Not sure how to add your code? Check our installation guidelines **KANINA KI AWAZ **कनीना की आवाज**: 2025

Saturday, December 13, 2025



 

पेपर देकर आ रहे हैं युवक के हाथ पर मारा डंडा
-70 हजार रुपये का फोन गिरा, मामला दर्ज
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कनीना की आवाज।
 कनीना निवासी सुभाष वर्मा का पुत्र आकाश नोएडा में दिल्ली पुलिस का एएसआई का पेपर देकर जब ट्रेन से आ रहा था तो लड़कों के गैंग ने हाथ पर डंडा मारकर मोबाइल छीन लिया। पुलिस में मामला दर्ज करवा दिया है।
 हुआ यूं कि गुरुग्राम की ओर से कनीना के लिए आकाश ट्रेन से आ रहे था। तभी गुरुग्राम के पास बसई धनकोट गांव में 5-6 लड़कों के गैंग ने दरवाजे पर खड़े आकाश के हाथ पर जोर से डंडा मारा। जिससे 70 हजार रुपये का एप्पल आईफोन गिर गया तथा हाथ पर गहरी चोट आई। उन्होंने रेवाड़ी आकर के रेलवे पुलिस में मामला दर्ज करवा दिया है।
 आकाश ने बताया कि किसी व्यक्ति का फोन लेकर उन्होंने अपने फोन पर बात की तो गैंग के लड़कों ने बताया कि यह आइफोन है जो हमारे किसी काम का नहीं। आप इस फोन को लेने के लिए बसई धनकोट आ जाओ। क्योंकि गैंग का मसला है इसलिए आकाश धनकोट नहीं जा सके बल्कि उन्होंने पुलिस में मामला दर्ज करवाया है।




 कनीना में सीवर का पानी आया सड़कों पर
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कनीना की आवाज।
कनीना में कान्हा पार्क के पीछे बस्ती में सीवर का पानी पिछले पांच महीनों से बाहर आ रहा है जिस से आस पास रहने वाले बस्ती के लोगों का रहना काफी मुश्किल हो गया है । सीवर का पानी साथ लगते पार्क की दीवार में जा रहा है जिस से दीवार के गिरने की आशंका ज्यादा हो रही है। आस पास रहने वाले लोगों का कहना है कि उन्होंने बार बार इसकी शिकायत भी की लेकिन कोई समाधान नहीं हो पाया ।
सुनीता देवी, पिंकी , सरोज, अंकित, दुष्यंत , ने बताया कि पिछले काफी दिनों से सीवर का पानी बाहर आ रहा है।
फोटो साथ है


भारतीय ज्ञान पद्धति एक समग्र और प्राचीन प्रणाली है-डा. होशियार सिंह
-दो सत्रों में चला 3 घंटों का व्याख्यान
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कनीना की आवाज।
भारतीय ज्ञान पद्धति एक समग्र और प्राचीन प्रणाली है जो वेदों, उपनिषदों और अन्य शास्त्रों पर आधारित है। जिसमें दर्शन, विज्ञान ,गणित, खगोल, आयुर्वेद, रसायन, कला, संस्कृति और आध्यात्मिकता शामिल हैं, जिसका उद्देश्य समग्र मानव कल्याण और आध्यात्मिक उन्नति है। जिसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के माध्यम से आधुनिक शिक्षा में एकीकृत किया जा रहा है। यह केवल सैद्धांतिक नहीं, बल्कि व्यावहारिक ज्ञान है जो गुरु-शिष्य परंपरा से पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होता रहा है। ये विचार पूर्व विज्ञान शिक्षक एवं लेखक डा. होशियार सिंह यादव ने पीएमश्री स्कूल जवाहर नवोदय विद्यालय करीरा में भारतीय ज्ञान पद्धति/इंडियन नालेज सिस्टम पर दो सत्रों में चले 3 घंटों के व्याख्यापन में व्यक्त किये।
  श्री यादव ने कहा कि इस ज्ञान को समग्र एवं  अनुभव और प्रयोग पर आधारित दो भागों में बांटा गया है। समग्र को भी आध्यात्मिक और लौकिक  दो भागों में बांटकर दोनों के संतुलन पर जोर देता है, जिससे व्यक्ति आत्मिक शांति और भौतिक सुख दोनों प्राप्त कर सके जबकि अनुभव और प्रयोग पर आधारित विज्ञान और जीवन दर्शन की प्रणालियां प्रयोग, अवलोकन और गहन विश्लेषण से विकसित हुई हैं, जैसे योग, ज्योतिष, आयुर्वेद, गणित, खगोल विज्ञान प्रमुख हैं।
    शास्त्रीय आधार पर वेद, उपनिषद, पुराण, रामायण, महाभारत, अर्थशास्त्र, चरक संहिता, सुश्रुत संहिता जैसे ग्रंथ इसके आधार हैं, जो जीवन के हर पहलू का मार्गदर्शन करते हैं। ज्ञान का हस्तांतरण गुरु के माध्यम से होता था, जिससे यह परंपरा जीवित रही।
  उन्होंने बताया कि भारतीय ज्ञान पद्धति में
सांख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, मीमांसा, वेदांत,आयुर्वेद, ज्योतिष, गणित, खगोल विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान,भारतीय कला, वास्तुकला, साहित्य,राजनीति, समाजशास्त्र आदि शामिल किये गये हैं।
भारतीय ज्ञान पद्धति केवल अतीत की विरासत नहीं, बल्कि एक जीवंत प्रणाली है जो वर्तमान और भविष्य के लिए प्रासंगिक है, जो मानव जीवन को समग्रता और संतुलन प्रदान करती है। वेदों की संख्या चार है जिनमें ऋग्वेद यह वेदों में सबसे प्राचीन और मंत्रों का संग्रह है,यजुर्वेद में यज्ञ और कर्मकांड से संबंधित नियम हैं। सामवेद में गेय और संगीत से संबंधित मंत्र हैं और अथर्ववेद में जादू-टोने, स्वास्थ्य, और तंत्र-मंत्र जैसी बातें हैं।
श्री यादव ने कहा कि आयुर्वेद, जिसका अर्थ है जीवन का विज्ञान, भारत की एक प्राचीन और समग्र चिकित्सा पद्धति है जो शरीर, मन और आत्मा के संतुलन पर केंद्रित है, वात, पित्त और कफ नामक तीन दोषों के संतुलन के माध्यम से स्वास्थ्य को बनाए रखती है और रोग को जड़ से खत्म करने के लिए जड़ी-बूटियों, आहार, योग और जीवनशैली का उपयोग करती है। यह केवल बीमारी का इलाज नहीं, बल्कि दीर्घायु और पूर्ण स्वास्थ्य प्राप्त करने का एक विज्ञान है, जो प्राकृतिक उपचारों पर आधारित है।
     शरीर के तीन मूलभूत ऊर्जाएं (वात,पित,कफ) जो संतुलन में होने पर स्वास्थ्य देती हैं और असंतुलित होने पर रोग का कारण बनती हैं। माना जाता है कि शरीर पांच मूल तत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) से बना है।
  उन्होंने बताया कि व्यक्ति के दोष और प्रकृति के अनुसार संतुलित भोजन। करना चाहिए।
स्वस्थ जीवन जीने के लिए दैनिक और मौसमी दिनचर्या का पालन होना चाहिए।
 श्री यादव ने पोलैंड के एक गणितज्ञ, गैलीलियो गैलिली की मेहनत के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि कैसे पेंडूलम घड़ी, आवर गिलास आदि खोजी गई।
भारत के वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु के बारे में बताते हुए कहा कि उन्होंने क्रेस्कोग्राफ नामक यंत्र से पौधों की वृद्धि और बाहरी उत्तेजनाओंके प्रति उनकी प्रतिक्रियाओं को रिकॉर्ड करके साबित किया कि पौधे सजीव होते हैं, दर्द महसूस करते हैं और उनमें जीवन चक्र होता है। उन्होंने दिखाया कि पौधे भी जंतुओं की तरह विद्युत संकेतों के माध्यम से प्रतिक्रिया देते हैं। इस मौके पर पत्रकारिता, लेखन के पहुलुओं को भी छुआ और प्राचीन कवियों एवं लेखकों के अलावा नारद मुनि, गुरु शिष्य परंपरा पर प्रकाश डाला।
इस मौके पर प्रश्रोत्तरी प्रतियोगिता के जरिये अव्वल रहे  विद्यार्थियों को श्री यादव ने पुरस्कृत करने की घोषणा भी की। प्राचार्य बृजमोहन रावत के मार्गदर्शन में उप-प्राचाय धर्मेंद्र आर्य , सोमवीर, देवेंद्र, पूजा सिंह और विद्यालय के छठी सातवीं आठवीं के समस्त बच्चे हाजिर रहे। शिक्षिका पूजा सिंह एवं उप प्राचार्य धर्मेंद्र आर्य ने विशेष भूमिका निभाई।
फोटो कैप्शन 06 व 07: भारतीय शिक्षा पद्वति पर व्याख्यान देते डा. होशियार सिंह यादव





बाजरा बोर्ड गठित करने की मांग
-अतरलाल ने उठाई मांग
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कनीना की आवाज।
बसपा नेता अतरलाल एडवोकेट ने केन्द्र व राज्य सरकार से बाजरा उत्पादक किसानों के कल्याण के लिए बाजरा बोर्ड गठित करने की मांग की है।
 अतरलाल ने बाघोत, उच्चत, छिथरोली गांवों में किसानों की समस्याएं सुनते हुए उक्त मांग उठाई। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार बाजरा उत्पादक किसानों की अनदेखी कर रही है। जिसका स्पष्ट प्रमाण है कि सरकार ने इस सत्र में बाजरा की सरकारी खरीद नहीं की। जिसके कारण भावांतर राशि जोड़कर भी किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से 400 रुपए प्रति क्विंटल की दर से हर्जाना उठाना पड़ा है। घोषित बाजरा भावांतर राशि दो माह व्यतीत होने के बाद भी किसानों के खातों में नहीं आई है। भावांतर राशि के भुगतान व देरी से किसानों में भारी रोश व्याप्त है। समय पर भावांतर राशि न मिलने से किसानों को अगले सत्र की खेती के लिए खाद, बीज, कीटनाशक खरीदने व अन्य जरूरी खर्च पूरे करने में मुश्किल उठानी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर खरीद करना किसानों का सबसे बड़ा शोषण है। बाजरा उत्पादक किसानों को इस शोषण से बचाने के लिए बाजरा बोर्ड गठित करना समय की मांग है। किसानों को फसलों का लाभकारी मूल्य मिलना ही किसानों के विकास की सीढ़ी है। इस अवसर पर उन्होंने किसानों, मजदूरों की भलाई के लिए होली के बाद किसान, मजदूर, अधिकार यात्रा निकालने की घोषणा की।


जवाहर नवोदय विद्यालय की प्रवेश परीक्षा में बैठे 2222 विद्यार्थी, 355 रहे अनुपस्थित
-कनीना ,अटेली, महेंद्रगढ़, नारनौल और नांगल चौधरी में बनाये गये थे दो-दो केंद्र
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कनीना की आवाज।
पीएम श्री जवाहर नवोदय विद्यालय करीरा की कक्षा 6 में प्रवेश पाने हेतु आयोजित जवाहर नवोदय प्रवेश परीक्षा/जेएनवीएसटी-2026 परीक्षा जिला महेंद्रगढ़ के 10 केंद्रों पर आयोजित हुई। कनीना, अटेली, महेंद्रगढ़, नारनौल एवं नांगल चौधरी में दो -दो परीक्षा केंद्र बनाए गए थे। विस्तृत जानकारी देते हुए प्राचार्य बृजमोहन रावत पीएमश्री जवाहर नवोदय विद्यालय करीरा ने बताया कि अटेली के दोनों परीक्षा केंद्रों पर 470 में से 407 उपस्थित तथा 61 अनुपस्थित रहे, कनीना के के दोनों परीक्षा केंद्रों पर 573 में से 509 उपस्थित रहे जबकि 64 अनुपस्थित रहे। वहीं महेंद्रगढ़ के दोनों परीक्षा केंद्रों पर 505 में से 412 उपस्थित तथा 93 अनुपस्थित रहे, नारनौल के दोनों परीक्षा केंद्रों पर 430 में से 345 उपस्थित तथा 85 अनुपस्थित रहे। नांगल चौधरी के दोनों परीक्षा केंद्रों पर 599 में से 549 उपस्थित तथा 50 अनुपस्थित रहे। विभिन्न अधिकारियों ने परीक्षा केंद्रों का दौरा किया तथा परीक्षा का संचालन अति शांतिपूर्वक चला। अब भविष्य में परीक्षा का परिणाम आएगा जिनमें से 80 विद्यार्थियों का चयन किया जाएगा।
  प्राचार्य ने बताया कि सह शिक्षा वाले इन विद्यालयों में जहां लड़के और लड़कियों के अलग-अलग हास्टल की सुविधा है वही मुफ्त शिक्षा प्रदान की जाती है ।एक दूसरे की संस्कृति समझने के लिए विद्यार्थियों को दूसरे राज्यों में भी माइग्रेट किया जाता है वहीं एनसीसी, एनएसएस, स्काउट गाइड ,खेलकूद आदि की विशेष सुविधाएं उपलब्ध होती हैं।
फोटो कैप्शन 05: जेएनवीएसटी की परीक्षा की तैयारी करता स्टााफ
साथ में प्राचार्य बीएम रावत






