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Saturday, August 9, 2025



 



रक्षा बंधन का पर्व धूमधाम से मनाया गया
-सड़कों पर रही जाम जैसी समस्या
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कनीना की आवाज।
 कनीना एवं आस पास क्षेत्रों में श्रावणी पर्व धूमधाम से मनाया गया। दिनभर वाहनों की कतार सड़कों पर दौड़ती रही। बसों की संख्या कम होने से जमकर भीड़ रही। फल एवं मिठाई महंगी रही।
कनीना के सुरेश कुमार, रवि कुमार, दिनेश कुमार आदि ने बताया कि इस बार आनलाइन राखी खरीद कर आनलाइन ही दिए गए पते पर पहुंचने की कार्रवाई चली है जिसके चलते बहुत सी महिलाएं इस भाग दौड़ और भीड़ से बचने के लिए आनलाइन राखियां भेजती रही।
  बुजुर्गों को भी बांधी गई  राखियां-
 छोटे बच्चों को भी राखियां बांधी गई, वहीं बुजुर्गों को भी राखियां बांधती उनकी बहने दिखाई दी। कनीना में बुजुर्गों को उसकी बुजुर्ग बहन ने राखी बांधकर खुशी जताई तथा लंबी आयु की कामना की। वहीं छोटे छोटे भाइयों को उनकी छोटी बहनों ने राखियां बांधी।
महंगे रहे फल एवं मिठाई-
यह सावन का यह अंतिम दिन भी रहा। विभिन्न मार्गों पर साधनों का अभाव रहा वहीं दुकानदारों एवं निजी वाहन चालकों ने यात्रियों से जमकर पैसे वसूले। फल,सब्जी तथा विभिन्न प्रकार की मिठाइयां महंगी दी गई। केले भी कम से कम एक सौ रुपये दर्जन बिके। पेठे, सेब, आम की मांग रही। कनीना क्षेत्र में रक्षा बंधन का पर्व धूमधाम से मनाया गया। घरों के द्वारों पर शुभ चिह्न लगाए गए और पकवान बनाए गए। बहनों ने अपने भाइयों की कलाइयों पर रक्षासूत्र बांधा। इस मौके पर भाइयों ने भी बहनों को भेंट दी।
रोड़वेज बसें रही कम--
  कनीना क्षेत्र में विभिन्न मार्गों पर रोडवेज बसों की कमी रही है जिससे आवागमन में परेशानी रही। विभिन्न मार्गों पर अवैध वाहन चलते नजर आए।
आज मार्केट में भी रोड़ पर दुकानें लगी होने के कारण दिनभर जाम की समस्या बनी रही। आज बाजार में हर वस्तु महंगी रही। केले, सेब, आम, घेवर, मिठाइयां तथा पेठा की मिठाई महंगी रही। आम दिनों की बजाय आज 20-30 रुपये तक महंगी रही। विभिन्न क्षेत्रों में भी रक्षा बंधन का पर्व मनाया गया।
   कहीं बहन भाई के पास तो कहीं भाई बहन के पास जाकर रक्षा बंधन के पर्व में रंगे नजर आए।
धागा कच्चा किंतु बंधन पक्का-लालदास
कलई पर बांधा जाने वाला धागा कच्चा परन्तु बंधन पक्का होता है क्योंकि बंधन रूपी व्रत तो दिल से लिया जाता। उक्त विचार संत  लालदास महाराज ने उधोदास आश्रम में श्रावणी पर्व पर व्यक्त किए।
  महाराज  ने कहा कि भारतीय संस्कृति में चार वर्ण माने गए है जिनमें ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शुद्र इन वर्णों के लिए एक-एक पर्व नियत है। महाराज ने बताया कि ब्राह्मणों के लिए रक्षा बंधन श्रावणी पर्व, क्षत्रियों के लिए दशहरा शस्त्र पूजन, वैश्यों के लिए दीपावली, लक्ष्मी पूजन, शुद्रों के लिए होली होलिका प्रत्येक वर्ण में प्रधानता क्रमश: अपने-अपने पर्व की होती है, किन्तु प्रत्येक पर्व को सब मिलकर मनाते है। महाराज कहते है कि प्राचीनकाल में ब्राह्मण गुरुकुलों में रक्षा बंधन के पर्व पर रक्षा सूत्र जनेऊ देकर गुरुकुलों में नये विद्यार्थियों को प्रवेश देते है तथा संत सन्यासी, महात्मा इस पर्व के पश्चात वर्षा ऋतु में उपदेश आदि के द्वारा शिक्षा देकर अविद्या का नाश करते है। महाराज ने कहा कि कि जाति, आयु और भोग के बारे में खुलकर बताते हुए कहा कि आयु: सभी जीव-जन्तुओं की आयु निश्चित होती है जिसको न तो कोई बढ़ा सकता तथा नही कोई कम कर सकता। महाराज ने भोग के बारे में बताते हुए कहा कि मनुष्य ने अपने पूर्व जन्म में जो कर्म किए थे वह अब सभी कर्म फल से भोग के द्वारा भोगने पड़ते है तथा अब जो कर्म मानव करते है वह अगले जन्म में भोगने पड़ते है। स्वामी जी ने जाति के बारे में बताते हुए कहा कि इस संसार में 84 लाख योनियां होती है जिनमें सब की अलग-अलग जातियां होती है जैसे मनुष्य, गाय, भैंस, कुत्ता सभी अलग-अलग जातियां होती है। इस मौके पर हवन आयोजित हुआ तथा भंडारा भी लगाया गया। इस अवसर पर भारी संख्या मेंं लोग उपस्थित थे।
  संत ने कहा कि रक्षाबंधन का पर्व महाभारत से चला रहा है। जब श्री कृष्ण ने महाभारत की युद्ध में युधिष्ठिर से सैनिकों की कलाई पर रक्षा सूत्र बनवाया था। देवराज इंद्र ने भी इसे धारण किया था। उधर सुरेश कुमार का कहना है कि वास्तव में रक्षा सूत्र शिशुपाल वध के समय श्रीकृष्ण के अंगुली से खून आने पर रोकने के लिए द्रोपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़ कर बांधा था। वही रक्षा सूत्र था जिसके बदले श्री कृष्ण ने द्रोपदी की लाज बचाई थी। सिकंदर की पत्नी ने भी पोरस के लिए एक राखी भेजी थी ताकि सिकंदर की जीवन की रक्षा हो सके। मेवाड़ की कर्णवती ने भी हुमायू को राखी भेजी थी किंतु हुमायू के पहुंचने से पहले कर्णवती जौहर कर चुकी थी। वास्तव में गुरुकुल में भी इस दिन रक्षा सूत्र बांधा जाता है, जनेऊ धारण किए जाते जो वास्तव में राखी का ही एक रूप होते हैं।
फोटो कैप्शन 02: सड़कों पर जाम जैसी समस्या
05: बुजुर्ग को रक्षा बंधन पर बहन अपने भाई को राखी बांधती हुई
06: रक्षा बंधन पर राखी बांधती बहनें





