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Tuesday, August 19, 2025



 



पेड़ से बंधी बिजली की केबल हटाने की मांग
-किसान ने कई बार की है शिकायत
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कनीना की आवाज।
 बिजली विभाग ने जहां बिजली की केबल पेड़ों से बांध रखी है। किसान परेशान है। यहां तक की शिकायतकर्ता जगमाल सिंह ने उच्च अधिकारियों को लिखे पत्र में कहा गया है कि उनके खेत में बिजली की केबल पेड़ से बांध रखी है। जाटी के पेड़ से केबल बंधी हुई है जो जली हुई है। उन्होंने पेड़ से केबल हटाने की मांग की है और केंबल को पेड़ से खोलकर अन्य कोई व्यवस्था करने की मांग की है ताकि किसी अनहोनी से बचा जा सके। उन्होंने शिकायत में कहा गया है कि 8 महीने पहले भी लिखित शिकायत की थी किंतु अभी तक उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इस संबंध में नरेश कुमार ने भी एक शिकायत एसडीओ सहित उच्चाधिकारियों को की हुई है।
फोटो कैप्शन 04: जाटी के पेड़ से जली हुई केबल बंधी हुई।




कनीना में श्रीआदर्श रामलीला मंचन की तैयारियां शुरू
- 19 सितंबर से होगा शुभारंभ
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कनीना की आवाज।
श्री आदर्श रामलीला कमेटी कनीना की ओर से आगामी रामलीला मंचन की तैयारियां जोरों पर हैं। कनीना मंडी स्थित श्री राधा कृष्ण मंदिर में कमेटी की विस्तृत बैठक आयोजित हुई, जिसमें मंचन की रूपरेखा और कलाकारों के चयन पर चर्चा की गई। इस दौरान निर्देशक मोहन सैनी महेंद्रगढ़ ने कलाकारों को उनके-उनके रोल का अभ्यास शुरू करा दिया।
कमेटी के प्रधान मोहित जेलदार ने बताया कि जो भी युवा रामलीला में अभिनय करना चाहता है, वह गुरुवार तक शाम 7 बजे श्रीराधा कृष्ण मंदिर पहुंचकर निर्देशक के सामने अपनी कला का प्रदर्शन कर सकता है। निर्देशक ही तय करेंगे कि कौन कलाकार किस किरदार के लिए उपयुक्त है।
36 साल बाद फिर से गूंजेगी कनीना की ऐतिहासिक रामलीला
रामलीला में लक्ष्मण की भूमिका निभा रहे प्रवक्ता सचिन शर्मा ने बताया कि इस वर्ष के अभ्यास की खासियत यह है कि 36 वर्ष पूर्व बंद हुई कनीना की ऐतिहासिक रामलीला में अपनी अदाकारी का लोहा मनवा चुके वरिष्ठ कलाकार अब नए कलाकारों को तैयार करने में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। इससे युवा कलाकारों का उत्साह और आत्मविश्वास बढ़ रहा है।
पूर्व कलाकारों में लक्ष्मण का किरदार निभा चुके महेंद्र मित्तल, विनोद गुड्डू चौधरी, अहिरावन और मारीच का रोल निभाने वाले शिब्बू पंसारी, मेघनाथ, केकई और आर्य सुमंत का अभिनय कर चुके मास्टर शेर सिंह रोहिल्ला, सीता का रोल निभा चुके सुभाष मित्तल व रमेश मित्तल, सुग्रीव का अभिनय कर चुके केदार सेठ, भगवान विष्णु की भूमिका निभाने वाले नवीन मित्तल, सुभाष मित्तल और संरक्षक संजय गर्ग शामिल हैं। इनके साथ श्री श्याम मित्र मंडल के प्रधान अनिल गर्ग, व्यापार मंडल के प्रधान रविंद्र बंसल, बाबूलाल गोयल और दुर्गा दत्त गोयल भी आयोजन की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