17 दिसंबर को रिटायर्ड कर्मचारी संघ मांगों से संबंधित ज्ञापन भेजेगा राज्यपाल को
-अटेली में आयोजित हुई बैठक
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कनीना की आवाज।
रिटायर्ड कर्मचारी संघ की बैठक हनुमान मंदिर पुराना बस स्टैंड अटेली में  खण्ड प्रधान बलबीर सिंह यादव की अध्यक्षता में आयोजित की गई।बैठक में  धर्मपाल शर्मा राज्य सचिव एवं जिला प्रभारी तथा जगनलाल निनानिया पूर्व राज्य उपप्रधान, किसान नेता एवं सर्वकर्मचारी संघ जिला महेन्द्रगङ के पूर्व प्रधान धर्मेन्द्र यादव व रिटायर्ड कर्मचारी संघ के जिला प्रधान घनश्याम दास शर्मा विशेष रूप से उपस्थित थे। बैठक का संचालन खण्ड सचिव ओमप्रकाश वर्मा ने किया। बैठक में खण्ड के दिवंगत साथी रामकुमार प्रजापत राता कला ,धर्मपाल  शर्मा राता कला, हर फूल सिंह जी यादव बिहाली ,सुबेसिंह सिंह हेड टीचर गनियार  तथा
13 दिसम्बर 2001 को जैश ए मोहम्मद आतंकी संगठन के संसद पर आतंकी हमले में शहीद हुए जवानो की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा वह श्रद्धांजलि अर्पित की गई।  बैठक  सम्बोधित करते हुए कहा धर्मपाल शर्मा ने कहा भारत सरकार रिटायर्ड कर्मचारियों के को पेंशन समाप्त करना चाहती है। भारत सरकार की नियत  ठीक नही है। सरकार का यह कहना  कि पेंशन अन फनडीड है नान  कन्टीब्यूट्री है अर्थात् बजट का अभाव बताया जाना यह मंशा सही नहीं है इसके विरोध में पूरे भारत में जिला मुख्यालयों पर अखिल भारतीय राज्य सरकारी पेंशनर्स फैडरेशन के आव्हान पर तथा रिटायर्ड कर्मचारी संघ हरियाणा के निर्देशन पर 17 दिसम्बर 2025 को धरना प्रदर्शन सुबह 10 बजे से 1तक कर उपायुक्त महेन्द्रगढ़ के माध्यम से राज्यपाल हरियाणा के नाम  केंद्र सरकार द्वारा वित्त विधेयक 2025 पारित के विरोध में अन्य मांगो सहित ज्ञापन सौंपा जायगा। क्योंकि पेंशनर्स विरोधी वित्त विधेयक 2025 का प्रभाव स्पष्ट रूप से सरकार द्वारा अधिसूचित आठवां वेतन पुनरीक्षण आयोग के लिए स्वीकृत विचारणीय बिंदु में देखने को मिला है।
जगनलाल निनानिया  ने बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि सभी को कैशलेस इलाज की सभी अस्पतोलो में मुफ्त इलाज व मेडिकल भत्ता  3000 हजार रुपये कम्युटेशन की वसुली 11. साल तक की जावे 65 वर्ष की आयु 75 वर्ष की आयु पर मूल पेंशन में 10 प्रतिशत  व 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जाए रेलवे यात्रा व हवाई यात्रा के लिए पूर्व की भांति  50 प्रतिशत की छूट दी जाए । खण्ड
बैठक मे छोटेलाल बी ई ओ, नन्दराम ,बृजलाल, किशोरीलाल, सुमेरसिंह यादव , हंसराज ,रोहतास सिंह, जय सिंह ,मुरारी लाल ,रामानंद, ताराचंद, गजानन, लालाराम ।लाल सिंह जयचंद, नेमीचंद गुप्ता। हरि सिंह। संतोष कुमार ,बलवंत शर्मा ,दिनेश कुमार, राम अवतार यादव ,शेर सिंह, महावीर प्रसाद, बुधराम ,रामस्वरूप, रामावतार प्रवक्ता आदि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 04: बैठक आयोजित करते हुए रिटायर्ड कर्मी




लोक अदालत बैच में सुनवाई के दौरान कुल  रखे गए 1388 मामले
-98 वादो का मौके पर ही किया निपटारा
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कनीना की आवाज।
कनीना न्यायालय में  विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा  राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता कनीना न्यायालय के जेएमआईसी विशेष गर्ग द्वारा की गई। लोक अदालत बैच में सुनवाई के दौरान कुल 1388 मामले रखे गए। जिसमें से आपसी सहमति से 98 मामलों का मौके पर ही निपटारा किया गया। जिसमें  बैंक रिकवरी के 6,अनआइ एक्ट के 5, क्रिमिनल के 48 मामले, सिविल के 13 व 26 अन्य केसों सहित कुल , 98 वादो  का मौके पर ही निपटारा किया गया। और सेटलमेंट अमाउंट 3206907 रुपए रही।
  इस अवसर पर कनीना न्यायालय के जेएमआईसी विशेष गर्ग ने कहा कि लोक अदालत में विवादों का निपटारा करने से लोगों के समय और धन की बचत होती है। इसलिए लोक अदालत में ज्यादा से ज्यादा मामले मिल बैठकर निपटाना चाहिए। पूर्व प्रधान ओम प्रकाश रामबास ने कहा कि लोक अदालत में किसी भी पार्टी की ना हार होती है ना जीत होती है इससे हमेशा के लिए रंजिश भी समाप्त होती है। इस अवसर पर बार प्रधान मंजीत यादव पूर्व प्रधान संदीप यादव  पूर्व प्रधान ओ पी रामबास  पूर्व प्रधान हरीश गाहड़ा,  सुमन यादव, मीनाक्षी यादव, योगेश गुप्ता, दिनेश यादव, विक्रम ककराला, राकेश मानपुरा , देशबंधु यादव, दिनेश कुमार नाजीर, गोविंद वशिष्ठ रीडर, सुदेश अहलमद, विशाल अहलमद जसवंत अमित व दिनेश सहित अनेक अधिवक्ता व आमजन मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 01: कनीना में न्यायाधीश लोक अदालत में केसों की सुनवाई करते हुए


स्वयं सेवकों को सिखाये खुश रहने के गुर
-भोजावास में आयोजित एनएसएस शिविर
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कनीना की आवाज।
कुमार के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय सेवा योजना के सौजन्य से एक दिवसीय एनएसएस कैंप का आयोजन किया गया। इस कैंप में लगभग 100 स्वयंसेवकों ने भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व एसएमसी उपप्रधान राकेश कुमार ने की।
इस एक दिवसीय शिविर में मुख्य अतिथि के रूप में दयानंद प्रवक्ता अंग्रेजी , रावमावि सुन्दरह ने शिरकत की। उन्होंने अपनी संबोधन में विद्यार्थियों को कड़ी मेहनत , दूरदृष्टि और पक्का इरादा को जीवन में अपनाने पर बल दिया। इसके साथ-साथ उन्होंने बुरी संगति तथा नशाखोरी से भी बचने का आह्वान किया । कार्यक्रम में स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी राजेश बालवान ने विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से बताया कि जीवन में खुश रहना किसी अन्य कारक पर निर्भर नहीं करता बल्कि हमारे अंदर ही निहित है। किस तरह से हम हर परिस्थिति में खुश रह सकते हैं। किस तरह सभी परिस्थिति अनुकूल होने के बावजूद भी हम खुद ही दुखी रहते हैं । समापन के समय विभिन्न वक्ताओं ने स्वयंसेवकों को सहयोग की भावना , सहानुभूति , देश-प्रेम , नशे के दुष्प्रभावों के बारे में विस्तार से बताया । इस अवसर पर  बुधराम सिंह प्रवक्ता इतिहास व सुरेंद्र सिंह प्रवक्ता अर्थशास्त्र ने भी स्वयंसेवकों को संबोधित किया।
स्वयंसेवकों ने विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से सभी उपस्थित जनों का मनोरंजन किया एवं प्रेरणादायक संदेश दिया ।
इस अवसर पर विद्यालय के कला शिक्षक एवं इको क्लब प्रभारी श्री परमानंद जी एवं शिवकुमार आदि भी उपस्थित रहे। इस अवसर पर बच्चों ने विद्यालय में स्वच्छता अभियान भी चलाया।
फोटो कैप्शन 02: गतिविधियां करते हुए छात्राएं













बेवल स्कूल में चला एक दिवसीय एनएसएस शिविर
-प्राचार्य रहे मुख्य अतिथि
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कनीना की आवाज। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बेवल में एक दिवसीय एनएसएस कैंप का आयोजन किया गया। विद्यालय प्राचार्य  प्यारेलाल कटारिया ने एकदिवसीय एनएसएस कैंप का उद्घाटन सरस्वती माता के सामने दीप प्रज्वलित करके किया।
अपने संबोधन में प्राचार्य ने बच्चों को एनएसएस के महत्व पर प्रकाश डाला। एनएसएस प्रभारी  विक्रांत सेन प्रवक्ता भौतिक विज्ञान ने बच्चों को एनएसएस के महत्व को समझते हुए कहा की उनका योगदान समाज में बहुत ही महत्वपूर्ण है विद्यार्थियों को अपने समाज में फैली बुराइयों के प्रति समाज को  जागरूक करके उनको दूर करने का आह्वान किया। एनएसएस प्रभारी ने विद्यार्थियों के अलग-अलग ग्रुप बनाकर उनको क्या-क्या कार्य करने हैं उनका विस्तार से समझाया। मंच का संचालन अंग्रेजी प्रवक्ता दीपक शर्मा ने किया उन्होंने स्वयंसेवकों को एनएसएस के बारे में जानकारी देते हुए समाज में सहयोग करने का आह्वान किया। इस अवसर लैब अटेंडेंट धर्मपाल व तेजपाल उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 03: एनएसएस शिविर को संबोधित करते हुए प्राचार्य





Friday, December 12, 2025



 
कनीना में लोक अदालत 13 दिसंबर को
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कनीना की आवाज।
13 दिसंबर को कनीना न्यायालय में लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा। जिसमें विवादों का निपटारा कनीना न्यायालय के जेएमआईसी विशेष गर्ग करेंगे।  बार एसोसिएशन कनीना के पूर्व प्रधान ओपी रामबास ने बताया कि विवादों का निपटान दोनों पक्षों की सहमति से आपसी राजीनामा से किया जाएगा जिसमें ज्यादा से ज्यादा व्यक्तियों को पहुंचकर अपने न्यायालय में चल रहे विवादों को निपटारा करना चाहिए।





