटो कैप्शन: संत लालदास महाराज
सेवानिवृत्त कर्मियों की बैठक एक नवंबर को कुरुक्षेत्र में
--कई मुद्दों पर होगी चर्चा
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कनीना की आवाज। रिटायर्ड कर्मचारी संघ हरियाणा संबंधित अखिल भारतीय राज्य सरकारी पेंशनर्स फेडरेशन के प्रदेश सचिव धर्मपाल शर्मा ने बताया कि रिटायर्ड कर्मचारी संघ की बैठक 01 नवंबर को प्रात: 11.00 बजे सैनी समाज धर्मशाला, कुरुक्षेत्र में आयोजित की जाएगी। जिसमें सभी जिलों के प्रधान, सचिव , वित्त सचिव व राज्य के पदाधिकारी व कुरुक्षेत्र के ब्लाक से लेकर जिला के सभी पदाधिकारी व सक्रिय साथी भी शामिल होंगे। बैठक में 17 सितंबर के दिल्ली जंतर मंतर पर धरने की समीक्षा की जायेगी। दिनांक 17 दिसंबर को गवर्नर के माध्यम से प्रधानमंत्री को राज्य स्तरीय ज्ञापन की तैयारी पर विचार विमर्श होगा।
कुरुक्षेत्र में दिनांक 22-23 फरवरी 2026 को अखिल भारतीय राज्य सरकारी पेंशनर फेडरेशन का दूसरा राष्ट्रीय सम्मेलन के प्रबंध के लिए तैनातियां लगाई जायेंगी। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा का सिरसा में तृतीय वार्षिक सम्मेलन में सहयोग करने बारे विचार विमर्श किया जायेगा। रिटायर्ड कर्मचारी संघ हरियाणा का राज्य प्रतिनिधिमंडल 08 अक्टूबर को चण्डीगढ़ में अधिकारियों से मीटिंग की रिपोर्ट रखी जायेगी। सभी जिलों के प्रधान ,सचिव अपने अपने जिलंो की सदस्यता , संघर्ष फंड , बाढ़ सहायता फंड ,जिला में बैंक खाता खोला जाना आदि की रिपोर्ट रखेंगे। अन्य विशेष विचार-विमर्श अध्यक्ष की अनुमति से होगा।
बलिदानी सूबेदार रामस्वरूप सिंह की पुण्यतिथि पर आयोजित हुई श्रद्धांजलि सभा
-विक्टोरिया क्रास विजेता है बलिदानी
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कनीना की आवाज। विश्व के सबसे बड़े सैनिक सम्मान विक्टोरिया क्रास से सम्मानित बलिदानी सूबेदार रामस्वरूप सिंह की पुण्यतिथि पर उनके पैतृक गांव खेड़ी तलवाना में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। अतरलाल एडवोकेट ने इलाके के गणमान्य के साथ बलिदानी की मूर्ति पर माल्यापर्ण कर नमन किया। बलिदानी के सम्मान में सभी ने खड़े होकर एक मिनट का मौन धारण कर भावभीनी श्रद्धांजलि भेंट की।
मुख्य अतिथि ने कहा कि शहीद सूबेदार रामस्वरूप सिंह ने 1944 द्वितीय विश्व युद्ध में जापानी सैनिकों को परास्त कर विग हिल चौकी पर कब्जा कर बेजोड़ शहादत का कारनामा कर विक्टोरिया क्रास जीतकर संयुक्त पंजाब व देश का नाम रोशन किया। उन्होंने कहा शहीद देश के गौरव होते हैं। शहीदों का सम्मान राष्ट्र धर्म है। उन्होंने केन्द्र व हरियाणा सरकार से महेन्द्रगढ़ जिला के सभी बलिदानियों के स्मारकों के रख रखाव के लिए बलिदानी परिवारों को पांच-पांच लाख रुपये ग्रांट देने की मांग की। कप्तान मामराज साहब तथा कप्तान ओमपाल साहब ने बलिदानी