मनुष्य जीवन का ध्येय क्या है?
-परहित या पाप-बुराई
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कनीना की आवाज। इस धरा पर सभी इंसान जन्म लेकर आते हैं तो कुछ तो जन्म लेकर धरती पर बोझ बनकर ही पूरा जीवन गुजार देते हैं। उनके पास केवल दूसरों की चुगली चाटा, बुराई, पाप, अहिंसा और बहुत सी बुराइयां उनमें घर कर रही होती है। यहां तक की कुछ लोग आते हैं और वे कितनी ही बुराइयों से परिपूर्ण होते हैं जिनमें बीड़ी सिगरेट, शराब, जुआ तंबाकू खाना और कितनी अनेक बुराइयों में जी कर चले जाते हैं। कुछ लोग ऐसे भी है जो चाय , चिलम, तंबाकू आदि पीकर न तो किसी का बुरा करते और नहीं किसी का भला करते हैं। अंत में वो व्यक्ति आते हैं जो सभी का हित, प्रेम प्रीत,पुण्य कार्य करते हैं तथा नीतिमान होते हैं। वैसे तो बहुत कम लोग ऐसे होते हैं किंतु जो होते हैं वो सचमुच परहितैषी होते हैं। इंसान का यही ध्येय होना चाहिए।
कुछ ऐसे राक्षसी लोग भी देखे जो जीवन में दूसरों को दुख देने के अलावा कुछ भी कार्य नहीं करते। कितने ही ऐसे लोग देखे गए हैं जो केवल दूसरों को कष्ट देने के अलावा कुछ नहीं करते। कुछ दूसरे के कंधे पर बंदूक रखकर गोली चलाते हैं। समाज में और हर गांव, गली मोहल्ले में में ऐसे कितने ही लोग मिल जाएंगे। कितने ही ऐसे लोग हैं जो दूसरे की कमियां ढूंढ कर जीवन बिता देते हैं। लेकिन सही मायने में वह इंसान सच्चा इंसान है जो दूसरे के हित की बात सोचता है, दूसरा गिरता है तो उसे कष्ट होता है। वह सच्चा इंसान है जब कोई दुखी मिलता है तो उसे दर्द होता है। वह सोचता है कि किस प्रकार किसी की मदद की जाए। दिन में कम से कम एक दो व्यक्तियों की मदद करके अपना पुण्य कमाते हैं। उनका जीवन शांत और हितैषी स्वभाव का होता है। उनमें किसी प्रकार की बुराई नहीं होती। छोटी-मोटी बुराई भी हो तो उन्हें भुला दिया जाता है लेकिन सच्चाई यह है की संत प्रवृत्ति के लोग ही ऐसे हो सकते हैं जो दूसरे की भलाई का कार्य सोचते हैं। इंसान को सोचना चाहिए कि उसकी जिंदगी चार दिनों की है। तत्पश्चात उसकी जिंदगी खत्म हो जाएगी। हर इंसान को इस धरती पर समय बिता कर जाना होता है। कोई पहले चला जाता है तो कोई बाद में लेकिन अंतत: मौत निश्चित है। कुछ दिनों का मेहमान बनकर धरती पर आता है और वह भी आपस में बैरभाव में बीताता है। कितना दुर्भाग्य है कि दूसरे की बुराई करने में उन्हें आनंद आता है। जबकि कुछ लोगों की ध्येय यही होता है कि कैसे हित किया जाए। हजारों में एक ऐसा व्यक्ति भी देखने मिलता है जो मदद करता है लेकिन सामने नहीं आता। वह चाहता है कि उसका नाम ना आए, बस काम हो जाए। यही कारण है कि ऐसा इंसान सदा दूसरों की हित की बात के अलावा कुछ भी नहीं सोचता। ऐसे लोग बहुत कम होते हैं परंतु उनको समाज बहुत चाहता है। कहते हैं कि जिनका ध्येय पुनीत हो वह मरने के बाद भी अमर हो जाता है और स्वर्ग पाता है और ऐसे लोग जो यह ध्येय लेकर आते हैं कैसे अहिंसा फैलाई जाए, कैसे पाप दूसरे का अहित, चुगली की जाए, वह जीवित रहकर भी मुर्दे के समान है। उनको समाज