उन्हाणी महाविद्यालय में स्थापित होगा स्वचालित मौसम केंद्र
-भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान,पुणे के साथ समझौता
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कनीना की आवाज।
उन्हाणी महाविद्यालय परिसर में जल्द ही स्वचालित मौसम केंद्र स्थापित किया जाएगा। इसके लिए महाविद्यालय ने भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान  पुणे के साथ एक ऐतिहासिक समझौता किया है।
विदित है कि भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, भारत सरकार का एक स्वायत्त संस्थान है। स्वचालित मौसम केंद्र वायु की गति, दिशा, तापमान, नमी तथा प्रति घंटा वर्षा मापकर मौसम संबंधी महत्वपूर्ण आंकड़े एकत्र करता है। इन आंकड़ों के आधार पर क्षेत्रीय मौसम पूर्वानुमान अधिक सटीक रूप से तैयार किए जाते हैं।
समझौते पर महाविद्यालय की ओर से प्राचार्य डा. विक्रम सिंह, भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान की ओर से प्रोजेक्ट डायरेक्टर एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक चारा प्रभाकरन तथा प्रोजेक्ट इंवेस्टिगेटर एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. शिव साई ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर प्रोजेक्ट वैज्ञानिक नीतिग सिंह ने समझौते की प्रति प्राचार्य डा. विक्रम सिंह को सौंपते हुए स्थापना प्रक्रिया की आगामी रूपरेखा साझा की।
इस अवसर पर प्राचार्य डा. विक्रम सिंह ने कहा कि महेंद्रगढ़ जिले के लिए यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। स्वचालित मौसम केंद्र शिक्षा व शोध कार्यों को नई दिशा देगा। साथ ही स्थानीय मौसम संबंधी आंकड़ों की उपलब्धता से शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के मौसम का अध्ययन और अधिक सुगमता से किया जा सकेगा। जलवायु परिवर्तन पर निगरानी रखने तथा किसानों को प्राकृतिक आपदाओं के प्रति समय रहते सावधान करने में यह केंद्र बेहद उपयोगी सिद्ध होगा।
उन्होंने यह भी बताया कि प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसलों को होने वाले नुकसान के मूल्यांकन में स्वचालित मौसम केंद्र से प्राप्त आंकड़ों की विशेष भूमिका होती है। वर्तमान समय में एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) और एमएल (मशीन लर्निंग) आधारित तकनीकों को भौतिकी-आधारित संख्यात्मक मॉडलों के साथ जोड़कर मौसम, जलवायु और महासागर पूर्वानुमान प्रणालियों को और अधिक उन्नत बनाया जा रहा है। देशभर में इसी व्यापक नीति के तहत आइआइटीएम द्वारा महत्वपूर्ण पहल की जा रही है।
फोटो कैप्शन 03: समझौते की प्रति प्राचार्य डा. विक्रम सिंह को सौंपते हुए नीतिग सिंह





बच्ची के जन्म पर कुआं पूजन कर खुशी मनाई
-तलवाना में मनाई खुशियां
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कनीना की आवाज।
कनीना उपमंडल के गांव तलवाना में ज्योति पत्नी सतीश ने का कुआं पूजन कर खुशी मनाई। ज्योति ने 25 सितंबर को पहली संतान बेटी को जन्म दिया। परिजनों ने इसे लक्ष्मी मानते हुए 12 दिसंबर शुक्रवार को बेटी का कुआं पूजन किया और परिवार मित्र और रिश्तेदारों को भोजन कराया।
 इस नेक कार्य में नवजात कन्या की माता ज्योति एवं पिता सतीश तंवर ने समाज में बेटियों के प्रति धारणा बदलने का संदेश देने का प्रयास किया है। इस अवसर पर बाल विकास विभाग की सुपरवाइजर जगो देवी, आशा एएनएम,सुदेश एएनएम ने कन्या का कुआं पूजन करने पर परिजनों को बेटी का कुआं पूजन करने पर बधाई देते हुए उनके इस नेक कार्य की प्रशंसा की।  उन्होंने कहा कि समाज में बेटा बेटी एक समान मानते हुए हमे बेटियों का जन्म होने पर वैसे ही खुशियां मनानी चाहिए जैसे बेटों के जन्म पर खुशी मनाते है। सतीश तंवर परिवार की इस नेक पहल के लिए शुभकामनाएं दी और नवजात कन्या को अपना आशीर्वाद दिया। इस अवसर पर सरपंच मोनिका बंसल, जगो देवी सुपरवाईजर, आशा राजपूत एएनएम,सुदेश एएनएम, विकास एमपीएचडब्ल्यू, आशा वर्कर सुनहरी, सुनीता देवी, आंगनवाड़ी वर्कर  सविता, यशवंती, हैल्पर अंगूरी,पिंकी आदि उपस्थित रही और नवजात कन्या को आशीर्वाद दिया।
फोटो कैप्शन 04: बच्ची के जन्म पर कुआं पूजन करते हुए।




हर जन की पसंद बनती जा रही है चाय की चुसकी
--सर्दियों में बढ़ जाती है मांग
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कनीना की आवाज।
  एक समय था जब केवल बुजुर्ग ही चाय पीते थे या किसी बीमार व्यक्ति को दी जाती थी किंतु अब तो दिन हो या रात हर वर्ग के लोग चाय की चुसकियां लगाते दिखाई देते हैं। चाय में जहां सूजन रोधी ,एंटी एक्सीडेंट ,वजन घटाने के प्रभाव और लाभ अन्य कुछ लाभ मिलते हैं किंतु इसमें कैफीन जैसे विषैले पदार्थ से शरीर को नुकसान भी पहुंचना है। आज के दिन हर चाय की दुकान पर भारी मांग है। मेहमान को चाय या ठंडा दिया जाता है। एक सामान्य चाय विक्रेता 300 से 500 तक चाय बेच लेता है। यह समय पर निर्भर करता है यदि ठंड का मौसम है तो चाय अधिक बिक पाती है और गर्मी का मौसम है तो चाय थोड़ा कम बिक पाती है। चाय भारत में जो पैदा होती है उसे प्रयोग में लाया जाता है परंतु भारत चीन के बाद चाय का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। चाय को हरित चाय, काली चाय तथा विभिन्न स्वाद की चाय के रूप में प्रयोग किया जाने लगा है।
चाय की मांग कभी नहीं घटती। हर मौसम में चाय बिकती है। यह सत्य है कि सर्दी के मौसम में कुछ चाय अधिक बिक जाती है परंतु चाय के प्रति बच्चा,युवा पीढ़ी और बूढ़ों में ललक देखने को मिलती है। चाय पीकर लोग जहां अपने को तंदुरुस्त पाते हैं वहीं चाय बेचकर जन खुश हैं। रोटी रोजी का साधन चाहिए। चाय पीने वाले कम नहीं हो रहे हैं, दिनों दिन बढ़ते ही जा रहे हैं। ऐसे में चाय प्रमुख पेय पदार्थ बनता जा रहा है। कोल्ड ड्रिंक के बाद चाय एक ऐसा पदार्थ है जो सबसे अधिक प्रयोग किया जा रहा है। कभी राबड़ी प्रयोग की जाती थी और आज उसकी जगह चाय और ठंडा ने ले ली है। इस संबंध में लोगों से चर्चा की गई जिनके विचार निम्र हैं-
** चाय का काम करने में जहां रोटी रोजी भी मिल जाती है वहीं लोगों को संतुष्ट कर दिया जाता है। चाय भी प्रतिदिन 300 से 500 तक बिक जाती है। ठंड के मौसम में चाय की संख्या 800 तक चली जाती है, जब कोई नेता आते हैं उसे समय भी चाय की मांग बढ़ जाती है। चाय के प्रति हर वर्ग का व्यक्ति लालायित रहता है। चाय बगैर लोग नहीं रह सकते चाहे खाने बगैर रह सकते हैं।
-- श्याम सुंदर महाशय, चाय विक्रेता
मैं चाय पीता हूं क्योंकि मुझे अपनी रेहड़ी पर काम करना पड़ता है। ऐसे में समय भी बीत जाता है और चाय भी पीकर थोड़ी तंदुरुस्ती महसूस करता हूं। चाय का मैं कोई आदि नहीं हूं परंतु चाय पीने से रेहडी पर अपने फल बेचने में समय ढंग से बीत जाता है। चाय के लिए लोगों की भारी भीड़ जुड़ती है परंतु मैं चाय का आदि नहीं हूं।
-- शिव कुमार केलेवाला
चाय बनाकर बेचने में मुझे आनंद आता हैं। एक तो लोगों से परिचय होता है वहीं रोटी रोजी का आधार भी बन जाता हे। चाय पीने वाले कम नहीं होते अपितु बढ़ते ही चले जाते हैं। अकेले कनीना में कई हजार चाय प्रतिदिन बिक जाती हैं। चाय की दुकान कहीं भी खोली जाए पीने वाले खूब लोग मिलेंगे।
--हिमांशु चायवाला
दिन में दो चाय पीने से लाभ हो सकता है। एक तो सुबह खाना खाने के एक घंटे बाद और दूसरी शाम के 4 व 5 बजे। चाय में कैफीन उत्तेजक पदार्थ होता है जो मस्तिष्क को ऊर्जा देता है किंतु अधिक चाय नुकसानदायक होती हैं। इसकी बजाय अब तो ग्रीन टी, हर्बल टी, मसालेदार चाय एवं स्वयं निर्मित चाय आदि आ गई हैं जो बेहतर होती हैं। चाय में चीनी डालने की बजाय गुड़ या शहद आदि से बनाई जा सकती हैं जो लाभप्रद होते हैं।
 --डा जितेंद्र मोरवाल, उप नागरिक अस्पताल कनीना।




 निश्शुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर 14 दिसंबर को
--सुबह 10 बजे से दोपहर दो बजे तक लगेगा
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कनीना की आवाज।
  सेवा भारती कनीना द्वारा 14 दिसंबर 2025 को लाला शिवलाल धर्मशाला कनीना मंडी ,नजदीक रेलवे स्टेशन विशाल हृदय रोग, सामान्य रोग, हड्डी जोड़ एवं परामर्श शिविर सुबह 10 बजे से दोपहर दो बजे तक लगेगा जिसमें सामान्य रोग विशेषज्ञ डा. हर्ष व डा. जयश्री, हड्डी एवं जोड़ विशेषज्ञ डा. मनीष वर्मा, गैस्ट्रो डा. आसिफ रहमान अपनी सेवाएं देंगे। विस्तृत जानकारी देते हुए सेवा भारती के योगेश अग्रवाल ने बताया कि इस शिविर में बीपी, शुगर, इसीजी की निशुल्क जांच की जाएगी। उन्होंने अधिक से अधिक लोगों से अपील की, कि इस मुफ्त चिकित्सा शिविर का लाभ उठाएं।




कनीना मंडी के लोगों ने गौशाला को दिये 51 हजार
-  महेश कुमार ने दिए 21 हजार रुपए
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कनीना की आवाज।
कनीना की श्रीकृष्ण गौशाला के लिए जहां कनीना मंडी के कमलेश कुमार बवानियावाले, ओमप्रकाश लिसानिया, भगवान दास लिसानिया, योगेश कुमार बुवानियावाले, राकेश कुमार, तेजराम लिसानिया ने मिलकर 51000 रुपए का दान श्रीकृष्ण गौशाला में खोर/ खेल बनाने के लिए प्रदान किये। वहीं महेश कुमार ने अपनी शादी की 28वीं सालगिरह पर अपनी पत्नी स्नेहलता के साथ गौशाला में 21000 रुपए दान दिए। इस मौके पर रामकिशन, सत्यवीर गुगनवाला, मास्टर राम प्रताप, दिलावर बाबूजी, रविंद्र बंसल, बलवान आर्य, हरेंद्र शर्मा, मोहन सिंह पूर्व पार्षद आदि उपस्थित रहे।
 इस मौके पर श्रीकृष्ण गौशाला के पदाधिकारियों ने सभी का गौशाला में सम्मान किया। इस मौके पर प्रधान गौशाला भगत सिंह ने कहा कि  गौमाता और कृष्ण भगवान से प्रार्थना करते हैं कि इनका परिवार फले फूले और इसी प्रकार उन्नति करता रहे ताकि वह गौ माताओं की इसी प्रकार सेवा करते रहे।
उल्लेखनीय है कि कनीना में चल रही गौशाला में गौशाला प्रधान भगत सिंह यादव व उनकी टीम तथा क्षेत्र वासियों की कड़ी मेहनत के कारण श्रीकृष्ण गौशाला कनीना दिन दुगनी रात चौगुनी उन्नति कर रही है। जिसके कारण गौशाला में हजारों गायों की सेवा उनके द्वारा की जा रही है। इसी कड़ी में गौशाला प्रधान भगत सिंह यादव अपने सारे निजी कार्य को छोड़कर गौ सेवा में लगे हुए हैं तथा क्षेत्र के लोगों वह गौशाला में आने वाले को भक्तों को गायों की महिमा के बारे में बताते हैं और उनको गौ सेवा करने की प्रेरणा भी देते हैं। जिसके कारण
सैकड़ों गाये गोद लेने के लिए लोग घरों से चलकर आये हैं। न केवल कनीना अपितु आस पास के गांवों के लोग भी गौशाला में आकर गायों को गोद ले रहे हैं और दान दे रहे हैं। श्रीकृष्ण गौशाला कनीना के प्रधान भगत सिंह यादव ने बताया कि राज सिंह लंबे समय से गौशाला से जुड़े हुए हैं और समय-समय पर निरंतर सहयोग करते रहते हैं। उन्होंने बताया कि राज सिंह पहले भी चार गायों को गोद ले चुके हैं और गौसेवा को अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं। उन्होंने कहा कि समाज में ऐसे प्रेरणादायी कदम दूसरों के लिए उदाहरण प्रस्तुत करते हैं और गौसेवा के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाते हैं।
भगत सिंह ने कहा कि गायों की सेवा से सभी पाप मिट जाते हैं और पुण्य का भागी बन जाता है। इंसान को जरूर गायों की सेवा करनी चाहिए ताकि अपने जीवन में नाम कमा सके। उन्होंने कहा गायों की सेवा भगवान श्रीकृष्ण ने की थी इसलिए गोपाल कहलाए। आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में गायों के प्रति फिर से वो लगाव उत्पन्न होने लगा है जो वर्षों पहले सिंर चढ़कर बोल रहा था। उन्होंने बताया कि कनीना श्रीकृष्ण गौशाला से करीब 500 गाए गोद ली जा चुकी है और भक्तों द्वारा दान दिया गया है। वहीं गौशाला में अमूल चूल परिवर्तन किये जा चुके हैं। आने वाले समय में श्रीकृष्ण गौशाला प्रदेश भर में नंबर वन होगी।
 फोटो कैप्शन 01: श्री कृष्ण गौशाला में कनीना मंडी के लोगों का सम्मान करते प्रधान भगत सिंह