परमपिता की शरण में जाने के बाद किसी और की आवश्यकता ही नहीं -शिवानंद
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कनीना की आवाज।
परमपिता की शरण में जाने के बाद किसी और की जरूरत नहीं रहती क्योंकि उस शक्ति से बड़ी इस संसार में अन्य कोई और शक्ति नहीं है। ये विचार परम संत शिरोमणि  शिवानंद महाराज ने श्रावणी पूर्णिमा पर आयोजित विशाल यज्ञ के उपरांत भक्तगणों को संबोधित करते हुए व्यक्त किये।
उन्होंने कहा राखी का बंधन एक बहुत बड़ा बंधन है। इसका उदाहरण है एक बार भगवान श्री कृष्ण को कहीं चोट लग गई थी जिससे उनके हाथ में खून बह रहा था तो उस पर द्रोपदी की नजर पड़ी तो उन्होंने बिना देरी की अपने कीमती पहने हुए वस्त्र को फाड़ कर उनके हाथ में बांध दिया था जहां से खून निकल रहे थे। वहीं भगवान श्री कृष्ण ने उसे राखी का बंधन मान लिया और समय समय पर हर विपत्ति में उनकी रक्षा की। इसलिए जो बहन किसी भाई के हाथ पर राखी रूपी कच्चा धागा बांधती है तो उस भाई द्वारा हमेशा उस बहन की सुख दुख में रक्षा करनी चाहिए। यह कच्चा धागा देखने में आवश्यक कच्चा होता है लेकिन जब बहन भगवान का नाम लेकर अपने भाई की कलाई पर इसे बांध देती है तो वह भाई हजारों बाधाओं से बच जाता है। इसलिए यहां बहन को देव तुल्य का दर्जा दिया गया है।
 स्वामी जी ने यह भी कहा आज हमें इस महान यज्ञ के कार्यक्रम में अवश्य ही एक बुराई छोड़कर  जानी चाहिए ताकि हम समाज के प्रति सजग रहे और समाज में शांति स्थापित रहे। इस अवसर पर ट्रस्ट के अध्यक्ष अनिल यादव ,ट्रस्ट के व्यवस्थापक कैलाश गोयल, ट्रस्ट के वाइस प्रधान कर्मवीर सिंह, ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष विजय सिंह आर्य, डा. फतेहचंद दायमा, आनंद सिंगल दिल्ली, मखनलाल आचार्य, अशोक चौहान, नरेंद्र शास्त्री विनय चौहान, योगेश कुमार, सतीश कुमार, योगेंद्र शर्मा देव शास्त्री, दीपांशु तंवर के अलावा अन्य लोग उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 07: यज्ञ में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए स्वामी शिवानंद।