उन जैसे लोग ही चाहते हैं लेकिन अच्छे आदमियों की नजर में वो मरे के समान हैं। वो मरने के बाद नरक के द्वारा देखते है। ऐसे में इंसान का अंतिम ध्येय होना चाहिए -सत्य बोलना, दूसरे का हित करना, दूसरे की भलाई करना, धर्म- नीति पर चलना, किसी से बैरभाव न रखना, प्रीत, प्रेम, प्यार का संदेश फैलाना, मरकर भी अमर हो जाना। इंसान धरती पर आता है और कुछ बुराइयां या भलाइयां ले जाता है। इंसान का ध्येय होना चाहिए कि वह भलाई लेकर जाए। कबीरदास ने एक दोहे में भी कहा है कि जिनके मरने के बाद लोग रोते नजर आए वह इंसान सच्चा इंसान है और वह इस धरती पर सारे सुख भोग कर जाता है। सुख भोगने का अर्थ यह नहीं है कि वह अपना हित देखें बल्कि दूसरों का हित सोचे, वह स्वर्ग पाता है। कुछ लोग पापी होते हैं दूसरे का अहित करते हैं, लोग दिन रात चाहते हैं कि किसी प्रकार इसका अंत हो जाए। नाम वहीं कमाते हैं जिनका ध्येय परहित होता है।
सुरक्षित नहीं है कनीना की पेयजल सप्लाई,हो सकता है बड़ा हादसा
-झाड़ झंखाड़ से आच्छादित है वाटर सप्लाई केंद्र
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कनीना की आवाज। कनीना की पेयजल सप्लाई पूर्ण रूप से सुरक्षित नहीं है। 21 दिसंबर 1975 को कनीना की पेयजल सप्लाई तत्कालीन कर्नल महा सिंह, कृषि मंत्री हरियाणा सरकार द्वारा उद्घाटन किया था किंतु यहां पर बनी हुई ऊंची टंकी जो शायद एक दिन भी काम नहीं आई, गिरने के कगार पर है। चार दिवारी कहीं टूटी पड़ी है तो कहीं बहुत छोटी है। पूरे ही वाटर सप्लाई केंद्र पर झाड़-झंखाड़ खड़े हैं। जहां नहरी पेयजल को साफ करने के लिए बनाया गया टैंक झाड़ झंखाड़ से आच्छादित है और यह कुछ दिन भी नहीं चल पाया था। इसके लीक हो जाने से यह बंद कर दिया गया है। अनेकों सरीसृप और जीव जंतु यहां घूमते देखे गए हैं। पेयजल सप्लाई का वाटर स्टेार टैंक जो 1975 से आज तक न तो साफ किया गया है और न ही सुरक्षित है। एक और जहां नहर पर आधारित परियोजना के बनाए गए चार टैंक वर्ष 2006 में निर्मित किये गये थे जो झाड़ झंखाड़ों से युक्त हैं। वहीं जल स्टोरेज टैंक नीचे होने की वजह से कोई भी जीव जंतु आसानी से पेयजल में घुस सकता है। यह टैंक भी कई जगह से लीक कर रहा है। अगर कनीना की पेयजल सप्लाई को देखा जाए तो नहीं तो चार दिवारी है और नहीं कोई सुरक्षा है।
कनीना के लिए जहां प्रमुख पेयजल सप्लाई की यह हालत है कि कोई भी जानवर आसानी से घुस सकता है। पेयजल केंद्र पर सूखे टूटे हुए पेड़ यहां वहां पड़े हैं। यही कारण है कि यहां पर जल असुरक्षित ढंग से सप्लाई हो रहा है। यदि कनीना की पेयजल सप्लाई केंद्र को देखा जाए तो ऐसा लगता है जैसे कोई जंगल हो, झाड़ झंखाड़ों से परिपूर्ण पेयजल सप्लाई है। यदि इसके सुध ली जाए तो उचित होगा वरना भविष्य में किसी भी अनहोनी से इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि पेयजल सप्लाई में कोई भी सरीसृप आसानी से घुस सकते हैं। वहीं चारदीवारी टूटी होने से आवारा जानवर आसानी से प्रवेश कर सकता है। भारी पैसे लगाने के बाद भी हालत बदतर है, इसकी सुध लेने की मांग की है। वाटर सप्लाई का द्वार भी सुरक्षित नहीं है। कहीं पेड़ पौधे टूटे पड़े हैं तो कहीं नहर पर आधारित पेयजल योजना जर्जर हो चुकी है। आश्चर्यजनक यह है कि न तो ऊंची पेयजल टंकी कभी काम आई और न ही नहर पर आधारित परियोजना काम आई। अभी तो यहां तो पुराने समय के ही स्टोर टैंक काम आ रहे हैं।