आनलाइन ट्रांसफर पालिसी-2025 के विरोध में दो घंटे का किया विरोध प्रदर्शन
--धरना उच्चस्तर पर ले जाने की की बात
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कनीना की आवाज।
डीएचबीवीएन सब-यूनिट बूचावास के प्रांगण में बिजली कर्मचारियों द्वारा एचएसइबी वर्कर्स यूनयन भिवानी के आह्वान पर आनलाइन ट्रांसफर पालिसी-2025 के विरोध में दो घंटे का विरोध प्रदर्शन किया गया। विरोध प्रदर्शन में सभी कर्मचारियों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। जिसकी अध्यक्षता सब-यूनिट प्रधान अजित सेहलंग ने की व मंच संचालन सुनील वर्मा ने किया।
इस मौके  पर कर्मचारी नेता निगम मैनेजमेंट व सरकार पर जमकर बरसे और आनलाइन ट्रांसफर पालिसी-2025 को कर्मचारी व उपभोक्ता विरोधी बताया। सब यूनिट बुचावास से सर्कल सचिव सत्यवान यादव ने बताया कि यह धरना प्रदर्शन 12 दिसंबर से 16 दिसंबर तक सब यूनिट लेवल पर जारी रहेगा। अगर समय रहते निगम  मैनेजमेंट इस मुद्दे पर बातचीत के लिए संगठन को नहीं बुलाता है तो इस विरोध प्रदर्शन को उच्चस्तर पर ले जाया जाएगा। जिससे किसी भी प्रकार की औद्योगिक अशांति या उपभोक्ता को कोई परेशानी होती है तो निगम मैनेजमेंट पूर्ण रूप से इनका जिम्मेवार होगा। इस मौके पर, सतीश जेई, अंकित जेई, अमित जेई, सतीश एफएम, राजेश फोरमैन, सोमबीर, सुनिल ,कैशियर आलोक, उप-प्रधान दिनेश कुमार ,नवीन कनीना , यूनिट में आर्गनाइजर-दीपक, मुकेश , जगमोहन , नवीन , ऋषिराज  इत्यादि कर्मचारी मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 02: धरना प्रदर्शन करते बिजली कर्मी एवं अधिकारी

Thursday, December 11, 2025








 




 कनीना क्षेत्र में पड़ रही है कड़ाके की सर्दी
-जमता है पाला, दिन में खिलती है धूप
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कनीना की आवाज।
कनीना और आसपास क्षेत्र में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। जहां तापमान बिंदु पर पहुंच चुका है। वही सुबह सवेरे फसलों, घास फूस पर पाला जमा देखा गया। विगत कुछ दिनों से पाला जमने की घटना देखने को मिल रही है। जहां किसान लहलहाती सरसों और गेहूं की फसल को देखकर खुश नजर आ रहे हैं वही उनको कभी-कभी चिंता सता रही है कि पाला कहीं नुकसान तो नहीं करेगा?
 किसान सूबे सिंह, देवेंद्र बलिया, अजीत कुमार, राजेंद्र सिंह, महेश कुमार, योगेश कुमार, कृष्ण कुमार आदि किसानों ने बताया कि विगत दिनों से सुबह सवेरे पाला जमा देखा जा सकता है। इस समय सरसों पर आब आई हुई है, गेहूं की फसल अभी छोटी है। कनीना क्षेत्र में 20 हजार हेक्टेयर पर सरसों तो करीब आठ हजार हेक्टेयर पर गेहूं की फसल खड़ी है। सरसों में फूल आ गए हैं। दूर दराज तक अब खेतों में सरसों खड़ी नजर आ रही है, कहीं-कहीं पीले फूल नजर आ रहे हैं। जहां फूलों को देखकर मधुमक्खी पालन करने वाले दूसरे प्रांतों से आने लग गये हैं। वहीं किसान चिंता में डूबने लगे हैं कि कहीं लगातार ठंड और पाला फसल को नुकसान न पहुंचा दे। कनीना और आसपास क्षेत्र में दिन के समय तेज धूप खिलती है वहीं सुबह और शाम कड़ाके की ठंड पड़ती है। लोग ऊनी कपड़ों में लिपटे नजर आते हैं। खेतों में किसान तो दुकानों के आगे दुकानदार आग सेकते नजर आते हैं।
उधर पूर्व विषय विशेषज्ञ डा. देवराज यादव से ठंड और पाले के विषय में जानकारी चाही। उन्होंने बताया कि दिन के समय धूप खिलती है किंतु इसका कोई कुप्रभाव फसलों पर नहीं पड़ेगा। उनका कहना है कि किसानों को चाहिए की हल्की सिंचाई कर दे ताकि पाले का कोई नुकसान न हो सके। उनका कहना है कि अभी इतना अधिक पाला नहीं जमता कि फसल को कोई नुकसान हो जाए। लगातार मौसम खराब रहने से ही फसल को नुकसान हो सकता है।
 फोटो कैप्शन 03: उपले एवं वनस्पति पर जमा पाला


किसान दे रहे गेहूं की फसल में पानी
- 23 दिन पर पानी देना उचित-कृषि वैज्ञानिक
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कनीना की आवाज।
 कनीना क्षेत्र में जहां करीब 20,000 हेक्टेयर पर सरसों तो 8,000 से अधिक पर गेहूं की बीजाई की हुई है। इस समय दोनों फसल उगाई हुई है। जहां दो दिनों से ठंड बढऩे से गेहूं और सरसों की फसल के लिए मौसम अनुकूल हो गया है।  किसान इस समय गेहूं में पानी दे रहे हैं, इसके साथ-साथ खाद का छिड़काव भी करना पड़ता है।
 किसान धर्मपाल, सूबे सिंह, अजीत कुमार, राजेंद्र सिंह, देवेंद्र बलिया आदि किसानों ने बताया कि जब फसल बड़ी हो जाती है तो उस समय उसमें पानी देना जरूरी हो जाता है। यदि पानी न दिया जाए तो फसल को नुकसान होने का अंदेशा बन जाता है। इस संबंध में कृषि वैज्ञानिक से बात हुई-
पूर्व एडीओ डा. देवेंद्र यादव ने बताया कि गेहूं में 23 दिन बाद देना उचित होता है। इस वक्त शिखर जड़े पैदा होने लग जाती है और जिनके लिए खाद और पानी की जरूरत होती है। 23 दिन पर  पानी लगाया जाता है। बाकी गेहूं की फसल में छह बार पानी देना जरूरी होता है। जहां शुरुआत में सिंचाई करके गेहूं उगाया जाता है जो पहला पानी होता है। तत्पश्चात 20-20 दिनों पर पानी दिया जाता है। पानी देने के बाद के साथ ही खाद देना पड़ता है। इसके सात दिनों बाद निराई की भी जरूरत पड़ती है। ऐसे में खरपतवार निकालना बहुत जरूरी होता ताकि पैदावार अच्छी हो सके। ऐसे में खरपतवारनाशी का छिड़काव करना चाहिए।।
 फोटो कैप्शन 09: गेहूं की फसल में पानी देता किसान








जवाहर नवोदय विद्यालय की प्रवेश परीक्षा में बैठेंगे 2577 विद्यार्थी, कुल 10 परीक्षा केंद्र
-कनीना ,अटेली, महेंद्रगढ़, नारनौल और नांगल चौधरी में हैं दो-दो केंद्र
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कनीना की आवाज।
पीएम श्री जवाहर नवोदय विद्यालय करीरा की कक्षा-6 में प्रवेश पाने हेतु 13 दिसंबर को आयोजित जवाहर नवोदय प्रवेश परीक्षा/जेएनवीएसटी-2026 परीक्षा जिला महेंद्रगढ़ के 10 केंद्रों पर आयोजित होगी। विस्तृत जानकारी देते हुए प्राचार्य बीएम रावत पीएमश्री जवाहर नवोदय विद्यालय करीरा ने बताया कि अटेली के राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अटेली मंडी में 240, राजकीय माडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अटेली मंडी में 230, कनीना के राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में 288, राजकीय माडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना में 285, राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय महेंद्रगढ़ में 264, राजकीय माडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय महेंद्रगढ़ में 241, राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय नारनौल में 192, राजकीय माडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय नारनौल में 238, राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय नांगल चौधरी में 312, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय (बाल) नांगल चौधरी में 287 विद्यार्थी प्रवेश परीक्षा देंगे।
फोटो कैप्शन: प्राचार्य नवोदय बीएम रावत


लिली ने 2.51 लाख रुपए दिए श्रीकृष्ण गौशा को दान
-50 गाये ली गई गोद
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कनीना की आवाज।
 कनीना  की श्रीकृष्ण गौशाला में नीलम उर्फ लिली, महालक्ष्मी ट्रेडिंग कंपनी की मालकिन ने अपने पोते दुष्यंत के जन्मदिन पर 2.51 लाख रुपए दान दिये और 50 गाये गोद ली। उधर बजरंग लाल ठेकेदार कनीना मंडी ने गौशाला के कर्मचारियों को 23 जोड़ी जूते दान दिए।
 इस मौके पर प्रधान भगत सिंह व अन्य गौशाला पदाधिकारी ने लिली उर्फ नीलम को फूलमालाएं पहनाकर सम्मान दिया।
 इस मौके पर भगत सिंह ने बताया कि आज तक 450 गाये गोद गोली जा चुकी हैं। गायों के लिए विशेष प्रबंध किया गया है। आने वाले 6 माह बाद गौशाला हरियाणा की नंबर एक गौशाला होगी। गायों के लिए विभिन्न प्रबंध करने का कार्य अभी जारी है।
 उल्लेखनीय है कि कनीना की श्रीकृष्ण गौशाला में जब से भगत सिंह ने कार्यभार संभाला है तभी से गौशाला में नित नए आया स्थापित किये जा रहे हैं। श्रीकृष्ण गौशाला आज देखने लायक बन गई है। आए दिन सैकड़ो भक्त श्रीकृष्ण गौशाला में आते हैं जिसके पीछे एकमात्र भगत सिंह का हाथ माना जा रहा है।
 भगत सिंह ने कहा कि गायों की सेवा ही सच्ची सेवा है। जो गायों की सेवा करता है उसके लिए निश्चित रूप से एक दिन स्वर्ग के द्वारा खुल जाते हैं। भगवान श्री कृष्णा भी गायों की सेवा करके गोपाल कहलाए थे। हर इंसान का फर्ज बनता है कि वह गायों की सेवा करें।
इस मौके पर श्रीकृष्ण गौशाला में रामपाल यादव, दिलावर सिंह बाबूजी, मास्टर रामप्रताप, मुकेश नंबरदार, महेंद्र साहब, पृथ्वी सिंह, अशोक ठेकेदार, रविंद्र बंसल, डा. विनोद, नित्यानंद तोताराम ठेकेदार, विष्णु ठेकेदार आदि उपस्थित रहे।
 फोटो कैप्शन 02: नीलम उर्फ लिली गाय गोद लेते हुए