रसूलपुर में मनाया गया श्रावणी पर्व
-यज्ञोपवीत आयोजित
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कनीना की आवाज।
 कनीना उप-मंडल के गांव रसूलपुर में आर्य समाज द्वारा श्रावणी पर्व मनाया गया जिसमें 11 यज्ञोपवीत लिये गये जिनमें पांच नये तथा छह बदले गये।  इस मौके पर सतीश आर्य ने कहा कि जब हम सभी बहनों का अपनी बहन मानेंगे तभी बहनों की रक्षा संभव हो पाएगी। असली रक्षासूत्र यज्ञोपवीत ही होता है। इस बारे में में उन्होंने विस्तार से समझाया। सभी ने देश धर्म की रक्षा की शपथ ली। इस अवसर पर राजेंद्र आर्य बवानिया ने अपने दोनों पुत्रों के साथ उपस्थित हुए तथा यज्ञोपवीत धारण करवाया गया। आर्य समाज रसूलपुर के सभी पदाधिकारी सदस्य उपस्थित रहे।
 फोटो कैप्शन 3: रसूलपुर में आर्य समाज में  श्रावणी पर्व मनाते हुए।





कनीना में दिन भर पड़ी फुहार, 2 एमएम वर्षा हुई
-सावन का अंतिम दिन रहा है रक्षा बंधन
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कनीना की आवाज।
 कनीना क्षेत्र में सावन के अंतिम दिन रक्षाबंधन पर्व पर जहां दिन भर फुहार पड़ती रही। सुबह से ही फुहार पडऩी शुरू हुई जो शाम तक चलती रही और कुल 2 एमएम वर्षा हुई। किसान फसलों को लाभ होने की उम्मीद जता रहे हैं। फसल पकान के पूरे यौवन पर है और इस महीने के अंत तक  लावणी शुरू होने की संभावना है। किसानों का कहना है कि अब बाजरे की फसल को पानी की कोई आवश्यकता नहीं पड़ेगी। किसान राजेंद्र सिंह, कृष्ण सिंह, योगेश कुमार, रोहित कुमार आदि ने बताया कि इस समय फसल पक चुकी है, बस कुछ दिनों में लावणी शुरू हो जाएगी। कुछ किसानों ने पछैती बीजाई की है वो पकने में कुछ समय और लग सकता है। इस बार सरकार ने 2775 रुपये प्रति क्विंटल बाजरे का एमएसपी रखा हुआ है। आशा है कि इस बार बंपर पैदावार होगी। इस वर्षा का फसलों को लाभ होगा क्योंकि कोई पानी की कमी थी वह इस वर्षा ने पूरी कर दी है। किसानों को उम्मीद है की अच्छी पैदावार होगी।
फोटो कैप्शन 04: पकी फसल को दिखाता किसान