मिली जानकारी अनुसार नहर पर आधारित पेयतल एवं बोर के जल को मिलाकर कस्बा में सप्लाई किया जा रहा है। नहर पर आधारित पेयजल केंद्र बड़ी बणी नजदीक डीएवी के पास है। जहां क्लोरीन गैस से पेयजल को साफ किया जाता हे। न तो फिटकरी, न ब्लीचिंग पाउडर और न पीएसीएल है। इस पेयजल केंद्र की सफाई किये लंबा अर्सा हो चुका है। यहां से साफ किया जल रेवाड़ी रोड़ स्थित मुख्य जल केंद्र पर आता हे। मुख्य जल केंद्र पर सफेदी तक नहीं की गई है जिससे भवन जर्जर हो जाता है। मोटर रखने का स्थल जर्जर हो चला है।
यदि पेयजल केंद्र पर जाया जाए तो द्वार पर उपले ,कृषि के यंत्र, ईंधन एवं कूड़ा डालकर बदसूरत बनाया हुआ है। कनीना के हरेंद्र शर्मा, अनूप कुमार, दीपक कुमार,नरेश कुमार, भागमल आदि ने पेयजल केद्र की हालात पर रोष जताते हुए अविलंब इसकी सुध लेने की मांग की है वरना वे आदोलन पर उतरने को मजबूर हो जाएंगे।
कस्बावासियों ने वर्षों से चले आ रहे भूमिगत टैंक को साफ करवाने, इसकी ऊंचाई बढ़ाने की मांग की है ताकि इसमें कोई आवारा जीव जंतु नहीं घुस सके। वही चारदीवारी ऊंचा उठाने ,साफ सफाई करने ,ऊंची टंकी को दुरुस्त करवाने या से हटवाने की मांग की गई है। यहां पर 1975 में बनी पुरानी खराब ऊंची टंकी को हटवाने , पेयजल साफ करने हेतु 2005 में बने हौद चार हौद हटवाने, पेयजल केंद्र के द्वार एवं अंदर से साफ सुथरा बनाने की मांग की है। वरना वो दिन दूर नहीं जब कोई बड़ा हादसा हो जाएगा।
क्या कहते हैं कनिष्ठ अभियंता-
कनिष्ठ अभियंता पवन कुमार से इस संबंध में बात हुई। उन्होंने बताया कि मुख्य द्वार पर डाले गये ईंधन, ऊपले आदि को हटवा दिया जाएगा वरना डालने वालों को नोटिस दिया जाएगा। ऊंची टंकी के बारे में हेड क्वार्टर जाकर बात की जाएगी, अंदर से साफ सफाई करवा दी जाएगी, ब्लीचिंग पाउडर आदि नारनौल से एक दो रोज में आ जाएंगे। उन्होंने बताया कि इस पेयजल केंद्र को अपग्रेड किया जाना है किंतु नगरपालिका दस एकड़ जगह उपलब्ध नहीं करवा पा रही है वरना अपग्रेड के टेंडर लगवाकर अधिकतम 6 माह में इसे अपग्रेड करवा दिया जाएगा। अन्य समस्याएं भी हल करने का आश्वासन दिया।
फोटो कैप्शन 04: पुराने खुले हौद में खड़े झाड़ झंखाड़,
05: जर्जर पुरानी टंकी जिसका गिरने का खतरा
06:पेयजल टैंक लीक करते हुए
07:मुख्यद्वार पर डाला ईंधन एवं कबाड़
08:टूटी हुई दीवार एवं पड़े सूखे पेड़ एवं झाड़ झंखाड़
बच्चों के जीवन को बचाने, इच्छाओं को पूरा करने में जागरूकता का दिवस है यूनिसेफ
-11 दिसंबर यूनिसेफ दिवस