असुरक्षित है कनीना की पेयजल सप्लाई, बड़ा हादसा होने से इंकार नहीं
-झाड़ झंखाड़ से आच्छादित है वाटर सप्लाई केंद्र
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कनीना की आवाज।
 45 वर्षों पहले  निर्मित कनीना की पेयजल सप्लाई असुरक्षित बन गई है। 21 दिसंबर 1975 को कनीना की पेयजल सप्लाई तत्कालीन कर्नल महा सिंह, कृषि मंत्री हरियाणा सरकार द्वारा उद्घाटन किया था किंतु यहां पर बनी हुई ऊंची टंकी जो शायद एक दिन भी काम नहीं आई, गिरने के कगार पर है। चारदिवारी कहीं टूटी पड़ी है तो कहीं बहुत छोटी है। पूरे ही वाटर सप्लाई केंद्र पर झाड़-झंखाड़ खड़े हैं। जहां नहरी पेयजल को साफ करने के लिए बनाया गया टैंक झाड़ झंखाड़ से आच्छादित है और यह कुछ दिन भी नहीं चल पाया था। इसके लीक हो जाने से यह बंद कर दिया गया है। अनेकों सरीसृप और जीव जंतु यहां घूमते देखे गए हैं।
लीक कर रहा है वाटर स्टोर-
पेयजल सप्लाई का वाटर स्टोर टैंक जो 1975 से आज तक न तो साफ किया गया है और न ही सुरक्षित है। अब तो यह जगह जगह से लीक कर रहा है। ऊंचाई भी कम है तथा सफाई भी नहीं हो पाई है। ऐसे में पेयजल कहीं संदूषित जल न बन जाये। वहीं जल स्टोरेज टैंक नीचे होने की वजह से कोई भी जीव जंतु आसानी से पेयजल में घुस सकता है। यह  टैंक भी कई जगह से लीक कर रहा है। अगर कनीना की पेयजल सप्लाई को देखा जाए तो नहीं तो चारदीवारी है और नहीं कोई सुरक्षा है। कनीना के लिए जहां प्रमुख पेयजल सप्लाई की यह हालत है कि कोई भी जानवर आसानी से घुस सकता है। पेयजल केंद्र पर सूखे टूटे हुए पेड़ यहां वहां पड़े हैं। यही कारण है कि यहां पर जल असुरक्षित ढंग से सप्लाई हो रहा है। यदि कनीना की पेयजल सप्लाई केंद्र को देखा जाए तो ऐसा लगता है जैसे कोई जंगल हो,  झाड़ झंखाड़ों से परिपूर्ण पेयजल सप्लाई है। यदि इसके सुध ली जाए तो उचित होगा वरना भविष्य में किसी भी अनहोनी से इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि पेयजल सप्लाई में कोई भी सरीसृप आसानी से घुस सकते हैं।
 टूटी हुई चारदीवारी-
वाटर सप्लाई की चारदीवारी टूटी होने से आवारा जानवर आसानी से प्रवेश कर सकता है। भारी पैसे लगाने के बाद भी हालत बदतर है, इसकी सुध लेने की मांग की है। वाटर सप्लाई का द्वार भी सुरक्षित नहीं है। कहीं पेड़ पौधे टूटे पड़े हैं तो कहीं नहर पर आधारित पेयजल योजना जर्जर हो चुकी है।
ऊंची टंकी एवं नहर पर आधारित पेयजल के हौद बेकार-
आश्चर्यजनक यह है कि न तो ऊंची पेयजल टंकी कभी काम आई और न ही नहर पर आधारित परियोजना काम आई। अभी तो यहां तो पुराने समय के ही स्टोर टैंक काम आ रहे हैं।
पानी साफ करने के पदार्थों का अभाव-
मिली जानकारी अनुसार नहर पर आधारित पेयजल एवं बोर के जल को मिलाकर कस्बा में सप्लाई किया जा रहा है। नहर पर आधारित पेयजल केंद्र बड़ी बणी नजदीक डीएवी के पास है। जहां क्लोरीन गैस से पेयजल को साफ किया जाता हे। न तो फिटकरी, न ब्लीचिंग पाउडर और न पीएसीएल है। इस पेयजल केंद्र की सफाई किये लंबा अर्सा हो चुका है। यहां से साफ किया जल रेवाड़ी रोड़ स्थित मुख्य जल केंद्र पर आता हे। मुख्य जल केंद्र पर सफेदी तक नहीं की गई है जिससे भवन जर्जर हो जाता है। मोटर रखने का स्थल जर्जर हो चला है।
  बेकार पड़े हैं हौद-
वाटर सप्लाई में नहर पर आधारित चार हौद वर्ष 2005-06 में निर्मित किये थे। ये अब बेकार पड़े हैं और इनमें सैकड़ों पेड़ पौधे खड़े हुए हैं। कम से कम इनको साफ करवा कर पनपने वाले जीव जंतुओं एवं सरीसृपों से बचा जा सकता है।
द्वार पर कबाड़ एवं ऊपले-
यदि पेयजल केंद्र पर जाया जाए तो द्वार पर उपले ,कृषि के यंत्र, ईंधन एवं कूड़ा डालकर बदसूरत बनाया हुआ है। कनीना के हरेंद्र शर्मा, अनूप कुमार, दीपक कुमार,नरेश कुमार, भागमल आदि ने पेयजल केद्र की हालात पर रोष जताते हुए अविलंब इसकी सुध लेने की मांग की है वरना वे आदोलन पर उतरने को  मजबूर हो जाएंगे।
प्रमुख मांगे-
 कस्बावासियों ने वर्षों से चले आ रहे भूमिगत टैंक को साफ करवाने, इसकी ऊंचाई बढ़ाने की मांग की है ताकि इसमें कोई आवारा जीव जंतु नहीं घुस सके। वही चारदीवारी ऊंचा उठाने ,साफ सफाई करने ,ऊंची टंकी को दुरुस्त करवाने या से हटवाने की मांग की गई है। यहां पर 1975 में बनी पुरानी खराब ऊंची टंकी को हटवाने , पेयजल साफ करने हेतु 2005 में बने हौद चार हौद हटवाने, पेयजल केंद्र के द्वार एवं अंदर से साफ सुथरा बनाने की मांग की है। वरना वो दिन दूर नहीं जब कोई बड़ा हादसा हो जाएगा।
  क्या कहते हैं कनिष्ठ अभियंता-
कनिष्ठ अभियंता पवन कुमार से इस संबंध में बात हुई। उन्होंने बताया कि मुख्य द्वार पर डाले गये ईंधन, ऊपले आदि को हटवा दिया जाएगा वरना डालने वालों को नोटिस दिया जाएगा। ऊंची टंकी के बारे में हेड क्वार्टर जाकर बात की जाएगी, अंदर से साफ सफाई करवा दी जाएगी, ब्लीचिंग पाउडर आदि नारनौल से एक दो रोज में आ जाएंगे। उन्होंने बताया कि इस पेयजल केंद्र को अपग्रेड किया जाना है किंतु नगरपालिका दस एकड़ जगह उपलब्ध नहीं करवा पा रही है वरना अपग्रेड के टेंडर लगवाकर अधिकतम 6 माह में इसे अपग्रेड करवा दिया जाएगा। अन्य समस्याएं भी हल करने का आश्वासन दिया।
फोटो कैप्शन 04: पुराने खुले हौद में खड़े झाड़ झंखाड़,
05: जर्जर पुरानी टंकी जिसका गिरने का खतरा
06:पेयजल टैंक लीक करते हुए
07:मुख्यद्वार पर डाला ईंधन एवं कबाड़
08:टूटी हुई दीवार एवं पड़े सूखे पेड़ एवं झाड़ झंखाड़




ग्रामीण क्षेत्रों से लुप्त हो रही है गुड़ की भेली और हवेली












-पर्वों पर काम आती थी भेली
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कनीना की आवाज। एक जमाने में विवाह शादी विभिन्न उत्सव और विशेषकर नए वर्ष पर गुड़ की भेली देने का रिवाज था किंतु अब दुकानों से भेलियां गायब है। वैसे तो बुजुर्ग कहते हैं गुड़ की भेली और गांव की अभेली दोनों ही ग्रामीण क्षेत्रों से गायब होती जा रही हैं।
 वास्तव में से गुड़ से बना हुआ चक्का भेली कहलाता था और यह सेर में मापी जाती थी। आजकल जहां तोल के लिए किलोग्राम प्रयोग किया जाता है किसी जमाने में सेर और छटांक प्रयोग करते थे। 16 छटांक का एक सेर बनता था और एक सेर में करीब 900 ग्राम वजन होता था। आज भी पुराने घरों में सेर का बट्टा देखने को मिल सकता है। अब सेर का स्थान किलोग्राम ने ले लिया किंतु अढ़ाई सेर या पांच सेर की गुड़ की भेली दुकानों पर मिलती थी। जहां विवाह शादियों में लड़का आदि होने पर गुड़ की भेली दी जाती थी वहीं 1 जनवरी से 14 जनवरी तक तो गुड़ की भेलियों की इस कदर मांग होती थी की दुकानों पर गुड़ ही गुड़ नजर आता था।
बुजुर्गों का कहना है कि जहां प्रसाद के रूप में शक्कर तत्पश्चात बताशे उसके बाद बूंदी प्रयोग में लाई जाती हैं। इसी प्रकार पुराने वक्त में गुड़ ही सबसे बड़ी मिठाई होती थी। खुशी के अवसर पर गुड़ का लेनदेन होता था और गुड़ की 2.5 या 5 सेर खुशी खुशी में दिया जाता था जो धीरे धीरे बंद हो गई।
और अब तो गुड़ की भेली दिखाई नहीं पड़ती। बुजुर्ग बताते हैं कि पहले किसी भी उत्सव पर चूरमा, खीर, दाल आदि बनाई जाती थी और वहीं परंपरा आज भी चली आ रही है। 14 जनवरी मकर संक्रांति के दिन जा दाल व चूरमा आज भी चाव से खाया जाता है।
नए साल पर प्रथम जनवरी से कभी गुड़ लेकर के माता-पिता अपनी विवाहित पुत्री के ससुराल  या भाई अपनी विवाहित बहन के लिए गुड़ की भेली देकर आता था और साथ में घी भी देकर आता था ताकि मकर संक्रांति पर चूरमा और दाल बनाई जा सके। इसे त्योहारी नाम से जाना जाता था। अब ना तो त्योहारी बची है और ना गुड़ की भेली का लेनदेन होता है।
आज गुड़ की भेली गायब हैं। दुकानदारों कृष्ण कुमार, योगेश कुमार, रोहित कुमार आदि  ने बताया कभी मकर संक्रांति पर गुड़ की भेली की मांग होती थी लेकिन अब गुड़ की भेली के खरीददार नहीं रहे। इसलिए प्रचलन घट गया है।
  ग्रामीण क्षेत्रों में हवेली पर विशेष ध्यान दिया जाता था। कनीना में तो आज भी एक परिवार हवेलीवाला नाम से जाना जाता है किंतु अब हवेली को भूलाने लग गये हैं। अब तो झोपड़ी की ओर दौडऩे लग गये हैं। पुरानी चीजे याद ही नहीं आ रही अपितु फिर से प्रचलन में आ रही हैं। देखते हैं कि हवेली और भेली की कब फिर से कद्र बढ़ेगी।

 

 