नई कार्यकारिणी का गठन
बैठक में रामलीला कमेटी की नई कार्यकारिणी का गठन भी किया गया। इसमें मोहित जेलदार को प्रधान, दिनेश कुमार यादव को उपप्रधान, हेडमास्टर सत्यप्रकाश को सचिव, निट्टू ठेकेदार को खजांची और सचिन को सह-कोषाध्यक्ष बनाया गया।
संरक्षक मंडल में शामिल हुए
रविन्द्र बंसल, बाबूलाल गोयल, शिब्बू पंसारी, विनोद गुड्डू चौधरी, महेंद्र मित्तल, संजय गर्ग, अनिल गर्ग, विनोद भोजावासियां, भीम सेहलंगिया और बब्लू भोजावासिया महेंद्र बचीनीवाला को संरक्षक मंडल में शामिल किया गया।
इस अवसर पर उप प्रधान दिनेश यादव, सचिव हेडमास्टर सत्यप्रकाश, सुरेश कपूर,खजांची निटू ठेकेदार, रामकिशन शर्मा रामा, विक्रम शास्त्री, मुकेश कपूर, रविंद्र जागड़ा, दिनेश जांगड़ा, कर्नल चिक्कारा, संदीप महेश्वरी, महेश मित्तल, अधिवक्ता योगेश गुप्ता, अमित जांगड़ा, दीपक रोहिल्ला, संदीप रोहिल्ला, सतीश गोयल, नितिन (टिंकू), महेंद्र सीकलिगर, टिंकू, कृष्ण पहलवान और अशोक यादव सहित कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।
कमेटी ने बताया कि रामलीला मंचन का शुभारंभ 19 सितंबर से होगा, जिसमें मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जीवन से जुड़े प्रसंगों का मंचन भव्य रूप से किया जाएगा। इस अवसर पर स्थानीय कलाकारों के साथ-साथ बाहर से आए कलाकार भी अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे।
श्री आदर्श रामलीला मंचन का उद्देश्य भारतीय संस्कृति, धर्म और आदर्शों को आने वाली पीढिय़ों तक पहुंचाना है। आयोजन समिति ने नगरवासियों से अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होकर इस धार्मिक आयोजन को सफल बनाने की अपील की है।
रामलीला अभ्यास के दौरान कलाकारों का जोश देखते ही बनता है। मंचन की तैयारियों में जहां नए कलाकार मेहनत कर रहे हैं, वहीं पुराने कलाकार अपनी अमूल्य अनुभव-संपदा से उन्हें मार्गदर्शन दे रहे हैं। यह संगम कनीना की ऐतिहासिक रामलीला को एक नई ऊंचाई देने का कार्य करेगा।
फोटो कैप्शन 05: रामलीला मंचन के लिए के लिए अभ्यास करते कलाकार


अक्षय ऊर्जा स्रोत जगत में सबसे बेहतर स्रोत-सुनील कुमार
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कनीना की आवाज।
 अक्षय ऊर्जा स्रोत जगत में सबसे बेहतर स्रोत है। नवीकरण ऊर्जा स्रोत के बारे में जागरूकता फैलाना जरूरी बन गया है। कोयला और पेट्रोलियम कम होते जा रहे हैं। दिनोंदिन इनके घटने के कारण भविष्य में इनके समाप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। वहीं अक्षय ऊर्जा स्रोत ऐसे स्रोत है जो निकट भविष्य में समाप्त होते नजर नहीं आ रहे हैं। ऐसे में क्षेत्र के विज्ञान के जानकार सुनील कुमार से बात की गई उनके विचार इस प्रकार हैं-