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कनीना की आवाज। 11 दिसंबर को यूनिसेफ दिवस मनाया जाता है ताकि बच्चों के जीवन को बचाने उनकी इच्छाओं को पूरा करने के बारे में जागरूकता प्राप्त हो सके। यह दिन द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा कल्याण के लिए सहायता प्रदान करता है। यूनिसेफ का नाम बाद में संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष रख दिया गया। यह दिन बच्चों को विकास के बारे में जागरूकता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका उद्देश्य बच्चों के अधिकारों के उल्लंघन और जाति क्षेत्रीय धर्म के खिलाफ भेदभाव को खत्म करना है। दुनिया भर के बच्चे की रक्षा करना, शिक्षा, भोजन, स्वास्थ्य टीकाकरण आदि बुनियादी अधिकारों तक पहुंचाने का कार्य करता है।
डा. अजीत कुमार शर्मा बताते हैं कि यूनिसेफ की स्थापना और दुनिया भर में बाल कल्याण , इसके प्रभाव का सम्मान करते हुए वार्षिक कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं। यूनिसेफ बच्चों उनके उज्ज्वल और स्वस्थ भविष्य का समर्थन करने में सहयोग करता है। यूनिसेफ का उद्देश्य बच्चों को हर प्रकार से आगे बढऩे में मदद करना होता है।
फोटो कैप्शन: डा. अजीत शर्मा
ग्रामीण क्षेत्रों से लुप्त हो रही है गुड़ की भेली
-पर्वों पर काम आती थी भेली
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कनीना की आवाज। एक जमाने में विवाह शादी विभिन्न उत्सव और विशेषकर नए वर्ष पर गुड़ की भेली देने का रिवाज था किंतु अब दुकानों से भेलियां गायब है। वैसे तो बुजुर्ग कहते हैं गुड़ की भेली और गांव की अभेली दोनों ही ग्रामीण क्षेत्रों से गायब होती जा रही हैं।
वास्तव में से गुड़ से बना हुआ चक्का भेली कहलाता था और यह सेर में मापी जाती थी। आजकल जहां तोल के लिए किलोग्राम प्रयोग किया जाता है किसी जमाने में सेर और छटांक प्रयोग करते थे। 16 छटांक का एक सेर बनता था और एक सेर में करीब 900 ग्राम वजन होता था। आज भी पुराने घरों में सेर का बट्टा देखने को मिल सकता है। अब सेर का स्थान किलोग्राम ने ले लिया किंतु अढ़ाई सेर या पांच सेर की गुड़ की भेली दुकानों पर मिलती थी। जहां विवाह शादियों में लड़का आदि होने पर गुड़ की भेली दी जाती थी वहीं 1 जनवरी से 14 जनवरी तक तो गुड़ की भेलियों की इस कदर मांग होती थी की दुकानों पर गुड़ ही गुड़ नजर आता था।
बुजुर्गों का कहना है कि जहां प्रसाद के रूप में शक्कर तत्पश्चात बताशे उसके बाद बूंदी प्रयोग में लाई जाती हैं। इसी प्रकार पुराने वक्त में गुड़ ही सबसे बड़ी मिठाई होती थी। खुशी के अवसर पर गुड़ का लेनदेन होता था और गुड़ की 2.5 या 5 किलो खुशी खुशी में दिया जाता था जो धीरे धीरे बंद हो गई।
और अब तो गुड़ की भेली दिखाई नहीं पड़ती। बुजुर्ग बताते हैं कि पहले किसी भी उत्सव पर चूरमा, खीर, दाल आदि बनाई जाती थी और वहीं परंपरा आज भी चली आ रही है। 14 जनवरी मकर संक्रांति के दिन जा दाल व चूरमा आज भी चाव से खाया जाता है।
नए साल पर प्रथम जनवरी से कभी गुड़ लेकर के माता-पिता अपनी विवाहित पुत्री के ससुराल या भाई अपनी विवाहित बहन के लिए गुड़ की भेली देकर आता था और साथ में घी भी देकर आता था ताकि मकर संक्रांति पर चूरमा और दाल बनाई जा सके। इसे त्योहारी नाम से जाना जाता था। अब ना तो त्योहारी बची है और ना गुड़ की भेली का लेनदेन होता है।