25 रिक्तियों के लिए आवेदन 20 अगस्त तक
-11वीं में रिक्त स्थानों पर प्रवेश के लिए आवेदन आमंत्रित
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कनीना की आवाज।
पीएमश्री स्कूल जवाहर नवोदय विद्यालय करीरा, जिला महेन्द्रगढ़ में शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए कक्षा 11वीं में रिक्त स्थानों पर प्रवेश के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए, जिसमें आवेदन की अंतिम तिथि 10 अगस्त 2025 थी जो अब 20 अगस्त 2025 है। नवोदय विद्यालय समिति ने इस बात को ध्यान में रखते हुए कि ज्यादा से ज्यादा विद्यार्थी आवेदन करें व जरूरतमन्द विद्यार्थियों को उनकी योग्यता के आधार पर प्रवेश मिले, इसके लिए समिति ने आवेदन कि अंतिम तिथि को10 अगस्त 2025 से बढ़ाकर 20 अगस्त 2025 कर दिया है। प्राचार्य धर्मेंद्र आर्य ने बताया कि वर्तमान में 25 रिक्तियां हैं जिनमें से 4 विज्ञान की 21 कामर्स की है।
          अब विद्यार्थी 20 अगस्त 2025 तक आवेदन कर सकते है। विद्यार्थी महेन्द्रगढ़ जिले के किसी सरकार या सरकारी मान्यता प्राप्त विद्यालय में शैक्षणिक सत्र 2024-25 के दौरान कक्षा 10वीं में अध्ययनरत रहा हो तथा 10वीं में 60 प्रतिशत अंकों के साथ पास की हो। इसके साथ-साथ विद्यार्थी का जन्म 01 जून 2008 व 31 जुलाई 2010 (दोनों तिथियां सम्मिलित) के बीच हुआ होना चाहिए। विद्यालय के प्राचार्य धर्मेंद्र आर्य ने बताया की पीएमश्री स्कूल जवाहर नवोदय विद्यालय करीरा, महेन्द्रगढ़ जिले में शिक्षा के क्षेत्र में नए इतिहास रच रहा है। नवोदय विद्यालय पूर्णत: निशुल्क, सह-शिक्षा पर आधारित आवासीय विद्यालय है जहां खेलों के साथ-साथ स्काउट-गाइड, एनसीसी, कला, संगीत व शैक्षणिक क्रियाओं की बेहतर व्यवस्था है।
    उन्होंने बताया कि विद्यार्थी आवेदन के लिए 222.ठ्ठड्ड1शस्रड्ड4ड्ड.द्दश1.द्बठ्ठ वैबसाइट से आवेदन पत्र डाउनलोड करके या विद्यालय कार्यालय से आवेदन पत्र प्राप्त कर उसे 20 अगस्त 2025 तक विद्यालय कार्यालय में जमा कर सकते हैं या द्भठ्ठ1द्मड्डह्म्द्गद्गह्म्ड्ड2006ञ्चद्दद्वड्डद्बद्य.ष्शद्व पर मेल कर सकते हैं।