 सूर्य की ऊर्जा, पवन ऊर्जा और जल ऊर्जा अक्षय ऊर्जा के बेहतर स्रोत है। इनसे प्राप्त ऊर्जा पर आधारित कई युक्तियां वैज्ञानिकों ने भी खोजी हैं जिनका उपयोग अधिक से अधिक किया जाना चाहिए। आजकल तो सूर्य से चलने वाली सोलर कूकर, सोलर ड्रायर, सोलर हीटर सोलर वाटर हीटर आदि प्रयोग में लाये जाते हैं। पवन चक्की एवं पवन से बिजली भी बनाई जा रही है। उन्होंने ऐसे में अक्षय ऊर्जा स्रोतों को अधिक से अधिक उपयोग करने की बात कही। उन्होंने कहा कि जब तक इंसान धरती पर जीवित है तब तक इनका उपयोग किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि वह लंबे समय से पेट्रोल-डीजल के वो वाहन चला रहा है किंतु अब उन्हें पता चला है कि इन स्रोतों की बजाए अक्षय ऊर्जा स्रोत अपनाने चाहिए जो समाप्त होते नजर नहीं आते हैं। ऐसे में उनका उपयोग करना ज्यादा लाभप्रद होगा कि भविष्य में इस प्रकार के स्रोत ही प्रयोग करेंगे। उन्होंने कहा कि भविष्य में प्रदूषण से भी हमें बचाते हैं। ऐसे में उपयोग करना चाहिए।
उनका कहना है कि अक्षय ऊर्जा स्रोतों से भविष्य उज्ज्वल बन सकता है क्योंकि कोयला और पेट्रोलियम से प्रदूषण इतना बढ़ता है कि विश्व ऊष्मण की समस्या पैदा होती है। अम्लीय वर्षा बनती है जो भविष्य के लिए खतरा है। ऐसे में उन्होंने इस प्रकार के स्रोतों का अधिक से अधिक उपयोग करने की बात कही। उनका मानना है कि कि कोयला और पेट्रोलियम प्रदूषण करते हैं और भविष्य में बहुत अधिक प्रदूषण करेंगे। ये अम्लीय वर्षा का कारण बनते हैं जो संगमरमर की भव्य इमारतों को भी नुकसान पहुंचाती हैं। धरती का ताप भी बढ़ेगा और बर्फ पानी में बदलकर समुद्रों का तल भी बढ़ाएगा। उन्होंने इस प्रकार के स्रोतों की बजाय अक्षय ऊर्जा स्रोत प्रयोग करने की बात कही।
फोटो कैप्शन: सुनील कुमार विज्ञान के ज्ञाता





घटते ही जा रहे हैं जिला में मलेरिया के केस
-2025 में कनीना में मलेरिया का एक केस आया  
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कनीना की आवाज।
 मच्छर से होने वाली बीमारी की प्रति जागरूकता फैलाने के लिए विश्व मच्छर दिवस मनाया जाता है। मच्छर जानलेवा बीमारी डेंगू, चिकनगुनिया एवं मलेरिया आदि फैलाते हैं। 20 अगस्त 1897 को रोनाल्डो रोस मादा एनाफ्लीज मच्छर की खोज की और मलेरिया का कारण बताया था।  इसीलिए इस दिन को विश्व मच्छर दिवस के रूप में मनाया जाता है।
कनीना के एमपीएचडब्ल्यू सुनील कुमार ने बताया कि मलेरिया फैलाकर लोगों की जान लेने में एनाफ्लीज मच्छर का योगदान होता है। एनाफिलीज मच्छर से मलेरिया नहीं होता बल्कि परजीवी इसका कारण होता है। यद्यपि मलेरिया के उपचार की दवा कुनीन पहले से ही खोज ली थी। सुनील कुमार एमपीएचडब्ल्यू का कहना है कि मच्छरों के काटने से अपने आपको बचाना चाहिए। अक्सर पानी में मच्छर अंडे देता हैं जिससे लारवा पैदा होता है इसलिए आस पास पानी नहीं खड़े होने देना चाहिए। एनाफ्लीज मच्छर की 40 प्रजातियां मिलती हैं और यह मच्छर अक्सर सुबह काटते हैं। चौकी मादा एनाफिलीज मच्छर को अंडे देने के लिए खून की जरूरत इसलिए खून पीती है जबकि नर मच्छर अक्षर फूल अन्य स्रोतों पर मिलते हैं।