आज गुड़ की भेली गायब हैं। दुकानदारों ने बताया कभी मकर संक्रांति पर गुड़ की भेली की मांग होती थी लेकिन अब गुड़ की भेली के खरीददार नहीं रहे। इसलिए प्रचलन घट गया है।
फोटो : गुड़ की भेली
केंद्र सरकार रिटायर्ड कर्मचारियों के अधिकारों का हनन कर रही है-धर्मपाल शर्मा
-नांगल चौधरी में आयोजित बैठक
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कनीना की आवाज। रिटायर्ड कर्मचारी संघ खंड नांगल चौधरी की बीडीपीओ कार्यालय नांगल चौधरी मे बैठक खंड प्रधान छोटेलाल सेवानिवृत्त मुख्य अध्यापक की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक में मुख्य वक्ता धर्मपाल शर्मा राज्य सचिव एवं प्रभारी तथा जगनलाल निनानिया पूर्व राज्य उपप्रधान थे ।बैठक का संचालन खण्ड सचिव दुलीचन्द गोठवाल सेवानिवृत्त मुख्य अध्यापक ने किया। बैठक को संबोधित करते हुए कहा धर्मपाल शर्मा ने कहा कि आज मानव अधिकार दिवस है जो10 दिसंबर 1948 को अपनाया था। इसी ऐतिहासिक दिन की याद में 1950 से हर वर्ष 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है।
दुनिया भर में मनुष्य के मूल अधिकारों— जीवन,समता, समानता, शिक्षा, अभिव्यक्ति, गरिमा, स्वतंत्रता—को सम्मान व सुरक्षा दिलाने के उद्देश्य से।
यह दिन याद दिलाता है कि मानव अधिकार जन्मसिद्ध, सार्वभौमिक और अविभाज्य है।
भारत सरकार रिटायर्ड कर्मचारियों के अधिकारों का हनन कर रही है। भारत सरकार की नियत ठीक नही है। सरकार का यह कहना कि पेंशन अन फनडीड है नान कन्ट्रीब्यूट्री है अर्थात् बजट का अभाव बताया जाना यह मंशा सही नहीं है इसके विरोध में पूरे भारत मैं जिला मुख्यालयों पर अखिल भारतीय राज्य सरकारी पेंशनर्स फेडरेशन के आव्हान पर तथा रिटायर्ड कर्मचारी संघ हरियाणा के निर्देशन पर 17 दिसम्बर 2025 को धरना प्रदर्शन सुबह 10 बजे से 1 बजे तक कर उपायुक्त महेन्द्रगढ़ के माध्यम से राज्यपाल हरियाणा के नाम केंद्र सरकार द्वारा वित विधेयरक 2025 पारित के विरोध में अन्य मांगो सहित ज्ञापन सौंपा जाएगा। क्योकि पेंशनर्स विरोधी वित्त विधेयक 2025 का प्रभाव स्पष्ट रूप से सरकार द्वारा अधिसूचित आठवां वेतन पुनरीक्षण आयोग के लिए स्वीकृत विचारणीय बिंदु में देखने को मिला है। पेंशन पुनरीक्षण की चर्चा किए बिना इसमें गैर अंशदायी पेंशन पर होने वाले खर्च का आकलन करने हेतु कहा गया है। यह शब्दावली बिल्कुल नया और अभूतपूर्व है। इससे सरकार की मंशा स्पष्ट और माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के विपरीत है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयानुसार पेंशन सेवानिवृत्त कर्मियों का मौलिक अधिकार है जिसे अर्थाभाव का बहाना बनाकर रोका नहीं जा सकता है। सरकारी कर्मचारियों के साथ ही इनका पेंशन पुनरीक्षण होना है। पेंशनर्स के बीच किसी भी प्रकार काभेदभाव पैदा नहीं किया जा सकता है। यही कारण है कि केंद्रीय कर्मियों के विभिन्न संगठनों के साथ राज्य सरकारी कर्मचारी का सबसे बड़ा संगठन अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ इसका विरोध कर रहा है। सरकार की वक्रदृष्टि पड़ चुकी है जिसकी लूट पेंशन की समाप्ति/अवरोध से सुगम हो जायगी।