एक सौ गाये ली गोद



-दिया 5.11 लाख रुपये का का दान
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कनीना की आवाज। कनीना की श्रीकृष्ण गौशाला में हरीश कनीनवाल पुत्र अतरलाल गुगनवाला ने श्रीकृष्ण गौशाला में आकर एक सौ गाये गोद ली  और 5 लाख 11 हजार रुपए गौशाला का दान दिया।
 उधर उधर ओम प्रकाश पुत्र दुलीचंद ने अपनी 50वीं शादी की सालगिरह पर एक पानी की खेल जिसकी राशि 21 हजार बनती है गौशाला को दान दिये। इस मौके पर प्रधान श्री कृष्ण गौशाला भगत सिंह ने सभी का स्वागत एवं सम्मान किया।
  इस मौके पर प्रधान गौशाला भगत सिंह ने कहा कि  गौमाता और कृष्ण भगवान से प्रार्थना करते हैं कि इनका परिवार फले फूले और इसी प्रकार उन्नति करता रहे ताकि वह गौ माताओं की इसी प्रकार सेवा करते रहे।
उल्लेखनीय है कि कनीना में चल रही गौशाला में गौशाला प्रधान भगत सिंह यादव व उनकी टीम तथा क्षेत्र वासियों की कड़ी मेहनत के कारण श्रीकृष्ण गौशाला कनीना दिन दुगनी रात चौगुनी उन्नति कर रही है। जिसके कारण गौशाला में हजारों गायों की सेवा उनके द्वारा की जा रही है। इसी कड़ी में गौशाला प्रधान भगत सिंह यादव अपने सारे निजी कार्य को छोड़कर गौ सेवा में लगे हुए हैं तथा क्षेत्र के लोगों वह गौशाला में आने वाले को भक्तों को गायों की महिमा के बारे में बताते हैं और उनको गौ सेवा करने की प्रेरणा भी देते हैं। जिसके कारण
सैकड़ों गाये गोद लेने के लिए लोग घरों से चलकर आये हैं। न केवल कनीना अपितु आस पास के गांवों के लोग भी गौशाला में आकर गायों को गोद ले रहे हैं और दान दे रहे हैं। श्रीकृष्ण गौशाला कनीना के प्रधान भगत सिंह यादव ने बताया कि राज सिंह लंबे समय से गौशाला से जुड़े हुए हैं और समय-समय पर निरंतर सहयोग करते रहते हैं। उन्होंने बताया कि राज सिंह पहले भी चार गायों को गोद ले चुके हैं और गौसेवा को अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं। उन्होंने कहा कि समाज में ऐसे प्रेरणादायी कदम दूसरों के लिए उदाहरण प्रस्तुत करते हैं और गौसेवा के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाते हैं।
 इस मौके पर इस मौके पर होशियार सिंह, सूबेदार महेंद्र साहब, रविंद्र बंसल, संजीव ठेकेदार, कमल गुगनवाला, रामपाल यादव, मुकेश नंबरदार, सतबीर गुगनवाला, दिलावर बाबूजी, अशोक ठेकेदार, रोहित सेठ आदि मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 10: एक सौ गाये गोद लेते हुए हरीश कनीनवाल.                                  

     सीएम फ्लाइंग ने पब्लिक हेल्थ कनीना के कार्यालय में  मारा छापा                            मिली कई अनियमितताएं    
†***†*****""""*""""""*****"*"****"*""                 कनीना l फ्लाइंग टीम ने पब्लिक हेल्थ विभाग के कनीना एसडीओ कार्यालय और कई बूस्टिंग स्टेशनों का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान कार्यालय के 10 दस्तावेजों में कई अनियमितताएं पाई गईं, जिनकी जांच की।
निरीक्षक सत्येंद्र के नेतृत्व में सीएम फ्लाइंग रेवाड़ी की टीम ने गुप्त सूचनाओं के आधार पर यह कार्रवाई की। टीम ने एसडीओ कार्यालय के अलावा डब्ल्यूटीपी गोशाला रोड कनीना, रेवाड़ी रोड बूस्टिंग स्टेशन, झीगावन बूस्टिंग स्टेशन और भड़फ बूस्टिंग स्टेशन का भी मौके पर जाकर निरीक्षण किया।
पब्लिक हेल्थ विभाग का कनीना एसडीओ कार्यालय।
कई कर्मचारी गैरहाजिर मिले
निरीक्षण के दौरान ज्यादातर कर्मचारी गैरहाजिर पाए गए। बूस्टिंग स्टेशनों पर साफ-सफाई की हालत खराब थी और कई जगह लीकेज से गंदे पानी की आपूर्ति हो रही थी। एसडीओ कार्यालय के 10 दस्तावेजों की जांच में भी कई अनियमितताएं सामने आईं।
रेड के समय पब्लिक हेल्थ महेंद्रगढ़ के एसडीओ प्रेम कुमार बतौर ड्यूटी मजिस्ट्रेट मौजूद थे। टीम को लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि गांवों के बूस्टिंग स्टेशनों पर कर्मचारी गैरहाजिर रहते हैं, सफाई व्यवस्था खराब है और ड्यूटी पर तैनात लोग अक्सर गैरहाजिर रहते हैं, जिससे एसडीओ कार्यालय की मिलीभगत का संदेह था।
महेंद्रगढ़ में सीएम फ्लाइंग टीम ने पब्लिक हेल्थ विभाग के कनीना एसडीओ कार्यालय और कई बूस्टिंग स्टेशनों का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान कार्यालय के 10 दस्तावेजों में कई अनियमितताएं पाई गईं, जिनकी जांच की।
निरीक्षक सत्येंद्र के नेतृत्व में सीएम फ्लाइंग रेवाड़ी की टीम ने गुप्त सूचनाओं के आधार पर यह कार्रवाई की। टीम ने एसडीओ कार्यालय के अलावा डब्ल्यूटीपी गोशाला रोड कनीना, रेवाड़ी रोड बूस्टिंग स्टेशन, झीगावन बूस्टिंग स्टेशन और भड़फ बूस्टिंग स्टेशन का भी मौके पर जाकर निरीक्षण किया।
पब्लिक हेल्थ विभाग का कनीना एसडीओ कार्यालय।
कई कर्मचारी गैरहाजिर मिले
निरीक्षण के दौरान ज्यादातर कर्मचारी गैरहाजिर पाए गए। बूस्टिंग स्टेशनों पर साफ-सफाई की हालत खराब थी और कई जगह लीकेज से गंदे पानी की आपूर्ति हो रही थी। एसडीओ कार्यालय के 10 दस्तावेजों की जांच में भी कई अनियमितताएं सामने आईं।
रेड के समय पब्लिक हेल्थ महेंद्रगढ़ के एसडीओ प्रेम कुमार बतौर ड्यूटी मजिस्ट्रेट मौजूद थे। टीम को लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि गांवों के बूस्टिंग स्टेशनों पर कर्मचारी गैरहाजिर रहते हैं, सफाई व्यवस्था खराब है और ड्यूटी पर तैनात लोग अक्सर गैरहाजिर रहते हैं, जिससे एसडीओ कार्यालय की मिलीभगत का संदेह था।      



 13 दिसंबर को होगा जवाहर नवोदय विद्यालय जेएनवीएसटी 2026 की परीक्षा
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कनीना— जवाहर नवोदय विद्यालय करीरा द्वारा नवोदय विद्यालय प्रवेश परीक्षा 2026 का आयोजन आगामी 13 दिसंबर को जिले के पांचों विकास खंडों के दो-दो परीक्षा केंद्रों सहित कुल 10 परीक्षा केंद्रों पर किया जाएगा। इसी संदर्भ में आज जिला शिक्षा अधिकारी सुनील दत्त तथा नवोदय विद्यालय करीरा के प्राचार्य बृजमोहन लाल रावत की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय, नारनौल में आयोजित की गई।
बैठक में सभी खंड शिक्षा अधिकारी, नवोदय विद्यालय का स्टाफ तथा दसों परीक्षा केंद्रों के प्राचार्य एवं अधीक्षक (परीक्षा केंद्र अध्यक्ष) उपस्थित रहे। इस अवसर पर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में नव पदोन्नत जिला शिक्षा अधिकारी डॉ. विश्वेश्वर कौशिक, खंड शिक्षा अधिकारी दिलबाग सिंह, पवन कुमार भारद्वाज, अलका यादव, सुनीता यादव, तथा नवोदय विद्यालय के अंग्रेजी प्रवक्ता सुंदरलाल, कविता यादव, प्राचार्य नरेश कुमार कौशिक, सुनील खुडानिया, प्रमिला यादव, सुनील गोरा और जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के सुरेंद्र शर्मा भी उपस्थित रहे।
सभी ने नव पदोन्नत जिला शिक्षा अधिकारी डॉ. विश्वेश्वर कौशिक को शुभकामनाएँ दीं।
जिला शिक्षा अधिकारी सुनील दत्त ने बताया कि परीक्षा संबंधी सभी तैयारियाँ पूर्ण कर ली गई हैं तथा बच्चों के लिए भय-मुक्त एवं सुव्यवस्थित परीक्षा वातावरण सुनिश्चित करने के व्यापक प्रबंध किए गए हैं।
नवोदय विद्यालय के प्राचार्य बृजमोहन लाल रावत ने जानकारी दी कि 80 विद्यार्थियों के प्रवेश हेतु होने वाली इस परीक्षा में सभी परीक्षा केंद्र अध्यक्षों को स्टेशनरी सामग्री एवं दिशा-निर्देश किट उपलब्ध करवा दी गई है। परीक्षा का समय प्रातः 11:30 बजे से दोपहर बाद तक निर्धारित किया गया है।
प्रश्न पत्रों का वितरण स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, कनीना शाखा से परीक्षा दिवस की सुबह 8:00 बजे किया जाएगा। प्रश्न पत्रों की सुरक्षा एवं गोपनीयता के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं।
प्रशासन ने अभिभावकों व विद्यार्थियों से अपील की है कि वे निर्धारित समय पर परीक्षा केंद्रों पर पहुँचकर परीक्षा प्रक्रिया को सुचारू एवं सफल बनाने में सहयोग करें।


Wednesday, December 10, 2025



 

मनुष्य जीवन का ध्येय क्या है?
-परहित या पाप-बुराई
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कनीना की आवाज।
इस धरा पर सभी इंसान जन्म लेकर आते हैं तो कुछ तो जन्म लेकर धरती पर बोझ बनकर ही पूरा जीवन गुजार देते हैं। उनके पास केवल दूसरों की चुगली चाटा, बुराई, पाप, अहिंसा और बहुत सी बुराइयां उनमें घर कर रही होती है। यहां तक की कुछ लोग आते हैं और वे कितनी ही बुराइयों से परिपूर्ण होते हैं जिनमें बीड़ी सिगरेट, शराब, जुआ तंबाकू खाना और कितनी अनेक बुराइयों में जी कर चले जाते हैं। कुछ लोग ऐसे भी है जो चाय , चिलम, तंबाकू आदि पीकर न तो किसी का बुरा करते और नहीं किसी का भला करते हैं। अंत में वो व्यक्ति आते हैं जो सभी का हित, प्रेम प्रीत,पुण्य कार्य करते हैं तथा नीतिमान होते हैं। वैसे तो बहुत कम लोग ऐसे होते हैं किंतु जो होते हैं वो सचमुच परहितैषी होते हैं। इंसान का यही ध्येय होना चाहिए।
कुछ ऐसे राक्षसी लोग भी देखे जो जीवन में दूसरों को दुख देने के अलावा कुछ भी कार्य नहीं करते। कितने ही ऐसे लोग देखे गए हैं जो केवल दूसरों को कष्ट देने के अलावा कुछ नहीं करते। कुछ दूसरे के कंधे पर बंदूक रखकर गोली चलाते हैं। समाज में और हर गांव, गली मोहल्ले में  में ऐसे कितने ही लोग मिल जाएंगे। कितने ही ऐसे लोग हैं जो दूसरे की कमियां ढूंढ कर जीवन बिता देते हैं। लेकिन सही मायने में वह इंसान सच्चा इंसान है जो दूसरे के हित की बात सोचता है, दूसरा गिरता है तो उसे कष्ट होता है। वह सच्चा इंसान है जब कोई  दुखी मिलता है तो उसे दर्द होता है। वह सोचता है कि किस प्रकार किसी की मदद की जाए। दिन में कम से कम एक दो व्यक्तियों की मदद करके अपना पुण्य कमाते हैं। उनका जीवन शांत और हितैषी स्वभाव का होता है। उनमें किसी प्रकार की बुराई नहीं होती। छोटी-मोटी बुराई भी हो तो उन्हें भुला दिया जाता है लेकिन सच्चाई यह है की संत प्रवृत्ति के लोग ही ऐसे हो सकते हैं जो दूसरे की भलाई का कार्य सोचते हैं। इंसान को सोचना चाहिए कि उसकी जिंदगी चार दिनों की है। तत्पश्चात उसकी जिंदगी खत्म हो जाएगी। हर इंसान को इस धरती पर समय बिता कर जाना होता है। कोई पहले चला जाता है तो कोई बाद में लेकिन अंतत: मौत निश्चित है। कुछ दिनों का मेहमान बनकर धरती पर आता है और वह भी आपस में बैरभाव में बीताता है। कितना दुर्भाग्य है कि दूसरे की बुराई करने में उन्हें आनंद आता है। जबकि कुछ लोगों की ध्येय यही होता है कि कैसे हित किया जाए।  हजारों में एक ऐसा व्यक्ति भी देखने मिलता है जो मदद करता है लेकिन सामने नहीं आता। वह चाहता है कि उसका नाम ना आए, बस काम हो जाए। यही कारण है कि ऐसा इंसान सदा दूसरों की हित की बात के अलावा कुछ भी नहीं सोचता। ऐसे लोग बहुत कम होते हैं परंतु उनको समाज बहुत चाहता है। कहते हैं कि जिनका ध्येय पुनीत हो वह मरने के बाद भी अमर हो जाता है और स्वर्ग पाता है और ऐसे लोग जो यह ध्येय लेकर आते हैं कैसे अहिंसा फैलाई जाए, कैसे पाप दूसरे का अहित, चुगली की जाए, वह जीवित रहकर भी मुर्दे के समान है। उनको समाज उन जैसे लोग ही चाहते हैं लेकिन अच्छे आदमियों की नजर में वो मरे के समान हैं। वो मरने के बाद नरक के द्वारा देखते है। ऐसे में इंसान का अंतिम ध्येय होना चाहिए -सत्य बोलना, दूसरे का हित करना, दूसरे की भलाई करना, धर्म- नीति पर चलना, किसी से बैरभाव न रखना, प्रीत, प्रेम, प्यार का संदेश फैलाना, मरकर भी अमर हो जाना। इंसान धरती पर आता है और कुछ बुराइयां या भलाइयां ले जाता है। इंसान का ध्येय होना चाहिए कि वह भलाई लेकर जाए। कबीरदास ने एक दोहे में भी कहा है कि जिनके मरने के बाद लोग रोते नजर आए वह इंसान सच्चा इंसान है और वह इस धरती पर सारे सुख भोग कर जाता है। सुख भोगने का अर्थ यह नहीं है कि वह अपना हित देखें बल्कि दूसरों का हित सोचे, वह स्वर्ग पाता है। कुछ लोग पापी होते हैं दूसरे का अहित करते हैं, लोग दिन रात चाहते हैं कि किसी प्रकार इसका अंत हो जाए। नाम वहीं कमाते हैं जिनका ध्येय परहित होता है।