 मलेरिया इंस्पेक्टर शीशराम ने बताया कि  
जिला महेंद्रगढ़ में 2021 में 5, वर्ष 2022 में 3 केस मलेरिया के थे। कनीना में वर्ष  2015 में 6 केस मलेरिया के थे जो 2016 में घटकर तीन रह गए, 2017 में फिर से 2 केस रह गए 2018 में 3 केस मलेरिया के आए। 2019 में कोई मलेरिया का केस नहीं किंतु वर्ष 2025 में कनीना में मलेरिया का एक केस आया है।
उन्होंने बताया कि मलेरिया प्लाजमोडियम परजीवी से फैलता है जिसे मादा एनाफिलीज खून पीते वक्त शरीर में छोड़  जाती है। मच्छर काटने के 10 से 15 दिनों में बार बार बुखार सिरदर्द आदि आता है। यदि जल्द उपचार नहीं किया जाए तो यह बहुत घातक भी साबित बन सकता है।
 ऐसे में मच्छरों से बचने के लिए मच्छरदानी, क्रीम, तेल, लगाकर बचना चाहिए।  मलेरिया का इलाज करवाना बहुत जरूरी है वरना भविष्य में घातक परिणाम निकल सकते हैं।
 फोटो कैप्शन: शीशराम एचआई एवं सुनील कुमार।




घटती जा रही ग्वार की खेती
- विभिन्न उद्योगों में तथा प्रसाधन में आता है काम
-40 एकड़ में उगाया गया है ग्वार
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कनीना की आवाज।
किसी वक्त कनीना क्षेत्र में अच्छी पैदावार ग्वार की ली जाती थी किंतु वर्तमान में ग्वार की खेती घटती जा रही है।
 ग्वार का अर्थ है गऊ का आहार अर्थात गाय का बेहतरीन चारा माना जाता है किंतु अब यह बहुत कम क्षेत्रफल पर उगाया जाता है। इसको अधिक पानी की जरूरत नहीं होती। पशुओं के लिए  ग्वार की चूरी उपयोगी है इसमें प्रोटीन की मात्रा अधिक पाई जाती है। ग्वार का गोंद कपड़ा, खाद्य पदार्थ शृंगार का सामान बनाने, विस्फोट, तेल उद्योगों में किया जाता है।
अपनी उपयोगिता के कारण यह लोकप्रिय है। डा देवराज पूर्व कृषि अधिकारी बताते हैं कि ग्वार की गिरी में 35 फीसदी तक गम पाया जाता है। इसका उपयोग खाद्य प्रसंस्करण ,वस्त्र उद्योग सौंदर्य प्रसाधन, विस्फोटक उद्योग, कागज उद्योग में किया जाता है। बेकरी बनाने, आइसक्रीम ,पनीर के रखरखाव, चटनी बनाने में उपयोगी है। ग्वार पौष्टिक जा रहा है इसलिए विभिन्न पशुओं को खिलाने के काम आता है, इसके चूरी पशुओं को खिलाते हैं वहीं ग्वार की फलियां सब्जी के काम आती है। यह फलीदार दलहनी कम होने के कारण वायुमंडल की नाइट्रोजन को अवशोषित करता है। परंतु फसल में जड़ गलन रोग एवं बीएलबी रोग के कारण पैदावार घटती जा रही है। किसान इसे उगाने से घबराने लगे हैं। प्रति एकड़ 6 क्विंटल पैदा होना चाहिए किंतु होता है एक क्विंटल साथ में भाव अच्छे नहीं है जिसके चलते किसान रुझान घटा है।
फोटो कैप्शन 04: ग्वार की खेती।



सद्भावना दिवस 20 अगस्त
आज भी युवा पीढ़ी  भारत निर्माता के रूप में जानती है राजीव गांधी को
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कनीना की आवाज।