हम इसका पुरजोर विरोध करते है तथा कङे शब्दों में निन्दा एवं भत्र्सना करते हैं। जगनलाल निनानिया ने बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि सभी को कैशलेस इलाज की सभी अस्पतोलो में फ्रि इलाज व मेडिकल भत्ता 3000 हजार रुपये कम्युटेशन की वसुली 11. साल तक की जाए 65 वर्ष की आयु 75 वर्ष की आयु पर मूल पेंशन में 10 प्रतिशत प्रतिशत व 20 प्रतिशत प्रतिशत की बढ़ोतरी की जावे रेलवे यात्रा व हवाई यात्रा के लिए पूर्व की भांति 50 प्रतिशत प्रतिशत की छूट दी जाए । खंड प्रधान छोटेलाल हेडमास्टर ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि सरकार द्वारा वित्त विधेयक भाग द्ब1 को तुरन्त वापिस लिया जावे सभी मांगों पर सरकार सहानुभूति पूर्वक विचार करके पूर्व की तरह ही पेंशनर्स को राहत दी जाए। क्योकि ये सब देश की धरोहर हैं।
फोटो कैप्शन 01: बैठक करते रिटायर्ड कर्मी
डीएमसी रणवीर सिंह का कनीना में औचक निरीक्षण किया
-- अधिकारियों को दिए दिशानिर्देश
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कनीना की आवाज। बुधवार को डीएमसी रणवीर सिंह ने कनीना नगर पालिका क्षेत्र में चल रहे विभिन्न विकास कार्यों का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान कार्यों में धीमी प्रगति और लापरवाही को देखते हुए उन्होंने अधिकारियों और ठेकेदारों को कड़ी फटकार लगाई। डीएमसी ने स्पष्ट चेतावनी दी कि सभी कार्य तय समय सीमा के भीतर पूरे किए जाएं, अन्यथा संबंधित कर्मचारियों व ठेकेदारों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।इस मौके पर पार्षद दीपक चौधरी ने डीएमसी से नगर में विकास कार्यो को लेकर चर्चा की।
सबसे पहले उन्होंने वेस्ट लगेज प्रोजेक्ट का निरीक्षण किया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस कार्य को हर हाल में 31 दिसंबर तक पूरा कर लिया जाए। उन्होंने कहा कि समय सीमा में देरी होने पर किसी भी स्तर पर जवाबदेही तय की जाएगी। इसके बाद डीएमसी रणवीर सिंह ने एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) का निरीक्षण किया और गंदे जल निकासी की स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि मोटर लगातार संचालित रहे ताकि जल निकासी बाधित न हो। एसटीपी में धीमी गति से पानी आने की शिकायत पर उन्होंने कहा कि यदि कहीं लीकेज या रुकावट है तो उसे तुरंत दूर किया जाए। निरीक्षण के दौरान डीएमसी ने होलीवाला जोहड़ का भी दौरा किया। यहां उन्होंने हिदायत देते हुए कहा कि जोहड़ में जमा गंदा पानी समयबद्ध तरीके से निकाला जाए। उन्होंने कहा कि लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और कार्यों में ढिलाई दिखाने पर किसी भी जिम्मेदार अधिकारी, कर्मचारी या ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई तय है।निरीक्षण के दौरान उप प्रधान सूबे सिंह, पार्षद दीपक चौधरी, सचिव कपिल, जेई राकेश, लिपिक सुरेंद्र जोशी सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 02: डीएमसी कनीना मानकावाली बणी का दौरा करते हुए।