सुरक्षित नहीं है कनीना की पेयजल सप्लाई,हो सकता है बड़ा हादसा
-झाड़ झंखाड़ से आच्छादित है वाटर सप्लाई केंद्र

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कनीना की आवाज।
कनीना की पेयजल सप्लाई पूर्ण रूप से सुरक्षित नहीं है। 21 दिसंबर 1975 को कनीना की पेयजल सप्लाई तत्कालीन कर्नल महा सिंह, कृषि मंत्री हरियाणा सरकार द्वारा उद्घाटन किया था किंतु यहां पर बनी हुई ऊंची टंकी जो शायद एक दिन भी काम नहीं आई, गिरने के कगार पर है। चार दिवारी कहीं टूटी पड़ी है तो कहीं बहुत छोटी है। पूरे ही वाटर सप्लाई केंद्र पर झाड़-झंखाड़ खड़े हैं। जहां नहरी पेयजल को साफ करने के लिए बनाया गया टैंक झाड़ झंखाड़ से आच्छादित है और यह कुछ दिन भी नहीं चल पाया था। इसके लीक हो जाने से यह बंद कर दिया गया है। अनेकों सरीसृप और जीव जंतु यहां घूमते देखे गए हैं। पेयजल सप्लाई का वाटर स्टेार टैंक जो 1975 से आज तक न तो साफ किया गया है और न ही सुरक्षित है। एक और जहां नहर पर आधारित परियोजना के बनाए गए चार टैंक वर्ष 2006 में निर्मित किये गये थे जो झाड़ झंखाड़ों से युक्त हैं। वहीं जल स्टोरेज टैंक नीचे होने की वजह से कोई भी जीव जंतु आसानी से पेयजल में घुस सकता है। यह  टैंक भी कई जगह से लीक कर रहा है। अगर कनीना की पेयजल सप्लाई को देखा जाए तो नहीं तो चार दिवारी है और नहीं कोई सुरक्षा है।
कनीना के लिए जहां प्रमुख पेयजल सप्लाई की यह हालत है कि कोई भी जानवर आसानी से घुस सकता है। पेयजल केंद्र पर सूखे टूटे हुए पेड़ यहां वहां पड़े हैं। यही कारण है कि यहां पर जल असुरक्षित ढंग से सप्लाई हो रहा है। यदि कनीना की पेयजल सप्लाई केंद्र को देखा जाए तो ऐसा लगता है जैसे कोई जंगल हो,  झाड़ झंखाड़ों से परिपूर्ण पेयजल सप्लाई है। यदि इसके सुध ली जाए तो उचित होगा वरना भविष्य में किसी भी अनहोनी से इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि पेयजल सप्लाई में कोई भी सरीसृप आसानी से घुस सकते हैं। वहीं चारदीवारी टूटी होने से आवारा जानवर आसानी से प्रवेश कर सकता है। भारी पैसे लगाने के बाद भी हालत बदतर है, इसकी सुध लेने की मांग की है। वाटर सप्लाई का द्वार भी सुरक्षित नहीं है। कहीं पेड़ पौधे टूटे पड़े हैं तो कहीं नहर पर आधारित पेयजल योजना जर्जर हो चुकी है। आश्चर्यजनक यह है कि न तो ऊंची पेयजल टंकी कभी काम आई और न ही नहर पर आधारित परियोजना काम आई। अभी तो यहां तो पुराने समय के ही स्टोर टैंक काम आ रहे हैं।
मिली जानकारी अनुसार नहर पर आधारित पेयतल एवं बोर के जल को मिलाकर कस्बा में सप्लाई किया जा रहा है। नहर पर आधारित पेयजल केंद्र बड़ी बणी नजदीक डीएवी के पास है। जहां क्लोरीन गैस से पेयजल को साफ किया जाता हे। न तो फिटकरी, न ब्लीचिंग पाउडर और न पीएसीएल है। इस पेयजल केंद्र की सफाई किये लंबा अर्सा हो चुका है। यहां से साफ किया जल रेवाड़ी रोड़ स्थित मुख्य जल केंद्र पर आता हे। मुख्य जल केंद्र पर सफेदी तक नहीं की गई है जिससे भवन जर्जर हो जाता है। मोटर रखने का स्थल जर्जर हो चला है।
यदि पेयजल केंद्र पर जाया जाए तो द्वार पर उपले ,कृषि के यंत्र, ईंधन एवं कूड़ा डालकर बदसूरत बनाया हुआ है। कनीना के हरेंद्र शर्मा, अनूप कुमार, दीपक कुमार,नरेश कुमार, भागमल आदि ने पेयजल केद्र की हालात पर रोष जताते हुए अविलंब इसकी सुध लेने की मांग की है वरना वे आदोलन पर उतरने को  मजबूर हो जाएंगे।
 कस्बावासियों ने वर्षों से चले आ रहे भूमिगत टैंक को साफ करवाने, इसकी ऊंचाई बढ़ाने की मांग की है ताकि इसमें कोई आवारा जीव जंतु नहीं घुस सके। वही चारदीवारी ऊंचा उठाने ,साफ सफाई करने ,ऊंची टंकी को दुरुस्त करवाने या से हटवाने की मांग की गई है। यहां पर 1975 में बनी पुरानी खराब ऊंची टंकी को हटवाने , पेयजल साफ करने हेतु 2005 में बने हौद चार हौद हटवाने, पेयजल केंद्र के द्वार एवं अंदर से साफ सुथरा बनाने की मांग की है। वरना वो दिन दूर नहीं जब कोई बड़ा हादसा हो जाएगा।
  क्या कहते हैं कनिष्ठ अभियंता-
कनिष्ठ अभियंता पवन कुमार से इस संबंध में बात हुई। उन्होंने बताया कि मुख्य द्वार पर डाले गये ईंधन, ऊपले आदि को हटवा दिया जाएगा वरना डालने वालों को नोटिस दिया जाएगा। ऊंची टंकी के बारे में हेड क्वार्टर जाकर बात की जाएगी, अंदर से साफ सफाई करवा दी जाएगी, ब्लीचिंग पाउडर आदि नारनौल से एक दो रोज में आ जाएंगे। उन्होंने बताया कि इस पेयजल केंद्र को अपग्रेड किया जाना है किंतु नगरपालिका दस एकड़ जगह उपलब्ध नहीं करवा पा रही है वरना अपग्रेड के टेंडर लगवाकर अधिकतम 6 माह में इसे अपग्रेड करवा दिया जाएगा। अन्य समस्याएं भी हल करने का आश्वासन दिया।
फोटो कैप्शन 04: पुराने खुले हौद में खड़े झाड़ झंखाड़,
05: जर्जर पुरानी टंकी जिसका गिरने का खतरा
06:पेयजल टैंक लीक करते हुए
07:मुख्यद्वार पर डाला ईंधन एवं कबाड़
08:टूटी हुई दीवार एवं पड़े सूखे पेड़ एवं झाड़ झंखाड़





बच्चों के जीवन को बचाने, इच्छाओं को पूरा करने में जागरूकता का दिवस है यूनिसेफ
-11 दिसंबर यूनिसेफ दिवस
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कनीना की आवाज। 
11 दिसंबर को यूनिसेफ दिवस मनाया जाता है ताकि बच्चों के जीवन को बचाने उनकी इच्छाओं को पूरा करने के बारे में जागरूकता प्राप्त हो सके। यह दिन द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा कल्याण के लिए सहायता प्रदान करता है। यूनिसेफ का नाम बाद में संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष रख दिया गया। यह दिन बच्चों को विकास के बारे में जागरूकता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका उद्देश्य बच्चों के अधिकारों के उल्लंघन और जाति क्षेत्रीय धर्म के खिलाफ भेदभाव को खत्म करना है। दुनिया भर के बच्चे की रक्षा करना, शिक्षा, भोजन, स्वास्थ्य टीकाकरण आदि बुनियादी अधिकारों तक पहुंचाने का कार्य करता है।
 डा. अजीत कुमार शर्मा बताते हैं कि यूनिसेफ की स्थापना और दुनिया भर में बाल कल्याण , इसके प्रभाव का सम्मान करते हुए वार्षिक कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं। यूनिसेफ बच्चों उनके उज्ज्वल और स्वस्थ भविष्य का समर्थन करने में सहयोग करता है। यूनिसेफ का उद्देश्य बच्चों को हर प्रकार से आगे बढऩे में मदद करना होता है।
फोटो कैप्शन: डा. अजीत शर्मा





ग्रामीण क्षेत्रों से लुप्त हो रही है गुड़ की भेली
-पर्वों पर काम आती थी भेली
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कनीना की आवाज।
 एक जमाने में विवाह शादी विभिन्न उत्सव और विशेषकर नए वर्ष पर गुड़ की भेली देने का रिवाज था किंतु अब दुकानों से भेलियां गायब है। वैसे तो बुजुर्ग कहते हैं गुड़ की भेली और गांव की अभेली दोनों ही ग्रामीण क्षेत्रों से गायब होती जा रही हैं।
 वास्तव में से गुड़ से बना हुआ चक्का भेली कहलाता था और यह सेर में मापी जाती थी। आजकल जहां तोल के लिए किलोग्राम प्रयोग किया जाता है किसी जमाने में सेर और छटांक प्रयोग करते थे। 16 छटांक का एक सेर बनता था और एक सेर में करीब 900 ग्राम वजन होता था। आज भी पुराने घरों में सेर का बट्टा देखने को मिल सकता है। अब सेर का स्थान किलोग्राम ने ले लिया किंतु अढ़ाई सेर या पांच सेर की गुड़ की भेली दुकानों पर मिलती थी। जहां विवाह शादियों में लड़का आदि होने पर गुड़ की भेली दी जाती थी वहीं 1 जनवरी से 14 जनवरी तक तो गुड़ की भेलियों की इस कदर मांग होती थी की दुकानों पर गुड़ ही गुड़ नजर आता था।
बुजुर्गों का कहना है कि जहां प्रसाद के रूप में शक्कर तत्पश्चात बताशे उसके बाद बूंदी प्रयोग में लाई जाती हैं। इसी प्रकार पुराने वक्त में गुड़ ही सबसे बड़ी मिठाई होती थी। खुशी के अवसर पर गुड़ का लेनदेन होता था और गुड़ की 2.5 या 5 किलो खुशी खुशी में दिया जाता था जो धीरे धीरे बंद हो गई।
और अब तो गुड़ की भेली दिखाई नहीं पड़ती। बुजुर्ग बताते हैं कि पहले किसी भी उत्सव पर चूरमा, खीर, दाल आदि बनाई जाती थी और वहीं परंपरा आज भी चली आ रही है। 14 जनवरी मकर संक्रांति के दिन जा दाल व चूरमा आज भी चाव से खाया जाता है।
नए साल पर प्रथम जनवरी से कभी गुड़ लेकर के माता-पिता अपनी विवाहित पुत्री के ससुराल  या भाई अपनी विवाहित बहन के लिए गुड़ की भेली देकर आता था और साथ में घी भी देकर आता था ताकि मकर संक्रांति पर चूरमा और दाल बनाई जा सके। इसे त्योहारी नाम से जाना जाता था। अब ना तो त्योहारी बची है और ना गुड़ की भेली का लेनदेन होता है।
आज गुड़ की भेली गायब हैं। दुकानदारों ने बताया कभी मकर संक्रांति पर गुड़ की भेली की मांग होती थी लेकिन अब गुड़ की भेली के खरीददार नहीं रहे। इसलिए प्रचलन घट गया है।
फोटो : गुड़ की भेली