सूबेदार रामस्वरूप सिंह के दृढ़ संकल्प तथा युद्ध में किए गए बेजोड़ कार्यों का वर्णन कर सभी के रोंगटे खड़े कर दिए। इस अवसर पर सरपंच पंकज, बलिदानी के पौत्र रिपूदमन व शिवकुमार, पूर्व सरपंच सुरेन्द्र सिंह, पूर्व सरपंच रिसाल पहलवान, सुरेन्द्र सिंह मुनीम, चेयरमैन धूम सिंह, ठाकुर बलजीत सिंह, शिब्बू जेलदार, कैप्टन मामराज, कैप्टन ओमपाल सिंह, कैप्टन रमेश सिंह, सुरेश साहब, सूबेदार मोतीलाल शर्मा, प्रकाश चैहान, नरेश सैन, पूर्व सरपंच रामनिवास, कैलाश सेठ, राजेन्द्र सिंह नम्बरदार, रणबीर नम्बरदार, राकेश यादव, ओमल तंवर, करतार तंवर, मास्टर रणवीर, कैप्टन रामावतार, कैप्टन चिमन सिंह, महेन्द्र जांगड़ा, मोहित, डा. सौरव, सक्षम, अंसज सहित अनेक गणमान्य उपस्थित थे। बलिदानीके पौत्र रिपुदमन नम्बरदार ने सभी आगंतुकों का धन्यवाद किया।
फोटो कैप्शन 04: गणमान्य जनों के साथ बलिदानी रामस्वरूप सिंह की मूर्ति पर माल्यार्पण करते अतरलाल।
त्रिवार्षिक चुनाव के लिए कर्मचारी रवाना हुए बहादुरगढ़
-हरियाणा राज्य बिजली बोर्ड वर्कर्स यूनियन के है चुनाव
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कनीना की आवाज। हरियाणा राज्य बिजली बोर्ड एचएसईबी वर्कर्स यूनियन के त्रि- वार्षिक चुनाव 25-26 अक्टूबर तक बहादुरगढ़ में होंगे। सभी यूनिट कनीना से बहादुरगढ़ में चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा लेने के लिए सभी यूनियन पदाधिकारी एवं कर्मचारी कनीना से रवाना हुये। बस को हरी झंडी दिखाकर रवाना राम रतन शर्मा तदर्थ कमिटी मेंबर ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
सब यूनिट प्रधान हवा सिंह एवं सचिव चुन्नीलाल ने भी जोर-जोर से नारों के साथ बस को रवाना किया। इस मौके पर सर्कल सचिव सत्यवान यादव, यूनिट प्रधान नवीन कुमार, सचिव अनिल कुमार एवं समस्त यूनिट पदाधिकारी, सब यूनिट यूनिट प्रधान सब -अर्बन शेर सिंह ,दीपक कुमार, प्रवीण कुमार, नवीन लखेरा, सतनाली सब यूनिट प्रधान, सचिव एवं समस्त कर्मचारी हाजिर रहे।
फोटो कैप्शन 5: बहादुरगढ़ के लिए यूनिट पदाधिकारी को रवाना करते हुए रामरतन गोमली
मिनी-स्टार्टअप:नन्हे उद्यमियों की अद्भुत पहल
- शिक्षा के साथ सृजन और आत्मनिर्भरता की सीख
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कनीना की आवाज। बीआर आदर्श सीनियर सेकेंडरी स्कूल सेहलंग में इस बार शिक्षा को व्यावहारिक अनुभवों से जोडऩे की पहल की- जिसका नाम रखा गया, मिनी-स्टार्टअप । इस कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों को न केवल उद्यमिता की मूल बातें सिखाना था, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा देना भी था।