 20 अगस्त पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का जन्मदिन सद्भावना दिवस के रूप में मनाया जाता है। राजीव गांधी को आज भी युवा सोच वाले लोग भारत का निर्माता बताते हैं। 40 वर्ष की उम्र में प्रधानमंत्री बनने वाले राजीव गांधी ने आधुनिक भारत की नीव रखने की दिशा में कारगर कदम उठाया था। 1984 से 1991 तक राजीव गांधी देश के युवा प्रधानमंत्री रहे।  5 वर्षों में अपनी छाप छोड़ी, उनके कार्यों की प्रशंसा करने वालों की आज भी कमी नहीं है। क्या कहते हैं नेता व अन्य नेता-
 राजकुमार नेता का कहना है कि दूरसंचार क्रांति में और नई तकनीक लाने में राजीव गांधी का कोई सानी नहीं है। भविष्य की सोच लकर चलते थे। जिसके चलते कंप्यूटर लाने वालों में उन्हीं का नाम एक है। चाहे कंप्यूटर का प्रारंभ विरोध हुआ परंतु बाद में लोग जागरूक हुये तो पता लगा कि वास्तव में आधुनिक युग में कंप्यूटर क्रांति का अहम रोला होताहै। ऐसे महान मुख्यमंत्री को बार-बार नमन। उन्हें सूचना और तकनीक दूरसंचार क्रांति के जनक भी कहा जाता है। दूरसंचार की स्थापना की देश और दुनिया आपस में जुड़े। 1986 में राजीव राजीव गांधी की पहल से ही एमटीएनएल की स्थापना हुई चाहे उस वक्त राजीव गांधी नहीं रहे थे।
कांग्रेसी नेता राजकुमार का कहना है कंप्यूटर क्रांति के जनक राजीव गांधी को माना जाता है। वैज्ञानिक पित्रोदा के साथ मिलकर देश में कंप्यूटर क्रांति लाये। उन्होंने कंप्यूटर उपकरणों पर आयात शुल्क घटाने की पहल की। भारत रेलवे में टिकट जारी होने की कंप्यूटरीकृत व्यवस्था भी उन्हीं की देन थी।  पंचायतों को सशक्त करने का सपना भी उनके दिल में था। और पंचायतों को सशक्त भी किया।
उन्होंने बताया कि उनके चलते ही 1992 में 73वां संसोधन हुआ। उल्लेखनीय कि 1991 उनकी हत्या हो गई जिसक  एक साल बाद राजीव गांधी की सोच को साकार किया गया। 1992 में 73वें एवं 74वें संशोधन में पंचायती राज व्यवस्था का उदय हुआ। 73वां संशोधन नरसिंह राव सरकार के वक्त विधेयक पारित कराया गया था। इसका उद्देश्य पंचायती राज व्यवस्था पैदा करना था। उधर उनका कहना है कि नवोदय विद्यालय उन्हीं की देन है। इस समय 551 नवोदय विद्यालय से भी अधिक विद्यालय खुले हुए हैं जिनमें एक लाख 80 हजार विद्यार्थी शिक्षा का रहे हैं। शिक्षा पार मुफ्त 12वीं तक की शिक्षा दी जाती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति की घोषणा 1986 में की गई थी वह भी उसका श्रेय राजीव गांधी को दिया जाता है यदि पीयूष मिश्रा राजीव गांधी जीवित नहीं थे।
उनका कहना है कि का कहना है कि पहले देश में वोट देने की उम्र सीमा इक्कीस वर्ष थी युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी की नजर में यह उम्र सीमा गलत थी जिसके चलते उन्होंने 18 वर्ष की उम्र में मताधिकार देकर उनकी जिम्मेदारी और देश को सशक्त बनाने की पहल की गई। 1989 में संविधान के किस संशोधन के जरिए वोट डालने की सीमा 21 से घटकर 18 वर्ष कर दी गई हो जिसका श्रेय राजीव गांधी को जाता है।
 












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