केंद्र सरकार रिटायर्ड कर्मचारियों के अधिकारों का हनन कर रही है-धर्मपाल शर्मा
-नांगल चौधरी में आयोजित बैठक
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कनीना की आवाज।
 रिटायर्ड कर्मचारी संघ खंड नांगल चौधरी की बीडीपीओ कार्यालय नांगल चौधरी मे बैठक खंड प्रधान छोटेलाल सेवानिवृत्त मुख्य अध्यापक की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक में मुख्य वक्ता  धर्मपाल शर्मा राज्य सचिव एवं प्रभारी तथा जगनलाल निनानिया पूर्व राज्य उपप्रधान  थे ।बैठक का संचालन खण्ड सचिव दुलीचन्द गोठवाल सेवानिवृत्त मुख्य अध्यापक ने किया। बैठक को  संबोधित करते हुए कहा धर्मपाल शर्मा ने कहा कि आज मानव अधिकार दिवस है जो10 दिसंबर 1948 को अपनाया था। इसी ऐतिहासिक दिन की याद में 1950 से हर वर्ष 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है।
दुनिया भर में मनुष्य के मूल अधिकारों— जीवन,समता, समानता, शिक्षा, अभिव्यक्ति, गरिमा, स्वतंत्रता—को सम्मान व सुरक्षा दिलाने के उद्देश्य से।
यह दिन याद दिलाता है कि मानव अधिकार जन्मसिद्ध, सार्वभौमिक और अविभाज्य है।
भारत सरकार रिटायर्ड कर्मचारियों के अधिकारों का हनन कर रही है। भारत सरकार की नियत ठीक नही है। सरकार का यह कहना  कि पेंशन अन फनडीड है नान  कन्ट्रीब्यूट्री है अर्थात् बजट का अभाव बताया जाना यह मंशा सही नहीं है इसके विरोध में पूरे भारत मैं जिला मुख्यालयों पर अखिल भारतीय राज्य सरकारी पेंशनर्स फेडरेशन के आव्हान पर तथा रिटायर्ड कर्मचारी संघ हरियाणा के निर्देशन पर 17 दिसम्बर 2025 को धरना प्रदर्शन सुबह 10 बजे से 1 बजे तक कर उपायुक्त महेन्द्रगढ़ के माध्यम से राज्यपाल हरियाणा के नाम  केंद्र सरकार द्वारा वित विधेयरक 2025 पारित के विरोध में अन्य मांगो  सहित ज्ञापन सौंपा जाएगा। क्योकि पेंशनर्स विरोधी वित्त विधेयक 2025 का प्रभाव स्पष्ट रूप से सरकार द्वारा अधिसूचित आठवां वेतन पुनरीक्षण आयोग के लिए स्वीकृत विचारणीय बिंदु  में देखने को मिला है। पेंशन पुनरीक्षण की चर्चा किए बिना इसमें गैर अंशदायी पेंशन पर होने वाले खर्च का आकलन करने हेतु कहा गया है। यह शब्दावली बिल्कुल नया और अभूतपूर्व है। इससे सरकार की मंशा स्पष्ट और माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के विपरीत है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयानुसार पेंशन सेवानिवृत्त कर्मियों का मौलिक अधिकार है जिसे अर्थाभाव का बहाना बनाकर रोका नहीं जा सकता है। सरकारी कर्मचारियों के साथ ही इनका पेंशन पुनरीक्षण होना है। पेंशनर्स के बीच किसी भी प्रकार काभेदभाव पैदा नहीं किया जा सकता है। यही कारण है कि केंद्रीय कर्मियों के विभिन्न संगठनों के साथ राज्य सरकारी कर्मचारी का सबसे बड़ा संगठन अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ इसका विरोध कर रहा है। सरकार की वक्रदृष्टि पड़ चुकी है जिसकी लूट पेंशन की समाप्ति/अवरोध से सुगम हो जायगी।हम इसका पुरजोर विरोध करते है तथा कङे शब्दों में निन्दा एवं भत्र्सना करते हैं। जगनलाल निनानिया  ने बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि सभी को कैशलेस इलाज की सभी अस्पतोलो में फ्रि इलाज व मेडिकल भत्ता  3000 हजार रुपये कम्युटेशन की वसुली 11. साल तक की जाए 65 वर्ष की आयु 75 वर्ष की आयु पर मूल पेंशन में 10 प्रतिशत प्रतिशत  व 20 प्रतिशत प्रतिशत की बढ़ोतरी की जावे रेलवे यात्रा व हवाई यात्रा के लिए पूर्व की भांति  50 प्रतिशत प्रतिशत की छूट दी जाए । खंड प्रधान छोटेलाल हेडमास्टर ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि सरकार द्वारा वित्त विधेयक भाग द्ब1 को तुरन्त वापिस लिया जावे सभी मांगों पर सरकार सहानुभूति पूर्वक विचार करके पूर्व की तरह ही  पेंशनर्स को राहत दी जाए। क्योकि ये सब देश की धरोहर हैं।
फोटो कैप्शन 01: बैठक करते रिटायर्ड कर्मी




डीएमसी रणवीर सिंह का कनीना में औचक निरीक्षण किया
-- अधिकारियों को दिए दिशानिर्देश
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कनीना की आवाज।
बुधवार को डीएमसी रणवीर सिंह ने कनीना नगर पालिका क्षेत्र में चल रहे विभिन्न विकास कार्यों का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान कार्यों में धीमी प्रगति और लापरवाही को देखते हुए उन्होंने अधिकारियों और ठेकेदारों को कड़ी फटकार लगाई। डीएमसी ने स्पष्ट चेतावनी दी कि सभी कार्य तय समय सीमा के भीतर पूरे किए जाएं, अन्यथा संबंधित कर्मचारियों व ठेकेदारों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।इस मौके पर पार्षद दीपक चौधरी ने डीएमसी से नगर में विकास कार्यो को लेकर चर्चा की।
सबसे पहले उन्होंने वेस्ट लगेज प्रोजेक्ट का निरीक्षण किया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस कार्य को हर हाल में 31 दिसंबर तक पूरा कर लिया जाए। उन्होंने कहा कि समय सीमा में देरी होने पर किसी भी स्तर पर जवाबदेही तय की जाएगी। इसके बाद डीएमसी रणवीर सिंह ने एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) का निरीक्षण किया और गंदे जल निकासी की स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि मोटर लगातार संचालित रहे ताकि जल निकासी बाधित न हो। एसटीपी में धीमी गति से पानी आने की शिकायत पर उन्होंने कहा कि यदि कहीं लीकेज या रुकावट है तो उसे तुरंत दूर किया जाए। निरीक्षण के दौरान डीएमसी ने होलीवाला जोहड़ का भी दौरा किया। यहां उन्होंने  हिदायत देते हुए कहा कि जोहड़ में जमा गंदा पानी समयबद्ध तरीके से निकाला जाए। उन्होंने कहा कि लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और कार्यों में ढिलाई दिखाने पर किसी भी जिम्मेदार अधिकारी, कर्मचारी या ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई तय है।निरीक्षण के दौरान उप प्रधान सूबे सिंह, पार्षद दीपक चौधरी, सचिव कपिल, जेई राकेश, लिपिक सुरेंद्र जोशी सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 02: डीएमसी कनीना मानकावाली बणी का दौरा करते हुए।













सतत पर्वतीय विकास के महत्व को उजागर करना पर्वत दिवस का उद्देश्य
--11 दिसंबर पर्वत दिवस
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कनीना की आवाज। हर वर्ष 11 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस लगातार 2003 से मनाया जाता आ रहा है। इसका उद्देश्य सामुदायिक पर्वतीय विकास का महत्व उजागर करना है तथा लोगों को पर्वतों के प्रति जागरूकता समझाई जाती है। यहां लोग पहाड़ों पर रहने वाली समस्याओं से अवगत कराना है। अब तो जलवायु और भूमिगत परिवर्तनों कारण पर्वतों की भौगोलिक स्थिति में परिवर्तन आ रहा है। यहां तक की जैव विविधता के विषय में भी जन जागरूक करना होता है।
पर्वत/पहाड़ पृथ्वी की सतह पर प्राकृतिक रूप से ऊंचा उठा हुआ हिस्सा होता है। यह ज्यादातर प्राकृतिक तरीके से उभरा हुआ भाग होता है और पहाड़ी से भी बड़ा होता है। पर्वत चार प्रकार के होते हैं।
कनीना खंड में महज एक ही छोटा पहाड़ है। सेहलंग गांव का छोटा पहाड़ लोगों को आकर्षित करता है।  इस छोटे पहाड़ से अनेकों लाभ उठाये जा रहे हैं।
 इस संबंध में विजय पाल सेहलंगिया पूर्व प्राध्यापक से चर्चा हुई जो सेहलंग के निवासी हैं। उन्होंने बताया कि उनके यहां इस पहाड़ ने बहुत लाभ पहुंचाया है। कभी इस पहाड़ पर हडजुड़, सदाहरी कुरंड जैसे औषधीय पौधे होते थे। अब भी उनमें से कुछ पौधे उपलब्ध हो जाते हैं जो विभिन्न दवाओं में काम आते हैं। लोग इस पहाड़ी से औषधीय पौधे उखाड़ कर लाते हंै और विभिन्न दवाओं के रूप में काम में लेते हैं। कभी इस पहाड़ी से सरकार को भारी आय होती थी, पत्थरों के लिए रॉयल्टी मिलती थी। आसपास गांवों में इसी पहाड़ पत्थरों से बनाये हुए हैं। किंतु जब से देवी खिमज का धार्मिक स्थान पहाड़ी पर बनाया गया है तब से पत्थरों की खुदाई नहीं होती है। और यहां अब दूर-दराज से लोग एवं भक्त माता के दर्शन करने आते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इस पहाड़ पर शुद्ध हवा मिलती है। पहाड़ पर जाते हैं तो मन आनंद से भर जाता है। दूर दराज के दृश्य दिखाई देते हैं वहीं झाड़ली थर्मल प्लांट जो 16 किलोमीटर दूर है ऐसा लगता है जैसे दो किमी दूर हो। उन्होंने बताया कि पहाड़ी पर भारी मात्रा में पेड़ पौधे है जिनसे वायुमंडल श्ैंाुद्ध होता है। ऐसे में यह पहाड़ उनके लिए हर प्रकार से लाभ पर साबित हो रहा है। जब भी कभी पहाड़ो की चर्चा चलती है तो उनका गांव का नाम आदर्श से लिया जाता है।
पहाड़ी पर रहने में ही आनंद कुछ अलग आता है। उन्होंने बताया कि पहाड़ी कनीना ब्लॉक की एकमात्र पहाड़ी है जो हर प्रकार से इस क्षेत्र के लोगों को आकर्षित करती है। दूध दराज से बच्चे और लोग इस पहाड़ी को देखने के लिए आते हैं।
फोटो कैप्शन  03: सेहलंग के पहाड़ का एक भाग