विद्यालय की प्रधानाचार्या ज्योति शर्मा ने बताया कि शिक्षा का उद्देश्य केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि विद्यार्थियों को जीवन के हर क्षेत्र में सक्षम बनाना चाहिए। इसी सोच के तहत विद्यार्थियों को अवसर दिया गया कि वे अपने द्वारा बनाए गए उत्पादों को दीपावली मेले में प्रदर्शित और विक्रय करें। यह एक ऐसा प्रयोग था जिसमें विद्यार्थियों ने रचनात्मकता, मेहनत और टीमवर्क के माध्यम से सीखने की प्रक्रिया को वास्तविक अनुभव में बदला।
बेस्ट आउट आफ वेस्ट थीम पर आधारित इस परियोजना में बच्चों ने अनेक आकर्षक उत्पाद तैयार किए- जैसे पेंट किए हुए दीये, जूट और वेस्ट मटेरियल से बने होम डेकोर आइटम, सजावटी फ्रेम, हैंडमेड पेंटिंग्स, बुकमार्क्स और रचनात्मक तोरण।
विद्यालय में कई दिनों तक इसकी तैयारी चली। विद्यार्थियों ने टीमें बनाई। किसी ने निर्माण और डिजाइन की जिम्मेदारी ली, तो किसी ने पैकिंग, प्राइस टैगिंग और प्रचार की। शिक्षकों ने उन्हें उत्पाद की गुणवत्ता, मूल्य निर्धारण और प्रस्तुति का महत्व सिखाया। इस पूरे प्रयास में बच्चों ने वित्तीय साक्षरता, संचार कौशल और टीमवर्क जैसे जीवन कौशल विकसित किए।
हर स्टाल पर बच्चों की मेहनत और कल्पनाशक्ति झलक रही थी। कुछ ही घंटों में बेस्ट आउट आफ़ वेस्ट के अंतर्गत बने कई उत्पाद सोल्ड आउट हो गए। मेले में लगे फेस्टिव क्विज कार्नर ने भी सबका ध्यान आकर्षित किया। यहाँ पर विजेताओं को बच्चों द्वारा बनाए गए पेंटेड दीये पुरस्कार स्वरूप दिए गए। ताकि उनके परिश्रम और कला का सम्मान भी हो सके।
कक्षा 10 की भू-भारती ने शिक्षकों के मार्गदर्शन में पेंटिंग्स बनाई और उसने लगभग 1000 रुपये की कमाई की। उसकी इस उपलब्धि पर विद्यालय परिवार और अभिभावक गर्व से भर उठे।
कक्षा 7 की मुस्कान की कहानी इस प्रोजेक्ट की प्रेरणा बन गई।
शिक्षकों ने बच्चों को यह समझाया कि रचनात्मकता तभी सार्थक होती है जब उसमें सामाजिक और पर्यावरणीय जिम्मेदारी जुड़ी हो। विद्यालय के हर शिक्षक ने सुनिश्चित किया कि प्रत्येक विद्यार्थी किसी न किसी रूप में इस परियोजना का हिस्सा बने। अभिभावकों ने इस पहल की भरपूर सराहना की और कहा कि इसने बच्चों में आत्मविश्वास, जिम्मेदारी और सृजनशीलता का अद्भुत संगम पैदा किया है।
प्रधानाचार्या ज्योति शर्मा ने कहा — मिनी-स्टार्टअप केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक विचार है- सीखो, बनाओ और आगे बढ़ो। हमारे विद्यार्थी न केवल अच्छे छात्र हैं, बल्कि भविष्य के सच्चे उद्यमी भी हैं। रचनात्मकता तब अर्थ पाती है जब वह आत्मनिर्भरता में बदल जाए।
विद्यालय अब इस पहल को स्थायी रूप देने जा रहा है। जल्द ही यहां यंग एंटरप्रेन्योर्स क्लब की स्थापना की जाएगी, जहां विद्यार्थी नए विचारों पर कार्य करेंगे, स्थानीय बाजार से जुड़ेंगे और अपने उत्पादों को और अधिक रचनात्मक ढंग से प्रस्तुत करना सीखेंगे।
फोटो कैप्शन 01: विद्यार्थियों द्वारा बनाए गए उपयोगी और आकर्षक माडल।















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