 काकोरी के शहीदों को किया गया नमन
 शहीदों का सम्मान करना हम सब का नैतिक कर्तव्य -मदन मोहन कौशिक
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कनीना की आवाज।
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अगिहार में काकोरी ट्रेन एक्शन के  सौ साल पूरे होने पर काकोरी के शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम  की अध्यक्षता विद्यालय की कार्यवाहक प्राचार्या पूनम यादव ने की उन्होंने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे उन आजादी के दीवानों और शहीदों के  गुणों को अपनाएं  विद्यालय में अंग्रेजी का प्रवक्ता मदन मोहन कौशिक ने काकोरी के शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उनकी वीरता और शौर्य के किस्से विद्यार्थियों को सुनाएं। उन्होंने क्रांतिकारी अशफाक उल्ला खां तथा पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की दोस्ती पर एक कविता का वाचन भी किया उन्होंने बताया कि काकोरी ट्रेन एक्शन आजादी के इतिहास की बहुत बड़ी घटना थी जिसमें बेखौफ क्रांतिकारियों ने राम प्रसाद बिस्मिल और चंद्रशेखर आजाद के नेतृत्व में क्रांतिकारियों के लिए हथियार खरीदने के लिए सरकारी खजाना लूट लिया था तथा पकड़े जाने पर आनन फानन में कुछ दिनों में ही चार बड़े क्रांतिकारियों को फांसी की सजा और दूसरे क्रांतिकारियों को आजीवन कारावास तथा काले पानी की सजा दे दी गई थी लेकिन इस घटना के बाद अंग्रेजी सरकार की जड़े हिल गई तथा उन्हें अंत में भारत छोडऩे पर मजबूर होना पड़ा। इस अवसर पर विद्यालय की छात्रा नरगिस ने राम प्रसाद बिस्मिल के प्रसिद्ध गजल सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है का वाचन भी किया इस अवसर पर प्रिंस नव्या, अर्चना, कल्पना,मुस्कान, साइना, साहिल तथा शारदा ने भी देशभक्ति पूर्ण कविताओं का वाचन किया इस अवसर पर विद्यालय के स्टाफ सदस्यों अजय बंसल, राजेंद्र कटारिया, निशा जांगड़ा, वंदना जांगिड़, कैलाश देवी, धर्मेंद्र डीपीई, पूनम कुमारी,शशि कुमारी, मुख्य शिक्षक रतनलाल, सुरेंद्र सिंह, प्रमोद कुमार  चंद्रशेखर  तथा प्रीतम सहित विद्यालय के समस्त स्टाफ एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 01: काकोरी कांड के शहीदों को किया नमन











राजकीय कन्या महाविद्यालय, उन्हाणी में हर घर तिरंगा अभियान
- छात्राओं ने देशभक्ति के रंग में रंगा परिसर
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कनीना की आवाज।
जिला उपायुक्त के निर्देशानुसार राजकीय कन्या महाविद्यालय, उन्हाणी में हर घर तिरंगा अभियान के तहत विविध देशभक्ति-प्रधान गतिविधियों का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के तत्वावधान में संपन्न इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य डा. सुधीर यादव ने की।
  प्राचार्य डा. यादव ने अपने संबोधन में युवा वर्ग को राष्ट्रीय चेतना और देशभक्ति की भावना विकसित करने हेतु प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि तिरंगा हमारी अस्मिता का प्रतीक है और इसका सम्मान देश की एकता एवं अखंडता को बनाए रखने की नींव है। साथ ही, उन्होंने छात्राओं से राष्ट्रीय ध्वज के इतिहास और संवैधानिक महत्व को समझने का आह्वान किया।
कार्यक्रम के अंतर्गत भाषण, निबंध लेखन, पोस्टर मेकिंग एवं स्लोगन राइटिंग जैसी प्रतियोगिताओं में छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इन गतिविधियों के माध्यम से उन्होंने तिरंगे के प्रति सम्मान, राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समरसता के संदेश को रचनात्मक रूप से अभिव्यक्त किया।
इस अवसर पर छात्राओं ने हाथों में तिरंगा थामकर जोशीले नारों के साथ एक भव्य रैली निकाली, जिसने स्थानीय नागरिकों को अपने घर पर तिरंगा फहराने के लिए प्रेरित किया। अंत में प्राचार्य महोदय ने कार्यक्रम को सफल बनाने में योगदान देने वाले प्राध्यापक वर्ग और छात्राओं के प्रति आभार व्यक्त किया।
फोटो कैप्शन 13: उन्हाणी कालेज में हर घर तिंरंगा कार्यक्रम

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