सतत पर्वतीय विकास के महत्व को उजागर करना पर्वत दिवस का उद्देश्य
--11 दिसंबर पर्वत दिवस
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कनीना की आवाज। हर वर्ष 11 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस लगातार 2003 से मनाया जाता आ रहा है। इसका उद्देश्य सामुदायिक पर्वतीय विकास का महत्व उजागर करना है तथा लोगों को पर्वतों के प्रति जागरूकता समझाई जाती है। यहां लोग पहाड़ों पर रहने वाली समस्याओं से अवगत कराना है। अब तो जलवायु और भूमिगत परिवर्तनों कारण पर्वतों की भौगोलिक स्थिति में परिवर्तन आ रहा है। यहां तक की जैव विविधता के विषय में भी जन जागरूक करना होता है।
पर्वत/पहाड़ पृथ्वी की सतह पर प्राकृतिक रूप से ऊंचा उठा हुआ हिस्सा होता है। यह ज्यादातर प्राकृतिक तरीके से उभरा हुआ भाग होता है और पहाड़ी से भी बड़ा होता है। पर्वत चार प्रकार के होते हैं।
कनीना खंड में महज एक ही छोटा पहाड़ है। सेहलंग गांव का छोटा पहाड़ लोगों को आकर्षित करता है। इस छोटे पहाड़ से अनेकों लाभ उठाये जा रहे हैं।
इस संबंध में विजय पाल सेहलंगिया पूर्व प्राध्यापक से चर्चा हुई जो सेहलंग के निवासी हैं। उन्होंने बताया कि उनके यहां इस पहाड़ ने बहुत लाभ पहुंचाया है। कभी इस पहाड़ पर हडजुड़, सदाहरी कुरंड जैसे औषधीय पौधे होते थे। अब भी उनमें से कुछ पौधे उपलब्ध हो जाते हैं जो विभिन्न दवाओं में काम आते हैं। लोग इस पहाड़ी से औषधीय पौधे उखाड़ कर लाते हंै और विभिन्न दवाओं के रूप में काम में लेते हैं। कभी इस पहाड़ी से सरकार को भारी आय होती थी, पत्थरों के लिए रॉयल्टी मिलती थी। आसपास गांवों में इसी पहाड़ पत्थरों से बनाये हुए हैं। किंतु जब से देवी खिमज का धार्मिक स्थान पहाड़ी पर बनाया गया है तब से पत्थरों की खुदाई नहीं होती है। और यहां अब दूर-दराज से लोग एवं भक्त माता के दर्शन करने आते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इस पहाड़ पर शुद्ध हवा मिलती है। पहाड़ पर जाते हैं तो मन आनंद से भर जाता है। दूर दराज के दृश्य दिखाई देते हैं वहीं झाड़ली थर्मल प्लांट जो 16 किलोमीटर दूर है ऐसा लगता है जैसे दो किमी दूर हो। उन्होंने बताया कि पहाड़ी पर भारी मात्रा में पेड़ पौधे है जिनसे वायुमंडल श्ैंाुद्ध होता है। ऐसे में यह पहाड़ उनके लिए हर प्रकार से लाभ पर साबित हो रहा है। जब भी कभी पहाड़ो की चर्चा चलती है तो उनका गांव का नाम आदर्श से लिया जाता है।
पहाड़ी पर रहने में ही आनंद कुछ अलग आता है। उन्होंने बताया कि पहाड़ी कनीना ब्लॉक की एकमात्र पहाड़ी है जो हर प्रकार से इस क्षेत्र के लोगों को आकर्षित करती है। दूध दराज से बच्चे और लोग इस पहाड़ी को देखने के लिए आते हैं।
फोटो कैप्शन 03: सेहलंग के पहाड़ का एक भाग












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